प्रेमी के लिए दांव पर बेटा : भाग 4

गौरव जिस मकान में रहता था, वह उस के नाना कुंवर सैन का था. इसी मकान में ऊपर की मंजिल पर गौरव के मामा सतीश अपने परिवार के साथ रहते थे. सतीश की गलत हरकतों की वजह से कुंवर सैन ने अपने बेटे सतीश को अपनी प्रौपर्टी से बेदखल कर दिया था. कुंवर सैन अपने नाती गौरव को बहुत चाहते थे. इसलिए गौरव और शिखा को उम्मीद थी कि वह मरने से पहले उन्हें कुछ न कुछ प्रौपर्टी जरूर दे कर जाएंगे.

लेकिन कोरोना महामारी की वजह से लगे लौकडाउन के समय कुंवर सैन का निधन हो गया. इस के बाद जब वसीयत सामने आई तो पता चला कि कुंवर सैन ने गौरव और उस के बच्चों के नाम कोई प्रौपर्टी नहीं छोड़ी. सारी प्रौपर्टी उन्होंने अपनी बेटी रेखा के नाम कर दी थी. यह पता चलते ही शिखा के होश उड़ गए. शिखा की मौसेरी सास रेखा पहले से ही संपन्न थी. वह शिखा के बेटे ध्रूवको बहुत चाहती थीं. रेखा ने पिछले दिनों 18 लाख रुपए की एक प्रौपर्टी बेची थी.

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बन गई एक घिनौनी योजना

शिखा अब अपने स्वार्थ का जाल बुनने में जुट गई कि किस तरह उस के मंसूबे पूरे हों. यह सारी बातें उस ने अपने प्रेमी अशफाक से भी साझा कीं. फिर शिखा ने अपने ही बेटे ध्रूवके अपहरण का प्लान बनाया. इस काम के लिए उस ने प्रेमी अशफाक को भी राजी कर लिया.

शिखा का मानना था कि अगर ध्रूवका अपहरण हो जाएगा तो गौरव की मां और मौसी फिरौती की रकम दे देंगी. फिरौती के जो 30-35 लाख रुपए मिलेंगे, उस से प्रेमी को वह अच्छा बिजनैस शुरू करा देगी. फिर पति को छोड़ कर वह उस के साथ रहने के लिए तेलंगाना चली जाएगी.

पूरी योजना बनाने के बाद अशफाक ने निजामाबाद से 2 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से किराए पर टाटा टिगोर कार ली. तय हुआ कि गाड़ी में तेल अशफाक को डलवाना होगा. अशफाक ड्राइवर इमरान खान के साथ 5 अगस्त को कार ले कर मुरादाबाद के लिए चल दिया.

7 अगस्त को तड़के 3 बजे वह मुरादाबाद के लाइनपार स्थित रामलीला मैदान पहुंच गया. उसी समय उस ने औनलाइन मुरादाबाद के होटल मिलन में एक कमरा बुक करा दिया. मुरादाबाद पहुंचने की जानकारी उस ने शिखा को दे दी थी.

सुबह 4 बजे मौर्निंग वाक के बहाने शिखा अपने प्रेमी से मिलने के लिए निकली. उस के लिए वह चाय और नाश्ते का सामान भी ले आई थी. जब वह अशफाक के पास पहुंची तो उस ने कार के ड्राइवर इमरान को वहां से जाने का इशारा किया.

इमरान रामलीला मैदान की सीढि़यों पर जा कर सो गया. शिखा प्रेमी के साथ कार में बैठ गई. चायनाश्ता लेने के बाद अशफाक ने कार में ही उस के साथ हसरतें पूरी कीं. चलते समय शिखा ने उसे 18 हजार रुपए भी दिए.

प्रेमिका से मिलने के बाद अशफाक ड्राइवर को ले कर होटल मिलन चला गया. वहां दोपहर तक दोनों ने आराम किया. इस बीच उस की शिखा से बातचीत होती रही. फिर योजना के अनुसार, दोपहर करीब एक बजे अशफाक कार ले कर रामलीला मैदान के पास पहुंच गया. योजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए शिखा बेचैन थी.

रोजाना की तरह गौरव उस दिन भी अपनी ड्यूटी पर जा चुका था. दोपहर डेढ़ बजे के करीब जब ध्रूवदुकान से बिस्कुट ले कर लौटा तो शिखा उसे खुद ले कर अशफाक की कार के पास गई. वह उन रास्तों से गई, जहां सीसीटीवी नहीं लगे थे.

शिखा ने बेटे से कह दिया कि अंकल के साथ घूमने चले जाना, यह तुम्हें बहुत सारी चीजें दिलाएंगे. वैसे ध्रूवअशफाक को पहले से जानता था, लेकिन उस ने उस समय मास्क लगा रखा था, इसलिए पहचान नहीं पाया. अपने जिगर के टुकड़े को प्रेमी के हवाले करने के बाद शिखा उन्हीं रास्तों से घर लौट आई, जहां सीसीटीवी नहीं लगे थे.

अशफाक ध्रूवको ले कर होटल में पहुंचा. ध्रूवन रोए, इस के लिए उस ने उसे चौकलेट व अन्य कई तरह की खाने की चीजें दिला दी थीं. शाम के समय उस ने ध्रूवको एक होटल में खाना भी खिलाया.

इस बीच मौका मिलने पर उसने ध्रूवके पिता गौरव को इंटरनेट से काल कर 30 लाख रुपए की फिरौती मांगी.

ध्रूवके अपहरण की सूचना पर घर के सभी लोग परेशान थे. शिखा को तो पहले से ही सब पता था. परंतु वह दिखावा करने के लिए रो रही थी. मुरादाबाद पुलिस ने सक्रिय हो कर इस मामले में तेजी से काररवाई शुरू कर दी थी.

फंस गया अशफाक

अशफाक बच्चे को ले कर रात में ही दिल्ली की तरफ निकल गया था. दिल्ली बौर्डर के नजदीक जब वह कौशांबी पहुंचा तो ध्रूवरोने लगा. तब कार रुकवा कर वह ध्रूवको कोल्डड्रिंक दिलाने ले गया. इस से कार के ड्राइवर इमरान को शक हो गया कि बच्चे का अपहरण किया जा रहा है, इसलिए कार से उतर कर उस ने कार मालिक को तेलंगाना फोन कर इस बारे में बताया.

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कार मालिक ने इमरान से कहा कि वह किसी तरह अशफाक को वहीं छोड़ कर अकेला तेलंगाना चला आए. इमरान ने ऐसा ही किया. वह वहां से अकेला ही लौट गया. उसी दौरान अशफाक ने फिर से गौरव को फिरौती की काल की.

जब अशफाक काल कर के आया तो उसे वहां पर न तो कार दिखी और न ही ड्राइवर. काफी तलाश करने के बाद जब अशफाक को कार ड्राइवर नहीं मिला तो उस ने इमरान को फोन किया. उस का फोन स्विच्ड औफ मिलने से अशफाक घबरा गया.

यह जानकारी उस ने शिखा को दी तो उस ने कहा कि पुलिस बहुत तेजी से काररवाई कर रही है, इसलिए वह बच्चे को मुरादाबाद आने वाली किसी बस में बिठा दे. उस की जेब में वह नाम व फोन नंबर लिखी परची भी डाल दे ताकि कोई उसे यहां तक पहुंचा सके.

अशफाक ध्रूवको ले कर कौशांबी बस डिपो पर पहुंचा. वहां ग्रेटर नोएडा डिपो की एक बस नोएडा जाने के लिए तैयार खड़ी थी.

उस ने ध्रूवको उसी बस में कंडक्टर वाली सीट पर बैठा दिया और उस की जेब में नाम और फोन नंबर लिखी परची डाल दी. जब बस वहां से चलने को तैयार हुई और कंडक्टर दीपक सिंह अपनी सीट पर बैठा तो उस ने सवारियों से उस बच्चे के बारे में पूछा. बच्चा रो रहा था.

कंडक्टर ने उस की जेब की तलाशी ली तो जेब में परची मिली. उस परची पर लिखा फोन नंबर मिलाने पर उस की बात बच्चे के पिता गौरव से हुई. तब कंडक्टर को पता चला कि इस बच्चे का एक दिन पहले अपहरण हुआ था. यह जानकारी मिलने के बाद कंडक्टर दीपक सिंह ने ध्रूवको महाराजपुर पुलिस चौकी पहुंचा दिया.

उधर अपहृत ध्रूवको बस में बैठाने के बाद मोहम्मद अशफाक तेलंगाना लौट गया. उसे विश्वास था कि पुलिस उस तक नहीं पहुंच पाएगी, लेकिन उस की सोच गलत साबित हुई और वह प्रेमिका के साथ हवालात पहुंच गया.

आरोपी अशफाक, शिखा और इमरान खान से विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से तीनों को जिला जेल भेज दिया गया.

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गिरफ्तार होने के बाद भी अशफाक का कहना है कि वह शिखा के बिना नहीं रह सकता. जेल से छूटने के बाद वह उस के साथ ही शादी करेगा, वहीं शिखा ने भी कहा कि वह अशफाक के साथ ही तेलंगाना में रहेगी. गौरव ने बताया कि वह अपने बच्चों को शिखा से दूर रख कर उन की अच्छी तरह देखभाल करेगा.

कथा पुलिस सूत्रों और पीड़ित परविर से की गई बातचीत पर आधारित

प्रेमी के लिए दांव पर बेटा : भाग 3

आरोपी अशफाक और इमरान को निजामाबाद की कोर्ट से ट्रांजिट रिमांड पर ले कर पुलिस टीम तेलंगाना से मुरादाबाद के लिए रवाना हो गई. 18 अगस्त को दोनों आरोपियों को स्थानीय कोर्ट में पेश करने के बाद एसएसपी के पास ले जाया गया. वहां शिखा पहले से मौजूद थी.

मोहम्मद अशफाक को अपने सामने देख कर वह सकपका गई. तीनों आरोपी एकदूसरे के सामने थे, इसलिए अब झूठ बोलने का तो सवाल ही नहीं था.

कोई सोच भी नहीं सकता था

पुलिस टीम ने उन से पूछताछ की तो एक ऐसी मां की प्रेमकहानी और साजिश सामने आई, जिस ने अपने प्यार और पैसे की खातिर खुद प्रेमी के हाथों अपने एकलौते बेटे का अपहरण कराया. इतना ही नहीं, उस मां ने प्रेमी के साथ मिल कर इस से आगे की कहानी का जो तानाबाना बुना था, वह ऐसा था कि पुलिस भी गच्चा खा जाए.

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गौरव और शिखा की शादी 2011 में हुई थी. गौरव एक फाइनैंस कंपनी में कलेक्शन एजेंट था. वहां से उसे जो वेतन मिलता था, उस से उस की घरगृहस्थी ठीकठाक चल रही थी. समय अपनी गति से गुजरता रहा और शिखा 2 बच्चों की मां बन गई. उस की बेटी 8 साल की है और बेटा ध्रूव5 साल का.

गौरव सोशल साइट्स पर भी सक्रिय रहता था. कई साल पहले फेसबुक पर उस की दोस्ती निशा परवीन से हुई थी. उस से वह खूब चैटिंग करता था. दोनों की यह दोस्ती इतनी बढ़ी कि जब तक दोनों चैटिंग नहीं कर लेते थे, उन्हें चैन नहीं मिलता था.

पति के अकसर फोन पर व्यस्त रहने के बारे में एक दिन शिखा ने पूछा तो गौरव ने उसे सब कुछ बता दिया कि वह तेलंगाना की रहने वाली निशा परवीन नाम की दोस्त से फेसबुक पर चैटिंग करता है. पति की इस साफगोई से शिखा प्रभावित हुई. गौरव ने निशा परवीन को भी अपनी बीवी के बारे में सब कुछ बता दिया. तब शिखा ने भी निशा से चैटिंग शुरू कर की.

शिखा को निशा परवीन की बातें और विचार अच्छे लगे. लिहाजा गौरव के ड्यूटी पर चले जाने के बाद शिखा अपने फोन द्वारा निशा परवीन से चैटिंग करती थी. शिखा ने अपनी फेसबुक आईडी रानी के नाम से बनाई थी. इस तरह शिखा और निशा भी गहरी दोस्त बन गईं.

एक दिन निशा परवीन ने शिखा को अपने बारे में जो कुछ बताया, उसे सुन कर शिखा हैरान रह गई. उस ने बताया कि वह कोई लड़की नहीं बल्कि लड़का है और उस का असली नाम मोहम्मद अशफाक है. उस ने केवल लड़की के नाम से फेसबुक आईडी बनाई है. यह सुन कर शिखा और ज्यादा खुश हुई क्योंकि वह एक युवक था. विपरीत लिंगी के साथ वैसे भी आकर्षण बढ़ जाता है.

इस के बाद उन दोनों ने एकदूसरे को अपने फोन नंबर दे दिए. शिखा ने मोहम्मद अशफाक का नंबर मौसी के नाम से अपने फोन में सेव कर लिया था. अशफाक बहुत बातूनी था, शिखा को उस की बातें बहुत अच्छी लगती थीं. धीरेधीरे उन की बातों का दायरा बढ़ता गया और वे एकदूसरे को चाहने लगे. फोन पर उन्होंने अपनी चाहत का इजहार भी कर दिया था.

दोनों के दिलों में प्यार का अंकुर फूटा और धीरेधीरे बड़ा होने लगा. शादीशुदा और 2 बच्चों की मां शिखा को 11 सौ किलोमीटर दूर तेलंगाना में बैठा अशफाक अपने पति से ज्यादा प्यारा लगने लगा था.

दूर बैठे बातें करने के बजाए उस का मन करता कि या तो वह उस के पास पहुंच जाए या फिर उस का प्रेमी उड़ कर उस के पास आ जाए, जिस से वह उस से रूबरू हो सके.

दूर बैठे दोनों प्रेमी तड़प रहे थे. ऐसी तड़प में प्यार और ज्यादा मजबूत होता है. यही हाल शिखा और अशफाक का था. शिखा अपने प्रेमी से मिलने के उपाय खोजने लगी. करीब एक साल पहले शिखा ने इस की तरकीब खोज निकाली. उस ने अशफाक को फोन कर के मेरठ आने को कहा और वहां होटल में मिलना तय कर लिया.

फिर एक दिन शिखा मौसी के घर जाने के बहाने मेरठ चली गई. योजना के अनुसार, अशफाक तेलंगाना से मेरठ पहुंच गया. वहीं पर दोनों एक होटल में ठहरे. पहली मुलाकात में वे एक दूसरे से बहुत प्रभावित हुए. करीब एक साल से उन के दिलों में प्यार की जो अग्नि भभक रही थी, दोनों ने उसे शांत किया. शिखा को अशफाक पहली मुलाकात में ही इतना भा गया था कि उस के लिए पति तक को छोड़ने को तैयार हो गई.

अशफाक ने उसे अपने बारे में बताया कि वह अविवाहित है और आईटीआई करने के बाद एक इलैक्ट्रौनिक्स कंपनी में बतौर मोटर वाइंडर काम करता है. इस काम को छोड़ कर वह अपना एक जिम खोलेगा. शिखा ने भी कह दिया कि वह उस के लिए अपना सब कुछ छोड़ने को तैयार है.

बातोंबातों में हो गई प्रेमी की

एक रात होटल में बिताने के बाद अशफाक अपने घर लौट गया और शिखा मौसी के यहां चली गई. 2-4 दिन बाद शिखा मौसी के घर से मुरादाबाद लौट आई. घर लौटने के बाद उस के जेहन में प्रेमी का प्यार छाया रहा. वह अपनी घरगृहस्थी में लगी जरूर रही लेकिन उस का मन प्रेमी के पास ही रहता था.

गौरव को इस बात की भनक तक नहीं लगी कि उस की ब्याहता तन और मन से अब किसी और की हो चुकी है. उस ने अशफाक का फोन नंबर मौसी के नाम से सेव कर रखा था, इसलिए वह गौरव के सामने भी उस से बात करती रहती थी.

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कुछ महीनों बाद शिखा की बेताबी बढ़ने लगी तो उस ने अशफाक को तेलंगाना से मुरादाबाद बुला लिया. उस ने शिखा के घर के नजदीक ही किराए पर एक कमरा ले लिया. कमरा लेते वक्त उस ने अपना नाम मयंक बताया था. प्रेमी के नजदीक रहने पर शिखा को बड़ी खुशी हुई.

पति के ड्यूटी पर चले जाने के बाद वह फोन कर के प्रेमी को अपने घर बुला लेती फिर दोनों हसरतें पूरी करते. बाद में अशफाक गौरव के सामने भी उस के घर आने लगा. शिखा ने उस का परिचय अपने मौसेरे भाई मयंक के रूप में कराया था.

अशफाक उर्फ मयंक एक तरह से शिखा के घर का सदस्य बन गया. वह उस के बच्चों को स्कूल भी छोड़ कर आता और छुट्टी होने पर लाता भी. एक बार शिखा की सास सुधा की तबीयत खराब हो गई. उस समय गौरव अपनी ड्यूटी पर था तो अशफाक ही सुधा को अस्पताल ले गया था.

एक बार शिखा रिश्तेदार के यहां जाने के बहाने घर से निकली और प्रेमी के साथ रामनगर घूमने चली गई. वहां एक रात वे होटल में ठहरे. वहां से दोनों एक दिन बाद वापस लौटे.

अशफाक को मुरादाबाद में रहते हुए करीब 15 दिन बीत गए थे. हालांकि उस का खर्चा शिखा ही उठा रही थी लेकिन अशफाक को अपनी नौकरी भी करनी थी, इसलिए वह तेलंगाना लौट गया. प्रेमी के चले जाने के बाद शिखा फिर से बेचैन रहने लगी.

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जानें आगे की कहानी अगले भाग में…

प्रेमी के लिए दांव पर बेटा : भाग 2

विवाद की वजह पता लग जाने के बाद एसपी (सिटी) को भी सतीश पर ही शक हुआ, इसलिए उन्होंने सतीश, उस की पत्नी और बेटे को पूछताछ के लिए थाने बुला लिया. पुलिस टीम ने उन तीनों से ध्रुव के बारे में कई तरह से पूछताछ की. लेकिन वे तीनों खुद को बेकुसूर बताते रहे.

उधर पुलिस ने गौरव से कह दिया था कि जब भी अपहर्त्ताओं का फोन आए तो वह उन से प्यार से बात करें. इस के बाद गौरव रात में भी अपहर्त्ताओं के फोन काल का इंतजार करता रहा. रात डेढ़ बजे अपहर्त्ता ने गौरव के फोन पर काल कर के पूछा कि पैसों का इंतजाम हुआ या नहीं. गौरव ने कह दिया कि वह इंतजाम कर रहा है. इस के बाद फोन कट गया. गौरव ने यह जानकारी पुलिस को दे दी.

शिखा बारबार इस बात पर ही जोर देती रही कि उस के बेटे के अपहरण के पीछे सतीश मामा का हाथ है. पुलिस रात भर सतीश व उस के बेटे से पूछताछ करती रही, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

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पुलिस ने गौरव और उस की पत्नी शिखा के फोन को सर्विलांस पर लगा रखा था. एसएसपी सारी जानकारी से आईजी रमित शर्मा को बराबर अवगत करा रहे थे.

8 अगस्त को सुबह गौरव के मोबाइल पर अपहर्त्ता ने फोन कर के कहा, ‘‘कल पैसों का इंतजाम कर लो. जैसे ही पैसे मिलेंगे, ध्रूवको बस में बिठा कर भेज देंगे.’’

इस बार भी काल इंटरनेट से की गई थी. जिस ऐप से काल की गई थी, वह एक चीनी ऐप था. इस संबंध में प्रदेश स्तर के पुलिस अधिकारी ने चीनी कंपनी से उस ईमेल आईडी की जानकारी मांगी जो उस ऐप को इंस्टाल करते समय उपभोक्ता को देनी होती है. यह जानकारी मिलने पर पुलिस अपहर्त्ता तक पहुंचने का रास्ता तैयार कर सकती थी.

अपहर्त्ताओं तक पहुंचने के अलावा पुलिस की प्राथमिता ध्रूवको सकुशल बरामद करने की भी थी. इस काम में 300 पुलिसकर्मी अलगअलग तरीके से जांच कार्य में जुटे थे.

8 अगस्त को ही सुबह करीब 9 बजे गौरव के मोबाइल पर ऐसी काल आई, जिस ने गौरव  की हताशा में आशा का दीप जला दिया. फोन करने वाले ने कहा, ‘‘भाई, मैं बस का कंडक्टर दीपक सिंह बोल रहा हूं. बस चलने वाली है और आप का बेटा ध्रूवबस में बैठा रो रहा है. आप जल्दी आ जाइए.’’

यह सुन कर गौरव चौंकते हुए बोला, ‘‘भाईसाहब, मैं तो मुरादाबाद में हूं. आप मेरे बेटे से वीडियो काल कराइए.’’

ड्राइवर कंडक्टर की समझदारी

कंडक्टर ने गौरव को वीडियो काल कर के बस की सीट पर बैठे ध्रूवको दिखाया. ध्रूवने गौरव को बताया कि एक अंकल उसे बस में बिठा कर कहीं चले गए. ध्रूवको सकुशल देख कर गौरव की आंखों में आंसू छलक आए. गौरव ने कंडक्टर को बताया कि 7 अगस्त को ध्रूवका किसी ने अपहरण कर 30 लाख रुपए की फिरौती मांगी थी.

यह जानकारी मिलने के बाद कंडक्टर ने ध्रूवको अपनी सुरक्षा में ले लिया. वह बस गाजियाबाद के कौशांबी से मुरादाबाद जाने वाली थी. बस में उस समय 18 सवारियां बैठी थीं. मामला बहुत ही संवेदनशील था, इसलिए कंडक्टर दीपक सिंह और ड्राइवर विकल भाटी बस को करीब 100 मीटर दूर महाराजपुर पुलिस चौकी ले गए.

यह पुलिस चौकी गाजियाबाद के लिंक थाना के अंतर्गत आती है. उन्होंने ध्रूवको पुलिस को सौंपते हुए उस के अपहरण होने की जानकारी दे दी. अपहर्त्ता ध्रूवकी जेब में एक परची रख गए थे, जिस पर ध्रूवलिखा था. साथ ही 2 फोन नंबर भी लिखे थे. उन में से पहले फोन नंबर पर बस कंडक्टर ने बात की तो वह ध्रूवके पिता गौरव का निकला.

एसएसपी प्रभाकर चौधरी को अपहृत ध्रूवके सकुशल बरामद होने की जानकारी मिल गई थी. उन्होंने बच्चे को लाने के लिए एक पुलिस टीम गाजियाबाद रवाना कर दी. इस के अलावा कौशांबी डिपो की जिस बस संख्या यूपी78 एफएन4762 को चालक विकल भाटी और परिचालक दीपक सिंह मुरादाबाद ला रहे थे, वह बस उन्होंने मुरादाबाद के थाना पाकबड़ा के बाहर ही रुकवा ली.

एनएच-24 पर स्थित थाना पाकबड़ा में बस के कंडक्टर और ड्राइवर से विस्तार से पूछताछ की गई. दोनों कर्मचारियों ने पुलिस को सारी बात बता दी.

बस में बैठी सवारियों ने पुलिस को बताया कि मास्क बांधे एक युवक बच्चे को बस में बिठा कर गया था.

उधर मुरादाबाद से गाजियाबाद गई पुलिस टीम ध्रूवको सकुशल वहां से ले आई. अपने लाडले को देख कर शिखा खुशी से उछल पड़ी. एसएसपी ने 8 अगस्त को ही एक प्रैस कौन्फ्रैंस कर बताया कि उन्होंने बच्चे की बरामदगी के लिए चारों तरफ पुलिसकर्मी तैनात कर दिए थे. पुलिस का बढ़ता दबाव देख कर अपहर्त्ता ध्रूवको बस में बिठा कर फरार हो गए. यह पुलिस की बड़ी उपलब्धि थी.

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ध्रूवउस समय सहमा हुआ था. जब उस से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि एक लंबे से अंकल मुझे मोटरसाइकिल पर बिठा कर ले गए थे.

इस के बाद वह एक कार से एक होटल में ले गए. वहां उन्होंने खाना खिलाया फिर कार से बहुत दूर ले गए.

अपहर्त्ता की पहचान के लिए मुरादाबाद पुलिस ने कौशांबी बस डिपो में लगे सीसीटीवी की फुटेज देखी लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. सारी औपचारिकताएं पूरी कर के पुलिस ने ध्रूवको उस के मांबाप के हवाले कर दिया. बेटे के सहीसलामत मिलने पर गौरव के घर में त्यौहार जैसा माहौल था. गौरव और शिखा ने इस खुशी में मोहल्ले में हलवापूरी बंटवाई.

बच्चे के बरामद होने के बाद पुलिस का अगला मकसद अपहर्त्ताओं तक पहुंचना था. इस के लिए एक ही जरिया था, इंटरनेट काल का 13 अंकों का वह नंबर, जिस से फिरौती की काल की गई थी. आईजी रमित शर्मा ने इस बारे में डीजीपी हितेश अवस्थी से बात की. डीजीपी ने संबंधित कंपनियों से इस संबंध में संपर्क किया.

इधर सर्विलांस टीम अपने काम में जुटी हुई थी. टीम ऐसे फोन नंबरों की जांच में जुट गई जो 7 अगस्त को मुरादाबाद के लाइन पार क्षेत्र में स्थित मोबाइल टावर के संपर्क में आए थे. ये नंबर हजारों की संख्या में थे. इसे डंप डाटा कहा जाता है. पुलिस ने इस डंप डाटा की जांच की. कई दिनों की जांच के बाद कई फोन नंबर पुलिस टीम की रडार पर चढ़ गए. उन फोन नंबरों को सर्विलांस टीम ने फिल्टर किया तो एक फोन नंबर 9100263333 शक के दायरे में आ गया.

जांच में पता चला कि यह फोन नंबर मोहम्मद अशफाक पुत्र मोहम्मद उस्मान, गांव जलालपुर, थाना वर्नी, जिला निजामाबाद, तेलंगाना के नाम पर लिया गया था. एसएसपी ने एक पुलिस टीम तेलंगाना रवाना कर दी. टीम ने थाना वर्नी पुलिस के सहयोग से मोहम्मद अशफाक के घर दबिश दी तो अशफाक घर पर ही मिल गया.

थाना वर्नी में पुलिस ने अशफाक से सख्ती के साथ पूछताछ की तो उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही ध्रूवका अपहरण किया था. लेकिन उस ने यह काम अपनी प्रेमिका और ध्रूवकी मम्मी शिखा के कहने पर किया था.

यह सुन कर पुलिस चौंकी. यह सवाल छोटा नहीं था कि क्या एक मां खुद अपने एकलौते बेटे का अपहरण करा सकती है. अशफाक ने यह भी बताया कि बच्चे का अपहरण करने के लिए वह निजामाबाद से ही टाटा टिगोर गाड़ी नंबर एमएच26बीसी 4145 किराए पर ले कर मुरादाबाद गया था. गाड़ी को यहीं का ड्राइवर इमरान खान चला कर ले गया था. पुलिस टीम ने अशफाक की निशानदेही पर ड्राइवर इमरान खान को भी हिरासत में ले लिया और टाटा टिगोर गाड़ी भी बरामद कर ली.

अब केस पूरी तरह खुल चुका था. चूंकि इस मामले में अपहृत हुए बच्चे की मां शिखा के भी शामिल होने की बात सामने आ चुकी थी, इसलिए तेलंगाना में मौजूद मुरादाबाद पुलिस ने यह बात मुरादाबाद के कप्तान प्रभाकर चौधरी को बता दी. उन्होंने एसपी (सिटी) को शिखा को हिरासत में लेने के निर्देश दिए ताकि वह फरार न हो सके.

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जानें आगे की कहानी अगले भाग में…

प्रेमी के लिए दांव पर बेटा : भाग 1

5 वर्षीय ध्रूव बहुत शरारती था, शरारती के साथ जिद्दी भी. वजह यह कि घर में एकलौता बेटा  था, सभी का दुलारा, घर के लोग उस की शरारतों को नजरअंदाज कर देते थे.

ध्रूवमुरादाबाद शहर के लाइनपार क्षेत्र में रहने वाले गौरव कुमार का बेटा था. उस के अलावा गौरव की 8 वर्ष की एक बेटी थी सादगी.

7 अगस्त, 2020 की बात है. ध्रुव अपनी पसंद के बिस्कुट खाने की जिद कर रहा था. उस की मां शिखा ने उसे पैसे देते हुए घर के पास की दुकान से बिस्कुट लेने भेज दिया. उस वक्त दोपहर का डेढ़ बजने को था. बिस्कुट ला कर खाने के कुछ देर बाद ध्रुव घर से बाहर खेलने चला गया.

ध्रूवको घर से निकले काफी देर हो गई, लेकिन वह घर नहीं लौटा. मां शिखा को चिंता हुई तो वह उसे ढूंढने निकल पड़ी. शिखा ने ध्रूवको इधरउधर ढूंढा लेकिन वह कहीं नहीं दिखा तो शिखा परेशान हो कर घर लौट आई. उस ने यह बात अपनी सास सुधा को बताई. पोते के न मिलने से सुधा चिंतित हुई. फिर सासबहू दोनों ध्रूवको ढूंढने निकल गईं.

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दोनों कुछ दूर स्थित रामलीला मैदान में भी गईं. वहां मोहल्ले के बच्चे खेल रहे थे. उन्होंने बच्चों से ध्रूवके बारे में पूछा, लेकिन कोई भी उस के बारे में नहीं बता पाया. इधरउधर तलाशने के बाद भी जब उन का लाडला नहीं मिला तो दोनों उदास मन से घर लौट आईं. कुछ देर पहले ध्रूवखेलने गया था, ऐसे कहां गायब हो गया, यही सोचसोच कर सास बहू परेशान हो रही थीं.

सुधा का पति गौरव एक फाइनैंस कंपनी में नौकरी करता था. उस समय वह अपनी ड्यूटी पर था. शिखा ने बेटे के गायब होने की सूचना गौरव को दी तो वह कुछ ही देर में घर पहुंच गया. शिखा ने पति को बेटे के गायब होने की बात विस्तार से बताई.

हालांकि गौरव की पत्नी और मां ध्रूवको पहले ही सब जगह ढूंढ चुकी थीं, इस के बावजूद गौरव का मन नहीं माना. वह बाइक ले कर बेटे को ढूंढने के लिए निकल गया.

उस ने सभी संभावित जगहों पर बेटे को ढूंढा, लेकिन कुछ पता नहीं लगा. गौरव के दोस्तों ने भी ध्रूवको लाइन पार के नाले के किनारे जा कर देखा कि कहीं खेलतेखेलते नाले में न गिर गया हो, पर वहां भी कुछ दिखाई नहीं दिया .

ध्रूवके गायब होने की खबर मिलने पर मोहल्ले वाले गौरव के घर पर एकत्र होने लगे. सभी आश्चर्य में थे कि आखिर 5 साल का बच्चा कहां चला गया. लोग तरहतरह के कयास लगा रहे थे.

बेटे की चिंता में शिखा की आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. गौरव की समझ में भी नहीं आ रहा था कि वह बेटे को अब कहां तलाश करे.

शाम के 4 बजे थे. गौरव अपने घर वालों के साथ घर में बैठा हुआ था. तभी उस के मोबाइल पर एक अनजान नंबर से काल आई. गौरव ने जैसे ही काल रिसीव की, तभी दूसरी ओर से आवाज आई, ‘‘तुम्हारा बेटा ध्रूवअब हमारे कब्जे में है. अगर उसे जिंदा चाहते हो तो 30 लाख रुपए का इंतजाम कर लो वरना उस की लाश भी नहीं मिल पाएगी.’’

‘‘नहीं, आप मेरे बेटे को कुछ नहीं करना, जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूंगा.’’ गौरव गिड़गिड़ाते हुए बोला.

‘‘ठीक है, तुम पैसों का इंतजाम कर लो. मैं बाद में फोन करूंगा. और हां, एक बात भेजे में डाल लो, पुलिस के पास जाने की कोशिश भी की तो नुकसान तुम्हारा ही होगा.’’ कहने के बाद अपहर्त्ता ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

30 लाख रुपए नहीं थे गौरव के पास

गौरव समझ चुका था कि उस के बेटे का किसी ने अपहरण कर लिया है और अपहर्त्ता 30 लाख रुपए की फिरौती मांग रहा है. गौरव ने अपहर्त्ता से कह तो दिया था कि वह सब करने को तैयार है लेकिन समस्या यह थी कि 30 लाख रुपए का इंतजाम कहां से करे. ध्रूवके अपहरण की बात सुन कर घर के सभी लोगों की चिंताएं बढ़ गई थीं.

चूंकि स्थिति गंभीर थी, इसलिए रिश्तेदारों और मोहल्ले वालों ने गौरव को सलाह दी कि यह जानकारी पुलिस को देना जरूरी है. वही मदद कर सकती है.

गौरव को भी यह सलाह सही लगी और वह पत्नी शिखा और 2-3 लोगों के साथ एसएसपी प्रभाकर चौधरी के निवास पर पहुंच गया. उस ने चौधरी को बेटे के रहस्यमय तरीके से गायब होने और 30 लाख की फिरौती मांगे जाने की बात बता दी.

जिस फोन नंबर से गौरव के पास फिरौती की काल आई थी, एसएसपी ने उस के फोन में वह नंबर देखा तो आश्चर्यचकित रह गए क्योंकि वह नंबर 13 अंकों का था. यानी वह काल किसी सिमकार्ड से नहीं बल्कि इंटरनेट से की गई थी. इस से वह समझ गए कि अपहर्त्ता बेहद शातिर है.

उन्होंने अपहरण के इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उसी समय एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद को अपने पास बुला कर इस मामले में त्वरित काररवाई करने को कहा. पुलिस कप्तान के निर्देश पर थाना मझोला के थानाप्रभारी राकेश कुमार सिंह ने अज्ञात के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज कर लिया.्र

केस को सुलझाने के लिए एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद के निर्देशन में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में एएसपी कुलदीप सिंह गुलावत, थानाप्रभारी (मझोला) राकेश कुमार सिंह, एसओजी प्रभारी इंसपेक्टर सत्येंद्र सिंह, एसआई राजेंद्र सिंह, पंकज कुमार, मोहित, कांस्टेबल अंकुल, आलोक त्यागी आदि को शामिल किया गया.

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पुलिस टीम ने गौरव कुमार और उस के घर वालों से पूछताछ करने के बाद जांच शुरू कर दी. गौरव के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की गई. एक फुटेज में ध्रूवपास ही स्थित दुकान तक जाता दिखा और वहां से बिस्कुट का पैकेट लाते हुए भी दिखाई दिया.

इस के बाद जब वह दोबारा खेलने के लिए घर से निकला तो फुटेज में नजर नहीं आया. इस के बाद वह सीसीटीवी कैमरे की जद से बाहर हो गया, जिस से पता नहीं चल पाया कि वह कहां गया. पुलिस ने उस दुकानदार से भी पूछताछ की, इस के अलावा अन्य लोगों से भी ध्रूवके बारे में पूछा लेकिन पुलिस को कोई जानकारी नहीं मिली, जिस के सहारे जांच आगे बढ़ सकती.

एसपी (सिटी) ने ध्रुव के घर वालों से पूछा कि उन की किसी से कोई दुश्मनी तो नहीं है, इस पर शिखा ने कहा, ‘‘सर, वैसे तो हमारी किसी से दुश्मनी नहीं है, पर हमारा प्रौपर्टी को ले कर विवाद जरूर चल रहा है.’’

‘‘किस से?’’ एसपी (सिटी) ने पूछा.

तभी गौरव बोला, ‘‘सर, हमारे मामा सतीश से प्रौपर्टी को ले कर विवाद चल रहा है.’’

इस बारे में एसपी (सिटी) अमित कुमार आनंद ने उस से विस्तार से पूछताछ की तो पता चला कि गौरव जिस मकान में रहता है, वह उस के नाना कुंवर सैन का है.

कुंवर सैन रेलवे विभाग में नौकरी करते थे. उन की 3 बेटियां सुधा, रेखा, सरोज के अलावा 2 बेटे सतीश और सुशील थे. वह अपने सभी बच्चों की शादी कर चुके थे. उन के एक बेटे सुशील की मौत हो चुकी थी. जिस का परिवार मेरठ में रहता था, जबकि 2 बेटियां रेखा और सरोज अपने परिवार के साथ सम्राट अशोक नगर में रहती थीं.

संदेह था मामला प्रौपर्टी विवाद से न जुड़ा हो

कुंवर सैन का मुरादाबाद के लाइनपार क्षेत्र में जो दोमंजिला मकान था, उस की कीमत करीब डेढ़ करोड़ रुपए थी. सुधा के बेटे गौरव को कुंवर सैन बहुत प्यार करते थे, इसलिए गौरव अपने बीवीबच्चों और मां सुधा के साथ इसी मकान में रहता था. यहीं पर कुंवर सैन का बेटा सतीश भी अपने परिवार के साथ रह रहा था.

सतीश झगड़ालू किस्म का था, वह पिता के साथ मारपिटाई करता रहता था, इसलिए कुंवर सैन ने उसे अपनी प्रौपर्टी से बेदखल कर दिया था. लेकिन वह जबरदस्ती वहां रह रहा था. गौरव और सतीश का उसी प्रौपर्टी को ले कर विवाद चल रहा था.

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जानें आगे की कहानी अगले भाग में…

डर्टी फिल्मों का चक्रव्यूह

डर्टी फिल्मों का चक्रव्यूह : भाग 3

साइबर सेल पुलिस ने जेल में बंद गजेंद्र का अदालत से प्रोडक्शन वारंट हासिल करने की प्रक्रिया शुरू की, ताकि उस से पोर्न फिल्मों के मामले में पूछताछ की जा सके.

लगातार भागदौड़ के बीच, साइबर सेल पुलिस ने 10 अगस्त को गिरोह के सरगना ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया. वह इस मामले में अग्रिम जमानत के प्रयास में इंदौर आया था, तभी पुलिस को सूचना मिल गई और उसे पकड़ लिया गया. दूसरी ओर, गजेंद्र उर्फ गज्जू उर्फ गोवर्धन चंद्रावत को जेल से प्रोडक्शन वारंट के तहत रिमांड पर लिया गया.

ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर से पूछताछ में पता चला कि वह मूलरूप से दमोह का रहने वाला है. बीबीए और एमबीए तक शिक्षित ब्रजेंद्र 2011 में इंदौर आया था. पहले वह इंदौर में बौंबे हौस्पिटल के पीछे एक गेस्टहाउस में रहता था. बाद में टाउनशिप व पौश कालोनियों में किराए पर रहा.

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इस दौरान ब्रजेंद्र की मुलाकात भोपाल के राजीव सक्सेना से हुई. राजीव एक सीरियल बना रहा था. उस ने ब्रजेंद्र को अपनी प्रोडक्शन कंपनी में मैनेजर रख लिया. यहां से उस ने फिल्म व सीरियल बनाने का अनुभव प्राप्त किया. राजीव ने कुछ महीने तक काम कराने के बाद ब्रजेंद्र को उस के मेहनताने का एक रुपया भी नहीं दिया और भोपाल चला गया.

2014 में उस ने बिपाशा बसु के साथ एक फिल्म में साइड रोल किया था. इस के अलावा एक हौलीवुड फिल्म में भी उसे छोटा सा रोल मिला था. एक वीडियो एलबम अजब इश्क में शान ने एक गाना गाया था, उस का पिक्चराइजेशन ब्रजेंद्र ने किया था. फिल्मों के सिलसिले में वह मुंबई आताजाता रहता था. इस दौरान उस के कई डायरेक्टर, प्रोड्यूसरों से अच्छे संपर्क बन गए थे, लेकिन फिल्मों में उसे अच्छा मुकाम नहीं मिल पाया था.

खुद डायरेक्टर बनने की ठानी

आखिर ब्रजेंद्र ने खुद ही फिल्म डायरेक्टर बनने की बात सोची. उस ने खुद का प्रोडक्शन हाउस बना लिया. 2015 में ब्रजेंद्र ने मुंबई के अंधेरी स्थित रजिस्ट्रेशन औफिस में स्टार फिल्म्स के नाम से एक कंपनी रजिस्टर्ड करवाई थी. उस ने परिवर्तन नाम से एक सीरियल भी बनाया. कुछ वीडियो सौंग्स भी शूट किए.

उस ने ‘द डेट’ नाम की एक फिल्म भी बनाई, लेकिन उस की क्वालिटी अच्छी नहीं होने से कोई खरीदार नहीं मिला. अच्छी क्वालिटी की फिल्म बनाने के लिए करोड़ों रुपए की जरूरत होती है. इतना पैसा ब्रजेंद्र के पास नहीं था.

ब्रजेंद्र के इंदौर में कई ऐसे लोगों से संपर्क हो गए थे, जो मौडलिंग, फैशन शो और विज्ञापन के लिए कलाकार व कास्टिंग का काम करते थे.

इन के माध्यम से वह उभरती मौडल्स को अपने जाल में फांसता. खुद को मुंबई का डायरेक्टर, प्रौड्यूसर बता कर मौडल्स को वेब सीरीज व सीरियल में काम दिलाने के नाम पर इंदौर बुलाता.

फिर आलीशान बंगलों व फार्महाउसों में बोल्ड सीन के नाम पर अश्लील फिल्म शूट कर ली जाती. शूटिंग के दौरान हालांकि वह मौडल को इस बात का विश्वास दिलाता था कि शूट किए गए अश्लील सीन एडिटिंग में हटा दिए जाएंगे, लेकिन वह ऐसा करता नहीं था. फिल्मों के फाइनेंसर और बंगलों व फार्महाउस के मालिक को खुश करने के लिए भी वह मौडल्स को धमका कर या दबाव बना कर शारीरिक शोषण के लिए तैयार करता था.

पोर्न फिल्म तैयार होने पर वह मुंबई के लोगों के मार्फत 10 लाख रुपए तक में फिल्म बेच देता था. वह हर बार नए चेहरे और नए कंटेंट पर ज्यादा ध्यान देता था ताकि पोर्न मार्केट में फिल्म की अच्छी कीमत मिल सके.

सन 2018 में आष्टा के ओम ठाकुर ने ‘उल्लू’ ऐप का एग्रीमेंट दिखा कर इंदौर में 4 एडल्ट एपिसोड बनाने के लिए ब्रजेंद्र से संपर्क किया था, लेकिन ओम ठाकुर का एग्रीमेंट फर्जी निकला. उस ने ब्रजेंद्र को कोई पैसा नहीं दिया. ब्रजेंद्र ने मिलिंद डावर के जरिए इंदौर की 5 मौडल्स को कास्ट कर के ये एपिसोड बनाए थे. उस ने सैक्स रैकेट से जुड़े गजेंद्र उर्फ गज्जू को लीड हीरो के रूप में साइन किया था. इन एपिसोड की शूटिंग इंदौर में स्कीम नंबर 78 में योगेंद्र जाट का आधुनिक सुखसुविधाओं वाला फार्महाउस किराए पर ले कर की गई थी.

ब्रजेंद्र ने शुभेंद्र गुर्जर के साथ मिल कर भी एक मूवी बनाई थी. शुभेंद्र भी उभरती मौडल्स के हौट वीडियो एलबम और फिल्में बनाता था.

गिरोह के सरगना ब्रजेंद्र ने पुलिस को बताया कि उस ने इंदौर में मौडल ऐश्वर्या के साथ जो पोर्न फिल्म शूट की थी, वह मुंबई के विजयानंद को एडिटिंग के लिए दे दी थी. विजयानंद पर भी इस तरह की पोर्न फिल्में बनाने के आरोप हैं. इस बीच, कोरोना के चलते लौकडाउन की वजह से वह फिल्म विजयानंद के पास ही रह गई.

उस ने वह फिल्म हाई डेफिनिशन कंपनी के अशोक सिंह को दे दी. अशोक ने वह फिल्म फेनियो मूवी के संजय परिहार को बेच दी. संजय ने उसे पोर्न साइट पर अपलोड कर दिया था. इस के बाद ही मौडल ऐश्वर्या को इस बात की जानकारी हुई थी.

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पुलिस की जांच में सामने आया कि गजेंद्र उर्फ गजानंद मूलरूप से गरोठ का रहने वाला है. उस ने 2012 में इंदौर आ कर ड्राइवर की नौकरी की. 2014 में देवास में उस की मुलाकात पवन सोनगरा से हुई. पवन ने उस से देह व्यापार एजेंट के रूप में काम कराया. 2018 में पवन के निधन के बाद उस ने खुद का काम शुरू कर दिया. उस के कई विदेशी युवतियों से भी संपर्क थे. वह वाट्सऐप पर युवतियों के फोटो भेज कर ग्राहक ढूंढता था.

इंदौर में एरोड्रम इलाके में जिस शिमला फार्महाउस में ब्रजेंद्र व मिलिंद आदि ने मौडल ऐश्वर्या के साथ पोर्न फिल्म शूट की थी, उस फार्महाउस का मालिक पहले अजय गोयल होने की बात सामने आई थी.

बाद में फर्नीचर व्यवसायी ओमप्रकाश बड़के ने पुलिस को बताया कि फार्महाउस उस का है. उन्हें फार्महाउस का मेंटिनेंस कराना था. साढ़ू अशोक गोयल ने फार्महाउस की चाबी ले कर वहां का मेंटिनेंस कराने की बात कही. थी. इसी दौरान पोर्न फिल्म की शूटिंग की गई थी.

पुलिस इस मामले में बाकी आरोपियों की तलाश कर रही है. हालांकि देरसबेर आरोपी पकड़े जा सकते हैं, लेकिन सवाल यह है कि अश्लीलता के महासागर में इन छोटी मछलियों के पकड़ में आने से क्या पोर्न फिल्मों की गंदगी रुक जाएगी? यह इसलिए भी मुश्किल लगता है, क्योंकि आज मोबाइल हर इंसान की पहुंच में है. मोबाइल के जरिए ही यह गंदगी बच्चों से ले कर बूढ़ों तक सहजता से पहुंच रही है.

– कहानी पुलिस सूत्रों पर आधारित, मौडल ऐश्वर्या का नाम बदला हुआ है

डर्टी फिल्मों का चक्रव्यूह : भाग 2

शूटिंग के दौरान ये लोग मौडल युवतियों को भरोसा दिलाते थे कि इस फिल्म की एडिटिंग के दौरान अश्लील दृश्य हटा दिए जाएंगे. लेकिन बाद में इन फिल्मों को ये लोग बिना एडिट किए ही मुंबई में रहने वाले अशोक सिंह व विजयानंद पांडेय के माध्यम से लाखों रुपए में पोर्न साइटों को बेच देते थे.

पुलिस जांचपड़ताल में जुटी थी कि मध्य प्रदेश के रीवा और इंदौर की रहने वाली 2 मौडलों ने 31 जुलाई को साइबर सेल को ऐसी ही शिकायतें दीं. पुलिस ने दोनों के बयान दर्ज किए. इन युवतियों ने बताया कि इस गिरोह में कई बड़े लोग भी शामिल हैं. गिरोह के कुछ सदस्यों ने कुछ समय पहले स्टार फिल्म्स के नाम पर उन से मूवी बनाने का करार किया था.

बाद में बोल्ड वेब सीरीज बनाने की बात कह कर अश्लील वीडियो तैयार कर ली गईं. इस पोर्न फिल्म को मुंबई में लाखों रुपए में बेचा गया. यह वीडियो क्लिप ‘देसी आयटम’ के नाम से पोर्न साइट पर डाल दी गई. इतना ही नहीं, मूवी के लिए किए गए करार के मुताबिक पैसे भी नहीं दिए गए, बल्कि ब्लैकमेल कर शारीरिक शोषण किया गया.

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दूसरी ओर, पुलिस ने दोनों गिरफ्तार आरोपियों मिलिंद और अंकित को रिमांड पर ले कर एरोड्रम इलाके में गांधीनगर से लगे शिमला फार्महाउस पर छानबीन की, जहां फिल्म की शूटिंग की गई थी.

पता चला इस फार्महाउस का मालिक अजय गोयल था. अजय की तलाश की गई, लेकिन वह नहीं मिला. इस बीच, एक उद्योगपति ने पुलिस से संपर्क कर बताया कि फार्महाउस का मालिक वह है न कि अजय गोयल.

फार्म हाउस किसी का, खेल खेला किसी और ने

मालिक ने अजय को अपना फार्महाउस कुछ दिनों के लिए किराए पर दिया था. पुलिस को इस दौरान स्कीम 78 और 114 के 2 आलीशान बंगलों में भी फिल्म की शूटिंग करने का पता चला. इसी के साथ गिरोह में प्रमोद, युवराज आदि के शामिल होने की जानकारी भी मिली.

पुलिस ने शूटिंग वाले बंगलों के मालिकों, गिरोह के सरगना ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर और गजेंद्र सिंह सहित अन्य आरोपियों की तलाश के लिए टीम गठित की. इस के साथ ही मिलिंद व अंकित के मोबाइल व लैपटौप की भी जांच शुरू कर दी. जिन साइटों पर फिल्में अपलोड की गईं, उन के संचालकों को पुलिस ने नोटिस भेज कर जवाब मांगा.

जांच के दौरान यह बात भी सामने आई कि वेब सीरीज के नाम पर उभरती मौडल्स के हौट वीडियो शूट करने के अलावा कई नामी ब्रांड्स के ऐड शूट करने के नाम पर भी महिला पुरुष मौडल्स से धोखाधड़ी की गई थी.

पुलिस को शिकायतें मिली कि कपड़ों, कौस्मेटिक, ज्वैलरी, गारमेंट्स, जूते व इलेक्ट्रौनिक्स प्रौडक्ट के विज्ञापनों के नाम पर हौट फोटो शूट कराए गए, लेकिन मौडल्स को न तो पैसा दिया गया और न ही कोई सर्टिफिकेट या ब्रैंड कंपनी का लेटर.

पीड़ित युवतियों ने पुलिस को यह भी बताया कि जिन फार्महाउसों या बंगलों में शूटिंग की जाती थी, गिरोह के लोग उन पर उन के मालिकों से शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव बनाते थे. पुलिस की जांच में यह भी पता चला कि गिरोह में हाई प्रोफाइल एस्कार्ट सर्विस से जुड़ी युवतियां भी शामिल थीं.

ये एस्कौर्ट हौट फिल्म शूट के नाम पर नई मौडल्स को शूट के लिए उकसाती थीं. फिर कैमरा बंद करने का बहाना कर उन के न्यूड सीन शूट करा देती थीं. बातों में लगा कर कई सीन बंगलों के कमरों में लगे गुप्त कैमरों से भी शूट किए जाते थे.

ऐसे सीन कैमरे में कैद हो जाने के बाद उन्हें ब्लैकमेल किया जाता था. उन से अश्लील दृश्यों की शूटिंग कराई जाती थी और फाइनेंसर या फार्महाउस के मालिक से शारीरिक संबंध बनाने के लिए धमकाया जाता था.

एक अन्य युवती ने पुलिस से संपर्क कर बताया कि उस के साथ भी ऐसा ही किया गया था. फिल्म शूटिंग के नाम पर उसे 10 दिन तक बंगले में बंधक बना कर रखा गया. उसे किसी से मिलने भी नहीं दिया गया. यहां तक कि उस का मोबाइल भी छीन लिया गया था. किसी को बताने पर बदनाम करने की धमकी दी गई.

ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर खुद को टीवी व फिल्म प्रोडक्शन कंपनी का मालिक बताता था. सोशल मीडिया अकाउंट में कई बौलीवुड ऐक्टर उस की फ्रैंड लिस्ट में शामिल थे.

पुलिस में सब से पहली शिकायत दर्ज कराने वाली मौडल ऐश्वर्या को इसी साल फरवरी में ब्रजेंद्र सिंह और उस के साथी खजुराहो फिल्म फेस्टिवल में भी ले गए थे. वहां इन लोगों ने मौडल को कई लोगों से मिलाया और झांसा दिया कि ये लोग टीवी सीरियल और वेब सीरीज में आसानी से रोल दिलवा देंगे.

पुलिस लगातार पोर्न फिल्म बनाने वाले आरोपियों की तलाश में उन के ठिकानों पर दबिश दे रही थी. इस दौरान पता चला कि बिचौली मर्दाना, रितुराज मेंशन, संपत हिल्स में रहने वाला गजेंद्र सिंह हाईप्रोफाइल सैक्स रैकेट मामले में 5 जुलाई से जेल में बंद है. उसे कुछ दिन पहले इंदौर की सराफा पुलिस ने एक होटल में दबिश दे कर पकड़ा था. उस होटल में वह सैक्स रैकेट से जुड़ी उजबेकिस्तान की एक मौडल युवती को सप्लाई करने गया था.

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पुलिस की दबिश के दौरान गजेंद्र उर्फ गोवर्धन उर्फ गज्जू चंद्रावत के घर पर एक कार मिली. इस कार पर एक न्यूज चैनल और प्रैस का स्टीकर लगा हुआ था. वह खुद को पत्रकार बता कर घूमता था. गजेंद्र ने इंदौर की मौडल की शूट की गई पोर्न फिल्म में हीरो का रोल किया था.

5 अगस्त को एक और मौडल ने साइबर सेल में शिकायत की. उस ने बताया कि वह फिल्मों में काम करती है. 2014 में एक फोटो शूट के दौरान वह ब्रजेंद्र और शुभेंद्र से मिली थी. ब्रजेंद्र ने उसे अपनी निर्माणाधीन फिल्म में रोल और 2 लाख रुपए देने का वादा किया था. बाद में उस ने शूटिंग में अश्लील फिल्म बना ली और 2 लाख रुपए भी नहीं दिए. मौडल ने पैसों के लिए दबाव बनाया तो उस ने वीडियो वायरल करने की धमकी दी.

पिछले साल ब्रजेंद्र ने एक युवती की मुलाकात मुंबई के एक डायरेक्टर राज से करवाई. उसे फिल्म शूटिंग के मेहनताने के रूप में रोजाना 10 हजार रुपए देने की बात तय हुई. फिल्म के नाम पर अश्लील सीन शूट कर लिए गए और उन्हें पोर्न साइट पर डाल दिया गया.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

डर्टी फिल्मों का चक्रव्यूह : भाग 1

जुलाई के आखिरी सप्ताह में इंदौर की एक मौडल साइबर सेल के एसपी जितेंद्र सिंह से मिली. मौडल ने खुद का नाम ऐश्वर्या बताते हुए कहा कि वह धामनोद की रहने वाली है और  पिछले कई साल से इंदौर में रह कर मौडलिंग करती है.

परेशान दिख रही ऐश्वर्या ने एसपी को बताया कि पिछले साल दिसंबर में उस के पास ब्रजेंद्र सिंह नाम के शख्स का फोन आया था. उस ने खुद को मुंबई का डायरेक्टर और प्रोड्यूसर बताया. वह एक बड़े बैनर पर ओटीटी प्लेटफौर्म के लिए फिल्म बनाना चाहता था. उस ने इस फिल्म में ऐश्वर्या को लौंच करने की बात कही. बाद में ब्रजेंद्र ने उसे इंदौर में एरोड्रम रोड पर एक फार्महाउस में बुलाया.

तय समय पर वह उस फार्महाउस पर पहुंची. वहां ब्रजेंद्र सिंह के अलावा मिलिंद भी मिला. कई और लोग भी थे. कैमरों लाइटों सहित फिल्म की शूटिंग का पूरा साजोसामान भी था. ऐश्वर्या मिलिंद को पहले से जानती थी.

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मिलिंद टी सीरीज और अल्ट बालाजी के लिए वेब सीरीज तथा सीरियलों के लिए कास्टिंग का काम करता था.

ऐश्वर्या ने एसपी को बताया कि ब्रजेंद्र और मिलिंद ने उसे बालाजी की एक बोल्ड वेब सीरीज में काम दिलाने की बात कही, लेकिन इस के लिए कुछ बोल्ड सीन शूट करने की शर्त थी. मिलिंद ने ऐश्वर्या को विश्वास दिलाने के लिए मोबाइल पर एकता कपूर की कथित पीए युवती से उस की बात भी कराई.

एकता कपूर की उस कथित पीए ने उसे बालाजी की वेब सीरीज के बारे में बताया. पीए से बातें करने के बाद वह आश्वस्त हो गई कि उसे वेब सीरीज में काम मिल जाएगा. ओटीटी प्लेटफौर्म पर जाने का यह अच्छा मौका था.

कथित पीए युवती ने मिलिंद से कहा कि वेब सीरीज के लिए प्रोमो बना कर कंपनी को भेजो. इस के बाद ब्रजेंद्र सिंह और मिलिंद ने उसे बोल्ड सीन देने के लिए 25 हजार रुपए देने का वादा किया.

बाद में प्रोमो के नाम पर अश्लील फिल्म शूट कर ली गई. इस फिल्म में मेल एक्टर मिलिंद और गजेंद्र सिंह थे. ब्रजेंद्र सिंह और उस के साथियों ने फिल्म शूट की. इन लोगों ने कहा कि एडिटिंग के दौरान इस में से अश्लील कंटेंट हटा कर प्रोमो कंपनी को भेजा जाएगा.

इतनी बातें बताते बताते ऐश्वर्या की आंखों में आंसू आ गए. एसपी जितेंद्र सिंह ने उसे दिलासा देते हुए पूरी बात बताने को कहा ताकि अपराधियों तक पहुंचा जा सके. टेबल पर रखे गिलास से पानी के कुछ घूंट पीने के बाद ऐश्वर्या ने एसपी से कहा कि इन लोगों ने बाद में फिल्म को एडिट किए बिना ही पोर्न वेबसाइट को बेच दिया.

ऐश्वर्या ने रोते हुए बताया कि वह फिल्म पोर्न वेबसाइट पर अपलोड होने के कुछ ही दिन में 4 लाख लोगों ने देख ली. कुछ दिन बाद एक परिचित से उसे इस की जानकारी मिली, तो वह घबरा गई. उस ने मिलिंद और ब्रजेंद्र सिंह से संपर्क किया, तो उन्होंने पल्ला झाड़ लिया.

एसपी जितेंद्र सिंह ने ऐश्वर्या से लिखित शिकायत ली और उसे काररवाई करने का भरोसा दे क र भेज दिया. जातेजाते ऐश्वर्या ने एसपी को यह भी बताया कि ऐसा अकेले उस के साथ नहीं हुआ है. कई दूसरी मौडल युवतियों के साथ भी इन्होंने यही किया है. ये लोग पोर्न सीन शूट करने के नाम पर जो पैसा तय करते, शूटिंग के बाद उतना पैसा भी नहीं देते थे. ये लोग फिल्म पोर्न वेबसाइटों को बेचने के साथसाथ कई तरीकों से मौडल्स का दैहिक शोषण भी करते थे.

मामला बेहद गंभीर था. ज्यादातर लोग जानते हैं कि ऐसी फिल्में बनती हैं और पोर्न साइटों पर खूब देखी जाती हैं. माना यह जाता है कि इस तरह की अधिकांश फिल्में मुंबई में बनती हैं. लेकिन मध्य प्रदेश में ऐसी घिनौनी फिल्में बनना बेहद चिंता की बात थी.

मोबाइल इंटरनेट से बढ़ी पोर्न फिल्मों की मार्केट

दरअसल, जब से बच्चों से ले कर बूढ़ों तक के हाथ में इंटरनेट के साथ मोबाइल आ गया है, तब से पोर्न फिल्म अधिकांश मोबाइलधारकों तक पहुंच गई हैं. इस से सामाजिक पतन होने के साथ अपराध भी बढ़ रहे हैं और घरेलू रिश्ते भी टूट रहे हैं.

पोर्न फिल्में देखना जितना बड़ा अपराध है, उस से बड़ा अपराध बिना सहमति के ऐसी फिल्में बनाना है. इस सब से न केवल युवा पीढ़ी भटक रही है बल्कि उस की मानसिकता भी घृणित होती जा रही है.

एसपी जितेंद्र सिंह ने इस मामले की जांच के लिए एक टीम गठित की.

इस टीम ने जरूरी जांचपड़ताल के बाद 30 जुलाई को 2 लोगों मिलिंद डावर और अंकित सिंह चावड़ा को गिरफ्तार कर लिया. इंदौर की रेसकोर्स रोड निवासी मिलिंद फैशन शो और विज्ञापन के लिए बैकग्राउंड कलाकार व कास्टिंग का काम करता था.

वह एमडीएफएम नाम की मौडलिंग एजेंसी चलाने के साथसाथ टी सीरीज और अल्ट बालाजी के लिए वेब सीरीज व सीरियलों के लिए भी कास्टिंग का काम करता था.

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इंदौर की गुरु गोविंदसिंह कालोनी का रहने वाला अंकित चावड़ा एनएमएच फिल्म प्रोडक्शन हाउस में कैमरामैन था. पुलिस को जांचपड़ताल में पता चला कि ये लोग मौडल युवतियों को टीवी सीरियल और ओटीटी प्लेटफार्म पर वेब सीरीज में मौका दिलाने का झांसा दे कर जाल में फंसाते थे. इस का अश्लील फिल्में बनाने का काला कारोबार इंदौर के अलावा कई अन्य बड़े शहरों में चल रहा था. इस काले धंधे में डायरेक्टर ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर, राजेश गुर्जर, गजेंद्र सिंह, सुनील जैन, अनिल द्विवेदी, अशोक सिंह व विजयानंद पांडेय आदि शामिल थे.

मिलिंद डावर इस गिरोह के लिए मध्य प्रदेश की मौडल युवतियों को तरहतरह के झांसे दे कर फिल्म, वेब सीरीज या सीरियल आदि में रोल दिलाने के नाम पर जाल में फंसाता था. वह चूंकि मौडलिंग एजेंसी, फैशन शो और विज्ञापनों के लिए बैकग्राउंड कलाकारों की कास्टिंग का काम करता था, इसलिए उस के तमाम मौडलों के अलावा मुंबई के कई नामी रंगमंच कलाकारों से भी अच्छे संबंध थे.

इन्हीं संबंधों की आड़ में जब वह मौडल युवतियों को बौलीवुड में अच्छे रोल दिलाने की बात कहता, तो मौडल उस की बातों पर सहज ही भरोसा कर लेती थी.

मिलिंद मौडल युवतियों को जाल में फंसाने के बाद ब्रजेंद्र सिंह गुर्जर (ठाकुर) से मिलवाता था. ब्रजेंद्र खुद को मुंबई का डायरेक्टर, प्रोड्यूसर बता कर कहता था कि बोल्ड सीन आज की जरूरत हैं. प्रत्येक सीन के लिए वह 25 हजार रुपए देने की बात कहता था. जब लड़की तैयार हो जाती तो वह अपने सहयोगियों के साथ बोल्ड सीन के नाम पर अश्लील फिल्में शूट कर लेता था.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

नक्कल-असल नक्सलवाद! का मकड़जाल

यह किसी से छुपी हुई बात नहीं की छत्तीसगढ़ नक्सलवाद का गढ़ माना जाता है. यहां का “बस्तर अंचल” नक्सलवाद का केंद्र बिंदु है, जहां से कई प्रदेशों में नक्सलवाद की गतिविधियां चलती रहती है. वहीं दूसरी तरफ नक्सलवाद की आड़ में नकली नक्सलवादी भी पैदा हो गए हैं जो लोगों को ब्लैकमेल करते हैं फिरौती मांगते हैं और ऐश की जिंदगी जीते हैं . छत्तीसगढ़ की आवाम तथा दो प्रकार के नक्सलवाद से पीड़ित है एक है असल जो बंदूक की नोक पर लोगों को मार रहा है और समानांतर सरकार चला रहा है. दूसरा नकली नक्सलवाद जो भय पैदा करके पैसे ऐंठ रहा है. छत्तीसगढ़ की

पखांजुर पुलिस को मछली व्यापारियों से फर्जी नक्सली बनकर फिरौती की रकम मांगने मामले में बड़ी सफलता हाथ लगी है. पुलिस ने 24 घंटे में ही 2 महिला, 2 नाबालिग सहित 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया. ये सभी आरोपी पिव्ही गांव में मछली पालन करने वाले दो व्यापारी से फर्जी नक्सली बनकर पत्र में 5-5 लाख रुपए और 1-1 बोरी चावल मांगा गया था. साथ ही दोनों व्यापारियों को फोन कर धमकी भी दी थी.थाना प्रभारी  के मुताबिक इस घटना के मास्टर माइंड महिला वैजू ध्रुव और अपने प्रेमी जोगेन बिस्वास ने प्लानिंग किया और बाकी सहयोगी सदस्यों को एकत्रित कर वारतदात को अंजाम दिया है. पहले तो पत्र के माध्यम से दोनों व्यापारी  से फिरौती मांगी गई, फिर दोनों ही व्यापारी को फोन पर धमकी भी दी गयी. पुलिस ने शिकायत के बाद जांच शुरु की और मोबाइल नंबर ट्रेस कर सभी आरोपियों को लोकेशन के आधार पर गिरफ्तार किया है. इनके खिलाफ धारा 384,507,120 के तहत कार्रवाई की गई है.

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घटना के मास्टर माइंड वैजू ध्रुव नक्सली हिंसा में सन् 2010 में भुसकी मोड़ पर पुलिस पार्टी पर किये गए फायरिंग में भी शामिल थी. उस घटना में पुलिस आरक्षक बिष्णु लारिया शहीद हो गए थे. उस घटना में नक्सली वैजू ध्रुव नामक नाबालिग महिला नक्सली को बड़गांव थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था.

भूपेश बघेल के समक्ष बड़ी चुनौती

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी है जिसने झीरम घाटी नक्सल वादी हत्याकांड में अपने बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं को खोया है तत्कालीन समय के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल बस्तर टाइगर कहे जाने वाले महेंद्र कर्मा एक समय के देश के बहुत चर्चित नेता विद्याचरण शुक्ल जैसे अनेक लोग झीरम कांड में खेत रहे ऐसे में कांग्रेस पार्टी आज जब सत्ता में है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समक्ष यह बड़ी चुनौती है कि किस तरह छत्तीसगढ़ को नक्सलवाद से मुक्त कराएं और इस तरफ भूपेश बघेल सरकार निरंतर प्रयासरत दिखाई भी देती है हाल ही में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री व गृहमंत्री को पत्र लिखकर पुणे मांग की है कि छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को समूल नष्ट करने के लिए केंद्र गंभीरता के साथ राज्य सरकार का साथ दें छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद अपनी गहरी जड़ें जमा चुका है उसे नष्ट करना आसान नहीं होगा मगर फिर भी अगर ईमानदारी से प्रयास किया जाए तो क्या नहीं हो सकता क्योंकि कांग्रेस ने नक्सलवाद का दंश रहा है अतः राजनीतिक हलकों में यह माना जा रहा है कि भूपेश बघेल सरकार बड़ी गंभीरता से नक्सलवाद को खत्म करने में  लगी हुई है . इस हेतु छत्तीसगढ़ पुलिस जनता प्रयास करती हुई भी दिखाई दे रही है छत्तीसगढ़ में अब ऐसा कोई दिन नहीं होता जब कोई नक्सलवादी पुलिस के द्वारा मार न गिराया जाता हो या फिर आत्मसमर्पण न कर रहा हो.

इसी तरह पुलिस नक्सलवाद के खाल को पहन कर लोगों को ठगने वालों को भी जेल भेजने में लगी हुई है. जो एक सकारात्मक कदम कहा जा सकता है.

आपरेशन तेज, तेज और तेज

छत्तीसगढ़ में इन दिनों “नक्सलवाद” को खत्म करने के लिए पुलिस भी प्रयासरत दिखाई दे रही है. जी पुलिस के मुखिया डीएम अवस्थी की अध्यक्षता में  निरंतर बैठकर हो रही है यहां पुलिस मुख्यालय में नक्सल विरोधी अभियान तेज करने के लिए स्टेट लेवल कोऑर्डिनेशन कमेटी  बनाई गई है. बैठक में सुरक्षाबलों के बीच बेहतर तालमेल बनाने और नक्सल विरोधी अभियान अधिक प्रभावी तरीके से चलाने पर चर्चा होती है  कमेटी की बैठक मे सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, आईबी के अधिकारी, बस्तर संभाग के आईजी और पुलिस अधीक्षक मौजूद रहते हैं.

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यही नही स्टेट कोऑर्डिनेशन कमेटी लेवल की बैठक  मे तय हुआ है कि बारिश के बाद आगामी तीन माह में नक्सलियों के विरूद्ध और अधिक तेजी से ऑपरेशन चलाया जाए.  नक्सल विरूद्ध अभियान की आगामी कार्य योजना  बनाई जा रही है. नक्सल प्रभावित इलाकों में ऑपरेशन तेज करने के लिए पुल-पुलियों का निर्माण तेजी से किया जाये.सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर जैसे कोर एरिया वाले स्थानों पर प्लानिंग करके नक्सलियों के विरूद्ध कार्रवाई को अमलीजामा पहनाया जा रहा है नक्सलियों के साथ उनके समर्थकों पर भी कड़ी कार्यवाही  छत्तीसगढ़ में अब दिखने लगी है. सरकार  ने सुरक्षाबलों के अधिकारियों को नक्सलियों की सप्लाई चेन तोड़ने के निर्देश दिये है. नक्सलियों तक पहुंचने वाले राशन, दवाई और हथियारों की सप्लाई चेन तोड़कर प्रभावी कार्यवाही  के नजारे अब दिखने लगे है.

औलाद की खातिर : भाग 2

लेडी डाक्टर के जवाब से उमा के मन पर छाया अपराधबोध छंट गया. अब पति से उसे चिढ़ हो गई. वह सोचने लगी कि जरूर उसे पता होगा कि वह बेटा पैदा करने लायक नहीं. इसीलिए लड़कियों की हिमायत करता है.

उस दिन जब देवकुमार वापस आया तो उमा बोली, ‘‘तुम ने बता कर बहुत अच्छा किया, हकीकत बता कर मेरी आंखें खोल दीं.’’

‘‘भाभी, यह तो अच्छी बात है.’’

‘‘और अच्छी बात तब होगी, जब तुम यह बताओ कि तुम्हारे भैया का इलाज कहां कराऊं, जिस से हमारे आंगन में भी बेटा खेलेकूदे.’’

देवकुमार समझ रहा था कि भाभी बेटा पैदा करने के लिए उतावली है और उस के लिए किसी भी सीमा तक जा सकती है. अत: उस ने जाल फैलाया, ‘‘भाभी, भैया का इलाज तो संभव नहीं है, लेकिन तुम जरूर पुत्रवती हो सकती हो.’’

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‘‘वो कैसे?’’ उमा की आंखों में उम्मीद की किरण दिखने लगी.

‘‘तुम्हें किसी दूसरे से नियोग करना होगा.’’ वह बोला.

‘‘नियोग में क्या करना होगा?’’ उमा ने पूछा.

‘‘तुम्हें पराए मर्द के साथ मिलन करना होगा.’’ देवकुमार ने बताया.

‘‘क्या बकवास कर रहे हो’’ उमा आंखें दिखाने लगी, ‘‘ऐसी बात कहते हुए तुम्हें शर्म आनी चाहिए. तुम्हारे भैया ने सुना तो न जाने क्या कर डालेंगे.’’

‘‘तो फिर बेटियों से ही संतोष करो.’’

उमा कई दिन तक सोचती रही. उस ने अपनी इच्छा दबाने का भी प्रयास किया, परंतु नाकाम रही. किसी भी दशा में वह बेटे को जन्म देना चाहती थी. बहुत सोचने के बाद वह पतित होने को तैयार हो गई.

दूसरे दिन उस ने देवकुमार को अपना निर्णय सुना दिया, ‘‘ मैं तुम्हारी सलाह पर अमल करने को तैयार हूं. सवाल यह है कि यह काम होगा कैसे?’’

‘‘भाभी, काम भी हो जाएगा और किसी को भनक तक नहीं लगेगी.’’

‘‘कैसे?’’

‘‘मैं हूं न, मेरी नसों में भी वही खून है, जो भैया के शरीर में है. खून वही रहेगा, पर शरीर बदल जाएगा. इस तरह भैया की नस्ल भी खराब नहीं होगी.’’

‘‘सोच कर बताऊंगी.’’

उमा ने काफी सोचा. फिर फैसला किया कि उसे हर हाल में बेटा चाहिए, इस के लिए वह देवकुमार से नियोग करेगी. अगले दिन उमा ने देवकुमार को नियोग करने की सहमति दे दी.

देवकुमार बेताब था तो उमा शर्म से गड़ी जा रही थी. देवकुमार ने उसे बांहों में ले कर प्यार करना शुरू किया तो उस की शर्म जाती रही. फिर वे वासना के सागर में गोते लगाने लगे. देवकुमार के नए जोश और उमा के अनुभव ने ऐसा कमाल दिखाया कि इस पहले मिलन से वे एकदूसरे के दीवाने हो गए.

कई महीने बीतने के बाद उमा को देवकुमार से गर्भ नहीं ठहरा, पर अवैध संबंध का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा. उमा तन से देवकुमार की हुई तो उसे मन से भी उस की होते देर नहीं लगी.

कोरोना महामारी के चलते देश में लौकडाउन हुआ तो 24 मई, 2020 को शिवकुमार पत्नी, बच्चों और देवकुमार के साथ फरीदाबाद से गांव वापस आ गया. फरीदाबाद में तो शिवकुमार के न रहने पर दोनों खूब मस्ती करते थे. लेकिन गांव आने पर शिवकुमार के साथसाथ घर के और लोग भी थे. उन सब की नजरों  से बच कर मिलना आसान नहीं था लेकिन दोनों किसी तरह मिल कर मिलन का आनंद ले लेते थे.

14 जुलाई, 2020 की सुबह शिवकुमार की लाश घर से 200 मीटर दूर भीटे में पड़ी मिली. सुबह गांव की महिलाएं उधर गईं तो देखा, तब उन्होंने इस की जानकारी घरवालों को दी. घरवाले वहां पहुंच कर रोनेबिलखने लगे. गांव के ही शुभम सिंह नाम के व्यक्ति ने पुलिस को घटना की सूचना दी.

सूचना पा कर एसओ मनबोध तिवारी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. मृतक शिवकुमार की लाश का उन्होंने निरीक्षण किया. उस के सिर पर किसी तेज धारदार हथियार के गहरे निशान थे. आसपास का निरीक्षण करने पर घटना से संबंधित कोई सुराग हाथ नहीं लगा.

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पूछताछ के दौरान परिजन कुछ भी बताने से हिचक रहे थे. घटना की सूचना देना तो दूर वह लाश का अंतिम संस्कार करने की तैयारी कर रहे थे. इस पर एसओ को शक हो गया कि मृतक के घर वाले जानते हैं कि किस ने उन के बेटे की हत्या की है.

लेकिन हत्यारा भी कोई अपना करीबी होने के कारण मुंह नहीं खोल रहे हैं. फिलहाल एसओ मनबोध तिवारी ने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश पोस्टमार्टम के लिए मोर्चरी भेज दी.

पुलिस ने शिवकुमार के पिता उदयभान सिंह की तरफ से अज्ञात के खिलाफ भादंवि की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया.

एसओ मनबोध तिवारी ने घटना के संबंध में गांव वालों से पूछताछ की तो पता चला कि घटना वाले दिन शाम को शिवकुमार का अपने भाई देवकुमार से झगड़ा हुआ था. इस से पहले भी दोनों भाइयों का एकदो बार झगड़ा हो चुका था. देवकुमार घर से फरार भी था. इसलिए एसओ तिवारी का शक देवकुमार पर पुख्ता हो गया.

17 जुलाई, 2020 को उन्होंने मुखबिर की सूचना पर धनपतगंज से देवकुमार को गिरफ्तार कर लिया. थाने ला कर जब उस से कड़ाई से पूछताछ की गई तो उस ने अपना जुर्म  स्वीकार कर लिया.

घटना से 3 दिन पहले शिवकुमार ने उमा और देवकुमार को आपत्तिजनक हालत में देख लिया था. जिस के बाद शिवकुमार ने दोनों को मारापीटा. इस के बाद शिवकुमार का देवकुमार से कई बार झगड़ा हुआ.

13 जुलाई को घटना वाली रात भी दोनों में उमा को ले कर झगड़ा हुआ. उसी रात शिवकुमार का अचानक पेट खराब हो गया. उसे दस्त हो गए. वह भीटे (गांव के बाहर स्थित टीले) की तरफ गया. पहले से जाग रहे देवकुमार ने उसे जाते देखा तो उसे भाई को सबक सिखाने का अच्छा मौका मिल गया. उस ने घर में रखी कुल्हाड़ी उठा ली और उस के पीछेपीछे हो लिया.

भीटे में पहुंचते ही देवकुमार ने पीछे से शिवकुमार के सिर पर कुल्हाड़ी से कई वार किए. शिवकुमार जमीन पर गिर कर तड़पने लगा. चंद पलों में ही उस की मौत हो गई. भाई को मारने के बाद देवकुमार घर से फरार हो गया.

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लेकिन उस का गुनाह छिप न सका और वह पकड़ा गया. देवकुमार की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त कुल्हाड़ी भी बरामद हो गई. आवश्यक कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद देवकुमार को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया गया.

(कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित)

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