गेहूं और धान की सरकारी खरीद के बाद अब उत्तर प्रदेश सरकार आलू की सरकारी खरीद करने की घोषणा कर चुकी है. उत्तर प्रदेश सरकार किसानों से 4 रुपये 87 पैसे प्रति किलो की दर से आलू खरीदेगी. इस आलू का साइज तय है. जिससे किसानों का आधा आलू तो इस साइज के मापदंड पर ही खरा नहीं उतर पायेगा. सरकार की घोषणा के 10 दिन बाद तक सरकारी अमला इस खरीद को अमली जामा नहीं पहना सका है. किसानों के पास रखा आलू उमस से सड़ने लगा है. शासन स्तर पर अभी तक न तो कोई क्रय एजेंसी तय हो पाई है और न ही यह पता चला है कि सरकारी खरीदे गये आलू का कहीं भंडारण करेगी या उसे सीधे बाजार में बेच देगी. किसानों में इस योजना को लेकर भ्रम के हालात है.
उत्तर प्रदेश में इसके पहले भी धान और गेहूं की सरकारी खरीद बड़े पैमाने पर होती है. इसका समर्थन मूल्य भी बढ़ता रहता है. इसके बाद भी धान और गेहूं के किसानों का न तो मुनाफा बढ़ा है और न ही किसान पूरी तरह से सरकारी खरीद से खुश हो सका है. सरकारी क्रय केन्द्र में तरह तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गेहूं क्रय केन्द्र बहुत ही धीमी गति से खरीद करते हैं. किसानों के बजाय अपने आंकड़ों को पूरा करने के लिये बिचौलियों से भी खरीद की जाती है. उत्तर प्रदेश में आज के समय में गन्ना ही सबसे बड़ी कैश क्राप्स के रूप में किसानों की पसंद है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि किसान को चीनी मिलों से गन्ना क्रय का मूल्य मिल जाता है.