21 एयरपोर्ट के साथ 05 इण्टरनेशनल एयरपोर्ट वाला देश का पहला राज्य उत्तर प्रदेश

प्रधानमंत्री जी ने इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी का नया भारत आज सर्वश्रेष्ठ आधुनिक बुनियादी ढांचे में से एक का निर्माण कर रहा है. बेहतर सड़कें, बेहतर रेल नेटवर्क, बेहतर एयरपोर्ट सिर्फ इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स नहीं होते बल्कि यह पूरे क्षेत्र का कायाकल्प कर देते हैं, लोगों का जीवन पूरी तरह से बदल देते हैं. इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की ताकत और बढ़ जाती है जब उनके साथ सीमलेस कनेक्टिविटी हो, लास्ट माइल कनेक्टिविटी हो. नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट कनेक्टिविटी की दृष्टि से भी एक बेहतरीन मॉडल बनेगा. यहाँ आने जाने के लिए टैक्सी से लेकर मेट्रो और रेल तक, हर तरह की कनेक्टिविटी होगी. नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट उत्तरी भारत का लॉजिस्टिक्स गेट-वे बनेगा. यह इस पूरे क्षेत्र को नेशनल गतिशक्ति मास्टरप्लान का एक सशक्त प्रतिबिम्ब बनाएगा.

प्रधानमंत्री जी ने नोएडा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट के भूमि पूजन के लिए देश व प्रदेश के लोगों को बधाई देते हुए कहा कि इसका बहुत बड़ा लाभ दिल्ली-एन0सी0आर0 और पश्चिमी यूपी के करोड़ों लोगों को होगा. उन्होंने कहा कि हवाई अड्डे के निर्माण के दौरान रोजगार के हजारों अवसर बनते हैं. हवाई अड्डे को सुचारु रूप से चलाने के लिए भी हजारों लोगों की आवश्यकता होती है. यह हवाई अड्डा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों लोगों को नए रोजगार भी देगा.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भारत के बढ़ते विमानन क्षेत्र में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा और विमानों के रखरखाव, मरम्मत और संचालन का एक प्रमुख केन्द्र होगा. यहां मरम्मत, रखरखाव और ओवरहॉल के लिए 40 एकड़ में एम0आर0ओ0 (मेंटेनेंस, रिपेयर एण्ड ओवरहॉल) प्रतिष्ठान का निर्माण किया जा रहा है. देश मंे एम0आर0ओ0 सेवाओं की उपलब्धता से, विदेशांे से इन सेवाओं को प्राप्त करने में व्यय होने वाले हजारों करोड़ रुपये की बचत होगी.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि इस एयरपोर्ट के माध्यम से पहली बार देश में इंटीग्रेटेड मल्टी मोडल कार्गाे हब की कल्पना भी साकार हो रही है. इससे इस पूरे क्षेत्र के विकास को एक नई गति मिलेगी. उन्होंने कहा कि जिन राज्यों की सीमा समुद्र से सटी होती है, उनके लिए बंदरगाह बहुत बड़े एसेट होते हैं. विकास के लिए एक बड़ी ताकत के रूप में कार्य करते हैं. उत्तर प्रदेश जैसे लैण्ड-लॉक्ड राज्यों के लिए एयरपोर्ट यही भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा कि प्रदेश में अलीगढ़, मथुरा, मेरठ, आगरा, बिजनौर, मुरादाबाद, बरेली जैसे अनेकों औद्योगिक क्षेत्र हैं. सर्विस सेक्टर का बड़ा ईकोसिस्टम भी है और एग्रीकल्चर सेक्टर में भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अहम हिस्सेदारी है. अब इन क्षेत्रों का सामर्थ्य भी बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, एक्सपोर्ट के एक बहुत बड़े केंद्र को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों से सीधे जोड़ेगा. अब यहां के किसान, विशेषकर छोटे किसान, फल-सब्ज़ी, मछली जैसे जल्दी खराब होने वाली उपज को सीधे एक्सपोर्ट कर पाएंगे. खुर्जा के कलाकार, मेरठ की स्पोर्ट्स इण्डस्ट्री, सहारनपुर का फर्नीचर, मुरादाबाद का पीतल उद्योग, आगरा का फुटवीयर और पेठा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अनेक एम0एस0एम0ई0 को विदेशी मार्केट तक पहुंचने में अब और आसानी होगी.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आजादी के सात दशक बाद, पहली बार उत्तर प्रदेश को वह मिलना शुरु हुआ है, जिसका वो हमेशा से हकदार रहा है. डबल इंजन की सरकार के प्रयासों से उत्तर प्रदेश देश के सबसे कनेक्टेड क्षेत्र में परिवर्तित हो रहा है. यहां पश्चिमी यूपी में भी लाखों करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम चल रहा है. रैपिड रेल कॉरिडोर हो, एक्सप्रेस-वे हो, मेट्रो कनेक्टिविटी हो, पूर्वी और पश्चिमी समुद्र से उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाले डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर हों, यह आधुनिक होते उत्तर प्रदेश की नई पहचान बन रहे हैं.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश आज राष्ट्रीय ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय छाप छोड़ रहा है. आज उत्तर प्रदेश में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मेडिकल संस्थान, अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थान, अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हाई-वे, एक्सप्रेस-वे बन रहे हैं. अंतर्राष्ट्रीय स्तर की रेल कनेक्टिविटी तैयार हो रही है. आज उत्तर प्रदेश मल्टीनेशनल कंपनियों के निवेश का सेंटर है. आज देश और दुनिया के निवेशक कहते हैं- उत्तर प्रदेश यानि उत्तम सुविधा, निरंतर निवेश. आने वाले 02-03 वर्षांे में जब यह एयरपोर्ट काम करना शुरु करेगा, तब उत्तर प्रदेश 05 इंटरनेशनल एयरपोर्ट वाला राज्य बन जाएगा.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर हमारे लिए राजनीति का नहीं बल्कि राष्ट्रनीति का हिस्सा है. भारत का उज्ज्वल भविष्य एक जिम्मेदारी है.

इसलिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि तय समय के भीतर ही इंफ्रास्ट्रक्चर का काम पूरा किया जाए. देरी होने पर जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है. हम राष्ट्र प्रथम की भावना पर चलते हैं. सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास, यही हमारा मंत्र है. कुछ समय पहले ही भारत ने 100 करोड़ वैक्सीन डोज से कठिन पड़ाव को पार किया है. इसी महीने की शुरुआत में भारत ने वर्ष 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य का ऐलान किया. कुछ समय पहले ही कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट का लोकार्पण किया गया. उत्तर प्रदेश में ही एक साथ 09 मेडिकल कॉलेज की शुरुआत करके देश के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया गया. महोबा में नए डैम और सिंचाई परियाजनाओं का लोकार्पण हुआ तो झांसी में डिफेंस कॉरिडोर के काम ने गति पकड़ी, पिछले हफ्ते ही पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश वासियों को समर्पित किया गया. आज नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का भूमिपूजन हुआ है.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2014 से देश के लोगों ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में बदलते हुए भारत, ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार होते हुए देखा है. प्रधानमंत्री जी ने कुशल प्रबन्धन के माध्यम से वैश्विक महामारी कोरोना से देशवासियों के जीवन और जीविका की रक्षा की. प्रधानमंत्री जी द्वारा आज यहां नोएडा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास किया जा रहा है. इसके माध्यम से वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विकास को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाने के लिए आए हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन मंे उत्तर प्रदेश निरन्तर विकास के नये आयाम स्थापित कर रहा है. प्रदेश सरकार ने विगत साढ़े चार वर्षाें में विभिन्न विकास एवं जनकल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के माध्यम से राज्य के सम्बन्ध में पर्सेप्शन को बदला है. प्रदेश में आस्था को सम्मान दिया गया. वर्तमान उत्तर प्रदेश विकास की राह पर आगे बढ़ने वाला प्रदेश है. उन्होंने नोएडा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट के विकास के लिए स्वेच्छा से भूमि उपलब्ध कराने वाले किसानों को बधाई दी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विगत साढ़े चार वर्ष में जनपद गौतमबुद्धनगर में अनेक परियोजनाओं पर कार्य हुआ है. 1125 करोड़ रुपये की लागत से मेट्रो लाइन का विस्तारीकरण तथा 1067 करोड़ रुपये की लागत से एलीवेटेड रोड के निर्माण का कार्य कराया गया. मेडिकल पार्क, इण्डोर स्टेडियम, शिल्पकार एवं बुनकर भवन, नया सिटी बस टर्मिनल, हैबिटेट सेन्टर की स्थापना करायी गयी. ग्रेटर नोएडा में 800 करोड़ रुपये की लागत से गंगा जल की आपूर्ति, 08 नये औद्योगिक सेक्टरों का विकास, 3880 करोड़ रुपये की लागत से मल्टी मोडल लॉजिस्टिक हब एवं मल्टी मोडल ट्रांसपोर्ट हब का कार्य कराया जा रहा है. साथ ही, आने वाले समय में यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण में फिल्म सिटी, एपैरल पार्क, ट्वाय पार्क, मेडिकल डिवाइस पार्क, हैण्डीक्राप्ट पार्क, लॉजिस्टिक पार्क, हेरिटेज सिटी आदि विभिन्न योजनाएं क्रियान्वित की जाएंगी. इन योजनाओं के माध्यम से इस क्षेत्र में लाखों की संख्या में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे.

केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम0 सिंधिया ने कहा कि उत्तर प्रदेश में औद्योगिक एवं पर्यटन विकास की असीम क्षमता है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की मंशा के अनुरूप नोएडा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट के रूप में यहां एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा बनया जा रहा है. वर्ष 2024 तक इसका पहला चरण पूरा होगा. इस पर 30 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश होगा. इससे 01 लाख रोजगार के अवसर सृजित होंगे तथा 60 हजार करोड़ रुपये का निवेश आएगा. उत्तर प्रदेश 21 एयरपोर्ट के साथ 05 इण्टरनेशनल एयरपोर्ट वाला देश का पहला राज्य है. आजादी के बाद 70 वर्षाें मंे देश में कुल 74 एयरपोर्ट बने. प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में विगत 07 वर्षाेे में 62 अतिरिक्त एयरपोर्ट बनाए गये. देश में इनकी कुल संख्या बढ़कर 136 हो गयी है.

कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रदेश के नागरिक उड्डयन मंत्री श्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नन्दी’ ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश सुशासन की नई मिसाल प्रस्तुत कर रहा है. प्रदेश में राजकीय सेवाओं में युवाओं का पूरी निष्पक्षता एवं पारदर्शिता के साथ बिना भेदभाव के नियोजित किया जा रहा है. मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन मंे प्रदेश में उड़ान योजना को प्रभावी ढंग से लागू किया जा रहा है. वर्ष 2017 से पहले राज्य में केवल 02 एयरपोर्ट संचालित थे. वहीं अब 09 हवाई अड्डे संचालित हैं. 08 एयरपोर्ट बनकर लगभग तैयार हैं. 04 एयरपोर्ट पर तेजी से कार्य हो रहा है.

पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर रोजगार की गाड़ी भी भरेगी फर्राटा

इस सदी के सबसे बड़े वैश्विक संकट कोरोना के संक्रमण रोकने के लिए देश व्यापी लॉक डाउन लगा. सारी आर्थिक गतिविधियां ठप्प पड़ गईं. इसका सर्वाधिक असर रोज कमाने खाने वालों पर पड़ा.

उत्तर प्रदेश 24 करोड़ से अधिक जनसंख्या के कारण देश की सबसे अधिक आबादी वाला प्रदेश है. रोजी-रोजगार के लिए यहां के लोग बड़ी संख्या में दूसरे प्रदेशों में रहते हैं. इनमें से 40 लाख लोगों की प्रदेश सरकार ने सुरक्षित और ससम्मान घर वापसी कराई.

वापस आने वालों में से सर्वाधिक सघन आबादी के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग ही अधिक थे. ऐसे में यहां के स्थानीय और प्रवासी श्रमिकों के लिए रोजी रोजगार की व्यवस्था उस समय प्रदेश सरकार के लिये बड़ी चुनौती थी. पूर्वांचल एक्स्प्रेस वे इसका जरिया बनी.

कोरोना काल में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल से कोविड प्रोटोकाल का अनुपालन करते हुए इस पर काम जारी रहा. इस दौरान 60 लाख से अधिक मानव दिवस सृजित हुए थे. इसमें स्थानीय और दूसरे प्रदेशों से आये श्रमिकों को इसके निर्माण में रोजगार मिला. अब जब यह बनकर तैयार हो गया.

बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया है. ऐसे में इस एक्सप्रेसवे के जरिए पूरे क्षेत्र में रोजगार की बहार आना तय है.

16  नवम्बर को इसके उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि अभी तो इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में करीब 22 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. आने वाले समय में इसीके जरिए इस क्षेत्र में लाखों करोड़ रुपये के निवेश आएंगे.

योगी सरकार पहले से ही इस बाबत मुकम्मल कार्ययोजना तैयार कर चुकी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार सार्वजनिक रूप से यह कह चुके हैं कि प्रदेश में बनने वाले हर एक्सप्रेसवे के किनारों पर उस क्षेत्र के खास उत्पादों, कृषि जलवायु क्षेत्र और बाजार की मांग के अनुसार ओद्योगिक गलियारे बनाए जाएंगे. भविष्य में इनके समानांतर सेमी स्पीड बुलेट ट्रेन भी चलाई जाएगी.

देश-दुनिया में बढ़ेगी ब्रांड यूपी की धमक

पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर इस बाबत आठ इंडस्ट्रियल कॉरिडोर चिन्हित किए गए हैं. यहां होने वाले उत्पाद पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट्स के जरिए देश-दुनिया में कम समय में सुरक्षित तरीके से पहुंच जाएंगे. इससे ब्रांड यूपी की पहचान और धमक भी बढेगी. इनके उत्पादन से लेकर, ग्रेडिंग, पैकिंग, लोडिंग, अनलोडिंग के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिलेगा. इन्हीं वजहों से निर्माणाधीन बुंदेलखंड, गोरखपुर लिंक,पूर्वांचल-बलिया लिंक और गंगा एक्सप्रेसवे के जरिए भीआने वाले समय में उस क्षेत्र के लोंगों को रोजी-रोजगार मिलेगा.

समग्रता में तब मुख्यमंत्री योगी के सपनों के अनुरूप नए भारत का नए उत्तर प्रदेश का सपना साकार होगा. उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी. कोरोना के वैश्विक संकट और आर्थिक मंदी के बीच प्रदेश सरकार द्वारा बनाया गया पूर्वांचल एक्सप्रेसवे एक ऐसी उपलब्धी है जो योगी सरकार को खास बनाती हैं.

कुछ समय पहले तक सूबे में बेहतर हुई कानून व्यवस्था को प्रदेश सरकार की मुख्य उपलब्धि माना जाता था, परन्तु अब पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और सुधरती हुई अर्थव्यवस्था के माध्यम से युवाओं के लिए उद्योगों के माध्यम से रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहें हैं. योगी जी के कार्यकाल में प्रतिव्यक्ति आय बढ़ना, निर्यात में इजाफा होने और इलेक्ट्रानिक्स एवं अन्य उद्योगों के क्षेत्र में संसार की नामी कंपनियों को उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए रजामंद करने से

आज  यूपी में निवेश की तस्वीर तेजी से बदल रही है. जल्दी ही इस एक्सप्रेसवे के टेक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग और मैन्युफैक्चरिंग में यूपी में कई नई महत्वपूर्ण इकाइयां आएंगी, जो रोजगार के नए अवसर प्रदान करेंगी.

पर्यटन उद्योग को संजीवनी दे रहा हॉट एयर बैलून फ़ेस्टिवल

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार रोज़ नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है. वाराणसी की धरती से पहली बार हॉट एयर बैलून ने उड़ान भरा. अभी तक लोगों ने  बनारस के सुबह की छटा को गंगा के  किनारे घाटों से देखा होगा, पर अब योगी सरकार बनारस की सुबह के साथ ही घाटों की लम्बी शृंखला को  आसमान से देखने का भी मौका दे रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने वाराणसी में तीन दिनों का हॉट एयर  बैलून फेस्टिवल का आयोजन किया है. पर्यटक एडवेंचर टूरिज्म का आनंद ले रहे हैं. पर्यटक 19 नवंबर को देव दीपावली भी हॉट बैलन से देख सकेंगे. पर्यटकों के रुझान को देखते हुए सरकार इसका आगे भी संचालन कर सकती है.

बदलते काशी की बदलती तस्वीर अब लोग हाट एयर बैलून पर सवार होकर देख़ सकते हैं. बनारस के गंगा घाट हों या शहर, करीब एक घंटे की बैलून राइड में लगभग पूरे काशी का दर्शन हो जाएगा. अभी तक लोगों ने गलियों में घूमकर काशी को देखा होगा, लेकिन अब योगी सरकार ने आसमान से भी काशी दर्शन का प्रबंध कर दिया है. मोदी व योगी के प्रयासों से वाराणसी के चतुर्दिक विकास में पर्यटन उद्योग भी  एक महत्पूर्ण कड़ी है. कोविड काल में पर्यटन उद्योग पर भी काफी असर देखने को मिला था. हॉट एयर बैलून फेस्टिवल मंद पड़े पर्यटन उद्योग को संजीवनी देने का काम रही है.

पर्यटक अमित और  पुनीत ने बताया कि हॉट बैलून एयर का सफर बेहद रोमांचक है. हॉट एयर बैलून पर सवार होकर सूर्योदय और शहर दोनों  बेहद खूबसूरत नजर आ रहा था. देव दीपावली पर जब घाटों पर दीपक जलेंगे तो यह नज़ारा और भी अद्भुत होगा. हॉट एयर बैलून की विदेशी पायलट ने कहा कि वाराणसी जैसा नजारा आज तक उन्होंने कहीं नहीं देखा है.

वाराणसी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने  देव दीपावली के मौके पर  तीन दिवसीय हॉट एयर बैलून फेस्टिवल का आयोजन किया है. पर्यटन विभाग के मुताबिक 18 और 19 नवंबर रात्रि की उड़ान टेडर्ड फ्लाइट के माध्यम से होगी, जबकि सुबह की उड़ान पूरे शहर में होगी. टेडर्ड उड़ान में बैलून  का नीचे का सिरा रस्सी से बंधा होगा और उड़ान नियंत्रित होगी और करीब 50 मीटर ऊपर तक बैलून उड़ सकेगा. बैलून गंगा पार डोमरी क्षेत्र से उड़ान भर रहा है.

यूपी में “हर घर नल” योजना की केंद्र सरकार ने की खुलकर तारीफ

बुंदेलखंड और विंध्‍य समेत प्रदेश भर के ग्रामीण इलाकों में पीने के साफ पानी की आपूर्ति पर पर लगातार काम कर रही राज्‍य सरकार की 735 पेयजल आपूर्ति योजनाओं पर केंद्र सरकार ने अपनी मुहर लगा दी है. राज्यस्तरीय योजना स्वीकृति समिति ने गुरुवार को ग्रामीण क्षेत्रों में नल से पानी कनेक्शन के लिए राज्‍य सरकार की ओर से भेजे गए  1,882 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है . इस बीच केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ट्वीट कर यूपी में हर घर नल योजना की प्रगति की जमकर तारीफ की है. केंद्रीय मंत्री ने राज्‍य सरकार की तारीफ करते हुए कहा है कि यूपी ने हर घर नल से जल योजना को जन आंदोलन बना दिया है. केंद्र सरकार ने हर घर नल योजना को लेकर पहली बार किसी राज्‍य की इस तरह तारीफ की है .

बैठक में स्‍वीकृत की गई इन योजनाओं से 33 जिलों के 1262 गांवों की 39 लाख की आबादी को फायदा होगा. बैठक में समिति द्वारा 735 योजनाओं को स्वीकृति प्रदान की गयी. इसके तहत 4.03 लाख ग्रामीण परिवारों को पानी के कनेक्शन दिए जाने की योजना है . मौजूदा समय में प्रदेश में 2.64 करोड़ में से कुल 34 लाख (12.9%) ग्रामीण परिवारों को उनके घरों तक नल का पानी मिल रहा है.

केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने अपने ट्वीट मे इस बात का भी उल्लेख किया है कि राज्य में 1882 करोड़ रुपये के प्रस्ताव स्वीकृत किए गए हैं ताकि गांवों में आसानी से नल कनेक्शन पहुंचाए जा सकें. इससे 1262 गांवों के 39 लाख लोगों को लाभ मिलेगा. उन्‍होंने लिखा है कि योगी जी की सरकार ने वर्ष 2021-22 में 78 लाख परिवारों को नल कनेक्शन देने की संवेदनशील योजना बनाई है. यूपी में “जल जीवन भी और अब मिशन भी “ बन चुका है.

यूपी में युद्ध स्तर पर हर घर को नल से जल देने की योजना पर काम तेजी से किया जा रहा है. सरकार अगले महीने बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र के सैकड़ों गांवों में हर घर को नल से जल देने की शुरुआत करने जा रही है. इसके लिए कई इलाकों में ट्रायल रन चल रहा है.

बीमारू और आपराधिक छवि से बाहर निकल रहा आजमगढ़

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले की छवि बीमारू जिले, माफिया और आतंकवादी सरपरस्ती की बन गई थी. योगी सरकार के प्रयास से यह छवि बदल रही है. दो लोकसभा, 10 विधानसभा क्षेत्र, 8 तहसीलें और 22 ब्लॉक आजमगढ़ का  भूगोल है. पिछले चार दशक तक उसके इतिहास के पन्नों में आतंक और बीमारू शब्दों की यथार्थ बारंबारता रही.

कभी इस जिले की पहचान

अयोध्या सिंह हरिऔध व श्याम नारायण पांडेय जैसे साहित्य सर्जकों से रही, ब्लैक पॉटरी जैसे खूबसूरत कुटीर उद्योग से रही, अस्सी के दशक से वह जिला माफियागिरी और टेरर कनेक्शन के नाम पर बदनाम हो गया. निवेश और विकास की बात तो दूर, यहां स्थापित कारोबारी ही पलायित होने लगे. किसी भी बड़े शहर में आजमगढ़ का नाम खौफ का पर्याय हो चला था. इन सबके बावजूद सीटों के गणितीय फॉर्मूले में तत्कालीन सत्ताधीश तमाशा देखते रहे.

बीते साढ़े चार सालों से आजमगढ़ माफिया की बजाय विकास का गढ़ बनने की राह पर सरपट आगे बढ़ा है. वैसे तो यह जिला सपा का गढ़ माना जाता है लेकिन जिले की विकासपरक पहचान की पहल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की है. योगी जिले को राज्य विश्वविद्यालय की सौगात देने जा रहे हैं.

यह सच है कि आजमगढ़ कभी भारतीय जनता पार्टी का राजनीतिक किला नहीं रहा. लेकिन, यह भी उतना ही सच है कि इस जिले की पहली बार सुधि भाजपा सरकार ने ही ली. मार्च 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही योगी आदित्यनाथ ने आजमगढ़ के विकास को बहुत तवज्जो दी. मुख्यमंत्री ने आजमगढ़ की जनता से विश्वविद्यालय की स्थापना का वादा किया था और उसे पूरा भी कर दिखाया है. एक बात तो साफ हो गई है कि आने वाले दिनों में आजमगढ़ की नई पहचान उच्च शिक्षा के महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में हो सकेगी. जबकि बीते चार दशकों में कभी हाजी मस्तान तो कभी दाऊद इब्राहिम,अबू सलेम, अबू बकर जैसे माफिया डॉन ही और कई बार बम ब्लास्ट के टेरर कनेक्शन जिले की बदनाम पहचान बन गए थे. साढ़े चार सालों में प्रदेश की कानून व्यवस्था का ऐसा बोलबाला हुआ है कि आजमगढ़ कभी माफिया पनाह मांगने लगे हैं.

आजमगढ़ की जनता ने समाजवादी पार्टी को सिर आंखों पर बैठाया लेकिन जनता को उसके नेताओं ने वोट बैंक तक ही सीमित रखा. 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां के लोगों ने मुलायम सिंह यादव को अपना रहनुमा बनाया तो 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव को. इसके बावजूद आजमगढ़ के माथे पर बीमारू का कलंक चस्पा रहा. रहनुमा बनकर सपा नेता आजमगढ़ की जनता को ही भूल बैठे. राजनीतिक विरोधियों का क्षेत्र भले रहा लेकिन सीएम योगी ने जनता को विकास परियोजनाओं का उपहार देने में कभी भेदभाव नहीं किया. पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के माध्यम से आजमगढ़ के विकास के एक नई तस्वीर उभरने वाली है. इन दोनों एक्सप्रेसवे के जरिए आजमगढ़ प्रमुख कारोबारी और औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित होगा. इससे बड़े पैमाने पर स्थानीय रोजगार सृजित होगा. मुंबई और खाड़ी देशों को होने वाला युवाओं का पलायन भी रुकेगा. यही नहीं सीएम योगी के नियमित पर्यवेक्षण में यहां एयरपोर्ट भी बनकर तैयार है और जल्द ही आजमगढ़ और आसपास के लोगों को बड़े शहरों के लिए सीधी एयर कनेक्टिविटी हो जाएगी. इतना ही नहीं आजमगढ़ के पारंपरिक कुटीर शिल्प ब्लैक पॉटरी को भी अंतरराष्ट्रीय पहचान योगी सरकार ने ही दिलाई है. यह कुटीर उद्योग प्रोत्साहन के अभाव में दम तोड़ रहा था. सरकार ने इसे आजमगढ़ की ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) योजना में शामिल किया. ओडीओपी में शामिल होते की इस कुटीर उद्योग से जुड़े उद्यमियों के दिन बहुर गए हैं. इस कुटीर उद्योग की धमक और वैश्विक मंच पर भी होने लगी है.

पूरब की तरक्की नया “गेटवे” पूर्वांचल एक्सप्रेसवे

पूर्वांचल की बदहाली, गरीबी, बेबसी और अति पिछड़ेपन का दंश कभी लोकसभा में गाजीपुर के तत्कालीन सांसद विश्वनाथ गहमरी ने इस भावुकता से उठाया था कि सदन में बैठे अधिकांश माननीयों की आंखें नम हो गई थीं. पूरब के लोगों की आंखें एक बार फिर छलकने को बेताब हैं. पर, इस बार आंसू खुशी के होंगे, समृद्धि के पूरे होते सपनों के होंगे, देश की अर्थव्यवस्था में सिरमौर बनने के लिए बढ़ते कदम के होंगे. अवसर होगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों 341 किमी लंबे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उद्घाटन का. इस एक्सप्रेसवे के रूप में पूरब के लोगों को तरक्की का “गेटवे” भी मिल जाएगा.

पूर्वांचल के लोगों के लिए दिल्ली अब दूर नहीं होगी, गाजीपुर से सिर्फ 10 घण्टे में देश की राजधानी पहुंचा जा सकेगा. पहले इसका दोगुना या इससे भी अधिक समय लगता था. योगी सरकार ने यूपी में रोड कनेक्टिविटी को अर्थव्यवस्था के मजबूत प्लेटफार्म के रूप में तैयार किया है. सीएम के निर्देश पर उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) द्वारा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को भी इसी मंशा से विकसित किया गया है. पूर्व की सरकारों में जिन जिलों में पारंपरिक सड़कें ही चलने लायक नहीं थीं, वहां सिक्स लेन एक्सप्रेसवे की सौगात विकास की नई इबारत लिखने जा रही है. यह एक्सप्रेसवे सिर्फ आमजन की आवागमन सुगमता का ही मार्ग नहीं है बल्कि निवेश व औद्योगिक विकास से रोजगार का भी नया द्वार खोलने वाला है.

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के दायरे में आने वाले जनपदों में कारोबारी गतिविधियों को नया विस्तार तो मिलेगा ही, एक्सप्रेसवे के दोनों तरफ इंडस्ट्रियल क्लस्टर स्थानीय श्रम शक्ति को सेवायोजित भी करेंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के समीप पांच इंडस्ट्रियल क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं. इसके लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण की तरफ से नौ हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि चिन्हित भी कर ली गई है. चूंकि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के दायरे में आने वाले अधिकांश जिले कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाले हैं, इसलिए इंडस्ट्रियल क्लस्टर में पहली प्राथमिकता फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स पर है. इसके अलावा टेक्सटाइल, रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पाद, बेवरेज, केमिकल, मेडिकल उपकरणों से जुड़ी फैक्ट्रियां भी स्थापित होंगी. इन फैक्ट्रियों में स्थानीय श्रम शक्ति को रोजगार मिल सके, इसके लिए प्रशिक्षण केंद्र स्थापित कर उन्हें प्रशिक्षित भी किया जाएगा.

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे और बलिया लिंक एक्सप्रेसवे से जोड़कर तीव्रतम होगी विकास की रफ्तार
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को निर्माणाधीन गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे और बलिया लिंक एक्सप्रेसवे से भी जोड़ा जाएगा. दो लिंक एक्सप्रेसवे से जोड़कर पूर्वी उत्तर प्रदेश में विकास की रफ्तार तीव्रतम की जाएगी. इससे गोरखपुर, संतकबीर नगर, बलिया समेत करीब आधा दर्जन अतिरिक्त जिले पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएंगे.

आपात स्थिति में वायुसेना के भी काम आ सकेगा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे
पूर्वांचल एक्सप्रेस वे को इतना मजबूत बनाया गया है कि आपातकालीन आवश्यकता पर वायुसेना अपने लड़ाकू विमान की इस पर लैंडिंग भी कर सकती है. एक्सप्रेसवे पर सुल्तानपुर में बकायदे 32 किमी लंबी सड़क को वायुसेना की हवाई पट्टी के रूप में ही विकसित किया गया है. प्रधानमंत्री द्वारा सुल्तानपुर में एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किए जाने से पूर्व वायुसेना यहां लड़ाकू विमान की ट्रायल लैंडिंग कर सकती है.

पूर्वांचल एक्सप्रेसवे : एक नजर में

शिलान्यास – 14 जुलाई 2018

एक्सप्रेसवे का प्रारंभिक स्थान- एनएच 731 के लखनऊ-सुल्तानपुर रोड पर स्थित लखनऊ का चांदसराय गांव

अंतिम स्थान – एनएच 19 पर गाजीपुर का हैदरिया गांव (यूपी-बिहार बॉर्डर से 18 किमी पहले)
ले आउट – पूर्णतः प्रवेश नियंत्रित 6 लेन, कुल लम्बाई 340824 किमी

परियोजना की लागत – 2249466 करोड़ रुपये, भूमि अधिग्रहण समेत

कवर हुए जनपद – 9 (लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अम्बेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ व गाजीपुर)

काशी में चलेंगी सीएनजी आधारित बोट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने पिछली देव दीपावली पर काशी में जब क्रूज़ से गंगा की सैर की थी तभी उन्होंने डीजल से चलने वाली बोट के ज़हरीले धुएं और शोर से गंगा को मुक्ति दिलाने के लिए तयकर लिया था. उत्तर प्रदेश  के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसका बखूबी जिम्मा लिया.

वाराणसी में गंगा में चलने वाली करीब 500 मोटर बोट को 19 नवंबर देव दीपावली तक सीएनजी से चलाने का लक्ष्य है. आने वाले समय में गंगा में शत प्रतिशत बोट सीएनजी से चलाने की योजना है. मोक्षदायिनी गंगा दुनिया की पहली नदी होगी, जहां इतने बड़े पैमाने पर सीएनजी आधारित बोट चलेंगी.

धर्म नगरी काशी में आने वाले पर्यटक गंगा में बोटिंग करके अर्धचंद्राकार घाटों के किनारे सदियों से खड़ी इमारतों, मंदिर-मठों को देखते हैं. अब यहाँ आने वाले पर्यटकों को गंगा में बोटिंग करते समय ज़हरीले धुएं और बोट की तेज आवाज से मुक्ति मिलने वाली है. सभी डीज़ल आधारित बोटों को देव दीपावली तक सीएनजी आधारित  करने का लक्ष्य है . वाराणसी दुनिया का पहला शहर होगा, जहां इतने बड़े पैमाने पर सीएनजी से नावों का संचालन होगा. गंगा में फ्लोटिंग सीएनजी स्टेशन की भी योजना है. इससे गंगा के बीच में भी सीएनजी भरी जा सकेगी.

स्मार्ट सिटी के जीएम डी वसुदेवम ने बताया कि गंगा में क़रीब 1700 छोटी-बड़ी नावें चलती हैं. इनमे से करीब 500 बोट डीज़ल इंजन से चलने वाली है. लगभग 177 बोट में सीएनजी इंजन लगा चुका है. बचे हुए मोटर बोट को देव दीपावली तक सीएनजी इंजन से चला देने का लक्ष्य है. ये काम गेल इण्डिया कोर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिल्टी के तहत करा रही है. करीब 29 करोड़ के बजट से 1700 छोटी और बड़ी नाव में सीएनजी इंजन लगया जा रहा है. इसमें छोटी नाव पर करीब 1.5 लाख का खर्च आ रहा है, जबकि बड़ी नाव और बज़रा पर लगभग 2.5 लाख का ख़र्च है . नाविकों के नाव में सीएनजी किट मुफ़्त लगाया जा रहा है. स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट मैनेजर सुमन कुमार राय ने बताया कि जिस नाव पर सीएनजी आधारित इंजन लगेगा, उस नाविक से डीज़ल इंजन वापस ले लिया जाएगा. घाट पर ही डाटर स्टेशन हैं. जेटी पर डिस्पेंसर भी लग गया है. नाविकों का कहना है कि सीएनजी इंजन से आधे खर्चे में दुगनी दूरी तय  कर रहे हैं. धुआँ और तेज आवाज नहीं होने से पर्यटकों को भी अच्छा लग रहा है.

सीएनजी से प्रदूषण भी होगा कम

सीएनजी आधारित इंजन डीज़ल और पेट्रोल इंजन के मुक़ाबले 7 से 11 प्रतिशत  ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करता है, वहीं सल्फर डाइऑक्सइड जैसी गैसों के न निकलने से भी प्रदूषण कम होता है. डीजल इंजन से नाव चलाने पर जहरीला धुआं निकलता है जो आसपास रहने वाले लोगों के लिए बहुत हानिकारक है, जबकि सीएनजी के साथ ऐसा नहीं है. डीजल इंजन की तेज आवाज़ से कंपन होता है, जिससे इंसान के साथ ही जलीय जीव-जन्तुओं पर बुरा असर पड़ता है और इको सिस्टम भी खराब होता है. इसके साथ ही घाट के किनारे हज़ारों सालों से खड़े  ऐतिहासिक धरोहरों को भी नुकसान पहुंच रहा था. डीजल की अपेक्षा सीएनजी कम ज्वलनशील होती है अतः इससे चालित नौकाओं से आपदाओं की आशंका कम होगी.

Top 10 Best Diwali Tips In Hindi: दिवाली से जुड़ी टॉप 10 बेस्ट खबरें हिन्दी में

Top 10 Best Diwali Tips In Hindi: हम सभी चाहते हैं कि हर त्यौहार खुशियों से भरा है. लेकिन त्यौहार में खुशियों के साथ-साथ हमें सतर्क भी रहना चाहिए. अक्सर हम त्यौहार के जश्न में कुछ ऐसा कर देते हैं जिसका हमें पूरी जिंदगी पछतावा रहता है. तो इस दिवाली पर हम आपके लिए लेकर आए हैं  Best Diwali Tips In Hindi. तो अगर आप  हैप्पी और सेफ दिवाली मनाना चाहते हैं तो पढ़िए सरस सलिल की Top 10 Best Diwali Tips In Hindi.

  1. Diwali Special: गिफ्ट वही जो हो सही

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त्योहार यानी अपनों के साथ खुशियोंभरा समय, जिस में हम अपनी बिजी लाइफस्टाइल में से फुरसत के कुछ पल निकाल कर अपनों के साथ बिताते हैं. उन के साथ बातें करते हैं और खूबसूरत यादें बांटते हैं. अगर इस में उपहार का तड़का लग जाए तो सोने पे सुहागा वाली बात हो जाती है. बता दें कि उपहार लेना भला किसे पसंद नहीं होता. सभी को उपहार भाते हैं. लेकिन कई बार इन उपहारों में थोड़ी स्मार्टनैस न दिखाई जाए तो खुशियों का रंग फीका पड़ सकता है. जबकि, उपहार दे कर आप अपनों के चेहरे पर एक मीठी सी मुसकान बिखेर देते हैं. चलो जानते हैं कि इस दीवाली अपनों के लिए उपहारों का चयन कैसे करें. पसंद की चीजें दें

उपहार चेहरे पर मुसकान ला देता है, दिल को गार्डनगार्डन कर देता है. इस फैस्टिवल पर आप को अपनों को उपहार के नाम पर सिर्फ उपहार दे कर खानापूर्ति नहीं करनी है, बल्कि इस बार आप उन्हें उन की पसंद की चीजें गिफ्ट करें. जैसे बात करें मम्मीपापा को गिफ्ट देने की, तो आप कुछ समय पहले से ही बातोंबातों में उन के मन की बात जानने की कोशिश करें कि उन का क्या लेने का मन है.

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2. Diwali 2021: अपनों के साथ मनाएं दीवाली

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त्योहार अपनों के साथ मिल कर मनाने में ही आनंद मिलता है, फिर चाहे आप कितने भी दूर क्यों न रह रहे हों. आप अपने करीबियों से त्योहार में मिलते हैं तो वे मीठे पुराने पल फिर से याद आते हैं जिन्हें आप ने कभी साथ में जिया था.

आज सुबहसुबह अंकित के पास मां का फोन आया. मां ने बड़े प्यार से उसे घर पर बुलाया तो अंकित चिढ़ता हुआ बोला,

‘‘नहीं मां, मैं नहीं आ पाऊंगा. औफिस में इतना सारा काम है. वैसे ही सब संभालना मुश्किल हो रहा है. आने का प्लान बनाया तो आनेजाने में 4 दिन बरबाद हो जाएंगे.’’

मां खामोश रह गई और उस ने फोन काट दिया. वह सोचने लगा एक तो दीवाली के समय काम इतना ज्यादा होता है, दूसरे, घरवाले बुलाने लगते हैं. उसे याद आया कि कैसे पिछले साल उस के पिता ने उसे बुलाने के लिए फोन किया था तब भी उस ने मना कर दिया था, मगर इस साल तो पिताजी गुजर चुके हैं, इसलिए मां ने फोन किया. तभी उसे खयाल आया कि कैसे एक साल में जिंदगी बदल जाती है.

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3. Diwali Special: बॉयफ्रेंड के साथ दिवाली

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दीवाली आते ही खुशियों का माहौल बनने लगता है. खुशियों को मिल कर मनाना चाहिए. ऐसे में दीवाली गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड मिल कर मनाते हैं. आज समय बदल गया है. गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड अब जौब वाले भी हैं. वे खुद पर निर्भर होते हैं. पहले गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड टीनएज में होते थे तो उन के दायरे भी सीमित होते थे. आज युवा जल्दी ही जौब करने लगे हैं. इस के अलावा घरों से दूर होस्टल में या दूसरे शहरों में रह रहे हैं.

ऐसे में वे पहले के मुकाबले ज्यादा आजाद होते हैं. उन के सामने अब अवसर होते हैं कि वे आपस में मिल कर फैस्टिवल मना सकते हैं. पार्टीज करने के लिए जरूरी नहीं है कि महंगे होटल या पब में जाएं. किसी दोस्त के घर या छोटे होटल, पार्क में भी इस को कर सकते हैं.

प्रोफैशनल स्टडीज कर रही इसिका यादव कहती हैं, ‘‘गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड ही नहीं, हम अपने सामान्य फ्रैंड्स के साथ भी दीवाली कुछ खास तरह से मना सकते हैं. कालेज और होस्टल में रहने वाले लोग छुटिट्यों में अपने घर जाते हैं. ऐसे में दीवाली से पहले दीवाली पार्टी और दीवाली के बाद भी पार्टी का आयोजन कर सकते हैं. उस में खास दोस्तों को बुला सकते हैं. पार्टी में डांस, म्यूजिक, गेम्स और कई तरह के प्राइजेज के साथ खानेपीने के अच्छे मैन्यू रख सकते हैं. युवाओं को यह अच्छा लगता है. दीवाली रोशनी यानी लाइटिंग का त्योहार होता है. पार्टी में लाइटिंग भी होनी चाहिए.’’

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4. Diwali Special: डाइटिंग छोड़ें डाइट का मजा लें

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दीवाली के आने का मतलब होता है ढेर सारा खानापीना, ढेर सारी मस्ती करना. ऐसे में अगर हम डाइटिंग के बारे में सोचने लगे तो मजा फीका होगा ही. इसलिए दीवाली पर नो डाइटिंग. एंजौय करने का जो भी मौका मिले उसे कभी भी डाइटिंग के कारण खराब नहीं करना चाहिए. आप ही सोचिए त्योहार क्या रोजरोज आता है, ऐसे में भी अगर हम हर बाइट के साथ मोटे होने की बात सोचेंगे तो न हम खाने का मजा ले पाएंगे और न ही फैस्टिवल को पूरी तरह एंजौय कर पाएंगे.

अगर हम सही डाइट प्लान बना कर चलें तो 4 दिन हैवी डाइट लेने पर हम मोटे या फिर बीमार नहीं होंगे. आप को सिर्फ इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप को जितनी भूख हो उतना ही खाएं. जरूरत से ज्यादा खाना आप को बीमार कर सकता है.

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5. Diwali 2021: खुशियां मनाएं मिल-बांट कर

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शादी के बाद प्रिया पति के साथ पहली बार दूसरे शहर आई थी. उस के पति का ‘दृष्टि रेजीडैंसी’ में खूबसूरत फ्लैट था. अपने शहर में प्रिया का बड़ा सा परिवार था. त्योहार के दिन सभी एकजुट हो, मिलबांट कर खुशियां मनाते थे. यहां उसे अकेलापन महसूस हो रहा था. जैसेजैसे दीवाली करीब आ रही थी. प्रिया की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे? पति प्रकाश से बात करने पर पता चला कि उस के ज्यादातर दोस्त बाहर के रहने वाले हैं. वे लोग पहले से ही घर जाने का टिकट करा चुके हैं.

कुछ लोग हैं जो उस के फ्लैट से दूर रहते थे. प्रिया ने अपने कौंप्लैक्स में रहने वाले कुछ परिवारों से कम दिनों में अच्छी जानपहचान कर ली थी. उस ने उन सब के साथ मिल कर बात की तो पता चला कि कौंप्लैक्स में कुछ परिवार दीवाली मनाते हैं. वे भी अपने फ्लैट के अंदर ही दीवाली मना लेते हैं. बहुत हुआ तो किसी दोस्त को कुछ उपहार दे कर त्योहार मना लेते हैं. अब प्रिया ने तय कर लिया कि इस बार दीवाली को नए तरह से मनाना है. दृष्टि रेजीडैंसी बहुत ही खूबसूरत जगह पर थी. उस के पास में हराभरा पार्क था. प्रिया ने पार्क की देखभाल करने वाले से कह कर पार्क को साफ करा दिया.

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6. Diwali Special: हॉस्टल वाली दीवाली

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जो लोग होस्टल में रहे हैं उन्हें पता है कि वे उन की जिंदगी के कभी न भूलने वाले पल हैं. होस्टल की जिंदगी मजेदार भी होती है और परेशानियों से भरी भी. बावजूद इस के, होस्टल में रह कर त्योहारों के समय जो खुशियां मिलती हैं, जो आजादी और मस्ती मिलती है, वह कहीं और नहीं मिलती.

संध्या जब हैदराबाद से दिल्ली के एक एनजीओ में काम करने आई थी तो उस ने कई साल वुमन होस्टल में गुजारे थे. अब तो वह शादी कर के पति के घर में सैटल हो गई है मगर होस्टल के दिन उन्हें नहीं भूलते हैं. घर के ऐशोआराम से निकल कर कम संसाधनों और जुगाड़ों के बीच होस्टल की टफ लाइफ का भी अपना ही मजा था. उस जिंदगी को याद करते वक्त उन्हें सब से ज्यादा दीवाली की याद आती है.

संध्या कहती हैं, ‘‘किसी आसपास के शहर से होती तो त्योहारों में जरूर घर भाग जाती, मगर दिल्ली से ट्रेन में हैदराबाद तक 2 दिन का सफर बड़ा कठिन लगता था और वह भी सिर्फ दोतीन दिन के लिए जाना बिलकुल ऐसा जैसे देहरी छू कर लौट आओ. शुरू के 2 साल तो मैं दीवाली पर घर गई, मगर बाद में होलीदीवाली सब होस्टल में ही मनाने लगी.

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7. Diwali Special: जुआ खेलना जेब के लिए हानिकारक है

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कहते हैं जुए की लत में जर, जोरू और जमीन, सब दांव पर लग जाते हैं. महाभारत से ले कर आज के भारत में जुए की गंदी लत ने न जाने कितने घरों को बरबाद किया है, कितने घरों में अशांति फैलाई है. क्या आप भी इस की लत में सबकुछ खोने को तैयार हैं?

तीजत्योहारों पर धार्मिक रीतिरिवाजों के नाम पर कई कुरीतियां भी हम ने पाल रखी हैं, जैसे होली पर शराब और भांग का नशा करना और दीवाली पर जुआ खेलना, जिस के पीछे अफवाह यह है कि आप अपनी किस्मत और आने वाले साल की आमदनी आंक सकते हैं. दीवाली पर जुए के पीछे पौराणिक कथा यह है कि इस दिन सनातनियों के सब से बड़े देवता शंकर ने अपनी पत्नी पार्वती के साथ जुआ खेला था, तब से यह रिवाज चल पड़ा.

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8. Diwali 2021: दीवाली कभी पति के घर कभी पत्नी के मायके

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मधु की शादी के बाद की पहली दीवाली थी. ससुराल में सब खुश थे. पूरे घर में चहलपहल थी. घर में नई बहू आई थी, सो ननद परिवार समेत दीवाली सैलिब्रेट करने आई थी. मधु ससुराल वालों की खुशी में खुश थी मगर उस के मन के एक कोने में मायके के सूने आंगन का एहसास कसक पैदा कर रहा था. वह एकलौती बेटी थी. शादी के बाद उस के मांबाप अकेले रह गए थे. मां की तबीयत ठीक नहीं रहती थी. वैसे भी, पहले पूरे घर में उस की वजह से ही तो रौनक रहती थी. अब उस आंगन में कौन दौड़दौड़ कर दीये जलाएगा, यह एहसास उस के दिल के अंदर एक खालीपन पैदा कर रहा था.

मधु ने पति से कुछ कहा तो नहीं, मगर उस के मन की उदासी पति से छिपी भी न रह सकी. पति ने मधु से रात 9 बजे के करीब कार में बैठने को कहा. मधु हैरान थी कि वे कहां जा रहे हैं. गाड़ी जब उस के मायके के घर के आगे रुकी तो मधु की खुशी का ठिकाना न रहा. घर में सजावट थी पर थोड़ीबहुत ही. वह दौड़ती हुई अंदर पहुंची. मां बिस्तर पर बैठी थीं और पापा किचन में कुछ बना रहे थे. अपनी लाड़ली को देखते ही दोनों ने उसे गले लगा लिया. बीमार मां का चेहरा खुशी से दमकने लगा. दोनों करीब 1 घंटे वहां रहे. घर को रोशन कर जब वापस लौटे तो मधु का दिल पति के प्रेम में आकंठ डूबा हुआ था.

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9. Diwali 2021: वातावरण को शुद्ध बनाएं व जीवन मे खुशियां लाएं  

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त्योहारों का सीजन शुरू हो गया है. सभी के घरों मे त्योहारों की तैयारी जोरों पर है. लोग घरों की साफ सफाई में जुट गए हैं या शौपिंग करने मे बिजी है. त्यौहारों के सीजन में  हर कोई अपने दोस्तों, रिश्तेदारों से भी मिलने जाते हैं. ऐसे में लोगों के रिश्तों मे मिठास बढ़ती है. लेकिन इस त्यहारों के सीजन में एक और चीज बढ़ रही है जिसकी कोई परवहा नहीं कर रहा है और वो है हमारे आस पास बढ़ता हुआ प्रदूषण का स्तर. चाहे वो धुआं हो, प्लास्टिक कचरा या पटाखों से बढ़ता प्रदूषण. दिवाली से पहले ही आकाश में प्रदूषण के धुंध की चादर फैली हुई है. दिवाली के त्योहार पर बढ़ते प्रदूषण का स्तर आपकी सेहत के लिए खतरा ना बन जाए इस बात को ध्यान में रखते हुए हम कुछ जरूरी टिप्स बता रहे है जिससे आप अपने आस पास प्रदूषण को बढ़ने से बचा सकते हैं.

दिवाली पर सब साफ सफाई में जुट जाते हैं. सफाई करते समय ध्यान रखें की अगर आपके पास कोई प्लास्टिक का ऐसा कचरा है जिस को हम किसी न किसी तरह  दोबारा इस्तेमाल कर सकते है तो उसे फेकें नहीं. उससे आप अपने घर की सजावट का सामान बना सकते हैं या उसमे पौधे लगा सकते हैं. जिससे आप वातावरण को भी शुद्ध बना सकते हैं और प्लास्टिक का दोबारा अच्छे तरीके से इस्तेमाल भी कर सकते हैं. क्योंकि प्लास्टिक मिट्टी के उपजाऊपन को नुकसान पहुंचाता है और ये आसानी से नष्ट नहीं होता है.

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10. Diwali Special: मिलन के त्योहारों को धर्म से न बांटे

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त्योहारों का प्रचलन जब भी हुआ हो, यह निश्चित तौर पर आपसी प्रेम, भाईचारा, मिलन, सौहार्द और एकता के लिए हुआ था. पर्वों को इसीलिए मानवीय मिलन का प्रतीक माना गया है. उत्सवों के पीछे की भावना मानवीय गरिमा को समृद्धि प्रदान करना है. सामाजिक बंधनों और पारिवारिक दायित्वों में बंधा व्यक्ति अपना जीवन व्यस्तताओं में बिता रहा है. वह इतना व्यस्त रहता है कि उसे परिवार के लिए खुशियां मनाने का वक्त ही नहीं मिलता.

इन सब से कुछ राहत पाने के लिए तथा कुछ समय हर्षोल्लास के साथ बिना किसी तनाव के व्यतीत करने के लिए ही मुख्यतया पर्वउत्सव मनाने का चलन हुआ, इसलिए समयसमय पर वर्ष के शुरू से ले कर अंत तक त्योहार के रूप में खुशियां मनाई जाती हैं.

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Top 10 Best Mother Story In Hindi: मां से जुड़ी टॉप 10 बेस्ट कहानियां हिंदी में

Top 10 Best Mother Story In Hindi: मां, कहने को छोटा शब्द है लेकिन इस शब्द में सबकी दुनिया बसती है. एक मां ही होती है, जो अपने बच्चों का साथ कभी नहीं छोड़ती.  मां की ममता, सादगी सिर्फ एक मां ही समझ सकती है. वह कोई भी मुसीबत अपने सिर पर ले लेती है और हर हाल में अपने बच्चों को खुशियां देना चाहती है. तो इस लेख में आपके लिए लेकर आए हैं मां की 10 बेस्ट कहानियां. तो अगर आपको भी है कहानियां पढ़ने के शौक तो पढ़िए सरस सलिल की Best Mother Story In Hindi.

  1. मां, पराई हुई देहरी तेरी

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कमरे में पैर रखते ही पता नहीं क्यों दिल धक से रह जाता?है. मां के घर के मेरे कमरे में इतनी जल्दी सब- कुछ बदल सकता है मैं सोच भी नहीं सकती थी. कमरे में मेरी पसंद के क्रीम कलर की जगह आसमानी रंग हो गया है. परदे भी हरे रंग की जगह नीले रंग के लगा दिए गए हैं, जिन पर बड़ेबड़े गुलाबी फूल बने हुए हैं.

मैं अपना पलंग दरवाजे के सामने वाली दीवार की तरफ रखना पसंद करती थी. अब भैयाभाभी का दोहरा पलंग कुछ इस तरह रखा गया है कि वह दरवाजे से दिखाई न दे. पलंग पर भाभी लेटी हुई हैं. जिधर मेरी पत्रिकाओं का रैक रखा रहता था, अब उसे हटा कर वहां झूला रख दिया गया?है, जिस में वह सफेद मखमली सा शिशु किलकारियां ले रहा है, जिस के लिए मैं भैया की शादी के 10 महीने बाद बनारस से भागी चली आ रही हूं.

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2. क्यों, आखिर क्यों : मां की ममता सिर्फ बच्चे को देखती है

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आज लगातार 7वें दिन भी जब मालती काम पर नहीं आई तो मेरा गुस्सा सातवां आसमान छू गया, खुद से बड़बड़ाती हुई बोली, ‘क्या समझती है वह अपनेआप को? उसे नौकरानी नहीं, घर की सदस्य समझा है. शायद इसीलिए वह मुझे नजरअंदाज कर रही है…आने दो उसे…इस बार मैं फैसला कर के ही रहूंगी…यदि वह काम करना चाहे तो सही ढंग से करे वरना…’ अधिक गुस्से के चलते मैं सही ढंग से सोच भी नहीं पा रही थी.

मालती बेहद विश्वासपात्र औरत है. उस के भरोसे घर छोड़ कर आंख मूंद कर मैं कहीं भी आजा सकती हूं. मेरी बच्चियों का अपनी औलाद की तरह ही वह खयाल रखती है. फिर यह सोच कर मेरा हृदय उस के प्रति थोड़ा पसीजा कि कोई न कोई उस की मजबूरी जरूर रही होगी वरना इस से पहले उस ने बिना सूचित किए कभी लंबी छुट्टी नहीं ली.

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3. मां का बटुआ : मां का फलसफा अब समझ आया

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मैं अकेली बैठी धूप सेंक रही हूं. मां की कही बातें याद आ रही हैं. मां को अपने पास रहने के लिए ले कर आई थी. मां अकेली घर में रहती थीं. हमें उन की चिंता लगी रहती थी. पर मां अपना घर छोड़ कर कहीं जाना ही नहीं चाहती थीं. एक बार जब वे ज्यादा बीमार पड़ीं तो मैं इलाज का बहाना बना कर उन्हें अपने घर ले आई. पर पूरे रास्ते मां हम से बोलती आईं, ‘हमें क्यों ले जा रही हो? क्या मैं अपनी जड़ से अलग हो कर तुम्हारे यहां चैन व सुकून से रह पाऊंगी? किसी पेड़ को अपनी जड़ से अलग होने पर पनपते देखा है. मैं अपने घर से अलग हो कर चैन से मर भी नहीं पाऊंगी.’

मैं उन्हें समझाती, ‘मां, तुम किस जमाने की बात कर रही हो. अब वो जमाना नहीं रहा. अब लड़की की शादी कहां से होती है, और वह अपने हसबैंड के साथ रहती कहां है. देश की तो बात ही छोड़ो, लोग अपनी जीविका के लिए विदेश जा कर रह रहे हैं. मां, कोई नहीं जानता कि कब, कहां, किस की मौत होगी.

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4. उस की मम्मी मेरी अम्मा : दो मांओं की कहानी

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दीक्षा की मम्मी उसे कार से मेरे घर छोड़ गईं. मैं संकोच के कारण उन्हें अंदर आने तक को न कह सकी. अंदर बुलाती तो उन्हें हींग, जीरे की दुर्गंध से सनी अम्मा से मिलवाना पड़ता. उस की मम्मी जातेजाते महंगे इत्र की भीनीभीनी खुशबू छोड़ गई थीं, जो काफी देर तक मेरे मन को सुगंधित किए रही.

मेरे न चाहते हुए भी दीक्षा सीधे रसोई की तरफ चली गई और बोली, ‘‘रसोई से मसालों की चटपटी सी सुगंध आ रही है. मौसी क्या बना रही हैं?’’

मैं ने मन ही मन कहा, ‘सुगंध या दुर्गंध?’ फिर झेंपते हुए बोली, ‘‘पतौड़े.’’

दीक्षा चहक कर बोली, ‘‘सच, 3-4 साल पहले दादीमां के गांव में खाए थे.’’

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5. मां का साहस

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मां उसे सम झा रही थीं, ‘‘दामादजी सिंगापुर जा रहे हैं. ऐसे में तुम नौकरी पर जाओगी तो बच्चे की परवरिश ठीक से नहीं हो पाएगी. वैसे भी अभी तुम्हें नौकरी करने की क्या जरूरत है. दामादजी भी अच्छाखासा कमा रहे हैं. तुम्हारा अपना घर है, गाड़ी है…’’

‘‘तुम साफसाफ यह क्यों नहीं कहती हो कि मैं नौकरी छोड़ दूं. तुम भी क्या दकियानूसी बातें करती हो मां,’’ वनिता बिफर कर बोली, ‘‘इतनी मेहनत और खर्च कर के मैं ने अपनी पढ़ाई पूरी की है, वह क्या यों ही बरबाद हो जाने दूं. तुम्हें मेरे पास रह कर गुडि़या को नहीं संभालना तो साफसाफ बोल दो. मेरी सास भी बहाने बनाने लगती हैं. अब यह मेरा मामला है तो मैं ही सुल झा लूंगी. भुंगी को मैं ने सबकुछ सम झा दिया है. वह यहीं मेरे साथ रहने को राजी है.’’

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6. सपने में आई मां

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सुबह 10 बजे के आसपास वे सब सड़क के नुक्कड़ के पेड़ के नीचे बनी तिरपाल वाली झोंपड़ी में आ जाते थे. वे उस के अंदर रखे फटे और गंदे कपड़े पहनते थे.

श्यामा ताई एक कटोरे में कोयला पीस कर मिलाई मिट्टी तैयार रखती थी. वे अपने हाथपैरों में मल कर सूखे कपड़े से पोंछ लेते तो संवलाया, मटमैला सा शरीर हो जाता और सभी अपनेअपने ठिकानों पर पहुंच जाते.

सत्ते के हाथ में गंदा सा फटा कपड़ा रहता. बड़ा चौराहा था. चौराहे पर जो बच्चों वाली गाड़ी दिखती, उस पर जाना उसे अच्छा लगता. गाड़ी पर कपड़ा फेरता, रिरियाती हुई आवाज निकालता, ‘‘देदे… मां कुछ पैसे… भैयाजी…’’

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7. मां : आखिर मां तो मां ही होती है

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बहुत दिनों बाद अचानक माधुरी का आना मीना को सुखद लगा था. दोचार दिन तो यों ही गपशप में निकल गए थे. माधुरी दीदी यहां अपने किसी संबंधी के यहां विवाह समारोह में शामिल होने आई थीं. जिद कर के वह मीना और उस के पति दीपक को भी अपने साथ ले गईं. फिर शादी के बाद मीना ने जिद कर के उन्हें 2 दिन और रोक लिया था. दीपक किसी काम से बाहर चले गए तो माधुरी रुक गई थीं.

‘‘और सुना…सब ठीकठाक तो चल रहा है न,’’ माधुरी ने कहा, ‘‘अब तो दोनों बेटियों का ब्याह कर के तुम लोग भी फ्री हो गए हो. खूब घूमोफिरो…अब क्यों घर में बंधे हुए हो.’’

‘‘दीदी, अब आप से क्या छिपाना,’’ मीना कुछ गंभीर हो कर कहने लगी, ‘‘आप तो जानती ही हैं कि दोनों बेटियों की शादी में काफी खर्च हुआ है. अब दीपक रिटायर भी हो गए हैं. सीमित पेंशन मिलती है. किसी तरह खर्च चल रहा है, बस. कोई आकस्मिक खर्चा आ जाता है तो उस के लिए भी सोचना पड़ता है…’’

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8. मिटते फासले: दो मांओं की दर्दभरी कहानी

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मोबाइल फोन ने तो सुरेखा की दुनिया ही बदल दी है. बेटी से बात भी हो जाती है और अमेरिका दर्शन भी घर बैठेबिठाए हो जाता है. अमेरिका में क्या होता है, सुरेखा को पूरी खबर रहती है. मोबाइल के कारण आसपड़ोस में धाक भी जम गई कि अमेरिका की ताजा से ताजा जानकारी सुरेखा के पास होती है.

सर्दी का दिन था. कुहरा छाया हुआ था. खिड़की से बाहर देख कर ही शरीर में सर्दी की एक झुरझुरी सी तैर जाती थी. अभी थोड़ी देर पहले ही शालिनी से बात हुई थी.

शालिनी 2 महीने बाद छुट्टियों में भारत आ रही है. कुरसी खींच कर आंखें मूंद प्रसन्न मुद्रा में सुरेखा शालिनी के बारे में सोच रही थी. कितनी चहक रही थी भारत में आने के नाम से. अपनों से मिलने के लिए, मोबाइल पर मिलना एक अलग बात है. साक्षात अपनों से मिलने की बात ही कुछ और होती है.

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9. एक बेटी तीन मांएं

mother story in hindi

90 के दशक के बीच का दौर था. वरुण आईआईटी से कंप्यूटर साइंस में बीटैक कर चुका था. उसे कैंपस से सालभर पहले ही नौकरी मिल चुकी थी. उसे इंडिया की टौप आईटी कंपनी के अतिरिक्त अमेरिका की एक स्टार्टअप कंपनी से नौकरी का औफर था.

वरुण के मातापिता चाहते थे कि उन का बेटा इंडिया में ही नौकरी करे, पर वरुण अमेरिका जाना चाहता था. अमेरिकी कंपनी उसे बेहतर वेतन औफर कर रही थी. इकलौते बेटे की खुशी के लिए मातापिता ने उस के अमेरिका जाने के लिए हामी भर दी.

वरुण के अमेरिका जाने के एक हफ्ते पहले उस के घर पर पार्टी थी. वरुण के मित्रों के अलावा मातापिता के मित्र और कुछ करीबी रिश्तेदार भी थे. उन दिनों अमेरिका में आईटी की स्टार्टअप कंपनियों का बोलबाला था. पार्टी में उस के पिता के एक करीबी मित्र की बेटी तूलिका भी आई हुई थी. इत्तफाक से उस ने भी इसी वर्ष इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी. वह भी अमेरिका जा रही थी.

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10. कन्याऋण: एक मां क्यों नहीं समझ पाई बेटी का दर्द

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नेहा के ससुराल से लौट कर आने के बाद से ही मांजी बहुत दुखी और परेशान लग रही हैं. बारबार वह एक ही बात कहती हैं, ‘‘अनुभा बेटी, काश, मैं ने तुम्हारी बात मान ली होती तो आज मुझे यह दिन नहीं देखना पड़ता. तुम ने मुझे कितना समझाया था पर मैं अपने कन्याऋण से उऋण होने की लालसा में नेहा की जिंदगी से ही खिलवाड़ कर बैठी. अब तो अपनी गलती सुधारने की गुंजाइश भी नहीं रही.’’

अनुभा समझ नहीं पा रही थी कि मांजी को कैसे धीरज बंधाए. जब से उस ने नेहा को सुबहसुबह बाथरूम में उलटियां करते देखा उस का माथा ठनक गया था और आज जब डा. ममता ने उस के शक की पुष्टि कर दी तो लगता है अनर्थ ही हो गया.

डाक्टर के यहां से लौटने के बाद मांजी ने जब उस से पूछा तो उन की मानसिक अवस्था को देखते हुए वह उन से सच नहीं बोल पाई और यह कह दिया कि एसिडिटी के कारण नेहा को उलटियां हो रही थीं. लेकिन अनुभा को लगा था कि उस की सफाई से मांजी के चेहरे से शक और संदेह के बादल छंट नहीं पाए थे. उन्हें सच क्या है, इस का आभास हो गया था.

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विश्व भर के बौद्ध समाज के लिए भारत श्रद्धा और आस्था का केन्द्र: प्रधानमंत्री

इस अवसर पर आयोजित कार्यकम को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा कि विश्व भर के बौद्ध समाज के लिए भारत श्रद्धा और आस्था का केन्द्र है. आज कुशीनगर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट की यह सुविधा, उनकी श्रद्धा को अर्पित पुष्पांजलि है. भगवान बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति से लेकर महापरिनिर्वाण तक की सम्पूर्ण यात्रा का साक्षी यह क्षेत्र आज सीधे दुनिया से जुड़ गया है. श्रीलंकन एयरलाइंस के विमान का कुशीनगर में उतरना इस पुण्य भूमि को नमन करने की तरह है. देश सबका साथ और सबका प्रयास की सहायता से सबके विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि कुशीनगर का विकास, उत्तर प्रदेश सरकार और केन्द्र सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है. कुशीनगर का इण्टरनेशनल एयरपोर्ट दशकांे की आशाओं और अपेक्षाओं का परिणाम है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि यह क्षेत्र सिर्फ भारत के अनुयायियों के लिये ही नहीं, बल्कि देश के सभी नागरिकों के लिये भी बहुत बड़ा श्रद्धा व आकर्षण का केन्द्र बनने जा रहा है. कुशीनगर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट एयर कनेक्टिविटी का माध्यम बनने के साथ-साथ इसका सीधा लाभ किसान, पशुपालक, दुकानदार, श्रमिक, उद्यमी आदि को मिलेगा. सबसे ज्यादा लाभ यहां के टूरिज्म, ट्रेवल टैक्सी, होटल-रेस्टोरेन्ट, छोटे-छोटे बिजनेस करने वालों को मिलेगा. इस क्षेत्र के युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर बनेंगे.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि पर्यटन किसी भी स्वरूप में हो, आस्था अथवा आनन्द के लिए हो, आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर इसके लिये बहुत ज्यादा जरूरी है. रेल, रोड, एयरवेज, वॉटरवेज के साथ साथ होटल, हॉस्पिटल, इण्टरनेट-मोबाइल कनेक्टिविटी, सफाई व्यवस्था, सीवरेज ट्रीटमेन्ट का प्लान्ट यह अपने आप में एक सम्पूर्ण इन्फ्रास्ट्रक्चर है. टूरिज्म बढ़ाने के लिए इन सभी का एक साथ कार्य करना जरूरी है. आज 21वीं सदी का भारत इसी एप्रोच के साथ आगे बढ़ रहा है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि कोरोना वैक्सीनेशन में भारत की तेज गति एवं प्रगति से दुनिया में एक विश्वास पैदा होगा. टूरिस्ट के रूप में अथवा किसी काम-काज से भारत आना पड़ता है तो व्यापक रूप से वैक्सीनेटेड भारत दुनिया के पर्यटकों के लिये आश्वस्ति का एक कारण बन सकता है. एयर कनेक्टिविटी को देश में उन लोगों तथा उन क्षेत्रों तक पहुंचाने पर जोर दिया गया, जिसके बारे में पहले सोचा भी नहीं गया था. इसी लक्ष्य के साथ उड़ान योजना को 4 साल पूरे हो रहे हैं. उड़ान योजना के बीते सालों में 900 से अधिक रूटों को स्वीकृति दी जा चुकी है तथा इनमें 350 से अधिक रूटों पर हवाई सेवा शुरू भी हो चुकी है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आने वाले 3-4 सालों में कोशिश यह है कि 200 से अधिक एयरपोर्ट, हेलीपैड और सी-प्लेन की सेवा देने वाले वॉटर ड्रोन का नेटवर्क भी देश में तैयार हो. बढ़ती हुई इन सुविधाओं के बीच एयरपोर्ट पर भारत का सामान्य नागरिक दिखने लगा है. मध्यम वर्ग के ज्यादा से ज्यादा लोग अब हवाई सेवा का लाभ ले रहे हैं. उड़ान योजना के तहत उत्तर प्रदेश में भी कनेक्टिविटी लगातार बढ़ रही है. उत्तर प्रदेश में कुशीनगर एयरपोर्ट से पहले ही, 08 एयरपोर्ट चालू हो चुके हैं.

लखनऊ, वाराणसी, कुशीनगर के बाद जेवर मे भी इण्टरनेशनल एयरपोर्ट पर तेजी से काम चल रहा है. इसके अतिरिक्त, अयोध्या, अलीगढ़, आजमगढ़, श्रावस्ती, चित्रकूट, मुरादाबाद में भी नये एयरपोर्ट पर तेजी से काम चल रहा है. उत्तर प्रदेश के अलग-अलग अंचलो में हवाई मार्ग से कनेक्टिविटी बहुत जल्द मजबूत हो जायेगी. इससे घरेलू यात्रियों तथा श्रद्धालुओं को बहुत सुविधा होने जा रही है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश का एविएशन सेक्टर प्रोफेशनली चले, सुविधा और सुरक्षा को प्राथमिकता मिले, इसके लिए हाल ही में एयर इण्डिया से जुड़ा कदम देश ने उठाया है. यह निर्णय भारत के एविएशन सेक्टर को नई ऊर्जा देगा. भारत के युवाओं को यहीं बेहतर ट्रेनिंग मिले, इसके लिये देश के 05 एयरपोर्ट में नई फ्लाइंग एकेडमी स्थापित करने हेतु प्रक्रिया शुरु की गयी है. ट्रेनिंग के लिये एयरपोर्ट के उपयोग से जुड़े नियमों को भी सरल किया गया है.

भारत द्वारा हाल में बनाई गयी ड्रोन नीति भी देश में कृषि से स्वास्थ्य तक, डिजास्टर मैनेजमेंट से लेकर डिफेंस तक, जीवन को बदलने वाली है. ड्रोन की मैन्युफैक्चरिंग से लेकर ड्रोन फ्लाइंग से जुड़े ट्रेन्ड मैनपावर को तैयार करने के लिये भारत में सिस्टम विकसित किया जा रहा है. सारी योजनाएं तेजी से आगे बढ़ें, किसी तरह की कोई रुकावट न हो, इसके लिये प्रधानमंत्री गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान भी लॉन्च किया गया है. इससे गवर्नेंस में सुधार आयेगा. यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि सड़क, रेल, हवाई जहाज एक दूसरे को सपोर्ट करें और क्षमता बढ़ायें.

भारत में हो रहे निरन्तर रिफॉर्म का ही परिणाम है कि भारतीय सिविल एविएशन सेक्टर में 1,000 नये विमान जुड़ने का अनुमान लगाया गया है. आजादी के अमृत महोत्सव काल में भारत का एविएशन सेक्टर राष्ट्र की गति और राष्ट्र की प्रगति का प्रतीक बनेगा, उत्तर प्रदेश की ऊर्जा भी इसमें शामिल होगी.

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि हम सबके लिए यह दिन कई मायनों में अत्यन्त महत्वपूर्ण है. आज शरद पूर्णिमा की पावन तिथि है. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की गाथा को जन-जन तक पहुंचाने वाले, लौकिक संस्कृत में सर्वश्रेष्ठ महाकाव्य के रचयिता महर्षि वाल्मीकि जी की भी आज जयन्ती है. बौद्ध परम्परा के अनुसार अभिधम्म दिवस भी आज ही है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूरी दुनिया में जब भी मैत्री और करुणा की बात आती है, विश्व मानवता भगवान बुद्ध का सदैव स्मरण करती है. प्रधानमंत्री जी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में यही बात तो कही थी कि ‘दुनिया ने युद्ध दिया होगा, लेकिन भारत ने दुनिया को बुद्ध दिया है.’ जब भगवान बुद्ध की बात करते हैं, तो उत्तर प्रदेश और भारत का यह संदेश दुनिया के कोने-कोने में जाता है. भगवान बुद्ध से जुड़े सर्वाधिक स्थल उत्तर प्रदेश में हम सभी का गौरव हैं. चाहे भगवान बुद्ध की राजधानी कपिलवस्तु हो या जिस धरती पर उन्होंने पहला उपदेश दिया – सारनाथ हो, उन्होंने सबसे अधिक चातुर्मास श्रावस्ती में व्यतीत किये, सबसे अधिक कथाश्रवण और सत्संग का लाभ जिस धरती को मिला वह कौशाम्बी तथा इसी के साथ संकिसा एवं भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर भी उत्तर प्रदेश में है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश आजादी के बाद लगातार उपेक्षित था. इसके विकास की एक नई उड़ान को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री जी का आशीर्वाद व सान्निध्य पूर्वी उत्तर प्रदेश के 05 करोड़ से अधिक नागरिकों को प्राप्त हो रहा है. हम सब का सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री बनने के साथ प्रधानमंत्री जी ने बौद्ध सर्किट की इस परिकल्पना को साकार करना प्रारम्भ कर दिया. आज उसका परिणाम है कि बौद्ध सर्किट न केवल सड़क मार्ग बल्कि वायु मार्ग से भी जुड़ गया है. इसी क्रम में, अर्न्तराष्ट्रीय उड़ानों का संचालन प्रारम्भ हो चुका है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 1947 से लेकर वर्ष 2014 तक उत्तर प्रदेश में केवल 2 एयरपोर्ट फंक्शनल थे, पहला लखनऊ तथा दूसरा वाराणसी, प्रदेश की कनेक्टिविटी भी उस समय मात्र 15 से 16 स्थानों के लिये थी. आज प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से इस एयरपोर्ट का लोकार्पण होने जा रहा है. यह प्रदेश का 9वां फंक्शनल एयरपोर्ट होने जा रहा है. अब उत्तर प्रदेश 75 गंतव्य स्थानों पर वायु सेवा के साथ सीधे जुड़ चुका है. उड़ान योजना के अन्तर्गत हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज की यात्रा कर सकता है. प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी, विकास की ढेर सारी योजनाओं को अपने साथ लेकर आ रही है. कुशीनगर प्रदेश का तीसरा अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है. वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 11 नये एयरपोर्ट पर कार्य हो रहा है, जिसमें 02 अर्न्तराष्ट्रीय एयरपोर्ट – अयोध्या तथा नोएडा के निर्माण की कार्यवाही युद्ध स्तर पर आगे बढ़ रही है. प्रधानमंत्री जी का मार्गदर्शन न केवल उत्तर प्रदेश के विकास, बल्कि पर्यटन सुविधाओं को आगे बढ़ाने तथा उसके माध्यम से रोजगार की सम्भावनाओं को विकसित करने का एक सशक्त माध्यम बना है.

केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम0 सिंधिया ने सभी का स्वागत करते हुये कुशीनगर इण्टरनेशनल एयरपोर्ट की विशेषताओं के बारे में अवगत कराया.

इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी, केन्द्र एवं प्रदेश सरकार के मंत्रिगण सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे.

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