Crime Story: नरमुंड ने खोला हत्या का राज- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

गांव की बात करें तो सर्वेश का गांव में इतना खौफ था कि सूरज ढलने के बाद गांव की महिलाएं अपने घरों से बाहर खेतों की तरफ नहीं जाती थीं. सर्वेश ने गांव के मकान के अलावा अपने खेत पर एक झोपड़ी बना ली थी. सुनसान जगह पर झोपड़ी बना कर वह उसी में रहता था ताकि आसानी से अपराध को अंजाम दे सके.

गांव के लोग न तो इस साइकोकिलर से बात करते थे न ही उसे किसी आयोजन आदि में बुलाते थे. सर्वेश के पास 25 बीघा जमीन थी. उसे गांजा पीने की लत लग गई थी. इसी लत के चलते वह अपनी 15 बीघा जमीन भी बेच चुका था.

लगभग 2 महीने पहले अपनी गांजे की लत पूरी करने के लिए उस ने गेहूं बेच दिए थे. इस बात पर उस के दोनों बेटों पुष्पेंद्र और प्रवेश ने उस की पिटाई की थी. उस के इसी व्यवहार से परेशान हो कर पत्नी व बच्चों ने भी उस से रिश्ता तोड़ लिया था. पुलिस गांव में सर्वेश की तलाश में आने लगी तो पत्नी ममता दोनों बेटों को ले कर अपने मायके आ कर रहने लगी थी.

40 वर्षीय सर्वेश के खिलाफ 3 हत्याओं सहित 11 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. वह पिछले 19 साल से अपराध की दुनिया में सक्रिय था. जब वह 19 साल का था, तब गुजरात से एक लड़की को ले कर आया था. बाद में उस ने उस की हत्या कर शव के टुकड़े करने के बाद दफना दिए थे.

सनकी सर्वेश ने सन 2012 में जिला कन्नौज के सौरिख थाना क्षेत्र में एक महिला की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी थी. पुलिस के अनुसार सर्वेश व मामा संतोष ने कई महिलाओं की हत्या करने की बात भी स्वीकार की. पुलिस ने दोनों हत्यारोपियों सर्वेश व संतोष को न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

जेल भेजने से पहले दोनों आरोपियों ने स्वीकार किया कि पूती देवी के शव केn टुकड़े अपने खेत में अलगअलग स्थानों पर दबा दिए थे.

जेल भेजने के दूसरे दिन 29 अक्तूबर को एसपी अजय कुमार पांडेय की मौजूदगी में पुलिस ने खेत की जेसीबी से खुदाई कराई तो एक स्थान पर कुछ हड्डियां, सिर के बाल और ब्लाउज का टुकड़ा बरामद हुआ.

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इस पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया गया. पुलिस ने बरामद हड्डियों का डीएनए टेस्ट कराने का निर्णय लिया. देवर मिथिलेश के अलावा सर्वेश के दोनों बेटों को भी बुला लिया गया. उन्होंने बरामद ब्लाउज के टुकड़े को पूती देवी का बताया. इस आधार पर पुलिस ने पंचनामा भरा.

साइकोकिलर व उस के मामा को जेल भेजने के बाद पुलिस ने अन्य हड्डियां, ब्लाउज का शेष हिस्सा, आलाकत्ल, बाइक बरामद करने के लिए हत्यारोपी सर्वेश को 3 दिन की पुलिस रिमांड पर दिए जाने की मांग की. पुलिस की इस मांग के समर्थन में अभियोजन के संयुक्त निदेशक डी.के. मिश्रा के निर्देशन में एपीओ शशिकांत ने कोर्ट में अभियोजन का पक्ष प्रस्तुत किया.

सुनवाई के बाद 2 नवंबर को न्यायालय द्वारा पुलिस का आवेदन स्वीकार कर लिया गया. आरोपित सर्वेश को 3 नवंबर सुबह 8 बजे से 5 नवंबर की शाम 5 बजे तक पुलिस रिमांड पर देने का आदेश दिया गया.

पुलिस उसे गांव बरुआ नद्दी ले गई. वहां उस ने एक स्थान पर शव के टुकड़े दफनाने की बात कही. सच्चाई जानने के लिए पुलिस ने खुदाई कराई तो वहां पूती देवी की कुछ हड्डियां बरामद हुईं.

आरोपी ने अपने घर की छत से हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी व गांव मईखेड़ा निवासी अपने बहनोई आदेश के यहां से बाइक बरामद कराई. वह पूती देवी को इसी बाइक पर बिठा कर लाया था. गिरफ्तारी के समय आरोपी सर्वेश ने पूती देवी की गड़ासे से टुकड़े करने की बात पुलिस को बताई थी. जबकि रिमांड के दौरान कुल्हाड़ी से टुकड़े करने की बात बताई. पूती देवी हत्याकांड से जुड़े आलाकत्ल व अन्य सबूत हाथ लगने के बाद पुलिस ने उसी दिन सर्वेश को जेल भेज दिया. उन की निशानदेही पर पुलिस ने पूती देवी का मोबाइल फोन, कंगन व आधार कार्ड भी बरामद कर लिया.

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एसपी अजय कुमार पांडेय ने इस सनसनीखेज हत्याकांड का खुलासा करने वाली टीम में शामिल थानाप्रभारी अजीत सिंह, थानाप्रभारी (एलाऊ) सुरेशचंद्र शर्मा, सर्विलांस प्रभारी जोगिंदर सिंह, स्वाट प्रभारी रामनरेश, जैकब फर्नांडिज, धर्मेंद्र मलिक, अमित चौहान, रोबिन, संदीप कुमार, हरेंद्र सिंह, सोनू शर्मा, रामबाबू को 25 हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा की.

इंसान गुनाह कर के उस पर परदा डाल देता है. सर्वेश और संतोष ने भी ऐसा ही किया. उन्होंने सोचा था कि उन का यह गुनाह उन के अन्य गुनाहों की तरह हमेशा के लिए जमीन में दफन हो जाएगा. लेकिन उन की सोच गलत साबित हुई और एक नरमुंड ने उन के सारे गुनाह उजागर कर दिए.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime Story: प्रेमिका की बली- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

दिनेश तो शर्म से सिर झुका कर वहां से उसी समय चला गया किंतु लक्ष्मी देवी ने सरोज को खूब खरीखोटी सुनाई. शाम को अजय घर आया तो लक्ष्मी ने बेटे को सारी बात बताई और धैर्य से काम लेने की सलाह दी.

अजय कुमार जान गया कि दिनेश उस के मायके का यार है और शादी से पूर्व ही उस के संबंध हैं. इसलिए दिनेश रिश्ते की आड़ में सरोज से मौजमस्ती करने आता है.

पत्नी की यारी की जानकारी अजय को हुई तो उस ने सरोज से जवाबतलब किया. सरोज जान गई थी कि झूठ बोलने से लाभ नहीं है. अत: उस ने सच बोल दिया, ‘‘दिनेश से मेरी शादी से पहले की दोस्ती है. उस में पता नहीं ऐसा क्या है कि न चाहते हुए भी मैं बहक जाती हूं. अब मैं ने उस से रिश्ता तोड़ लिया है. वादा करती हूं कि आइंदा उस से संबंध नहीं रखूंगी.’’

अजय ने सरोज को जमाने की ऊंचनीच तथा पत्नी धर्म का पाठ पढ़ाया. उस ने उसे इस शर्त पर माफ किया कि भविष्य में वह दिनेश से संबंध न रखेगी.

इस के बाद सरोज ने दिनेश से बात करनी बंद कर दी, तो दिनेश छटपटा उठा. सरोज उस से जितना दूर भागती, दिनेश उस के उतना ही नजदीक आने की कोशिश करता. इस के बावजूद सरोज ने दिनेश को भाव नहीं दिया तो वह उसे बदनाम करने की धमकी देने लगा.

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सरोज ने ये बातें पति अजय को बताईं. अजय ने इस समस्या से निपटने के लिए अपने रिश्तेदार सूरज, नीरज व लवकुश से बात की. ये तीनों बंथरा थाने के खसरवारा गांव के रहने वाले थे. इज्जत बचाए रखने के लिए उन्हें एक ही उपाय सूझा कि दिनेश की हत्या कर दी जाए. इस के लिए उन पांचों ने मिल कर योजना भी बना ली.

योजना के तहत 23 सितंबर, 2020 की शाम 4 बजे सरोज ने दिनेश को फोन किया कि वह घर में अकेली है, अत: वह आ जाए. रात उन दोनों की है.

प्रेमिका की बात सुन कर दिनेश की खुशी का ठिकाना न रहा. उस ने ट्रैक्टर ठेकेदार के हवाले किया और सरोज की ससुराल संभरखेड़ा पहुंच गया. घर के अंदर दाखिल होते ही सरोज ने दरवाजा बंद कर लिया. नीरज, सूरज, लवकुश व अजय घर में पहले से छिपे हुए थे. उन्होंने एकदम से हमला कर दिनेश को दबोच लिया.

इस के बाद उन्होंने उसे जम कर पीटा. वह किसी तरह चंगुल से छूट कर दरवाजे की ओर भागा तो अजय ने पीछे से उस के सिर पर लोहे की रौड से प्रहार कर दिया, वह जमीन पर बिछ गया. फिर उन सब ने रस्सी से गला घोंट कर उस की हत्या कर दी.

हत्या करने के बाद उन लोगों ने दिनेश की जामातलाशी ली और जो भी सामान मिला वह अपने कब्जे में कर लिया. इस के बाद शव को रात के अंधेरे में बंथरा थाने के रायगढ़ी के पास सड़क पर फेंक दिया, ताकि लगे कि एक्सीडेंट हुआ है. इस के बाद वे सब फरार हो गए. दूसरे रोज थाना बंथरा पुलिस ने शव बरामद किया और शिनाख्त न होने पर पोस्टमार्टम के लिए उन्नाव के अस्पताल में भेज दिया.

इधर देर रात तक दिनेश घर वापस नहीं आया तो उस के पिता शिवबालक को चिंता हुई. जब 3 दिनों तक उस का कुछ भी पता नहीं चला तो वह उन्नाव कोतवाली पहुंचा और बेटे की गुमशुदगी दर्ज करा दी.

चौथे दिन उसे बंथरा थाने से अज्ञात लाश की सूचना मिली. तब वह पत्नी और बेटी के साथ बंथरा थाने पहुंचा और कपड़ों तथा फोटो से शव की शिनाख्त अपने बेटे दिनेश के रूप में की.

चूंकि उन्नाव कोतवाली में दिनेश की गुमशुदगी दर्ज थी, अत: कोतवाल दिनेशचंद्र मिश्र ने मामले को भादंवि की धारा 302/201 के तहत दर्ज कर लिया.

इधर जब कई दिनों तक हत्या का राज नहीं खुला, तो शिवबालक एसपी आनंद कुलकर्णी से मिला और हत्या का परदाफाश करने की गुहार लगाई. इस पर आनंद कुलकर्णी ने एएसपी विनोद कुमार पांडेय की अगुवाई में एक टीम गठित कर दी.

इस टीम ने मृतक के पिता शिवबालक से पूछताछ की तो उस ने हत्या का संदेह पड़ोसी रामनाथ की बेटी सरोज और उस के पति अजय कुमार पर व्यक्त किया.

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संदेह के आधार पर पुलिस टीम ने सरोज व अजय को उन के घर संभरखेड़ा से हिरासत में लिया और थाने ला कर उन से सख्ती पूछताछ की तो दोनों टूट गए और दिनेश की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

अजय ने बताया कि दिनेश के नाजायज संबंध उस की पत्नी से थे. इज्जत के लिए उस ने अपने रिश्तेदार सूरज, नीरज, लवकुश की मदद से दिनेश की हत्या कर दी थी. 11 अक्तूबर, 2020 को पुलिस ने नाटकीय ढंग से उन्नाव बाईपास के एक ढाबे से नीरज, सूरज व लवकुश को भी गिरफ्तार कर लिया.

आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने आलाकत्ल रौड और रस्सी बरामद कर ली. इस के अलावा मृतक का पर्स, आधार कार्ड, चप्पल तथा वोटर आईडी कार्ड भी बरामद कर लिया. 12 अक्तूबर, 2020 को उन्नाव कोतवाली पुलिस ने सभी आरोपियों को उन्नाव कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Crime Story: प्रेमिका की बली- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

उसके लिए सरोज वह सब कुछ थी, जिस की कामना हर युवा करता है. लेकिन सरोज के दिल में उस के लिए कोई जगह नहीं थी. उस के दिल में तो कोई और ही बसा था. सरोज का तन भले ही अजय कुमार को मिल गया था, पर मन तो दिनेश का ही था.

अजय कुमार कैसा भी था, इस से सरोज को कोई मतलब नहीं था. शादी के बाद लड़कियां ससुराल आ क र एकदो दिन भले ही उदास रहें, लेकिन यदि उन्हें ससुराल वालों और पति का प्यार मिले तो वे खुश रहने लगती हैं. लेकिन सरोज के चेहरे पर मुसकराहट 2 सप्ताह बीत जाने के बाद भी नहीं आई थी. इस का कारण यह था कि वह पल भर के लिए भी दिनेश को नहीं भुला सकी थी.

सरोज ससुराल में महीने भर रही. लेकिन उस के चेहरे पर कभी मुसकराहट नहीं आई. ससुराल वालों ने तो सोचा कि पहली बार मांबाप को छोड़ कर आई है, इसलिए उदास रहती होगी. पर अजय कुमार पत्नी की उदासी से बेचैन और परेशान था. वह उसे खुश रखने, उस के चेहरे पर मुसकान लाने की हरसंभव कोशिश करता रहा, लेकिन सरोज के चेहरे पर मुसकान नहीं आई.

होली के 8 दिन पहले सरोज ससुराल से मायके आ गई. जिस दिन वह मायके आई, उसी शाम वह दिनेश से मिली. सरोज के मांबाप बेटी का विवाह कर के निश्चिंत हो चुके थे, इसलिए उन्होंने सरोज पर रोकटोक नहीं लगाई थी. लिहाजा सरोज का मिलन दिनेश से पुन: शुरू हो गया.

इस के बाद तो यह सिलसिला ही शुरू हो गया. सरोज मायके में होती तो उस का मिलन दिनेश से होता रहता, ससुराल चली जाती तो मिलन बंद हो जाता. ससुराल में रहते वह मोबाइल फोन पर दिनेश से चोरीछिपे बात करती थी.

यह मोबाइल फोन दिनेश ने ही उस के जन्मदिन पर उपहार में दिया था. उस ने पति से झूठ बोला था कि फोन मायके वालों ने दिया है. जब मोबाइल फोन का बैलेंस खत्म हो जाता तो दिनेश ही उसे रिचार्ज कराता था.

एक दिन मोबाइल फोन पर बतियाते दिनेश ने कहा, ‘‘सरोज, जब तुम ससुराल चली जाती हो तो यहां मेरा मन नहीं लगता. रात में नींद भी नहीं आती और तुम्हारे बारे में ही सोचता रहता हूं. मिलन का कोई ऐसा रास्ता निकालो कि तुम्हारी ससुराल आ सकूं.’’

‘‘तुम किसी रोज मेरी ससुराल आओ. मैं कोई रास्ता निकालती हूं.’’ सरोज ने उसे भरोसा दिया.

सरोज से बात किए दिनेश को अभी हफ्ता भी नहीं बीता था कि एक रोज वह उस की ससुराल संभरखेड़ा जा पहुंचा. सरोज ने सब से पहले दिनेश का परिचय अपनी सास लक्ष्मी देवी से कराया, ‘‘मम्मी, यह दिनेश है. मेरा पड़ोसी है. रिश्ते में मेरा भाई लगता है. किसी काम से सोहरामऊ आया था, सो हालचाल लेने घर आ गया.’’

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‘‘अच्छा किया बेटा, जो तुम हालचाल लेने आ गए.’’ फिर वह सरोज की तरफ मुखातिब हुई, ‘‘बहू, भाई आया है तो उस की खातिरदारी करो. मेरी बदनामी न होने पाए.’’

‘‘ठीक है, मम्मी.’’ कह कर सरोज दिनेश को कमरे में ले गई. इस के बाद दोनों कमरे में कैद हो गए. कुछ देर बाद वे कमरे से बाहर आए तो दोनों खुश थे. शाम को सरोज का पति अजय कुमार घर आया तो सरोज ने पति से भी उस का परिचय करा दिया. अजय ने भी उस की खूब खातिरदारी की.

सरोज की ससुराल जाने का रास्ता खुला, तो दिनेश अकसर उस की ससुराल जाने लगा. लक्ष्मी देवी टोकाटाकी न करें, इस के लिए वह उन की मनपसंद चीजें ले आता. घर वापसी के समय वह उन के पैर छू कर 100-50 रुपए भी हाथ पर रख देता. जिसे वह नानुकुर के बाद रख लेती.

शाम को वह सरोज के पति अजय के साथ भी पार्टी करता और खर्च स्वयं उठाता. इस तरह उस के आने से मांबेटे दोनों खुश होते. लेकिन दिनेश घर क्यों आता है, वह घर में क्या गुल खिला रहा है, इस ओर उन का ध्यान नहीं गया.

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दिनेश का आनाजाना जरूरत से ज्यादा बढ़ा तो सरोज की सास लक्ष्मी देवी को उन के रिश्तों पर कुछ शक हुआ. कारण यह था कि दिनेश जब भी आता बंद कमरे में ही बहू से बात करता. वह सोचती कि यह कैसा रिश्ता है, जो भाईबहन सामने बैठ कर बात करने के बजाय बंद कमरे में बात करते हैं. जरूर दाल में कुछ काला है.

शक गहराया तो वह दोनों पर नजर रखने लगीं. एक रोज दिनेश आया तो लक्ष्मी देवी जानबूझ कर घर के बाहर चली गईं. कुछ देर बाद लौटीं तो उन्होंने बहू सरोज को दिनेश के साथ बिस्तर पर देख लिया.

Crime Story: प्रेमिका की बली- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

20वर्षीया सरोज दिखने में जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही चंचल व महत्त्वाकांक्षी भी थी. जो उसे देखता था, अपने आप उस की तरफ खिंचा चला जाता था. गांव के कई युवक उस का सामीप्य पाने को लालायित रहते थे. लेकिन सरोज किसी को भाव नहीं देती थी. वह जिस युवक की ओर आकर्षित थी, वह उस के बचपन का दोस्त दिनेश था.

सरोज के पिता रामनाथ उत्तर प्रदेश के जिला उन्नाव के गांव संभरखेड़ा के रहने वाले थे. उन की गिनती गांव के संपन्न किसानों में होती थी. उन का गांव उन्नाव शहर की सीमा पर स्थित था, सो वह अपने खेतों में सब्जियां उगा कर शहर में बेचते थे. इस काम में उन्हें अच्छी कमाई होती थी.

रामनाथ के घर के पास शिवबालक रहता था. वह दूध का धंधा करता था. दोनों एक ही जाति के थे. दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी. दोनों के परिवार के हर सदस्य का एकदूसरे के घर आनाजाना बना रहता था.

शिवबालक की माली हालत रामनाथ की अपेक्षा कमजोर थी. उसे जब कभी रुपयों की जरूरत होती, वह रामनाथ से मांग लेता था. शिवबालक का बेटा दिनेश था. वह ज्यादा पढ़ालिखा नहीं था. पर उस ने ड्राइविंग सीख ली थी और ट्रैक्टर चलाता था.

शिवबालक का बेटा दिनेश और रामनाथ की बेटी सरोज हमउम्र थे. दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना बेरोकटोक था. दोनों बचपन के दोस्त थे, सो उन की खूब पटती थी. दोनों घंटों बतियाते थे और खूब हंसीठिठोली करते थे. उन की बातचीत और हंसीठिठोली पर घर वालों को भी ऐतराज नहीं था, क्योंकि पड़ोसी होने के नाते उन दोनों का रिश्ता भाईबहन का था. लेकिन उन दोनों की बचपन की दोस्ती कब प्यार में बदल गई, उन्हें पता ही नहीं चला.

जैसेजैसे समय बीत रहा था, वैसेवैसे उन के प्यार का रंग भी गहराता जा रहा था. सरोज स्कूल जाने के बहाने घर से निकलती और तय स्थान पर पहुंच जाती दिनेश के पास. फिर दिनेश उसे ले कर घुमाने के लिए निकल जाता था. दोनों के बीच चाहत बढ़ी तो उन के मन में शारीरिक मिलन की इच्छा भी होने लगी.

आखिर एक दिन ऐसा भी आया जब दोनों मर्यादा भुला बैठे और उन्होंने अपनी हसरतें पूरी कर लीं. इस के बाद उन्हें घरबाहर जहां भी मौका मिलता, मिलन कर लेते.

इश्क में दोनों इतने अंधे हो गए थे कि उन्हें घरपरिवार की इज्जत का खयाल ही नहीं रहा. लेकिन एक दिन उन के इश्क का भांडा उस समय फूट गया, जब सरोज की मां पुष्पा ने उन्हें रंगेहाथों पकड़ लिया.

पुष्पा ने सरोज और दिनेश के नाजायज रिश्तों की जानकारी पति को दी, तो रामनाथ का खून खौल उठा. गुस्से में उस ने सरोज को पीटा तथा दिनेश को भी फटकार लगाई.

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चूंकि मामला काफी नाजुक था, अत: पतिपत्नी ने सरोज को काफी समझाया. उन्होंने उसे अपनी मानमर्यादा के बारे में सचेत किया. लेकिन दिनेश के प्यार में आकंठ डूबी सरोज पर उन की किसी बात का असर नहीं हुआ.

बेटी पर समझाने का असर न होता देख रामनाथ और पुष्पा परेशान हो गए. तब उन्होंने अपने घर दिनेश के आने की पाबंदी लगा दी. सरोज का भी घर से बाहर जाना बंद करा दिया.

अब रामनाथ और पड़ोसी शिवबालक की दोस्ती में भी दरार आ गई थी. रामनाथ ने शिवबालक को धमकी दी कि वह अपने बेटे दिनेश को समझा दे कि वह उस की बेटी सरोज से दूर रहे. अगर उस ने उस की इज्जत से खेलने की कोेशिश की तो अच्छा नहीं होगा. अपनी इज्जत की खातिर वह किसी भी हद तक जा सकता है.

कहते हैं, इश्क अंधा होता है. दिनेश और सरोज भी इश्क में अंधे थे. यही कारण था कि परिवार की सख्तियों के बावजूद उन के प्यार में कोई कमी नहीं आई थी. हालांकि उन की मुश्किलें अब पहले से ज्यादा बढ़ गई थीं और उन के मिलने में बाधा भी पड़ने लगी थी. लेकिन वे सावधानीपूर्वक किसी न किसी बहाने मिल ही लेते थे.

इधर बेटी के कदम बहके तो रामनाथ को उस के ब्याह की चिंता सताने लगी. उस ने सोचा, सरोज अगर उस की पीठ में इज्जत का छुरा घोंप कर दिनेश के साथ भाग गई तो बड़ी बदनामी होगी. वह कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं बचेगा. इसलिए बेहतर होगा कि वह सरोज के हाथ जल्द से जल्द पीले कर दे.

रामनाथ ने बेटी के लिए रिश्ता खोजना शुरू किया तो उसे अजय कुमार पसंद आ गया. अजय कुमार के पिता रामऔतार उन्नाव जिले के महनोरा गांव में रहते थे. अजय कुमार उन का एकलौता बेटा था. वह सोहरामऊ में एक कपड़े की दुकान पर काम करता था, इसलिए रामनाथ ने अपनी बेटी सरोज के लिए उसे पसंद कर लिया था.

सारी औपचारिकताएं पूरी कर सरोज और अजय कुमार के विवाह की तारीख तय कर दी थी.

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दिनेश को जब सरोज का विवाह तय होने की बात का पता चली तो वह बेचैन हो उठा. सरोज ने प्यार उस से किया था और अब विवाह किसी और से करने जा रही थी. एक दिन सरोज उसे एकांत में मिली तो वह बोला, ‘‘सरोज, जब तुम्हें किसी और से विवाह रचाना था, तो तुम ने मुझ से प्यार का नाटक क्यों किया?’’

‘‘दिनेश, यह शादी मैं अपनी मरजी से नहीं कर रही हूं. घर वालों ने शादी तय कर दी है, तो करनी ही पड़ेगी. उन का विरोध तो मैं कर नहीं सकती. लेकिन मैं आज भी तुम्हारी हूं और कल भी रहूंगी. तुम से अब मुझे कोई भी अलग नहीं कर सकता, यह विवाह भी नहीं.’’ सरोज ने उदास हो कर कहा.

3 फरवरी, 2017 को अजय कुमार के साथ सरोज का विवाह धूमधाम से हो गया. सरोज विदा हो कर ससुराल आ गई. सरोज जैसी खूबसूरत पत्नी पा कर अजय खुद को खुशनसीब समझ रहा था.

प्रेमिका की बली

बच्चे के लिए बच्ची की बली- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

उस दिन नवंबर, 2020 की 15 तारीख थी. सुबह के यही कोई 8 बज रहे थे. तभी थाना घाटमपुर प्रभारी इंसपेक्टर राजीव सिंह को नरबलि की खबर मिली. यह खबर भदरस गांव के किसी व्यक्ति ने उन के मोबाइल फोन पर दी थी. उस ने बताया कि दीपावली की रात गांव के करन कुरील की 7 वर्षीय बेटी श्रेया उर्फ भूरी की बलि दी गई है. उस की लाश भद्रकाली मंदिर के पास पड़ी है.

खबर पाते ही थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ भदरस गांव पहुंच गए. भद्रकाली मंदिर गांव के बाहर था. वहां भारी भीड़ जुटी थी. दरअसल मासूम बच्ची की बलि चढ़ाए जाने की बात भदरस ही नहीं, बल्कि अड़ोसपड़ोस के गांवों तक फैल गई थी. अत: सैंकड़ों लोगों की भीड़ वहां जमा थी.

भीड़ देख कर राजीव सिंह के हाथपांव फूल गए. क्योंकि वहां मौजूद लोगों में गुस्सा भी था. लोगों ने साफ कह दिया था कि जब तक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर नहीं आएंगे, तब तक वह बच्ची के शव को नहीं उठने देंगे. थानाप्रभारी राजीव सिंह ने यह जानकारी पुलिस अधिकारियों को दे दी फिर जांच में जुट गए.

श्रेया उर्फ भूरी की नग्न लाश भद्रकाली मंदिर के समीप नीम के पेड़ के नीचे गन्नू तिवारी के खेत में पड़ी थी. शव के पास मृत बच्ची का पिता करन कुरील बदहवास खड़ा था और उस की पत्नी माया कुरील दहाडें़ मार कर रो रही थी. घर की महिलाएं उसे संभालने की कोशिश कर रही थीं.

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मासूम का पेट किसी नुकीले व धारवाले औजार से चीरा गया था और पेट के अंदर के अंग दिल, फेफड़े, लीवर, आंतें तथा किडनी गायब थीं.

मासूम श्रेया के गुप्तांग पर चोट के निशान थे. माथे पर तिलक लगा था और पैर लाल रंग से रंगे थे. देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि नरपिशाचों ने बलि देने से पहले मासूम के साथ दुराचार भी किया था. शव के पास ही मृतका की चप्पल, जींस तथा अन्य कपड़े पड़े थे. नमकीन का एक खाली पैकेट भी वहां पड़ा मिला.

थानाप्रभारी सिंह ने वहां पड़ी चीजों को साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित कर लिया. उसी दौरान एसएसपी प्रीतिंदर सिंह, एसपी (ग्रामीण) बृजेश कुमार श्रीवास्तव तथा सीओ (घाटमपुर) रवि कुमार सिंह भी वहां आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा कई थानों की फोर्स बुलवा ली. पुलिस अधिकारियों ने उत्तेजित भीड़ को आश्वासन दिया कि जिन्होंने भी इस वीभत्स कांड को अंजाम दिया है, वह जल्द ही पकड़े जाएंगे और उन्हें सख्त से सख्त सजा दिलाई जाएगी.

अधिकारियों के इस आश्वासन पर लोग नरम पड़ गए. उस के बाद उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया. मासूम बालिका का शव देख कर पुलिस अधिकारी भी सिहर उठे.

एसएसपी के बुलावे पर डौग स्क्वायड टीम भी घटनास्थल पर पहुंची. डौग स्क्वायड प्रभारी अवधेश सिंह ने जांच शुरू की. उन्होंने नीम के पेड़ के नीचे पड़ी मासूम के खून के अंश व उस की चप्पल खोजी कुतिया को सुंघाई. उसे सूंघने के बाद यामिनी खेत की पगडंडी से होते हुए गांव की ओर दौड़ पड़ी.

कई जगह रुकने के बाद वह सीधे मृतक बच्ची के घर पहुंची. यहां से बगल के घर से होते हुए गली के सामने बने एक घर पर पहुंची. 4 घरों में जाने के बाद गली के कोने में स्थित एक मंदिर पर जा कर रुक गई.

टीम ने पड़ताल की, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा. इस के बाद यामिनी गांव का चक्कर लगा कर घटनास्थल पर वापस वह आ गई. यामिनी हत्यारों तक नहीं पहुंच सकी.

निरीक्षण के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतका श्रेया के शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय चिकित्सालय कानपुर भिजवा दिया. मोर्चरी के बाहर भी भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया गया.

उधर नरबलि की खबर न्यूज चैनलों तथा इंटरनेट मीडिया पर वायरल होते ही कानपुर से ले कर लखनऊ तक सनसनी फैल गई.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं इस दुस्साहसिक वारदात को संज्ञान में लिया. मुख्यमंत्री ने मंडलायुक्त, डीएम व एसएसपी प्रीतिंदर सिंह से वार्ता की और तुरंत आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त काररवाई करने का आदेश दिया.

उन्होंने दुखी परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और 5 लाख रुपए आर्थिक मदद देने की घोषणा की. उन्होंने कहा, ‘सरकार इस प्रकरण की फास्टट्रैक कोर्ट में सुनवाई करा कर अपराधियों को जल्द सजा दिलाएगी.’

मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई तो प्रशासन एक पैर पर दौड़ने लगा. आननफानन में 3 डाक्टरों का पैनल गठित किया गया और शव का पोस्टमार्टम कराया गया. मासूम के शव का परीक्षण करते समय पोस्टमार्टम करने वाली टीम के हाथ भी कांप उठे थे. मासूम के पेट के अंदर कोई अंग था ही नहीं. दिल, फेफड़े, लीवर, आंतें, किडनी, स्पलीन और इन अंगों को आपस में जोड़े रखने वाली मेंब्रेन तक गायब थी. मासूम के निजी अंगों में चोट के निशान थे, जिस से दुष्कर्म की पुष्टि हुई थी.

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मासूम के पेट में कुछ था या नहीं, आंतें गायब होने से इस की पुष्टि नहीं हो सकी. पोस्टमार्टम के बाद श्रेया का शव उस के पिता करन कुरील को सौंप दिया गया.

इधर रात 10 बजे एसडीएम (नर्वल) रिजवाना शाहीद के साथ नवनिर्वाचित विधायक (घाटमपुर क्षेत्र) उपेंद्र पासवान भदरस गांव पहुंचे और मृतका श्रेया के पिता करन कुरील को 5 लाख रुपए का चैक सौंपा. उन्हें 2 बीघा कृषि भूमि का पट्टा दिलाने का भी भरोसा दिया गया.

चैक लेते समय करन व उन की पत्नी माया की आंखों में आंसू थे. उन्होंने नर पिशाचों को जल्द गिरफ्तार करने की मांग की.

चूंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले को वर्क आउट करने में देरी पर नाराजगी जताई थी, इसलिए एसएसपी प्रीतिंदर सिंह व एसपी (ग्रामीण) बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने थाना घाटमपुर में डेरा डाल दिया और डीएसपी रवि कुमार सिंह के निर्देशन में खुलासे के लिए पुलिस टीम गठित कर दी.

इस टीम ने भदरस गांव पहुंच कर अनेक लोगों से गहन पूछताछ की. गांव के एक झोलाछाप डाक्टर ने गांव के गोंगा के मझले बेटे अंकुल कुरील पर शक जताया. पड़ोसी परिवार की एक बच्ची ने भी बताया कि शाम को उस ने श्रेया को अंकुल के साथ जाते हुए देखा था.

अंकुल कुरील पुलिस की रडार पर आया तो पुलिस टीम ने उसे घर से उठा लिया. उस समय वह ज्यादा नशे में था. उसे थाना घाटमपुर लाया गया. उस से कई घंटे तक पूछताछ की लेकिन अंकुल नहीं टूटा.

आधी रात के बाद जब नशा कम हुआ तब उस से सख्ती के साथ दूसरे राउंड की पूछताछ की गई. इस बार वह पुलिस की सख्ती से टूट गया और मासूम श्रेया की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया.

अंकुल ने जो बताया उस से पुलिस अधिकारियों के रोंगटे खड़े हो गए और मामला ही पलट गया. अंकुल ने बताया कि उस के चाचा परशुराम व चाची सुनयना ने 1500 रुपए में मासूम बच्ची का कलेजा लाने की सुपारी दी थी.

उस के बाद उस ने अपने दोस्त वीरन के साथ मिल कर करन की बेटी श्रेया को पटाखा देने के बहाने फुसलाया. उसे वह गांव से एक किलोमीटर दूर भद्रकाली मंदिर के पास ले गए. वहां दोनों ने उस के साथ दुराचार किया फिर अंगौछे से उस का गला घोंट दिया.

उस के बाद चाकू से उस का पेट चीर कर अंगों को निकाल लिया गया. उस ने कलेजा पौलीथिन में रख कर चाची सुनयना को ला कर दिया. सुनयना और परशुराम ने कलेजे के 2 टुकड़े किए और कच्चा ही खा गए. ऐसा उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए किया था.

बच्चे के लिए बच्ची की बली- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

इस के बाद वादे के मुताबिक चाची ने 500 रुपए मुझे तथा हजार रुपए वीरन को दिए, फिर हम लोग घर चले गए.

16 नवंबर, 2020 की सुबह 7 बजे पुलिस टीम ने पहले वीरन फिर परशुराम तथा उस की पत्नी सुनयना को गिरफ्तार कर लिया. सुनयना के घर से पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त अंगौछा तथा 2 चाकू बरामद कर लिए. चाकू को सुनयना ने भूसे के ढेर में छिपा दिया था.

उन तीनों को थाने लाया गया. यहां तीनों की मुलाकात हवालात में बंद अंकुल से हुई तो वे समझ गए कि अब झूठ बोलने से कोई फायदा नहीं है. अत: उन तीनों ने भी पूछताछ में सहज ही श्रेया की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

पुलिस ने जब परशुराम कुरील से कलेजा खाने की वजह पूछी तो उस के चेहरे पर पश्चाताप की जरा भी झलक नहीं थी. उस ने कहा कि सभी जानते हैं कि किसी बच्ची का कलेजा खाने से निसंतानों के बच्चे हो जाते हैं. वह भी निसंतान था. उस ने बच्चा पाने की चाहत में कलेजा खाया था.

चूंकि सभी ने जुर्म कबूल कर लिया था और आलाकत्ल भी बरामद करा दिया था. अत: थानाप्रभारी राजीव सिंह ने मृतका के पिता करन कुरील की तहरीर पर भादंवि की धारा 302/201/120बी के तहत अंकुल, वीरन, परशुराम व सुनयना के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली और सभी को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

अंकुल व वीरन के खिलाफ दुराचार तथा पोक्सो एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया. पुलिस जांच में एक ऐसे दंपति की कहानी प्रकाश में आई, जिस ने अंधविश्वास में पड़ कर संतान पाने की चाह में एक मासूम के कलेजे की सुपारी दी और उसे खा भी लिया.

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर से करीब 40 किलोमीटर दूर एक बड़ा कस्बा है घाटमपुर. इस कस्बे से कुछ दूरी पर स्थित है-भदरस गांव. परशुराम कुरील इसी दलित बाहुल्य इस गांव में रहता था. लगभग 10 साल पहले उस की शादी सुनयना के साथ हुई थी. परशुराम के पास कृषि भूमि नाममात्र की थी. वह साबुन का व्यवसाय करता था. वह गांव कस्बे में फेरी लगा कर साबुन बेचता था. इसी व्यवसाय से वह अपने घर का खर्च चलाता था.

भदरस और उस के आसपास के गांव में अंधविश्वास की बेल खूब फलतीफूलती है. जिस का फायदा ढोंगी तांत्रिक उठाते हैं. भदरस गांव भी तांत्रिकों के मकड़जाल में फंसा है. यहां घरघर कोई न कोई तांत्रिक पैठ बनाए हुए है.

बीमारी में तांत्रिक अस्पताल नहीं मुर्गे की बलि, पैसा कमाने को मेहनत नहीं, बकरे की बलि, दुश्मन को ठिकाने लगाने के लिए शराब और बकरे की बलि, संतान के लिए नरबलि की सलाह देते हैं.

इन तांत्रिकों पर पुलिस भी काररवाई से बचती है. कोई जघन्य कांड होने पर ही पुलिस जागती है.

परशुराम और उस की पत्नी सुनयना भी तांत्रिकों के मकड़जाल में फंसे हुए थे. महीने में एक या दो बार उन के घर तंत्रमंत्र व पूजापाठ करने कोई न कोई तांत्रिक आता रहता था.

दरअसल, सुनयना की शादी को 10 वर्ष से अधिक का समय बीत गया था. लेकिन उस की गोद सूनी थी. पहले तो उस ने इलाज पर खूब पैसा खर्च किया. लेकिन जब सफलता नहीं मिली तो वह अंधविश्वास में उलझ गई और तांत्रिकों व मौलवियों के यहां माथा टेकने लगी.

तांत्रिक उसे मूर्ख बना कर पैसे ऐंठते. धीरेधीरे 5 साल और बीत गए. लेकिन सुनयना की गोद सूनी की सूनी रही.

सुनयना की जातिबिरादरी के लोग उसे बांझ समझने लगे थे और उस का सामाजिक बहिष्कार करने लगे थे. समाज का कोई भी व्यक्ति परशुराम को सामाजिक काम में नहीं बुलाता था. कोई भी औरत अपने बच्चे को उस की गोद में नहीं देती थी. क्योंकि उसे जादूटोना करने का शक रहता था.

परिवार के लोग उसे अपने बच्चे के जन्मदिन, मुंडन आदि में भी नहीं बुलाते थे, जिस से उसे सामाजिक पीड़ा होती थी. सामाजिक अवहेलना से सुनयना टूट जरूर गई थी, लेकिन उस ने हिम्मत नहीं हारी थी. 10 सालों से उस का तांत्रिकों के पास आनाजाना बना हुआ था. एक रोज वह विधनू कस्बा के एक तांत्रिक के पास गई और उसे अपनी पीड़ा बताई.

तांत्रिक ने उसे आश्वासन दिया कि वह अब भी मां बन सकती है, यदि वह उपाय कर सके.

‘‘कौन सा उपाय?’’ सुनयना ने उत्सुकता से पूछा.

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‘‘यही कि तुम्हें दीपावली की रात 10 साल से कम उम्र की एक बालिका की पूजापाठ कर बलि देनी होगी. फिर उस का कलेजा निकाल कर पतिपत्नी को आधाआधा खाना होगा. बलि देने तथा कलेजारूपी प्रसाद चखने से मां काली प्रसन्न होंगी और तुम्हें संतान प्राप्ति होगी.’’

‘‘ठीक है बाबा. मैं उपाय करने का प्रयत्न करूंगी. अपने पति से भी रायमशविरा करूंगी.’’ सुनयना ने तांत्रिक से कहा.

उन्हीं दिनों परशुराम के हाथ ‘कलकत्ता का काला जादू’ नामक तंत्रमंत्र की एक पुस्तक हाथ लगी. इस किताब में भी संतान प्राप्ति के लिए उपाय लिखा था और मासूम बालिका का कलेजा कच्चा खाने का जिक्र किया गया था.

परशुराम ने यह बात पत्नी सुनयना को बताई तो वह बोली, ‘‘विधनू के तांत्रिक ने भी उसे ऐसा ही उपाय करने को कहा था.’’

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बच्चे के लिए बच्ची की बली- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

अब परशुराम और सुनयना के मन में यह अंधविश्वास घर कर गया कि मासूम बालिका का कच्चा कलेजा खाने से उन को संतान हो सकती है. इस पर उन्होंने गंभीरता से सोचना शुरू किया तो उन्हें लगा अंकुल उन की मदद कर सकता है.

अंकुल, परशुराम के बड़े भाई गोंगा कुरील का बेटा था. 3 भाइयों में वह मंझला था. वह नशेबाज और निर्दयी था, गंजेड़ी भी. अपने भाईबहनों के साथ मारपीट और हंगामा भी करता रहता था.

अपने स्वार्थ के लिए परशुराम ने भतीजे अंकुल को मोहरा बनाया. अब वह उसे घर बुलाने लगा और मुफ्त में शराब पिलाने लगा. गांजा फूंकने को पैसे भी देता. अंकुल जब हां में हां मिलाने लगा तब एक रोज सुनयना ने उस से कहा, ‘‘अंकुल, तुम्हें तो पता ही है कि हमारे पास बच्चा नहीं है. लेकिन तुम चाहो तो मैं मां बन सकती हूं.’’

‘‘वह कैसे चाची?’’

‘‘इस के लिए तुम्हें मेरा एक काम करना होगा. आने वाली दीपावली की रात तुम्हें किसी बच्ची का कलेजा ला कर देना होगा. देखो ‘न’ मत करना. यदि तुम मेरा काम कर दोगे तो हमारे घर में खुशी आ सकती है.’’

‘‘ठीक है चाची, मैं तुम्हारे लिए यह काम कर दूंगा.’’

अंकुल राजी हो गया तो उन लोगों ने मासूम बच्ची पर मंथन किया. मंथन करतेकरते उन के सामने भूरी का चेहरा आ गया. श्रेया उर्फ भूरी करन कुरील की बेटी थी. उस की उम्र 7 साल थी. करन परशुराम के घर के समीप रहता था. उस की 3 बेटियों में श्रेया दूसरे नंबर की थी. वह कक्षा 2 में पढ़ती थी. करन किसान था. उसी से जीविका चलाता था.

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वीरन कुरील अंकुल का दोस्त था. पारिवारिक रिश्ते में वह उस का भाई था. वीरन भी नशेड़ी था, सो उस की अंकुल से खूब पटती थी. अंकुल ने वीरन को सारी बात बताई और अपने साथ मिला लिया था. अब अंकुल के साथ वीरन भी परशुराम के घर जाने लगा और नशेबाजी करने लगा.

14 नवंबर, 2020 को दीपावली थी. अंकुल और वीरन शाम 5 बजे परशुराम के घर पहुंच गए. परशुराम ने दोनों को खूब शराब पिलाई. सुनयना ने दोनों को कलेजा लाने की एवज में 1500 रुपए देने का भरोसा दिया.

इस के बाद उस ने अंकुल व वीरन को गोश्त काटने वाले 2 चाकू दिए. इन चाकुओं को पत्थर पर घिस कर दोनों ने धार बनाई. सुनयना ने लाल रंग से भरी एक डब्बी अंकुल को दी और कुछ आवश्यक निर्देश दिए.

शाम 6 बजे अंकुल और वीरन, परशुराम के घर से निकले. तब तक अंधेरा घिर चुका था. वे दोनों जब करन के घर के सामने आए तो उन की निगाह मासूम श्रेया पर पड़ी. वह नए कपड़े पहने पेड़ के नीचे एक बच्ची के साथ खेल रही थी. अंकुल ने भूरी को बुलाया और पटाखों का लालच दिया.

भूरी पर मौत का साया मंडरा रहा था. वह मान गई और अंकुल के साथ चल दी. दोनों भूरी को ले कर गांव के बाहर आए और फिर भद्रकाली मंदिर की ओर चल पड़े. श्रेया को आशंका हुई तो उस ने पूछा, ‘‘भैया, कहां ले जा रहे हो?’’ यह सुनते ही अंकुल ने उस का मुंह दबा दिया और वीरन ने चाकू चुभो कर उसे डराया, जिस से उस की घिग्घी बंध गई.

फिर वे दोनों भूरी को भद्रकाली मंदिर के पास ले गए और नीम के पेड़ के नीचे पटक दिया. उन दोनों ने श्रेया उर्फ भूरी के शरीर से कपड़े अलग किए तो उन के अंदर का शैतान जाग उठा. उन्होंने बारीबारी से उस के साथ दुराचार किया. इस बीच मासूम चीखी तो उन्होंने अंगौछे से उस का गला कस दिया, जिस से उस की मौत हो गई.

इस के बाद सुनयना के निर्देशानुसार अंकुल ने श्रेया के पैरों में लाल रंग लगाया तथा माथे पर टीका किया. फिर चाकू से उस का पेट चीर डाला. अंदर से अंग काट कर निकाल लिए और कलेजा पौलीथिन में रख कर वहां से निकल लिए. रास्ते में पानी भरे एक गड्ढे में बाकी अंग फेंक दिए और कलेजा ला कर परशुराम को दे दिया.

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परशुराम ने कलेजे को शराब से धोया फिर चाकू से उस के 2 टुकड़े किए. उस ने एक टुकड़ा स्वयं खा लिया तथा दूसरा टुकड़ा पत्नी सुनयना को खिला दिया. सुनयना ने खुश हो कर 500 रुपए अंकुल को और 1000 रुपए वीरन को दिए. उस के बाद वे दोनों अपनेअपने घर चले गए.

इधर दीया जलाते समय करन को श्रेया नहीं दिखी तो उस ने खोज शुरू की. करन व उस की पत्नी माया रात भर बेटी की खोज करते रहे. लेकिन उस का कुछ भी पता नहीं चला. सुबह गांव के कुछ लोगों ने उसे बेटी की हत्या की जानकारी दी. तब वह वहां पहुंचा. इसी बीच किसी ने घटना की जानकारी थाना घाटमपुर पुलिस को दे दी थी.

17 नवंबर, 2020 को पुलिस ने अभियुक्त अंकुल, वीरन, परशुराम व सुनयना को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन चारों को जिला जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

रिश्वतखोरी की दुकान में जान की कीमत – भाग 1

सौजन्य : सत्यकथा

उत्तर प्रदेश का महोबा शहर कई मायनों में पूरे भारत में चर्चित है. यह शहर जहां वीर योद्धा आल्हाऊदल की कर्मभूमि रहा, जिन्होंने अपनी वीरता से 52 किलों को फतह किया था, तो दूसरी तरफ यह शहर प्राकृतिक संपदा से भी परिपूर्ण है. यहां के पहाड़ों से निकला ग्रेनाइट पत्थर दूरदूर तक प्रसिद्ध है. महोबा जिले का मुख्य व्यवसाय पत्थर गिट्टी है. जो सड़क व भवन निर्माण में काम आता है.

महोबा जिले का एक व्यवसायिक कस्बा है कबरई. इस कस्बे को स्टोन सिटी के नाम से भी जाना जाता है. कस्बे के बाहर दर्जनों क्रशर कारखाने हैं, जहां पत्थर से गिट्टी बनाई जाती है. पहाड़ तोड़ने का ठेका लेने वाले ठेकेदारों और क्रशर संचालकों का पुलिस के साथ चोलीदामन का साथ रहता है.

क्रशर संचालकों की कई कमजोरियां है. पुलिस इन का भरपूर फायदा उठाती है. कबरई की पत्थर मंडी और क्रशर कारखाने पूरे प्रदेश में अव्वल माने जाते हैं.

कबरई मंडी से रोजाना पूरे प्रदेश के विभिन्न शहरों में गिट्टी के सैकड़ों ट्रक जाते है. गिट्टी की रायल्टी दर 160 रुपया घन मीटर है. क्रशर संचालकों की पुलिस से सांठगांठ इसलिए मजबूरी है कि ट्रक में 12 से 14 घन मीटर तक की गिट्टी भरने का खन्ना जारी होता है, जबकि ट्रकों में इस से 2 गुना 30 घन मीटर तक गिट्टी लोड की जाती है. ऐसे में पुलिस ओवरलोड ट्रकों को रोक कर चालान कर सकती है, जो होते नहीं हैं, पैसे से काम चल जाता है.

अधिकांश क्रशर संचालक ही पहाड़ों के पट्टे लेते हैं. पहाड़ों में चट्टान तोड़ने के लिए विस्फोट का लाइसैंस कम क्षमता का होता है, लेकिन विस्फोट कई गुना ज्यादा करते हैं.

अकसर पहाड़ों में काम करने वाले मजदूर घायल या मौत के शिकार हो जाते हैं. ऐसे में मजदूर और बस्तियों के बाशिंदे हंगामा करते हैं. इस संकट में पुलिस ही क्रशर संचालकों की मदद करती है. फरजी खन्नों से भी पत्थर गिट्टी की ढुलाई होती है. खफा होने पर पुलिस फरजी खन्ने फाड़ कर चालान कर देती है.

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इंद्रकांत त्रिपाठी इसी कबरई कस्बे के जवाहर नगर मोहल्ले में परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी रंजना के अलावा बेटा कृष्णा तथा बेटी गुनगुन थी. इंद्रकांत त्रिपाठी क्रशर संचालक थे. उन की कंपनी आरजेएस ग्रेनाइट नाम से थी.

वह गिट्टीपत्थर के बड़े व्यवसाई थे. उन के पास विस्फोटक व मैगजीन का लाइसैंस था. उन के 2 अन्य भाई रविकांत व विजयकांत भी इसी व्यवसाय से जुड़े थे. कबरई पत्थर मंडी में इंद्रकांत की अच्छी प्रतिष्ठा थी.

इंद्रकांत त्रिपाठी पत्थरगिट्टी के बड़े सप्लायर थे. बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे निर्माण में उन के 4 दरजन से अधिक ट्रक गिट्टी सप्लाई में लगे थे. उन का कारोबार वैसे तो ठीक से चल रहा था, लेकिन जब से मणिलाल पाटीदार ने महोबा के एसपी का चार्ज संभाला था, तब से कारोबार में परेशानियां बढ़ने लगी थीं. एसपी मणिलाल पाटीदार ने रिश्वत की रकम में बढ़ोत्तरी कर दी थी और रकम न देने पर ट्रकों का चालान करवाने लगे थे.

एक रोज एसपी मणिलाल पाटीदार ने कबरई थानाप्रभारी देवेंद्र शुक्ल के मार्फत इंद्रकांत के पार्टनर बालकिशोर द्विवेदी व पुरुषोत्तम सोनी को थाना कबरई बुलाया और कहा कि यदि कारोबार करना है तो 6 लाख रुपया प्रतिमाह देना होगा अन्यथा जेल जाओगे.

जेल जाने के भय से दोनों पार्टनर डर गए और सारी बात इंद्रकांत त्रिपाठी को बताई. इस के बाद इंद्रकांत त्रिपाठी ने एसपी मणिलाल पाटीदार से मुलाकात की और बताया कि लौकडाउन में पत्थरमंडी बंद पड़ी है. कारोबार में घाटा हो रहा है. ऐसे में व्यवस्था नहीं हो सकती.

यह सुनते ही पाटीदार नाराज हो कर बोले, ‘‘व्यवस्था नहीं होगी तो जेल जाओगे. मुझे सब पता है. तुम्हारी 50 गाडि़यां है. गाडि़यां चलानी हैं तो हर माह रकम देनी होगी.’’

पुलिस कप्तान की धमकी से इंद्रकांत घबरा गए. उन्होंने भयवश जून व जुलाई 2020 में मणिलाल पाटीदार को 6-6 लाख रुपए भिजवा दिए. इस के बाद उन्होंने पूर्व विधायक (चरखारी) बृजभूषण को अपनी व्यथा बताई और कप्तान की ज्यादतियों की शिकायत की. उन्होंने कहा कि उस की शिकायत शासन स्तर पर की गई है. काररवाई का इंतजार है.

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अगस्त माह में जब इंद्रकांत त्रिपाठी से पुन: रिश्वत का 6 लाख रुपया मांगा गया तो वह परेशान हो उठे. उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि कारोबार ठप होने से वह पैसा नहीं दे पाएंगे. तब उन्हें एसपी की तरफ से धमकी दी गई कि फरजी मामलों में फंसा कर उन्हें जेल भेज दिया जाएगा. यही नहीं उन्हें हत्या तक की धमकी दी गई.

आखिर पुलिस कप्तान पाटीदार की धमकियों से आजिज आ कर 7 सितंबर को इंद्रकांत ने एसपी मणिलाल पाटीदार के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल कर दिया. साथ ही प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री तथा जिलाधिकारी को भी शिकायती पत्र भेज दिए.

वायरल वीडियो में इंद्रकांत ने एसपी पर 6 लाख रुपया प्रतिमाह उगाही का आरोप लगाया. साथ ही कहा कि अगर उन की हत्या होती है तो इस के जिम्मेदार एसपी पाटीदार होंगे.

7 सितंबर को ही इंद्रकांत ने एक फेसबुक पोस्ट भी लिखी, जिस में उन्होंने लिखा, ‘मेरे प्रिय मित्रों व मेरे प्रिय आदरणीय जनों, हो सकता है मैं कल आप सब के बीच न रहूं, क्योंकि एसपी महोबा किसी भी वक्त मेरी हत्या करवा सकते हैं. वह मुझ से 6 लाख रुपया प्रतिमाह की मांग कर रहे हैं. जिसे मैं देने में असमर्थ हूं.’

रिश्वतखोरी की दुकान में जान की कीमत – भाग 2

सौजन्य : सत्यकथा

सोशल मीडिया पर इंद्रकांत का वीडियो वायरल हुआ तो एसपी मणिलाल पाटीदार का पारा चढ़ गया, उन्होंने आननफानन में प्रैसवार्ता की और बताया कि इंद्रकांत त्रिपाठी जुआ व सट्टे का बड़ा व्यापारी है.

उस का नाम ग्राम रिवई में पकड़े गए जुए में आया था. काररवाई से बचने के लिए वीडियो वायरल कर अनर्गल आरोप लगा रहा है. इसी के साथ उन्होंने जिले के थानेदारों को इंद्रकांत की खोज में लगा दिया.

इंद्रकांत त्रिपाठी को भय था कि पुलिस कप्तान कुछ भी करा सकते हैं. अत: वह बांदा की ओर निकल गए. दूसरे दिन सुबह उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट लिखी, जिस में उन्होंने लिखा, ‘प्रिय पत्रकार बंधुओं, मैं कल यानी 9 सितंबर को एक प्रैसवार्ता करने जा रहा हूं, जिस का स्थान मेरा क्रशर यानी आरजेएस ग्रेनाइट होगा.

समय सुबह 11 बजे. कप्तान मणिलाल पाटीदार, कबरई थाना इंचार्ज देवेंद्र शुक्ला, खन्ना थाना इंचार्ज राकेश कुमार सरोज, खरेला इंसपेक्टर राजू सिंह तथा सिपाही अरुण कुमार के भ्रष्टाचार के एकएक सबूत दिए जाएंगे.’

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दोपहर बाद इंद्रकांत त्रिपाठी अपनी औडी कार से बांदा से कबरई के लिए रवाना हुए. जब वह बधवाखेड़ा गांव के पास पहुंचे, तभी उन्हें गोली मार दी गई. गोली उन के गले में लगी, जिस से उन की गाड़ी एक पत्थर से टकरा कर झाडि़यों में पलट गई. घायल अवस्था में ही उन्होंने मोबाइल फोन पर यह सूचना अपने मित्र सत्यम को दी.

सूचना पाते ही सत्यम अपने पिता अर्जुन के साथ अपनी कार से बंधवाखेड़ा गांव पहुंचा और खून से लथपथ इंद्रकांत को महोबा के जिला अस्पताल पहुंचाया. इस के बाद सत्यम ने यहसूचना इंद्रकांत के घर वालों को दी.

इंद्रकांत को गोली लगने की खबर घर वालों को मिली तो सब घबरा गए. इंद्रकांत की पत्नी रंजना, भाई रविकांत, विजयकांत तथा दर्जनों मित्र अस्पताल पहुंच गए. पति की नाजुक हालत देख कर रंजना फफक पड़ी. चूंकि इंद्रकांत की हालत गंभीर थी. अत: घर वाले उन्हें कानपुर ले आए और सर्वोदय नगर स्थित रीजेंसी अस्पताल में भरती करा दिया.

इधर गोलीकांड की सूचना पुलिस प्रशासन को लगी तो सनसनी फैल गई. थानाप्रभारी (कबरई) देवेंद्र शुक्ला, एएसपी विनोद कुमार तथा डीएसपी राजकुमार पांडेय घटनास्थल पर पहुंचे और बारीकी से निरीक्षण किया.

कुछ देर बाद आईजीपी (चित्रकूटधाम मंडल) के. सत्यनारायण तथा एडीजी (प्रयागराज) प्रेमप्रकाश ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा घरवालों से जानकारी हासिल की.

इंद्रकांत के भाई रविकांत ने पुलिस अधिकारियों के समक्ष कहा कि उन के भाई पर जानलेवा हमला पुलिस कप्तान मणिलाल पाटीदार तथा कबरई के थानाप्रभारी देवेंद्र शुक्ला ने कराया है.

इस षडयंत्र में विस्फोटक सप्लायर सुरेश सोनी तथा बृहम दत्त भी शामिल हैं. रविकांत ने कई अन्य पुलिसकर्मियों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए तथा रिपोर्ट दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करने की गुहार लगाई.

क्रशर व्यापारी गोलीकांड की गूंज लखनऊ तक पहुंची तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत काररवाई करते हुए एसपी मणिलाल पाटीदार को निलंबित कर दिया तथा उन के स्थान पर नए एसपी अरुण कुमार श्रीवास्तव को नियुक्त कर दिया. अरुण कुमार ने पद संभालते ही भ्रष्टाचार में लिप्त कबरई थानाप्रभारी देवेंद्र शुक्ला, थाना खन्ना के इंसपेक्टर राकेश कुमार सरोज, खरेला के थानाप्रभारी राजू सिंह तथा सिपाही अरुण यादव व राजकुमार को निलंबित कर दिया.

दोनों सिपाही पुलिस अधिकारियों के खासमखास थे. क्रशर व्यापारियों से डीलिंग और पैसा वसूलने में इन की अहम भूमिका थी.

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11 सितंबर, 2020 को रविकांत त्रिपाठी की तहरीर पर थाना कबरई पुलिस ने भादंवि की धारा 307/120बी/387 के तहत निलंबित एसपी मणिलाल पाटीदार, निलंबित थानाप्रभारी देवेंद्र शुक्ला तथा विस्फोटक सप्लायर बृहम दत्त व सुरेश सोनी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया. जांच डीएसपी राजकुमार पांडेय को सौंपी गई.

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