सैकड़ों लोग आंखें बंद किए इस कथा का आनंद ले रहे थे और अपनी तकलीफों के समाधान का अहसास कर रहे थे.
बीती बातों को याद कर बुजुर्गों की आंखों से आंसू निकल रहे थे और वे कथा का रसास्वादन कर रहे थे. तभी आंधीतूफान ने दस्तक दी. अपलक मौसम को निहारते कथावाचक भी धोतीकुरता संभालते दौड़ते नजर आए.

यह वाकिआ राजस्थान के बाड़मेर के एक गांव जसोल में हुआ. दिन रविवार, 23 जून, 2019 की दोपहर के साढ़े 3 बजे आंधीतूफान ने अपना रंग दिखाया. तेज हवाएं चलने लगीं. तेज हवा से पंडाल उखड़ गया. वहां भगदड़ मच गई. कई लोग तो संभल भी नहीं पाए थे कि जोरदार बारिश आ गई. आंधीतूफान का कहर ही लोगों की धार्मिक आस्था पर चोट कर गया. इस हादसे में 15 से ज्यादा लोग मर गए और कई घायल हो गए. घायलों को नाहटा अस्पताल में भरती कराया गया.

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कथावाचक मुरलीधर मनोहर ने कथा बीच में ही छोड़ दी और घर चले जाने को कहा.

मौसम के साथसाथ माहौल बिगड़ता देख उन्होंने लोगों से पंडाल खाली करने की अपील की. स्टेज छोडऩे से पहले उन्होंने कहा कि हवा काफी तेज है इसलिए कथा को रोकना पड़ेगा. तेज हवा से पंडाल उखड़ रहा है. निकलिए बाहर सभी. खाली कर दीजिए पंडाल. इस के बाद पंडाल उखड़ता देख वे भी स्टेज छोड़ कर चले गए.

कथावाचक ने तो जैसेतैसे भीड़ से बचबचा कर अपनी जान बचाई, पर जो कथा में मगन थे, भगदड़ से अनजान थे, वे ही इस हादसे का शिकार हो गए. कथा सुनने वाले ज्यादातर बुजुर्ग थे जो भाग नहीं सकते थे. उस समय उन्हें अपनी लाचारी भारी पड़ी. अगर वे भी जवान होते तो अपनी जान बचा सकते थे. यानी भाग सकते थे.

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