स्कूल की दहलीज पार कर मंजू पहली बार जब कालेज पहुंची तो उस की नजर अपनी ही कक्षा के एक हैंडसम लड़के पर टिकी. पहली नजर में ही उसे उस से प्यार हो गया. वह रोजाना उस लड़के को ताकती रहती. उस का ध्यान व्याख्यान पर कम, उस लड़के पर अधिक रहता. हर समय वह उस के खयालों में खोई रहती. रात को भी उसी के सपने देखती. वही उस के सपनों का राजकुमार था.

मंजू के इस एकतरफा प्यार से सभी अनजान थे. मंजू ने अपने मन की बात कभी अपनी सहेलियों तक को न बताई. यहां तक कि घर में अपनी बड़ी बहन और भाभी को भी नहीं. ऐसे में भला उस का प्यार परवान कैसे चढ़ सकता है? प्यार तभी परवान चढ़ता है जब दोनों के दिल एकदूसरे के लिए धड़कते हों. लेकिन यहां तो वह लड़का भी नहीं जानता कि मंजू नाम की कोई लड़की उसे चाहती है.

एक वर्ष बीत गया. मंजू कभी अपने दिल की बात जबां पर नहीं लाई. एक दिन उस ने किसी अन्य लड़की को उस लड़के से हंस कर बात करते हुए देख लिया. वह भी उस से हंस कर बात कर रहा था. मंजू के मन में खटका हुआ. लेकिन उस में इतना साहस नहीं था कि वह अपने प्यार का इजहार कर पाती. नतीजतन, वह लड़का उस के हाथ से निकल गया.

काश, समय रहते वह अपने सपने के राजकुमार से दोस्ती बढ़ाती और फिर अपने प्यार का इजहार करती तो आज उसे इस तरह पछतावा न होता. लेकिन अब पछताने से क्या फायदा जब चिडि़या चुग गई खेत.

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