Buldozer Sarkar : इन दोनों देश भर में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार की तर्ज पर बुलडोजर न्याय चल पड़ा है. देश के अनेक राज्यों में बुलडोजर चला करके आनन-फानन में विकास और न्याय करने का ढोंग किया जा रहा है.

यह बुलडोजर न्याय उत्तर प्रदेश से प्रारंभ हुआ है जहां एक वर्ग विशेष के लोग अगर किसी अपराध में पाए जाते हैं तो उनके घर मकान को जमीदोज कर दिया जाता है. ऐसा लगता है कि अब सरकार सत्ता के साथ न्यायाधीश भी बन गई है जैसे कभी राजा महाराजा हुआ करते थे इस शैली में न्याय करने का प्रयास किया जा रहा है जिसकी कम से कम लोकतंत्र में कहीं भी जगह नहीं है.

यही कारण है कि उच्चतम न्यायालय ने 6 नवंबर 2024 दिन बुधवार को 2019 में अवैध तरीके से ढांचों को गिराने को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार से नाखुशी जताई और कहा, आप ऐसा नहीं कर सकते कि बुलडोजर लेकर आएं और रातों रात भवनों को गिरा दें...! कोर्ट ने साथ ही सड़कें चौड़ी करने एवं अतिक्रमण हटाने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पर सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश जारी किए. देश के सबसे बड़े अदालत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला तथा न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया -" उस व्यक्ति को 25 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए जिसका घर 2019 में सड़क चौड़ी करने की एक परियोजना के लिए गिरा दिया गया था."

पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार के वकील से कहा, -" आप ऐसा नहीं कर सकते कि बुलडोजर लेकर आएं और रातों रात भवनों को गिरा दें. आप परिवार को घर खाली करने के लिए समय नहीं देते. घर में रखे घरेलू सामान का क्या ? शीर्ष अदालत की पीठ ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव से कहा कि महाराजगंज जिले में मकान गिराने से संबंधित मामले में जांच कराई जाए और उचित कार्रवाई की जाए.

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