उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की जीत का असर बिहार की राजनीति पर दिखने लगा है. इस के अलावा 4 राज्यों में भाजपा की सरकार बनने के बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने बीच के तमाम विवादों को खत्म करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. दोनों नेता लगातार एकदूसरे से मिल रहे हैं और साथसाथ फोटो भी खिंचवा रहे हैं. इस बहाने दोनों धुरंधर यह संदेश देने की पुरजोर कवायद कर रहे हैं कि उन के  बीच सबकुछ ठीक है और हर हाल में दोनों साथसाथ हैं.

लालू प्रसाद यादव ने तो बातचीत में ईमानदारी से यह कबूल भी किया कि अगर अब भी गैरभाजपाई दल एकजुट नहीं हुए, तो उन के खत्म होने का पूरा खतरा है.

आप धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को एक प्लेटफार्म पर कैसे लाएंगे? पिछली बार मुलायम सिंह यादव को लाने में कामयाबी नहीं मिल सकी थी?

 इस के लिए कोशिशें लगातार चल रही हैं और अब उस की स्पीड बढ़ा दी गई है. मैं और नीतीश कुमार इस के लिए सभी दलों से बात कर रहे हैं. बिहार में राजद, जद (यू) और कांगे्रस के महागठबंधन को मिली कामयाबी को अब नैशनल लैवल पर कामयाब कर के दिखाना है.

अगले साल 5 राज्यों में चुनाव होने हैं, इसलिए हम लोगों को तेजी से काम करना होगा. धर्मनिरपेक्ष और सामाजिक न्याय की ताकतों को उत्तर प्रदेश के चुनाव से सबक लेने की जरूरत है. वहां वोट के बंटवारे की वजह से भाजपा को फायदा मिल गया. आगे से ऐसा नहीं होने देना है.

आप को नहीं लगता है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने भाजपा को मजबूत किया है?

भाजपा की ताकत बढ़ी है और वोट भी बढ़े हैं, इस में कोई दोराय नहीं है. उन्हें कामयाबी अपनी ताकत की वजह से कम और समाजवाद और सामाजिक न्याय का झंडा उठाने वालों के बिखराव की वजह से ज्यादा मिली है. भाजपा ने तो दूसरे दलों के नेताओं को अपने पाले में मिला कर ही तो जीत की राह आसान की.

आप को लगता है कि सामाजिक न्याय की राजनीति करने वाले सभी दल आसानी से एक मंच पर आ जाएंगे?

हम हार मानने वालों में नहीं हैं. समाजवादियों की सोच रही है कि वे आपस में लड़ते भी हैं और जब देश और समाज के हित की बात होती है, तो एकजुट भी हो जाते हैं. अब समय आ गया है कि विपक्ष एक मंच पर आ जाए, तभी भाजपा को धूल चटाई जा सकती है.

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