यो रेडियो नेपाल छ...तपाइहरू कं अनुरोध पर प्रस्तुत छ लता मंगेशकर कं स्वर में यो गाना...
भारत के कई हिस्सों खासकर पूर्वोतर राज्य पश्चिम बंगाल, नेपाल से सटे यूपी और बिहार के कुछ भागों में आज भी रेडियो पर यह चिरपरिचित आवाज सुनने को मिल जाएगी.
आज भी पश्चिम बंगाल स्थित दुनिया का मशहूर पर्यटक स्थल दार्जिलिंग में प्रवेश करते ही बङेबङे अक्षरों में लिखा दिख जाएगा- तपाइहरू कं दार्जिलिंग मं स्वागत छ...
यों भले ही टैलीविजन ने घरघर पहचान बना ली है मगर बिहार के पूर्णिया जिले से सटे जोगबनी में आज भी घरों के दलान (बरामदे का खुला भाग) में चारपाई डाले लोग नेपाली रेडियो को सुनते दिख जाते हैं.
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फारबिसगंज के एक गांव के रहने वाले 63 साल के रविकांत को मालूम नहीं कि वे कब से नेपाली रेडियो सुनतेसुनते अब अच्छी तरह नेपाली भाषा बोलने और समझने लगे हैं.
रविकांत कहते हैं,"घर के लोग टीवी देखते हैं पर मुझे तो रेडियो से लगाव है. जब से होश संभाला है रेडियो ही सुनते आया हूं. पहले बाबूजी सुनते थे तो पास आ कर बैठ जाता था.
"मुझे औल इंडिया रेडियो के साथसाथ काठमांडू से प्रसारित नेपाली कार्यक्रम सुनना बहुत पसंद है."
यह पूछने पर कि क्या आप नेपाल गए हैं?
रविकांत कहते हैं,"कितनी मरतबा गया याद नहीं. नेपाल जाते यह कभी नहीं लगा कि यह दूसरा देश है."
इन की बात में काफी हद तक सचाई भी है, क्योंकि आज भी नेपाल भारत से अलग देश जरूर है पर वहां भारतीय नोट चलते हैं. खानपान, पहनावा और यहां तक कि रहनसहन तक भी में भी दोनों देशों में कोई अंतर नहीं है.
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