नाकामियों को सफलता की मंजिल का पड़ाव ऐसे माने

आईए समझते हैं किस तरह आपकी नाकामियां आपको आपके मंजिल के पास ले जाती है , कैसे आप उन से सीख कर अपने आप में सुधार कर के कामयाबी का नया इतिहास लिख सकते हैं . चार(04) बिंदुओ में समझते हैं :-

1.संघर्षों का सामना करके इतिहास बनाता है :-  हिटलर का प्रसिद्ध वाक्य है, ‘जो बिना संघर्ष के जीतता है वह विजेता कहलाता है लेकिन जो संघर्षों का सामना करके जीतता है वह इतिहास बनाने वाला कहलाता है.

अक्सर देखा जाता है कि युवा जब अपना सफल करियर नहीं बना पाते हैं तो इसका दोष वे दूसरों को देते हैं. अपनी नाकामियों का ठीकरा दूसरों पर फोड़ने लगते हैं. यह याद रखिए अपनी नाकामी के जिम्मेदार आप खुद हैं.

2.लक्ष्य के प्रति समर्पण व्यक्ति असाधारण प्रतिभा वाला बना देता है :- अक्सर देखा गया है कि असफल व्यक्ति अनेक बातों का रोना रहते हैं, जैसे हमारे माता-पिता के कम पढ़े-लिखे होने के कारण वे हमारा करियर में मागदर्शन नहीं कर सके. हम पढ़ने की सुविधाएं नहीं मिली. पढ़ाई के दौरान हमें घर के कामों में लगाए रखा. घर में ज्यादा सदस्य होने से घरवालों ने हमारी ओर ध्यान नहीं दिया. ये ऐसी कुछ बातें हैं जो असफल युवा कहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. अगर व्यक्ति कुछ करना चाहे और उसके हौसले बुलंद हों तो उसकी राह में कितनी भी मुसीबतें आएं वह सफल हो जाता है. एक अंग्रेजी कहावत का हिन्दी अर्थ है- ‘किसी एक विचार या लक्ष्य के प्रति समर्पण के कारण ही एक सामान्य योग्यता रखने वाला व्यक्ति असाधारण प्रतिभा से संपन्न व्यक्ति बनता है.’

3. कठिनाइयों को ढाल बनाकर सफलता की कहानी को लिखे :-

कठिनाइयां हर किसी के जीवन में आती हैं बस उनका स्वरूप और उनसे लड़ने के तरीके अलग हो सकते हैं. उन कठिनाइयों को ढाल बनाकर अपनी नाकामी को उजागर न करें, बल्कि हर स्थिति से निकलना सीखें. याद रखिए दुनिया भी उन्हीं को याद रखती है जो संघर्षों से निकलकर सफलता के शिखर पर पहुंचता है.

4. अनेक बाधा के सामने आप डेट रहे कामयाबी आपके कदमों में होगी :- नाकामियों को रोना छोड़कर चल पड़िए मंजिल की राह पर. मुश्किलें तो आएंगी. इन बातों जीवन में हमेशा रखें ध्यान –

अगर आप किसी क्षेत्र में करियर बनाने में असफल हो गए हैं तो यह न सोचिए कि सिर्फ वही क्षेत्र आपके लिए बना था.

आप दूसरे क्षेत्र में प्रयास कर सफलता को प्राप्त कर सकते हैं.

पहाड़ी की चढ़ाई करते समय हमेशा ऊपर चढ़ने वालों को देखना चाहिए. नीचे वालों को देखेंगे तो हमें ऊंचाई से डर लगेगा.

अपने आपको मोटिवेट कीजिए. सफलता की जो अनुभूति रहती है उसका मजा ही कुछ और है.

जीत कुछ कर गुजरने में है, हारकर बैठने में नहीं. प्रयास से सफलता मिल ही जाती है.

संक्रमण से बचाएंगी ये 7 आदतें

कोरोना से जंग की बात हो तो हमें हाथ धोने, मास्क लगाने, सैनिटाइजर का प्रयोग करने और सामाजिक दूरी बना कर रखने जैसे उपायों को जरूर अपनाना चाहिए. इन उपायों से आप कोरोना वायरस से दूर रह पाएंगे.

मगर मान लीजिए कि किसी तरह कोरोना ने आप के शरीर में प्रवेश कर ही लिया. फिर कैसे लड़ेंगे? इस के लिए जरूरी है आप का अंदर से मजबूत होना और अंदर से मजबूती के लिए जरूरी है लाइफस्टाइल और डाइट में सुधार.

इन छोटेछोटे बदलावों से आप खुद को और परिवार को किसी भी तरह के संक्रमण से सुरक्षित रख सकती हैं.

सकारात्मक सोच

यह सही है कि आज हम रातदिन दुनिया भर में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप और मरने वालों की लगातार बढ़ती संख्या देख और सुन रहे हैं. ऐसे में सकारात्मक सोच बनाए रखना कठिन है. मगर ध्यान दें, दरअसल सकारात्मक सोच के लिए हमें परिस्थितियों की भयावहता से अधिक संभावित उपायों पर नजर रखनी होगी. परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों यदि हम मन से मजबूत हैं, आशावान हैं, बेहतर और सुरक्षित भविष्य की उम्मीद कर रहे हैं तो हम कहीं न कहीं अपने दिमाग तक यह संदेश पहुंचा रहे हैं कि घबराने वाली कोई बात नहीं. इस से आप का नर्वस सिस्टम बेहतर ढंग से काम कर पाता है. शरीर ऐक्टिव रहता है. शरीर का हर अंग ज्यादा अच्छी तरह काम करता है और आप बीमारियों से लड़ने को तैयार हो जाते हैं. आप का इम्यून सिस्टम मजबूती से किसी भी संक्रमण का सामना करने के लिए तैयार रहता है.

शांत मन प्रसन्न हृदय

मन को शांत रखें. आप का मन विचलित होगा, आप किसी के लिए बुरा सोचेंगे और कठोर वचन बोलेंगे, क्रोधित होंगे या फिर किसी बात को  ले कर दुखी रहेंगे तो आप अपने मन और शरीर की मदद करें. सद्भावना रखें. इस से आप को दूसरों का प्यार मिलेगा और शरीर में अच्छे और स्वस्थ हारमोन तैयार होंगे.

खूब हंसे

हंसने के बहाने ढूंढें. छोटीछोटी बातों पर खिलखिला कर हंसे. मन में उत्साह रखें. छोटेछोटे सपने पूरे होने की खुशी मनाएं. मिल कर जीने का आनंद लें. इस से शरीर में एंड्रोफिन, डोपामिन जैसे हारमोंस बनते हैं जो शरीर को ऊर्जा और मजबूती से भर देते हैं.

खुद को व्यस्त रखें

कहते हैं न कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है. भले ही आप को औफिस, स्कूल या कालेज से छुट्टी मिल गई हो मगर आप वर्क फ्रौम होम कर के खुद को व्यस्त रख सकते हैं. औफिस के साथसाथ घर के कामों में भी एकदूसरे की मदद करें. दूसरों के लिए कुछ करने का प्रयास करें. इस से मन को बहुत खुशी और मजबूती मिलेगी और आप अंदर से मजबूत होंगे.

अच्छी किताबें पढ़ें

समय पास करने के लिए दूसरों से लड़नेझगड़ने और बेकार की फिल्में देखने या मोबाइल पर टाइम पास करने के बजाय अच्छी किताबें और पत्रिकाएं पढ़ें. आप औनलाइन भी पत्रिकाएं पढ़ सकते हैं. आप को नई बातें जानने को मिलेंगी. दिमाग खुलेगा. अच्छे जोक्स और सुरीले गाने सुनें ताकि मन प्रसन्न रहे. अपनी हौबी के लिए समय निकालें. कुछ क्रिएटिव करेंगे तो आप को महसूस होगा जैसे आप के अंदर खास गुण हैं. ऐसी सकारात्मक सोच ही आप को अंदर से मजबूत बनाएगी.

कैसी हो डाइट

लौकडाउन के समय में हम सबों को अपनी इम्यूनिटी का खास खयाल रखना चाहिए. जितनी अच्छी इम्यूनिटी होगी उतने ही बेहतर तरीके से हम किसी भी बीमारी से लड़ पाएंगे. चाहे वह कोरोना हो, मलेरिया हो, साधारण बुखार हो या फिर कैंसर जैसी बड़ी बीमारी. गुडवेज फिटनैस की न्यूट्रिशनिस्ट शक्ति बताती हैं कि इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए इन दिनों डाइट का खास खयाल रखना चाहिए.

आप को रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट जैसे

पास्ता, पिज्जा, फ्रैंच फ्राइज, बर्गर, पेस्ट्रीज, केक्स, व्हाइट ब्रैड, मैदा, पकोड़े, टिक्की, समोसे जैसी तली हुई चीजों और जंक फूड से दूरी बढ़ानी पड़ेगी. रिफाइंड शुगर से बनी चीजें कम लें या बिलकुल न लें. इन्हें खाने से इम्यूनिटी घटती है.

इन के बजाए खूब कच्चे फल और सब्जियां खाएं. इन से जरूरी विटामिन और मिनरल्स मिलते हैं जिस से आप अंदर से मजबूत बनते हैं.

खाने में विटामिन सी की मात्रा भी बढ़ाएं. विटामिन सी को सफेद रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाने के लिए माना जाता है. इसी से बीमारियों से लड़ने में मदद मिलती है. नीबू, अनानास, अमरूद, टमाटर, कीवी, संतरा, आमला जैसी चीजें विटामिन सी के बेहतर स्रोत हैं.

ब्रोकोली खाएं: विटामिन ए,

सी और ई के साथसाथ कई

अन्य ऐंटीऔक्सीडैंट्स और फाइबर से भरपूर ब्रोकोली हैल्दी सब्जियों में से एक है.

पालक: पालक में फौलेट पाया जाता है जो शरीर में नई कोशिकाएं बनाने के साथ कोशिकाओं में मौजूद डीएनए की मरम्मत भी करता है. इस में पाया जाने वाला फाइबर, आयरन हमारे शरीर को हर तरह से स्वस्थ बनाए रखता है.

तुलसी: एंटी वायरल और एंटी इंफ्लेमेट्री जैसे औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी आप की इम्यूनिटी बढ़ाती है.

दही: दही रोगों से लड़ने के लिए शरीर को शक्ति प्रदान करता है.

हल्दी: हलदी ऐंटीऔक्सीडैंट गुणों से भरपूर है. रोज रात में दूध में हलदी डाल कर पीने से आप की इम्यूनिटी मजबूत होगी.

फ्लैक्स सीड्स: फ्लैक्स सीड्स हमारे शरीर के लिए बहुत अच्छा इम्यूनिटी बूस्टर है. इस के नियमित सेवन से आप कोरोना समेत कई बीमारियों से बच सकते हैं. फ्लैक्स सीड में अल्फा लिनोलेनिन ऐसिड, ओमेगा 3 फैटी ऐसिड होता है जो शरीर की प्रतिरोधिक क्षमता को बढ़ाने में मददगार है.

दालचीनी: दालचीनी में मौजूद ऐंटीऔक्सीडैंट्स गुण खून को जमने से रोकने और हानिकारिक बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकते हैं.

ग्रीन टी: यह ऐंटीऔक्सीडैंट्स से भरपूर पेय है. ग्रीन टी पीने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है.

लहसुन: लहसुन में ऐंटीऐलर्जिक प्रौपर्टीज होती हैं. यह इम्यूनिटी को बढ़ाता है.

इस के साथ ही पूरे दिन कुनकुना पानी पीएं. नारियल पानी भी इम्यूनिटी बढ़ाता है जिस से शरीर में ऐनर्जी बनी रहती है.

करें व्यायाम

स्वस्थ रहने के लिए ऐक्टिव शरीर और नियमित व्यायाम जरूरी है. आप रोज सुबह उठ कर 15-20 मिनट दौड़ने या तेज वाक करने का अभ्यास करें. बाहर नहीं जा सकते तो अपने घर की छत या ग्राउंड में तेज वाक कर लें. घर की सीढि़यों पर तेजी से उतरनेचढ़ने का अभ्यास करें. यह भी एक अच्छी ऐक्सरसाइज है और इस से हृदय और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं. घर में ही स्ट्रेचिंग, साइक्लिंग और तरहतरह के कार्डियो ऐक्सरसाइज कर सकते हैं. इस के अलावा दंड बैठक लगाना, रस्सी कूदना बच्चों के साथ दौड़भाग के खेल खेलना और दूसरे छोटेबड़े व्यायाम करने का नियमित अभ्यास रखें. व्यायाम करने से शरीर में खून का बहाव तेज होता है, आक्सीजन की आपूर्ति बढ़ती है और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं.

रूममेट के साथ फ्रेंडशिप

26 साल का अभिषेक कुमार बिहार के समस्तीपुर जिले में एक किसान परिवार से है. साल 2013 में 12वीं जमात के इम्तिहान अच्छे नंबरों से पास करने के बाद पत्रकार बनने का सपना लिए वह देश की राजधानी दिल्ली आ गया.

पत्रकारिता में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के लिए उस ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के रामलाल आनंद कालेज में दाखिला लिया. दाखिला लेने के साथ ही अभिषेक ने कालेज से 16 किलोमीटर दूर लक्ष्मी नगर मैट्रो स्टेशन में एक पीजी किराए पर लिया. लेकिन पीजी लेने में सब से बड़ी दिक्कत उस के किराए की थी.

लक्ष्मी नगर आमतौर पर छोटे शहरों से आए नौजवानों से भरा रहता है. वहां के मकानों की दीवारें कोचिंग सैंटर के बोर्ड से पटी पड़ी हैं. यही वजह है कि ज्यादातर कोचिंग की पढ़ाई करने वाले छात्रों का हब लक्ष्मी नगर बना हुआ है, जिस के चलते किराए पर कमाई का कारोबार वहां खूब फलफूल रहा है.

रूममेट की खोज

लक्ष्मी नगर में उस दौरान अभिषेक अकेला रह कर 6,000 रुपए महीना कमरे का किराया देने की हालत में नहीं था, इसलिए वह चाह रहा था कि जल्द ही उस का कोई रूममेट बने, जिस के साथ वह कमरे के खर्चों को शेयर कर सके.

इस मसले पर अभिषेक का कहना है, ‘‘ज्यादातर लोग जानपहचान वाले को ही रूम पार्टनर रखना पसंद करते हैं और यह ठीक भी रहता है, क्योंकि इस से रूममेट को समझनेसमझाने में ज्यादा समय नहीं खपता और एकदूसरे से कोई बात बेझिझक कही जा सकती है.

‘‘बहुत बार जब 2 अनजान लोग एकसाथ रहते हैं, तो काम और पैसों को ले कर झिकझिक बनी रहती है. छोटेछोटे खर्चों या काम में बड़ेबड़े झगड़े या शक की गुंजाइश बन जाती है.’’

गलत रूममेट

उत्तर प्रदेश के आगरा की रहने वाली 29 साल की श्रुति गौतम दिल्ली यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रही हैं. वे मुखर्जी नगर में फ्लैट ले कर रह रही हैं. साथ ही, वे बतौर गैस्ट टीचर कालेज में पढ़ाती भी हैं.
श्रुति गौतम कहती हैं, ‘‘मैं साल 2016 में दिल्ली आई थी. साल 2016-17 में मैं जिस फ्लैट में रही, वहां सब ठीक चल रहा था. वहां मैं सब से छोटी थी, बाकी मेरे से कुछ सीनियर थे. फिर मैं ने जब रूम बदला, तो मुझे अपने साथ रूममेट की जरूरत थी.

‘‘उस दौरान मुझे 2 लड़कियां मिलीं. वे दोनों उम्र में मुझ से छोटी थीं. हम ने मिल कर फ्लैट लिया. शुरू में लगा कि सब ठीक है, लेकिन धीरेधीरे समस्या आती है कि आप की ट्यूनिंग नहीं मिलती. जैसे आप सोते हैं 10 बजे और रूममेट को 2 बजे सोने की आदत है. आप को खाने में कुछ पसंद है, तो उसे कुछ दूसरा. ऐसे में झगड़े होने लगते हैं.’’

काम का हिसाब

श्रुति गौतम कहती हैं, ‘‘साल 2018 की बात है, तब मैं आईपी मैं कालेज गैस्ट टीचर के तौर पर पढ़ा रही थी. मेरी एक रूममेट ने मेन डोर की चाबी लौक पर ही छोड़ दी, जिस के बाद कमरे से लैपटौप और मोबाइल फोन चोरी हो गया था.

‘‘उस समय मैं ने उसे खूब डांट दिया था. उसे बुरा लग गया और उस के मन में मेरे लिए कड़वाहट बैठ गई. तब से हमारी बात ठीक से हुई नहीं और आखिर में उसी ने कमरा छोड़ दिया.’’

श्रुति गौतम आगे कहती हैं, ‘‘रूम में काम बंटा हुआ होता है, लेकिन उस के बावजूद कोई काम करने को राजी नहीं होता. गंदे बरतन पड़े हैं तो पड़े ही रहेंगे. टायलैट सब से साफ रहने वाली जगह होनी चाहिए और सभी को इसे साफ करना चाहिए, लेकिन बोलबोल कर भी काम पूरा नहीं किया जाता.

‘‘खाना बनाते समय कई झगड़े होते हैं. जो खाना बनाने वाला है, वह कह दे कि प्याज काट दो या आटा गूंद दो तो काम से कन्नी काटने के लिए बहाने बनते हैं कि मुझे भूख नहीं है. कपड़े जहांतहां फैले होते हैं. इस के साथ हिसाबकिताब में भी दिक्कत आ जाती है. इस का आखिर में एक ही हल निकलता है कि आप एक कामवाली रख लो.’’

धर्मजाति के फंडे

अभिषेक बताता है, ‘‘लक्ष्मी नगर या मुखर्जी नगर में ही देखो, तो ज्यादातर अपनी जातबिरादरी के लोगों के साथ ही रहते हैं और शायद रहना पसंद भी करते हों. इसे समझना कोई बड़ी बात नहीं. कालेज में पढ़नेलिखने आए नौजवान जब कालेज में जाते हैं, तो अपने जातिधर्म के चुनाव उम्मीदवार को ही जिताते हैं, उसी के लिए नारे लगाते हैं.

‘‘मैं यह नहीं कह रहा कि सिर्फ जातिवादी या सांप्रदायिक सोच के चलते ऐसा है, मसला आराम का भी होता है. अपनी बिरादरी में वे ज्यादा आरामदायक महसूस करते हैं, कल्चर को ले कर जल्दी एकदूसरे की बातें समझ लेते हैं.

‘‘बहुतों पर पारिवारिक दबाव भी होता है कि किस के साथ रहना है या नहीं रहना है. सब से बड़ी वजह यह है कि ज्यादातर बाहरी नौजवान जानपहचान वालों के साथ ही यहां रहते हैं. हमारा सामाजिक ढांचा ऐसा है कि हम अपनी बिरादरी और धर्म से अलग किसी दूसरे से ज्यादा नजदीकियां बना नहीं पाते हैं.’’

उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के बिसनपुर गांव के सनी कुमार एसटी समाज से आते हैं. वे गांव से मीलों दूर इलाहाबाद शहर के कटरा इलाके में किराए का कमरा ले कर कानून की पढ़ाई कर रहे हैं.

सनी कुमार कहते हैं, ‘‘रूममेट ढूंढ़ते हुए जाति से ज्यादा धर्म को देखा जा रहा है, खासकर यह मामला हिंदू और मुसलमान में ज्यादा देखने को मिलता है. जिस इलाके में मैं रहता हूं, वहां अलगअलग धर्म के लोगों का एकसाथ रूम शेयर करने का उदाहरण मैं अभी तक देख नहीं पाया हूं, लेकिन जाति से अलग उदाहरण दिख जाते हैं. यह मैं ने गौरखपुर में भी महसूस किया था.’’

इस मसले पर श्रुति गौतम के विचार अलग हैं. वे कहती हैं, ‘‘मेरे खयाल से रूममेट ढूंढ़ते समय आज का नौजवान तबका धर्मजाति नहीं देखता है. वजह यह है कि ज्यादातर बाहर से आने वाले युवा एक टारगेट ले कर आते हैं, उस के आड़े ये चीजें इतनी माने नहीं रखतीं.

‘‘हां, यहां पेंच पड़ता है परिवार का. अगर किसी का बेटा या बेटी बाहर पढ़ने गए हैं या नौकरी के लिए आए हैं, तो परिवार नजर रखता है कि वह किस के साथ है. उस की पार्टनर किस धर्मजाति से है. ऐसे में इन चीजों को ध्यान में रख कर रूममेट की जातिधर्म पर सोचते होंगे. लेकिन जिन्हें इन बातों से कुछ फर्क नहीं पड़ता, वे परिवार में इन बातों को बताते ही नहीं हैं या झूठ कह देते हैं.’’

ऐसे बनाएं रूममेट से अच्छा रिश्ता

कमरे की साफसफाई–  रूममेट का आपस में झगड़ा इसी को ले कर ज्यादा होता है, इसलिए जरूरी है कि इस पर ध्यान दिया जाए. इस के लिए कुछ नियम बनाए जा सकते हैं. जैसे, बारीबारी से कमरा साफ करें, भीतर आने से पहले जूते साफ कर लें, अपने कपड़े समय पर धो लें, टायलैट इस्तेमाल करने के बाद साफ जरूर करें, कमरे के मैनेजमेंट के लिए अलमारी, बुक रैक, डस्टबिन, पैन बौक्स वगैरह का इस्तेमाल करें, ताकि चीजें यहांवहां गुम न हों.

हिसाब रखें सही

कई बार लेनदेन में रूममेट के साथ अनबन हो जाती है. अगर एक बार पैसों को ले कर अनबन होती है, तब वह शंका आजीवन मिटाए नहीं मिटती है, इसलिए हिसाब बेहतर और क्लियर रखें.

रूममेट की सहूलियत का खयाल

कई बार हमारी केवल अपनी सहूलियत दूसरे के लिए सिरदर्द भी बन जाती है. हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि आप के साथ उस रूम में कोई और भी है, जिसे कुछ तरह की चीजों से दिक्कत हो सकती है. जैसे देर रात फोन पर बात करना, देर रात तक टैलीविजन देखना या मोबाइल फोन पर बात करना वगैरह.

प्राइवेसी का ध्यान रखना

ऐसा नहीं है कि रूममेट के साथ हर बात शेयर की जाए या उसे हर बात बताने पर जोर दिया जाए. हर किसी की अपनी प्राइवेसी होती है. उस की इज्जत करना जरूरी है. अगर रूममेट आरामदायक महसूस नहीं कर रहा, तो उस की पर्सनल लाइफ में दखल न दें.

बिना पूछे सामान न इस्तेमाल करें

कई बार लोग रूममेट के सामान को अपना समझ कर इस्तेमाल करने लगते हैं, जो गलत है खासकर बगैर पूछे. ध्यान रहे कि खुद के लिए जरूरत का सामान जोड़ लें. अगर मुमकिन नहीं है, तो रूममेट से सामान इस्तेमाल करने से पहले इजाजत लें.

रूममेट की सही पहचान

भले ही रूममेट के साथ थोड़े समय के लिए ही जिंदगी बितानी होती है, पर फिर भी एक बेहतर रूममेट की पहचान करना जरूरी होता है. इस के लिए कुछ बातों के बारे में जान लेना बहुत जरूरी है :

सोशल मीडिया अकाउंट देखें

अगर किसी एप की मदद से रूममेट की खोज की है, तो उस के सोशल मीडिया अकाउंट्स को चैक कर लें. वहां उस की जानकारी मिल जाएगी, उस का तौरतरीका और रवैए की पहचान होने में मदद मिलेगी.

पहचान के लिए पब्लिक स्पेस

रूममेट की पहचान जैसे भी या जहां से भी हो, पहली मुलाकात में एकांत जगह या रूम में बुलाने से बचना चाहिए. एकदूसरे को जानने के बाद ही मेलजोल आगे बढ़ाएं.

पसंदनापसंद पर खुल कर बात

रूममेट के साथ रोज 10-12 घंटे गुजारने होते हैं, इसलिए जरूरी है कि एकदूसरे की पसंदनापसंद जानें. खुल कर पूछें और बताएं शराब, सिगरेट, मांसाहार और पार्टी के मामले में.

रूममेट के डौक्यूमैंट देखें

अगर इन सब के बाद वह रूममेट बनने को तैयार है, तो उस के डौक्यूमैंट्स वैरिफाई करें. इस में आधारकार्ड, वोटर आईडी, औफिस या कालेज कार्ड हो सकता है.

जानकारी: डॉक्टर से ऑनलाइन परामर्श कैसे लें

औनलाइन डाक्टरी परामर्श से आप अपने मर्ज का निदान पा सकते हैं. डाक्टर की सलाह से आप पूरी तरह संतुष्ट होना चाहते हैं, तो परामर्श लेने से पहले क्या और कैसे पूछना है, यह आप को पता होना चाहिए.

डाक्टर्स ऐप की शुरुआत लोगों की व्यस्त जीवनशैली को देखते हुए की गई थी. बिना किसी अपौइंटमैंट के आप अपनी हैल्थ के बारे में घर बैठे डाक्टर से औनलाइन परामर्श ले सकते हैं.

आज कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल जाने के बारे में सोचते हुए ही लोगों के मन में दहशत सी होने लगती है. कारण साफ है, एक तो अस्पताल जाना अपनेआप को संक्रमण से ग्रसित होने की दावत देने के समान है, दूसरा, अस्पतालों में मरीजों की भीड़ और अव्यवस्थित स्थिति है.

ऐसी हालत में यही बेहतर लगता है कि घर बैठे ही डाक्टर से सलाह ले कर उपचार कर लिया जाए. ऐसा सोचना बिलकुल सही है. लेकिन, यहां भी एक समस्या सामने आती है, वह यह है कि औनलाइन डाक्टर के सामने आने के बाद मरीज कई बार अपनी समस्या पूरी तरह से डाक्टर के सामने रख नहीं पाता. ऐसा लगता है डाक्टर को अपनी प्रौब्लम पूरी तरह से समझा नहीं पाए और दूर बैठा डाक्टर फिजिकल एग्जामिन कर के मर्ज को जान ले, ऐसा हो नहीं सकता. इसलिए महसूस होता है कि पता नहीं उपचार सही मिला भी है या डाक्टर हमारी बात समझा भी है या नहीं. बेकार ही हम ने रुपए डाक्टर परामर्श के नाम पर बरबाद कर दिए.

सो, डाक्टर के साथ औनलाइन सलाह लेने पर इन बातों का ध्यान अवश्य रखें.

आप को जो भी तकलीफ महसूस हो रही है उसे किसी पेपर पर नोट कर लें ताकि डाक्टर जब पूछे तो बताना न भूलें. कई बातें बहुत छोटी लगती हैं लेकिन बताने में झिझकें नहीं, डाक्टर से खुल कर अपनी बात कहें.

यदि आप की कोई केस हिस्ट्री है तो शुरुआत उसी से कीजिए और बाद में अपनी करंट सिचुएशन के बारे में विस्तार से बताएं. क्योंकि सर्दीजुकाम, पेटदर्द, छोटीमोटी चोट लगना आम बात है लेकिन किडनी रोग, डायबिटीज, कैंसर ऐसी गंभीर बीमारियां हैं जिन की बीमारी को समझने व समझाने में थोड़ा समय लगता है. इसलिए ऐसे मरीजों को जब कोई तकलीफ होती है और वे औनलाइन डाक्टरी परामर्श लें तो अपनी हिस्ट्री जरूर बताएं.

बारबार डाक्टर न बदलें. यदि एक डाक्टर के उपचार से फायदा हुआ है तो अगली बार उसी से संपर्क करें. डाक्टर आप की मैडिकल प्रौब्लम जान चुका होता है तो उसे भी उपचार करने में आसानी रहती है और आप भी डाक्टर से बात करने में कम्फर्टेबल महसूस करते हैं. हां, यह दूसरी बात है यदि आप को लगता है कि फलां डाक्टर से अच्छा इलाज नहीं मिल रहा है तो डाक्टर बदल लें.

यदि आप औनलाइन सलाह लेने में घबरा रहे हैं तो आप को एक बार पहले चैकअप करवा लेना चाहिए. ऐसा करने से आप डाक्टर को अपनी समस्या मिल कर बता सकते हैं और आप के मन को संतुष्टि भी हो जाती है. ऐसा करने के बाद आप डाक्टर से औनलाइन सलाह लेने में खुद को परेशान नहीं पाएंगे.

लोगों की बढ़ती व्यस्त जीवनशैली ने औनलाइन प्लेटफौर्म को काफी बढ़ावा दिया है. एक डाक्टर से औनलाइन सलाह लेना भविष्य में और भी तेजी से बढ़ेगा. जब आप वास्तव में यह समझेंगे कि यह आप का कितना समय बचाता है तब आप खुद इसे अपनाने लगेंगे.

डाक्टर ऐप के फायदे

आप को कहीं भी जाने की जरूरत नहीं होती और घर बैठेबैठे ही हैल्थ प्रौब्लम का ट्रीटमैंट करा सकते हैं.

डाक्टर ऐप पर डाक्टर की फीस उन की क्लीनिक फीस से बहुत कम होती है. अगर आप डाक्टर ऐप के जरिए डाक्टर से सलाह लेते हैं तो 60 फीसदी तक सेविंग कर सकते हैं.

यहां आप को स्पैशलिस्ट डाक्टर मिलते हैं जो एमडी और एमबीबीएस होते हैं. डाक्टर से मिलने के बाद आप उन की प्रोफाइल भी पढ़ कर उन के बारे में पूरी जानकारी ले सकते हैं.

डाक्टर से की गई आप की हैल्थ ऐडवाइज 3 दिनों तक वैलिड होती है और उस के बाद वह खुदबखुद बंद हो जाती है. लेकिन अगर आप को डाक्टर से कोई और प्रश्न करना है तो पुरानी चैट में जा कर उन से दोबारा बात भी कर सकते हैं.

डाक्टर ऐप का प्रयोग करने के लिए आप की उम्र 18+ होनी जरूरी है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस उम्र में व्यक्ति को अपनी प्रौब्लम के बारे में अच्छी तरह से पता होता है और अच्छी तरह से दूसरे को समझा भी सकता है.  साथ ही, डाक्टर के परामर्श को गहन रूप से समझ सकता है. व्

सेक्स शरीर का नहीं भावनाओं का खेल है!

हम हर पल कई तरह की भावनाओं से ओतप्रोत होते हैं. इन्हीं भावनाओं के चलते हम अपनी तमाम गतिविधियों को अंजाम देते हैं. हमारे मन में हर क्षण पैदा होने वाली भावनाओं में कई बेहद सकारात्मक होती हैं तो कई नकारात्मकता से ओतप्रोत होती हैं. हममें और दूसरे जीवों में यही फर्क है कि हम इस बात को भली भांति जानते हैं कि यह भावना अच्छी है और यह बुरी. जबकि जानवर इस बात को नहीं जानते. इसीलिए उनके व्यवहार में बेहद तात्कालिकता होती है. जब वह किसी गतिविधि में संग्लन होते हैं, उसके पहले तक वे यह नहीं जानते कि अगले पल वह क्या करेंगे? जबकि इंसान न सिर्फ अपने आने वाली गतिविधियों को तय कर सकता है बल्कि पिछली गतिविधियों के बारे में भी ठहरकर सोच सकता है. साथ ही उनका ईमानदारी से मूल्याकंन भी कर सकता है.

इंसान के भावनापूर्ण होने का यूूं तो हर गतिविधि में असर पड़ता है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर सेक्सुअल गतिविधियों पर पड़ता है. दरअसल सेक्स शरीर की नहीं बल्कि दिमाग की गतिविधि है. इसीलिए हम अगर भावनाओं में उत्तेजना महसूस नहीं करेंगे तो हमारा शरीर चाहे हाथी जितना क्यों न हो, बिल्कुल मिट्टी का है. उसके लिए सेक्स संभव ही नहीं है. कुल मिलाकर सेक्स की तमाम शारीरिक चाहत और क्षमता हमारी भावनाओं का खेल है.

यही वजह है कि यदि हम कभी सेक्स के लिए उत्तेजक स्थिति में भी हों और तभी दिल दिमाग में डर, दहशत, शर्म, लज्जा, अपराधबोध या हीनताबोध की भावनाएं कब्जा कर लें तो एक पल में सेक्स गायब हो जाता है. इसके बाद चाहकर भी कोई सेक्स नहीं कर सकता. क्योंकि सेक्स भले शरीर से होता हो, लेकिन इसके लिए शरीर को तैयार भावनाएं ही करती हैं. कहने का मतलब यह कि सेक्स की गतिविधियां वास्तव में हमारी भावनात्मक गतिविधियां होती हैं. यही वजह है कि हमारी नकारात्मक भावनाओं का हमारे सेक्स संबंधों पर जबरदस्त असर पड़ता है.

क्रोध, तनाव, उदासीनता, अपराधबोध, हीनताबोध ये वो भावनाएं हैं जो अच्छे खासे स्वस्थ इंसान को भी पुरुषत्व से रहित कर देती हैं. वास्तव में ये भावनाएं पुरुषत्व के लिए बहुत खतरनाक होती है. इनमें भी क्रोध का असर सबसे ज्यादा हमारी सेक्सुअल चाहतों और परफोर्मेंस पर पड़ता है. क्रोध पुरुष की यौनेच्छा को जबरदस्त तरीके से प्रभावित करता है. क्रोध  से स्तम्भन शक्ति में जबरदस्त कमी आ जाती है. यही नहीं कई बार क्रोध की इस नकारात्मक भावना का इतना नुकसानदायक असर होता है कि इंसान को दिल से हमेशा हमेशा के लिए सेक्स की इच्छा ही खत्म हो जाती है.

लगातार तनाव में रहने के चलते पुरुष की कामेच्छा ही जाती रहती है. इस तनाव के चलते पुरुष न सिर्फ पत्नी से बल्कि किसी भी महिला से सेक्स करने के नाम पर खीझ उठता है. शुरु में तो इस स्थिति को काबू में किया भी जा सकता है, लेकिन अगर यह स्थिति लगातार कई सालों तक बनी रहे तो हमेशा हमेशा के लिए सेक्स चाहत ही गायब हो जाती है. सेक्स के लिए न सिर्फ भावनात्मक रूप से हमें ख्वाहिशमंद बल्कि सकारात्मकता से भी भरे होना चाहिए.

इसमें महिलाएं पुरुषों की मदद आसानी से कर सकती हैं. क्योंकि स्त्रियों से सकारात्मक भावनात्मक सहयोग मिलने पर पुरुष भावनात्मक रूप से बहुत मजबूत हो जाते हैं. कहने का मतलब यह कि आप गुस्से में, तनाव में, लगातार नाराज रहने की स्थिति में, सेक्स नहीं कर सकते. यह तभी संभव है, जब मन शांत हो, सुकून हो और दिल दिमाग में दूर दूर तक डर, दहशत और नकारात्मकता की भावनाएं न हों.

इसीलिए मशहूर सेक्सुलाॅजिस्ट प्रकाश कोठारी कहते हैं कि कभी भी क्रोध की स्थिति में किसी स्त्री से शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए. अगर सहवास करना है तो मन को शांत रखना चाहिए. फिर चाहे भले आप कितना ही सही क्यों न हों. यदि ऐसा नहीं किया गया तो पहली बार तो संभोग से अचानक अरुचि महसूस होगी, लेकिन अगर आपने मशीनी अंदाज में इस उदासीनता की अनदेखी करके भी सेक्स करना चाहे तो संभव नहीं होगा, उल्टे नकारात्मक भावनाएं ही भर जाएगी. गुस्सा या किसी भी किस्म की नकारात्मक भावना को खत्म करके ही सेक्स करें.

अगर आप गुस्से में हैं और मन में सेक्स की चाहत भी पैदा हो रही है तो रणनीति के तहत गुस्सा शांत करें, खुद को किसी ऐसे काम में व्यस्त करें, जिसमें कुछ ही देर में आप सेक्स को लेकर पैदा होने वाली नकारात्मक भावनाओं को भूल जाएं. इसके लिए कोई किताब लेकर बैठ जाएं या टीवी चालू कर लें या इंटरनेट में अपना कोई पसंदीदा कार्यक्रम देखने लगे.

थोड़ी देर में जब आपका दिमाग कुछ देर पहले की नकारात्मक भावनाओं को भूला देगा तो आपके शरीर में संसर्ग की लहरें भी उठने लगेंगी और इसके लिए शरीर में ताकत भी होगी.

अगर आपकी पार्टनर इस बात को जानती है तो वह आपको आपकी भावनाओं के विपरीत जाकर संसर्ग के लिए तैयार कर सकती है. दरअसल पुरुष का मनोविज्ञान समर्पण चाहता है. पुरुष उस स्थिति में सेक्स के लिए तैयार नहीं हो सकता जब उसका पार्टनर खुद को उससे बेहतर साबित करने की कोशिश कर रहा हो, उससे बहस कर रहा हो या कोई ऐसी बात कर रहा हो, जिससे मन खराब हो रहा हो. इसीलिए कहा जाता है कि सेक्स वर्कर के शरीर में जादू होता है, वह हर किसी को सेक्स के लिए तैयार कर लेती हैं. दरअसल वह इस मनोविज्ञान को अच्छे से जानती हैं कि गुस्से में जल भुन रहा या तनाव में डूब उतरा रहा पुरुष सेक्स नहीं कर सकता.

इसके लिए सुकून और भावनात्मक लगाव चाहिए. जलता भुनता या तनाव में कसमसाता पुरुष समर्पण के आगे बिल्कुल ठंडा हो जाता है और उसके मन की नकारात्मक भावनाएं गायब हो जाती हैं. जाहिर है इस स्थिति में वह सेक्स के लिए अच्छे से तैयार होता है.

क्या आपको पता है, सेक्स के ये हेल्थ बेनिफिट

कश्वी, 27, लॉन्ग-डिस्टेंस रिलेशनशिप में हैं. कश्वी को पुणे में रह रहे अपने बौयफ्रेंड से मिलने का मौका हर वीकऐंड तो नहीं मिलता, लेकिन जब भी वह उससे मिलने पुणे जाती हैं, उसके बाद वाले दिनों में वह खुद को ज्यादा प्रोडक्टिव और खुश पाती हैं. क्या यह उनके साथ बिताए गए अच्छे समय की वजह से होता है? “बिल्कुल यही वजह है,” उसका कहना है,“लेकिन इसकी वजह सेक्स भी है. यह इतना सुकूनदेह है कि मैं बिना किसी ग्लानि के कह सकती हूं कि मुझे इसकी जरूरत है.”

प्लास वन में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि दो सप्ताह तक प्रतिदिन इंटरकोर्स करने पर हिप्पोकैम्पस में सेल का विकास बढ़ जाता है. यह दिमाग का वह हिस्सा है, जो तनाव को नियंत्रण में रखता है. अतः आप जब किसी दोस्त को तनाव में या बौस को चिड़चिड़ा व्यवहार करते हुए देख मजाक में कहती हैं कि इन्हें एक मदभरी रात की जरूरत है तो असल में आप बिल्कुल सही कह रही होती हैं.

कितना सुकूनदेह है

“अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में प्रोफेशनल और निजी समस्याओं का सामना करते-करते चिड़चिड़ापन और थकावट होना लाजमी है,” कहती हैं कश्वी. वे आगे कहती हैं,“मेरा बौयफ्रेंड शौन* और मैं या तो एक-दूसरे पर गुस्सा उतार सकते हैं या फिर सेहतमंद ढंग से इसे निपटा सकते हैं, जो कि हम करते हैं. और इसके बाद मुझे एहसास होता है कि सारी चीजों पर मेरा नियंत्रण है.”

केईएम हौस्पिटल व सेठ गोवर्धनदास सुंदरदास मेडिकल कौलेज, मुंबई के सेक्शुअल डिपार्टमेंट के हेड व चर्चित सेक्सोलौजिस्ट डौक्टर प्रकाश कोठारी के अनुसार, “नियमित रूप से इंटरकोर्स करने से सिस्टॉलिक ब्लड प्रेशर और कौर्टिसोल (वह हार्मोन जो आमतौर पर तनाव बढ़ने पर रिलीज़ होता है) का स्तर कम होता है. जो लोग ज्यादा सेक्स करते हैं वे चुनौतीपूर्ण स्थितियों का सामना करते समय कम तनाव में आते हैं.”

सही तरीके से करना

“सेक्स पुरुष और महिला के लिए अलग-अलग ढंग से काम करता है,” कहते हैं डॉ कोठारी. “अक्सर पुरुष यह समझ ही नहीं पाते कि पार्टनर को तृप्ति मिली भी है या नहीं, वहीं ऐसी महिलाओं की संख्या बहुत ज़्यादा है, जो ऑर्गैज़्म को पहचान ही नहीं पातीं. यह निराशा को जन्म देता है.” वे आगे जोड़ते हैं, “इसे करने का एक सेहतमंद रास्ता यह है कि इंटरकोर्स से पहले, उस वक्त या उसके बाद बातचीत करते रहना. सेक्स या किसी अन्य प्रकार का स्पर्श जैसे चुंबन या दुलार करने से ऑक्सिटोसिन यानी ‘प्यार का हार्मोन’ रिलीज होता है. यही है जो आपको सेक्स के तुरंत बाद लिपटने के लिए उत्सुक करता है,” कहते हैं डॉ कोठारी.

कश्वी और शौन दोनों एक-दूसरे को बताते हैं कि दरअसल, क्या चाहिएः गंदी बातों से लेकर ढेर सारे दुलार तक. “यदि आप फीडबैक दें या स्वीकार नहीं कर सकते तो आपको ऐक्ट के समय बहुत सतर्क रहना होगा,” कहती हैं वे.

रिलैक्स महसूस करें

हालांकि एक तनावभरे दिन के बाद सेक्स के बजाय टीवी देखते हुए या सोते हुए समय बिताना ज्यादा महत्वपूर्ण लग सकता है, पर दरअसल सेक्स आपको ज्यादा सुकून देगा. रात को समय न हो तो सुबह या लंच के समय सेक्स करें, इससे आप अपने दिन को और अच्छी तरह बिता सकती हैं और यहां तक कि आपको रात में गहरी नींद भी आएगी. “जब महिला ऑर्गैज़्म पाती है तो उनका शरीर प्रोलैक्टिन हार्मोन रिलीज़ करता है, जो उन्हें रिलैक्स करता है और नींद लाने में सहायक होता है,” कहते हैं डॉ कोठारी.

लेकिन ऐसे दिनों में जब आप बहुत ही थकी हुई हों तो अपने थके हुए दिमाग और शरीर को आप कैसे मनाएंगी? शौन और कश्वी रिलैक्सिंग रिचुअल्स जैसे एक साथ नहाना या फिर मसाज करते हुए सेक्स की ओर बढ़ने की कोशिश करते हैं.

जब पार्टनर हो शक्की

‘‘इतनी लेट नाइट किस से बात कर रहे थे? मेरा फोन क्या नहीं उठाया? वह तुम्हें देख कर क्यों मुसकराई? मेरी पीठ पीछे कुछ चल रहा है क्या?’’ यदि ऐसे सवालों से आप का रोज सामना होता है तो आप ठीक समझे आप का पार्टनर शक्की है.

यदि आप इन सवालों से थक गए हैं और यह रिश्ता नहीं निभा सकते, पर अपने बौयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड को प्यार भी करते हैं और उसे इस शक की आदत पर छोड़ना भी नहीं चाहते, तो ऐसे शक्की पार्टनर से निबटने के लिए इन टिप्स पर गौर करें:

द्य किसी भी रिश्ते में सब से बुरी चीज शक करना ही हो सकता है. इस से असुरक्षा, झूठ, चीटिंग, गुस्सा, दुख, विश्वासघात सब आ सकता है. रिश्ते की शुरुआत में एकदूसरे को समझने के लिए ज्यादा कोशिश रहती है. एकदूसरे पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. एक बार आप दोनों में बौंडिंग हो गई तो आप जीवन की और महत्त्वपूर्ण बातों की तरफ ध्यान देने लगते हैं. इस का मतलब यह नहीं होता है कि पार्टनर में रुचि कम हो गई है. इस का मतलब है कि अब वह आप की लाइफ का पार्ट है और आप अब उस के साथ कुछ और बातों में, कामों में अपना ध्यान लगा सकते हैं.

द्य इस बदलाव को कभीकभी एक पार्टनर सहजता से नहीं ले पाता और वह अजीबअजीब सवाल पूछने लगता है, जिस से आप की लौयल्टी पर ही प्रश्न खड़ा हो जाता है. उस की बात ध्यान से सुनें उस के दिल में आप के लिए क्या फीलिंग्स है समझें, कई बार अनजाने में न चाहते हुए भी हमारी ही किसी आदत से उस के मन में शक आ जाता है, इसे समझें.

द्य आप ने रिश्ते के शुरुआत के 3-4 महीने अपनी गर्लफ्रैंड पर पूरा ध्यान दिया है. वह आगे भी वही आशा रखती है, जबकि उतना फिर संभव नहीं हो पाता, पर उस में आप की गर्लफ्रैंड की इतनी गलती नहीं है, शुरू के दिनों में भी इतना बढ़ाचढ़ा कर कुछ न करें कि बाद में उतने अटैंशन की कमी खले.

द्य पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम जरूर बिताएं. इस का मतलब यह नहीं कि एक बड़ी खर्चीली डेट ही हो, साथ बैठना, एकदूसरे की पसंद का कोई औनलाइन शो साथ देखना, एकदूसरे की बातें घर पर बैठ कर सुनना भी हो सकता है.

द्य अपने गु्रप में उसे भी शामिल करें और उस का व्यवहार देखें कि वह सब से घुल मिल जाती है या अलगथलग रहती है. उसे महसूस करवाएं कि वह आप की लाइफ और आप के सोशल सर्कल का पार्ट है. उसे अपने फ्रैंड्स से मिलवाएं. उसे समझने का मौका दें कि वे आप के फ्रैंड्स हैं और आप के लिए महत्त्वपूर्ण है. जितना वह आप के फ्रैंड्स को समझेगी उतना कम शक करेगी.

द्य उसे डबल डेट्स पर ले जाएं. अगर आप की लेडी फ्रैंड्स है और वे किसी को डेट कर रही हैं, तो अपनी गर्लफ्रैंड को उन के साथ ले कर जाएं. जिस से उसे अंदाजा होगा कि आप की फ्रैंड्स ही हैं और उन की आप से अच्छी दोस्ती ही है, कोई शक नहीं.

द्य पार्टनर आप पर शक कर के बारबार कोई सवाल पूछती है और आप को गुस्सा आता है तो भी खुद को शांत रख कर जवाब दें, ढंग से बात कर के हर समस्या सुलझाई जा सकती है.

द्य पार्टनर को शक करने की आदत ही है और यह आदत कम नहीं हो रही है, आप ने सबकुछ कर लिया, क्वालिटी टाइम भी बिता लिया. अपनी लाइफ, अपने फ्रैंड्स में भी उसे शामिल कर लिया, बात भी कर ली, पर कुछ भी काम नहीं आ रहा है, पार्टनर बात खत्म करने, समझने को तैयार ही नहीं, इस रिश्ते से आप दोनों को दुख ही पहुंच रहा है तो पार्टनर को ही अब अपनी आदत पर ध्यान देना पड़ेगा. आप हर काम, हर बात पर हर समय सफाई देते नहीं रह सकते. जिसे आप पर विश्वास नहीं, उसे प्यार करना भी मुश्किल ही हो जाता है. अत: उसे क्लियर कर दें कि या तो वह इस रिश्ते में आप पर विश्वास करना सीखें या फिर दोनों अपनी राहें बदल लें.

जानें, इन वजहों से देते हैं आप एक-दूसरे को धोखा!

अमेरिकी लेखिका पेगी वौगैन अपनी किताब दि मोनोगैमी मिथ में अनुमान लगाती हैं कि तकरीबन 60 प्रतिशत पुरुष और 40 प्रतिशत महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन के दौरान कभी-न-कभी अपने साथी को धोखा देते हैं. और अक्सर इसका कारण सेक्स नहीं होता.

बेवफाई रिश्तों में कुछ समय से चली आ रही समस्या का लक्षण है; ऐसे प्रेम-संबंधों की शुरुआत बेवजह या फिर इसलिए नहीं होती कोई व्यक्ति ‘बुरा इंसान’ है. लोग रिश्ते में किसी कमी के चलते बेवफाई करते हैं – स्नेह की कमी, ध्यान की कमी, सेक्स या आदर की कमी या फिर भावनात्मक जुड़ाव की कमी. अत: यदि अब आप कभी किसी को बेवफाई करते पाएं तो ये न सोचें कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि हम वे कारण बता रहे हैं.

वे सुरक्षित नहीं महसूस करते:

यदि आप लगातार किसी बात को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं तो समझिए कि आपका रिश्ता टूटने की कगार पर है. वफादारी के पनपने के लिए जरूरी है कि पति-पत्नी के बीच प्यार और भरोसे का सतत प्रवाह बना रहे. ‘‘वैवाहिक रिश्तों में इन भावनाओं का होना अनमोल है और बहुत जरूरी भी. इससे सुनिश्चित होता है कि पति-पत्नी खुश और संतुष्ट हैं,’’ यह कहना है कोलकाता के साइकियाट्रिस्ट व रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ सिलादित्य रे का.

उनके पास बातचीत के लिए कुछ नहीं है:

जब मेरे पति की और मेरी मुलाक़ात हुई थी, तब हम दोनों हौस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में काम करते थे,’’ यह बताते हुए रिलेशनशिप एग्जेक्यूटिव प्रिया नायर, 29, कहती हैं,‘‘कुछ समय बाद मैंने वह इंडस्ट्री छोड़ दी और जनसंपर्क के क्षेत्र में आ गई. सालभर बाद तो हमारे पास एक-दूसरे से जुड़ने और बातचीत के लिए कोई साझा मुद्दा ही नहीं बचा था. थोड़े समय बाद हम दोनों को कुछ ऐसी गतिविधियों की जरूरत महसूस होने लगी, जिनका आनंद हम साथ-साथ उठा सकें. फिर हमने दौड़ने की अपनी रुचि पर ध्यान देना शुरू किया. हम एक-दूसरे को प्रोत्साहित करते, साथ-साथ मैराथन की तैयारी करते और इस बारे में चर्चा करते. इससे हमारी सेहत में भी सुधार आया और परस्पर रिश्ते में भी.’’

वे नाराज हैं, पर इसे छुपा रहे हैं:

यदि आपके बीच लड़ाई के दौरान अक्सर वे आपको ‘इमोशनल’ और आप उन्हें ‘संवेदनहीन’ कहती हैं तो साफ है कि आप दोनों एक-दूसरे की बात नहीं सुन रहे हैं. ऐसी टिप्पणियों से बचें और आरोप लगाने के बजाय एक-दूसरे से अपने एहसासात बांटें.

डॉ रे सलाह देते हैं,‘‘यदि उनकी किसी बात से आप आहत हो रही हैं तो उन्हें बताएं, पर इसका तरीका सही रखें. नकारात्मक भावनात्मक आवेग को बाहर निकालने का सेहतमंद रास्ता ढूंढ़ें. ये आपके वैवाहिक जीवन के लिए आवश्यक है.’’

उनके संकेतों को नजरअंदाज़ किया जा रहा है:

हर रिश्ते की कुछ सीमाएं होती हैं, जिनका सम्मान करना आप दोनों के लिए ज़रूरी है. आपको शायद ये अच्छा नहीं लगता हो कि आपके पति अब भी अपनी पूर्व-प्रेमिका से बातचीत करते हैं, पर वे इस बारे में आपको अक्सर संकेत देते रहते हैं.

डॉ रे कहते हैं कि इस तरह की सांकेतिक सीमाओं को समझना चाहिए और इनका आदर भी करना चाहिए. यदि आप इन अनकहे नियमों को तोड़ते हैं तो आपका साथी अपनी वफादारी को संदेह की दृष्टि से देखना शुरू कर सकता है और बेवफाई की संभावना बढ़ जाती है.

अपने व्यवहार में खुलापन लाइए. यदि आपको कोई आकर्षक लगता है तो इस बारे में बात कीजिए, क्योंकि यदि आप छिपाएंगी तो आपके इरादों को नेक नहीं कहा जा सकता.

उन्हें सेक्स की जरूरत है:

‘‘यदि आपके सेक्शुअल संबंध सेहतमंद नहीं है तो जाहिर है, आपका साथी यह सुख कहीं और से पाने का प्रयास करेगा,’’ कहना है डा. रे का. अपने सेक्स जीवन पर ध्यान दीजिए और यदि ये आपके, आपके साथी के या फिर आप दोनों के लिए संतुष्टिदायक नहीं है तो इस समस्या का समाधान ढूंढि़ए. इस मामले में मूक दर्शक मत बनिए, बल्कि किसी काउंसलर की मदद लीजिए.

स्किन के लिए भी फायदेमंद है केले से जुड़े ये 5 टिप्स

केला एक ऐसा फल है जो अकसर सभी को पसंद आता है. वजन घटाने से लेकर वजन बढ़ाने तक ये फल काफी हेल्प करता है. पर सेहत के साथ-साथ ये आपकी स्किन के लिए भी काफी फायदेमंद है. ब्रेकफास्ट टेबल पर केले लगभग हर घर में होते हैं. पर क्या केले खाने के बाद आप भी इसका छिलका डस्टबिन में डाल देते हैं?

अगर ऐसा करते है तो अगली बार ये करने से पहले ये जान लें कि स्किन के लिए केला उतने ही फायदेमंद हैं जितना कि कोई भी अच्छा फेशियल. लड़को की स्किन वैसे भी लड़कियों के मुकाबले ज्यादा रफ होती है ऐसे में उनको ज्यादा देखभाल की जरुरत होती है. इसलिए आज हम लेकर आए हैं आपके लिए कुछ ऐसे टिप्स, जिन्हें आजमाकर स्किन में ग्लो आएगा और साथ ही कई तरह की स्किन प्रौबलम्स से भी निजात मिलेगा.

केले के 5 टिप्स

1. छिलके के भीतरी हिस्से को चेहरे और गर्दन पर रगड़ें और लगभग आधे घंटे बाद गुनगुने पानी से धो लें. रेगुलर करने पर इससे झुर्रियां खत्म हो जाएंगी.

2. केले में एंटीऔक्सिडेंट्स पाए जाते हैं जो दाग-धब्बों से छुटकारा दिलाते हैं और त्वचा में चमक लाते हैं. ये एंटी-एजिंग क्रीम से ज्यादा असरदार होते हैं.

3. केले के छिलके से सफेद रेशे को निकालकर एलोवेरा जेल में मिलाएं और आंखों के आसपास लगाएं. ऐसा करने से डार्क सर्कल्स कम होंगे.

4. छिलके का एक छोटा टुकड़ा काट लें और इसे एक्ने प्रोन स्किन पर धीरे-धीरे रगड़ें. 10 मिनट तक ऐसा करें और फिर गुनगुने पानी से चेहरा धो लें.

5. केले के छिलके को मस्से पर लगाने से मस्से दब जाते हैं और नए नहीं निकलते. इसके लिए छिलके की भीतरी परत को त्वचा पर मलें.

तो ये है केले के 5 टिप्स जिसे आप यूज कर अपने चहरे को निखार सकते है.

सेक्स समस्याएं: महिला और पुरुष को झेलनी पड़ती हैं ये परेशानियां

स्वस्थ सेक्स का आपकी जीवनशैली से गहरा रिश्ता होता है. आज के समय में तनाव भरी जीवनशैली के कारण सेक्स समस्याएं बढ़ती जा रही हैं. अगर आप तनाव में हैं तो जाहिर है आप सेक्स का आनंद नही ले सकते और इसका आपके रिश्तों पर भी नकारात्मक असर पड़ने लगता है.

वैसे भारत में सेक्स समस्या बढ़ने की मुख्य वजह है लोगों में सेक्स के प्रति जागरूकता की कमी. लोग डॉक्टर व काउंसलर से सेक्स समस्याओं के बारे में खुल कर बात करने में संकोच करते हैं. महिलाओं और पुरुषों में कुछ सामान्य सेक्स समस्याएं होती हैं जिनसे लोग आमतौर पर ग्रस्त रहते हैं.

-यहां हम आपको बता रहे हैं सेक्स संबंधी 10 समस्याएं.

1. पुरुषों की सेक्स समस्याएं

  • पुरुष के लिंग में उत्तेजना न आना, उत्तेजना आकर शीघ्र ही खत्म हो जाना, उत्तेजना आते ही semen (वीर्य) निकल जाना आदि पुरूषों में आम सेक्स समस्याएं हैं.
  • पुरूषों का स्त्री के सामने आते ही घबरा जाना, semen निकल जाना इत्यादि सेक्स समस्याओं के तहत ही आता है. इस समस्या की वजह से अक़्सर पुरूष स्त्री से दूर-दूर भागने लगते हैं और अपनी बीमारी को छिपाने की कोशिश करते हैं.
  • पुरुष के semen में शुक्राणु होते हैं. ये शुक्राणु ही गर्भ धारण के लिये जिम्मेदार होते हैं. semen में इन शुक्राणुओं की संख्या कम होने से महिला गर्भवति नहीं हो पाती. शुक्राणु की कमी को ओलिगोस्पर्मिया कहते हैं जो पुरूषों में होने वाली एक गंभीर सेक्स समस्या है.
  • कई पुरूषों के semen में शुक्राणुओं ही नहीं होते, इस स्थिति को एज़ूस्पर्मिया कहा जाता है. इस समस्या के होने पर पुरुष संतान पैदा करने योग्य नहीं होते हैं. यह भी पुरूषों के लिए एक गंभीर सेक्स समस्या है.
  • पुरूषों में उम्र के बढ़ने के साथ टेस्टोस्टेरोन नामक हार्मोन का स्तर कम हो जाता है और इसके कारण सेक्स इच्छा में कमी भी हो जाती है.

2. महिलाओं की सेक्स समस्याएं

  • महिलाओं को सबसे अधिक शिकायत यौनेच्छा की कमी होती है. कई महिलाओं की सेक्स करने में बिल्कुल भी रूचि नहीं होती. उनकी सेक्स भावना बिल्कुल खत्म हो चुकी होती है जो कि एक गंभीर सेक्स समस्या है. कई बार ये स्थिति मेनोपोज के बाद आती है लेकिन कई महिलाओं में मेनोपोज से पहले ही सेक्स के प्रति इच्छा ख़त्म हो जाती है.
  • योनि से सफेद, चिपचिपा गाढ़ा स्राव होना आज युवावस्था की महिलाओं के लिए भी आम समस्या हो गई है. सामान्य भाषा में इसे सफेद पानी यानी ल्यूकोरिया कहा जाता है.
  • कई कारणों से महिलाओं को योनि में itching (खुजली) होने लगती है. इसके कई कारण होते हैं जैसे इन्फेक्शन, ठीक से सफाई न होना, रोज़ाना कब्ज रहना. इसके अलवा संभोग करने वाले व्यक्ति के यौनांगों में इन्फेक्शन से भी ये समस्या हो जाती है.
  • कई बार प्यूबिक हेयर्स की ठीक से सफाई न करने से उसमें मौजूद कीटाणु योनि मार्ग में चले जाते हैं जिससे योनि गर्भाशय संबंधी समस्याएं पैदा हो जाती हैं. इसीलिये यौनांगों की ठीक तरह से सफाई बेहद ज़रुरी है.
  • कई बार स्तनों में दर्द होने पर लड़कियां इसे आम बीमारी समझ कर लापरवा‍ही करती हैं लेकिन ये दर्द बढ़कर स्तन कैंसर का रूप भी ले सकता है. इसीलिए किसी भी तरह के बड़े ख़तरे को टालने के लिए जरूरी है डॉक्टर की सही समय पर सलाह लेना.
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