मैं एक लड़की को पसंद करता हूं लेकिन उससे बात करने से डरता हूं, क्या करूं?

सवाल

मैं 12वीं क्लास में हूं. मेरी क्लास में एक लड़की है जिसे मैं बहुत पसंद करता हूं. वह बहुत सुंदर है और क्लास में सब से अलग है. मैं पढ़ने में अच्छा हूं लेकिन दिखने में उस की बराबरी कभी नहीं कर सकता. मेरी क्लास में मुझ से भी ज्यादा स्मार्ट लड़के हैं. मैं उस लड़की से बात करना चाहता हूं लेकिन उस ने मुझे मना कर दिया या मेरा मजाक उड़ाया तो मुझे बहुत बुरा लगेगा. मैं उस के लायक कैसे बनूं या ऐसा क्या करूं कि वह भी मुझे पसंद करने लगे.

जवाब

इस उम्र में क्रश आना और लड़की से बात करने का मन होना आम है. लेकिन यह प्यारव्यार सीरियस लेने की उम्र नहीं है. आप उस लड़की से हायहैलो कर सकते हैं लेकिन अगर आप इस से ज्यादा कुछ चाहते हैं तो आप यकीनन बेवकूफी कर लेंगे. खुद को किसी और के लिए बदलना या मजाक उड़वाने से डरना ही यह हिंट है कि आप को फिलहाल पीछे हट जाना चाहिए. अपनी पढ़ाई पर फोकस कीजिए और उसी पर ध्यान लगाइए.

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कोई आप को पसंद करे तो आप की काबिलीयत और गुणों के लिए करे, न कि आप के लुक्स या शक्लसूरत पर. उस लड़की को आप से बात करने का मन होगा, तो कभी न कभी जरूर कर लेगी. इस से ज्यादा इस पर ध्यान दे कर आप अपना नुकसान ही कर लेंगे.

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मेरे बेटे और बेटी के बीच रोजाना झगड़ा होता है, मैं क्या करूं?

सवाल

बच्चे आजकल स्कूल नहीं जा रहे. औनलाइन क्लासेस चलती हैं. सारा दिन घर में बैठे रहते हैं. मेरी 10 वर्षीया बेटी और 15 साल के बेटे के बीच में रोजाना  झगड़ा होता है. बिना बात के ही दोनों तूतूमैंमैं पर उतर आते हैं. दोनों की लड़ाई में मेरे सिर में दर्द होने लगता है. मैं बहुत परेशान हो गई हूं. कैसे दूर करूं दोनों का  झगड़ा?

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जवाब

यह समस्या आज कई मातापिताओं को  झेलनी पड़ रही है. वैसे तो छोटे होने तक भाईबइन के बीच लड़ाई झगड़ा होना लाजिमी है लेकिन आज के माहौल में जब बच्चे घर से बाहर नहीं निकल रहे, स्कूल बंद हैं, फ्रैंड्स न घर आ सकते हैं और न बच्चे उन के घर जा सकते हैं संक्रमण के डर से तो उन में आपस में  झगड़ा होना आम है. बच्चे जब औनलाइन क्लासेस से फ्री हो जाते हैं और अपनी एकेडमिक एक्टिविटी से फ्री होते हैं तो टाइम पास करना उन के लिए मुश्किल हो जाता है.

तब भाईबहन बात को बढ़ा कर उसे  झगड़े का रूप दे बैठते हैं. यह सब पेरैंट्स के लिए बड़ी सिरदर्दी होती है. दोनों के बीच किसी एक को सही बताना और फिर दूसरे को मनाना, पेरैंट्स के लिए किसी पहाड़ पर चढ़ने से कम नहीं होता. लेकिन फिर भी स्थिति को आप थोड़ाबहुत संभाल सकते हैं. यदि आप देख रहे हैं कि बच्चों के बीच लगातार कंपीटिशन बना रहता है तो इस के कारण को जानें. पेरैंट्स के एक बच्चे को कम अटैंशन देने की वजह से उस बच्चे में आत्मविश्वास कम हो सकता है. जब आप कारण का पता लगा कर उसे दूर कर देंगे तो बच्चों के बीच कंपीटिशन अपनेआप खत्म हो जाएगा. बच्चों को उन के पसंद के काम में बिजी रखें. उन के साथ बैठें, बातें करें. हंसीमजाक करें. उन की पसंद का खाना, स्नैक्स आदि उन्हें देंगी तो वे दोनों खुश रहेंगे और आपस में लड़ने झगड़ने का उन्हें वक्त ही नहीं मिलेगा.

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मैं पढ़ाई करना चाहती हूं लेकिन मेरे पिताजी शादी कराना चाहते हैं, क्या करूं?

सवाल

मैं 21 साल की हूं और पढ़ाई में बहुत अच्छी हूं. मुझे सरकारी इम्तिहान पास कर के अफसर बनना है. मैं उस के लिए खूब मेहनत भी कर रही हूं, पर मेरे पिता मेरी शादी करा कर अपनी जिम्मेदारी से छुटकारा पा लेना चाहते हैं. वे समझते ही नहीं हैं कि कैरियर बनने के बाद भी मेरी शादी हो सकती है. मैं क्या करूं?

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जवाब

आप के पिता की चिंता अपनी जगह उतनी ही ठीक है, जितनी कि खुद के कैरियर के लिए आप की अपनी दलीलें हैं.

आप उन से एक तयशुदा समय मांग लें कि इतने साल बाद नौकरी नहीं लगी तो शादी कर लूंगी. साथ ही, उन्हें यह एहसास कराती रहें कि लड़कियों की पढ़ाईलिखाई अच्छी हो तो घरवर अच्छा मिल जाता है और बुरे समय में नौकरी ही सहारा होती है.

अगर सरकारी नौकरी मिल जाए तो बुरा समय भी आने से डरता है. वे न मानें, तो आप भी अपनी जिद पर अड़ी रहें.

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ऑनलाइन क्लास से लिखने की आदत छूट गई है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 12वीं क्लास का छात्र हूं. कोरोना के चलते इस बार स्कूल तो बिलकुल ठप हो गया है. औनलाइन क्लास तो होती है, पर उस से लिखने की आदत बिलकुल छूट गई है. अगर कल को बोर्ड के इम्तिहान होंगे तो उन में लिखना तो पड़ेगा न. इसी बात को सोचसोच कर मैं तनाव में रहता हूं. मु झे सही
सलाह दें.

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जवाब

यह आप की ही नहीं, बल्कि करोड़ों छात्रों की समस्या है कि कोरोना के चलते पढ़ाईलिखाई डगमगा गई है. आप औनलाइन पढ़ाई के बाद बचे वक्त में लिखने की प्रैक्टिस करते रहें. इस से इम्तिहान में लिखने की परेशानी नहीं आएगी.

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मेरी सासू मां सोने पर भी पाबंदियां लगाती है, मैं क्या करूं?

सवाल
मैं 25 वर्षीय महिला हूं. हाल ही में शादी हुई है. पति घर की इकलौती संतान हैं और सरकारी बैंक में कार्यरत हैं. घर साधनसंपन्न है. पर सब से बड़ी दिक्कत सासूमां को ले कर है. उन्हें मेरा आधुनिक कपड़े पहनना, टीवी देखना, मोबाइल पर बातें करना और यहां तक कि सोने तक पर पाबंदियां लगाना मुझे बहुत अखरता है. बताएं मैं क्या करूं?

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जवाब
आप घर की इकलौती बहू हैं तो जाहिर है आगे चल कर आप को बड़ी जिम्मेदारियां निभानी होंगी. यह बात आप की सासूमां सम झती होंगी, इसलिए वे चाहती होंगी कि आप जल्दी अपनी जिम्मेदारी सम झ कर घर संभाल लें. बेहतर होगा कि ससुराल में सब को विश्वास में लेने की कोशिश की जाए. सासूमां को मां समान सम झेंगी, इज्जत देंगी तो जल्द ही वे भी आप से घुलमिल जाएंगी और तब वे खुद ही आप को आधुनिक कपड़े पहनने को प्रेरित कर सकती हैं.

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घर का कामकाज निबटा कर टीवी देखने पर सासूमां को भी आपत्ति नहीं होगी. बेहतर यही होगा कि आप सासूमां के साथ अधिक से अधिक रहें, साथ शौपिंग करने जाएं, घर की जिम्मेदारियों को समझें, फिर देखिएगा आप दोनों एकदूसरे की पर्याय बन जाएंगी.

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मेरी पत्नी की मृत्यु हो चुकी है, मैं बच्चों की सारी जरूरतें कैसे पूरा करूं?

सवाल

मैं 43 वर्षीय पुरुष हूं. जिंदगी में मैं ने जो चाहा, कभी नहीं मिला. कालेज टाइम में चाहता था कोई गर्लफ्रैंड बने, लेकिन नहीं बनी. एक लड़की को बहुत पसंद करता था लेकिन कभी उस से बोल नहीं पाया. शादी हुई तो सोचा सिंपल सी प्यार भरी लाइफ होगी लेकिन पत्नी ऐसी मिली जिसे सैक्स में रुचि न थी. डिप्रैशन में रहती थी. एक साल के अंदर ही तलाक हो गया. दूसरी शादी की, पत्नी झगड़ालू निकली. मेरे मातापिता से लड़ती. मुझ से ज्यादा पढ़ीलिखी थी, सो इस बात का मुझ पर रोब झाड़ती. खैर, उस ने जुड़वां बच्चों को जन्म दिया, लेकिन डिलीवरी के दौरान कुछ कौंप्लिकेशंस के कारण उस की मौत हो गई.

अब बच्चों को पालने की जिम्मेदारी पूरी तरह से मेरे ऊपर है. पिताजी का देहांत हो चुका है और मम्मी बीमार रहती हैं. सोचता हूं, उन्हें कुछ हो गया तो मैं तो बिलकुल अकेला हो जाऊंगा. रिश्तेदार शादी करने की सलाह देते हैं तो कोई कहता है एक बच्चा मैं गोद दे दूं, 2-2 बच्चे संभालना मुश्किल है.

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आर्थिक प्रौब्लम भी है. प्राइवेट जौब करता हूं. कब छूट जाए, कुछ कह नहीं सकता क्योंकि कंपनी घाटे में चल रही है. मम्मी का कहना है कि शादी के बारे में सोचना छोड़, बच्चों की परवरिश के बारे में सोचूं. लेकिन पुरुष हूं, मेरी शारीरिक जरूरत भी है. मैं बहुत उलझन में हूं. कुछ सोच नहीं पा रहा कि लाइफ में मेरे लिए क्या अच्छा और क्या बुरा?

जवाब

वाकई आप की जिंदगी में मिठास कम, कड़वाहट ज्यादा रही है. खैर, जो हो गया सो गया. अब आगे की ओर देखिए. फिलहाल, अभी आप की पहली समस्या है जुड़वां छोटे बच्चों को पालना. आप की मम्मी ठीक कह रही हैं कि आप का फोकस अभी बच्चों की परवरिश पर होना चाहिए. अभी तो सिर्फ बच्चों की जिम्मेदारी है. दोबारा शादी कर लेंगे तो पत्नी की जिम्मेदारी भी उठानी पड़ेगी और उसे भी अपना वक्त देना पड़ेगा.

दूसरे, इस बात की क्या गारंटी कि वह गाय की तरह इतनी सीधी होगी कि छोटेछोटे बच्चों को भी संभाल लेगी, घर के कामकाज भी करेगी. आप को शारीरिक सुख देगी तो बदले में क्या कुछ नहीं चाहेगी. क्या आप उस की जरूरतें पूरी करने की हालत में हैं. घर में रुपएपैसे की दिक्कत ही झगड़े पैदा करती है. जिस जने की 2 शादियां हो चुकी हों, उसे नई लड़की मिलेगी भी नहीं. इसलिए हमारी राय में इस वक्त आप का शादी करना एक और मुसीबत अपने सिर ले लेने जैसा है.

अभी आप अपने हिसाब से घर चला रहे हैं. मम्मी का साथ अभी बना हुआ है. उन की हैल्प के लिए डेटाइम एक मेड रख लें. घर के काम और बच्चों को संभालने में मम्मी की मदद हो जाएगी.

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जहां तक शारीरिक सुख की बात है, तो आजकल कई वैबसाइट्स हैं जहां आप की तरह ही कई लेडीज भी हैं जो रिलेशनशिप में विश्वास रखती हैं. फिजिकल रिलेशन के लिए शादी जरूरी तो नहीं. दोदो शादी कर के आप देख भी चुके हैं. और अब तो हालत ऐसी है कि शादी करना किसी भी एंगल से ठीक नहीं लग रहा. बस, पूरी तरह से देखपरख कर रिलेशनशिप का सलैक्शन कीजिएगा. कहीं फिर किसी मुसीबत में न पड़ जाना.

आप हर कदम फूंकफूंक कर रखना. खुद खुश रहना है और बच्चों की खुशीखुशी परवरिश करनी है. ज्यादा आगे की मत सोचिए. भविष्य किसी ने नहीं देखा. बस, वक्त को जितना आसान बना सकते हैं, बनाइए और अपने को फाइनैंशियली स्ट्रौंग बनाने की कोशिश कीजिए.

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नानाजी की मौत से बहुत दुखी हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

कुछ महीने पहले मेरे नानाजी गुजर गए. वे मुझे बहुत मानते थे. उन्होंने मुझे कभी किसी चीज की कोई कमी नहीं होने दी. उन के बगैर मेरा मन बहुत दुखी रहता है. मैं क्या करूं?

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जवाब

जीनामरना तो जिंदगी का दस्तूर है. आज नानाजी गए हैं, कल को और लोग भी जाएंगे. आप नानाजी की मौत को सहजता से स्वीकार करें.

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मैंने पैतृक संपत्ति में से अपना हक मांगा तो लोग मुझे लालची समझ रहे हैं, क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 55 वर्ष है. मायका मेरा संपन्न है. 2 भाई हैंदोनों बहुत अच्छा कमा रहे हैंअपने अलगअलग घरों में रहते हैं. मम्मीपापा दोनों अपनी पैतृक कोठी में रहते थे. दोनों की पिछले वर्ष मृत्यु होने के बाद उस पैतृक कोठी को बेचने की बात उठी.  मैंने उस में अपना हिस्सा मांगा क्योंकि मेरे पति की कोई खास कमाई नहीं है. भाइयों के पास धनदौलतजमीनजायदाद की कमी नहीं है. इसलिए पैतृक संपत्ति में से मैं ने अपना हक मांगा. लेकिन दोनों भाइयों के मुंह बन गए. रिश्तेदारी में मुझे लालची औरत समझा जा रहा है. क्या मैं ने अपना हक मांग कर कोई गलत काम किया है. मुझे अपराधबोधी बनाया जा रहा है. मैं मानसिक यंत्रणा से गुजर रही हूं. बताइएक्या मैं इस से पीछे हट जाऊंअपना हक न लूं?

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जवाब

यह अफसोस की बात है कि हमारे समाज में पैतृक संपत्ति में अपना बराबर का हक मांगने वाली लड़कियों की समाज में लालची स्त्री की छवि बनती हैन कि अपने हक के लिए जागरूक लड़की की. मतलब लड़की सिर्फ अपने हिस्से के हक को मांगने भर से भी लालचीतेजतर्रार और विद्रोही मान ली जाती है जबकि भाई अपनी बहन के आर्थिक हक को मारने के बाद भी लालची नहीं माने जाते. अकसर ही बहनों का हक छीनने का न तो भाइयों को खुद ही कोई अपराधबोध होता है और न ही परिवाररिश्तेदार या समाज ही उन्हें ऐसा महसूस कराने की कोशिश करते हैं. लेकिन यदि संपत्ति में अपना हिस्सा लेने के कारण भाइयों से संबंध खत्म या खराब हो जाएं तो परिवाररिश्तेदार और समाज के लोग अकसर ही इस बात के लिए बहनों को और भी ज्यादा अपराधबोध में डालने की भरपूर कोशिश करते हैं.

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मायके से संबंध खराब होने और रिश्तेदारों में छवि बिगड़ने के डर के चलते ही हिंदू उत्तराधिकार कानून बनने के 13 सालों बाद भी ज्यादातर लड़कियां पैतृक संपत्ति में अपना हक नहीं ले पा रही हैं. समय के साथ लड़कों की सोच में बदलाव होगासो होगा लेकिन इस की पहल लड़कियों को ही करनी होगी क्योंकि खुद चल कर कोई उन का हक देने नहीं आएगा. साथ ही यदि मातापिता बचपन से ही सिर्फ बेटों को ज्यादा अहमियत न दें और लड़कियों को अकसर ही भाइयों की खुशी के लिए कुछ न कुछ त्याग करने को न कहें तो बेटे भी संपत्ति के बंटवारे को बहुत ही सहजता से लेंगे. लेकिन तब तक महिलाओं को मायके से संबंध खराब होने के डर से अपने आर्थिक हकों को नहीं छोड़ना चाहिए. जो संबंध सिर्फ संपत्ति के देने और न देने से ही कमजोर या मजबूत होता हो उस संबंध के खोखलेपन को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.

बहरहालआप अपराधबोध से ग्रस्त न हों और अपना हक लेने में संकोच न करें.

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मेरी बेटी पढ़ाई के अलावा कोई बात नहीं करती है, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 52 वर्ष है, कामकाजी माहिला हूं. मेरी बेटी 24 वर्ष की है, एमफिल की तैयारी कर रही है. बेटी के साथ मेरे संबंध कभी खास नहीं रहे. वह अपने में मस्त रहती है. अब मैं उस में कई बदलाव महसूस कर रही हूं. वह नाममात्र खाना खाती है, कभी भी रोती हुई दिख जाती है, कभी वह बेसुध पड़ी रहती है तो कभी किताबों या अपने फोन में गुम रहती है. मुझे याद भी नहीं आखिरी बार कब वह खुल कर हंसी थी या सब के साथ बैठ कर उस ने बातचीत की थी. मैं उस से बात करने की कोशिश करती हूं, तो वह उठ कर चली जाती है या ध्यान नहीं देती. उस के पापा भी उस से उस की पढ़ाई के अलावा कोई बात नहीं करते. मुझे अपनी बेटी की बहुत चिंता हो रही है और समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं.

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जवाब

आप अपनी बेटी में जो बदलाव देख रही हैं उस से साफ है कि उसे कोई बात परेशान कर रही है जिस के बारे में वह किसी से बात नहीं करना चाहती क्योंकि जैसा कि आप ने बताया वह घर में किसी के करीब नहीं है. आप को और आप के पति को साथ बैठ कर अपनी बेटी से बात करनी चाहिए. वह बताने में आनाकानी जरूर करेगी लेकिन उसे किस बात से परेशानी है वह जरूर बता देगी. आप ने जिस तरह बताया उस से साफ है कि वह ठीक नहीं है. वर्तमान माहौल से स्पष्ट है कि युवा आसानी से अवसादग्रस्त हो सकते हैं. हो सकता है उसे पढ़ाई की चिंता हो, किसी दोस्त से लड़ाई हुई हो या बौयफ्रैंड से ब्रेकअप. अगर वह आप से बात करने को तैयार न हो तो आप को किसी मनोवैज्ञानिक डाक्टर से कंसल्ट करना चाहिए.

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मैं एक्टर बनना चाहता हूं, इसके लिए मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल

मैं 18 साल का एक गरीब घर का लड़का हूं. मैं बीए पास हूं और देखने में हैंडसम भी हूं. मैं फिल्मों में जाना चाहता हूं, पर मुझे ऐक्टिंग का कोई अनुभव नहीं है. क्या मेरा यह सपना पूरा हो सकता है? इस सिलसिले में मुझे सही राह दिखाएं?

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जवाब

न तो ऐक्टिंग ही आसान काम है और न ही फिल्म इंडस्ट्री में मुकाम हासिल कर पाना हंसीखेल है. अगर आप खूबसूरती के दम पर फिल्मों का सपना देख रहे हैं तो वक्त रहते जाग जाएं, नहीं तो इन सपनों में आप का बहुत वक्त बरबाद हो जाएगा.

अगर आप वाकई संजीदा हैं, तो ऐक्टिंग का कोई कोर्स करें. इस के लिए अपने शहर के किसी ऐक्टिंग स्कूल या नाटक मंडली में दाखिला लें और फिर देखें कि ऐक्टिंग आप के बस की बात है या नहीं. लगन और मेहनत से कोई भी सपना पूरा हो जाता है, लेकिन ऐक्टिंग का होगा, इस की कोई गारंटी नहीं है.

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