गीता की शादी जबरन एक अधेड़ आदमी के साथ की जा रही थी. गीता के मांबाप भी उस पर शादी का दबाव बना रहे थे. मांबाप ने 50 हजार रुपए में उस का सौदा उत्तर प्रदेश के एक अधेड़ कारोबारी से तय कर दिया था.
नवादा जिले के रजौली थाने के धमनी गांव की यह घटना है. इस बात की भनक लगने पर मुखिया और सरपंच गीता के घर पहुंच गए और उस के बाप को फटकार लगाने लगे.
विवाद बढ़ता देख कारोबारी अपने आदमियों के साथ भाग निकला. शिकायत मिलने के बाद भी पुलिस ने कारोबारी को पकड़ने में चुस्ती नहीं दिखाई. रजौली थाने के एसएचओ अवधेश कुमार ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि इस बारे में लिखित शिकायत मिलने पर ही कार्यवाही होगी.
गीता की मौसी उत्तर प्रदेश में रहती है और उसी ने अधेड़ कारोबारी को शादी के लिए तैयार किया था. 18 अप्रैल, 2017 को शादी कराने के लिए सभी लोग मंदिर की ओर निकलने की तैयारी में थे. इसी बीच मुखिया और सरपंच के हल्ला मचाने से गांव के तमाम लोग वहां जुट गए.
बिहार के नवादा जिले के कौवाकोल गांव की रहने वाली सुगंधा (बदला नाम) की शादी 13 साल की उम्र में कर दी गई थी. तब वह जानती भी नहीं थी कि शादी किस चिडि़या का नाम है.
आज 22 साल की सुगंधा का यह हाल है कि उस के 3 बच्चे हो गए हैं और वह जिस्मानी रूप से इतनी कमजोर है कि ठीक से चलफिर भी नहीं पाती है.
देशभर में बाल विवाह का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है. बाल विवाह होने वाले देशों में भारत 11वें नंबर पर है. इस मामले में भारत बहुत पिछड़े अफ्रीकी देशों इथियोपिया व लीबिया के साथ खड़ा है.
भारत के तमाम राज्यों में बाल विवाह के मामलों में बिहार सब से आगे है. यह हैरानी की बात है कि राज्य की 69 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में ही कर दी जाती है.
बिहार के पश्चिमी चंपारण, कैमूर, रोहतास, मधेपुरा, गया, नवादा और वैशाली जिलों में सब से ज्यादा बाल विवाह हो रहे हैं.
राष्ट्रीय विवाह सैंपल सर्वे के मुताबिक, देशभर में 22 से 24 साल की उम्र वर्ग की 47.4 फीसदी औरतें ऐसी हैं, जिन की शादी 18 साल से कम उम्र में ही कर दी गई. इन में से 56 फीसदी औरतें गांवों की और 29 फीसदी औरतें शहरी इलाकों की हैं.
बिहार में 69 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में कर के मांबाप अपने बोझ को हटा डालते हैं. वहीं राजस्थान में 65.2 फीसदी, आंध्र प्रदेश में 54.8 फीसदी, पश्चिम बंगाल में 54 फीसदी, असम में 38.6 फीसदी, तमिलनाडु में 23.3 फीसदी व गोवा में 12.1 फीसदी लड़कियों की शादी बहुत छोटी उम्र में ही कर दी जाती है.
बिहार भले ही हर मामले में पिछड़ा हो, लेकिन बाल विवाह के मामले में देश के सारे राज्यों को पछाड़ दिया है. पश्चिमी चंपारण में 80 फीसदी लड़कियों की शादी कम उम्र में कर दी जाती है. नवादा में 73 फीसदी, रोहतास और कैमूर में 70 फीसदी, मधेपुरा में 66 फीसदी व वैशाली में 61.6 फीसदी लड़कियों को 18 साल से कम उम्र में ही ब्याह कर मांबाप अपनी जिम्मेदारी से नजात पा लेना मानते हैं. पटना जिले में 40 फीसदी लड़कियां बाल विवाह की शिकार बनती हैं.
बिहार की समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा कहती हैं कि औरतों के पढ़नेलिखने और जागरूक होने से ही बाल विवाह पर रोक लग सकती है. इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए कानून से ज्यादा समाज के सहयोग की जरूरत है.
यह सही है कि समाज में बड़ी तादाद में बाल विवाह हो रहे हैं, लेकिन समय से उन की सूचना नहीं मिलने की वजह से कानून कुसूरवारों पर कोई कार्यवाही नहीं कर पाता है.
डाक्टर किरण शरण बताती हैं कि कम उम्र में शादी होने से लड़कियां दिमागी और जिस्मानी रूप से कच्ची होती हैं. उन्हें न तो सैक्स के बारे में कुछ पता होता और न ही परिवार की जिम्मेदारियों की ही जानकारियां होती हैं. कम उम्र में मां बन जाने से जच्चा और बच्चा दोनों की जान के लिए खतरा होता है.
लड़कियों में जागरूकता के बगैर बाल विवाह पर रोक मुमकिन नहीं है. खुद को बाल विवाह की शिकार होने से बचाने वाली कुछ लड़कियां इस की जीतीजागती मिसाल हैं.
नेहरू युवा केंद्र से जुड़ी कटिहार की आरती, नारी शक्ति फाउंडेशन की सदस्य गया की राधिका, नवादा की रूबी और प्रमिला ने बताया कि उन्होंने किस तरह से खुद को बाल विवाह से बचाया.
राधिका ने बताया कि जब उस के पिता ने 15 साल की उम्र में ही उस की शादी तय कर दी, तो उस ने महिला संगठनों को बता दिया. इस से उस की शादी रुक गई.
प्रमिला ने बताया कि वह पढ़ना चाहती थी, पर उस के मांबाप उस की शादी करने पर उतारू थे. उस ने यह बात अपने स्कूल के मास्टर को बताई. मास्टर ने उस के मांबाप को समझाया और कानूनी कार्यवाही करने की चेतावनी दी. उस के बाद ही उस के पिता ने उस की शादी की जिद छोड़ी.
समाजसेवी आलोक कुमार कहते हैं कि बाल विवाह के मामलों में अकसर यही देखा गया है कि अनपढ़ और गरीब लोगों को कुछ रुपयों का लालच दे कर उन की लड़की से शादी कर उन्हें दूसरे राज्यों में ले जाया जाता है. उस के बाद उन का शोषण शुरू हो जाता है.
क्या हैं बाल विवाह रोकने के कानून
बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 की धारा-2 के तहत 21 साल से कम उम्र के लड़के और 18 साल से कम उम्र की लड़की को नाबालिग माना गया है. इस कानून के तहत बाल विवाह को गैरकानूनी करार दिया गया है. बाल विवाह की इजाजत देने, शादी तय करने, शादी करवाने या शादी समारोह में हिस्सा लेने वालों को सजा दिए जाने का नियम है.
कानून की धारा-10 के मुताबिक, बाल विवाह कराने वाले को 2 साल तक साधारण कारावास या एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा दी जा सकती है. वहीं धारा-11 कहती है कि बाल विवाह को बढ़ावा देने या उस की इजाजत देने वालों को 2 साल तक का कठोर कारावास और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा हो सकती है.