सवाल 

मैं एक पढ़ीलिखी गृहिणी हूं. विवाह को 8 वर्ष हुए हैं. 2 प्यारे बच्चे है. पति बहुत प्यार और परवाह करने वाले हैं. मैं हर प्रकार से खुश हूं पर मन के किसी कोने में एक कसक दबीछिपी रहती है और मैं उदास हो जाती हूं. दरअसल, स्कूल और कालेज में मैं काफी होनहार छात्रा थी. बचपन से मन में ख्वाहिश थी कि पढ़ाई पूरी कर के नौकरी या कोई व्यवसाय करूंगी पर कालेज से निकलते ही शादी हो गई और फिर 2 बच्चों की परवरिश और घर की देखरेख में ऐसी मसरूफ हुई कि दिल की ख्वाहिश दिल में ही रह गई. लगता है जैसे गृहिणी का काम भी कोई काम है? यह तो अनपढ़ और कम शिक्षित स्त्रियां भी बखूबी कर लेती हैं, तो मेरी पढ़ाई-लिखाई और उच्च शिक्षित होने का क्या फायदा? मैं क्या करूं?

जवाब 

आप एक कुशल गृहिणी हैं. आप ने कुशलतापूर्वक घरपरिवार की जिम्मेदारी वहन की और बच्चों की भलीभांति परवरिश कर रही हैं, यह कम महत्त्व की बात नहीं है. आप यह क्यों समझती हैं कि गृहिणी हो कर रह जाने से आप की पढ़ाई जाया हो गई है. कहते हैं कि एक स्त्री के पढ़ेलिखे होने से पूरे परिवार और समाज का कल्याण होता है, इसलिए अपने दायित्व को कम आंके. यदि आप को मलाल है कि गृहिणी के कर्तव्य के चलते आप कुछ अधिक नहीं कर पाईं तो आप घर पर रह कर ट्यूशन आदि का काम कर सकती हैं. इस से न सिर्फ आप अपनी शिक्षा का सदुपयोग कर सकेंगी, बल्कि आप को आत्मसंतोष भी मिलेगा. कोई एनजीओ वगैरा भी जौइन कर सकती हैं.

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