भारतीय जनता पार्टी के विधानपार्षद लालबाबू प्रसाद अपने ही सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी की महिला विधानपार्षद से छेड़खानी करने के आरोप में फंस गए, तो बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया. बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस मामले पर चुटकी लेते हुए कहते हैं कि क्या विधानमंडल में भी ‘ऐंटी रोमियो स्क्वाड’ तैनात करना जरूरी हो गया है? 29 मार्च, 2017 को महिला विधानपार्षद नूतन सिंह ने भाजपा के विधानपार्षद लालबाबू प्रसाद पर गलत तरीके से छूने और बेहूदा हरकत करने का आरोप लगाया था.

उस के बाद महिला पार्षद के पति और भाजपा के विधायक नीरज कुमार बबलू (सुपौल विधानसभा सीट) ने लालबाबू प्रसाद पर अपना गुस्सा भी निकाला. उन्होंने विधानपरिषद के कैंपस में ही लालबाबू प्रसाद को जोरदार तमाचा जड़ दिया. उस के बाद जब लालबाबू प्रसाद तैश में आए, तो बबलू ने उन की जम कर धुनाई कर डाली.

उस के बाद ही मामले ने इस कदर तूल पकड़ लिया कि विधानसभा और विधानपरिषद में 2 दिनों तक हंगामा होता रहा. इस मसले को ले कर 30 मार्च, 2017 को विधानपरिषद में जम कर हंगामा हुआ. महागठबंधन में शामिल जद (यू), राजद और कांग्रेस की मांग पर सभापति अवधेश नारायण सिंह ने लालबाबू प्रसाद के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने का भरोसा दिया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस मसले को ले कर सभापति से बात की.

बिहार की मुख्यमंत्री रह चुकी राबड़ी देवी कहती हैं कि महिला सदस्य के साथ छेड़खानी करने वाले सदस्य पर ऐसी कार्यवाही होनी चाहिए कि देशभर में उस का कड़ा संदेश जाए.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने बताया के पार्टी के सीनियर नेताओं की बैठक में लालबाबू प्रसाद के मामले पर फैसला लेने की बात कही और उस के बाद 31 मार्च, 2017 को उन्हें पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया.

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