जानें क्या है एओर्टिक स्टेनोसिस, ये हैं इस बीमारी के लक्षण

एओर्टिक स्टेनोसिस क्या है?

जब हृदय पंप करता है तो दिल के वौल्व खुल जाते हैं जिस से रक्त आगे जाता है और हृदय की धड़कनों के बीच तुरंत ही वे बंद हो जाते हैं ताकि रक्त पीछे की तरफ वापस न आ सके. एओर्टिक वौल्व रक्त को बाएं लोअर चैंबर (बायां वैंट्रिकल) से एओर्टिक में जाने के निर्देश देते हैं.

एओर्टिक मुख्य रक्तवाहिका है जो बाएं लोअर चैंबर से निकल कर शरीर के बाकी हिस्सों में जाती है. अगर सामान्य प्रवाह में व्यवधान पड़ जाए तो हृदय प्रभावी तरीके से पंप नहीं कर पाता. गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस यानी एएस में एओर्टिक वौल्व ठीक से खुल नहीं पाते.

मेदांता अस्पताल के कार्डियोलौजिस्ट डा. प्रवीण चंद्रा कहते हैं कि गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस की स्थिति में आप के हृदय को शरीर में रक्त पहुंचाने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है. समय के साथ इस वजह से दिल कमजोर हो जाता है. यह पूरे शरीर को प्रभावित करता है और इस वजह से सामान्य गतिविधियां करने में दिक्कत होती है. जटिल एएस बहुत गंभीर समस्या है. अगर इस का इलाज न किया जाए तो इस से जिंदगी को खतरा हो सकता है. यह हार्ट फेल्योर व अचानक कार्डिएक मृत्यु का कारण बन सकता है.

लक्षण पहचानें

एओर्टिक स्टेनोसिस के कई मामलों में लक्षण तब तक नजर नहीं आते जब तक रक्त का प्रवाह तेजी से गिरने नहीं लगता. इसलिए यह बीमारी काफी खतरनाक है. हालांकि यह बेहतर रहता है कि बुजुर्गों में सामने आने वाले विशिष्ट लक्षणों पर खासतौर से नजर रखनी चाहिए. ये लक्षण छाती में दर्द, दबाव या जकड़न, सांस लेने में तकलीफ, बेहोशी, कार्य करने में स्तर गिरना, घबराहट या भारीपन महसूस होना और तेज या धीमी दिल की धड़कन होना हैं.

बुजुर्ग लोगों को एओर्टिक स्टेनोसिस का बहुत रिस्क रहता है क्योंकि इस का काफी समय तक शुरुआती लक्षण नहीं दिखता. जब तक लक्षण, जैसे कि छाती में दर्द या तकलीफ, बेहोशी या सांस लेने में तकलीफ, विकसित होने लगते हैं तब तक मरीज की जीने की उम्र सीमित हो जाती है. ऐसी स्थिति में इस का इलाज सिर्फ वौल्व का रिप्लेसमैंट करना ही बचता है. हाल ही में विकसित ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वौल्व रिप्लेसमैंट (टीएवीआर) तकनीक की मदद से गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस रोगियों का इलाज प्रभावी तरीके से किया जा सकता है जिन की सर्जरी करने में बहुत ज्यादा जोखिम होता है.

एओर्टिक वौल्व रिप्लेसमैंट

टीएवीआर से उन एओर्टिक स्टेनोसिस रोगियों को बहुत लाभ मिलेगा जिन्हें ओपन हार्ट सर्जरी करने के लिए अनफिट माना गया है. इस उपचार की सलाह उन मरीजों को दी जाती है जिन का औपरेशन रिस्कभरा होता है. इस से उन के जीने और कार्यक्षमता में बहुत सुधार होता है.

गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस में जान जाने का खतरा रहता है और अधिकतर मामलों में सर्जरी की ही जरूरत पड़ती है. कुछ सालों तक इस बीमारी का इलाज ओपन हार्ट सर्जरी ही थी. लेकिन टीएवीआर के आने से अब काफी बदलाव हो रहे हैं. टीएवीआर मिनिमल इंवेसिव सर्जिकल रिप्लेसमैंट प्रक्रिया है जो गंभीर रूप से पीडि़त एओर्टिक स्टेनोसिस रोगियों और ओपन हार्ट सर्जरी के लिए रिस्की माने जाने वाले रोगियों के लिए उपलब्ध है. इस के अलावा जो रोगी कई तरह की बीमारियों से घिरे हुए हैं, उन के लिए भी यह काफी प्रभावी और सुरक्षित प्रक्रिया है.

टीएवीआर ने दी नई जिंदगी

देहरादून के 53 साल के संजीव कुमार का वजन 140 किलो था और वे हाइपरटैंशन व डायबिटीज से पीडि़त थे. इस के साथ उन्हें अनस्टेबल एंजाइना की समस्या थी जिस में रोगी को अचानक छाती में दर्द होता है और अकसर यह दर्द आराम करते समय महसूस होता है.

संजीव को कई और बीमारियां जैसे कि नौन क्रीटिकल क्रोनोरी आर्टरी बीमारी (सीएडी), औबस्ट्रैक्टिव स्लीप अपनिया (सोते समय सांस लेने में तकलीफ), उच्च रक्तचाप, क्रोनिक वीनस इनसफिशिएंसी (बाएं पैर), ग्रेड 2 फैटी लीवर (कमजोर लीवर), हर्निया और गंभीर एलवी डायफंक्शन के साथ खराब इंजैक्शन फ्रैक्शन 25 फीसदी (हृदय के पंपिग करने की कार्यक्षमता) थीं.

संजीव की स्थिति दिनबदिन गंभीर होती जा रही थी और उन का पल्स रेट 98 प्रति मिनट (सामान्य से काफी ज्यादा) था. सीटी स्कैन और अन्य परीक्षणों के बाद खुलासा हुआ कि वे गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस से भी पीडि़त थे.

इतनी बीमारियों के कारण डाक्टर ने मोेटापे से ग्रस्त संजीव का इलाज ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वौल्व रिप्लेसमैंट (टीएवीआर) से किया. हालांकि जब फरवरी 2016 में उन पर यह प्रक्रिया अपनाई गई, तब तक वे 25-30 किलो वजन कम कर चुके थे और जिंदगी को ले कर उन का नजरिया काफी सकारात्मक हो गया था.

समय पर चैकअप जरूरी

गौरतलब है कि एएस की बीमारी आमतौर पर जब तक गंभीर रूप नहीं ले लेती तब तक इस बीमारी के लक्षणों का पता नहीं चलता. इसलिए नियमित चैकअप कराने की सलाह दी जाती है. उम्र बढ़ने के साथ एएस के मामले भी बढ़ते जाते हैं. इसलिए बुजुर्ग रोगियों को वौल्व फंक्शन टैस्ट के बारे में डाक्टर से पूछना चाहिए और गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस के इलाज की आधुनिक तकनीकों की जानकारी भी लेते रहना चाहिए.

क्या आप जानते हैं

भारत में लगभग 15 लाख लोग गंभीर एओर्टिक स्टेनोसिस से पीडि़त हैं. उन में से 4.5 लाख रोगी सर्जरी के लिए अनफिट हैं.

अगर समय पर एओर्टिक वौल्व रिप्लेस न किए जाएं तो पाया गया है कि 50 फीसदी एओर्टिक स्टेनोसिस रोगी दिल का दौरा पड़ने पर 2 साल और छाती में दर्द के साथ 5 साल तक ही जीवित रह पाते हैं.

जिस ‘बीमारी’ से परेशान थे आयुष्मान, क्या आपको पता है उसके बारे में ?

आपने आयुष्मानखुराना की फिल्म “शुभ मंगल सावधान” तो देखी होगी उसमें उनको एक एक हेल्थ प्रौब्लम होती  हैं जिसके चलते उनकी शादी तो खतरे में पड़ती ही है साथ ही उनको शर्मिंदगी का सामना भी करना पड़ता  हैं, वो समस्या हैं….शीघ्रपतन (Premature ejaculation) .

आमतौर पर देखा जाता है की सेक्स से जुड़ी समस्या को लोग किसी को  भी जल्दी नही बताते. इसका कारण या तो शर्म होती है या फिर मन की झिझक, पर इस समस्या को जितना छिपाया जाता है उतनी ही परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं. इन्हीं समस्याओं मे से एक समस्या है शीघ्रपतन (Premature ejaculation) . आम भाषा में कहे तो शीघ्रपतन का मतलब होता है वीर्य का जल्दी निकलना.

सेक्स के दौरान या पहले पुरुषों का वीर्य स्‍खलित हो जाना शीघ्रपतन कहलाता है. स्‍त्री की कामोत्‍तेजना (Orgasm) शांत होने से पहले या हस्‍तमैथुन  (Masturbation) क्रिया के दौरान यदि पुरुषों का वीर्य स्‍खलित हो जाता है तो इसका मतलब है कि वह शीघ्रपतन की समस्‍या से गुजर रहा है.

इस समस्या को लेकर लोग डाक्टर के पास भी नहीं जाते पर देखा जाए तो शीघ्रपतन कोई बड़ी समस्या नहीं है और इसका उपचार भी हो सकता है. तो आज हम आपको शीघ्रपतन के बारे में विस्‍तार से बता रहे हैं, जिससे आपको काफी हद तक इस समस्‍या का समाधान मिल सके.

 क्यों होता है शीघ्रपतन

शीघ्रपतन के दो कारण है- लाइफ लौन्ग (प्राइमरी), एक्वायर्ड (सेकेंडरी). शीघ्रपतन की समस्‍या पहली बार या किसी नए पार्टनर के साथ संभोग करने के दौरान कामोउत्तेजना के ज्यादा प्रवाह होने के चलते भी ये हो सकता है. अगर लंबे समय के बाद संभोग किया जाए तो भी शीघ्रपतन की समस्‍या हो सकती है. इसके अलावा अपनी पार्टनर के बीच के रिश्‍तों के बारे में तनाव या ज्‍यादा सोचना भी शीघ्रपतन का कारण है.

क्या है इसके लक्षण

  • बार-बार प्रयास करने पर भी संभोग (sexual intercourse) के दौरान 1 मिनट तक ना रोक पाना.
  • सेक्स को टालना.
  • सेक्स करने के बाद पार्टनर को संतुष्ट नहीं कर पाना.
  • सेक्स से पहले मन में शीघ्रपतन का डर आना.

क्या है इसका उपचार

शीघ्रपतन कोई लाइलाज बीमारी नही है इसका इलाज सम्भव है. जहां तक स्‍टेमिना की बात है तो यह हर स्वस्थ पुरूष में नेचुरली रहती है जिसे वे ठीक तरह से महसूस नहीं कर पाते. यदि वे सेक्स के समय सहवास, भोजन के समय भोजन के बारे में सोचें तो उनकी स्‍टेमिना में फर्क साफ दिखेगा. यानी आप जब जो काम करें उसे अच्छे से करें. दिन-रात केवल सहवास के विषय में ही सोचते रहने से तथा अपनी स्‍टेमिना पर अकारण ही शंका करते रहने से वास्तविक यौन शक्ति पर मानसिक रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. जो धीरे-धीरे शारीरिक रूप से भी कमजोर कर देती है.

खाने पर दें ध्यान

शीघ्रपतन ठीक करने और ऊर्जा व स्फूर्ति को कायम रखने के लिए खान-पान का भी ध्यान रकना जरुरी है.  शाकाहारी भोजन प्राकृतिक गुणों से परिपूर्ण व सुपाच्य होता है. ऐसे भोजन को पचाने के लिए शरीर की अतिरिक्त ऊर्जा भी खर्च नहीं होती तथा व्यक्ति को यौन शक्ति भी अनुकूल बनी रहती है. ताजे मौसमी फल, कच्ची सब्जियां, अंकुरित आनाज, दूध, शहद, लस्सी आदि निरोगी पदार्थ हैं जिनके सेवन से शरीर शक्ति से भरपूर निरोग बना रहता है.

इसके अलावा  आपसे हमारी यही सलाह होगी की जैसे ही आपको लगे की आप इस समस्या से जूझ रहे है तो फौरन डाक्टर की सलाह ले और शर्माएं नही.

समय रहते पहचानें कैंसर के लक्षण, कहीं हो ना जाए देर

एक अनुमान के मुताबिक पुरुषों में कैंसर से होने वाली मृत्यु; 31 प्रतिशत फेफड़े के कैंसर, 10 प्रतिशत प्रोस्टेट, 8 प्रतिशत कोलोरेक्टल, 6 प्रतिशत पैंक्रिएटिक और 4 प्रतिशत लिवर कैंसर से होती हैं. अगर आप इस समस्या से बचना चाहते हैं तो इसके शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें. जिससे आप इस समस्या से बच सकते है. जानिए इन लक्षणों के बारें में.

फीवर आना

फीवर कैंसर का एक सामान्य लक्षण होता है. कैंसर के कारण शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिसके कारण शरीर बीमारियों से खुद की रक्षा नहीं कर पाता और अक्सर बुखार की शिकायत होती है. इससे आपको ब्लड कैंसर, ल्यूकीमिया आदि लक्षण नजर आते हैं.

पीठ में दर्द

अधिक देर तक कुर्सी  पर बैठे रहने आदि से दर्द होना नार्मल है लेकिन आपको बराबर पीठ का दर्द सताता है तो आपको कोलोरेक्‍टल या प्रोस्‍टेट कैंसर हो सकता है. इसके अलावा आपकी कमर की मसल्स में भी दर्द रहता हैं.

आंत में हो किसी प्रकार की समस्या

आंतो में नार्मल प्राब्लम होना कोई बड़ी बात नहीं हैं,  लेकिन अगर बराबर आंतो में समस्या हो रही हो तो यह कैंसर के स्टार्ट का लक्षण हो सकता है. यह कोलेन या कोलोरेक्‍टल कैंसर हो सकता है. इस प्राब्लम में आपको पेट संबंधी कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता हैं.

यूरिन में बदलाव

जब आप वॉशरुम जाते हो तो आपको यूरिन करने में अधिक दर्द होता है या फिर ब्लड आए तो ये प्रोस्टेट कैंसर अथवा डिम्बग्रंथि कैंसर के लक्षण हो सकते हैं.

टेस्टिकल्‍स में चेंजमेंट

टेस्टिकल्‍स का बदलना टेस्टिकुलर कैंसर संकेत हो सकता है. अगर आपके टेस्टिकल्‍स का आकार बढ़ रहा है तो इसे नजरअंदाज न करें. टेस्टिकुलर कैंसर ज्‍यादातर 20 से 39 साल की उम्र में होता है.

लगातार ब्लड का निकलना

अगर आपके शरीर से लगातार ब्लड गिर रहा हौ तो यह भी कैंसर का एक लक्षण हो सकता है. यह कोलेन कैंसर हो सकता है, लेकिन यह कैंसर 50 साल की उम्र की बाद होता है. इस समस्या में आपको मलाशय के साथ खून आता है. लेकिन आज के सम में ये किसी भी उम्र में हो सकता हैं.

लगातार वेट कम होना

आज के समय में वजन कम करने के लिए कई उपाय करते हैं, लेकिन अगर आपका वजन बिना कोई उपाय कम हो रहा है तो आपके लिए खतरनाक साबित हो सकता है. अगर आपका वजन 10 पौंड से ज्यादा कम हो जाए,तो यह कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं.

जल्द थक जाना

बेवजह लगातार थका-थका महसूस करना कैंसर का शुरुआती लक्षण है. कैंसर की शिकायत होने पर मरीज बिना वजह थका-थका महसूस करता है. कभी-कभी तो वह हाथ पांव से काम करने लायक भी नहीं रहता.

अधिक खांसी आना

अगर आपको सर्दी-जुकाम में खांसी आए तो कई बात नहीं. अगर आपको बिना किसी कारण खांसी आए तो आपको लंग कैसंर की समस्या हो सकती है. अगर खांसी के साथ आपके मुंह से खून आ जाए तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए.

स्किन में बदलाव

अगर आपकी स्किन एक दम से बदलाव आए तो यह कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते है. इससे आपकी स्किन सांवली या काली या फिर पीला होना भी कैंसर का होने का एक लक्षण हैं.

साधारण सर दर्द हो सकता है एनीमिया, जानें कैसे करें बचाव

हमारे शरीर को कुछ पोषक तत्वो की जरुरत पड़ती है जिससे हम स्वस्थ रहते है. उन पोषक तत्वों में सबसे ज्यादा जरुरी होता है आयरन. आयरन हमारे शरीर में काफी जरुर है जिससे हम कई बीमारियों से बचे रहते है. ज्यादातर ये हरी सब्जियो में पाया जाता है जो आमतौर पर किसी को पस्द नही होती. आयरन की कमी के चलते एनीमिया का खतरा सबसे ज्यादा होता है. एनीमिया आयरन की कमी से होने वाली एक ऐसी बीमारी है, जिसमें हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा घट जाती है.

शरीर के जरुरी है हीमोग्लोबिन

हीमोग्लोबिन की कमी से शरीर की कोशिकाओं में औक्सीजन की कमी होने लगती है. शरीर में आयरन प्रोटीन हीमोग्लोबीन, मांसपेशियो के प्रोटीन बनाने और कुछ एंजाइम (जो शरीर के आवश्यक रसायन क्रियाएं चलाते है) को बनाने के काम आता है. अगर आयरन का लेवल बहुत ज्यादा गिर जाए तो इससे खून की कमी भी हो सकती है.

क्या है वजह

खानपान को लेकर लापरवाही, इससे शरीर में पोषक तत्वों, खासतौर से आयरन और फौलिक एसिड की कमी हो जाती है और वे एनीमिया की शिकार हो जाते हैं.

चोट लगने या किसी सर्जरी के कारण शरीर से बहुत ज्यादा रक्तस्राव

कैसे पता किया जाए की हम हैं एनीमिया के शिकार

  • सिरदर्द
  • थकान
  • अक्सर नींद आना
  • चक्कर आना
  • आंखों के आगे अंधेरा छाना
  • डार्क सर्कल होना
  • हृदय गति का असामान्य होना
  • नाखूनों की रंगत सफेद पड़ना
  • बेहोशी का दौरा आदि।

बचाव

  • संतुलित और पौष्टिक आहार लें.
  • हरी पलोदार सब्जियों, फलों खाएं.
  • शरीर में फौलिक एसिड की मात्रा बढ़ाने के लिए कुटू का आटा, ओटमील (जौ), गोभी, मशरूम और ब्रोकली खाएं.
  • कैल्शियम और विटामिन सी के लिए दूध, दही, पनीर, चीज के अलावा संतरा, नींबू, मौसमी, चकोतरा और अंगूर जैसे बिटामिन सी से भरपूर वाले फलों का खाने में शामिल करें.

तो ये थे कुछ घरेलू नुस्खे पर अगर आप इन किसी भी लक्षण को अपने शरीर में देख रहे है तो जल्द से जल्द डाक्टर की सलाह ले और अपना इलाज कराएं.

हेल्दी नाश्ता करना है शरीर के लिए बेहद जरूरी

प्रोटीन हमारे शरीर की ग्रोथ के लिए महत्त्वपूर्ण है. इस के लिए अंकुरित दालें  विविध प्रकार के पोषक अनाज लिए जा सकते है. ऐंटीऔक्सीडैंट पदार्थों का सही मात्रा में सेवन करें. इस के लिए ग्रीन टी जरूर नाश्ते में शामिल करें. प्रतिदिन मौसमी जैसे फलों को अपने ब्रेकफास्ट में लेना न भूलें. जूस और शेक को नाश्ते की लिस्ट में जरूर रखें. पैक्ड जूस की जगह ताजे जूस का प्रयोग करें. नाश्ते में कार्बोहाइड्रेट्स और प्रोटीन, फैट और मिनरल्स का होना जरूरी है.

सुबह सुबह की भागादौड़ी में अधिकतर महिलाएं अपने नाश्ते को ले कर लापरवाही करती हैं. या तो वे टालमटोल करती रहती हैं या नाश्ता करना भूल ही जाती हैं. ऐसा करना महिलाओं की सेहत के लिए बेहद हानिकारक है. सुबह का नाश्ता स्वस्थ शरीर के लिए बेहद मायने रखता है. यह नाश्ता ही होता है, जो पूरे दिन हमारी पाचन क्रिया को सक्रिय बनाए रखता है. एक मैडिकल सैंटर के संचालक का कहना है, ‘‘यह धारणा बिलकुल गलत है कि सुबह नाश्ता न करने से मोटापा कम होता है. मोटापे को कम करने के लिए सही समय पर संतुलित आहार लेना चाहिए.’’

सुबह के नाश्ते की महत्ता बताते हुए वे कहते हैं, ‘‘हमारी डाइजेशन की क्रिया सुबह के वक्त सब से बेहतर होती है. जिस तरह सुबह सुबह कोई अच्छी बात सुनने से हमारा पूरा दिन अच्छा बीतता है, हमारे भीतर सकारात्मकता का संचार होता है, उसी तरह सुबह स्वस्थ नाश्ता करने से पूरे दिन हमारे शरीर में ताजगी बनी रहती है.’’

नाश्ता न करने पर

  1. डाक्टरों का मानना है कि सुबह नाश्ता न करने से चेहरे पर उम्र बढ़ने का प्रभाव जल्दी ही दिखाई पड़ने लगता है.
  2. हमारी पाचनक्रिया असंतुलित हो जाती है, जिस से तरह तरह की बीमारियां होने लगती हैं.
  3. गौरतलब है कि स्वस्थ नाश्ता न करने से हमें आलस बहुत जल्द आने लगता है. साथ ही साथ हम भारीपन सा महसूस करते हैं.

कौन सी चीजें जरूरी

  1. सुबह का नाश्ता चूंकि हमारी पाचन क्रिया की शुरुआत करता है, इसलिए उस में कुछ मूल तत्त्वों का समावेश करना बेहद जरूरी है.

2. महिलाओं को प्राय: ऐसा लगता है कि वसायुक्त पदार्थ खाने से हमारी चरबी बढ़ जाएगी. लेकिन नाश्ते में सही मात्रा में वासयुक्त पदार्थों का होना भी बेहद जरूरी है. इस के लिए दुग्ध पदार्थों, देशी घी, मक्खन इत्यादि उचित अनुपात में खाएं.

3. जरा सोचिए, सुबहसुबह खाली पेट जब अपने आराध्य को याद करने में परेशानी होती है, तो भूखे पेट हमारे काम सुचारु रूप से कैसे होंगे.

बच्चों को रखें फोन से दूर

क्या आपका भी बच्चा फोन का आदि है अगर हां तो हो जाइए सावधान और अपने बच्चे को फोन का आदि बनने से बचाएं उन्हें फोन से दूर रखें. बच्चों को ज्यादा फोन देना आपके लिए और बच्चों के लिए दोनों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.

इसके कई दुष्परिणाम हो सकते हैं इसलिए कोशिश करें कि आपका बच्चा फोन से दूर रहे. अक्सर ऐसा होता है कि जब आपका बच्चा छोटा होता है वो रोता है तो आप उसे शांत कराने के लिए हाथ में फोन पकड़ा देते हैं जो बिल्कुल भी सही नहीं है और आपके बच्चे के भविष्य के लिए तो बिल्कुल भी नहीं. ऐसे कई दुष्परिणाम हैं जो आपको जानना आवश्यक है.

  • सबसे पहले तो आपका बच्चा फोन का आदि होने लगता है फिर वो बार-बार रोता है ताकि उसे फोन मिले और साथ ही फिर उसे बड़े होने पर भी जल्दी फोन चाहिए जबकि अभी वो उस लायक है भी नहीं कि उसके हाथ में फोन दे दिया जाए.
  • फोन देखते वक्त क्या पता आपका बच्चा कुछ ऐसा देख ले जो शायद उसे अभी नहीं देखना और समझना चाहिए क्योंकि हर चीज जानने और समझने का एक सही वक्त होता है. और आपका बच्चा वो देखकर आपसे सवाल कर बैठे तो आप उसका जवाब नहीं दे पाएंगे. और क्या पता किसी के सामने आपका बच्चा कुछ गलत कह दें.
  • ज्यादा फोन के इस्तेमाल से आपके बच्चे की आंखे भी खराब हो सकती हैं. कम उम्र में चश्मा लगना कोई बहुत सही चीज तो है नहीं. और फिर ये आपके बच्चें के भविष्य के लिए बिल्कुल ही अच्छा नहीं होगा. जैसे जैसे वो बड़ा होगा या होगी उसकी आंखों पर असर पड़ेगा. उसे पढ़ाई में दिक्कत हो सकती है. और फिर आजकल के बच्चे तो कम्प्यूटर भी ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो ध्यान रहे कि इसमें आंखों की सेफ्टी का भी ध्यान रखें.
  • बच्चों के हांथ में मोबाइल तभी दें जब आपको लगे कि अब आपके बच्चें को सचमुच फोन की जरूरत है. ये नहीं कि कभी भी दे दिया. इसके कारण बच्चे कभी-कभी बिगड़ भी जाते हैं और भले ही फोन कई मामलों में अच्छा है लेकिन कभी-कभी बहुत घातक सिद्ध हो सकता है. आजकल तो क्राइम भी कितने हो रहें हैं. कहीं ऐसा ना हो कि आपका बच्चा उस क्राइम का शिकार हो जाए. इसलिए अपने बच्चे का ध्यान रखें और जितना हो सके उसे फोन से दूर रखें, जरूरत के समय उसके हाथ में फोन दें.
  • आजकल के बच्चों की तो पढ़ाई भी बिना फोन के नहीं होती है तो कोशिश करें कि जब आप अपने बच्चे को पढ़ाई से संबंधित कार्य के लिए फोन दे रहें हैं तो वो वही कर रहा है या फिर किसी गलत चीज का शिकार तो नहीं हो गया कुछ गलत तो नहीं कर रहा. एक अभिभावक होने के नाते ये आपका फर्ज है और कर्तव्य भी.
  • ज्यादा फोन इस्तेमाल करने से आपका बच्चा डिप्रेशन में होगा जब उसे फोन नहीं मिलेगा. उसका विकास रुक सकता है क्योंकि वो किसी पर ध्यान ही नहीं देगा तो अच्छा होगा कि आप अपने बच्चें को घर-परिवार से जोड़े, लोगों के साथ घुलने-मिलने दें ताकि वो फोन से दूर रहे.

बच्चों को इतनी ज्यादा लत हो जाती है फोन की कि उसके चक्कर में वो सोते भी नहीं हैं तो नींद पूरी ना होना और सिर दर्द होना तो बिल्कुल भी आपके बच्चे के लिए ठीक नहीं है. इसलिए सावधानी बरतने की जरूरत है.

भोजन से जुड़ी अच्छी आदतें

भोजन करना हमारी बुनियादी जरूरत है. इस के बगैर काम करने की हमारी ताकत पर बुरा असर पड़ता है. ज्यादा दिनों तक भूखा रहने से सेहत पर बुरा असर पड़ता है. क्या आप जानते हैं कि भोजन करना भी एक कला है और उस से जुड़ी कुछ आदतें ऐसी हैं, जो आप की सेहत बना सकती हैं:

1. भोजन करने से पहले अगर शौच की हाजत लगी है, तो उसे कर के ही भोजन करने बैठें. अगर पेशाब करने की इच्छा हो तो उसे कर लें.

2. भोजन करने से पहले साबुन से हाथ धोना बेहद जरूरी है.

3. भोजन तभी करें, जब जोरों की भूख लगी हो.

4.  भोजन को ठीक से चबा कर खाना चाहिए. जल्दबाजी में भोजन को निगल लेने से वह ठीक से पचेगा नहीं. यही नहीं, दांतों का काम आंतों को करना होगा. एक ग्रास को कम से कम 25 से 30 बार चबाना चाहिए.

5. भोजन के ग्रास छोटेछोटे लें, ताकि उन्हें खाने, चबाने में सुविधा रहे. बड़ेबड़े ग्रास ले कर खाना बेहूदगी है.

6. भोजन के पहले या भोजन के दौरान और भोजन के तुरंत बाद ढेर सारा पानी न पीएं. इस से भोजन को पचाने में दिक्कत होती है. जरूरत पड़ने पर भोजन के दौरान 1-2 घूंट पानी ले सकते हैं, वरना भोजन के एक घंटा बाद ही पानी पीना चाहिए.

7. भोजन को शांत मन से करना चाहिए. जब आप दुखी हों, गुस्से या तनाव में हों, तब भोजन करने नहीं बैठना चाहिए. इस से न तो भोजन का स्वाद आएगा और न ही आप भरपेट भोजन कर सकेंगे.

8. एक ही बार में ठूंसठूंस कर खाने के बजाय हर 4 घंटे बाद थोड़ाथोड़ा खा लेना चाहिए. इस से पाचन सही रहता है और हर समय ऊर्जा बनी रहती है. डायबिटीज के मरीजों के लिए तो टुकड़ेटुकड़े में भोजन करना बेहद जरूरी है. इस से उन की शुगर सामान्य स्तर पर बनी रह सकती है.

9.  अपने भोजन में सभी चीजों को शामिल करें. किसी पसंदीदा चीज को खाना व दूसरी चीजों को चखना तक मंजूर न होना, यह आदत ठीक नहीं. घर में जोकुछ बना हो, खाना चाहिए. इस से आप का भोजन पौष्टिक व संतुलित होगा.

10. शादीब्याह या पार्टी में जाएं तो व्यंजन को देख कर ललचाएं नहीं. स्वाद के बजाय सेहत पर ध्यान दें. उतना ही खाएं, जिसे आप पचा सकें.

11. भोजन करें तो उन चीजों से परहेज करें जो आप के लिए मना है. अगर आप डायबिटीज के मरीज हैं तो मीठे से तोबा करें. अगर हाई ब्लडप्रैशर है तो नमक कम खाएं. दालसब्जियों में ऊपर से नमक न डालें. अगर दिल की बीमारी है तो ज्यादा वसा यानी फैट वाला भोजन न लें. इस के अलावा भी अगर फूड एलर्जी है तो ऐसी चीजों के सेवन से बचें.

12. भोजन एकांत में नहीं परिवार वालों के साथ करें, तो उस का मजा ही अलग है. टैलीविजन के सामने बैठ कर भोजन न करें.

13. भोजन हमेशा ताजा, पचने वाला करना चाहिए.

14. भोजन की थाली से बीच में उठ कर जाना ठीक नहीं. अगर कोई काम है तो पहले उसे निबटा लें.

15. भोजन चाहे घर में करें या बाहर, उतना ही थाली में लें, जितना खा सकें.

16. कोशिश करें कि रोजाना तय समय पर ही भोजन करें.

17. भोजन के ठीक पहले या तुरंत बाद चायकौफी, आइसक्रीम व कोल्ड ड्रिंक का सेवन नहीं करना चाहिए. इस से पाचन क्रिया पर बुरा असर होता है.

18. भोजन हमेशा बैठ कर खाना चाहिए. खड़ेखड़े खाने की आदत ठीक नहीं है.

19. जहां तक मुमकिन हो, बाजार के खाने से बचें. मेले, ठेलों पर बिकने वाले चाटपकौड़ी या दूसरी चीजों का सेवन न करें, तो ही अच्छा है.

20. भोजन जैसा भी बना हो, उसे मन से खाएं. उस में मीनमेख न निकालें.

21. भोजन को इतमीनान से करें. उसे करने में 20 से 30 मिनट का समय लगना चाहिए. 5 मिनट में फटाफट खाने की आदत ठीक नहीं है.

22.  अगर भोजन करते समय खांसी आने लगे या ठसका लग जाए, तो वहां से उठ जाएं. राहत मिलने पर दोबारा भोजन शुरू करें.

23.  भूख से हमेशा थोड़ा कम खाएं, तो बेहतर रहेंगे. डट कर खाने से सुस्ती, आलस, घबराहट, बेचैनी वगैरह की शिकायत होगी.

24. अगर आप को एसिडिटी की शिकायत है, तो ज्यादा समय खाली पेट न रहें. नाश्ता जरूर लें. इस से एसिडिटी नहीं होगी.

25. भोजन करें तो 2 बेमेल चीजें एकसाथ न लें, जैसे खीर के साथ दही, अचार वगैरह का सेवन न करें.

26. अगर भोजन के पहले या उस के बाद कोई दवा लेना जरूरी है, तो उसे जरूर लें, खासतौर पर डायबिटीज के मरीज.

27. भोजन के बाद प्लेट या थाली में हाथ न धोएं. घर हो या बाहर, हर जगह इस बात का ध्यान रखना चाहिए.

28.  भोजन करने के फौरन बाद कड़ी मेहनत वाला काम नहीं करना चाहिए. भोजन के तुरंत बाद दौड़ना, तेज चलना, सीढि़यां चढ़ना, कसरत करना, जिस्मानी संबंध बनाना वगैरह काम नहीं करना चाहिए. इसी तरह भोजन के बाद मालिश करना, नहाना जैसे काम भी नहीं करने चाहिए.

29. भोजन करते ही सो जाना ठीक नहीं. दोपहर के भोजन के आधा घंटे बाद 20 मिनट की  झपकी ली जा सकती है. रात का भोजन करने के 2 घंटे बाद ही सोना चाहिए.

30.  भोजन के बाद ठीक से कुल्ला करना जरूरी है, ताकि दांतों में फंसे भोजन के कण बाहर निकल जाएं और बदबू पैदा न करें. रात के भोजन के बाद ब्रश कर के ही सोना चाहिए.

स्किन के लिए भी फायदेमंद है केले से जुड़े ये 5 टिप्स

केला एक ऐसा फल है जो अकसर सभी को पसंद आता है. वजन घटाने से लेकर वजन बढ़ाने तक ये फल काफी हेल्प करता है. पर सेहत के साथ-साथ ये आपकी स्किन के लिए भी काफी फायदेमंद है. ब्रेकफास्ट टेबल पर केले लगभग हर घर में होते हैं. पर क्या केले खाने के बाद आप भी इसका छिलका डस्टबिन में डाल देते हैं?

अगर ऐसा करते है तो अगली बार ये करने से पहले ये जान लें कि स्किन के लिए केला उतने ही फायदेमंद हैं जितना कि कोई भी अच्छा फेशियल. लड़को की स्किन वैसे भी लड़कियों के मुकाबले ज्यादा रफ होती है ऐसे में उनको ज्यादा देखभाल की जरुरत होती है. इसलिए आज हम लेकर आए हैं आपके लिए कुछ ऐसे टिप्स, जिन्हें आजमाकर स्किन में ग्लो आएगा और साथ ही कई तरह की स्किन प्रौबलम्स से भी निजात मिलेगा.

केले के 5 टिप्स

1. छिलके के भीतरी हिस्से को चेहरे और गर्दन पर रगड़ें और लगभग आधे घंटे बाद गुनगुने पानी से धो लें. रेगुलर करने पर इससे झुर्रियां खत्म हो जाएंगी.

2. केले में एंटीऔक्सिडेंट्स पाए जाते हैं जो दाग-धब्बों से छुटकारा दिलाते हैं और त्वचा में चमक लाते हैं. ये एंटी-एजिंग क्रीम से ज्यादा असरदार होते हैं.

3. केले के छिलके से सफेद रेशे को निकालकर एलोवेरा जेल में मिलाएं और आंखों के आसपास लगाएं. ऐसा करने से डार्क सर्कल्स कम होंगे.

4. छिलके का एक छोटा टुकड़ा काट लें और इसे एक्ने प्रोन स्किन पर धीरे-धीरे रगड़ें. 10 मिनट तक ऐसा करें और फिर गुनगुने पानी से चेहरा धो लें.

5. केले के छिलके को मस्से पर लगाने से मस्से दब जाते हैं और नए नहीं निकलते. इसके लिए छिलके की भीतरी परत को त्वचा पर मलें.

तो ये है केले के 5 टिप्स जिसे आप यूज कर अपने चहरे को निखार सकते है.

इन सब्जियों और फलों से रखें खुद को स्वस्थ

अगर आप भी अच्छा दिखना चाहते है और स्वस्थ रहना चाहते है तो इसके लिए जिम में पसीना बहाने की जरुरत नही है. कुछ नेचुरल चीजें खाकर भी आप अपनी सेहत का ध्यान रख सकते है. पर किसी किसी को आदत जिम में जाकर खुद को फिट रखने की इसके लिए डाइट भी काफी अहम रोल प्रे करती है. मेहनत वाला काम है या आप किसी खेल से जुड़े है तो आपको अपनी सेहत का और विशेषकर अपनी डाइट का अच्छे से देखभाल करना चाहिए. शरीर को अच्छी तरह काम करने के लिए ढेर सारे तत्वों की जरूरत होती है जैसे- कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन्स और फैट. ये सभी तत्व आपको किसी प्रोटीन पाउडर या मल्टी विटामिन कैप्सूल से नहीं, बल्कि फल और सब्जियों से मिलेंगे.

1. पालक के फायदे है अनेक

पालक हरी पत्तेदार सब्जियों में सबसे ज्यादा पौष्टिक होता है क्योंकि इसमें ढेर सारे मिनरल्स होते हैं. पालक कैल्शियम, विटामिन सी, मैग्नीशियम, जिंक और आयरन का बहुत अच्छा स्रोत है. जिम जाने वालों के साथ-साथ सामान्य लोगों के लिए भी बहुत जरूरी हैं. पालक में विटामिन के भी अच्छी मात्रा में होता है, जो हड्डियों को स्वस्थ रखता है.

2. चुकंदर खाएं सेहत बनाएं

चुकंदर नाइट्रेट का सबसे अच्छा प्राकृतिक स्रोत है. इसके सेवन से शरीर में रक्त संचार (ब्लड सर्कुलेशन) अच्छा रहता है, जिससे शरीर के सभी अंगों तक औक्सीजन और दूसरे पोषक तत्व आसानी से पहुंच जाते हैं. आप चाहें तो चुकंदर के साथ दूसरी ढेर सारी सब्जियों को मिलाकर इसका जूस बनाकर पी सकते हैं.

3. मशरूम से फिट को कहे बाय बाय

मशरूम विटामिन डी का बहुत अच्छा स्रोत है. आप जो भी कैल्शियम खाते हैं, उसे एब्जौर्ब करने के लिए शरीर में विटामिन डी बहुत जरूरी है. विटामिन डी मसल्स बनाने के लिए भी जाना जाता है. मशरूम में कैलोरीज बहुत कम होती हैं. 1 कप कटे हुए मशरूम में सिर्फ 15 कैलोरीज होती हैं और इसमें फैट बिल्कुल नहीं होता है.

4. केला है फायदेमंद

केला शरीर को बहुत जल्दी एनर्जी देता है क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट्स ज्यादा होते हैं. केला जल्दी पच जाता है और आपके पेट को देर तक भरा रखता है. खेल खेलने के दौरान या जिम में एक्सरसाइज के दौरान आपके शरीर को ऊर्जा (एनर्जी) की जरूरत होती है, ऐसे में आप केला खा सकते हैं. खेल और एक्सरसाइज के दौरान शरीर से पसीना निकलता है और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी हो जाती है. केले में पोटैशियम भरपूर होता है, जो एक तरह का इलेक्ट्रोलाइट है.

5. संतरा है सेहत के लिए जरूरी

एक्सरसाइज या खेल के दौरान आपकी मांसपेशियां थक जाती हैं और एनर्जी कम हो जाती है. संतरे में भरपूर विटामिन सी होता है, जो इन दोनों परेशानियों से आपको बचाता है. इसके अलावा विटामिन सी आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ता है. संतरे में फाइबर भी भरपूर होता है, जो आपके पाचन और पेट को दुरुस्त रखता है.

6. चेरी भी है सेहत के लिए खास

चेरी में एंटऔक्सीडेंट्स बहुत ज्यादा होते हैं. इनमें मौजूद एंटीऔक्सीडेंट आपकी मांसपेशियों में होने वाली सूजन को रोकते हैं और दर्द को कम करते हैं. एक्सरसाइज के बात चेरी का सेवन जरूर करना चाहिए. आप चेरीज को ऐसे ही खा सकते हैं या आप चाहें तो इसकी समूदी या शेक बनाकर भी पी सकते हैं.

तो ये थे वो कुछ फल और सब्जियां जिसे आप अपने खाने में इस्तेमाल करके रह सकते है फिटनेस फ्रीक.

अगर आपके अंदर भी है सिक्स पैक ऐब्स का जुनून तो जरूर पढ़ें ये खबर

युवा अपने बौडी लुक और फिटनैस को ले कर कुछ ज्यादा ही क्रेजी हो गए हैं, लेकिन वे यह नहीं समझते कि सिक्स पैक बनाना इतना आसान नहीं है. इस के लिए संतुलित डाइट के साथसाथ ट्रेनर की देखरेख में ऐक्सरसाइज करने की जरूरत भी होती है.

अगर आप फिट हैं तो हर खुशी हासिल कर सकते हैं और फिटनैस आप को मिलेगी संतुलित डाइट और नियमित व्यायाम से.

बौडी बनाने का अर्थ है मांसपेशियों को कसना, जिस से कि आप सुडौल दिखें. इस काम में खासी मशक्कत करनी पड़ती है. ऐब्स बनाने के लिए कार्बोहाइड्रेट तथा फैट की मात्रा को घटा कर प्रोटीन की मात्रा बढ़ाई जाती है, ताकि मांसपेशियां सख्त हो सकें.

चाहिए सिक्स पैक तो देना होगा समय

यदि आप चाहते हैं कि आप की बौडी सुडौल व आकर्षक बने, तो इस के लिए आप को समय निकालना होगा. ‘बौडी फिटनैस सैंटर’ के ट्रेनर पवन मान के मुताबिक, ‘‘युवाओं को सिक्स पैक बनाने से पहले इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि उन की बौडी पर फैट कितना चढ़ा है. यदि शरीर अधिक फैटी है तो पहले उसे घटाने के लिए कुछ खास तरह की ऐक्सरसाइज करनी होती है. साथ ही डाइट पर भी ध्यान देना होता है.’’

यदि आप फैटी हैं तो जिम जाने से पहले नियमित व्यायाम बहुत जरूरी है. नियमित व्यायाम में स्विमिंग, साइकिलिंग, जौगिंग आदि जरूरी हैं. इन के अलावा मौर्निंगवाक भी बहुत जरूरी है.

वैसे सिक्स पैक ऐब्स बनाने के लिए जिम ट्रेनर कई प्रकार के डाइट सप्लिमैंट्स देते हैं, जिन में सिंथैटिक पोषक तत्त्व मौजूद होते हैं. ये तत्त्व शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं. आमतौर पर लिए जाने वाले सप्लिमैंट्स में क्रिएटिन, प्रोटीन, स्टीरायड आदि हारमोन होते हैं. इस बारे में वरिष्ठ चिकित्सक डा. उमेश सरोहा कहते हैं, ‘‘ये पोषक तत्त्व शरीर को सुडौल बनाने के बजाय नुकसान ज्यादा पहुंचाते हैं. सुडौल बौडी पाने के लिए नियमित व्यायाम और संतुलित डाइट ज्यादा लाभदायक है.’’

कुछ लोग फैट कम करने के लिए अपने भोजन से फैट वाली चीजें बिलकुल हटा देते हैं, जिस से शरीर को लाभ पहुंचने के बजाय नुकसान ज्यादा पहुंचता है. फैट की अधिक कमी से शरीर के अन्य महत्त्वपूर्ण अंगों पर बुरा असर पड़ता है. इसलिए फैट की प्रचुर मात्रा शरीर के लिए बहुत जरूरी है.

फिटनैस के लिए जरूरी डाइट

–       सिक्स पैक बौडी के लिए फाइबरयुक्त भोजन लेना बहुत आवश्यक है, क्योंकि इस से शरीर का विकास होता है. प्रोटीन की मात्रा बनाए रखने के लिए मौसमी फलों का सेवन बहुत लाभदायक है.

–       सुबह का नाश्ता अति आवश्यक है. नाश्ता हैवी व लंच हलका लें. डिनर तो नाश्ते व लंच से भी हलका लें. इस तरह का चार्ट बना लें. यह आप की सेहत के लिए जरूरी है.

–       दिन भर में कम से कम 10 गिलास पानी पीएं. पानी हमारे शरीर को स्वस्थ रखता है, क्योंकि अधिक ऐक्सरसाइज करने से शरीर में डिहाइडे्रशन की आशंका बनी रहती है, इसलिए इस से बचने के लिए व्यक्ति को अपने वजन के हिसाब से पानी पीना चाहिए.

–       ढेर सारा भोजन एकसाथ न लें. हिस्सों में बांट कर दिन में कई बार भोजन करें. इस से पाचन तंत्र मजबूत बना रहता है. साथ ही ऐक्सरसाइज करने के लिए और अधिक ताकत मिलती है.

–       हरी सब्जियों का सेवन ज्यादा करें. ये शरीर को ऊर्जा देने के साथसाथ आप को तरोताजा रखती हैं. प्रोटीन डाइट में अंडा, पनीर, दूध, दही, मछली आदि लें.

–       अलकोहल का सेवन बिलकुल न करें. यह आप के शरीर को बेकार करता है.

–       भोजन नियमित मात्रा में ही लें. संतुलित आहार शरीर को रोगमुक्त रखता है. एक सीमा में रह कर ही जिम में वर्कआउट करें. ऐसी किसी दवा का सेवन न करें, जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

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