भारत के संविधान निर्माताओं और आजादी की लड़ाई लड़ने वाले अमर शहीदों ने कभी सोचा ही नहीं होगा कि उन के आजाद देश में जब चुनाव होंगे, तो उन्हें पैसे के बूते कुछ लोग हाईजैक कर लेंगे. चुनावी खर्च जिस तरह बेलगाम होते जा रहे हैं, उस पर बृजेश माथुर की सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर यह एक टिप्पणी बहुत खास है:

‘बेहतर होगा कि चुनाव आयोग इन मामलों की खुद जांच करे. पता लगाए कि अवैध बरामदगी के पीछे कौन सा उम्मीदवार या दल है और फिर उस के खिलाफ सख्त कार्यवाही हो. इस तरह की सख्ती के बिना चुनावों में धनबल का दखल नहीं रुकेगा.

‘यह सही है कि चुनाव में धनबल का इस्तेमाल रोकने के लिए चुनाव आयोग की सतर्कता बढ़ी है, लेकिन यह सिर्फ धरपकड़ तक सीमित है. ऐसे मामलों में सजा की दर बहुत कम है, क्योंकि चुनाव के बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस मामले को गंभीरता से नहीं लेते. अकसर असली सरगना छुटभैयों को फंसा कर बच जाते हैं.’

दरअसल, लोकतंत्र का महाकुंभ कहलाने वाले लोकसभा चुनाव में आज जिस तरह चुनाव में करोड़ों रुपए हर लोकसभा संसदीय क्षेत्र में खर्च हो रहे हैं, उस से यह तो साफ हो जाता है कि आम आदमी या कोई सामान्य काबिल इनसान संसद में पहुंचने के लिए सात जन्म लेगा तो भी नहीं पहुंच पाएगा.

लोकसभा चुनाव 2024 में माना जा रहा है कि खर्च के मामले में पिछले सारे रिकौर्ड टूट जाएंगे और दुनिया का सब से बड़ा लोकतांत्रिक देश कहलाने वाले भारत में चुनाव खर्च अपनी हद पर होंगे यानी भारत में दुनिया की सब से खर्चीली चुनावी व्यवस्था होगी.

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