उस दिन खासतौर पर खाला बी ने शौहर के लिए बीवी के फर्ज का बयान करते हुए बताया कि इसलाम में शौहर को दूसरा दरजा दिया गया है. एक किस्सा सुनाते हुए यों बयान किया कि एक शौहर ने बीवी को पानी पिलाने का हुक्म दिया. बीवी के पानी लातेलाते शौहर को नींद आ गई. बीवी ने शौहर की नींद में खलल न डाल कर पूरी रात हाथ में पानी का गिलास लिए खड़ा रहना मुनासिब समझा. बीवी की खिदमत देख कर कुदरत ने उस को बेशकीमती इनाम दिया. यह सुन कर महिलाएं भावविभोर हो गईं. कुछ तो पल्लू से आंसू पोंछने लगीं.
बातबेबात, कसूरवार हों या न हों, आएदिन लातजूते, गालीगलौज खाने वाली औरतों ने भी शौहर की लंबी जिंदगी की दुआएं मांगीं और खुद को नेक बीवी बनाने की शपथ भी ली.
अजीजा की सुनहरी चूडि़यों की खनक में हलाला के जलालत भरे दौर से गुजरने का जरा सा भी मलाल नहीं था. कुरैशा ने हिकारत भरी निगाहों से अपनी बहन अजीजा पर उचटती नजर डाली और तमतमाया चेहरा लिए झटके से उठ कर कमरे से बाहर आ गई.
खाला बी 3 महीने बाद अपने छोटे बेटे की मंगनी के लड्डू ले कर अनवार मियां के घर पहुंचीं. घर में अजीब सा सन्नाटा खिंचा था. इतने बड़े घर में सिर्फ बैठकखाने में ही पीली रोशनी वाला एकमात्र बल्ब जल रहा था.
‘‘अम्मी कहां हैं?’’ खाला बी ने अजीजा की छोटी बेटी से पूछा.
‘‘जीजी, वे ललितपुर गई हैं फूफी के घर,’’ बेटी का खौफजदा चेहरा और आवाज की थरथराहट को खाला बी ने भांप लिया.
‘‘कब तक वापस लौटेंगी?’’
‘‘जी, कुछ पता नहीं है,’’ बेटी का स्वर हकला गया.
खाला बी को याद आ गया, एक बार अजीजा ने बताया था कि अनवार मियां और उन के बहनोई में पैसों को ले कर जबरदस्त झगड़ा हो गया था, इसलिए दोनों घरों में आनाजाना बिलकुल बंद है. फिर अचानक अजीजा का उन के घर जाना और घर में इतनी खामोशी. कुछ समझ में नहीं आया लेकिन जिंदगी
को नए सिरे से शुरू करने के मधुर एहसास को अजीजा के मुंह से सुनने की बेताबी खाला बी के अंतर्मन में कुलबुला रही थी. आखिर बचपन में मदरसे में अलिफ, बे, ते, से का सबक शुरू करने से ले कर बालों में चांदी चमकने तक का दोनों का पलपल साथ रहा. दोनों ने एकदूसरे से सुखदुख, प्यारमोहब्बत, अमीरीगरीबी के एहसासों को साथसाथ दिल खोल कर बांटा है.
‘‘बस दोचार दिन में वापस आ जाएंगी अम्मी,’’ अजीजा के बड़े बेटे ने छोटी बहन को आंखों ही आंखों में अंदर जाने का इशारा करते हुए तपाक से जवाब दिया.
‘‘अच्छाअच्छा, घर में और तो सब ठीक है न. मेरा मतलब अब्बूअम्मी के बीच अब कोई तकरार…’’ किसी के घर के अंदरूनी मामले की टोह लेने जैसा अपराधबोध खाला बी को छील गया.
‘‘जी, सब ठीक है,’’ बात को एक झटके में खत्म करने की कोशिश की बेटे ने.
‘‘शुक्र है कुदरत का. अच्छा, तो मैं चलती हूं. खुदाहाफिज,’’ कह कर इत्मीनान की सांस ले कर खाला बी सीढि़यों से उतरने लगीं तो जीने के नीचे के स्टोररूम का दरवाजा हिलता दिखाई दिया. खाला बी ने मोबाइल की रोशनी से देखा तो दरवाजे की सांकल में बड़ा सा ताला लटका दिखाई पड़ा. फिर अंदर से दरवाजा कौन हिला रहा है? कहीं कोई जानवर धोखे से बंद तो नहीं हो गया कमरे में. वापस मुड़ कर अजीजा के बच्चों को वे यह बताना ही चाहती थीं कि दरवाजे से मद्धिममद्धिम नारी स्वर में अपना नाम पुकारे जाने की आवाज सुनाई पड़ी. झट सीढि़यों से नीचे उतर कर स्टोररूम के दरवाजे पर कान रख कर सुनने लगीं. नारी स्वर फिर उभरा, ‘‘आपा बी, मैं अजीजा, मुझे बाहर निकालो,’’ अजीजा की सिसकियों भरी आवाज साफ सुनाई पड़ी.
ठीक उसी वक्त ऊपर से किसी के नीचे उतरने की आहट आने लगी. खाला बी काले नकाब और स्याह अंधेरे का फायदा उठा कर जीने की नीचे वाली दीवार से चिपक गईं सांस रोके हुए. धीरेधीरे अजीजा के बड़े बेटे के कदमों की आहट मेन गेट से बाहर चली गई तो खाला बी दबे कदमों से फिर स्टोररूम के दरवाजे की झिरी पर अपने कान रख कर सुनने लगीं :
‘‘आपा बी, मुझे 8 दिनों से इस कोठरी में बंद कर रखा है, भूखाप्यासा.’’
‘‘लेकिन क्यों?’’ खाला बी की बेचैनी बढ़ती चली गई और वे दम साधे सुनने लगीं.
‘‘लालची व दौलत के भूखे हैं मेरे शौहर और बेटे. मेरे नाम पर यह 10 कमरों का मकान है, 8 लाख की बीमा पौलिसी अगले महीने मैच्योर होने वाली है और 5 एकड़ आम के बगीचे वाली जमीन भी मेरे नाम पर है. केस हार जाने पर इन को मेरा खानाखर्चा, मेहर और दहेज वापस देना पड़ता और पूरी जायदाद पर सिर्फ मेरा हक होता. इन के सारे अधिकार खत्म हो जाते. सब कंगाल हो जाते. इसलिए मुझे बहलाफुसला कर दोबारा निकाह करने की साजिश रची गई. मुझ पर पूरी जायदाद अनवार मियां के नाम पर करने का दबाव डाला जा रहा है. मेरे इनकार करने पर मुझे जानवरों की तरह पीटा और यहां बंद कर दिया है.’’
‘‘क्या तुम्हारे बच्चों को ये सब मालूम है?’’ खाला बी ने फुसफुसा कर पूछा.
‘‘हां, बेटियों को छोड़ कर सभी बेटे इस षड्यंत्र में शामिल हैं. मुझे बहलानेफुसलाने और जज्बाती तौर पर धोखा देने में बेटों का पूरापूरा हाथ है और शौहर ने तो निकाह के बाद एक बार भी मुझ से बात नहीं की, यह कह कर कि मैं दूसरे की जूठन को खाना तो दूर देखना भी पसंद नहीं करता. आपा बी, मुझे इन शैतानों और निहायत गिरे हुए खुदगर्ज शौहर और बेटों से बचा लीजिए.’’
अजीजा की घुटीघुटी दम तोड़ती आवाज ने खाला बी को अंदर तक कंपकंपा दिया.
इतनी गंदी और भयानक सचाई ये नमाजीपरहेजगार अनवार मियां की शातिर दिमागी और ऐसी तुरुपचाल…अफसोस, चंद रुपयों और जायदाद के लिए पत्नी के साथ इतना बड़ा विश्वासघात और घिनौना अमानवीय व्यवहार?
अजीजा की कैदियों सी हालत देख कर खाला बी का कलेजा कांप गया, रोंगटे खड़े हो गए. बड़ी मुश्किल से खुद को संभालते हुए कांटे उगे गले से बोलीं, ‘‘अजीजा, किसी भी कागज पर किसी भी सूरत में दस्तखत मत करना. बस, चंद घंटे की इस काली रात को और काट लो, हिम्मत से. मैं जल्द ही तुम्हारी रिहाई का इंतजाम करती हूं. हौसला रखना, बहन,’’
खाला बी अनवार मियां के घर की बाउंड्री से चिपकती हुई धीरेधीरे मेनगेट से बाहर निकल गईं.
दूसरे दिन तड़के ही खाला बी की रिपोर्ट पर पुलिस ने अनवार मियां की कोठी से अजीजा को जख्मी और मरणासन्न हालत में बाहर निकाला. अजीजा के बयान पर पुलिस ने अनवार मियां और उन के बेटों को हथकड़ी डाल कर पैदल ही महल्ले की गलियों से ले जाते हुए पुलिस हवालात तक पहुंचा दिया.
पूरे 1 महीने बाद कुरैशा ने अजीजा के सामने अनवार मियां के खिलाफ किए जाने वाले केस के कागजात रख दिए. अजीजा दस्तखत करते हुए खाला बी और कुरैशा को भीगी आंखों से देखते हुए भर्राए गले से बस इतना ही बोल पाई, ‘‘मेरी रिहाई और मेरा आत्मसम्मान लौटाने का शुक्रिया.’’