भागवत कथा और सत्संग के कार्यक्रम अकसर यहां वहां होते रहते हैं. इस तरह के कार्यक्रमों में लोगों की भारी तादाद को देख कर कई टैलीविजन चैनल सिर्फ इसी काम के लिए खुल चुके हैं. उन पर सुबह से ले कर शाम तक सिर्फ भक्ति से भरे कार्यक्रम ही दिखाए जाते हैं. मेरे मिलने वाले एक दोस्त के घर में उन की माताजी को इस तरह के कार्यक्रम देखने का बड़ा शौक है. जब मेरा उन के घर जाना हुआ, तो उस वक्त भी उन के यहां टीवी पर भागवत कथा का प्रसारण चल रहा था.

बड़ेबड़े गुच्छेदार बालों वाले एक बाबा भागवत कथा सुना रहे थे. उन का पूरा माथा हलदी और चंदन से बुरी तरह पुता हुआ था. साथ ही, गले में रुद्राक्ष की डिजाइनर माला भी. एक माला उन के हाथ में भी लिपटी हुई थी, जिसे वे अपने पैर छूने वाले भक्त के सिर पर छुआ देते थे.

मेरे दोस्त का पूरा परिवार एक जगह बैठ कर यह कार्यक्रम देख रहा था. देख क्या रहा था, बल्कि उन्हें दिखाया जा रहा था. उस की माताजी सब को जबरदस्ती बिठा कर कार्यक्रम दिखा रही थीं.

दरअसल, उन्हें एक दिन टैलीविजन पर ही किसी बाबा ने बता दिया था कि लोग अगर सत्संग और भागवत कथा अपनी आने वाली पीढ़ी को नहीं दिखाएंगे, तो हिंदू धर्म बरबाद हो जाएगा. साथ ही, यह धर्म दूसरे धर्मों का गुलाम हो जाएगा.

उसी दिन से दोस्त की माताजी ने पूरे परिवार को भागवत कथा दिखानी शुरू कर दी. सब देख रहे थे, तो मुझे भी वही देखना पड़ा. भागवत कथा कहने वाले बाबाजी का नाम बड़ा लंबा था. वे अपने प्रवचन में कह रहे थे, ‘‘देखिए, आज के लोगों का सोचना है कि ‘हम दो हमारे दो, बाकी हों तो कुएं में फेंक दो’. यानी आज के मांबाप एक या 2 बच्चों से ज्यादा करने के बारे में सोचते ही नहीं हैं. बच्चों को जन्म देने वाली मां भी ऐसा नहीं सोचती...’’

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