अगर इनसान में कुछ कर गुजरने का जज्बा होता है, तो कामयाबी उस के कदम चूमती है. नालंदा जिले के चंडी प्रखंड के अनंतपुर गांव की रहने वाली अनीता कुमारी का जज्बा कुछ ऐसा ही है. अनीता ने बताया कि वे बीए (गृहविज्ञान) पास कुशल गृहणी थीं. उन के पति संजय कुमार बीए पास करने के बाद नौकरी की तलाश में काफी भटके, मगर जब नौकरी नहीं मिल पाई तो खेती करने लगे. उन लोगों के पास खेती लायक 3 एकड़ 23 डिसीमल जमीन थी. पति के साथ मेहनत करने के बाद किसी तरह अनीता के परिवार का गुजारा चल रहा था. अनीता सोचती थीं कि किस प्रकार से बच्चों को अच्छी तालीम दी जाए. इसी समस्या को ले कर अनीता कृषि विज्ञान केंद्र हरनौत गईं. वहां के कार्यक्रम संचालक से उन की मुलाकात हुई. उन्होंने अनीता को मशरूम उत्पादन की सलाह दी. कार्यक्रम संचालक के सहयोग से अनीता कृषि तकनीकी प्रबंध अभिकरण (आस्था) के जरीए सब से पहले रांची के कृषि विश्वविद्यालय गईं. वहां उन्होंने मशरूम उत्पादन के तौरतरीके सीखे और उस के फायदे आदि के बारे में जानकारी हासिल की.

इस के बाद अनीता ने राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर और पंतनगर के कृषि विश्वविद्यालय में जा कर मशरूम उत्पादन के साथसाथ उस के बीज उत्पादन की तकनीक भी सीखी. आज अनीता इस काम में इतनी माहिर हो चुकी हैं कि अपने गांव में रोजाना 100 किलोग्राम मशरूम उत्पादन के लक्ष्य को अगले सीजन तक हासिल कर लेंगी. अनीता के समझाने से 200 लोग मशरूम उत्पादन की तालीम ले चुके हैं, जिन में ज्यादातर महिलाएं हैं. इन लोगों ने मशरूम उत्पादन भी शुरू कर दिया है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...