गौरव जिस मकान में रहता था, वह उस के नाना कुंवर सैन का था. इसी मकान में ऊपर की मंजिल पर गौरव के मामा सतीश अपने परिवार के साथ रहते थे. सतीश की गलत हरकतों की वजह से कुंवर सैन ने अपने बेटे सतीश को अपनी प्रौपर्टी से बेदखल कर दिया था. कुंवर सैन अपने नाती गौरव को बहुत चाहते थे. इसलिए गौरव और शिखा को उम्मीद थी कि वह मरने से पहले उन्हें कुछ न कुछ प्रौपर्टी जरूर दे कर जाएंगे.
लेकिन कोरोना महामारी की वजह से लगे लौकडाउन के समय कुंवर सैन का निधन हो गया. इस के बाद जब वसीयत सामने आई तो पता चला कि कुंवर सैन ने गौरव और उस के बच्चों के नाम कोई प्रौपर्टी नहीं छोड़ी. सारी प्रौपर्टी उन्होंने अपनी बेटी रेखा के नाम कर दी थी. यह पता चलते ही शिखा के होश उड़ गए. शिखा की मौसेरी सास रेखा पहले से ही संपन्न थी. वह शिखा के बेटे ध्रूवको बहुत चाहती थीं. रेखा ने पिछले दिनों 18 लाख रुपए की एक प्रौपर्टी बेची थी.
ये भी पढ़ें- नक्कल-असल नक्सलवाद! का मकड़जाल
बन गई एक घिनौनी योजना
शिखा अब अपने स्वार्थ का जाल बुनने में जुट गई कि किस तरह उस के मंसूबे पूरे हों. यह सारी बातें उस ने अपने प्रेमी अशफाक से भी साझा कीं. फिर शिखा ने अपने ही बेटे ध्रूवके अपहरण का प्लान बनाया. इस काम के लिए उस ने प्रेमी अशफाक को भी राजी कर लिया.
शिखा का मानना था कि अगर ध्रूवका अपहरण हो जाएगा तो गौरव की मां और मौसी फिरौती की रकम दे देंगी. फिरौती के जो 30-35 लाख रुपए मिलेंगे, उस से प्रेमी को वह अच्छा बिजनैस शुरू करा देगी. फिर पति को छोड़ कर वह उस के साथ रहने के लिए तेलंगाना चली जाएगी.
पूरी योजना बनाने के बाद अशफाक ने निजामाबाद से 2 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से किराए पर टाटा टिगोर कार ली. तय हुआ कि गाड़ी में तेल अशफाक को डलवाना होगा. अशफाक ड्राइवर इमरान खान के साथ 5 अगस्त को कार ले कर मुरादाबाद के लिए चल दिया.
7 अगस्त को तड़के 3 बजे वह मुरादाबाद के लाइनपार स्थित रामलीला मैदान पहुंच गया. उसी समय उस ने औनलाइन मुरादाबाद के होटल मिलन में एक कमरा बुक करा दिया. मुरादाबाद पहुंचने की जानकारी उस ने शिखा को दे दी थी.
सुबह 4 बजे मौर्निंग वाक के बहाने शिखा अपने प्रेमी से मिलने के लिए निकली. उस के लिए वह चाय और नाश्ते का सामान भी ले आई थी. जब वह अशफाक के पास पहुंची तो उस ने कार के ड्राइवर इमरान को वहां से जाने का इशारा किया.
इमरान रामलीला मैदान की सीढि़यों पर जा कर सो गया. शिखा प्रेमी के साथ कार में बैठ गई. चायनाश्ता लेने के बाद अशफाक ने कार में ही उस के साथ हसरतें पूरी कीं. चलते समय शिखा ने उसे 18 हजार रुपए भी दिए.
प्रेमिका से मिलने के बाद अशफाक ड्राइवर को ले कर होटल मिलन चला गया. वहां दोपहर तक दोनों ने आराम किया. इस बीच उस की शिखा से बातचीत होती रही. फिर योजना के अनुसार, दोपहर करीब एक बजे अशफाक कार ले कर रामलीला मैदान के पास पहुंच गया. योजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए शिखा बेचैन थी.
रोजाना की तरह गौरव उस दिन भी अपनी ड्यूटी पर जा चुका था. दोपहर डेढ़ बजे के करीब जब ध्रूवदुकान से बिस्कुट ले कर लौटा तो शिखा उसे खुद ले कर अशफाक की कार के पास गई. वह उन रास्तों से गई, जहां सीसीटीवी नहीं लगे थे.
शिखा ने बेटे से कह दिया कि अंकल के साथ घूमने चले जाना, यह तुम्हें बहुत सारी चीजें दिलाएंगे. वैसे ध्रूवअशफाक को पहले से जानता था, लेकिन उस ने उस समय मास्क लगा रखा था, इसलिए पहचान नहीं पाया. अपने जिगर के टुकड़े को प्रेमी के हवाले करने के बाद शिखा उन्हीं रास्तों से घर लौट आई, जहां सीसीटीवी नहीं लगे थे.
अशफाक ध्रूवको ले कर होटल में पहुंचा. ध्रूवन रोए, इस के लिए उस ने उसे चौकलेट व अन्य कई तरह की खाने की चीजें दिला दी थीं. शाम के समय उस ने ध्रूवको एक होटल में खाना भी खिलाया.
इस बीच मौका मिलने पर उसने ध्रूवके पिता गौरव को इंटरनेट से काल कर 30 लाख रुपए की फिरौती मांगी.
ध्रूवके अपहरण की सूचना पर घर के सभी लोग परेशान थे. शिखा को तो पहले से ही सब पता था. परंतु वह दिखावा करने के लिए रो रही थी. मुरादाबाद पुलिस ने सक्रिय हो कर इस मामले में तेजी से काररवाई शुरू कर दी थी.
फंस गया अशफाक
अशफाक बच्चे को ले कर रात में ही दिल्ली की तरफ निकल गया था. दिल्ली बौर्डर के नजदीक जब वह कौशांबी पहुंचा तो ध्रूवरोने लगा. तब कार रुकवा कर वह ध्रूवको कोल्डड्रिंक दिलाने ले गया. इस से कार के ड्राइवर इमरान को शक हो गया कि बच्चे का अपहरण किया जा रहा है, इसलिए कार से उतर कर उस ने कार मालिक को तेलंगाना फोन कर इस बारे में बताया.
कार मालिक ने इमरान से कहा कि वह किसी तरह अशफाक को वहीं छोड़ कर अकेला तेलंगाना चला आए. इमरान ने ऐसा ही किया. वह वहां से अकेला ही लौट गया. उसी दौरान अशफाक ने फिर से गौरव को फिरौती की काल की.
जब अशफाक काल कर के आया तो उसे वहां पर न तो कार दिखी और न ही ड्राइवर. काफी तलाश करने के बाद जब अशफाक को कार ड्राइवर नहीं मिला तो उस ने इमरान को फोन किया. उस का फोन स्विच्ड औफ मिलने से अशफाक घबरा गया.
यह जानकारी उस ने शिखा को दी तो उस ने कहा कि पुलिस बहुत तेजी से काररवाई कर रही है, इसलिए वह बच्चे को मुरादाबाद आने वाली किसी बस में बिठा दे. उस की जेब में वह नाम व फोन नंबर लिखी परची भी डाल दे ताकि कोई उसे यहां तक पहुंचा सके.
अशफाक ध्रूवको ले कर कौशांबी बस डिपो पर पहुंचा. वहां ग्रेटर नोएडा डिपो की एक बस नोएडा जाने के लिए तैयार खड़ी थी.
उस ने ध्रूवको उसी बस में कंडक्टर वाली सीट पर बैठा दिया और उस की जेब में नाम और फोन नंबर लिखी परची डाल दी. जब बस वहां से चलने को तैयार हुई और कंडक्टर दीपक सिंह अपनी सीट पर बैठा तो उस ने सवारियों से उस बच्चे के बारे में पूछा. बच्चा रो रहा था.
कंडक्टर ने उस की जेब की तलाशी ली तो जेब में परची मिली. उस परची पर लिखा फोन नंबर मिलाने पर उस की बात बच्चे के पिता गौरव से हुई. तब कंडक्टर को पता चला कि इस बच्चे का एक दिन पहले अपहरण हुआ था. यह जानकारी मिलने के बाद कंडक्टर दीपक सिंह ने ध्रूवको महाराजपुर पुलिस चौकी पहुंचा दिया.
उधर अपहृत ध्रूवको बस में बैठाने के बाद मोहम्मद अशफाक तेलंगाना लौट गया. उसे विश्वास था कि पुलिस उस तक नहीं पहुंच पाएगी, लेकिन उस की सोच गलत साबित हुई और वह प्रेमिका के साथ हवालात पहुंच गया.
आरोपी अशफाक, शिखा और इमरान खान से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से तीनों को जिला जेल भेज दिया गया.
ये भी पढ़ें- डर्टी फिल्मों का चक्रव्यूह
गिरफ्तार होने के बाद भी अशफाक का कहना है कि वह शिखा के बिना नहीं रह सकता. जेल से छूटने के बाद वह उस के साथ ही शादी करेगा, वहीं शिखा ने भी कहा कि वह अशफाक के साथ ही तेलंगाना में रहेगी. गौरव ने बताया कि वह अपने बच्चों को शिखा से दूर रख कर उन की अच्छी तरह देखभाल करेगा.
– कथा पुलिस सूत्रों और पीड़ित परविर से की गई बातचीत पर आधारित