बिहार के नवादा जिले में नरहट प्रखंड के रहने वाले सत्येंद्र कुमार 3 साल पहले स्वीडन में डाक्टरी की पढ़ाई करने गए थे. स्वीडन में शोध के दौरान लारिसा बेल्ज से उन की भेंट हुई. सत्येंद्र मैडिकल कालेज में स्किन कैंसर पर रिसर्च कर रहे थे. वहीं जर्मनी की डा. लारिसा बेल्ज भी थीं. उन के रिसर्च का टौपिक प्रोस्टेट कैंसर था.
दोनों का एक ही लक्ष्य था. कैंसर के फैलने की दर का पता लगाना. ताकि उस के अनुरूप मरीज के उपचार के लिए प्रभावकारी दवाएं दी जा सकें.
इसे ले कर दोनों के बीच डिसकशन होने होने लगी थी. कई बार जब उन का डिसकशन बोझिल हो जाता था, तब वे इधरउधर की बातें करने लगते थे. इसी सिलसिले में एक रोज सत्येंद्र ने कहा, ‘‘स्किन कैंसर जानलेवा नहीं है, इस का इलाज तो लोग हमारे यहां राजगीर के नेचुरल गर्म कुंड और झरने में स्नान कर के कर लेते हैं.’’
‘‘हाऊ इट?’’ लारिसा की आंखें आश्चर्य से फैल गईं. वह जानना चाहती थी कि आखिर वह कैसे हो सकता है. इस पर सत्येंद्र ने लोगों के उस पर बने विश्वास के बारे में बताया.
‘‘रिसर्च बताते हैं कि उस पानी में गंधक की मात्रा घुली होती है, इसलिए उन से निकलने वाला पानी लगातार गर्म रहता है. जो सीधे स्किन पर मैडिसिन की तरह असर डालता है. राजगीर में ऐसे कुल 17 गर्म झरने हैं. उस में स्नान करने के लिए लोग हजारों किलोमीटर की यात्रा कर आते हैं. सर्दियों में तो वहां पैर रखने की भी जगह नहीं होती.’’
लारिसा सत्येंद्र की बातें ध्यान से सुन रही थी. फिर बोली, ‘‘तब तो तुम्हें वहीं रिसर्च करनी चाहिए थी.’’