तारीख 11 जून. समय दिन के साढ़े 11 बजे. राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के छोटे लाड़ले तेजस्वी यादव के सरकारी बंगले 5, देशरत्न रोड में अच्छीखासी चहलपहल थी.
हाल में एक बड़ा सा केक रखा हुआ था. वजन में 7 पौंड का. लालू प्रसाद यादव का 71वां जन्मदिन मनाने के लिए यह सारा इंतजाम किया गया था.
राजद के कार्यकर्ता ‘लालू यादव जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे. बीमार होने की वजह से लालू प्रसाद यादव इस गहमागहमी से दूर राबड़ी देवी के सरकारी बंगले 10, सर्कुलर रोड में आराम कर रहे थे.
राबड़ी देवी अपने दोनों बेटों को ले कर मुसकराते हुए केक के पास पहुंचीं. तीनों ने साथ मिल कर केक काटा. तेजप्रताप और तेजस्वी ने एकदूसरे को केक खिला कर यह जताने की पुरजोर कोशिश की कि उन के बीच कोई तनाव या विवाद नहीं है.
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे से नाराज चल रहे तेजप्रताप यादव को राबड़ी देवी ने इशारा किया कि वह उन्हें भी केक खिलाए.
तेजप्रताप ने रामचंद्र पूर्वे को केक खिला कर यह दिखाने की कवायद की कि लालू परिवार और राजद के भीतर कोई तल्खी नहीं है.
लालू प्रसाद यादव के कुनबे में छिड़ी जंग के बीच उन के जन्मदिन के मौके पर राबड़ी देवी ने लोगों के बीच यह जताने की भी भरपूर कोशिश की कि तेजप्रताप साफ दिल का है और उस की नीयत खराब नहीं है.
तेजस्वी यादव ने सफाई देते हुए कहा कि तेजप्रताप उन के बड़े भाई हैं और उन के बीच कोई मतभेद हो ही नहीं सकता है. उन्होंने दावा किया कि कोई कितनी भी तिकड़म लड़ा ले, लालू का परिवार और राजद टूट नहीं सकते हैं.
सब जानते हैं कि लालू प्रसाद यादव अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव को अपनी राजनीतिक विरासत सौंप चुके हैं. इस से पार्टी पर उन की अच्छीखासी पकड़ है और सभी नेता उन की बातों को सुनते हैं. तेजप्रताप में इसी बात की कसक है.
गौरतलब है कि 9 जून को तेजप्रताप यादव ने मीडिया से बातचीत के दौरान अपने भाई तेजस्वी यादव और राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे के खिलाफ मोरचा खोलते हुए कहा था कि तेजस्वी को उन्होंने राजद का युवराज बनाया, लेकिन इस के बदले उन्हें केवल अपमान ही मिला.
वे इस कदर नाराज थे कि उन्होंने सबकुछ छोड़ कर संन्यास लेने तक का ऐलान कर डाला था. उन्होंने साफ लहजे में कहा था कि पार्टी में उन की कोई सुनता ही नहीं है. कई नेता पार्टी को डुबाने की साजिश में लगे हुए हैं.
बेबाक तेजप्रताप ने राजद के भीतर उमड़घुमड़ रहे काले बादलों की ओर इशारा किया, लेकिन राजद के नेता उसे दूर करने के बजाय तेजप्रताप को चुप कराने की ही कवायद में लगे रहे.
अपना दर्द बयां करते हुए तेजप्रताप यादव ने कहा कि राजद के बड़े नेता उन का फोन तक नहीं उठाते हैं.
वे यहीं तक नहीं रुके. उन्होंने आगे कहा कि राजेंद्र प्रसाद नाम के एक मेहनती कार्यकर्ता को पार्टी में सम्मान देने के लिए रामचंद्र पूर्वे से कहा तो उन्होंने उन की बात ही नहीं सुनी. अपने भाई तेजस्वी से इस बारे में बात की तो भी कोई फायदा नहीं हुआ.
थकहार कर उन्होंने अपने पिता लालू प्रसाद यादव और मां राबड़ी देवी से बात की तो उन की सुनवाई हुई.
तेजस्वी यादव ने बड़ी ही चालाकी के साथ तेजप्रताप यादव के गुस्से को विरोधियों की साजिश करार देते हुए कहा कि कुछ लोग लालू के बेटों के बीच दरार पैदा कराने में लगे हुए हैं. ऐसे लोगों के मनसूबे कभी पूरे नहीं होने वाले हैं.
तेजस्वी यादव ने कहा कि वे अपने भाई तेजप्रताप और पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं के साथ मिल कर 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारियों में मजबूती से लगे हुए हैं, जो विरोधियों को हजम नहीं हो रहा है.
तेजस्वी यादव समेत पूरा लालू परिवार तेजप्रताप यादव की बयानबाजी के बाद डैमेज कंट्रोल करने की पूरी कोशिश कर रहा है, लेकिन उन के विरोधियों की बांछें खिली हुई हैं. मौकेबेमौके शंख बजाने वाले तेजप्रताप यादव ने अपने घर में ही सत्ता के संघर्ष का बिगुल फूंक दिया है. इस से अगले लोकसभा चुनाव की तैयारियों और राजग को तोड़ने की कोशिशों में लगे लालू और राजद को घर से ही बड़ा झटका मिला है.
12 मई को तेजप्रताप यादव की शादी राजद के ही एक नेता चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या राय से हुई थी. ऐश्वर्या को भी इस विवाद से जोड़ कर देखा जा रहा है.
तेजप्रताप यादव ने भी कहा था कि जब पार्टी में अपनी अनदेखी के सवाल पर उन्होंने अपनी पत्नी से बात की तो उन्होंने कहा कि इस मसले पर उन्हें स्टैंड लेना चाहिए.
राजद सूत्रों की मानें तो पत्नी के बहकावे में आ कर तेजप्रताप यादव ने परिवार में ही हंगामा खड़ा कर दिया है.
राजद के एक नेता दबी जबान में कहते हैं कि बहुत जल्दी तेजप्रताप को अंचरा (आंचल) की हवा लग गई है.
तेजप्रताप यादव आमतौर पर कम बोलते हैं पर जब बोलते हैं तो वे नफेनुकसान की नहीं सोचते हैं. सियासी दांवपेंच उन की समझ से परे हैं. वे बहुत जल्दी तैश में भी आ जाते हैं.
पिछले साल 1 जनवरी के मौके पर उन्होंने अपने सिर पर पगड़ी बांधी थी और उस में मोर का पंख जड़ डाला था. उस के बाद गायों के साथ बांसुरी बजाने लगे थे. उस के बाद खुद को कृष्ण का वंशज बताया था.
सरस्वती पूजा के मौके पर वे हलवाई के साथ चूल्हे के पास जा बैठे थे और लगे जलेबियां छानने. जलेबी छानने के बाद उन्होंने स्कूली बच्चों को जलेबियां खिलाई थीं और खुद भी उन का लुत्फ उठाया था.
पटना पुस्तक मेले में घूमने गए तो कुम्हार का चाक देख कर वे वहीं बैठ गए थे और चाक को घुमा कर मिट्टी के बरतन बनाने लगे थे.
हमेशा सुर्खियों में रहने वाले तेजप्रताप यादव साल 2016 में गौ हत्या पर रोक लगाने की मांग कर अपनी पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर चुके हैं.
राज्य में मंत्री रहते हुए वृंदावन पहुंच कर उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार से अपील की थी कि नोटबंदी की तरह से गायों की हत्या पर भी रोक लगाई जाए.
उन्होंने यह भी कहा था कि बिहार में शराबबंदी के बाद गौ हत्या पर भी रोक लगानी चाहिए. उन की इस बयानबाजी से उन के पिता लालू प्रसाद यादव सकते में आ गए थे.
गौरतलब है कि लालू प्रसाद यादव का बड़ा मुसलिम वोट बैंक है और तेजप्रताप ने गाय को मारने पर रोक लगाने की कह कर मुसलिमों को नाराज कर डाला था.
अकसर अपने माथे पर चंदन का टीका लगा कर घूमने वाले 30 साल के तेजप्रताप यादव राजद की टिकट और महुआ विधानसभा सीट से पहली बार 2015 में विधायक बने थे. बिहार में महागठबंधन की सरकार में उन्हें स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था. उस समय भी वे अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने से खूब नाराज हुए थे.