Work-Life Balance: आज की तेज रफ्तार जिंदगी में इंसान ऐसी दौड़ में शामिल हो चुका है, जहां न तो काम को नजरअंदाज किया जा सकता है और न ही परिवार की जिम्मेदारियों को. काम और घर की जिम्मेदारियां निभातेनिभाते वह इतना थक जाता है कि खुद के लिए भी वक्त नहीं बचता. एक दौर था जब घर का एक सदस्य ही पूरे परिवार का खर्च चला लेता था, लेकिन आज के दौर में महंगाई इतनी बढ़ चुकी है कि पूरा परिवार मिलकर भी कमाए, तब भी जरूरतें पूरी नहीं होतीं.
हर कोई पैसा कमाने की दौड़ में भाग रहा है, और इसी चक्कर में अपनों के साथ बिताने वाला कीमती समय पीछे छूट जाता है. दिनभर की भागदौड़ के बाद जब इंसान घर लौटता है, तो उसका मन और दिमाग काम की टेंशन, डेडलाइन्स और फ्यूचर की चिंताओं में उलझा रहता है. ऐसे में वह घर पर रहकर भी अपनों के बीच होने का अहसास नहीं कर पाता. परिवार वही होता है लेकिन साथ बिताने का सुकून कहीं खो जाता है.
वर्कलाइफ बैलेंस की बात अकसर सुनने को मिलती है लेकिन इसे समझना और अपनी जिंदगी में उतारना ही असली चुनौती है तो चलिए जानते हैं कि वर्कलाइफ बैलेंस असल में होता क्या है और कैसे इसे अपनाया जा सकता है.
काम के साथ परिवार वालों को भी दें प्राइओरिटी
सबसे जरूरी बात यह है कि काम के साथ-साथ परिवार को भी उतनी ही प्राइओरिटी दें. जब आप पूरे दिन की मेहनत और थकावट के बाद घर लौटते हैं, तो आपका परिवार सिर्फ आपकी शक्ल देखने के लिए नहीं, बल्कि आपके साथ मुस्कराने और वक्त बिताने के लिए आपका इंतजार करता है. वे आपके चेहरे पर तनाव नहीं, सुकून देखना चाहते हैं.
इसलिए कोशिश करें कि औफिस का बोझ घर के दरवाजे से पहले ही छोड़ दें. घर में कदम रखते ही काम की टेंशन से खुद को अलग कर लें और पूरी तरह से अपने परिवार के साथ जुड़ जाएं. अगली सुबह जब आप फिर से औफिस पहुंचें, तभी दोबारा काम को लेकर सोचें. यही बैलेंस आपको मानसिक रूप से स्वस्थ और रिश्तों को मजबूत बनाए रखता है.
वीकेंड पर मत लें काम का स्ट्रैस
वीकेंड का समय सिर्फ काम के लिए नहीं, बल्कि अपनों के साथ रिश्ते मजबूत करने का मौका होता है. औफिस की फाइलें और मीटिंग्स तो चलते रहेंगे, लेकिन परिवार के साथ बिताया गया वक्त दोबारा नहीं लौटेगा. इसलिए बेहतर है कि छुट्टी के दिन अपने परिवार के नाम करें, कहीं घूमने जाएं, साथ में हंसी-मजाक करें, और ऐसे पल बनाएं जो हमेशा याद रहें.
प्रोफेशन और पर्सनल लाइफ दोनों है जरूरी
मां-बाप, पत्नी और बच्चों के साथ बिताया गया समय न सिर्फ आपको सुकून देता है, बल्कि आपके रिश्तों और भी गहरा बनाता है. करियर की रेस में आगे बढ़ना जरूरी है, लेकिन अपनों को पीछे छोड़कर मिली कामयाबी अधूरी सी लगती है. काम करना जिंदगी का हिस्सा है, लेकिन सिर्फ काम ही सब कुछ नहीं. असली संतुलन वही है जहां आप अपने प्रोफेशन और पर्सनल लाइफ दोनों को बराबर अहमियत दें. याद रखिए, तरक्की की दौड़ में अपनों को भूल जाना, सबसे बड़ी हार हो सकती है. Work-Life Balance