अपने कार्यालय में आए एक विदेशी शिष्टमंडल को खरीदारी कराने के लिए श्रेया उन्हें ले कर पूरे शहर में घूम रही थी. दोपहर का भोजन कराने के लिए श्रेया उन्हें ले कर बडे़ से मौल ‘शौपर पैराडाइज’ में आई थी. भोजन के लिए वेटर को आदेश दे कर उस ने सिर घुमाया तो काउंटर पर खडे़ जिग्नेश जैसे किसी व्यक्ति को देख कर वह हैरान रह गई. वह व्यक्ति पीछे से बिलकुल जिग्नेश का प्रतिरूप दिख रहा था.

श्रेया ने अभी वहां से अपनी नजर भी नहीं घुमाई थी कि वह व्यक्ति पलटा और 2 बच्चों की उंगलियां थामे निकास- द्वार की ओर बढ़ गया.

अपने विदेशी मेहमानों से क्षमा मांग कर श्रेया मुख्यद्वार की ओर लपकी थी. क्योंकि वह इस सच को जानना चाहती थी कि क्या वह वाकई जिग्नेश है और यदि वही है तो उसे श्रेया यह जता देना चाहती थी कि उस ने उसे मौल में एक स्त्री के साथ घूमते देख लिया था.

जिग्नेश तब तक बाहर निकल गया था और उस के साथ चल रही स्त्री और बच्चों को श्रेया ने भलीभांति पहचान लिया था. लेकिन अधिक दूर तक उन का पीछा करना उस के लिए संभव नहीं था. क्योंकि भोजनकक्ष में उस के विदेशी अतिथि उस की प्रतीक्षा कर रहे थे.

अपना काम समाप्त कर वह घर पहुंची तो बेहद गुस्से में थी. उस ने कई बार मोबाइल पर जिग्नेश को फोन करने की कोशिश भी की थी पर शायद उस का मोबाइल बंद था इसलिए संपर्क नहीं हो पाया था.

वह थकान के कारण टेलीविजन के सामने आंखें बंद कर बैठी हुई थी. जब रात के लगभग 10 बजे जिग्नेश ने घर में प्रवेश किया था.

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