प्रदेश के निजी विद्यालय सूचना अधिकार अधिनियम के दायरे में

उत्तर प्रदेश के सभी निजी विद्यालय सूचना अधिकार अधिनियम के दायरे में माने जाएंगी. अब निजी विद्यालय सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत मांगी गयी सूचना देने के लिए बाध्य होंगे. राज्य सूचना आयुक्त श्री प्रमोद कुमार तिवारी ने आज श्री संजय शर्मा बनाम ज0सू0अधिकारी/मुख्य सचिव उ0प्र0 शासन, लखनऊ के विषय में योजित अपील के निस्तारण में यह व्यवस्था दी है. उन्होंने मुख्य सचिव उ0प्र0 शासन को यह संस्तुति की है कि जन सूचनाओं की महत्ता को देखते हुए निजी विद्यालयों प्रबन्धकों को भी जन सूचना अधिकारी घोषित करने की व्यवस्था करें.

उल्लेखनीय है कि अपीलार्थी श्री संजय शर्मा ने ज0सू0अ0/मुख्य सचिव, उ0प्र0 शासन, लखनऊ से लखनऊ के दो प्रतिष्ठित निजी विद्यालयों के विषय में आर0टी0आई0 एक्ट के तहत राज्य सूचना आयोग लखनऊ में द्वितीय अपील योजित की थी. यदि निजी विद्यालयों को विद्यालय की स्थापना हेतु रियायती दरों पर विकास प्राधिकरण द्वारा भूमि उपलब्ध करायी गयी है तो मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा डी0ए0वी0 कालेज ट्रस्ट एण्ड मैनेजमेंट सोसायटी एवं अन्य बनाम डायरेक्टर ऑफ पब्लिक इंन्सट्रक्शन एवं अदर्स में प्रतिपादित विधि अनुसार ऐसे विद्यालय राज्य द्वारा पर्याप्त रूप से वित्त पोषित समझे जायेंगे. उल्लेखनीय है कि निजी विद्यालय सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत इस आधार पर सूचना नहीं देते थे कि वे राज्य द्वारा वित्त पोषित नहीं है एवं वे अधिनियम की परिधि से बाहर हैं.

आयोग ने इस वाद में यह भी प्रतिपादित किया कि वर्ष 2009 में निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के पारित होने के बाद ऐसे समस्त विद्यालय जो उपरोक्त अधिनियम से आच्छादित है, अधिनियम एवं उ0प्र0 निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार नियमावली-2011 के प्रपत्र-1 एवं 2 में वर्णित कतिपय सूचनाएं जिला शिक्षाधिकारी को सूचनाएं देना अपेक्षित है. ऐसी स्थिति में जिला शिक्षाधिकारी उक्त प्रपत्रों में उल्लिखित सूचनाओं को धारित करते हैं, एवं वे प्रपत्रों में वर्णित समस्त सूचनाओं को आर0टी0आई0 एक्ट की धारा-6(1) के तहत मांगे जाने पर याची को देने के लिए बाध्य है.

प्रदेश में 1.15 करोड़ लोगों के पास हैं गोल्‍डन कार्ड

प्रदेश के करोड़ों गरीब परिवारों के लिए राहत भरी खबर है. प्रदेश सरकार 26 जुलाई से आयुष्‍मान भारत योजना के तहत गोल्‍डन कार्ड बनाने के लिए विशेष अभियान चलाने जा रही है.  कोरोना काल के दौरान इलाज में गोल्‍डन कार्ड ने लोगों को काफी राहत दी थी. आयुष्‍मान योजना के तहत अस्‍पतालों में गोल्‍डन कार्ड धारकों को 5 लाख रूपए तक नि:शुल्‍क इलाज की सुविधा दी जाती है.

कोरोना काल के दौरान प्रधानमंत्री जन अरोग्‍य आयुष्‍मान योजना आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के लिए संबल बनी थी. आयुष्‍मान योजना के तहत बने गोल्‍डन कार्ड के जरिए लाखों लोगों को पांच लाख रूपए तक नि:शुल्‍क इलाज की सुविधा दी गई है. गोल्‍डन कार्ड के जरिए लोग सरकारी व सरकार की ओर से अधिकृत निजी अस्‍पताल में अपना नि:शुल्‍क इलाज करा सकते हैं.  इससे पहले 30 अप्रैल तक गोल्‍डन कार्ड बनाए गए थे. प्रदेश सरकार अब फिर से विशेष अभियान चलाकर गोल्‍डन कार्ड बनाने जा रही है. मुख्‍यमंत्री के निर्देश पर 26 जुलाई से प्रदेश भर में आयुष्‍मान योजना के तहत गोल्‍डन कार्ड बनने के लिए जन सुविधा केन्‍द्र या फिर नजदीकी सरकारी अस्‍पताल में जाकर लोग कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं.

यूपी में बने 1.15 करोड़ गोल्‍डन कार्ड

केन्‍द्र सरकार की आयुषमान योजना के तहत प्रदेश में 1 करोड़ 18 लाख गरीब परिवारों को 5 लाख रुपए का चिकित्‍सा बीमा कवर की सुविधा दी जा चुकी है. इसके अलावा आयुष्‍मान योजना से 6 करोड़ 47 लाख लोगों को लाभांवित किया जा चुका है. यूपी में अब तक 1.15 करोड़ गोल्‍डन कार्ड बनाए जा चुके हैं. इसके अलावा मुख्‍यमंत्री जनआरोग्‍य योजना में 42.19 लाख पात्रों को लाभांवित किया जा चुका है.

Manohar Kahaniya: सेक्स रैकेट और बॉलीवुड हसीनाएं

सौजन्य- मनोहर कहानियां

बौलीवुड की तमाम शीर्ष और सफल अभिनेत्रियां कभी न कभी तवायफ या वेश्या के किरदार में जरूर नजर आई हैं. यहां तक कि स्वस्थ पारिवारिक भूमिकाओं के लिए पहचानी जाने वाली जया बच्चन भी इस से अछूती नहीं रह पाईं.

साल 1972 में प्रदर्शित फिल्म ‘बंसी बिरजू’ में वह तवायफ के रोल में नजर आई थीं. इस फिल्म में उन के अपोजिट अमिताभ बच्चन थे, जो उस वक्त फिल्म इंडस्ट्री में जमने के लिए हाथपैर मार रहे थे. ‘बंसी बिरजू’ अच्छे विषय पर आधारित होने के बाद भी चली नहीं और इस के बाद जया बच्चन ने इस शेड को नहीं दोहराया.

तवायफ समाज का जरूरी और महत्त्वपूर्ण हिस्सा शुरू से ही रही है, जिसे फिल्मों में तरहतरह से दिखाया गया है. मीना कुमारी की ‘पाकीजा’ से ले कर रेखा की ‘उमराव जान’ तक फिल्मी तवायफों ने दर्शकों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है.

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रेखा ने तो रिकौर्ड दरजन भर फिल्मों में तवायफ की भूमिका निभाई है. ‘मुकद्दर का सिकंदर’ की जोहरा बाई लोगों के जेहन में लंबे वक्त तक बसी रही थी और नीचे के दर्शकों की पहली पसंद थी. पूजा भट्ट ने ‘सड़क’ फिल्म से वाहवाही बटोरी थी तो अपने करियर के उठाव के दौरान रति अग्निहोत्री ने भी ‘तवायफ’ फिल्म से अपने अभिनय की तारीफ उस समय आम दर्शक से करवा ली थी.

इस सवाल का जबाब ढूंढना बड़ा मुश्किल काम है कि क्यों तवायफ की भूमिका लगभग हर किसी एक्ट्रैस ने निभाई और उस रोल में दर्शकों ने उसे पसंद भी किया. फिर वो विद्या बालन अभिनीत ‘बेगम जान’ हो या फिर शर्मीला टैगोर की ‘आराधना’ हो, जिस में एक तवायफ के अंदर की ममता को दर्शक कभी भूल नहीं पाए.

बात सिर्फ इन मानवीय और स्त्रियोचित संवेदनाओं की ही नहीं है, बल्कि तवायफों की भूमिका से जुड़ा एक दिलचस्प सच यह भी है कि इस में अभिनय प्रतिभा के प्रदर्शन की संभानाएं दूसरी किसी भूमिका से ज्यादा रहती हैं. यानी अभिनय की संपूर्णता इसी से है.

सच जो भी हो, पर हर फिल्म में यह भी दिखाया गया कि कोई भी औरत अपनी मरजी से तवायफ नहीं बनती, बल्कि मर्दों के दबदबे वाला समाज उसे किसी कोठे की जीनत बनने को मजबूर कर देता है या फिर वह सिर्फ पेट पालने या घर की जिम्मेदारियां निभाने के लिए इस घृणित और गंदे पेशे में आई.

यानी यह बात हवाहवाई और फिजूल की है कि हर औरत के अंदर एक वेश्या या तवायफ होती है. हां, यह जरूर हर कोई मानता है कि एक तवायफ के अंदर एक औरत का वजूद हमेशा रहता है. फिल्मों के मद्देनजर तवायफ और वेश्या में एक बड़ा मौलिक फर्क यह है कि जरूरी नहीं कि हर तवायफ जिस्मफरोशी करती ही हो.

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जिस्मफरोशी के धंधे पर बनी पहली सार्थक फिल्म ‘मंडी’ थी, जिस में शबाना आजमी, स्मिता पाटिल और नीना गुप्ता जैसी सधी अभिनेत्रियां थीं. श्याम बेनेगल की इस फिल्म का भी अपना अलग फ्लेवर था, जो यह तो एहसास करा गया था कि सभ्य समाज और राजनीति भी देहव्यापार के कितने नजदीक हैं. और नजदीक भी क्या, दरअसल उस का ही तिरस्कृत हिस्सा है, शरीर का ऐसा अंग है जो काट कर फेंक दिए जाने के बाद भी जिंदा रहता है.

चेतना से आई क्रांति

‘मंडी’ से भी 13 साल पहले 1970 में बी.आर. इशारा निर्देशित फिल्म ‘चेतना’ प्रदर्शित हुई थी. रेहाना सुलताना और अनिल धवन अभिनीत इस फिल्म में एक वेश्या अपने प्रेमी के साथ घर बसाने का फैसला कर लेती है लेकिन सफल नहीं हो पाती.

रेहाना ने कालगर्ल के रोल में जान डाल दी थी. उस समय इस फिल्म के बोल्ड सीन काफी चर्चित हुए थे और लोगों को समझ आया था कि एक मौडल कैसे पैसा कमाने के लिए दूसरों की रातें रंगीन करती है और दिन में धर्मस्थलों में माथा टेकती रहती है.

बौक्स औफिस पर पैसा बरसाने बाली ‘चेतना’ फिल्म की दूसरी खूबी यह थी कि इस ने देहव्यापार के धंधे के नए तौरतरीके उधेड़ कर रख दिए थे. 1970 के दशक में कोठे उजड़ने लगे थे और शहर के बदनाम इलाके आबाद होने लगे थे. इसी दौर में कालगर्ल्स की खेप आनी शुरू हो गई थी, जो मौडर्न और स्टाइलिश होती हैं. वे अपनी मरजी से धंधा करती हैं और अपनी फीस से कोई समझौता नहीं करतीं.

यह कालगर्ल पढ़ीलिखी थोड़ी दार्शनिक और थोड़ीथोड़ी बुद्धिजीवी भी होती थीं, जो ग्राहक के साथ मांग पर सैरसपाटे के लिए भी चली जाती थीं. खूबी यह भी थी और है भी कि कालगर्ल इसे एक बेहतर वैकल्पिक प्रोफेशन मानती है और किसी तरह का अपराधबोध नहीं रखती. वह भावनात्मक के साथसाथ पुरुष के सैक्स स्वभाव और जरूरत को भी समझती है, जो इस पेशे की एक जरूरी और अच्छी बात भी है.

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रेहाना सुलताना का फिल्मी सफर बहुत लंबा नहीं चला. ‘चेतना’ के बाद वह कम ही फिल्मों में दिखीं. लेकिन जातेजाते युवतियों के लिए यह मैसेज दे गईं कि मौडलिंग और फिल्मी दुनिया में जिस्म को दांव पर लगा कर भी जगह बनाई जा सकती है. जरूरत है बस थोड़े से टैलेंट, खूबसूरती और बड़े जोखिम उठाने की हिम्मत की.

70 के दशक में देश भर से एक्ट्रैस बनने के लिए लड़कियां मुंबई की ट्रेन पकड़ने लगी थीं. इन में से कुछ जगह बना पाने में कामयाब हुईं और कई गुमनामी और कमाठीपुरा जैसे बदनाम रेड लाइट इलाके की गलियों की खिड़की से झांकते ग्राहकों को इशारे करती नजर आईं.

मुंबई की चकाचौंध और दौलत व शोहरत की कशिश कभी किसी सबूत की मोहताज नहीं रही. हीरोइन बनने के लालच में आई अनेक युवतियां कोई भी समझौता करने लगीं. लेकिन मिलने के नाम पर अधिकांश को सी ग्रेड या एक्स्ट्रा के रोल मिले, इस के एवज में भी उन्हें निर्मातानिर्देशकों और दलालों का बिस्तर गर्म करना पड़ा.

स्याह पहलू श्वेता का

ऐसी ही एक एक्ट्रैस है श्वेता बसु प्रसाद, जिस ने इसी साल जनवरी में जिंदगी के 30 साल पूरे किए हैं. श्वेता हालांकि कोई बड़ा या जानामाना नाम नहीं है लेकिन प्रतिभा उस में है, जिसे उस ने साबित भी किया. महत्त्वाकांक्षी श्वेता ने पत्रकारिता का भी कोर्स किया है और कुछ दिन एक मशहूर अखबार में लेखन भी किया.

जमशेदपुर के मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती इस खूबसूरत लड़की ने पहली बार बाल कलाकार के रूप में ‘मकड़ी’ फिल्म में काम किया था. साल 2002 में प्रदर्शित हुई इस फिल्म के निर्मातानिर्देशक विशाल भारद्वाज थे. भूतप्रेत वाली इस फिल्म में श्वेता चुन्नी और मुन्नी नाम की जुड़वां बहनों के रोल में खासी सराही गई थी.

उसे सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला था. इस के बाद उस ने कुछ तमिल, तेलुगू और बंगाली फिल्मों में भी काम किया, लेकिन उम्मीद के मुताबिक उसे नाम और दाम नहीं मिला. कुछ टीवी धारावाहिकों में भी वह नजर आई लेकिन इस से भी उस के डगमगाते करियर को सहारा नहीं मिला.

देह व्यापार में क्यों आई श्वेता

छोटेमोटे रोल करती श्वेता को लोग भूल ही चले थे कि साल 2014 में हैदराबाद से एक सनसनीखेज खबर आई कि मशहूर एक्ट्रैस श्वेता प्रसाद बंजारा हिल इलाके के एक बड़े होटल से देहव्यापार करती हुई पकड़ी गई.

बात सच थी गिरफ्तारी के बाद उसे सुधारगृह भेज दिया गया, जहां वह बच्चों को संगीत और कला का प्रशिक्षण देती रही. मीडिया और बौलीवुड में वह उत्सुकता और आकर्षण का विषय बन गई. हर कोई जानना चाह रहा था कि वह इस घृणित पेशे में क्यों आई.

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इन्हीं दिनों में श्वेता का एक बयान खूब वायरल हुआ था, जिस में वह यह कहती नजर आ रही थी कि मैं अपने ही कुछ गलत फैसलों के चलते कंगाल हो गई थी. मुझे अपने परिवार को भी संभालना था और कुछ अच्छे काम भी करने थे. लेकिन मेरे लिए सारे दरवाजे बंद थे, इसलिए कुछ लोगों ने मुझे वेश्यावृत्ति का रास्ता दिखाया. मैं कुछ नहीं कर सकती थी और न ही मेरे पास कोई और चारा था, इसलिए मैं ने यह काम किया.

सुधारगृह से छूटने के बाद वह इस बयान से मुकर गई और नएनए बयान देती रही, जिन के कोई खास मायने नहीं थे. लेकिन दाद देनी होगी श्वेता की हिम्मत और आत्मविश्वास को, जो वह देहव्यापार के आरोप में पकड़े जाने के बाद भी टूटी नहीं और उसे जो भी रोल मिला, वह उस ने स्वीकार लिया.

साल 2018 में उस ने फिल्मकार रोहित मित्तल से शादी की, लेकिन एक साल बाद ही वह टूट गई. ‘चेतना’ फिल्म की सीमा और श्वेता की असल जिंदगी में काफी समानताएं दिखती हैं, पर फिल्म के और जिंदगी के दुखांत में जमीन आसमान का अंतर होता है, जो दिख भी रहा है.

वेश्या होने का दाग आसानी से नहीं धुलने वाला पर श्वेता अभी भी जिस लगन से काम कर रही है. उस के लिए वह शुभकामनाओं की हकदार तो है कि कड़वा अतीत भूल कर मकड़ी जैसा कारनामा एक बार फिर कर दिखाए.

कड़वी मिष्ठी

श्वेता को तो हैदराबाद सेशन कोर्ट ने देह व्यापार के आरोप से बाइज्जत बरी कर दिया था, लेकिन सन 2014 में ही एक और एक्ट्रैस मय पुख्ता सबूतों के देहव्यापार के आरोप में रंगेहाथों धरी गई थी, जिस का नाम था मिष्ठी मुखर्जी. भरेपूरे गुदाज बदन की मालकिन मिष्ठी थी तो बंगाली फिल्मों की सी ग्रेड की अभिनेत्री, लेकिन 2012 में राकेश मेहता निर्देशित एक हिंदी फिल्म ‘लाइफ की तो लग गई’ में वह नजर आई थी और मुंबई में ही बस गई थी.

हैरानी की बात यह है कि इस फिल्म की समीक्षाओं में कहीं उस का जिक्र नहीं हुआ. मिष्ठी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं. मुंबई के पौश मीरा टावर के सी विंग में फ्लैट नंबर 502 में वह परिवार सहित रह रही थी. इस फ्लैट का किराया ही 80 हजार रुपए महीना था.

मिष्ठी आलीशान जिंदगी जी रही थी. मीरा टावर में लगभग 75 फ्लैट्स आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के हैं. इस अपार्टमेंट में हंगामा 9 जनवरी, 2014 को तब मचा था, जब एक छापामार काररवाई में ओशिवरा पुलिस ने मिष्ठी को अपने बौयफ्रैंड दिल्ली के फैशन डिजाइनर राकेश कटारिया के साथ आपत्तिजनक हालत में पकड़ा था.

इस छापे में पुलिस ने कोई ढाई लाख ब्लू फिल्मों की सीडी बरामद की थीं. पुलिस के मुताबिक ये सीडी दक्षिण भारत से ला कर मुंबई और ठाणे में बेची जाती थीं. देह व्यापार में सहयोग देने के आरोप में पुलिस ने मिष्ठी, उस की मां सहित पिता चंद्रकांत मुखर्जी और भाई समरत को भी गिरफ्तार किया था. पुलिस के मुताबिक इस फ्लैट का इस्तेमाल ब्लू फिल्में बनाने में भी किया जाता था.

बाद में मिष्ठी और उस के परिवारजनों ने सफाई दी थी, लेकिन तब तक एक और एक्ट्रैस के दामन में जिस्मफरोशी का दाग लग चुका था. इस मुकदमे का फैसला हो पाता, इस के पहले ही महज 27 साल की उम्र में मिष्ठी किडनी फेल हो जाने से 4 अक्तूबर, 2020 को इस दुनिया से चल बसी.

लोगों को इस कांड के अलावा यह भर याद रहा कि उस ने कुछ क्षेत्रीय फिल्मों सहित हिंदी फिल्म ‘मैं कृष्णा हूं’ में एक गाना गाया था.

बाद में अंदाजा भर लगाया गया, जो सच के काफी करीब है कि अगर वह ब्लू फिल्मों का कारोबार कर रही थी या सैक्स रैकेट चला रही थी तो अपने परिवार के खर्चे पूरे करने के लिए इस गैरकानूनी रास्ते पर चल पड़ी थी.

ऐश के ऐश

ऐसा ही रास्ता दक्षिण भारत की उभरती एक्ट्रैस ऐश अंसारी ने भी चुना था, जो साल 2013 में जोधपुर के तख्त विलास होटल में रंगेहाथों जिस्मफरोशी करते पकड़ी गई थी. इस छापे में 9 लोग पकड़े गए थे. यह भी एक हाइटेक मामला था और औनलाइन चलता था.

पुलिस के मुताबिक, ऐश अपने ग्राहकों को खुश करने गई थी और इस गिरोह का हिस्सा थी. सैक्सी ऐश ने बचाव में शाहरुख खान के साथ अपनी कुछ तसवीरें पुलिस को दिखाई थीं, जो जाहिर है एक बचकानी और फिजूल की बात थी.

दरअसल, वह शाहरुख खान के साथ  ‘ओम शांति ओम’ और ‘चलते चलते’ जैसी फिल्मों में काम कर चुकी थी. इस के अलावा उस ने साउथ की भी कुछ फिल्मों में काम किया है. ‘बूम बूम’ नाम के म्यूजिक वीडियो से भी उस ने धूम मचाई थी.

ऐश ने यह रास्ता परिवार के लिए नहीं, बल्कि जल्द अमीर बनने के चक्कर में चुना था. लेकिन पकडे़ जाने के बाद वह ऐसी गायब हुई कि फिर फिल्मों में नजर नहीं आई. मुमकिन है उस का जमीर उसे कचोटने लगा हो.

ऐश में एक खास बात सैक्सी फिगर के साथसाथ उस के असामान्य उभार हैं जो किसी को भी पागल और मदहोश कर देने के लिए काफी हैं. देह के शौकीनों में उस की डिमांड ज्यादा थी और इस की कीमत वह वसूल भी रही थी.

घर को ही बनाया अड्डा

पर्यटन स्थलों के रिसोर्ट और भव्य होटलों के अलावा कुछ अभिनेत्रियों ने घर से देह व्यापार करना ज्यादा सुरक्षित समझा. इन में एक उल्लेखनीय नाम साउथ की ही भुवनेश्वरी का है, जो अब से 20 साल पहले तक एक उभरता नाम हुआ करता था. अक्तूबर, 2009 में एक छापे में उसे चेन्नई में गिरफ्तार किया गया था.

बोल्ड सीन देने के लिए पहचानी जाने वाली इस खूबसूरत बला और बाला के गिरोह में कई और सी ग्रेड की एक्ट्रैस भी शामिल थीं. भुवनेश्वरी ने टीवी धारावाहिकों से भी नाम कमाया था.  रियल लाइफ में देहव्यापार करने वाली इस एक्ट्रैस ने रील लाइफ में भी वेश्या का किरदार तमिल फिल्म ‘लड़के’ में निभाया था.

अब 46 की हो चुकी भुवनेश्वरी भी गायब है, जिस ने फिल्मों से ज्यादा नाम और दाम वेश्यावृत्ति से कमाया और इसे बेहद सहजता से उस ने लिया और जिया.

दक्षिण भारतीय फिल्मों की वैंप के खिताब से नवाजी गई इस एक्ट्रैस ने कभी दुनिया जहान का लिहाज नहीं किया. उस पर भी कभी देहव्यापार के आरोप अदालत में साबित नहीं हो पाए, लेकिन बदनामी से वह खुद को बचा नहीं पाई.

28 साल की होने जा रही तमिल और तेलुगू फिल्मों की अभिनेत्री श्री दिव्या भी घर से ही सैक्स रैकेट चलाते पकड़ी गई थी.  ‘बीटेक बाबू’ उस के करियर की चर्चित फिल्म थी. महज 3 साल की उम्र से परदे पर पांव रख चुकी इस हौट एक्ट्रैस ने कोई डेढ़ दरजन फिल्मों में काम किया, जिन में से कुछ में उस ने अपने अभिनय की छाप भी छोड़ी.

साल 2014 में पड़े गुंटूर के चर्चित छापे में पकड़ी गई दिव्या को कुदरत ने अजीम खूबसूरती से नवाजा भी है. लेकिन ज्यादा  पैसों के लालच से वह भी नहीं बच सकी.

पतली कमर वाली दिव्या भी गिरोहबद्ध तरीके से जिस्मफरोशी के कारोबार में गले तक डूब चुकी थी. छापे में कई दूसरी मौडल और एक्ट्रैस मय ग्राहकों के पकड़ी गई थीं.

शर्म से दूर शर्लिन चोपड़ा

हैदराबादी गर्ल के नाम से मशहूर हुई शर्लिन चोपड़ा फिल्मों से कम, गरमागरम फोटो सेशन और हर कभी वायरल होते अपने कामुक वीडियोज के चलते ज्यादा जानीपहचानी जाती है. विवादों में रहना उस का खास शगल है. प्लेबौय मैगजीन के लिए नग्न फोटो देने वाली 37 वर्षीया इस एक्ट्रैस ने फिल्मों से ज्यादा गौसिप से अपनी पहचान बनाई.

रूपेश पाल की थ्री डी फिल्म ‘कामसूत्र’ में उस ने उन्मुक्त दृश्य दिए हैं. रियल्टी शो बिग बौस सीजन-3 की प्रतिभागी भी वह रह चुकी है. उस के नाम छोटे बजट की 3 फिल्में ‘टाइम पास’, ‘रेड स्वास्तिक’ और ‘गेम’ ही हैं जो न के बराबर चलीं.

मौडलिंग से अपने करियर की शुरुआत करने वाली शर्लिन कभी देह व्यापार के किसी छापे में तो नहीं पकड़ी गई, बल्कि उस ने खुद ही उजागर किया था कि वह देह व्यापार करती है और पैसों के लिए कई मर्दों के साथ उस ने सैक्स किया है. सुर्खियों में बने रहने को ऐसे कई विवादों से उस ने खुद को जोड़े रखा.

फिल्मकार साजिद खान पर आरोप लगाते हुए उस ने अप्रैल 2015 में कहा था कि एक मुलाकात में साजिद ने पेंट से अपना प्राइवेट पार्ट निकाल कर उसे छूने के लिए कहा था. तब उस ने बिना घबराए साजिद को कहा था कि मैं जानती हूं कि प्राइवेट पार्ट कैसा होता है और उन से मिलने का उस का ऐसा कोई मकसद या इरादा नहीं है.

इस बयान से फिल्म इंडस्ट्री में तहलका मच गया था, जो सच और झूठ की बाउंड्री लाइन पर खड़ा था. यानी फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा होना न तो नामुमकिन है और न ही ऐसा होने पर कोई मौडल एक्ट्रैस ऐसी आपबीती इतने खुले लफ्जों में बयां कर सकती है.

नैतिकता तो लोगों की निगाह में यह है कि ऐसा किसी लड़की के साथ हो भी तो उसे खामोश रहना चाहिए. शर्लिन ने दो टूक कहा तो इसे पब्लिसिटी स्टंट कह कर हवा में उड़ा दिया गया.

रियल और रील में फर्क

दरजनों और ऐसी फिल्म एक्ट्रैस हैं, जो देहव्यापार करते पकड़ी गई हैं. दिलचस्प बात यह है कि ये सभी सी ग्रेड की असफल और महत्त्वाकांक्षी युवतियां हैं. लगभग सभी ने रियल लाइफ में यह किरदार निभाया तो इस की वजह साफ है कि पैसा कमाने का इस से बेहतर शार्टकट और कोई है भी नहीं.

लग्जरी जिंदगी जीने की आदी इन नायिकाओं के पास अपने खर्च पूरे करने का कोई दूसरा जरिया होता भी नहीं. परदे पर इन्हें देख चुके शौकीन पैसे वाले भी मुंहमांगे दाम इन्हें देने को तैयार रहते हैं. इन तवायफों को एक रात का अपने नाम, हैसियत और शोहरत के मुताबिक एक से 5 लाख रुपया तक मिलता भी है.

अब तो बी ग्रेड के शहरों में भी इन की मांग बढ़ने लगी है और ये वहां जाती भी हैं. आनेजाने, हवाई जहाज और फाइवस्टार होटलों में ठहरने का खर्च या तो ग्राहक उठाता है या फिर वह दलाल, जो इन के और ग्राहक के बीच कड़ी का काम करता है. ठीक वैसे ही जैसे ‘चेतना’ फिल्म में रेहाना सुलताना के लिए एक दलाल करता था.

भारत-जापान दोस्ती की मिसाल

अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी दौरे पर आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी “रुद्राक्ष” अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सम्मेलन केंद्र का उद्घाटन करेंगे. उनके साथ जापान के प्रतिनिधि भी रहेंगे. रुद्राक्ष को जापानी शैली में सजाया जा रहा है. जैपनीज़ फूलों की सुगंध रुद्राक्ष में  फ़ैलेगी. रुद्राक्ष कन्वेंसन सेंटर परिसर में प्रधानमंत्री रुद्राक्ष के पौधे को भी लगाएंगे. कार्यक्रम के दौरान रुद्रक्ष कन्वेंसन सेण्टर में इन्डोजापन कला और संस्कृति की झलक भी दिखेगी. रुद्राक्ष कन्वेंसशन सेण्टर पर बने 3 मिनट के ऑडियो विज़ुअल को भी “रुद्राक्ष ” में प्रधानमंत्री मेहमानों के साथ देखने की संभवना है . प्रधानमंत्री  का  यहां करीब 500 लोगों से संवाद करना भी प्रस्तावित है . संभावना है कि वीडियो फ़िल्म के माध्यम से जापान के प्रधानमंत्री देंगे शुभकामनाएं.  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बदलते बनारस की तस्वीर दुनिया देखेगी.

सर्व विद्या की राजधानी काशी में धर्म ,अध्यात्म ,कला, संस्कृति और विज्ञान पर  चर्चा होती है, तो इसका सन्देश पूरी दुनिया में  जाता है.

बनारस में संगीत के सुर,लय और ताल की  त्रिवेणी अविरल बहती रहती है. 2015 में वाराणसी को यूनेस्को के ‘सिटीज ऑफ म्यूजिक’ से नवाजा गया था.  शिल्पियों की थाती वाले शहर बनारस ने दुनिया को कला की प्राचीन नमूनों से परिचित कराया है, जिसका कायल पूरा विश्व है.

दुनिया के सबसे प्राचीन और जीवंत शहर काशी को जापान ने भारत से दोस्ती का एक ऐसा नायाब तोहफ़ा रुद्राक्ष के रूप में दिया है ,जहां  आप बड़े म्यूजिक कंसर्न , कांफ्रेंस,नाटक और प्रदर्शनियां  जैसे कार्यक्रम दुनिया के बेहतरीन उपकरणों और सुविधाओं के साथ कर सकेंगे. कन्वेंशन सेंटर की नींव  2015 में उस समय पड़ गई थी, जब जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे  को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी लेकर आए थे.

शिवलिंग की आकृति वाला वाराणसी कन्वेंशन सेण्टर जिसका नाम शहर के मिज़ाज के अनुरूप रुद्राक्ष है. इसमें स्टील के एक सौ आठ रुद्राक्ष के दाने भी लगाए  गए है. जितना खूबसूरत ये देखने में  लग रहा है ,उतनी ही इसकी खूबियां भी है.

सिगरा में ,तीन एकड़ (13196 sq mt ) में ,186 करोड़ की लागत से बने  रुद्राक्ष में 120 गाड़ियों की पार्किंग  बेसमेंट में हो सकती है. ग्राउंड फ्लोर ,और प्रथम तल ,को लेकर हाल होगा जिसमे वियतनाम से मंगाई गई कुर्सियों पर 1200 लोग एक साथ बैठ सकते है. दिव्यांगों के लिए भी दोनों दरवाजो के पास 6 -6 व्हील चेयर का इंतज़ाम है. इसके अलावा शैचालय भी दिव्यांगों फ्रेंडली बनाए गए है.  हाल में बैठने की छमता पार्टीशन से कम या ज़्यादा भी किया जा सकता है. इसके अलावा आधुनिक ग्रीन रूम भी बनाया गया है. 150 लोगों की छमता वाला  दो कॉन्फ्रेंस हाल या गैलरी  भी है. जो दुनिया के आधुनिकतम उपकरणों से सुसज्जित  है. इस  हॉल को भी जरूरत के मुताबिक घटाया और  बढ़ाया जा सकता है.

रुद्राक्ष  को जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी ने फंडिंग  किया है. डिजाइन  जापान की कंपनी ओरिएण्टल कंसल्टेंट ग्लोबल ने  किया है. और निर्माण का काम भी जापान की फुजिता कॉरपोरेशन नाम की कंपनी ने किया है.

रुद्राक्ष में छोटा जैपनीज़ गार्डन बनाया गया है.  110 किलोवाट की ऊर्जा के लिए सोलर प्लांट लगा है.  वीआईपी रूप और उनके आने-जाने  का रास्ता भी अलग से है .

रुद्राक्ष को वातानुकूलित रखने के लिए इटली के उपकरण लगे है.दीवारों पर लगे ईंट भी ताप को रोकते और कॉन्क्रीट के साथ फ्लाई ऐश का भी इस्तेमाल किया गया  है. निर्माण और उपयोग की चीजों को देखते हुए ,ग्रीन रेटिंग फॉर इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट ( GRIHA ) की और से रुद्राक्ष को  ग्रेडिंग तीन मिली है. रुद्राक्ष में कैमरा समेत सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम है.   आग से भी सुरक्षा के उपकरणों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है.

रुद्राक्ष  को जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी ने फण्ड किया है. डिजाइन  जापान की कंपनी ओरिएण्टल कंसल्टेंट ग्लोबल ने ही किया है, और निर्माण का काम भी जापान की फुजिता कॉरपोरेशन नाम की कंपनी ने  किया है. इसका निर्माण  10 जुलाई 2018 को शुरू हुआ था . अब  भारत जापान की दोस्ती का प्रतीक रुद्राक्ष बन कर तैयार हो गया है.

विकास तभी सार्थक जब सभी लोग सुरक्षित रहें: योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विकास की योजनाएं तभी सार्थक हैं जब सभी लोग सुरक्षित रहें. सरकार प्रदेश की 24 करोड़ जनता की सुरक्षा के लिए दृढ़ संकल्पित है. प्रदेश की सुरक्षा में सेंध लगाने वालों को किसी भी सूरत में छूट नहीं दी जा सकती, उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी ही होगी.

सीएम योगी मंगलवार को गोरखपुर में नगर निगम की 94 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली 370 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास कर रहे थे. गोरखपुर क्लब में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हम सभी को विकास के साथ ही सुरक्षा के प्रति लगातार सजग रहना होगा. सुरक्षा के प्रति थोड़ी सी सजगता से कई लोगों का जीवन सुरक्षित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि ह्यूमन इंटेलिजेंस यानी लोगों की सजगता से मिली जानकारी पर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दो साजिशों को बेपर्दा किया गया है.  मूक बधिर बच्चों के जेहादी धर्मांतरण से राष्ट्र की सुरक्षा में सेंध लगाने का षडयंत्र किया जा रहा था. इसमें पकड़े गए लोगों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने लखनऊ में पकड़े गए दो संदिग्धों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान परस्त आतंकियों के साथ मिलकर आजादी के जश्न में खलल डालने की साजिश रची जा रही थी. ह्यूमन इंटेलिजेंस यानी लोगों की सजगता से मिली सूचना पर सुरक्षा एजेंसियों ने इन्हें बेपर्दा कर दिया. बारूद का जखीरा, बम व अत्याधुनिक हथियार मिले. समय रहते ऐसे लोगों को मुंहतोड़ जवाब दिया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में क्या हो रहा है, जनता की सजगता से इसे जाना जा सकता है और जानकारी पर समय रहते राष्ट्र विरोधी तत्वों के मंसूबों को ध्वस्त किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जनता से निरन्तर संवाद बनाए रखने में पार्षदों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है.

विकास की योजना गरीब का हक : मुख्यमंत्री योगी

मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास की योजना हर गरीब का हक है. अच्छा जनप्रतिनिधि चुने जाने पर विकास की योजनाएं हर गरीब तक पहुंचती हैं. उन्होंने कहा कि सरकार पहले भी थी, पैसा पहले भी था लेकिन तब अराजकता होती थी, पैसों का बंदरबांट होता था. आज सिस्टम वही है बस चेहरे बदल गए हैं तो आमजन को योजनाओं का लाभ मिल रहा है. हर व्यक्ति तक सड़क, पेयजल, बिजली की सुविधा है. गरीब को पीएम आवास योजना से मकान मिल रहा है. यह सारे काम पहले भी हो सकते थे लेकिन अपने पूर्वजों के नाम योजनाओं के नामकरण में जुटे लोगों को गरीबों की चिंता नहीं थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीबों को आवास योजना की सौगात दी है. गोरखपुर में 25 हजार गरीबों को पीएम आवास मिला है. जो स्ट्रीट वेंडर पहले कुछ लोगों के लिए शोषण करने का जरिया थे, आज स्वनिधि योजना से आत्मनिर्भर होकर तरक्की की राह पकड़ रहे हैं.

यूपी से गायब होता दिखाई दे रहा कोरोना : सीएम योगी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गंदगी दूर कर और शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के साथ बिना भेदभाव सबको स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ दिलाकर हमनें इंसेफेलाइटिस को दूर किया है. कोविड प्रोटोकाल के अनुपालन और सबको त्वरित स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराते हुए कोरोना पर भी काबू पाया है. अब तो उत्तर प्रदेश से कोरोना गायब होता दिखाई दे रहा है. मुख्यमंत्री ने कोविड के सेकेंड वेव में निगरानी समितियों व पार्षदों की भूमिका की प्रशंसा की.  उन्होंने पार्षदों को प्रेरित करते हुए कहा कि बेहतर कार्य पद्धति ही आपकी पहचान बनेगी, आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा बनेगी इसलिए बेहतर कार्य निरन्तर होने चाहिए. जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए अहर्निश प्रयास करना होगा.

कार्यक्रम में महापौर सीताराम जायसवाल, नगर विधायक डॉ राधामोहन दास अग्रवाल, गोरखपुर ग्रामीण के विधायक बिपिन सिंह, सहजनवा के विधायक शीतल पांडेय, राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष श्रीमती अंजू चौधरी आदि की प्रमुख मौजूदगी रही.

370 परियोजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण

इसके साथ ही सीएम योगी ने मंगलवार की शाम शहर को 93.89 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात दी. गोरखपुर क्लब में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने 370 परियोजनाओं का शिलान्यास व लोकार्पण किया. इनमें 150 परियोजनाओं का शिलान्यास और 220 परियोजनाओं का लोकार्पण हुआ. मुख्यमंत्री ने नगर निगम परिसर में प्राइवेट, पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल से संचालित होने वाले म्यूजिकल फाउंटेन और फूड पार्क का भी लोकार्पण किया. सीएम शाम चार बजे मुख्यमंत्री गोरखपुर क्लब पहुंचे. स्वागत महापौर सीताराम जायसवाल ने किया. सभी परियोजनाएं 14वें व 15वें वित्त आयोग, अवस्थापना विकास निधि, अमृत योजना, सीवरेज एवं जल निकासी योजना और स्वच्छ भारत मिशन से है. मुख्यमंत्री ने वार्ड नंबर पांच में एक करोड़ 12 लाख 77 हजार रुपये से बनी डामर सड़क का भी लोकार्पण किया. चार करोड़ 11 लाख 67 हजार रुपये से लालडिग्गी पार्क में हुए जीर्णोद्धार कार्य का लोकार्पण कर मुख्यमंत्री ने पार्क को नागरिकों को सौंपा.

मिलेगा शुद्ध पानी

8.81 करोड़ रुपये की लागत से 13 गहरे नलकूप और आठ मिनी नलकूप का भी मुख्यमंत्री ने शिलान्यास किया. इन नलकूप से हजारों नागरिकों को शुद्ध पानी मिलेगा.

यहां लगेंगे गहरे नलकूप

भैरोपुर ओवरहेड टैंक परिसर में, बशारतपुर निकट एल्यूमीनियम फैक्ट्री रोड सुडिय़ा कुआं, राजेंद्र नगर पश्चिमी, राजेंद्र नगर पूर्वी, लच्छीपुर शिव मंदिर के पीछे मलिन बस्ती, पूर्व महापौर डा. सत्या पांडेय के घर के पास, ट्रांसपोर्टनगर स्थित गालन टोला मोहल्ला, धर्मशाला पुलिस लाइन बाउंड्री के अंदर, रुस्तमपुर, अलीनगर, सिविल लाइन द्वितीय पड़हा में रियाज हास्पिटल के बगल में, गोरखनाथ मंदिर परिसर में संस्कृत पीठ के पास और सिविल लाइन चौराहा के पास कार्य कराया जाएगा.

यहां लगेंगे मिनी नलकूप

जटेपुर उत्तरी काली मंदिर के पास, अंधियारीबाग रामलीला मैदान मलिन बस्ती, नरसिंहपुर, पार्षद जितेंद्र सैनी के आवास के पीछे, कृष्णा नगर, माधोपुर, रामप्रीत चौराहा काली मंदिर के पास और चक्सा हुसैन में.

जापान ओलंपिक में यूपी के विजेताओं को मिलेगी इनामी धनराशि

खेलों को बढ़ावा देने वाली प्रदेश सरकार इस साल टोकियो (जापान) में होने वाले ओलंपिक गेम्स में भाग लेने वाले प्रत्येक खिलाड़ी को 10 लाख रुपये देगी. एकल और टीम खेलों में पदक लेकर लौटने वाले खिलाड़ियों का भी उत्साह बढ़ाएगी. यूपी से 10 खिलाड़ी विभिन्न स्पर्धाओं में भाग लेने के लिये टोकियो जाएंगे. राज्य सरकार ओलंपिक खेलों में होने वाले एकल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को 6 करोड़ रुपये, रजत पाने वालों खिलाड़ी को 4 करोड़ रुपये और कांस्य पदक लाने वाले खिलाड़ियों को 2 करोड़ रुपये देगी.

सीएम योगी ने प्रदेश की कमान संभालने के बाद से लगातार खिलाड़ियों की सुविधाओं में बढ़ोत्तरी की है. खिलाड़ियों की प्रतिभा को और निखारने और सुविधाओं को बढ़ाने का भी काम किया है. सरकार ने टोकियो में आयोजित होने वाले ओलंपिक में टीम खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर लाने वाले खिलाड़ी को 3 करोड़ रुपये, रजत लाने पर 2 करोड़ रुपये और कांस्य लाने पर 1 करोड़ रुपये देने का निर्णय लिया है.

‘खूब खेलो-खूब बढ़ो’ मिशन को लेकर यूपी में खिलाड़ियों को राज्य सरकार बहुत मदद दे रही है. खेल में निखार लाने के लिये खिलाड़ियों के बेहतर प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है. प्रशिक्षण देने वाले विशेषज्ञ कोच नियुक्त किये गये हैं. छात्रावासों में खिलाड़ियों की सहूलियत बढ़ाने के साथ-साथ नए स्टेडियमों का निर्माण भी तेजी से कराया है. गौरतलब है कि अपने कार्यकाल में योगी सरकार ने 19 जनपदों में 16 खेलों के प्रशिक्षण के लिये 44 छात्रावास बनवाए हैं. खेल किट के लिये धनराशि को 1000 से बढ़ाकर 2500 रुपये किया गया है.

आशा वर्कर जानेंगी बुजुर्गों की सेहत का हाल

बुजुर्गों की बेहतर सेहत के लिए प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. खासकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रहे और डायलिसिस करवा रहे बुजुर्गों की तीमारदारी में अब आशा वर्कर तैनात की जाएंगी. प्रदेश भर में आशा वर्कर इन बीमारियों से जंग लड़ रहे बुजुर्गों की सूची तैयार करेंगी और इनसे संवाद स्‍थापित कर रोजाना सेहत का हाल जानेंगी. साथ ही दवा और जांच कराने में भी इन बुजुर्गों की मदद करेंगी. मुख्‍यमंत्री ने एक उच्‍च स्‍तरीय बैठक में यह निर्देश जारी किए हैं.

मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने प्रदेश के वरिष्‍ठ नागरिकों की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं को और बेहतर बनाने के निर्देश दिए हैं. चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य विभाग को वरिष्‍ठ नागरिकों की सूची बनाने को कहा गया है. इससे जरूरत पड़ने पर हर संभव मदद पहुंचाने में आसानी होगी. इस काम में आशा वर्कर अहम रोल अदा करेंगी. अभी तक प्रदेश की 10 लाख 71 हजार से अधिक आशा वर्कर ग्रामीण व शहरी इलाकों में महिलाओं व बच्‍चों को स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी सेवाएं मुहैया कराने में मदद करती है. अब आशा वर्कर प्रदेश के वरिष्‍ठ नागरिकों की सेहत का ख्‍याल भी रखेंगी. आशा वर्कर अपने इलाके के वरिष्‍ठ नागरिकों की सूची तैयार करेंगी. खासकर कैंसर व डायलिसिस पीडि़त मरीजों पर इनका विशेष ध्‍यान होगा. इसके बाद आशा वर्कर रोजाना इनसे संवाद स्‍थापित करेंगी और सेहत का हालचाल पूछेंगी. वरिष्‍ठ नागरिकों को दवा व जांच कराने में सहयोग करेंगी.

एक कॉल पर मिलेगी एम्‍बुलेंस व दवा

चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य विभाग वरिष्‍ठ नागरिकों की बेहतर सेहत के लिए बनाई गई विशेष हेल्‍पलाइन नम्‍बर 14567 को और प्रभावी बनाने जा रहा है. ताकि सेहत से जुड़ी कोई समस्‍या होने पर बुजुर्गों तक फौरन मदद पहुंचाई जा सके. इसके अलावा हेल्‍पलाइन नम्‍बर की जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए बड़ा जन जागरूकता अभियान भी शुरू किया जाएगा, ताकि अधिक लोगों को इस सेवा का लाभ मिल सके. हेल्‍पलाइन के जरिए विशेष परिस्थितियों में बुजुर्गों को एक कॉल पर एम्बुलेंस और दवा भी पहुंचाने का काम विभाग करेगा. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अगले 8-10 महीने में इसे लेकर अपनी कार्ययोजना तैयार करेगा.

अकेले रहने वाले बुजुर्गों के लिए योजना बनेगी वरदान

प्रदेश सरकार अकेले रहने वाले बुजुर्गों की बेहतर सेहत के लिए विशेष योजना तैयार कर रही है. इस योजना के तहत ऐसे बुजुर्गों की देखरेख के लिए एक व्‍यक्ति तैनात किया जाएगा. जो अकेले रह रहे बुजुर्ग को जरूरत पड़ने पर दवा पहुंचाने के साथ जांच के लिए अस्‍पताल ले जाएगा और उनको घर तक पहुंचाएगा. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग अगले 8-10 महीने में इसे लेकर अपनी कार्ययोजना तैयार करेगा.

जनसंख्या नीति से पूरे होंगे विशिष्ट उद्देश्य

उत्तर प्रदेश में नई जनसंख्या नीति लागू करके नए भविष्य की नींव रखी जा रही है. उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-30 में खास बातें शामिल की गई है. उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति-2021 स्वैच्छिक और सूचित विकल्प के माध्यमों से और अपनी विकासशील आवश्यकताओं के साथ जनसांख्यिकीय लक्ष्यों को निर्धारित करके जनसंख्या स्थिरीकरण प्राप्त करने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है.

यह नीति, बाल-उत्तरजीविता, मातृ-स्वास्थ्य और गर्भनिरोधक के मुद्दों को संबोधित करने के लिए रणनीतियों को प्राथमिकता देने के लिए अगले दशक के लिए एक तन्त्र प्रदान करती है. इस तन्त्र में जागरूकता बढ़ाने और सेवाओं की मांग के साथ-साथ एक मजबूत प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली तक लोगों की पहुंच बढ़ाना भी शामिल है.उत्तर-प्रदेश जनसँख्या नीति -2021 का मूल लक्ष्य यही है कि सभी लोगों के लिए जीवन के प्रत्येक चरण में उसकी गुणवत्ता में सुधार करना और साथ ही साथ सतत् विकास के लिए एक व्यापक और समावेशी दृष्टिकोण को सक्षम करना. उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति-2021 का समग्र लक्ष्य सभी लोगों के जीवन स्तर में सुधार करना, प्रदेश को प्रगति के पथ पर बढ़ाना और इसके सतत् विकास के लिए एक व्यापक और समावेशी दृष्टिकोण को सक्षम करना है.

उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति -2021 प्रदेश की संपूर्ण आबादी के लिए विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और किशोरों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल करने, नवीनीकृत करने और विस्तार करने की उत्तर प्रदेश सरकार की प्रतिबद्वता की पुष्टि करती है. इस नीति के माध्यम से वर्ष 2026 तक महिलाओं द्वारा सूचित व स्वनिर्णय के माध्यम से प्रतिस्थापन स्तर (सकल प्रजनन दर -2.1) तथा वर्ष 2030 तक सकल प्रजनन दर 1.9 लाना है.

राज्य में परिवार नियोजन , विशेषकर सुदूरवर्ती व सेवाओं से वंचित समुदाय तक अपूर्ण मांग को कम करने के लिए तथा आधुनिक गर्भनिरोधक प्रचलन दर को बढ़ाने के लिए रणनीतियों को प्राथमिकीकृत किया जाएगा.

प्रदेश की जनसंख्या यथाशीघ्र स्थिर हो सके, इसके लिए दंपत्तियों को प्रोत्साहित एवं निरुत्साहित करने हेतु समुचित कदम उठाये जाएंगे. यह प्रयास भी किया जाएगा कि विभिन्न समुदायों के मध्य जनसंख्या का संतुलन बना रहे. जिन समुदायों, संवर्गो एवं भौगोलिक क्षेत्रों में प्रजनन दर अधिक है उनमें जागरूकता के व्यापक कार्यक्रम चलाए जाएंगे.

जनसंख्या नियंत्रण हेतु उठाए जा रहे विभिन्न कदमों तथा अपनाई जा रही विभिन्न रणनीतियों और प्रभावी बनाने के लिए आवश्यकतानुसार इस सम्बन्ध में नया कानून भी बनाने पर विचार किया जा सकता है.

स्कूल में लड़कियों को पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने और महिलाओं के लिए व्यवसायिक प्रशिक्षण हेतु विभागों और कार्यक्रमों के बीच सामंजस्य स्थापित किया जायेगा.

नई नीति में सामाजिक कुरीतियों को संबोधित करने पर भी विचार किया गया है. जैसे, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, बाल विवाह, लिंग चयन एवं पुत्र प्राप्ति को वरीयता देना आदि शामिल है.

इस नीति में विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सामाजिक एवं व्यावहारिक परिवर्तन की संचार रणनीतियों को विकसित किया जाएगा तथा सामाजिक निर्धारकों को भी सम्मिलित किया जाएगा .उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति -2021 में सभी के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित करने और उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं, शिशुओं, बीमार नवजात शिशुओं तथा अति कुपोषण के शिकार बच्चों पर विशेष ध्यान रखने के स्पष्ट प्रावधान किये गए. संस्थागत प्रसवों में वृद्धि के दृष्टिगत, प्रसव पश्चात परिवार नियोजन सेवाओं में वृद्धि की जाएगी.

प्रदेश सरकार शिशु और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु में कमी लाने, अधिक से अधिक नवजात शिशुओं को बचाने और बच्चे को बेहतर स्वास्थ्य सेवायें प्रदान करने पर ध्यान देते हुए बच्चे को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है.  वर्तमान जनसंख्या नीति में जहाँ जनसंख्या स्थिरीकरण हेतु परिवार नियोजन की बात है, वहीं बाँझपन की चिकित्सा पर भी बल दिया जा रहा है. बाँझपन से प्रभावित दम्पत्तियों को प्रदेश की चिकित्सा इकाईयों पर प्रशिक्षित सेवाप्रदाताओं के माध्यम से परामर्श तथा निःशुल्क उपचार प्रदान किया जाएगा.

प्राथमिक , द्वितीय तथा तृतीय स्तर की चिकित्सा इकाईयो पर बाँझपन के निःशुल्क उपचार एवं सन्दर्भन हेतु रेगुलेटरी तन्त्र एवं प्रोटोकाल स्थापित किये जाएगें.गोद लेने की प्रक्रिया को सरल किया जाएगा, जिससे इच्छुक दम्पत्ति को बच्चों को गोद लेने में आसानी महसूस हो सके.

प्रदेश में लगभग 1.5 करोड़ लाख बुजुर्ग हैं , चूंकि राज्य की कुल प्रजनन दर लगातार कम हो रही है, जिससे आबादी में महत्वपूर्ण बदलाव आएगा. अगले बीस साल में, राज्य की आबादी में धीरे-धीरे बुजुर्गों की आबादी का अनुपात ज्यादा होने का अनुमान है. तेजी से बुजुर्गों की रुग्णता दर और बीमारी बढ़ेगी, जिससे स्वास्थ्य पर बहुत अधिक व्यय होगा. अधिक निर्भरता अनुपात, अपर्याप्त सामाजिक सुरक्षा और एकल परिवार में तेजी से बढ़ोत्तरी से बुजुर्गों की देखभाल की अतिरिक्त चुनौती बढ़ेगी.

प्रदेश के समस्त 75 जनपदों के सामुदायिक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर बुजुर्गों के लिए समर्पित सेवायें, स्कीनिंग डिवाईसेस , उपकरण, प्रशिक्षण, अतिरिक्त मानव संसाधन और प्रचार प्रसार सहित उपलब्ध कराई जायेगी जिला अस्पतालों में 10 बेड वाले समर्पित वार्ड स्थापित किये जायेंगे जिसमें अतिरिक्त मानव संसाधन, उपकरण, उपभोग्य वस्तुएं और दवाईयाँ , प्रशिक्षण और आईईसीहोगी. बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं और सलाह को शामिल करने के लिए ई.संजीवनी जैसे टेली – परामर्श प्लेटफार्मों का विस्तार किया जाएगा.

उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए स्वास्थ्य सम्बन्धी बिन्दुओं को चिन्हित किया है, जैसे आधारभूत संरचना , मानव संसाधन , गुणवत्तापरक देखभाल , सन्दर्भन प्रणाली, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और क्षमता वृद्धि शामिल है. नीति के माध्यम से प्रदेश में मौजूदा स्वास्थ्य संसाधनों के अधिकतम उपयोग के साथ-साथ आवश्यकतानुसार बढ़े हुए आवंटन और निवेश को भी सम्मिलित किया जाएगा.

राज्य में जनसंख्या और स्वास्थ्य शोध के मापन , सीख और मूल्यांकन के लिए एक विशेष स्वास्थ्य शोध इकाई स्थापित की जाएगी. नीति में मध्यमकालिक एवं दीर्घकालिक लक्ष्य परिभाषित किये गये है, जिनके सतत् अनुश्रवण से जनसंख्या स्थिरीकरण एवं मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में प्रगति , किशोरों की उन्नति, बुजूर्गो की खुशी एवं समावेशी विकास की परिकल्पना की प्राप्ति संभव हो सकेगी.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस नीति में उल्लिखित लक्ष्यों तथा उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए हर सम्भव प्रयास किया जायेगा . नीति की प्रगति को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार विभिन्न विभागों , निर्वाचित प्रतिनिधियों , स्थानीय निकायों, निजी क्षेत्रों और सिविल सोसायटी संगठनों के सामंजस्य से कार्य करेगी. नीति के उददेश्यों की पूर्ति के लिए स्थानीय भागीदारी को बढ़ाना एक आवश्यक कदम होगा.

मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग का हब बन रहा उत्तर प्रदेश

बीते चार वर्षों में उत्तर प्रदेश की आईटी नीति ने देश में कमाल किया है. इस नीति के चलते राज्य में डिजिटल इंडिया अभियान ने गति पकड़ी है. आईटी मैन्यूफैक्चरिंग के सेक्टर में रिकार्ड निवेश हुआ है. और अब उत्तर प्रदेश मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग में देश का प्रमुख केंद्र बनने की दिशा में बढ़ चला है. राज्य में ओप्पो, वीवो, सेमसंग, लावा और फ़ॉरमी जैसी तमाम कंपनियां ने मोबाइल फोन का निर्माण करने में पहल की है. अब वह दिन दूर नहीं है, जब इन देशी और विदेशी कंपनियों के भरोसे यूपी मोबाइल फोन मैन्यू फैक्चरिंग का सबसे बड़ा हब बन जाएगा. देश के करोड़ों लोग यूपी में बने सैमसंग, वीवो, ओप्पो और लावा के मोबाइल हैंडसेट से बात करते हुए दिखाई देंगे.

यह दावा अब देश के बड़े औद्योगिक संगठनों से जुड़े उद्योगपति कर रहे हैं. इन औद्योगिक संगठनों के पदाधिकरियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में डिजिटल इंडिया अभियान के तहत मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है. इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में प्रदेश सरकार की इन्वेस्टमेंट फ्रेंडली नीतियों की वजह से बड़ी कंपनियों ने राज्य में बड़ा निवेश किया हैं.

प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री एवं प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि कुछ साल पहले तक राज्य में मोबाइल हैंडसेट के निर्माण में सूबे का नाम तक नहीं लिया जाता था. वर्ष 2014 में देश में मात्र छह करोड़ मोबाइल हैंडसेटों का निर्माण होता था. फिर वर्ष 2015 -16 में 11 करोड़ और 2016-17 में 17.5 करोड़ मोबाइल हैंडसेट का निर्माण देशभर में हुआ. अब 12 करोड़ मोबाइल हैंडसेट का निर्माण यमुना एक्सप्रेसवे विकास प्राधिकरण (यीडा) में स्थापित की जा रही वीवो की फैक्ट्री जल्दी ही होने लगेगा. यीडा के सेक्टर 24 में वीवो मोबाइल प्राइवेट लिमिटेड 7000 करोड़ रुपए का निवेश का मोबाइल हैंडसेट बनाने की फैक्ट्री लगा रही है. 169 एकड़ भूमि पर लगाई जा रही इस फैक्ट्री के प्रथम चरण में छह करोड़ मोबाइल सेट बनाए जाएंगे. दूसरे चरण में इस फैक्ट्री की क्षमता  बढ़ाई जाएगी, ताकि इस फैक्ट्री में हर वर्ष 12 करोड़ मोबाइल हैंडसेट बनाए जा सके. वीवो की इस फैक्ट्री में 60 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा. वीवो की इस फैक्ट्री में बनाए जाने वाले हर मोबाइल से जीएसटी के रूप में सरकार को राजस्व प्राप्त होगा.

वीवो के अलावा चीन की बड़ी कंपनी ओप्पो मोबाइल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड 2000 करोड़ रुपए का निवेश का ग्रेटर नोयडा में स्मार्ट फोन बनाएगी. ग्रेटर नोयडा में ही होलिटेच इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में मोबाइल फोन डिस्प्ले यूनिट लगाने का फैसला किया है. 1772 करोड़ का निवेश कर बनाए जाने वाली मोबाइल फोन डिस्प्ले यूनिट के लिए भूमि आंवटित हो चुकी है. नोएडा में लावा इलेक्ट्रानिक्स ने अपनी फैक्ट्री लगाकर वहां मोबाइल हैंडसेट बना रही है. सैमसंग ने भी बीते साल अपनी फैक्ट्री नोएडा में मोबाइल फोन मैन्यूफैक्चरिंग की फैक्ट्री लगाई है. इसके अलावा प्रदेश सरकार की मैन्यूफैक्चरिंग पालिसी 2017 से प्रभावित होकर फ़ॉरमी ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड ग्रेटर नोएडा में और  केएचवाई इलेक्ट्रानिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नोएडा में मोबाइल हैंडसेट बनाने की फैक्ट्री लगा रही हैं. चीन की विख्यात कंपनी सनवोडा इलेक्ट्रानिक्स ने भी ग्रेटर नोएडा में स्मार्टफोन, लिथियम बैटरी और प्लास्टिक मोबाइल केस बनाने की फैक्ट्री लगाने में रूचि दिखाई है. 1500 करोड़ का निवेश कर सनवोडा को ग्रेटर नोएडा में अपनी फैक्ट्री लगाने का निर्णय किया है. यूपी में लगाई जा रही मोबाइल फोन मैन्यूफैक्चरिंग की इन फैक्ट्रियों को देख कर अब यह कहा जा रहा है कि देश में मोबाइल हैंडसेट के लिए अभी तक जो कंपनियां चीन की मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों पर निर्भर थीं, वह अब उत्तर प्रदेश  में अपने ब्रांड के मोबाइल हैंडसेट बनवा रही हैं. इनमें ओप्पो, वीवो, सैमसंग, लावा और फ़ॉरमी जैसी कंपनियां शामिल हैं. यही सभी कंपनियां करोड़ों मोबाइल हैंडसेट हर साल बनाएंगी. देश में मोबाइल हैंडसेट की आधे से अधिक मांग को सूबे में लगाई जा रही कंपनियों से ही पूरी होगी.

मोबाइल हैंडसेट बनाने के लिए राज्य में हो रहे इस निवेश पर इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) महकमें का अफसरों का कहना है कि प्रदेश सरकार की आईटी और मैन्यूफैक्चरिंग पालिसी 2017 तथा मोबाइल हैंडसेट निर्माण  के क्षेत्र में आए इस बदलाव ने प्रदेश में मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में बड़ा निवेश हुआ है. इस वजह से नौकरियों के नए अवसर पैदा हुए हैं. अब जैसे-जैसे प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक व मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग का आधार बढ़ेगा, राज्य में ज्यादा-ज्यादा लोगों के लिए नौकरियों के अवसर पैदा होंगे. इन अधिकारियों के अनुसार, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र देश में अपने यहां मोबाइल हैंडसेट के निर्माण को बढ़ावा दे रहे हैं. गर्व करने वाले बात यह है कि मोबाइल कंपनियों को आकर्षित करने में अब तक सबसे आगे उत्तर प्रदेश सरकार है. यूपी के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कई कंपनियां ने अपना प्लांट लगा रही हैं. कई कंपनियों ने अपनी फैक्ट्री लगाने के लिए आगे आयी हैं. अब इन सारी कंपनियों के सहारे जल्दी ही यूपी बनेगा मोबाइल फोन बनाने का सबसे बड़ा हब देश में बन जाएगा.

ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग में यूपी ने पकड़ी रफ्तार

प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर को ध्‍यान में रखते हुए सरकार ने अस्‍पतालों में सभी पुख्‍ता इंतजाम कर लिए हैं. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के हर जिले में एक-एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या जिला अस्पताल में ऑक्सीजन जेनरेटर्स युद्धस्‍तर पर लगाए जा रहे हैं. अस्पतालों में नौ हजार से अधिक पीडियाट्रिक आईसीयू (पीकू) बेड तैयार किए जा चुके हैं. योगी सरकार ने निर्णयों से प्रदेश में अब कोरोना की दूसरी लहर पूरी तौर पर नियंत्रित है. दूसरे प्रदेशों के मुकाबले ‘योगी के यूपी मॉडल’ से संक्रमण पर तेजी से लगाम लगी है. कम समय में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट जीनोम सिक्वेंसिंग की तेजी से जांच की जा रही है.

केजीएमयू लखनऊ में 109 सैम्पल की जीनोम सिक्वेंसिंग कराई गई. प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक 107 सैंपल में कोविड की दूसरी लहर वाले पुराने डेल्टा वैरिएंट की पुष्टि ही हुई है, जबकि 02 सैम्पल में कप्पा वैरिएंट पाए गए. दोनों ही वैरिएंट प्रदेश के लिए नए नहीं हैं. प्रदेश में ट्रेसिंग से संक्रमण का प्रसार भी न्यूनतम स्‍तर पर है.

जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा से लैस केन्‍द्र की होगी स्‍थापना

कोरोना वायरस के परीक्षण के लिए प्रदेश में जीनोम सिक्वेंसिंग की सुविधा का लगातार विस्‍तार किया जा रहा है. जल्‍द ही प्रदेश में इस सुविधा से लैस केंद्र की स्थापना भी की जाएगी. सरकार ने पहले ही प्रदेश में जीनोम  सिक्वेंसिंग के दायरे को बढ़ाते हुए बीएचयू,  केजीएमयू,  सीडीआरआई,  आईजीआईबी, राम मनोहर लोहिया संस्‍थान में जीनोम परीक्षण की व्यवस्था की है.

15 अगस्‍त तक यूपी में 536 ऑक्‍सीजन प्‍लांट होंगें क्रियाशील 

यूपी ऑक्सीजन उपलब्धता में आत्मनिर्भर हो रहा है. प्रदेश में 536 ऑक्‍सीजन प्‍लांट पर तेजी से काम किया जा रहा है जिसमें से अब तक  146 ऑक्सीजन प्लांट प्रदेश में क्रियाशील हो चुके हैं. प्रदेश में ऑक्सीजन जेनरेटर के जरिए 15 फीसदी ऑक्सीजन की 3300 बेडों पर आपूर्ति हो रही है. विभिन्न औद्योगिक समूहों की ओर से ऑक्सीजन प्लांट, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्‍ध कराने में  मदद की गई है. अनेक औद्योगिक समूहों व इकाइयों ने ‘हेल्थ एटीएम’ उपलब्ध कराने के लिए आगे आए हैं. इन अत्याधुनिक मशीनों के जरिए से लोग बॉडी मास इंडेक्स, ब्लड प्रेशर , मेटाबॉलिक ऐज, बॉडी फैट, हाईड्रेशन, पल्स रेट, हाइट, मसल मास, शरीर का तापमान, शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा, वजन सहित कई पैरामीटर की जांच कर सकते हैं.

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