बौलीवुड फिल्म ‘जौली एलएलबी’ में पुलिस थानों की नीलामी का एक मजेदार दृश्य दिखाया गया है. फिल्म में एक हवलदार थानों की बोली  लगाता है. हवलदार के सामने कई थानेदार बैठे हैं. थानों की नीलामी के इस दृश्य में हवलदार जिन क्षेत्रों के नाम लेता है वे दिल्ली के थाने हैं. सदर थाने की बोली 20 लाख रुपए से शुरू होती है. इसी तरह दिल्ली यूनिवर्सिटी थाने की. बोली के दौरान थानेदार एकदूसरे के भ्रष्ट चरित्र को ले कर टिप्पणी करते हैं.

फिल्म का यह दृश्य नितांत काल्पनिक नहीं है बल्कि दिल्ली और देश के दूसरे महानगरों, नगरों की हकीकत बयां करता है. इस तरह की नीलामियों में इस देश की जनता के साथ कितना बड़ा धोखा छिपा होता है, आम नागरिक को एहसास नहीं हो पाता.

2जी घोटाले का सच

दरअसल, यूपीए यानी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के सब से चर्चित घोटालों में से एक 2जी स्कैम मामला 2008 में सामने आया था. यूपीए सरकार के समय कंप्ट्रोलर ऐंड औडिटर जनरल यानी सीएजी विनोद राय ने अनुमान के आधार पर 2जी स्पैक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रुपए के घोटाले की रिपोर्ट दी थी.

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रिपोर्ट में कहा गया कि  2जी स्पैक्ट्रम का आवंटन 2001 की दरों पर किया गया. इस में कई अयोग्य कंपनियों को कम दरों पर सुविधा प्रदान की गई. अगर नई दरों के आधार पर स्पैक्ट्रम की खुली नीलामी हुई होती तो सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए की कमाई होती. कंपनियों को नीलामी के बजाय ‘पहले आओ, पहले पाओ’ नीति पर स्पैक्ट्रम दिया गया, जिस के चलते सरकारी खजाने को यह नुकसान हुआ.

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