सैक्स ऐजुकेशन का कमाल खुशहाल रहें नौनिहाल

यह बेहद आसान होता जा रहा है कि गलत समझ या बिना समझ के बच्चे सैक्स से जुड़ी कुंठा में फंस जाते हैं और बहुत बार कुछ ऐसा करने पर मजबूर हो जाते हैं, जो उन्हें मानसिक तनाव में धकेल देता है. दूसरी ओर बहुत से बच्चे किसी घटिया इनसान द्वारा काफी देर तक अपने साथ होने वाले बुरे बरताव को बरदाश्त करते रहते हैं.

इसी सब्जैक्ट पर बनी एक बेहतरीन फिल्म ‘ओएमजी 2’ आप को यह समझाती है कि इस मुद्दे पर बात करना और इस के साथ ऐजूकेशन सिस्टम में सैक्स ऐजूकेशन पर बात करना कितना जरूरी है.

बातबात पर लोग बच्चों में अपराधबोध पैदा करते हैं. बच्चों को यह तो बताया जाता है कि वह गलत है, पर यह नहीं बताया जाता कि सही क्या है? बिना यह समझे कि उन्हें सही और गलत समझाएगा कौन.

बढ़ते अपराधों के बीच सुधार पर कोई भी काम को छोड़ आजकल अधिकतर लोग पौक्सो ऐक्ट लगा कर ज्यादातर बच्चों को अपराधी बना कर जेल में डाल देना चाहते हैं.

‘ओएमजी-2’ इन सभी सवालों पर बात करती एक उम्दा फिल्म है, जिसे पूरे परिवार के साथ देखना चाहिए. मगर ‘ओएमजी-2’ एडल्ट सर्टिफिकेट के साथ रिलीज हुई है. सैंसर बोर्ड ने ऐसा करने से पहले क्या सोचा होगा, यह समझना मुश्किल है, जबकि फिल्म अपनेआप में यह जवाब देती है कि समाज ने कैसे इस सब्जैक्ट पर बात करने को भी टैबू बना दिया है.

हमें यह समझना होगा कि बच्चे पर सवाल उठाने की जगह उसे समझना और सही शिक्षा देना समाज के लिए ज्यादा कारगर होगा. ऐसे सब्जैक्ट पर अगर कोई फिल्म आती है तो वह हमारे समाज की जरूरतों को सही दिशा में दिखाने की कोशिश करती है.

दरअसल, भारत में सैक्स ऐजूकेशन की शुरुआत होने के बाद भी इस पर बहुत काम करना बाकी है. आज भी बच्चो में इस सब्जैक्ट की समझ बहुत ज्यादा नहीं बढ़ पाई है, जिस की बड़ी वजह इस पर परिवार, समाज और सभी स्कूलों में अभी भी बच्चों के साथ खुल कर बातचीत नहीं होती है और न ही उन की जरूरतों को समझने की कोशिश ही की जा रही है.

जिस तरह औरतों और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, ऐसे में सामाजिक रूप से हमें यह समझने की जरूरत है कि यह हो क्यों रहा है? एनसीआरबी की साल 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चों के खिलाफ अपराध से संबंधित कुल 1,49,404 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि साल 2021 में 1,28,531 मामले दर्ज किए गए, जो 16.2 फीसदी की बढ़ोतरी है.

किसी बच्चे के खिलाफ हर तीसरा अपराध पौक्सो अधिनियम के तहत दर्ज किया गया था, वहीं महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर (प्रति 1 लाख जनसंख्या पर घटनाओं की संख्या) में बढ़ोतरी हुई है और साल 2022 में 4,28,278 मामले दर्ज किए थे.

बैन हल नहीं एक न्यूज रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में बच्चे कम उम्र में ही पोर्नोग्राफी के संपर्क में आ रहे हैं. पहली बार पोर्नोग्राफी के संपर्क में आने की औसत उम्र 13 साल है. पोर्न साइटों को ब्लौक करने की कोशिशों के बावजूद इस में बढ़ोतरी जारी है और ऐसे बैन ने अनजाने में ही बच्चों की जिज्ञासा बढ़ा दी है.

माहिरों की मानें, तो जो बच्चे पारिवारिक टूट का शिकार ज्यादा होते हैं, उन में पोर्नोग्राफी की लत लगने का खतरा ज्यादा होता है.

इस के अलावा खराब पारिवारिक माहौल बच्चों को पोर्न की लत की ओर ले जाने में खास रोल निभाता है.

अपने ही कर रहे जुल्म इस के अलावा ये बच्चे किसी भी अनहोनी का आसान शिकार भी होते हैं. जो लोग बच्चों को टारगेट करना चाहते हैं, वे ऐसे मौकों का फायदा उठाने में पीछे नहीं हटते हैं, जहां कोई बच्चा पारिवारिक टूट का शिकार हो रहा हो या वह किसी मानसिक तनाव से गुजर रहा हो, जिसे उस के आसपास के करीबी लोग अनदेखा कर रहे हों.

हम सब बहुत सी ऐसी खबरें पढ़ते हैं, जिन में बच्चों को गलत तरीके से बहला कर कोई उन के साथ शोषण करता है या उन में पोर्नोग्राफी की लत लगा कर उन का वीडियो बना कर वायरल कर देता है और यह सब होना कोई भी बच्चा जिंदगीभर भूल नहीं पाता है.

क्यों जरूरी है सैक्स ऐजूकेशन

साल 2007 में भारत सरकार ने किशोर शिक्षा कार्यक्रम की शुरुआत की थी. इस का लगातार विरोध होता रहा था. कुछ राज्यों ने तो इस पर बैन लगा दिया था. इस के बावजूद भी यह कार्यक्रम कुछ चुनिंदा सरकारी और निजी स्कूलों में लागू किया गया.

हालांकि अब यह समझने की जरूरत है कि इस सब्जैक्ट से हिचकिचाने से काम नहीं चलेगा. अगर बच्चों को सही यौन शिक्षा नहीं दी गई, तो लिंग से जुड़ी हिंसा, गैरबराबरी, अनचाहा गर्भधारण, एचआईवी और दूसरे यौन संचारित संक्रमण बढ़ते जाएंगे और उन्हें रोकना मुश्किल हो जाएगा. ऐसे में जरूरी है कि स्कूल में सिर्फ टीचर ही नहीं,बल्कि मातापिता भी झिझक को दूर रख कर अपने बच्चे से इस सब्जैक्ट पर बात करें.

जब बचपन से जवानी में कदम रखते हैं, तो बहुत से नौजवानों को रिश्तों और सैक्स के बारे में भ्रमित और गलत जानकारी होती है. इसी वजह से पुख्ता जानकारी की मांग बढ़ी है, जो उन्हें एक अच्छी जिंदगी के लिए तैयार करता है.

लिहाजा, यह जरूरी है कि परिवार और समाज के साथ स्कूलों में बच्चों के लिए उन की उम्र के मुताबिक शैक्षिक सामग्री तैयार करने और पाठ्यक्रम के साथ नौजवानों को शामिल किया जाए.

कुछ नागरिक समाज और संगठनों ने इस क्षेत्र में बहुत अच्छा काम किया है. उन की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें स्कूलों में सभी श्रेणियों के छात्रों और शिक्षकों के साथ काम करने के लिए बढ़ावा दिया जाना चाहिए. अगर उन्हें समयसमय पर ब्रीफिंग मिले और कार्यशालाओं से गुजरना पड़े, तो वे ज्यादा असरदार होंगे.

इस के साथ ही यह याद रखने की भी जरूरत है कि भारत साल 1994 में जनसंख्या और विकास पर संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का एक हस्ताक्षरकर्ता देश होने के नाते उस के तहत की गई प्रतिबद्धताओं के रूप में किशोरों और नौजवानों के लिए मुफ्त और अनिवार्य सैक्स ऐजूकेशन देने के लिए बाध्य है.

अपने शरीर और उस की जरूरतों को समझने के लिए अगर किसी बच्चे को उचित ऐजूकेशन दी जाए, तो वह अपनी बीवी, मां, बहन, बेटी, प्रेमिका को बेहतर समझ पाएगा. जिस हिसाब से बच्चों को मोबाइल और इंटरनैट पर गलत जानकारी और पोर्न देखने को मिल जाता है, अगर वहीं स्कूलों में सही जानकारी दी जाए तो क्या गलत है?

नई तकनीक से उम्मीद : तनाव की कमी

मनोहर की शादी को एक हफ्ता हुआ था. वह रात को अपनी नईनवेली दुलहन के पास जाने से कतरा रहा था. इस की वजह थी उस के अंग में तनाव की कमी और वह सैक्स सुख के सागर में गोते नहीं लगा पा रहा था.

मनोहर अकेला ऐसा नहीं है, जो इस तरह की समस्या से जूझ रहा है. दुनियाभर में ऐसे बहुत सारे मर्द हैं, जो अपने अंग में मनचाहे तनाव की कमी के चलते अपने सैक्स पार्टनर के सामने शर्मिंदगी झेलते हैं. इस की सब से बड़ी वजह है कि हम किस तरह से जिंदगी जी रहे हैं.

अगर कोई बीड़ीसिगरेट ज्यादा पीता है, तो उस के अंग में ढीलापन हो सकता है. साथ ही, जो लोग ज्यादा शराब पीते हैं या कोई और नशा करते हैं, वे भी इस समस्या से दोचार हो सकते हैं.

जरूरत से ज्यादा दिमागी तनाव भी सैक्स लाइफ पर बुरा असर डालता है. अपने काम से जुड़े विचारों को बिस्तर पर लाने से मर्द अपने अंग में तनाव की कमी को बढ़ा सकता है. इतना ही नहीं, बढ़ती उम्र भी इस तकलीफ में इजाफा ही करती है.

इस के लक्षण

* शुरुआत में अंग में तनाव पाने में मुश्किल होना.

* सैक्स के लिए पूरे समय तक तनाव बनाए रखने में नाकाम होना.

* प्रवेश के तुरंत बाद तनाव में कमी.

* मनमुताबिक सैक्स न हो पाना.

* सैक्स में दिलचस्पी की कमी.

* आत्मसम्मान में कमी.

* गुस्सा, चिढ़चिढ़ापन, उदासी का होना, खुद को नामर्द महसूस करना.

अंग में तनाव की कमी के मुद्दे पर जब प्लास्टिक, कौस्मैटिक सर्जन और एंड्रोलौजिस्ट डाक्टर अनूप धीर से बात की गई, तो उन्होंने बताया, ‘‘अंग में तनाव की कमी को इंगलिश में ‘इरैक्टाइल डिस्फंक्शन’ कहते हैं. यह ऐसी आम कंडीशन है, जो दुनियाभर में मर्दों को प्रभावित करती है और इस की वजह से उन की जिंदगी की क्वालिटी के साथसाथ रिलेशनशिप भी बिगड़ती है.

‘‘इरैक्टाइल डिस्फंक्शन ऐसी मैडिकल कंडीशन है, जिस में मर्द सैक्स के लिए जरूरी इरैक्शन (तनाव) को हासिल करने या उसे बनाए रखने में नाकाम होता है. यह कई बार किसी शारीरिक या मनोवैज्ञानिक वजह के चलते होता है और आमतौर पर 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को प्रभावित करता है. लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है, क्योंकि यह समस्या किसी भी उम्र के मर्दों को अपना शिकार बना सकती है.

‘‘दिक्कत यह है कि इस समस्या से पीडि़त कई लोग शर्मिंदगी या संकोच के चलते इलाज कराने की पहल भी नहीं करते हैं. लिहाजा, उन के रिश्ते लगातार बिगड़ते रहते हैं. पर अगर समस्या है, तो उस का हल भी है.

‘‘हालांकि इरैक्टाइल डिस्फंक्शन के लिए फास्फोडिस्टेरेज (पीडीई5) 5 इंहिबिटर्स के साथ ओरल फार्मोकोथैरेपी ही अभी तक प्रमुख इलाज मानी जाती रही है, लेकिन इस समस्या का सामना कर रहे मर्दों को बेहतर समाधान देने के लिए नए उपायों की तलाश लगातार जारी है.

‘‘ऐसा ही एक नया उपाय है टौपिकल जैल इरौक्सौन, जो अंग में तनाव की कमी से जूझ रहे मर्दों के लिए अच्छे नतीजे दिला रहा है.

‘‘फूड ऐंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यानी एफडीए द्वारा स्वीकृत इरौक्सौन एक ऐसा टौपिकल जैल है, जो इरैक्टाइल की समस्या से जूझ रहे मर्दों के लिए उम्मीद की नई किरण है. इस जैल को सैक्स करने से ठीक पहले अंग के मुख पर सीधे लगा सकते हैं.

‘‘स्टडी से यह बात सामने आई है कि इरौक्सौन का इस्तेमाल करने वाले 65 फीसदी मर्दों ने 10 मिनट के भीतर इरैक्शन महसूस किया और वे सैक्स करने के लिए जरूरी इरैक्शन (तनाव) को बरकरार रख सके.

‘‘फिलहाल इसे एक क्रीम (विटारौस/विरिरेक) के तौर पर भी दिया जाता है, जिस में अंग के सक्रिय भाग पर ऐक्टिव दवा (एल्प्रोस्टेडिल, जो सिंथैटिक प्रोस्टाग्लैंडिन ई1 है) के तौर पर स्किन एन्हान्सर के साथ इस्तेमाल किया जाता है.

‘‘याद रहे कि दिल से जुड़ी बीमारी और डायबिटीज को अंग में तनाव संबंधी दोष का प्रमुख कारण माना जाता है, इसलिए ईडी संबंधी लक्षणों के दिखाई देने पर इन रोगों के लक्षणों पर गौर करें और डाक्टर से मिल कर जरूरी मैडिकल सलाह लें.

‘‘नियमित रूप से अपनी सेहत की जांच करवाएं, ब्लड प्रैशर पर नजर रखें और डायबिटीज की जांच करवाएं, ताकि ईडी के इन संभावित कारणों का पता लगा कर इन का समय पर इलाज किया जा सके.

‘‘इरैक्टाइल डिस्फंक्शन (ईडी) के उपचार के लिए इरौक्सौन नया टौपिकल जैल है, जो अंग में तनाव की समस्या, इस के उपचार और प्रबंधन के तौरतरीकों में क्रांति कर सकता है.

‘‘इरौक्सौन को अमेरिका में स्वीकृति मिल चुकी है और फिलहाल यह ब्रिटेन में भी उपलब्ध है. हालफिलहाल भारत में यह नहीं मिलता है, लेकिन जल्द ही भविष्य में यह उपलब्ध हो सकता है. यह अंग में तनाव लाने में क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है.

‘‘इस के अलावा अंग में तनाव लाने का एक और तरीका है, जिसे लिंग प्रत्यारोपण यानी पेनाइल इंप्लांट कहते हैं. यह एक ऐसा उपकरण है, जिसे आपरेशन द्वारा मर्दाना अंग के अंदर रखा जाता है, ताकि कम इरैक्शन वाले मर्दों को सही इरैक्शन मिल सके. ईडी के लिए दूसरे इलाज नाकाम होने के बाद आमतौर पर पेनाइल इंप्लांट की सिफारिश की जाती है.

‘‘पेनाइल इंप्लांट के 2 खास प्रकार हैं, अर्धकठोर और फुलाने लायक. हर तरह का पेनाइल इंप्लांट अलग तरीके से काम करता है और इस के अलगअलग फायदे और नुकसान हैं. यह अंग में तनाव की कमी के लिए आखिरी इलाज माना है. जब दूसरे इलाज खासतौर पर डायबिटीज वाले मर्दों में इलाज नाकाम हो जाते हैं, तब पेनाइल इंप्लांट किया जाता है.

‘‘अंग में तनाव की कमी की समस्या में एक और उम्मीद भरा जो तरीका दिख रहा है, वह शौकवेव थैरेपी है, जहां ईडी में सुधार के लिए अल्ट्रासाउंड तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है.’’

सैक्स पावर : आनंद में पावर और पार्टनर का खेल

दिक्कत तो यह है कि हर किसी ने सैक्स को जंग का मैदान मान लिया है, जिस में जीत के माने होते हैं पार्टनर पर बेवजह ताकत आजमाना, जबकि सैक्स के सही माने हैं हारजीत से परे संतुष्टि के लिए एक जरूरी और कुदरती काम हमबिस्तरी करना, जिस में मजा और सुख भी कुदरती ही होता है. एक लंबा तगड़ा मर्द भी कई बार अपनी बीवी को वह संतुष्टि और सुख नहीं दे पाता, जो दुबलापतला आम मर्द, जिसे बोलचाल की जबान में ‘सिंगल फ्रेम’ कहा जाता है, दे देता है.

24 साला शीला का पति खासा पहलवान टाइप दिखता है, लेकिन बिस्तर में जल्द पस्त पड़ जाता है. शीला बेचारी आधीअधूरी रह जाती है. उस समय तो उस का गुस्सा और बढ़ जाता है, जब पति करवट बदल कर 5-10 मिनट में खर्राटे भरने लगता है और वह घंटों नींद के इंतजार में नदी में प्यासी मछली की तरह तड़पती रहती है.

कई बार तो शीला का मन करता है कि वह सोते हुए पति की कमर पर एक जोरदार लात मारते हुए कहे कि जब बुझाते नहीं बनता तो यह आग लगाते ही क्यों हो. लेकिन सुबह वह सब भूलने लगती है, क्योंकि पति उस का पूरा खयाल रखता है, छोटेबड़े हर काम में हाथ बंटाता है और उस की हर फरमाइश पूरी करने की कोशिश करता है.

शीला की पड़ोसन रुक्मिणी अकसर उसे छेड़ा करती है कि यार, तुम तो किस्मत वाली हो, जो पति तुम्हें इतना प्यार करता है. असली रानी तो वही होती है, जिस का पति उस के आगेपीछे मंडराता रहे.

रुक्मिणी का पति ‘सिंगल फ्रेम’ है, लेकिन बिस्तर में डेढ़ से 2 घंटे उसे छकाता है कि खुद रुक्मिणी को उस का अंगअंग सहलाते हुए कहना पड़ता है कि अब बस भी करो… क्या पीस ही डालोगे.

शीला रुक्मिणी को खुश देख कर हैरान होती थी कि जब मेरा लंबातगड़ा शौहर एक डेढ़ मिनट में टें बोल जाता है, तो इस का सींकिया पहलवान तो आधा मिनट में फुस हो जाता होगा, फिर भी यह हंसतीमुसकराती रहती है, तो मैं क्यों बातबात में चिढ़चिढ़ा जाती हूं?

मजा पावर और पार्टनर का

हकीकत कुछ और निकली. जब शीला और रुक्मिणी दोनों एकदूसरे से खुलने लगीं और सैक्स की भी बातें करने लगीं, तो शीला ने अपना दुखड़ा रुक्मिणी को बताया.

जवाब में पहले तो रुक्मिणी ने अपने पति के बारे में बताया कि वे देखने में भले ही दुबलेपतले हों, लेकिन बिस्तर में ऐसा हाहाकार मचा देते हैं कि मैं तो

घंटे 2 घंटे के लिए सीधे जन्नत पहुंच जाती हूं.

फिर रुक्मिणी ने बड़ेबूढ़ों और सयानों की तरह शीला को समझाया कि टैंशन मत लो, सैक्स में पावर अपनी जगह है, लेकिन प्यार करने का तरीका उस से भी अहम है.

रुक्मिणी द्वारा ली गई शीला की यह फ्री कोचिंग क्लास तब हफ्तेभर दोपहर में चली, जब दोनों के शौहर काम पर चले जाते थे, जिस से शीला के ज्ञानचक्षु के साथसाथ दूसरे चक्षु भी खुल गए.

सैक्स से ताल्लुक रखते कई वीडियो भी रुक्मिणी ने शीला को दिखाए थे और चुपचाप से ला कर एक किताब और मैगजीन भी दी, जिस में सैक्स के कई लेख छपे थे.

इन्हें देख और पढ़ कर शीला को समझ आया कि गड़बड़ कहांकहां है और उन्हें कैसेकैसे दूर कर सैक्स का आनंद लिया जा सकता है.

शीला को अब लग रहा था कि वह और उस का शौहर कहां चूक कर रहे थे और सैक्स शरीर से ज्यादा दिमाग का खेल है. एक हुनर है, जिस में पहले सब्र और बाद में उतावलापन होना चाहिए, जबकि उस का पति एकदम उतावला हो कर टूट पड़ता था.

खैर, पूरी गलती पति की भी नहीं थी, क्योंकि शीला ने तो कभी पति को अपनी ख्वाहिश बताई ही नहीं. यह वह गलती है, जो सैक्स में अकसर होती है कि सारी जिम्मेदारी मर्द के कंधों पर डाल दी जाती है.

शादी के शुरुआती दिनों से ही पैदा हुई यह समस्या अगर समय रहते न सुलझाई जाए, तो सैक्स बेहद उबाऊ और रस्मी होता जाता है और दोनों को वह मजा नहीं आता, जो उन्होंने सुना, पढ़ा और देखा होता है.

खासतौर से मर्दों की हालत खस्ता हो जाती है और वे खुद को कमजोर समझते हुए सैक्स इश्तिहारों, टैंटों और यहांवहां नीमहकीमों से सैक्स पावर के तरीके और दवाएं ट्राई करने लगते हैं, जिन से फायदा तो कोई होता नहीं, उलटे नुकसान सैकड़ों होने लगते हैं.

यह जरूर करें

शीला ने हफ्तेभर में रुक्मिणी से जो सीखा और फिर उसे आजमा कर अपनी सैक्स लाइफ भी जन्नत वाली बना ली. वे टिप्स और ट्रिक्स हर उस मर्दऔरत को आजमानी चाहिए, जिन से लगता है कि वे कमजोरी के चलते पार्टनर को संतुष्टि नहीं दे पा रहे या पार्टनर उन्हें संतुष्टि नहीं दे पा रहा, जैसे :

* सैक्स में एकदूसरे से खुल कर बातचीत करें और हमबिस्तरी के दौरान अपनी पोजीशन पार्टनर को बताते रहें और सैक्स पोजीशन बदलते भी रहें.

* दिल में जो भी फीलिंग्स आएं, उन्हें अपने पार्टनर को बताते रहने से उस की उत्तेजना और ड्राइव बढ़ती है. खासतौर से मर्दों को लगता है कि अभी तो 2-4 सीढि़यां ही चढ़ी हैं, छत तक पहुंचतेपहुंचते तो लुत्फ और बढ़ जाएगा.

* सैक्स की शुरुआत धीमेधीमे करनी चाहिए. पार्टनर पर एकदम भूखे भेडि़ए की तरह नहीं टूट पड़ना चाहिए. इस से जल्द डिस्चार्ज होने की गुंजाइश बढ़ जाती है.

* सभी मर्दों और खासतौर से लड़कों को चाहिए कि वे फोरप्ले को जितना हो सके, लंबा खींचें. लड़कियों को भी उन का पूरा साथ देना चाहिए. इस के लिए दोनों शर्तें लगा सकते हैं कि देखें, पहले कौन हथियार डालता है. इस दौरान दोनों एकदूसरे को उत्तेजित करने वाली सैक्स क्रियाएं करते रहें.

* अकसर मर्दों को जल्दी डिस्चार्ज होने की शिकायत रहती है, जिसे वे कमजोरी समझने की भूल कर बैठते हैं. इसे ही एरैक्टाइल डिस्फंक्शन यानी ईडी कहते हैं.

* मर्दों को यह ध्यान रखना चाहिए कि उन का अंग बाहर होने की वजह से यह बेहद कुदरती बात है, जिसे हमेशा किसी दवा या बाहरी तरीके से दूर नहीं किया जा सकता. इस के लिए उन्हें अपने अंग पर नहीं, बल्कि दिमाग पर कंट्रोल रखना चाहिए. हर 5-7 मिनट में एक छोटा सा ब्रेक ले कर फिर से फोरप्ले शुरू करना जल्द डिस्चार्ज होने से बचने का बेहतर तरीका है.

* रोजाना की कसरत और खानपान से सैक्स लाइफ पर भी फर्क पड़ता है, लेकिन यह सोचना बेमानी है कि रात को छुआरे या जीरासौंफ, मूसली वगैरह खाने से सैक्स पावर बढ़ती है. ऐसे टोनेटोटकों और उपायों को करने से खुद पर से भरोसा और उठता जाता है, क्योंकि ये कारगर नहीं होते. हां, खाना जरूर ताकत बढ़ाने वाला खाते रहना चाहिए और शराब, ज्यादा चाय और दूसरे नशों से बचना चाहिए.

* इस पर भी बात न बने, तो किसी माहिर सैक्सोलाजिस्ट को दिखाना चाहिए. लेकिन उस से भी पहले एक बार वह तरीका आजमा कर देख लेना चाहिए, जो रुक्मिणी के कहने पर शीला और उस के पति ने आजमाया था. यह तरीका सैक्स की सत्ता पार्टनर को सौंप देने और मुख मैथुन का है. शीला ने पति के जल्द पस्त पड़ने के कुछ देर बाद पति का अंग देर तक सहलाया और उस का मुख मैथुन किया तो दूसरा राउंड लंबा चला. लेकिन इस के लिए साफसफाई का खास ध्यान रखना चाहिए और दोनों की रजामंदी इस में होनी चाहिए.

* पत्नियों को भी खास एहतियात बरतने की जरूरत है कि वे पति की सैक्स पावर कम होने पर बजाय लात मारने की बात सोचने के उस से प्यार से बात करें, उस का साथ दें और उस का हौसला बढ़ाती रहें.

कसरत ही है कारगर

अव्वल तो सैक्स अपनेआप में ही एक ऐसी कसरत है, जिस से कभी जी नहीं भरता, इसीलिए 80-85  साल के बूढ़े की भी हसरतें जवान होती हैं. लेकिन इस खेल में वह बहुत ज्यादा देर और दूर तक दौड़ नहीं सकता. 20-25 की उम्र में जब फर्राटा लगा कर दौड़ा जा सकता है, तब अगर कुछ कदमों के बाद ही हांफने लगे और आप दौड़ते हुए मंजिल तक पहुंचने में खुद को नाकाम पाने लगें तो तय है कि न तो आप सही खुराक ले रहे हैं और न ही कसरत कर रहे हैं.

सैक्स और हमबिस्तरी के ट्रैक पर अगर आप आखिर तक दौड़ना चाहते हैं, और पार्टनर को पहले थका देना चाहते हैं तो कुछ कसरत जरूर रोजाना करिए. ये आप को बिस्तर में समय से पहले हांफने नहीं देंगी.

कसरत सेहत के साथसाथ सैक्स में भी कारगर साबित होती है, यह माहिर अकसर बताते रहते हैं. एक बार भी सैक्स कर चुके किसी भी शख्स को यह तजरबा हो जाता है कि हमबिस्तरी के क्लाइमैक्स पर हांफने लगता है, लेकिन इस हांफने में कोफ्त नहीं, बल्कि आनंद होता है, जिस के लिए जरूरी है कि रोज नियम से कम से कम 3 किलोमीटर दौड़ा या तेज कदमों से चला जाए. इस से शरीर में खून उतनी ही तेजी से दौड़ता है, जितना कि हमबिस्तरी के दौरान दौड़ता है.

दौड़ने से शरीर के पूरे अंग अपना काम सलीके से करते हैं और हाजमा भी दुरुस्त होता है, लेकिन अहम बात इस से स्टैमिना बढ़ता है, जो सैक्स के दौरान हर किसी के लिए जरूरी होता है, इसलिए खुद भी दौड़ें और साथ में अपने पार्टनर को भी दौड़ाएं.

मोटे होते लोगों के लिए तो दौड़ना बेहद कारगर होता है, क्योंकि इस से न केवल गैरजरूरी चरबी छंटती है, बल्कि सभी मसल्स भी मजबूत होती हैं और शरीर में चुस्तीफुरती बनी रहती है.

दौड़ने के बाद अहम कसरत तैरना है, जो सैक्स पावर बढ़ाने में मददगार साबित होता है. तैरने से भी नसों में खून तेजी से दौड़ता है, जिस से उन में बेवक्त ढीलापन नहीं आता. रोजाना कम से कम आधा घंटा तैरना हमबिस्तरी में भी इतनी ही देर टिकाए रखने में मदद करता है, इसलिए जितना ज्यादा हो सकता है, अगर रोज मुमकिन न हो, तो हफ्ते में 4 दिन तैरना भी फुरती देता है.

यों तो हरेक तरह की कसरत से सैक्स पावर बढ़ती है, लेकिन पुशअप्स से कुछ ज्यादा बढ़ती है, क्योंकि इस में हाथपैरों और जांघों की मसल्स को ज्यादा मजबूती मिलती है, दूसरे इस में आप हमबिस्तरी के आम आसन में यानी ऊपर होते हैं. पुशअप सैक्स के दौरान ज्यादा देर टिके रहने में मदद करते हैं. रोजरोज एक ही पोजीशन में सैक्स करने से ऊब चुके लोगों के लिए पुशअप पोजीशन बदल कर सैक्स करने में मदद करते हैं.

रस्सी कूदना भी सैक्स पावर बढ़ाने वाली कारगर कसरत है. कई रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि मोटे लोगों को ज्यादा देर तक टिके रहने में दिक्कत होती है, हालांकि इसे कमजोरी नहीं कहा जा सकता, लेकिन जो फुरती और स्टैमिना कम वजन वाले लोगों में होता है, वह ज्यादा वजन वाले लोगों में नहीं होती, इसलिए रोजाना थकने तक रस्सी कूदें, जो अपने कमरे में भी आसानी से मुमकिन है.

सैक्स पावर को ले कर फिक्रमंद लोगों को तुरंत ही कसरत शुरू कर देनी चाहिए, लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि इस का असर रातोंरात नहीं दिखता, बल्कि थोड़ा समय लगता है.

जाने वे संकेत, जिनसे आप जान सकती हैं कि आपका मेल पार्टनर वर्जिन है या नहीं

आज के समय में लड़के हो या लड़की अधिकतर शादी से पहले ही सेक्स के बारे में जानने की चाह रखते हुए पोर्न वीडियो देखना पसंद करने लगते है ऐसे में उन्हें थोड़ी बहुत जानकारी हासिल हो जाती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं की उन्हें सेक्स का अनुभव है असल में सेक्स का अनुभव सेक्स करने से ही आता है। अब ऐसे में आप कैसे जान सकती है कि आपका मेल पार्टनर वर्जिन है या नहीं। सबसे पहले आप ये जान लें की वर्जिनिटी परखने का कोई टेस्ट नहीं है।

आमतौर पर लड़कियों के मामले में लोगो की राय बनी होती है कि लड़की का यदि हाइमन टुटा हुआ है तो इसका मतलब वो लड़की वर्जिन नहीं है मतलब वो पहले भी सेक्स कर चुकी है और कई बार ऐसी गलत फहमी के चलते रिश्ते भी टूट जाते हैं लेकिन डॉक्टर्स के अनुसार हाइमन योनि के पास एक छेद के रूप में होता है। ऐसा भी संभव नहीं है कि यह हर लड़की में हो कई बार जन्म के समय लगभग 10-15 प्रतिशत लड़कियों के शरीर में हाइमन नहीं होता है।

इसलिए हाइमन टूटने से कौमार्य खोने का कोई मतलब ही नहीं बनता है। यहां तक कि यह हाइमन कई बार साइकिलिंग करते समय ,अधिक वजन उठाने से या टम्पून बदलते समय भी टूट जाता है। लेकिन यदि बात करें लड़को की वर्जिनिटी कि तो इसके लिए कोई शारारिक या कोई जाँच का तरीका नहीं है लेकिन आप कुछ संकेतो के जरिए जान सकती हैं कि आपका पार्टनर आपसे पहले भी किसी और के साथ सेक्स कर चुका है। तो चलिए जानते हैं ऐसे संकेतों के बारे में।

घबराहट, एंग्जायटी और शर्माना

90% पुरुषों और महिलाओं को पहली बार सेक्स करने के दौरान परफॉर्मेंस एंग्जाइटी होती है।जिसका कारण उनका सेक्स के प्रति अति-उत्तेजना है जो घबराहट को बढ़ाता है। यदि आपका साथी आपके साथ सेक्स तो करना चाहता है लेकिन आपको छूने से भी घबरा रहा है तो यह संकेत है कि यह उसका फर्स्ट टाइम सेक्स अपील है।

कंडोम का इस्तेमाल सही से ना कर पाना

जिस पुरुष को कंडोम के इस्तेमाल का कोई ज्ञान ना हो । और उसका इस्तेमाल कर पाना मुश्किल हो रहा हो तो, हो सकता है कि यह उसका पहला चांस हो लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उसने कभी सेक्स ना किया हो। हो सकता है कि उसने पहले सेक्स के दौरान कंडोम का प्रयोग ही न करा हो।

चुंबन और फोरप्ले की समझ ना होना

किसी के बीच संबंध बनाने से पहले सबसे पहला कदम किस से ही जुडा होता है वर्जिन लड़का सही तरिके से अपनी पार्टनर को चुंबन कर पाने में भी असहज होता है बल्कि जो पहले भी सेक्स कर चुके होते है वो स्मूच या सीधे लिपलॉक किस करने के लिए उत्तेजित होते हैं।

वहीं सेक्स में फोरप्ले का बहुत बड़ा रोल होता है क्योंकि फोरप्ले से लड़के व लड़की दोनों को सुखद सेक्स करने के लिए प्रेरित करता है। जिसे सेक्स के अनुभव होगा वो पहले फोरप्ले जरूर करना चाहेगा साथ ही उसे बेहतर सेक्स मूव्स की जानकारी होगी जिस के जरिए वो लड़की को अच्छे से संतुष्ट करने की कोशिश करेगा लेकिन जो पहली बार सेक्स कर रहा है उसे सही जानकारी नहीं होती है और वह फोरप्ले न करके सेक्स करने की जल्दी में होता है।

योनि सेक्स में परेशानी व जल्दी डिस्चार्ज होंना

पहली बार संबंध बनाने वाले लड़के को बढ़ती हुई कामोत्तेजना के कारण जल्दी डिस्चार्ज होने कि सम्भावना होती है। वहीं योनि सेक्स करते समय सही जगह पर इंटरकोस करने में उन्हें परेशानी आती है जबकि पहले सेक्स कर चुके लड़के को अनुभव होता है। जिससे उन्हें इंटरकोस करने में समस्या नहीं होती।

अगर सेक्स की चिंता सताती है तो घबराएं नहीं

आपको अपने बौयफ्रेंड के साथ सेक्स करते हुए तीन महीने हो गए हैं. लेकिन आपको लग रहा है कि चीजें वैसी नहीं हैं जैसी होनी चाहिए. ऐसा नहीं है कि आपके साथी को कोई लिंग समस्या है बस कई बार वो उतना देर नहीं रुक पाता जितना कि आप चाहती हैं. लेकिन आपकी समस्या बिलकुल अलग है. आपको कभी अच्छा ही नहीं लगता. असल में आपके लिए यह हमेशा कष्टदायक है. और आपको कभी भी ओर्गास्म नहीं हुआ है – और हुआ भी हो तो कम से कम आपको तो पता नहीं चला.

यह जानकर अच्छा लगेगा… कि आप अकेले नहीं है

वास्तव में किशोर और युवा वयस्कों में सेक्स सम्बंधित समस्याएं बहुत आम हैं. लेकिन अभी तक हुए इस आयु वर्ग के अधिकांश अध्ययनों ने अवांछित गर्भधारण और एसटीडी जैसी चीजों पर ही ध्यान केंद्रित किया है.

उन्नत शिश्न से लेकर ओर्गास्म तक

यही कारण है कि कनाडाई शोधकर्ताओं के एक समूह ने इस अध्ययन में भाग लेने के लिए 16 से 21 वर्ष की आयु के 400 से अधिक छात्रों को इक्कठा किया. शुरुआत में, और फिर दो साल तक, हर छह महीने में छात्रों ने अपने यौन जीवन के बारे में औनलाइन सर्वेक्षण भरा.

शोधकर्ताओं ने उन लोगों से सिर्फ ‘शीघ्र स्खलन’ जैसी युवाओं की आम समस्याओं के बारे में ही नहीं पूछा. बल्कि, उनके सवाल उन समस्याओं के बारे में भी थे जिन्हें आप 30 से ऊपर के वयस्कों के साथ जोड़ते हैं. जैसे लिंग को उन्नत करने में परेशानी या ज्यादा देर तक टिके रहने की समस्याएं. इसी दौरान लड़कियों ने लुब्रिकेशन, ओर्गास्म और संभोग के दौरान दर्द जैसी समस्याओं के बारे में अपने विचार व्यक्त किये.

अधिकांश युवाओं के लिए सेक्स पूरी तरह से संतोषजनक नहीं है

सर्वेक्षण ने दर्शाया कि लगभग 80 प्रतिशत लोगों ने हाल ही में सेक्स के दौरान कुछ समस्या का सामना किया था. और लगभग आधे लोगों के लिए, यह मुद्दा तनावपूर्ण था.

शोधकर्ताओं ने जाना कि एक चीज है जिससे फर्क पड़ता है – यौन आत्मसम्मान. वे लड़के-लडकियां जो सेक्स के दौरान अपने प्रदर्शन और वे कैसे दिखते हैं, इस बारे में निश्चिन्त रहते हैं, यौन समस्याओं से भी उनका सामना कम ही होता है.

सबसे आम समस्याएं

पुरुषों के लिए, एक सामान्य चिंता है … अनुमान लगाएं. आप सोच रहे होंगे कि शायद सेक्स नहीं मिलना? चलिए सोचने का एक मौका और देते हैं! दरअसल, सेक्स के लिए कम इच्छा होना सबसे आम समस्या है! सेक्स के दौरान पूर्ण संतुष्टि ना हो पाना भी लड़को में एक आम समस्या है. असल में, अध्ययन में भाग लेने वाले लगभग आधे लोगों ने यौन संतुष्टि की कमी या कम कामेच्छा का अनुभव किया था. उन्नत शिश्न से जुड़ी समस्याएं – जैसे लम्बे समय तक टिके रहना – भी लगभग आधे लोगों के लिए परेशानी से कम नहीं थी.

दूसरी ओर, महिलाओं के लिए सबसे बड़ी समस्या थी ओर्गास्म तक नहीं पहुंच पाना. लगभग 60 प्रतिशत महिलाएं सेक्स के दौरान चरमोत्कर्ष से दूर रह जाती थी. लगभग आधी महिलाओं ने यह भी कहा कि वे संभोग के दौरान यौन संतुष्ट नहीं हैं और दर्द का अनुभव करती हैं.

सेक्स हुआ बेहतर!

महिलाओं के लिए अच्छी खबर यह है कि उम्र के साथ सेक्स बेहतर हो जाता है! जैसा कि अध्ययन आगे बढ़ा और महिलाओं ने भी और सेक्स किया उन्हें आभास होना शुरू हो गया कि उन्हें क्या पसंद है और क्या नहीं और शायद इससे उनके यौन आत्म-सम्मान में भी वृद्धि हुई – तनावपूर्ण समस्याएं धीरे-धीरे  कम आम होती चली गयी. जो महिलाएं बिस्तर पर अपनी पसन्द और नापसंदियों को कहने में सहज थी, उनके साथ भी सेक्स से जुड़ी समस्याओं के कम होने की संभावना थी.

इसलिए यदि आप युवा हैं और जवान हैं लेकिन सेक्स की नौका कभी-कभी डगमगा जाती है तो आप अकेले नहीं है!

युवा लोगों की सेक्स समस्याओं से निपटने के लिए कुछ सुझाव

1. सेक्स के दौरान दर्द

फोरप्ले में बहुत समय बिताएं – चूमना, सहलाना, चाटना – जिससे सेक्स से वातावरण में उत्तेजना और योनि में नमी बढ़ जाए. शायद आपको लुब्रीकेंट की जरुरत नहीं है लेकिन लुब्रीकेंट से मजा कई गुना बढ़ सकता है!

2. ओर्गास्म नहीं हो रहा?

संभोग अद्भुत है, लेकिन वास्तव में ज्यादातर महिलाओं के लिए यह ओर्गास्म नहीं है. वो चाहती हैं कि उनकी योनि पर और ध्यान दिया जाए – चुंबन, सहलाना, थपथपाना, चाटना और समय देना! (क्यों जल्दबाज़ी करनी है, इससे बेहतर और क्या कर सकते हैं आप?)

3. लिंग समस्याएं?

चुप रहने से काम नहीं चलेगा. अपने साथी से बात करने की हिम्मत करें. साथ ही साथ लिंग से ध्यान हटाकर सेक्स की अन्य मज़ेदार बातों का मज़ा उठाएं – जैसे अपने साथी को आनंद देना. और फिर आप पाएंगे कि आपका लिंग भी और मज़े करना चाहता है!

4. शीघ्र स्खलन

ऐसा नहीं होने का बहाना करने से अच्छा है अपने साथी से बात करें. धीरे-धीरे रुक-रुक कर आगे बढ़ें. छोटे-छोटे ब्रेक लेते रहें और अभ्यास के साथ आप सेक्स की अवधि जरूर बड़ा पाएंगे.

5. सेक्स के कारण तनाव?

इस बारे में परेशान होना ही कई समस्याओं का कारण हो सकता है. अपनी चिंताओं के बारे में अपने साथी से बात करने की हिम्मत जुटाना असल में फायदेमंद हो सकता है. और अवांछित गर्भावस्था या एसटीडी को चिंता ना बनने दें- कंडोम और गर्भनिरोधक का उपयोग करें.

सेक्स लाइफ में बदलाव का कारण आपकी उम्र तो नहीं

सेक्स एक ऐसा शब्द है जिसके बारे में आज भी लोग अपने से छोटे या बड़े से बात करते हुए कतराते हैं।लेकिन सेक्स के बारे में सही जानकारी होना बेहद जरूरी हैं क्योंकि सही जानकारी हमें कई परेशानियों व बिमारियों से बचा सकती है।सेक्स हमारे जीवन का अहम हिस्सा है फिर चाहे अविवाहित हो या विवाहित। क्योंकि ख़ुशहाल जीवन जीने के लिए आनंददायक सेक्स ज़रूरी है,हमारी उम्र के अनुसार सेक्स की चाहत में भी बदलाव आते रहते हैं। इस का कारण हार्मोन्स मे बदलाव, बढ़ती उम्र,आपसी संबंध या जिमदारियों का बोझ भी हो सकता है। विवाह के बाद सेक्स आपके रिश्ते को मजबूती देता है इसलिए सुखी विवाहिक जीवन में इसका बहुत बड़ा रोल है। तो चलिए जानते हैं किस उम्र में सेक्स की इच्छा जागरूक होती है व किस तरह उम्र के अनुसार इसके पड़ाव में बदलाव आते हैं।

किशोरवस्था में सेक्स की तरफ झुकाव (14-18 वर्ष )

किशोर अवस्था में ना सिर्फ शरारिक बदलाव होते हैं बल्कि मानसिक बदलाव भी होते हैं इस उम्र में बॉडी में सेक्स हार्मोंस का स्तर काफ़ी तेज़ी से बढ़ता है यही वह उम्र है जिसमें हार्मोनल बदलाव के कारण सेक्स को लेकर उत्सुकता बढ़ती है इस उम्र की लड़कियों में अपने पार्टनर के प्रति भावनात्मक लगाव अधिक रहता है और लड़को में सेक्स के प्रति भावनत्मक से ज्यादा फिजिकल होने की इच्छा अधिक होती है जिसके लिए वह सेक्स से संबंधित फिल्मे देखना व किताबें पढना अधिक पसंद करते हैं।इसलिए सेक्स को लेकर सबसे ज्यादा एक्सपेरिमेेंट्स, फैंटेसी और ड्रीमिंग भी इसी उम्र में होती है।

प्रारंभिक वयस्कता में सेक्स की तरफ झुकाव (18-35 वर्ष )

18 से 35 साल की आयु के बीच पुरषों में कामोत्तेजना के लिए जरूरी हार्मोन सामान्य रूप से अधिक होते हैं क्योंकि वे टेस्टोस्टेरॉन की वजह से हायर सेक्स ड्राइव का अनुभव करते है।युवाओं में सेक्स को लेकर उनमें कई तरह की जिज्ञासाएं व उत्तेजनाएं उमड़ने लगती हैं।वहीं महिलाए उम्र के इस पड़ाव में सबसे ज्यादा फर्टाइल होती हैं. उनके गर्भ ठहरने की उम्मीद इस उम्र में सबसे अधिक होती हैं।उनके मन में भी सेक्स को लेकर बहुत ज्यादा उत्साह व उत्तेजना रहती है अधिकतर लड़कियां सेक्सुअल रिलेशन बनाने से पहले अपने पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम बिता कर उसे समझने , प्रेम भरी बातें करने,की चाह रखती हैं और साथ हीं लड़कियां सेक्सुअली इन्वॉल्व होना उसी के साथ पसंद करती हैं जिससे उनकी सोच मिलती हुई हो और वह उनके साथ आगे चल कर रिश्ता निभा सके लेकिन यदि उनका पार्टनर उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता तो यह उनके लिए तनाव और डिप्रेशन का कारण बनने लगता है, जो विभिन्न प्रकार की मानसिक-शारीरिक परेशानियों का कारण बन जाता हैं वहीं लड़कों में ऐसी सोच कुछ में हीं होती है क्योंकि लड़के इमोशनली कम बल्कि सेक्सुअल रिलेशन बनाने की इच्छा अधिक रखते हैं।

मध्य वयस्कता में सेक्स के प्रति लोगों की झुकाव (35-50 वर्ष )

यह उम्र का वो दौर होता हैं जब दोनों पार्टनर्स पर बहुत सी ज़िम्मेवारियां होती हैं इस स्टेज में बहुत से पुरुष और महिला जब 35 की उम्र तक पहुंचते हैं, तो उनका सेक्स के प्रति झुकाव कम होने लगता है। लेकिन सेक्स की क्वॉलिटी पहले से बेहतर ज़रूर हो जाता है, क्योंकि दोनों पार्टनर काफ़ी मैच्योर होने के साथ साथ दोनों एक-दूसरे को समझ चुके होते हैं। जिस कारण उनका रिश्ता फिजिकल से ज्यादा भावनात्मक रूप से मजबूत हो जाता है इस दौरान समय की कमी, ऑफिस का वर्क प्रेशर, घर परिवार की जिम्मेदारियों के चलते सेक्स लाइफ भी काफ़ी हद तक प्रभावित होती है। वैसे 35 से 45 की उम्र की महिलाएं सेक्स को ज्यादा एन्जॉय करती हैं 45 के बाद महिलाओं में मेनोपॉज़ की समस्या होने लगती हैं। जिस कारण मूड स्विंग व सेहत संबंधी परेशानियां होने लगती हैं। जिस करण सेक्स लाइफ पर काफ़ी असर पड़ता है।
50 की उम्र से प्रोढ़अवस्था में सेक्स की तरफ झुकाव जिन पार्टनर्स की लाइफ स्टाइल और फिजिकल फिटनेस अच्छी होती है वो 50 की उम्र में भी सेक्स को एन्जॉय करते हैं लेकिन ऐसे जोड़े कम हीं होतें हैं क्योंकि इस उम्र तक आते आते एनर्जी लेवल कम हो जाता है लोग बिमारियों की गिरफ्त में आ जाते हैं जिस करण वे सेक्स से दुरी बनाने लगते हैं। इस उम्र तक लोग सास-ससुर और दादा-दादी बन जाते हैं, जिस कारण पार्टनर आपस में इस बारे में बात करने तक में हिचकते है और सेक्स से दुरी बना लेते हैं।

पेनकिलर है सैक्स

सैक्स पार्टनर के रिश्ते को मजबूत बनाता है, यह हम सभी जानते हैं. मगर सैक्स ऐसी चीज है जो शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक तनाव को कम करने में भी मददगार होता है. सैक्स आखिर कैसे मेलफीमेल दोनों के लिए फायदेमंद है, इस पर चर्चा के दौरान दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल के डाक्टर अनिल अरोड़ा ने विस्तार से बताया. जिस के मुख्य बिंदु इस तरह हैं-

सैक्स इम्यूनिटी बढ़ाता है : सैक्स पूरे शरीर को प्रभावित करता है. यह दिलदिमाग के साथसाथ रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है. इस से शरीर ऐक्टिव रहता है.

जकड़न से छुटकारा : यदि पार्टनर किसी स्टिफनैस की समस्या से परेशान रहते हों तो सैक्स उन की मदद करता है. दरअसल यह एक ऐसी क्रिया है जिस से शरीर की सभी मसल्स की ऐक्सरसाइज हो जाती है. इस से स्टिफनैस जैसी तकलीफ से भी छुटकारा मिलता है. कोलैस्ट्रौल नियंत्रित रहता है, रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, सर्दीजुकाम की समस्या कम होती है.

पेनकिलर का काम करता है सैक्स : शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द हो तो सैक्स से परहेज न करें, क्योंकि सैक्स करने से दर्द से राहत मिलेगी. यह तनाव भी दूर करता है.

खूबसूरती : यदि दोनों पार्टनर ही खुल कर सैक्स सुख को अपनाते हैं तो इस से उन की खूबसूरती ही नहीं बढ़ती, बल्कि उम्र भी बढ़ती है.

शिथिलता : सैक्स की इच्छा होने पर पुरुष इंद्रिय की ओर रक्तसंचार का प्रभाव बढ़ता है, जिस से इंद्रिय में उत्थान और कठोरता आती है. यदि आप का पार्टनर भय, चिंता, तनाव से परेशान हो तो इंद्रिय की कठोरता समाप्त या फिर कम हो जाती है. ऐसे पार्टनर को मानसिक रूप से नपुंसक कहा जाता है.

मानसिक तनाव : सैक्स मानसिक तनाव को कम करता है. इंद्रिय उत्थान नर्वस स्टिम्युलेशन पर आधारित होता है. सैक्स यहांवहां के स्ट्रैस को कम करता है और सुख की प्राप्ति देता है.

तीखे, गरम, खट्टे का अधिक सेवन :जो लोग अत्यधिक तीखे खट्टे का सेवन करते हैं उन की सैक्स की इच्छा में प्रभाव पड़ता है. सैक्स का पूरी तरह से आनंद उठाने के लिए इन्हें कम करने की जरूरत है.

प्रजनन अंग में रोग : प्रजनन अंग का रोग इंद्रिय उत्थान क्रिया में बाधा डालता है, जिस से पतिपत्नी दोनों ही सैक्स को एंजौय करते हुए समस्या का सामना करते हैं. इस का एक समाधान यह है कि पार्टनर अपने प्राइवेट पार्ट को साफ रखें, फोरप्ले पर जोर दें और आजकल सैक्स टौयज की भरमार है तो इन का इस्तेमाल कर सकते हैं.

सैक्स के दौरान पार्टनर का सहयोग : पार्टनर सैक्स के दौरान पूर्णरूप से सहयोग करे तो सैक्स को चरम पर पहुंचाया जा सकता है. सैक्स में इंटिमेसी दोनों तरफ से होनी जरूरी है. सैक्स में अगर एक शिथिल है तो पूरे सैक्स का मजा किरकिरा हो जाता है. ऐसे में दोनों अगर सहयोग करें तो मजा बढ़ाया जा सकता है.

सैक्स के अच्छे नियम बनाना : कई बार संबंध बनाने के दौरान पत्नी कुछ गैरजरूरी नियम बना लेती है, जैसे लाइट औफ करना, नए तरीके आजमाने के लिए मना करना, जल्दी करो की रट लगाना आदि से भी संबंध बनाने में नाकामी का सामना करना पड़ता है. इस से बढि़या सैक्स में कुछ नया क्या किया जा सकता है- अलगअलग सैक्स पोजीशन, थीम, ड्रैस, रंगबिरंगी लाइट, सैक्स टौयज आदि चीजें हैं जिन से अच्छे सैक्स का आनंद लिया जा सकता है.

पहल करना : परिणय संबंध के लिए फीमेल द्वारा हमेशा मेल की ही बाट जोहना, खुद कभी पहल न करना भी मेल को अच्छा नहीं लगता. बहुत बार पति भी चाहता है कि पत्नी पहल करे. ऐसे में जब महिलाएं पहल करती हैं तो सैक्स में इंटिमेसी दोगुनी हो जाती है.

उत्साह बनाए रखना : सहवास के दौरान पतिपत्नी दोनों को उत्साह के साथ हंसतेबोलते, चुहलबाजी करते हुए सहयोग करना चाहिए. यदि पत्नी ऐसा नहीं करती तो पति को लगता है कि पत्नी केवल औपचारिकता निभा रही है.

आर्गेज्म की परवा न करना : जिस तरह पत्नी चाहती है कि वह सैक्स में पति को पूरी तरह संतुष्ट कर सके, ठीक उसी तरह पति भी चाहता है कि वह पत्नी को पूर्णरूप से संतुष्ट कर सके, मगर यह तभी संभव हो सकता है जब दोनों ही मानसिक व शारीरिक रूप से एकदूसरे से जुड़ कर सैक्स का आनंद लें.
डा. अनिल बताते हैं कि सैक्स की कमजोरी में टेस्टोस्टेरौन का प्रयोग किया जाता है. यानी, पुरुष हार्मोन से इलाज किया जाता है. यह उन रोगियों के लिए ही उपयोगी सिद्ध होता है जिन के शरीर में सचमुच कामोत्तेजना की कमी होती है.

इस तरह सैक्स की नाकामी को दूर कर के सुखद सैक्स जिंदगी जीना आज की भागमभाग वाली जिंदगी के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है.

सुहागरात को मजेदार बना देंगे ये 10 टिप्स

सुहागरात हर किसी के जीवन की एक ऐसी रात होती जिसका बेसब्री से इंतज़ार रहता है, लेकिन साथ ही लड़का हो या लड़की दोनों के मन में तरह-तरह की आशंकाएं भी रहती हैं. वैवाहिक जीवन में दैहिक संबंध लाज़मी हैं भी, लेकिन कई तरह की आशंकाएं और भ्रांतियों की वजह नव दंपत्ति सुहागरात का भरपूर आनंद उठा नहीं पाते.

इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि जिस देश ने स्त्री-पुरुष दैहिक संबंधों पर कामसूत्र जैसा ग्रंथ इस दुनिया को दिया हो वहां ही इस‍ विषय पर चर्चा करना टैबू माना जाता है. जहां एक तरफ सुहागरात नई जिंदगी की शुरुआत है, वहीं दूसरी तरफ जिस्‍मानी संबंध भी इस रात का अहम हिस्‍सा माना जाता है.

शादी की पहली रात को खासकर पुरुष शारीरिक संबंध को लेकर बेहद परेशान रहते हैं. उनकी चिंता रहती है कि वे अपने साथी को खुश या संतुष्ट कर पाएंगे या नहीं. उन्‍हें इस बात का भी डर रहता है कि कहीं एक रात की उनकी कोई गलती उम्र भर की परेशानी न बन जाए.

आपकी इसी परेशानी को दूर करने के लिये हम बता रहे हैं 10 टिप्स.

1- सुहागरात में शारीरिक संबंध बनाने के लिए जरुरी होता है रोमांटिक माहौल बनाना. इसके लिये आप कमरे में विशेष प्रकार के रंग और खुशबू का इस्तेमाल कर सकते हैं. ये सेक्‍स हार्मोन को उकसाते हैं. इसके आलावा खूशबूदार कैंडल, हल्‍का संगीत और झीनी-झीनी रोशनी भी माहौल को रोमांटिक बनाती है.

2- सुहागरात को दैहिक संबंध बनाने के लिये जल्‍दबाज़ी नहीं करनी चाहिये. बेहतर होगा कि आप पहले बैठकर एक-दूसरे से बातें करें. ये एक दूसरे को समझने में मदद करती है. बातचीत से दोनों एक-दूसरे के करीब आते हैं और फ़िर सेक्‍स करने में अधिक झिझक नही होती.

3- बेहतर होगा कि बातचीत के दौरान आप अपने साथी से अपनी सारी शंकाओं की चर्चा करें और समाधान निकालने में साथी की मदद लें. ऐसा न करने पर हो सकता है कि सेक्‍स के दौरान आपको झुंझलाहट होने लगे.

4- सेक्‍स करने से पहले पार्टनर को सरप्राइज करने की कोशिश कीजिए. इसके लिए आप उसे कोई गिफ्ट दीजिए, हनीमून पैकेज या ज्‍वैलरी देकर आप अपने पार्टनर को खुश कर सकते हैं.

5- सुहागरात में सेक्‍स से पहले फोरप्‍ले बहुत जरूरी है. फोरप्‍ले से  सेक्‍स का आनंद बढ़ जाता है.

6- सेक्शुएल फैंटेसीज यानी सेक्स को लेकर आपकी कल्पनाओं का भी सहारा लिया जा सकता है. पार्टनर से बग़ैर अश्लील हुए सेक्‍सी बातें करने से दोनों में उत्तेजना पैदा होती है और सेक्‍स की इच्‍छा बढ़ती है. आप कामसूत्र के बारे में बात कर सकते हैं.

7- सुहागरात पर शराब और सिगरेट बिलकुल न पियें क्‍योंकि सेक्स से तुरंत पहले ज्यादा एल्कोहल लेने से पुरुषों में इरेक्टाइल प्रॉब्लम्स और स्त्रियों में वैजाइनल ड्राइनेस की समस्या हो सकती हैं.

8- सुहागरात पर भी सेक्‍स करने से पहले सुरक्षा का ध्‍यान दीजिए. इसके लिए कंडोम का प्रयोग करें. इससे यौन बीमारियों के होने का ख़तरा कम होता है और बिना प्‍लानिंग के प्रेग्‍नेंसी का डर भी नही होता है.

9- मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक तौर पर फिट रहें. अंतरंग पलों से पहले अपने साथी की पसंदीदा ड्रेस पहनें.

10- किसी भी प्रकार का प्रयोग करने से बचें. सुहागरात में सेक्‍स संबंध बनाते वक्‍त ऐसे आसनों को अपनायें जो आसान हों.

ऐसे बढ़ाएं सैक्स ड्राइव

आमतौर पर लोग सैक्स के प्रति स्वाभाविक रूप से उत्सुक होते ही हैं. लिहाजा सैक्स से संबंधित बातें उन की उत्सुकता में तो इजाफा करती ही हैं, लेकिन साथ ही उन्हें बेचैन भी कर देती हैं. किसी सैक्स समस्या से ग्रस्त व्यक्ति की बेचैनी सम?ा जा सकती है, पर अकसर वे लोग भी भ्रम में पड़ जाते हैं जिन्हें सैक्स संबंधी कोई समस्या नहीं होती है. इस का नतीजा यह होता है कि सैक्स के नजरिए से पूरी तरह स्वस्थ पति भी कई बार इतने बेचैन और आशंकित हो जाते हैं कि उन का वैवाहिक जीवन समस्याग्रस्त हो जाता है. उन्हें खुद पर विश्वास ही नहीं होता कि वे सैक्स के नजरिए से पूरी तरह स्वस्थ हैं. वे बेकार में दवाओं के आदी हो जाते हैं.

ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कुछ ऐसे आसान तरीके नहीं हैं जिन के जरीए कोई पति अपनेआप ही पता लगा ले कि उस का सैक्स स्वास्थ्य ठीक है और उसे किसी दवा की जरूरत नहीं है? विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे कई तरीके हैं जिन से कोई भी व्यक्ति जान सकता है कि वह सैक्स की कसौटी पर बिलकुल सही है यानी उसे न तो परेशान होने की जरूरत है और न ही किसी दवा की. आइए, जानते हैं ये तरीके:

कैसे पता करें स्टैमिना

विशेषज्ञों के अनुसार यदि किसी पुरुष को अपने सैक्स स्वास्थ्य का पता लगाना है तो उसे यह देखना चाहिए कि नींद के दौरान उस के जननांग में तनाव यानी इरैक्शन होता है या नहीं. अमूमन यदि पुरुष को कोई शारीरिक या मानसिक समस्या नहीं है तो उस के जननांग में एक बड़ी अवधि वाली नींद के दौरान यानी खासतौर से रात को 1 या 1 से ज्यादा बार इरैक्शन जरूर होता है. कई बार सोतेसोते ही पुरुषों को इस का एहसास होता है तो कई बार सुबह उठते समय इस का पता लग जाता है.

खास बात यह है कि नींद के दौरान होने वाला यह इरैक्शन सहवास के दौरान होने वाले इरैक्शन से भी ज्यादा कड़ा होता है और 20 से 25 मिनट तक कायम भी रहता है. व्यक्ति कई बार हैरान रह जाता है कि बिना इच्छा और बिना कामभावना वाले किसी सपने के यह कैसे हुआ. अगर किसी पुरुष की जीवनशैली अनियिमत नहीं है, उस का खानपान असंतुलित नहीं है और वह तनावग्रस्त नहीं है तो नींद में यह इरैक्शन अकसर होता है. जरूरी नहीं है कि यह रोज हो, पर यह देखा गया है कि सहवास के अभ्यस्त यानी विवाहित पुरुषों में यह एक सहवास के 2-3 दिन बाद हो सकता है और अविवाहित पुरुषों में जल्दी या रोजाना भी हो सकता है.

मनोवैज्ञानिक प्रभाव तो नहीं

इस प्रकार के इरैक्शन को एनपीटी कहा जाता है. यह कुदरती प्रक्रिया डाक्टरों की भी मदद करती है. जिन पुरुषों में सहवास के दौरान जननांग में इरैक्शन यानी तनाव या कड़ापन न होने की समस्या होती है, उन का इलाज करने से पहले डाक्टर यह पता लगाते हैं कि इरैक्शन न होने यानी इरैक्टाइल डिइसफंक्शन यानी नपुंसकता की समस्या मनोवैज्ञानिक है या शारीरिक. इस के लिए वे रोगी को यौनांग पर सोते समय एक इलास्टिक उपकरण पहनने की सलाह देते हैं. यह उपकरण नींद के दौरान यौनांग के आकार में हुए बदलाव यानी एनपीटी की सूचना देने में माहिर होता है.

यदि उपकरण बताता है कि पुरुष के यौनांग में सोते वक्त एनपीटी हुआ तो डाक्टर इस का यह मतलब निकालते हैं कि पुरुष को शारीरिक रूप से कोई समस्या नहीं है. सहवास के समय इरैक्शन न होने की उस की समस्या मनोवैज्ञानिक है यानी सहवास के समय बहुत ज्यादा उत्सुकता, उत्तेजना, घबराहट आदि की वजह से उसे समस्या पेश आई है. शारीरिक रूप से वह दुरुस्त है. यदि सोते समय एनपीटी नहीं पाया जाता तो डाक्टर मानते हैं कि समस्या मनोवैज्ञानिक कम शारीरिक ज्यादा है.

एनपीटी का कारण क्या है, इसे ले कर विशेषज्ञों की अलगअलग राय है, लेकिन यह होता है और पुरुष के यौन जीवन के लिए अच्छा संकेत देता है, इसे ले कर सभी सहमत हैं. इसलिए आप भी इसे अजूबा न मानें और इस के होने पर सैक्स के नजरिए से खुद को पूरी तरह स्वस्थ सम?ों.

क्या कहता है अध्ययन

एक अध्ययन बताता है कि हर उम्र के 20 से 30 फीसदी पुरुषों ने समय से पहले स्खलन यानी प्रीमैच्योर ईजैक्यूलेशन की समस्या का सामना किया होता है. यह तय मानें कि वास्तविक प्रतिशत कहीं ज्यादा हो सकता है क्योंकि अध्ययन आदि में सवालों के जवाब देते वक्त अकसर लोग मन की बहुत सी बातें छिपा भी जाते हैं. असली बात यह है कि ईजैक्यूलेशन यानी स्खलन का जल्दी या देरी से होना किसी व्यक्ति की सहवास के समय की शारीरिक, मानसिक स्थिति, स्त्री के साथ पुरुष के सामंजस्य, 2 सहवासों के बीच की अवधि और आसपास के माहौल पर आधारित होता है.

वैवाहिक जीवन के अनुभव से लोग बताते हैं कि कभी उन्हें खुद नहीं पता चलता कि वे इतनी देर तक कैसे टिके रहते हैं और कभी भरपूर प्रयास  के बाद भी वे रेत की दीवार की तरह ढह जाते हैं. कुल मिला कर सैक्स स्वास्थ्य को परखने का उपाय यह है कि 1-2 बार के जल्द स्खलन को आप कोई समस्या ही न मानें. यह समस्या तभी है जब आप के साथ लगातार और लंबे समय तक ऐसा ही होता रहे.

कब जाग्रत होती है इच्छा

वैवाहिक जीवन में सहवास की बारंबारता यानी फ्रीक्वैंसी भी सैक्स स्वास्थ्य का एक अच्छा पैमाना है. ध्यान रहे कि यहां हम उन दंपतियों की बात नहीं कर रहे हैं जो जानबू?ा कर सहवास को टालते हैं या जिन्हें सहवास का कम मौका मिल पाता है अथवा जो सहवास से नाकभौं सिकोड़ते हैं और इसे बहुत अच्छा काम नहीं सम?ाते हैं. हम सामान्य हालात की बात कर रहे हैं और सामान्य स्थिति यह है कि पूरी दुनिया में स्त्रीपुरुष हफ्ते में करीब 2 बार सैक्स करते हैं.

सामान्यतया यह पाया गया है कि एक स्वस्थ पुरुष में एक भरपूर, सफल और प्यारभरा सहवास करने के करीब 2-3 दिन बाद फिर से सैक्स करने की इच्छा जाग्रत होती है. हालांकि यह चीज स्त्रीपुरुष की उम्र से भी तय होती है. 30 साल से कम के दंपतियों में हफ्ते में सैक्स की संख्या ज्यादा भी हो सकती है और 40 साल से ऊपर के दंपतियों में यह कम हो सकती है.

एक अध्ययन के अनुसार दुनियाभर में एक साल में 139 बार सैक्स का आंकड़ा बैठता है. इस से पता चलता है कि ज्यादातर दंपती हफ्ते में 2 से 3 बार सैक्स करते हैं. कुल मिला कर यदि आप हफ्ते में 1 बार भी सफल सहवास कर रहे हैं तो आप सैक्स के नजरिए से बिलकुल स्वस्थ हैं.

ध्यान रहे कि यहां हम सैक्स के दृष्टिकोण से बात कर रहे हैं. इस का मतलब यह न निकालें कि यदि आप ने पूरे महीने सहवास नहीं किया तो आप का सामान्य स्वास्थ्य बिगड़ जाएगा. सामान्य स्वास्थ्य ठीक रहेगा, लेकिन यदि स्वस्थ रहते हुए भी पूरा महीना 1 बार भी आप की इच्छा सहवास की नहीं हुई है तो सैक्स स्वास्थ्य के नजरिए से जरूर यह असामान्य बात कही जाएगी.

सही दिनचर्या और खानपान

यदि ऐसी स्थिति लगातार आ रही है कि मस्तिष्क सहवास की इच्छा जता रहा है, मगर जननांग इस इच्छा का साथ नहीं दे रहा है तो सैक्स स्वास्थ्य ठीक नहीं कहा जा सकता. मगर इस के लिए भी दवाओं का रास्ता अपनाने से पहले पति स्वयं भी प्रयास जरूर करें. वास्तव में सैक्स में मस्तिष्क की बहुत ही अहम भूमिका होती है. जब भी कोई स्त्री या पुरुष सैक्सुअली उत्तेजित होता तो सब से पहले यह उत्तेजना मस्तिष्क में ही पैदा होती है. उसी के बाद यह मस्तिष्क के संदेशों के जरीए जननांगों तक पहुंचती है.

मस्तिष्क की इतनी अहम भूमिका के बावजूद कई अध्ययनों में अब यह सिद्ध हो गया है कि नपुंसकता या सैक्स में अरुचि का संबंध हमारे दिमाग से ज्यादा शरीर से ही है. हृदय और उस की धमनियों संबंधी गड़बडि़यां, अवसाद, तनाव, प्रोस्टेट ग्लैंड से जुड़ी समस्या के कारण ऐसा हो सकता है. इसे दूसरी तरफ से देखें तो सैक्स में घटती रुचि यानी सैक्स स्वास्थ्य में गिरावट हमारे दिल के बीमार होने का संकेत भी है.

इसलिए बेवजह सैक्स ताकत बढ़ाने वाली दवाएं लेने के बजाय पहले अपने शरीर को चुस्तदुरुस्त रखने का प्रयास करें. सही खानपान और व्यायाम के जरीए आप न केवल शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं बल्कि सैक्स के नजरिए से भी स्वस्थ रह सकते हैं.

शॉवर लेते समय इंटीमेट होने से पहले जान लें यह बातें

आज कल बहुत सारी ऐसी फिल्में या फिर वेब सीरीज आ गई हैं जिनमें कपल शॉवर लेते समय इंटीमेट होते हैं। इनको देखने के बाद असली जीवन में भी इंसान की यही कल्पना बन जाती है और वह कुछ नया और मजेदार करने का सोचता है. यह आपको एक दूसरे के नजदीक आने का काफी रोमांटिक और अच्छा तरीका लग रहा होगा लेकिन असल में ऐसा करना काफी मुश्किल और असहज भी हो सकता है. इसलिए आपको इस दौरान बहुत सारी सावधानियां बरतनी चाहिए. कई बार पैर फिसलने के कारण आपको चोट भी आ सकती है इसलिए यह तरीका रोमांटिक होने के साथ साथ काफी खतरनाक भी है. आइए जानते हैं इस दौरान आप कौन कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए.

 एंटी स्किड मैट का प्रयोग करें : बाथरूम में शॉवर चलने के दौरान काफी गीला हो जाता है और नीचे काफी फिसलने का रिस्क होता है. इससे आपका जरा सा पैर पानी में फिसलने के कारण दोनों को चोट आ सकती है और हो सकता है गंभीर चोट आए, इसलिए आपको एंटी स्किड मैट का प्रयोग करना चाहिए ताकि आप फिसले न.

हैंडल का हमेशा प्रयोग करें : अगर आपको फिसलने का डर है या आपको ऐसा करना काफी रिस्की लग रहा है तो आपको हर तरह के गिरने के रिस्क को ध्यान में रखते हुए किसी न किसी हैंडल को पकड़ लेना चाहिए और इसे छोड़ना नहीं चाहिए। इससे अगर आप गिरती भी हैं तो आपका होल्ड रहता है।

 प्रोटेक्शन का हमेशा करें प्रयोग : एक्सपर्ट्स के मुताबिक आपको बाथरूम में इंटीमेट होने के दौरान हमेशा कंडोम का प्रयोग करना चाहिए. बाथरूम में गीलेपन में इन्फेक्शन फैलने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है और इस दौरान बैक्टीरिया भी आपके शरीर में प्रवेश करके आपको एसटीडी का शिकार बना सकते हैं इसलिए इस दौरान सावधानी बरतना बेस्ट रहता है.

 अपने पार्टनर से अपने मन की बातें शेयर करें : अगर आप को बाथरूम में किसी चीज का रिस्क महसूस हो रहा है या फिर आप इसमें असहज महसूस कर रही हैं तो आपको अपने पार्टनर से इस बारे में जरूर बात करनी चाहिए और उन्हें अपनी सारी पसंद या ना पसंद के बारे में बता देना चाहिए, ताकि आप दोनों के आराम के हिसाब से ही सारी चीजें आगे बढ़ सकें और किसी एक को दिक्कत न आए.

 लुब्रिकेशन का प्रयोग  करें : शावर सेक्स के दौरान लुब्रिकेशन के प्रयोग जरूर करना चाहिए क्योंकि पानी के कारण आपका नेचुरल लुब्रिकेशन कम होने लगता है और इससे आपको अतिरिक्त लुब्रिकेशन की जरूरत महसूस हो सकती है. लेकिन लुब्रिकेशन की बजाए आपको साबुन या फिर शावर जेल का प्रयोग बिलकुल नहीं करना चाहिए.

 पहले ही कर लें यूरिनेट : एक्सपर्ट्स के मुताबिक हाइजीन बनाए रखने के लिए आपको लुब्रिकेशन या फिर कंडोम का प्रयोग करने से पहले ही यूरीनेट कर लेना चाहिए क्योंकि इससे बीच में आपका मूड खराब नहीं होता और यह आपके शरीर के हाइजीन के लिए भी अच्छा रहता है। सब कुछ होने के बाद आपको किसी माइल्ड साबुन या फिर बॉडी वॉश से अच्छे से अपने शरीर को धोना चाहिए। खुशबू वाले प्रोडक्ट्स का प्रयोग करने से बचें और खास कर अपने प्राइवेट भागों पर ज्यादा केमिकल से युक्त चीजों का प्रयोग न करें.

अगर आप इन जरूरी बातों का ध्यान रखती हैं तो आपको बाथरूम में भी शॉवर के दौरान इंटीमेट होने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आएगी और आप आनंद ले सकेंगी.

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