आतंकवादियों को शह देने के अलावा पाकिस्तान की राजनीति का एक और शगल है राजनयिक स्तर पर पटाखे छोड़ना. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी इन दिनों अमेरिका में हैं और वहां लगातार इसी तरह के पटाखे छोड़ रहे हैं. वैसे तो उनकी इस यात्रा का सबसे बड़ा मकसद पाकिस्तान को बाज आने की लगातार धमकियां दे रहे ट्रंप प्रशासन को मनाना है, लेकिन इसमें बहुत कामयाबी नहीं मिल रही, तो वह अपने बयानों से ही कुछ नए धमाके करने में जुट गए हैं.
अब्बासी ने कहा है कि पाकिस्तान ने सीमित असर वाले छोटे परमाणु हथियार तैयार किए हैं, जिनका इस्तेमाल वह भारत की ‘कोल्ड स्टार्ट नीति’ के जवाब में कर सकता है. कोल्ड स्टार्ट नीति भारत द्वारा 2004 में अपनाई गई उस नीति को कहा जाता है, जिसमें भारत ने यह तय किया था कि वह अपनी तरफ से यही कोशिश करेगा कि पाकिस्तान से पूर्ण युद्ध की नौबत न आए. अगर पाकिस्तान किसी मोर्चे पर कोई गड़बड़ी करता है, तो उसका जवाब उसी मोर्चे पर सीमित युद्ध के जरिए दिया जाएगा. लगभग वैसे ही, जैसे कारगिल युद्ध के दौरान हुआ था.
वैसे यहां मुद्दा भारत की रणनीति का नहीं, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की परमाणु हमले की धमकी का है. अब्बासी का बयान यह बताता है कि उनका मुल्क युद्ध को बढ़ने से रोकने की भारत की तय नीति का जवाब परमाणु हमले से देना चाहता है. एक तरह से देखा जाए, तो इस समय दुनिया में दो ही लोग हैं, जो परमाणु युद्ध की धमकी दे रहे हैं. एक, उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग-उन और दूसरे हैं पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी. लेकिन इसे अब्बासी की बदकिस्मती ही कहा जाएगा कि उनकी धमकी को पूरी दुनिया में कोई भी उतनी गंभीरता से नहीं ले रहा, जितना कि उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग-उन की धमकी को लिया जा रहा है.