Writer- देवेंद्रराज सुथार
देश में सड़क हादसों की बढ़ती तादाद पर लगाम लगाने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि ट्रक ड्राइवरों के लिए ड्राइविंग का समय तय किया जाना चाहिए. इस के साथ ही सैंसर की मदद से उन की नींद का भी पता लगाया जाना चाहिए, ताकि देश में बढ़ते सड़क हादसों को रोका जा सके.
कई घंटे की ड्राइविंग, इंजन की गड़गड़ाहट और सड़क पर 14 पहियों की आवाज... इस सब में ट्रक ड्राइवर के लिए थकान का सामना करना मुश्किल हो जाता है.
गाड़ी चलाते समय थकान से जू?ाना, नींद न आना ये सामान्य सी समस्याएं हैं, जिन से ट्रक ड्राइवर जू?ाते रहते हैं, लेकिन आज की भीड़भाड़ वाली सड़कों पर ये ट्रक ड्राइवर सड़क पर चलने वाले दूसरे लोगों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो रहे हैं.
उदाहरण के तौर पर, दक्षिण अफ्रीका में जनवरी, 1981 और मार्च, 1994 के बीच 34 फीसदी से ज्यादा हादसे गाड़ी चलाते समय ड्राइवर के सो जाने की वजह से हुए. थकान बढ़ने से उनींदापन होने लगता है और इस का असर शराब के नशे के समान होता है.
थकान से जुड़े इन हादसों के पीछे की बड़ी वजह को हमें ट्रक ड्राइवरों द्वारा काम किए गए कुल घंटों के रूप में देखना होगा, जिस में न केवल ड्राइविंग बल्कि दूसरे काम भी शामिल हैं.
ये काम के घंटे अकसर लंबे और अनियमित होते हैं. ज्यादातर ट्रक ड्राइवर शुरू से आखिर तक अपने दम पर काम को पूरा करना पसंद करते हैं, जिस
का मतलब यह है कि किसी भी मौसम में ग्राहक को सामान पहुंचाना.
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