उस दिन माया बाजार में मोमोज वाले के ठेले पर अपनी दोनों नन्हीं बेटियों के साथ चिकेन मोमोेज खा रही थी. तभी उसकी आठ साल की बेटी मानवी उसके हाथ से कोल्ड ड्रिंक की बोतल छीनते हुए पीजा खाने की जिद करने लगी. माया ने समझाया कि नहीं, अभी घर जाकर खाना भी खाना है, पर मानवी ने जिद्द पकड़ ली कि उसे तो पीजा भी खाना है. माया के मना करने पर मानवी मचल गयी और सड़क पर ही मां के ऊपर चीखने-चिल्लाने व हाथ चलाने लगी. ठेले के आसपास खड़े लोग भी बच्ची की हरकतों को मजे लेकर देखने लगे. मानवी तब तक प्रलाप करती रही जब तक उसकी मां उसको बगल के ठेले से पीजा खिलाने के लिए राजी नहीं हो गयी. माया की बेटियों की उम्र आठ साल और पांच साल है. दोनों गोरी-चिट्टी हैं मगर दोनों के थुलथुल शरीर और जरूरत से ज्यादा चबी चीक्स उन्हें न तो क्यूट बच्चा बनाते हैं, और न ही खूबसूरत. उन्हें देखकर मुंह से निकल ही जाता है - बेबी एलीफैंट.
मानवी और उसकी छोटी बहन सोनवी को उनके स्कूल के दोस्त भी बेबी एलीफैंट के नाम से चिढ़ाते हैं. कभी हिप्पो तो कभी छोटा भीम भी कहते हैं. दोनों के मन-मस्तिष्क पर इन बातों का नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. उन्हें न तो कोई खेल में अपने साथ रखना चाहता है और न ही कोई उनके साथ अपना टिफिन बॉक्स शेयर करता है क्योंकि एक तो मोटापे के कारण दोनों से दौड़ा-भागा नहीं जाता, वहीं कोई बच्चा उनसे अपना टिफिन शेयर करे तो दोनों दूसरे का टिफिन तो चट से साफ कर जाती हैं, मगर अपने टिफिन में से उन्हें कुछ खाने को नहीं देतीं. इसकी वजह है कि दोनों को सामान्य से कहीं ज्यादा भूख लगती है. इन्हीं कारणों से वह स्कूल में अलग-थलग पड़ गयी हैं. दूसरे बच्चे जहां अपनी पॉकेटमनी से छोटे-छोटे गेम्स, कॉमिक्स या पतंग-कंचे वगैरह खरीदते हैं, वहीं मानवी और सोनवी बस खाने की चीजें ही खरीदती हैं. चाट, कोल्ड ड्रिंक, बर्गर, मोमोज जैसे फास्ट फूड उनको रोज चाहिए. इसके चलते ही दोनों के शरीर थुलथुल हो गये हैं. वे पढ़ाई में भी लगातार पिछड़ती जा रही हैं क्योंकि मोटापे के कारण आलस्य और नींद हर वक्त उन पर हावी रहती है. शाम के वक्त जहां कॉलोनी के सारे बच्चे पार्क में खेलते-कूदते हैं, वहीं मानवी और सोनवी अपने ड्राइंगरूम के सोफे पर पसर कर कुछ न कुछ खाते हुए कार्टून चैनल्स देखती रहती हैं.