उत्तर प्रदेश की बहराइच लोकसभा सीट से 2014 में सांसद चुनी गईं सावित्री बाई फूले भाजपा की दुखती रग बन चुकी हैं. भाजपा को सावित्री बाई फूले पहले बहुत पसंद थीं. भाजपा के ही टिकट पर वे साल 2012 में विधायक चुनी गई थीं. सावित्री बाई फूले धर्म से तो प्रभावित थीं ही, उस के प्रभाव में वे भगवा कपड़े भी पहनने लगीं. उन का पूरा नाम साध्वी सावित्री बाई फूले है.
37 साल की सावित्री बाई फूले भगवा कपड़े भले ही पहनती हों पर वे दलित विचारधारा में पूरा यकीन रखती हैं. यही विचारधारा भाजपा और सावित्री बाई फूले के बीच टकराव का कारण बन रही है. भाजपा का एक वर्ग आरक्षण और दलित कानून को ले कर संविधान में बदलाव की बात कर रहा है वहीं दूसरी ओर सावित्री बाई फूले संविधान में इस संबंध में बदलाव को गैरजरूरी मानती हैं. वे इस के खिलाफ संसद से ले कर सड़क तक मुखर हैं.
सावित्री बाई फूले भारतीय संविधान और आरक्षण बचाओ महारैली कर के दलित मुद्दों पर अपनी आवाज मुखर कर रही हैं. दलित वर्ग से आने वाली सावित्री बाई फूले कहती हैं, ‘‘बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर और संविधान ने हमें राजनीति में आने व चुनाव लड़ने लायक माहौल और ताकत दी. हम सुरक्षित सीट से चुनाव इसलिए लड़ सकते हैं क्योंकि यह संविधान ने अधिकार दिया है. हम दलित समाज और बाबासाहेब की नीतियों से समझौता नहीं कर सकते. हम ने विधानसभा से ले कर संसद तक में अपनी बात रखी. आज सड़कों पर जनता के बीच भी अपनी बात रख रही हूं. हम किसी भी तरह के डर से चुप नहीं रह सकते. मेरी लड़ाई दलित, आरक्षण और संविधान को ले कर है. इस को मैं जारी रखूंगी.’’