यह बेहद आसान होता जा रहा है कि गलत समझ या बिना समझ के बच्चे सैक्स से जुड़ी कुंठा में फंस जाते हैं और बहुत बार कुछ ऐसा करने पर मजबूर हो जाते हैं, जो उन्हें मानसिक तनाव में धकेल देता है. दूसरी ओर बहुत से बच्चे किसी घटिया इनसान द्वारा काफी देर तक अपने साथ होने वाले बुरे बरताव को बरदाश्त करते रहते हैं.
इसी सब्जैक्ट पर बनी एक बेहतरीन फिल्म ‘ओएमजी 2’ आप को यह समझाती है कि इस मुद्दे पर बात करना और इस के साथ ऐजूकेशन सिस्टम में सैक्स ऐजूकेशन पर बात करना कितना जरूरी है.
बातबात पर लोग बच्चों में अपराधबोध पैदा करते हैं. बच्चों को यह तो बताया जाता है कि वह गलत है, पर यह नहीं बताया जाता कि सही क्या है? बिना यह समझे कि उन्हें सही और गलत समझाएगा कौन.
बढ़ते अपराधों के बीच सुधार पर कोई भी काम को छोड़ आजकल अधिकतर लोग पौक्सो ऐक्ट लगा कर ज्यादातर बच्चों को अपराधी बना कर जेल में डाल देना चाहते हैं.
‘ओएमजी-2’ इन सभी सवालों पर बात करती एक उम्दा फिल्म है, जिसे पूरे परिवार के साथ देखना चाहिए. मगर ‘ओएमजी-2’ एडल्ट सर्टिफिकेट के साथ रिलीज हुई है. सैंसर बोर्ड ने ऐसा करने से पहले क्या सोचा होगा, यह समझना मुश्किल है, जबकि फिल्म अपनेआप में यह जवाब देती है कि समाज ने कैसे इस सब्जैक्ट पर बात करने को भी टैबू बना दिया है.
हमें यह समझना होगा कि बच्चे पर सवाल उठाने की जगह उसे समझना और सही शिक्षा देना समाज के लिए ज्यादा कारगर होगा. ऐसे सब्जैक्ट पर अगर कोई फिल्म आती है तो वह हमारे समाज की जरूरतों को सही दिशा में दिखाने की कोशिश करती है.