‘‘वाह रे नव्या, तेरी तो लौटरी लग गई. विपुल सर के घर… डाउट क्लियर… मौजां ही मौजां…’’ सुहानी ने नव्या को छेड़ा. नव्या ने भी उसे आंख मार दी.स्कूल के बाद नव्या धड़कते दिल से गेट के बाहर निकली. कुछ दूर चलने पर ही विपुल सर की कार दिखाई दी. नव्या कार के नजदीक पहुंची, तो सर ने आगे का गेट खोल दिया. नव्या तुरंत गाड़ी में बैठ गई.‘‘तुम रिलैक्स हो न नव्या?’’ विपुल सर ने पूछा.‘‘जी सर…’’
नव्या ने बैग पीछे रखते हुए कहा.‘‘सो स्वीट,’’
विपुल सर ने कहा और उस की जांघों को सहला दिया. नव्या का शरीर कंपकंपा गया.‘‘मैं तुम्हें बहुत दिनों से नोटिस कर रहा था,’’ विपुल सर ने कहा.‘‘क्या सर?’’
नव्या ने डर के लहजे में पूछा.‘‘क्या तुम नहीं जानती?’’ विपुल सर ने सवाल किया.
‘‘जी सर, आप मुझे बहुत अच्छे लगते हैं,’’ नव्या ने दिल खोला.
‘‘अच्छा… कितना अच्छा लगता हूं?’’ विपुल सर ने बात को आगे बढ़ाया.
‘‘सब से अच्छे, इतने अच्छे, इतने अच्छे कि ऐसा लगता है कि…’’
नव्या ने बात अधूरी छोड़ दी.‘‘कितने अच्छे, अब बता भी दो.
यहां तो कोई नहीं हम दोनों के अलावा,’’ विपुल सर ने सुलगती आग को हवा देना शुरू किया.‘‘सर…’’
कह कर नव्या ने उन की जांघों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया. विपुल सर ने नव्या का हाथ कस कर पकड़ लिया और कहा, ‘‘तुम्हारी बेचैनी मैं समझ रहा हूं. सब्र करो, बस घर पहुंचने ही वाले हैं, फिर तुम्हारे इस प्यारे से शरीर को बहुत प्यार करूंगा.’’
‘‘ओह सर, आई लव यू सर…’’ कहते हुए नव्या ने उन के गालों को चूम लिया.गाड़ी पार्क कर के विपुल सर नव्या को घर के भीतर ले आए.
दरवाजा बंद कर दिया और पलटते ही नव्या को बांहों में भर कर उस के होंठों को अपने होंठों में भर लिया. नव्या तो पहले ही बेकाबू हो चुकी थी. उसे तो बस आज अपने शरीर की भूख मिटानी थी, जो उसे भीतर ही भीतर खा रही थी. विपुल सर ने नव्या को गोद में उठा लिया और बैडरूम में ले जा कर बिस्तर पर लिटा दिया. नव्या बदहवास हो रही थी. उस ने विपुल सर को पकड़ कर अपने शरीर पर गिरा लिया और बेतहाशा चूमने लगी. विपुल सर के हाथ उस के उभारों पर थे, जिन्हें वह कस कर भींच रहे थे. नव्या को एक मीठामीठा दर्द हो रहा था. उस की सिसकारियां निकलने लगीं.
विपुल सर को तो कोरा बदन मिला था, सो वे भी उस का पूरा मजा लेना चाहते थे. उन्होंने नव्या की कमीज उतार दी. उस के बेदाग, गदराए उभार देखते ही वे पूरी तरह बहक गए. नव्या के अंगों से खेलते हुए उन्होंने कुछ ही देर में उस के सारे कपड़े उतार दिए.नव्या ने उन्हें कस कर पकड़ रखा था मानो वह तो यही चाहती थी. कुछ ही देर में नव्या की सिसकारियों से कमरा गूंज उठा.
नव्या का कुंआरापन भंग हो चुका था, लेकिन नव्या इस से बेफिक्र सैक्स के सागर में गोते लगा रही थी.थोड़ी देर में सबकुछ शांत हो गया.
नव्या कपड़े पहनने लगी. हालांकि, उसे बड़ा दर्द हो रहा था. विपुल सर ने जल्दी से दूसरी चादर बिछा दी और बोले, ‘‘नव्या, तुम ठीक हो न?’’‘‘जी सर.’’‘‘तो फिर अब क्या इरादा है?’’
‘‘क्या मतलब सर?’’‘‘अब दोबारा कब?’’‘‘जब आप कहें…’’‘‘कल?’’
‘‘आप की वाइफ…’’‘‘वह हफ्तेभर के लिए गई है.’’
‘‘फिर तो ठीक है.’’
‘‘चलो, तुम्हें बस स्टौप तक छोड़ दूं…’’
विपुल सर ने नव्या को सीने से कस कर लगाते हुए कहा.‘‘लव यू सर.’’‘‘लव यू टू, माय स्वीटी…’’ कहते हुए विपुल सर ने उस के होंठों को चूम लिया, फिर उसे बस स्टौप तक छोड़ आए.नव्या घर पहुंची, पर सैक्स से अभी उस का मन नहीं भरा था. उस का बस चलता तो वह घर आती ही नहीं. विपुल सर की वाइफ के न होने का वह भरपूर फायदा उठाना चाहती थी.‘‘बहुत थकी हुई लग रही है तू, ऐक्स्ट्रा क्लास के बारे में तू ने सुबह तो कुछ नहीं बताया था…’’ मम्मी ने कहा.‘‘मम्मी, ऐक्स्ट्रा क्लास अचानक ही अनाउंस हो गई.
अब रोज रहेगी. मैं रोज ही देर से आऊंगी,’’ नव्या ने लगे हाथ आगे का रास्ता साफ कर लिया.अगला पूरा हफ्ता नव्या और विपुल सर ने सैक्स का भरपूर मजा लिया.‘‘नव्या, कल मेरी वाइफ वापस आ रही है.’’‘‘ओह सर, फिर अब क्या करेंगे?’’‘‘यही मैं भी सोच रहा हूं.’’‘‘सर, कोई रास्ता तो निकालना होगा, अब तो मैं…’’‘‘जानता हूं, मेरी भी वही हालत है.’’‘‘तो फिर कुछ करिए न.’’
‘‘एक रास्ता है, अगर तुम तैयार हो जाओ तो…’’‘‘कौन सा रास्ता?’’‘‘मेरा एक दोस्त है. उस की वाइफ डिलीवरी के लिए मायके गई हुई है एक महीने के लिए, उस के घर इंतजाम हो सकता है, लेकिन…’’‘‘लेकिन, क्या सर?’’‘‘अब देखो नव्या, हम किसी से मदद लेना चाहते हैं, तो उसे कुछ देना भी होगा.’’‘‘क्या देना होगा?’’ नव्या ने बात समझते हुए कहा.‘‘कभीकभी वह भी तुम्हारे साथ…’’‘‘हां तो नो प्रौब्लम सर. आप के साथ के लिए इतना सैक्रिफाइस तो कर ही सकती हूं.’’‘‘तो फिर कल से गिरीश के घर.’’‘‘ओके सर,’’ दरअसल, नव्या को अब सैक्स का चसका लग चुका था.
उसे एक से ज्यादा मर्दों से संबंध बनाने से कोई परहेज नहीं था और इन शादीशुदा मर्दों को मुंह का जायका बदलने के लिए गरम और कम उम्र की चिडि़या मिल गई थी.अब तो नव्या का हर रोज सैक्स करने का सिलसिला चल निकला. स्कूल से अब कालेज में आ गई थी वह. अपनी अदाओं से नित नए मुरगे फंसाने का हुनर भी आ गया था.‘‘नव्या सुन, आज रोहित आ रहा है, उस की मीटिंग है यहां, शायद 2-4 दिन रुके. रमा बोल रही थी कि वह होटल में रुक जाएगा, लेकिन मैं ने कहा कि मौसी का घर होते हुए होटल में क्यों रुके, इसलिए मैं ने उसे यहीं बुला लिया है. ‘‘तू अपना कमरा उसे सोने के लिए दे देना.
तू मेरे साथ सो जाना. पापा बैठक में सोफे पर सो जाएंगे. ठीक है न?’’ तनुजा ने नव्या से कहा.‘‘अरे यार मम्मी, आप भी न…’’‘‘क्या आप भी, मौसेरा भाई है वह तेरा. 1-2 दिन एडजस्ट नहीं कर सकती क्या?’’‘‘ठीक है बाबा, कर लूंगी एडजस्ट.’’अगले दिन सुबह ही रोहित आ गया. काफी समय के बाद नव्या और रोहित मिले थे.‘‘और कैसी है रे तू छुटंकी?’’ रोहित ने हंसते हुए कहा.‘‘अब मैं छुटंकी कहां हूं, देख कितनी बड़ी हो गई…’’ नव्या ने तनते हुए कहा.‘‘हां, वह तो है,’’ रोहित ने उस के शरीर पर निगाह डालते हुए कहा. उस की नजरें नव्या के अंगों के उतारचढ़ाव से हटने को राजी नहीं थीं. बड़ी मुश्किल से खुद पर काबू करते हुए वह बोला, ‘‘और बताओ, आजकल क्या चल रहा है?’’
‘‘सब एकदम बढि़या चल रहा है. तुम सुनाओ, कैसी मीटिंग है तुम्हारी?’’ नव्या ने हिलते हुए कहा.‘‘औफिशियल है. खाली समय में तुम जबलपुर घुमा देना. घुमाओगी या नहीं?’’ रोहित ने नव्या की आंखों में गहरे झांकते हुए कहा.‘‘बिलकुल घुमाएंगे जबलपुर, बदले में क्या दोगे?’’ नव्या ने पूछा.‘‘क्या चाहिए बोलो तो, जो बोलोगी मिल जाएगा,’’ रोहित ने आंख मारते हुए कहा.‘‘अरे, क्या लेनेदेने की बातें हो रही हैं… चल बेटा रोहित, फ्रैश हो ले. मैं नाश्ता लगाती हूं.
नव्या, जरा रोहित को अपना रूम तो दिखा दो,’’ तनुजा ने आ कर कहा.‘‘ओके मम्मी. चलो रोहित, आज से मेरा रूम तुम्हारा है, ऐश करो,’’ नव्या ने हंसते हुए कहा और रोहित को अपने कमरे तक ले आई.‘‘वैलकम इन माय रूम…’’‘‘थैंक्स डियर,’’ कह कर रोहित ने शेकहैंड की मुद्रा में हाथ बढ़ाया.‘‘मोस्ट वैलकम,’’ कह कर नव्या ने अपना हाथ उस के हाथ में दिया, जिसे रोहित ने चूम लिया. नव्या ने मुसकराते हुए उस की इस हरकत का स्वागत किया.नव्या रोहित के इरादे समझ चुकी थी.
उस के लिए तो यह एक बेहतरीन मौका था, घर में ही रात को रंगीन बनाने का.रोहित नाश्ता कर के मीटिंग अटैंड करने चला गया. नव्या भी कालेज चली गई. यह उस का बीए का दूसरा साल था, जहां उस की खुली जिंदगी जीने की चाहत को पंख मिल चुके थे. सैक्स संबंध, ऐयाशी, अमीर मर्दों से महंगे गिफ्ट्स लेना… सबकुछ बड़े मजे से चल रहा था.
शाम को रोहित घर पहुंचा. उस के दिमाग में भी कुछ चल रहा था. नव्या मौसेरी बहन थी, लेकिन उस की दावत देती आंखों ने रोहित का विवेक खत्म कर दिया था. उसे तो बस नव्या का भरा हुआ कसा तन चुंबक की तरह खींच रहा था.‘‘बेटा, कैसी रही तुम्हारी मीटिंग?’’ तनुजा ने पूछा.‘‘बढि़या रही मौसी,’’ रोहित बोला.‘‘चलो, हाथमुंह धो कर रिलैक्स हो जाओ,’’ तनुजा ने कहा.‘‘जी मौसी, नव्या कहां है?’’ रोहित ने पूछा.‘‘वह फ्रैंड की बर्थडे पार्टी में गई है.
आती ही होगी,’’ तनुजा ने बताया.‘‘ओके मौसी, मैं फ्रैश हो कर आता हूं,’’ कह कर रोहित कमरे में चला गया.थोड़ी ही देर में नव्या भी आ गई, ‘‘और जनाब, कैसी रही आप की आज की मीटिंग?’’‘‘बढि़या रही, तुम्हें बहुत ज्यादा मिस कर रहा था.’’‘‘मुझे? वाह…’’‘‘हां नव्या, मैं तुम्हें बहुत मिस कर रहा था. क्या जादू है तुम में, जब से देखा है बस…’’‘‘बस क्या?’’ नव्या इतराते हुए बोली.