पंडेपुजारी पुराणों के हवाले से कहते फिरते हैं कि तीर्थों के दर्शनों के बड़े फायदे हैं और उन के दर्शन से ही पाप धुल जाते हैं और आदमीऔरत का मन साफ हो जाता है. ऋषिकेश, मथुरा, वाराणसी, नासिक, उज्जैन जैसे तीर्थों में रहने वाले जानते हैं कि उन के शहरों में किस तरह लूटपाट होती है. जो भक्त दिमाग और आंख बंद कर के आते हैं वे अकसर लूट का शिकार होते हैं.
इसी तरह के एक तीर्थ प्रयागराज, जिस का पहले नाम इलाहाबाद था, में एक पति ने अपनी पत्नी को हथौड़े से मार दिया और फिर शव को वहीं छोड़ कर खुद पुलिस थाने में जा कर अपने को हवाले कर दिया. मामला कोई छोटी बात थी, न दहेज की, न सासससुर की, न दूसरी प्रेमिका या दूसरे प्रेमी की. पत्नी की उम्र सिर्फ 24 साल थी और शादी 14 साल की उम्र में ही हो गई थी और 3 बच्चे भी थे.
छुटपन में शादी, एक नहीं 3 बच्चे, पैसे की कमी, गुस्सा... क्या नहीं था इन दोनों में बिना यह सोचे कि 3 छोटे बच्चों का क्या होगा, आदमी ने औरत पर हथौड़ा चला दिया. इलाहाबाद यानी प्रयागराज का वह उपदेशों से भरा माहौल किस काम का रहा कि न तो 14 साल की उम्र में शादी रोक पाया, न छोटी सी लड़की को 3-3 की मां बनने से रोक सका.
इतने पंड़ों, कथावाचकों की भीड़ का क्या फायदा हुआ कि आगापीछा सोचे बिना छोटी सी बात पर हथौड़े चल गए. गंगा का पानी क्यों नहीं इन के मन को साफ कर पाया जिस का गुणगान रातदिन कथाओं में भी सुना जाता है और अब टीवी, मोबाइलों पर मौजूद है.