सवाल

मैं 46 वर्षीय पुरुष हूं, फिलहाल बेरोजगार हूं. घर में एक कमाऊ बेटा है और पत्नी गृहिणी है. पूरा समय टीवी पर समाचार या फिल्में देखते निकलने लगा है. घर का खर्च तो अच्छे से चल रहा है लेकिन बिना काम के मेरा मन दुखी रहता है. घर पर बेकार पड़े हाथ पर हाथ रख बैठे खाना और बेटे को इतनी मेहनत करते देखना अच्छा नहीं लगता. दूसरी नौकरी की तलाश जारी है लेकिन इस ग्लानि में कुछ अच्छा नहीं लग रहा है.

जवाब

देखिए, नौकरी न होने का मतलब यह नहीं है कि आप बेकार हो गए हैं. आप फिलहाल नौकरी नहीं कर रहे हैं तो अपनी पत्नी की मदद कर दिया कीजिए. उन से बात करिए, जो काम आप नौकरी के दौरान नहीं कर पाते थे उन्हें अब कर लीजिए. नौकरी की तलाश जारी रखिए लेकिन जब तक नौकरी नहीं है तब तक इस समय का उपयोग करने की कोशिश कीजिए. ग्लानि से आप खुद को मानसिक प्रताड़ना देने के बजाय और कुछ नहीं कर रहे हैं. हो न हो आप का परिवार भी आप को इस स्थिति में देख खुश नहीं होगा. उन्हें अब तक जो समय नहीं दे पाए वह अब दे दीजिए. जितना सकारात्मक रहेंगे उतने ही खुश रहेंगे. इस कठिन समय को खुद पर हावी मत होने दीजिए.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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