आखिर कैसे होता है स्किन कैंसर, पहचानें लक्षण

धूप में ज्यादा रहने से या ज्यादा वक्त तक रेडियोएक्टिव तरंगों के संपर्क में रहने से स्किन कैंसर का खरता रहता है. दुनियाभर में स्किन कैंसर की शिकायतें बढ़ रही हैं और आने वाले समय में ये लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है. बढ़ते समय के साथ इसके नए नए प्रकार भी सामने आ रहे हैं.

क्या हैं संकेत

कैंसर का कोई भी प्राकर हो उसके संकेत आपको काफी पहले से दिखने लगेंगे. इसका सबसे पहले आपको अपने चेहरे, कान, गर्दन, होंठ व हाथों की त्वचा पर असर नजर आएंगे. इस खबर में हम आपको स्किन कैंसर के संकेतों के बारे में आपको बताएंगें जो कैंसर होने से ठीक पहले आपके शरीर पर होते हैं.

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  • शरीर पर लाल निशान

स्किन कैंसर का सबसे पहला संकेत है शरीर पर लाल निशानों का होना. ऐसा होने पर आप तुरंत किसी डाक्टर से संपर्क करें. ये निशान आपके सिर, गर्दन और हाथ पर होते हैं.

  • एग्जिमा

एग्जिमा एक तरह की त्वचा संबंधी बीमारी है. आम भाषा में इसे खाज भी कहते हैं. समान्य तौर पर ये समस्या कोहनी, हथेली या पैरों पर होती है. एग्जिमा होते ही आप स्किन स्पेशेलिस्ट से जांच कराएं.

  • ज्यादा मस्सों का होना

अगर आपके शरीर पर मस्सों की संख्या बढ़ने लगे तोसचेत हो जाइए. स्किन कैंसर वाले मस्सों में त्वचा से खून निकलने की शिकायतें भी होती हैं. अगर आपकी त्वचा पर मौजूद मस्से का आकार पांच या छह मिलीमीटर से अधिक है तो ये स्किन कैंसर का संकेत है.

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  • होठों पर बनने लगें निशान

होठों के सूखे पड़ने पर उसमें दरार का दिखना, इसके साथ ही उसपर पापड़ी वाले चकत्ते दिखने लगें तो ये कैंसर के संकेत हैं. आप तुरंत डाक्टर से संपर्क करें.

  • मस्सों का रंग

अगर आपको काल, नीला, सफेद या लाल रंग का मस्सा हो रहा हो तो ये आपके लिए खतरे की घंटी है. आपको तुरंत डाक्टर से संपर्क करना चाहिए. वहीं भूरे या गुलाबी मस्से का होना एक समान्य बात है.

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गंजापन पुरुषों में ही क्यों : सिर के बाल लगाएं चारचांद

इंसान के जिस्म का कोई भी बाहरी हिस्सा कम या खत्म होने लगे या हो जाए तो उस में हीनभावना का पैदा हो जाना स्वाभाविक है. सिर के बाल भी इंसानी जिस्म का हिस्सा होते हैं. गंजापन, केशाभाव या बालों का झड़ना हलके से ले कर सिर के पूरी तरह गंजा होने तक का हो सकता है. आमतौर पर 50 से 100 बाल हर दिन टूटतेझड़ते हैं. यह कुदरती प्रक्रिया है. यदि इस से ज्यादा बाल झड़ते हैं, तो यह गंजेपन यानी बाल्डनैस का विषय हो सकता है.

देशदुनिया के लोगों में गंजापन तेजी से बढ़ रहा है. इस का कारण है लोगों का गलत खानपान और जीवनशैली. गंजेपन को ले कर पुरुषों में अकसर ही काफी हीनभावना रहती है. एक उम्र के बाद जब उन के सिर पर से बाल उड़ने लगते हैं, तो उन का सैल्फ कौन्फिडैंस चोट खा जाता है. अपनी इमेज को ले कर वे शर्म महसूस करने लगते हैं. आजकल तो छोटी उम्र के बच्चों में भी बाल झड़ने की समस्या होने लगी है.

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वहीं, गंजेपन का शिकार आमतौर पर सिर्फ पुरुष ही होते हैं, ऐसा क्यों? महिलाओं में गंजापन बहुत ही कम दिखाई देता है या किसी बीमारी के कारण होने वाला गंजापन ही उन में होता है. जबकि, पुरुषों की उम्र 40 पार होतेहोते आधे से ज्यादा में गंजापन ज़ाहिर होने लगता है.

बाल्डनैस क्यों :

मैडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार, पुरुषों में बालों के झड़ने का सब से आम कारण एंड्रोजेनेटिक एलोपीशिया माना जाता है. इस को ‘पुरुष पैटर्न गंजापन’ के रूप में भी जाना जाता है. इस में पुरुषों के सिर के बाल झड़ने लग जाते हैं. माथे की तरफ से या सिर के ऊपर से पहले धीरेधीरे बाल झड़ने शुरू होते हैं. फिर पतले होतेहोते ख़त्म हो जाते हैं. जैसे हमारे शरीर में चमड़ी के ऊपर रोमछिद्र होते हैं वैसे ही सिर की चमड़ी के ऊपर हेयर फौलिकल्स होते हैं. इन्हीं में से बाल निकलते हैं. जब ये हेयर फौलिकल्स सिकुड़ने लगते हैं, तो बाल पतले होने शुरू हो जाते हैं. समय के साथ धीरेधीरे ये गायब भी हो जाते हैं.

गंजेपन का एक कारण यह भी. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, इंसान के जिस्म में टैस्टोस्टेरौन एक ऐसा हार्मोन होता है, जो पुरुषों और महिलाओं दोनों में पाया जाता है मगर पुरुषों में इस की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. पुरुषों के पुरुषत्व वाले शारीरिक बदलावों के लिए यही हार्मोन जिम्मेदार होता है. टैस्टोस्टेरौन पुरुषों में स्रावित होने वाले एंड्रोजन समूह का स्टेरौयड हार्मोन है, जिस के कारण पुरुषों में बाल झड़ने की समस्या पैदा होती है. दरअसल, इंसान के शरीर में कुछ एंजाइम ऐसे होते हैं जो टैस्टोस्टेरौन को डिहाइड्रो-टैस्टोस्टेरौन में बदल देते हैं. इसी डिहाइड्रो-टैस्टोस्टेरौन के कारण बाल पतले व कमजोर हो जाते हैं और फिर झड़ने लगते हैं. सामान्यतौर पर हार्मोंस में यह बदलाव करने वाले एंजाइम एक इंसान में उसे उस के जींस से प्राप्त हुए होते हैं. इसी कारण गंजेपन को आनुवंशिक यानी खानदानी भी माना जाता है.

स्किन स्पैशलिस्ट डाक्टर भावुक मित्तल का कहना है कि जेनेटिक्स (खानदानी कारण यानी पहले से घर के पुरुषों में यह दिक्कत चली आ रही हो), उम्र का बढ़ना, और हार्मोंस का ऊपरनीचे होना बाल्डनैस के सब से बड़े कारण हैं. दूसरे कारणों में विटामिन्स और मिनरल्स की कमी, न्यूट्रीशन वाला खाना न खाना, स्ट्रेस, लंबी बीमारी को गिना जाता है.

 बालों को झड़ने से रोकें :

अगर जेनेटिक कारणों से हेयर लौस हो रहा है, तो उसे धीमा किया जा सकता है. पूरी तरह से उस से छुटकारा नहीं पाया जा सकता. लेकिन अगर बीमारी या पोषण की कमी की वजह से बाल झड़ रहे हैं, तो उन के लिए उपाय किए जा सकते हैं. शरीर में आयरन की कमी की वजह से भी बाल झड़ते हैं. अगर इन में से कोई भी वजह नहीं है, तो आप को फुल बौडी टैस्ट करा कर अपने हार्मोंस की जांच भी करवा लेनी चाहिए. इस बाबत डाक्टर आप को बेहतर सलाह दे पाएंगे.

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महिलाओं में गंजापन नहीं :

महिलाओं में भी टैस्टोस्टेरौन पाया जाता है मगर उन में इस की मात्रा बहुत कम होती है. जब यह महिलाओं में अधिक स्रावित होता है तो महिलाओं में अनचाहे बालों की अधिक मात्रा में आने की समस्या पैदा होती है. महिलाओं के शरीर में मुख्यरूप से एस्ट्रोजन हार्मोन का स्राव होता है, जो महिलाओं के शरीर में टैस्टोस्टेरौन के डिहाइड्रो-टैस्टोस्टेरौन में बदलने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है. इसीलिए, महिलाओं में बाल झड़ने की समस्या तो होती है मगर गंजापन नहीं होता है.

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं. कई बार जब महिलाओं के शरीर में इस दौरान टैस्टोस्टेरौन हार्मोन का स्राव बढ़ जाता है, तो बाल झड़ने की समस्या उत्पन्न होती है. इसलिए अकसर महिलाओं को गर्भावस्था और मेनोपौज में बाल झड़ने की समस्या होती है.

इस प्रकार साफ़ है कि मानव शरीर की संरचना में भिन्नता के चलते पुरुष के सिर के बाल झड़तेझड़ते उस पर गंजापन उभर आता है जबकि महिला के सिर के बाल झड़ते तो हैं लेकिन वे गंजापन की हद तक नहीं झड़ते. हां, उन में अनचाहे बालों के अधिक मात्रा में आने की समस्या पैदा हो सकती है. इस में शक नहीं है कि सिर के बाल इंसान की खूबसूरती में चारचांद लगाते हैं.

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मर्द को भी दर्द होता है : ऐसे करें लाइफ एंजौय

कहावत नहीं है, हां, लोग कहते हैं, मर्द को दर्द नहीं होता. लेकिन, ऐसा नहीं है. पुरुष बाहर से जितने कठोर, भीतर से उतने ही नर्मदिल होते हैं. आजकल की भागदौड़ में पुरुष न तो अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दे पाते हैं न ही अपनी डाइट पर. इस वजह से उन्हें कई बार बीमार भी पड़ना पड़ता है. आज की अतिआधुनिक जीवनशैली में वे कुछ दर्दों से बच सकते हैं. पुरुषों से जुड़ी कई ऐसी चीजें भी हैं जिन्हें वे खुद भी नहीं जानते.  सो, तनावभरे व दर्दभरे मौजूदा दौर में जीवन को आनंदमय बनाने के लिए चौकन्ना व सेहतमंद रहना होगा.

डाक्टर के संपर्क में रहें :

किसी तरह का दर्द महसूस न करें और जीवन का भरपूर आनंद उठाएं, इस बाबत समयसमय पर डाक्टरी सलाह लेते रहें. लेकिन ऐसा देखा जाता है कि ज़्यादातर पुरुष अपनी तकलीफों को इग्नोर करते रहते हैं. हालांकि, अपनी गलती की वजह से उन्हें बाद में बीमारी या फिर किसी वायरस का शिकार होना पड़ता है. वहीं, बीमार होने के बाद डाक्टर के पास जाते भी हैं तो वे कई बार डाक्टर से कई बातें छिपा लेते हैं. इस वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है. सो, दिक्कत न आने पाए, इस के लिए डाक्टर से रूटीन चेकअप जरूर करवाते रहना चाहिए.

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खर्राटों को हलके में न लें :

रात में सोने के बाद ज्यादातर लोगों की खर्राटे लेने की आदत सी बन जाती है. आप इसे टालने के बजाय इस पर ध्यान दें. खर्राटों का दिल से कनैक्शन होता है. खर्राटे लेते समय कुछ सैकंड के लिए आप की सांसें रुक भी सकती हैं. सो, इसे आदत समझ कर हलके में न लें, बल्कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें.

ज्यादा बार बाथरूम जाना : 

अगर आप दिन में करीब 8 बार और रात में करीब  2 बार टौयलेट जा रहे हैं तो आप के शरीर में किसी तरह की दिक्कत हो सकती है. लोग अकसर ज्यादा बार बाथरूम जाने की बात को नजरअंदाज करने की कोशिश करते हैं, लेकिन आप को इस के लिए चिकित्सक से संपर्क करने की जरूरत है. अगर आप इसे नजरअंदाज करेंगे तो हो सकता है आप किसी बीमारी का शिकार हो जाएं.

सब्जियों का सेवन ताकि दिक्कत न हो :

बहुत ही कम लोग होते हैं जो फल और हरी सब्जियों का सेवन ज्यादा करते हैं. डाक्टर कहते हैं कि फल औऱ हरी सब्जियों के खाने से दिल स्वस्थ रहता है. इस से आप का शुगर लैवल भी ठीक रहता है. अगर आप फल और हरी सब्जियों से दूर भागेंगे तो आप किसी बड़ी बीमारी का शिकार हो सकते हैं.

शराब है खराब :

कई लोगों को शौक होता है कि वे शराब पिएं और सिगरेट का सेवन करें. यह शौक आप के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो सकता है. इस लत से कोई भी जल्दी अस्वस्थ हो सकता है.

जीवनशैली से जुड़ी कुछ अहम बातें :

*  पुरुषों की औसत आयु महिलाओं से कम होती है. पुरुषों की औसतन आयु 64.52 वर्ष होती है जबकि स्त्रियों की 68.76 वर्ष होती है.

*  पुरुष के दिमाग का आकार महिलाओं से बड़ा होता है. पुरुषों के दिमाग़ का आकार स्त्रियों से 10 फीसदी ज़्यादा होता है. लेकिन यह निर्भर करता है कि वे दिमाग का कितना इस्‍तेमाल करते हैं.

*  एक शोध से यह पता चला है कि किसी भी काम को करने में पुरुष अपने दिमाग़ का सिर्फ़ आधा हिस्सा ही प्रयोग करते हैं, जबकि स्त्रियां पूरा दिमाग़ एक ही वक़्त में इस्तेमाल कर सकती हैं.

*  आमतौर पर पुरुषों को घर पर बैठ कर ड्रिंक करने से ज़्यादा लंबे रोमांटिक वौक पर जाना ज्यादा पसंद होता है.

*  पुरुष अपनी कुल उम्र के 6 महीने सिर्फ शेविंग करने में बिताते हैं.

*  इस बात से तो हर कोई वाकिफ़ होगा कि लड़कियां, लड़कों से ज्‍यादा बोलती हैं. अध्‍ययन के मुताबिक, एक महिला दिनभर में लगभग 7 हजार शब्द बोलती हैं, तो वहीं पुरुष सिर्फ 2 हजार शब्‍द ही बोलते हैं.

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*  पराई स्त्रियों को घूरने में पुरुष अपने जीवन का पूरा एक साल बरबाद कर देते हैं.

*  पुरुष स्त्रियों से ज़्यादा झूठ बोलते हैं. एक स्त्री दिन में औसतन 3 झूठ ही बोलती है, जबकि पुरुष दिनभर में कम से कम 6 झूठ बोलते हैं.

*  ब्रेकअप के बाद पुरुष ज्‍यादा दिन तक अवसाद व तनाव में रहते हैं जबकि महिलाएं रिश्‍तों में दरार आने के बाद जल्‍दी मूवऔन कर लेती हैं.

*  अकसर पुरुष डाक्टर के पास जाने से कतराते हैं, उन्‍हें लगता है कि डाक्‍टर के पास जाने से कहीं कोई बड़ी बीमारी न हो जाए.

एक रिसर्च का नतीजा है कि ब्रेकअप के बाद पुरुष ज्‍यादा दिन तक अवसाद व तनाव में रहते हैं जबकि महिलाएं रिश्‍तों में दरार आने के बाद जल्‍दी मूवऔन कर लेती हैं. इस का ज़िक्र ऊपर हो चुका है, यह, दरअसल, यह दर्शाता है कि मर्द को शारीरिक दर्द ही नहीं होता, बल्कि, संवेदनात्मक दर्द भी होता है वह भी महिलाओं से ज्यादा.

छुट्टी लेने के लिए खुद को बताया कोरोना से पीड़ित

पूरा विश्व जहां कोरोना वायरस को ले कर डर के माहौल में है, वहीं कुछ लोग इस बीमारी को मजाक भी बना डालते हैं.

यह सही है कि किसी को औफिस जाने का मन नहीं होता तो वह बौस से तरह-तरह के बहाने बना कर छुट्टियां  लेता है. मगर एक ऐसे समय जब कोरोना वायरस को ले कर सब डरे हुए हों, एक व्यक्ति ने औफिस न जाने का बहाना बनाते हुए खुद को कोरोना से पीड़ित मरीज घोषित कर दिया.

अजीबोगरीब मामला

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह अजीबोगरीब मामला है चीन का, जहां एक व्यक्ति ने लंबी छुट्टियां लेने और मौजमस्ती करने के लिए अपनी कंपनी को मेल कर दिया कि वह कोरोना वायरस से पीङित है और उसे छुट्टियां चाहिए ताकि वह अपना उपचार करा पाए.

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कंपनी ने तुरंत उस की छुट्टियां मंजूर कर दीं और उस के आसपास बैठे लोगों का मैडिकल चैकअप भी कराया.

इतना ही नहीं औफिस को कुछ दिनों तक के लिए बंद भी कर दिया गया ताकि वहां अच्छी तरह साफसफाई हो सके.

हैरत की बात तो तब हुई जब कंपनी के एक भी कर्मचारी कोरोना वायरस से पीङित नहीं पाए गए तब कंपनी ने उस व्यक्ति से अपना मैडिकल रिपोर्ट भेजने को कहा.

सिर मुंडाते ओले पड़े

झूठ बोलने वाला वह व्यक्ति कोई रिपोर्ट पेश नहीं कर पाया तो कंपनी ने पुलिस में शिकायत करी. पुलिस की सख्ती से उस ने सच उगल दिए और कहा कि उस ने छुट्टियां लेने के बहाने झूठ कहा था.

कंपनी ने काररवाई करते हुए उक्त व्यक्ति को नौकरी से बर्खास्त कर दिया, वहीं पुलिस ने भी उस पर काररवाई की और 3 महीने के लिए जेल भेज दिया.

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मालूम हो कि किसी भी तरह का अफवाह फैलाना कानूनन जुर्म माना जाता है और इस के लिए सजा का प्रावधान है.

दाई से डिलीवरी न कराएं

फिल्म ‘दंगल’ तो आप सब को याद होगी ही. हरियाणा का एक ठेठ देहाती पहलवान जब साधनों की कमी में खुद कुश्ती में कोई बड़ा कारनामा नहीं कर पाता है, तो उसे अपनी आने वाली औलाद से उम्मीद बंध जाती है. औलाद भी लड़का ही चाहिए, क्योंकि तब समाज में लड़कियों को लड़कों की तरह लंगोट बांध कर अखाड़े में उतरने की तो सोचिए भी मत, ढंग से स्कूल में भेज दो तो गनीमत समझी जाती थी.

बेटे के चक्कर में पहलवान महावीर फोगाट बने आमिर खान के एक के बाद एक 4 बेटियां पैदा हो जाती हैं. बाद में इस फिल्म की कहानी क्या मोड़ लेती है, उस पर ज्यादा बात नहीं करेंगे, पर हां एक गंभीर मुद्दे पर जरूर सोचेंगे कि फिल्म में आमिर खान की पत्नी बनी साक्षी तंवर की जचगी कहां और कैसे होती है.

महावीर फोगाट का घर एक ऐसे किसान का घर था, जहां सुखसुविधाओं के नाम पर जरूरत का कुछ पुराना सामान, खाना बनाने के लिए चूल्हा और ईंधन की लकडि़यां ही थीं. घर की जर्जर होती दीवारों के बंद कमरे के बाहर महावीर फोगाट अपनी औलाद की पहली रुलाई सुनने के लिए बेचैन खड़ा होता है.

दरवाजा खुलता है तो एक बुढि़या दाई मायूस सा चेहरा लिए बेटी होने की खबर देती है. ऐसा एक बार नहीं, बल्कि 4 बार होता है, क्योंकि महावीर फोगाट 4 बेटियों का बाप जो बनता है. पर हर बार जचगी दाई से ही होती है.

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वहां पर गनीमत यह होती है कि उस दाई से कोई हादसा नहीं होता है. यह भी कह सकते हैं कि आज से 25-30 साल पहले तक दाई से जचगी कराने पर इतना ध्यान नहीं दिया जाता था. लेकिन आज जब गांवदेहात के आसपास के कसबे या छोटे शहर में लेडी डाक्टर मिल जाती हैं, तो भी बहुत से लोग जचगी गांव में किसी दाई से ही करा लेते हैं.

यूनिसैफ द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, दुनियाभर में पेट से होने  और जचगी से जुड़ी समस्याओं के चलते तकरीबन 2,90,000 औरतों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था.

अंदाजा है कि हर साल 28,00,000 गर्भवती औरतों की मौत हो जाती है, जिस के पीछे की सब से बड़ी वजह सही पोषण और उचित देखभाल का न मिल पाना होता है.

इतना ही नहीं, दुनियाभर में एकतिहाई नवजात बच्चों की मौतें अपने जन्म के दिन ही हो जाती हैं, जबकि बाकी तीनचौथाई बच्चे जन्म के एक हफ्ते के भीतर ही मर जाते हैं.

दिक्कत यह है कि आज भी भारत के बहुत से गांवों में बच्चा पैदा होने को गंभीरता से नहीं लिया जाता है, जबकि यह एक तरह से बच्चे के साथसाथ उस औरत का भी दूसरा जन्म होता है, जो मां बनती है. लिहाजा, जचगी ऐसी किसी बूढ़ी औरत से करा दी जाती है, जो दिल की थोड़ी पक्की जरूर होती है, पर उसे जचगी के समय होने वाले खतरों की उतनी जानकारी नहीं होती है, जितनी किसी माहिर डाक्टर को होती है.

इस सिलसिले में फरीदाबाद के मेवला महाराजपुर गांव की एक आंगनबाड़ी महिला हैल्पर ने बताया कि यहां की कच्ची कालोनियों में रहने वाले ज्यादातर लोग दूसरे राज्य के गरीब परिवारों के होते हैं. सरकारी अस्पताल में बच्चा जनने के लिए आधारकार्ड जैसे पहचानपत्र की जरूरत होती है और बहुत से लोगों के पास वह नहीं होता है. लिहाजा, ऐसी औरतें घर पर ही अपनी सगीसंबंधी औरतों या पड़ोस की औरतों की मदद से जचगी करा लेती हैं.

इसी गांव की रहने वाली रेखा का दूसरा बेटा गांव में ही दाई के हाथों पैदा हुआ था, जबकि पहला बेटा सरकारी अस्पताल में.

रेखा के मुताबिक, घर हो या अस्पताल, सारा काम तो जच्चा को ही करना होता है. अगर वह शरीर और मन से मजबूत है तो उस की मददगार कोई डाक्टर है या दाई, कोई फर्क नहीं पड़ता है.

पर, रेखा का यह बयान भावुकता पर ज्यादा टिका है. इस बात को एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए, कोई औरत पहली बार मां बनने वाली है और वह किसी ऐसे गांव में रहती है, जहां आसपास प्रसूति केंद्र तो है, लेकिन उस की ससुराल वाले गांव की दाई से ही जचगी कराना चाहते हैं.

चूंकि वह औरत पढ़ीलिखी है और जचगी के दौरान अपने और होने वाले बच्चे के लिए कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है, तो अपनी ससुराल वालों की सलाह को दरकिनार कर के वह डाक्टर से मिलती है और समयसमय पर अपनी जांच कराती है. वहां डाक्टर द्वारा खून, पेशाब, ब्लड प्रैशर, वजन, पोषण वगैरह की जांच होते रहने से उस औरत को बहुत फायदा होता है, जो एक दाई उसे कभी नहीं बता पाएगी.

याद रखिए, मां बनने वाली जिन औरतों का ब्लड ग्रुप आरएच नैगेटिव होता है, उन के बच्चे की पीलिया या दूसरी किसी दिक्कत से मौत हो जाने का डर रहता है. लेकिन समय से पहले आरएच नैगेटिव ब्लड ग्रुप पता चल जाने पर सावधानी बरती जा सकती है और बच्चे में नया खून ‘ट्रांसफ्यूजन’ से यानी बदल कर उस की जान बचाई जा सकती है. गांवदेहात में क्या, बहुत सी शहर की औरतों को इस बारे में शायद ही जानकारी हो, दाई की तो छोड़ ही दीजिए.

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बहुत सी औरतें अपनी दाई से यह बात छिपा जाती हैं कि उन को पहले गर्भपात भी हो चुका है यानी उन का पेट गिर चुका है. उन की यही लापरवाही खुद उन के लिए और आने वाले बच्चे के लिए खतरनाक हो सकती है, क्योंकि अगर ऐसा हुआ है, तो दाई कुछ नहीं कर पाएगी, जबकि माहिर डाक्टर समय रहते जच्चा को बता देगी कि उसे क्याक्या सावधानियां बरतनी होंगी.

इस सिलसिले में दिल्ली के बीएल कपूर अस्पताल की गाइनोकौलोजिस्ट डाक्टर शिल्पी सचदेव ने बताया, ‘‘आमतौर पर गांवदेहात में लोग घर पर ही किसी दाई से जचगी इसलिए करा लेते हैं, क्योंकि वे प्राइवेट अस्पताल के खर्च से बचना चाहते हैं या फिर सरकारी अस्पताल में लंबी लाइनों में नहीं लगना चाहते हैं, जबकि गांव में जच्चा का कोई टैस्ट नहीं होता है. मां और बच्चे का वजन कितना है या पेट में बच्चे का सिर नीचे है या फिर उलटा है, यह भी दाई को नहीं पता होता है.

‘‘अगर मां का ब्लड ग्रुप नैगेटिव है और पिता का ब्लड ग्रुप पौजिटिव है तो जचगी में बच्चे को दिक्कत हो सकती है. इस के लिए एक इंजैक्शन लगाया जाता है. अगर पहली जचगी में यह इंजैक्शन नहीं लगता है, तो दूसरी जचगी में बच्चे को बहुत नुकसान हो सकता है.

‘‘दाई के साथ सब से बड़ी समस्या यह होती है कि बहुत बार वह साफसफाई का ध्यान नहीं रखती है. वह दस्ताने नहीं पहनती है. इस से मां और बच्चे दोनों को इंफैक्शन होने का खतरा बना रहता है. दाई के पास टांके लगाने का भी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं होता है. दूसरे अहम उपकरण भी नहीं होते हैं.

‘‘अगर जचगी के दौरान खून ज्यादा बहने लगता है, तो दाई को सही तकनीक नहीं पता होती है कि कैसे उस पर काबू पाया जाए. इस से मां की जान को खतरा हो सकता है.

‘‘कभीकभार तो जचगी के बाद गर्भनाल अंदर ही रह जाती है. यह भी एक बहुत बड़ी समस्या है. अगर बच्चा एकदम से नहीं रोया या उस को औक्सीजन नहीं मिल पा रही है, उस के फेफड़े नहीं फूल रहे हैं, तो दाई को इस से निबटने का तरीका पता ही नहीं होता है, जबकि अस्पताल में आधुनिक उपकरण होते हैं, जिन की मदद से डाक्टर ऐसी किसी समस्या का हल तुरंत निकाल लेता है.

‘‘ऐसे बहुत से केस सुनने में आते हैं कि जब किसी बच्चे में पूरी औक्सीजन नहीं पहुंचने से वे विकलांग तक हो जाते हैं या दिमागी तौर पर वे अच्छी तरह बढ़ नहीं पाते हैं. अगर किसी औरत को थायराइड की दिक्कत होती है, तो इस का बुरा असर पैदा होने वाले बच्चे पर भी पड़ सकता है.

‘‘किसी मां के पेट में पल रहे बच्चे में अगर कोई बनावट संबंधी खराबी है, तो गांव में उस का पता ही नहीं चल पाता है, जबकि डाक्टर इन सब बातों की पूरी जानकारी रखता है.

‘‘दाई गर्भनाल काटने के लिए अच्छे ब्लेड का इस्तेमाल नहीं करती है. कपड़ा भी कैसा है, इस का ज्यादा ध्यान नहीं रखती है. इस से इंफैक्शन का खतरा बढ़ जाता है.’’

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पहले तो सुविधाएं न होने और जानकारी की कमी में लोग दाई से जचगी करा लेते थे और अगर कोई हादसा हो जाता था तो उसे ऊपर वाले का फैसला मान कर चुप्पी साध लेते थे, पर अब ऐसा करने या सोचने की कोई वजह नहीं है.

याद रखिए, अगर बच्चे सेहतमंद पैदा नहीं होंगे तो वे बड़े हो कर अपनी पूरी ताकत से देश को आगे बढ़ाने में कामयाब नहीं हो पाएंगे. दाई के पास  नहीं, बल्कि जचगी के लिए डाक्टर के पास जाएं, जच्चाबच्चा को सहीसलामत घर वापस लाएं.

कोरोनावायरस के बाद अब बर्डफ्लू फैलने का खतरा मंडराया, चेक रिपब्लिक में मिला दूसरा मामला

चीन के वुहान शहर से निकला कोरोना वायरस दुनियाभर में फैल चुका है. एशिया के बाद यूरोप, अमेरिका समते तमाम मुल्कों में इसके मरीज देखने को मिले. भारत में फिलहाल अभी तक इस वायरस से किसी की भी मौत की खबर नहीं है इसी बीच एक और बड़ी बीमारी फैलने का डर मंडराने लगा है.

चेक रिपब्लिक के कृषि मंत्रालय ने सोमवार को पार्डुबिस के मध्य चेक क्षेत्र में एवियन इंन्फ्लूएंजा (बर्डफ्लू) के दूसरे मामले के फैलने की पुष्टि की है. मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “एच5एन8 (बर्डफ्लू) के प्रसार को रोकने के लिए 1 लाख मुर्गियों को मारना पड़ेगा.” समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पारडुबिक के स्लोपोटिक गांव के एक पॉल्ट्री बीडर ने रविवार को इस सप्ताहंत तुर्की के 7500 मुर्गियों में से 1300 की मौत की पुष्टि की.

इन पक्षियों में कथित रूप से एवियन इंन्फ्लूएंजा (बर्डफ्लू) के लक्षण देखे गए थे, इस बात की पुष्टि बाद में प्राग के राज्य पशु चिकित्सा संस्थान ने की थी. इसके अलावा फार्म में 1,30,000 ब्राइलर मुर्गियां भी हैं. कृषि मंत्री मिरोस्लेव तोमान ने कहा, “पूरे कंपनी परिसरों को बंद कर दिया गया है. परिसर से बाहर बीमारी को फैलने से रोकने के लिए प्रवेशद्वार पर एहतियाती उपाय अपनाए जाएंगे.”

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कोरोना वायरस की वजह से दुनिया भर के व्यापार में भी काफी फर्क देखने को मिला है. फिलहाल अब हालात कुछ सुधरने की ओर हैं. चीन में सोमवार तक 80 प्रतिशत से अधिक केंद्रीय उद्यमों में कामकाम फिर से शुरू हो गया है. नए कोरोना वायरस महामारी से केंद्रीय उद्यमों के उत्पादन लक्ष्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

चीनी राज्य परिषद के राज्य-अधिकृत संपत्ति के पर्यवेक्षण और प्रबंध आयोग के उप प्रमुख रन होंगपिन ने मंगलवार को पेइचिंग में यह बात कही. नए कोरोना वायरस निमोनिया की महामारी फैलने के बाद चीन के केंद्रीय उद्यमों ने पूरी तरह से महामारी की रोकथाम और नियंत्रण का समर्थन किया. सीओएफसीओ निगम हर दिन 200 टन से अधिक चावल वुहान पहुंचाता है.

रन होंगपिन ने कहा कि काम और उत्पादन की बहाली महामारी की रोकथाम और आर्थिक विकास की महत्वपूर्ण गारंटी है. प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार 80 प्रतिशत से अधिक केंद्रीय उद्यमों ने अपने कामकाज बहाल किया है. पेट्रोलियम, संचार, पावर ग्रिड और परिवहन आदि व्यवसाय में फिर से काम शुरू करने की दर 95 से 100 प्रतिशत तक जा पहुंची है.

कोरोना वायरस से व्यापार में होने वाले नुकसान का असर केवल चीन में नहीं बल्कि हिंदुस्तान में हुआ है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सरकार कोरोना वाइरस का घरेलू उद्योगों पर पड़ने वाले प्रभाव से निपटने के लिए जल्दी ही उपायों की घोषणा करेगी. उन्होंने चीन में फैले खतरनाक वाइरस से उत्पन्न स्थिति को लेकर उद्योग प्रतिनिधियों के साथ समीक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में यह जानकारी दी.

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महिलाओं की नाभि में छिपा है सैक्स का गहरा रहस्य

कामसूत्र में नारी के अन्य अंगों की खूबसूरती के साथसाथ नाभि की सुंदरता और कामुकता के बारे में बताया गया है. महिला अंगों की सुंदरता के दीवाने पुरूषों को एक महिला के रसीले होंठ, उन्नत सीना, लुभावने नितंब, लचकदार कमर आदि के अलावा नाभि की सुंदरता मदहोश कर देती है.

सैक्स अपील

नाभि चाहें गोल और गहरी हो, समतल हो या फिर लंबी और वक्री, महिला सुंदरता बढ़ाने के साथसाथ सैक्स अपील भी करती है. शायद तभी बौलीवुड से ले कर हौलीवुड और यहां तक कि ठेठ हरियाणवी और भोजपुरी आदि फिल्मों में भी नारी के इस अप्रतिम सुंदर अंग नाभि को देखने के लिए दर्शक उतावले रहते हैं.

फिल्मों में नाभि कामुकता का आधार

1978 में प्रदर्शित फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ में तब की हौट अभिनेत्री जीनत अमान की उस अदा को याद कर दर्शक आज भी सिसकारियां भरने लगते हैं जिसमें भीगी साड़ी के नीचे से झांकती नाभि मदहोश कर देती थी.

मंदाकिनी की नाभि अब भी याद है

फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ में सफेद कपड़ों में नहाती मंदाकिनी और अंदर से चुगली करती मादक नाभि जो साड़ी से पूरी तरह चिपकी होती है, देख दर्शक आहें भरते थे.

उर्मिला बन गई थी रंगीला गर्ल

1995 में प्रदर्शित फिल्म ‘रंगीला’ में उर्मिला मतोंडकर की लचकती कमर और उड़ते परिधान के ऊपर गहरी नाभि दर्शकों को इतनी लुभाती थी कि उर्मिला रंगीला गर्ल के नाम से मशहूर हो गई.

नाभि दर्शन को आगे की दौर की अभिनेत्रियों ने भी खूब भुनाया. 1998 में फिल्म ‘दिल से’ में मलाइका अरोड़ा की ‘छैयांछैयां…’ गाना सुपरडुपर हिट इसलिए भी हुआ कि इस गाने में मलाइका की गहरी नाभि ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया था. वहीं 2005 में फिल्म ‘बंटी और बबली’ में कमर से नीचे लटकते घाघरे में ऐश्वर्या राय की गहरी और लंबी नाभि दर्शकों को मदहोश कर देती थी.

शेरोशायरी और कविताओं में भी नाभि

शेरोशायरी और कविताओं में भी नाभि को खूबसूरत अंदाज में पेश किया गया है. एक कवि अपने शेर में कहते हैं –

नाभि पर मेरे नाचीज लबों की छुअन,
क्या सच में तेरे दिल ने ये एहसास भुला दिया?

सैक्स और नाभि

खूबसूरती में चार चांद लगाती नाभि को छूने, सहलाने, चूमने, जीभ से हल्का हल्का छेड़ने पर महिला पार्टनर को असीम आनंद की अनुभूति होती है और ऐसा करते रहने के लिए वह खुला निमंत्रण भी देती है.
फोरप्ले के दौरान महिला पार्टनर की नाभि से छेड़खानी उसे इतनी भाती है कि सैक्स के लिए वह पूरी तरह तैयार हो जाती है. मगर ध्यान रखने वाली बात यह भी है कि नाभि की नियमित साफसफाई बेहद जरूरी है.

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