अकसर जवां लड़केलड़कियां जवानी के जोश में फिसल जाते हैं और जानेअनजाने ऐसी गलती कर बैठते हैं जिस का हर्जाना उन्हें लंबे समय तक भुगतना पड़ता है. जिस तरह इलाज से बेहतर रोकथाम है उसी तरह पिल्स से बेहतर है कंडोम उपयोग करना.
शा दी से पहले सैक्स किसी भी तरह से उचित नहीं होता पर कई बार लड़केलड़कियां बहक जाते हैं. वे शादी से पहले ही शारीरिक संबंध बना लेते हैं. इस से उन के सामने कई तरह की परेशानियां पैदा हो जाती हैं. ऐसे में उन खतरों और उन से बचाव के तरीकों को जानना जरूरी होता है.
नेहा रिलेशनशिप में थी. उस का बौयफ्रैंड विकास कई बार सैक्स करने के लिए दबाव डालता था. नेहा यह कह कर टाल देती थी कि शादी से पहले सैक्स करना ठीक नहीं है. विकास पहले तो उस की बात मान लेता था लेकिन इस बार उस ने जिद पकड़ ली. नेहा को मजबूरी में विकास की बात माननी पड़ी.
विकास ने यूट्यूब पर वीडियो खोल कर दिखाया कि सैक्स से 72 घंटे के अंदर अगर इमरजैंसी पिल्स खा ली जाएं तो प्रैग्नैंसी का खतरा नहीं रहता है. नेहा ने भी देखा, बात सही थी. प्रैग्नैंसी के खतरे को भूल कर दोनों ने सैक्स का भरपूर मजा लिया. सुबह होते ही विकास मैडिकल स्टोर पर गया और इमरजैंसी पिल्स का पैकेट ले आया.
जिस तरह से पैकेट के ऊपर लिखा था उसी तरह से नेहा ने दवा खा ली. इस के बाद समय गुजरने लगा. नेहा का अगले माह पीरियड नहीं हुआ. दोचार दिन उस ने ध्यान नहीं दिया. कई बार पीरियड्स कई दिन बाद होते थे. जब एक सप्ताह गुजर गया तो उस ने अपनी जानने वाली डाक्टर नीरू मित्तल से पूरी बात बता कर अपनी परेशानी बताई.
डाक्टर नीरू मित्तल ने नेहा को सम?ाते हुए कहा, ‘नेहा, इमरजैंसी पिल्स 100 प्रतिशत सेफ नहीं होतीं. कई बार इस के खाने के बाद भी प्रैग्नैंसी कंसीव हो जाती है. ऐसे में तुम फौरन अपनी प्रैग्नैंसी की जांच कराओ.’
नेहा ने डाक्टर की सलाह मानी और अपना टैस्ट कराया. डाक्टर नीरू मित्तल का अंदाजा सही निकला. नेहा के मामले में इमरजैंसी पिल्स ने काम नहीं किया था. नेहा प्रैग्नैंट हो चुकी थी. उस ने पूरी बात विकास को बताई. दोनों ने यह तय किया कि वे एबौर्शन करा देंगे. नेहा और विकास की रिलेशनशिप का पता उन के घर वालों को था. ऐसे में विकास ने कहा, ‘मैं घर में बात कर के शादी कर लेता हूं. दोनों ने अपने घर वालों से बात की. घर वालों को भी नेहा की प्रैग्नैंसी के बारे में बता दिया. दोनों के ही घर वाले इस बात पर राजी हो गए. एक माह के अंदर ही दोनों की शादी हो गई.
हर किसी की कहानी नेहा जैसी सुखद नहीं होती. दीपा के साथ भी इसी तरह की दिक्कत हो गई. उन दोनों के घर वालों को कुछ पता भी नहीं था और वे शादी के लिए तैयार भी नहीं होते. ऐसे में दीपा ने इंटरनैट में छपी जानकारी के चलते गर्भपात यानी एबौर्शन करने वाली दवा खा ली. इस से एबौर्शन तो हुआ पर इस के बाद भी ब्लीडिंग हो रही थी. दीपा बीमार सी रहने लगी. उस ने अपनी डाक्टर को दिखाया तो उन्होंने अल्ट्रासाउंड कर के देखा, पता चला कि एबौर्शन की दवा से सही एबौर्शन नहीं हुआ था. भ्रूण के कुछ हिस्से बच्चेदानी में रह गए थे, जिस के कारण यह ब्लीडिंग हो रही थी. दीपा को डाक्टर के यहां भरती होना पड़ा. फिर से सही तरह एबौर्शन किया गया तब उस की परेशानी का समाधान हुआ.
देश में असुरिक्षत गर्भपात बहुत बड़ी समस्या है. सामाजिक दबाव के चलते लोग चोरीचुपके एबौर्शन कराते हैं. जो कई बार जानलेवा हो जाता है. इस का सब से बड़ा कारण अनसेफ सैक्स होता है. गर्भ को रोकने क लिए इमरजैंसी पिल्स का प्रयोग धड़ल्ले से होने लगा है.
यह अनसेफ होने के साथ ही साथ हैल्थ के लिए भी खतरनाक होती है. डाक्टर नीरू मित्तल कहती हैं, ‘ज्यादातर मामलों में इमरजैंसी पिल्स सफल रहती हैं. ऐसे में कई बार लड़कियां इस का नियमित प्रयोग करने लगती हैं. लड़कियों को यह जानकारी रखनी चाहिए कि यह नियमित प्रयोग के लिए नहीं है. यह नियमित गर्भनिरोधक दवाओं की श्रेणी में नहीं आती है. नियमित प्रयोग से यह हैल्थ पर बुरा प्रभाव डालती है.’
इमरजैंसी पिल्स के खतरे
दिनोंदिन इमरजैंसी गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. इस से युवतियों में कई तरह की स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं देखने को मिल रही हैं. एक स्टडी से पता चलता है कि 79 फीसदी दवा विक्रेताओं को इमरजैंसी गर्भनिरोधक गोलियों के साइड इफैक्ट और पीरियड से जुड़े अपेक्षित बदलाव के बारे में पता नहीं था.
85.71 फीसदी विक्रेताओं को यह भी पता नहीं था कि गोलियों के इस्तेमाल से गर्भाधारण से छुटकारा मिलेगा या नहीं. कई मरीज ऐसे थे जिन को अनियमित पीरियड और प्रैग्नैंसी रोक पाने में नाकामी की शिकायत थी. जब उन से पूछा गया तो उन लोगों ने गर्भनिरोधक गोलियों के इस्तेमाल करने की बात स्वीकार की.
असुरक्षित गर्भपात के खतरे
भारत में गर्भपात से जुड़े आंकड़े बताते हैं कि देश में हर साल जितना भी गर्भपात होते हैं उन में से आधे सिर्फ इसलिए होते हैं क्योंकि वे अनचाहे गर्भ थे. लगभग 27 प्रतिशत महिलाएं एबौर्शन करवाने के लिए अस्पताल नहीं जाती हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने भारत में अविवाहित युवतियों को भी 24 हफ्तों तक गर्भपात का अधिकार दे दिया है. आंकड़े बताते हैं कि भारत में गर्भपात की सब से बड़ी वजह प्रैग्नैंसी का अनचाहा होना है. आंकडों के अनुसार, 47.6 प्रतिशत गर्भपात इसलिए होते हैं क्योंकि वे अनप्लान्ड थे.
भारत में गर्भपात को ले कर मैडिकल स्टैंडर्ड और सुरक्षा की कमी देखने को मिलती है. आंकड़े बताते हैं कि भारत में जितने गर्भपात होते हैं उस का लगभग 27 फीसदी घरों में होते हैं. यानी, महिलाएं/लड़कियां एबौर्शन के लिए अस्पताल नहीं जाती हैं बल्कि इस मैडिकल प्रक्रिया को खुद ही कर लेती हैं.
शहरों में 21.6 प्रतिशत गर्भपात महिलाएं स्वयं करवा लेती हैं जबकि ग्रामीण महिलाओं के लिए यह आंकड़ा 30 फीसदी है. भारत में आधे से अधिक लगभग 54.8 महिलाएं गर्भपात के लिए डाक्टर के पास जाती हैं. भारत में 3.5 प्रतिशत एबौर्शन तो दोस्त और रिश्तेदार करवा देती हैं.
संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड पौपुलेशन रिपोर्ट 2022 के अनुसार भारत में हर दिन असुरक्षित गर्भपात से जुड़े कारणों की वजह से लगभग 8 महिलाएं मौत का शिकार होती हैं. इस के अलावा असुरक्षित गर्भपात भारत में मातृ मृत्युदर की तीसरी बड़ी वजह है.
दिल्ली में गर्भपात का विकल्प चुनने वाली महिलाओं का अनुपात राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से ज्यादा है. राजधानी में गर्भवती हुई 5.7 फीसदी महिलाएं गर्भपात का विकल्प चुनती हैं. जबकि राजस्थान में यह आंकड़ा 1.5 प्रतिशत और मध्य प्रदेश में 1.3 प्रतिशत है. 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में गर्भपात का विकल्प चुनने वाली महिलाओं का अनुपात राष्ट्रीय औसत 2.9 से ज्यादा है.
पिल्स के मुकाबले कंडोम बेहतर
इमरजैंसी पिल्स के मुकाबले कंडोम का प्रयोग सुरक्षित होता है. जरूरत इस बात की होती है कि इस का प्रयोग सही तरह से किया जाए. कई बार इस का पहली बार प्रयोग करने में दिक्कत आती है, जिस की वजह से कंडोम के फटने और उतर जाने का खतरा रहता है.
ऐसे में कंडोम का प्रयोग करने से पहले उस के प्रयोग करने की सही जानकारी कर लेनी चाहिए. सही तरह से प्रयोग होने के बाद यह सब से सुरक्षित गर्भनिरोधक होता है. यह न केवल गर्भ को ठहरने से रोकता है बल्कि यौन संक्रमण से भी बचाता है. ऐसे में सही बात यह है कि यह सब से सुरक्षित गर्भ निरोधक है. इस का सेहत पर किसी तरह से कोई कुप्रभाव भी नहीं पड़ता है. कई पार्टनर्स होते हैं जिन में एसटीआई यानी यौन संक्रमण फैलने का खतरा ज्यादा होता है. उन को गर्भनिरोधक के तौर पर कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए, न कि इमरजैंसी गोलियों का.
कंडोम का सही प्रयोग कैसे करें
कंडोम अनचाहे गर्भ से सुरक्षित रखता है. इस का उपयोग करने से यौन जनित रोगों से भी सुरक्षित रहा जा सकता है. सैक्स के दौरान कंडोम का उपयोग पूरी तरह से तभी सुरक्षित हो सकता है जब इस का सही इस्तेमाल किया जाए. अगर इस के इस्तेमाल में जरा भी चूक की जाए तो यह कई समस्याओं का कारण भी बन सकता है.
कंडोम रबड़ का बना हुआ एक कवर होता है जिस का इस्तेमाल पुरुष पेनिस को ढकने के लिए करते हैं. इस से सैक्स के दौरान पुरुष अपने शुक्राणुओं को महिला के गर्भाशय में प्रवेश करने से रोक सकते हैं. इसी तरह, महिलाओं के लिए भी कंडोम बने हुए हैं जिसे योनि के अंदर फिट किया जा सकता है. अगर कंडोम का उपयोग ठीक प्रकार से किया जाए तो यह गर्भधारण के जोखिम को 85 फीसदी से 98 फीसदी तक रोक सकता है. एक कंडोम का इस्तेमाल सिर्फ एक बार के लिए ही किया जा सकता है.
इंटरकोर्स करते समय लगाने के बजाय कुछ समय पहले उसे पहनने की कोशिश करें. अकेले में कुछ बार कंडोम पहनने की कोशिश करें और सीखें कि उसे कैसे और कितने समय में पहना जा सकता है. कंडोम का पैक खोलने से पहले उस के लेबल पर लिखे गए निर्देशों को सावधानी से पढ़ें