Social Awareness: बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच वहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं को लुभाने का नया ऐलान किया है. उन्होंने कैबिनेट की बैठक में राज्य की मूल निवासी महिलाओं के लिए सरकारी नौकरी में 35 फीसदी रिजर्वेशन देने के आदेश पर मुहर लगा दी है.
इस बात में कोई दोराय नहीं है कि सरकारी नौकरी पाना हर नौजवान लड़केलड़की का सपना होता है, फिर चाहे वह फोर्थ क्लास की कोई अदना सी नौकरी ही क्यों न हो. यही वजह है कि देशभर में बड़ेबड़े पेशेवर कोर्स कर के बैठे बेरोजगारों की 10वीं पास की क्वालिफिकेशन वाली सरकारी नौकरी हासिल करने के लिए मारामारी होती है.
हो भी क्यों न, एक बार सरकारी नौकरी लग जाए, फिर जिंदगीभर का बंदोबस्त हो जाता है. काम करो या न करो, महीने के आखिरी में तनख्वाह बैंक खाते में आ ही जाएगी और अगर दांव लग गया, तो ‘ऊपरी कमाई’ की मलाई चाटने का भी भरपूर मौका मिलता है.
गांवदेहात में तो तकरीबन हर कोई चाहता है कि वह किसी न किसी तरह सरकारी नौकरी पा जाए. लड़कियों में भी यही होड़ देखी जाती है, पर यह सब इतना आसान नहीं है कि सोशल मीडिया पर डंका पीट दिया जाए कि ‘चपरासी की बेटी ने आईएएस का ऐग्जाम क्लियर कर के इतिहास रच दिया’.
आईएएस बनना कोई हंसीखेल है क्या. किसी विरले ने यह मुकाम हासिल कर लिया, तो इसे खालाजी का घर जाने जितना आसान न समझें.
वैसे भी बहुत से नौजवान तो सरकारी नौकरी पाने के चक्कर में अपनी उम्र के वे कीमती साल बरबाद कर देते हैं, जब उन में काम करने की ताकत और जोश सब से ज्यादा होता है. लड़कियों को सरकारी नौकरी मिलने में उम्र की भी छूट मिलती है, तो वे और ज्यादा बेपरवाह हो जाती हैं.
सरकारी नौकरी पाने के लिए कम पापड़ नहीं बेलने पड़ते हैं. पहले अच्छे से तैयारी करो, फिर कहीं कोचिंग लो, आनेजाने के भाड़े पर पैसा लगाओ और अगर कहीं बात बनती दिखे, तो घूस देने की तैयारी रखो.
मतलब, छोटी सी सरकारी नौकरी के लिए कई लाख रुपए ‘चढ़ावे’ के दो.
पर हिम्मत न हारें और एक तय उम्र तक सरकारी नौकरी के लिए जम कर तैयारी करें. अगर प्लान ए फेल होता दिखे, तो प्लान बी को भी दिमाग में रखें.
लड़कियों को अगर सरकारी नौकरी के लिए रिजर्वेशन मिल रहा है, तो उस का फायदा उठाएं, पर और भी दूसरे रोजगार हैं, जो अच्छी जिंदगी बिताने के लिए बहुत काम के हो सकते हैं.
वैसे तो गरीब घरों की ज्यादातर लड़कियां 12 जमात से पहले ही स्कूल छोड़ देती हैं, पर अगर वे किसी तरह ग्रेजुएशन कर लेती हैं, तो प्राइवेट स्कूल में नौकरी कर सकती हैं और 5 जमात के बच्चों को पढ़ा सकती हैं.
इस के 2 फायदे हैं. एक तो खुद की पढ़ने की ललक बनी रहती है और दूसरा, इस से जो आमदनी होती है उस से वे अपनी सरकारी नौकरी की कोचिंग का खर्च निकाल सकती हैं. थोड़ाबहुत पैसा घर पर भी दे सकती हैं.
टीचर बनने के लिए उन्हें बच्चों के मनोविज्ञान को समझना भी जरूरी है, क्योंकि किसी बच्चे को कोई नई चीज सिखाना बड़ा टास्क होता है और अगर यह हुनर आ गया, तो आप अच्छी टीचर बन कर तरक्की कर सकती हैं.
एनटीटी या बीएड करने के बाद तो तनख्वाह बढ़ने का भी मौका होता है. गांवदेहात में भी इफरात से प्राइवेट स्कूल खुल रहे हैं, तो नौकरी मिलने में ज्यादा दिक्कत नहीं आती है.
जिस तरह हर जगह प्राइवेट स्कूल खुल रहे हैं, वैसे ही प्राइवेट अस्पताल और क्लिनिक भी खुल रहे हैं. जिन लड़कियों ने विज्ञान विषय से 12वीं (हालांकि ऐसा जरूरी नहीं है) जमात पास कर रखी है, वे 2 साल का एएनएम यानी औग्जीलियरी नर्सिंग मिडवाइफ डिप्लोमा कोर्स कर सकती हैं, जिस में सहायक नर्स और मिडवाइफ बनने की ट्रेनिंग दी जाती है. एएनएम कोर्स की सालाना फीस 10,000 से 60,000 रुपए तक हो सकती है.
इसी तरह जीएनएम यानी जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी का साढ़े 3 साल का डिप्लोमा होता है. इस की पढ़ाई करने के बाद आप को अस्पताल में नर्स की नौकरी मिलती है. आमतौर पर इस डिप्लोमा की फीस 20,000 से शुरू हो कर डेढ़ लाख रुपए के आसपास होती है.
इसी तरह तकरीबन हर प्राइवेट कंपनी में ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमैंट डिपार्टमैंट होता, जो कंपनी के लिए वर्करों की भरती वगैरह का काम देखता है, साथ ही यह तालमेल भी बना कर रखता है कि मालिक और वर्करों में किसी तरह का कोई विवाद पैदा न हो. इस डिपार्टमैंट ज्यादातर लड़कियां ही काम करती हैं. अमूमन हर देश में ऐसा ही देखा गया है.
इस की सब से बड़ी वजह यह होती है कि महिलाओं में सब्र बहुत ज्यादा होता है और उलट हालात में भी वे बात करने की धनी होती हैं. मालिक से ले कर वर्कर तक उन्हें ध्यान से सुनते हैं, क्योंकि वे उन्हें भरोसेमंद लगती हैं.
इस फील्ड में पढ़ाई अच्छी होनी चाहिए और साथ ही बोलने की कला में भी माहिर होना चाहिए. कानून की जानकारी हो तो सोने पर सुहागा.
ग्रेजुएशन के बाद एमबीए या एचआर में डिप्लोमा या डिगरी हो तो तनख्वाह भी मनचाही मिल सकती है. अंगरेजी भाषा पर पकड़ है, तो आप कहीं भी मात नहीं खाएंगी. थोड़ा महंगा सौदा है, पर कुछ ही साल के अनुभव के बाद जिंदगी बेहतरीन हो जाती है.
गांवदेहात में लोगों के पास जमीन भी होती ही है. चूंकि अब ज्यादा बच्चे पैदा करने का चलन थोड़ा कम हुआ है, तो बहुत से परिवारों में 2 बेटियां ही देखी गई हैं. ऐसे में लड़कियां पढ़लिख कर अपनी जमीन पर मौडर्न तरीके से खेतीबारी कर सकती हैं. दूध बेचने का कारोबार भी शानदार है. फूड प्रोसैसिंग से भी कमाई की जा सकती है.
देशभर में ऐसी कई महिला किसान हैं जो विज्ञान और खेतीबारी के तालमेल से खूब पैसे बना रही हैं. अगर लड़की ने विज्ञान से 12वीं जमात की है और उस ने कहीं से मशरूम उत्पादन की भी ट्रेनिंग ले ली, तो वह कम जगह में अच्छी आमदनी कर सकती है.
इतना ही नहीं, और भी बहुत से कामधंधे हैं, जिन में भी काफी गुंजाइश है, पर इस सब के लिए जरूरी है कि लड़कियों को अपने कौशल और दिलचस्पी के मुताबिक रोजगार चुनना चाहिए. उन्हें अपने काम में कड़ी मेहनत, लगन और जज्बा दिखाना चाहिए. अपनी सोच पौजिटिव रखनी चाहिए और खुद पर भरोसा होना चाहिए. Social Awareness