मुस्कान की मुस्कुराह के दुश्मन : भाग 3

थाने पर उस की जामातलाशी ली गई तो उस के पास से सोने की 28 ज्वैलरी बरामद की गईं, जिन की कीमत 14 लाख रुपए आंकी गई. इस के अलावा 16 हजार रुपए नकद, एक तमंचा .315 बोर तथा डिजिटिल वीडियो रिकौर्डर का ऐडाप्टर बरामद हुआ. उस से मुसकान की हत्या के संबंध में पूछा गया तो वह मुकर गई. लेकिन सख्ती करने पर सलोनी टूट गई और उस ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया.
इंसपेक्टर अवनीश कुमार सिंह ने किन्नर मुसकान की हत्या का परदाफाश करने और एक आरोपी को गिरफ्तार करने की जानकारी एसपी दिनेश त्रिपाठी को दी तो उन्होंने पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता की. मीडियाकर्मियों के समक्ष किन्नर मुसकान की हत्या का खुलासा किया. खुलासा करने वाली टीम को उन्होंने पुरस्कृत करने की भी घोषणा की.

जयसिंह आखिर क्यों बना मुसकान मुसकान कौन थी? वह किन्नर कैसे बनी? उस ने अकूत संपत्ति कैसे कमाई? फिर वह अपनों का शिकार कैसे बनी? यह सब जानने के लिए हम पाठकों को उस के अतीत की ओर ले चल रहे हैं. उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर से करीब 20 किलोमीटर दूर एक धार्मिक व ऐतिहासिक कस्बा बिठूर है. इसी कस्बे से 4 किलोमीटर दूर अरैर गांव में ज्ञान सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी लौंग श्री के अलावा 2 बेटे मान सिंह व जय सिंह थे. ज्ञान सिंह के पास कटरी में कुछ खेत तथा 2 बीघा में अमरूद का बाग था. खेत व अमरूद के बाग से ज्ञान सिंह की गुजरबसर हो जाती थी.

ज्ञान सिंह का बड़ा बेटा मान सिंह तो तेजतर्रार था. लेकिन छोटे बेटे जयसिंह से वह परेशान रहते थे. जयसिंह की चालढाल भी ठीक न थी. वह मटकमटक कर चलता था. वह लड़कों के बजाय लड़कियों में ज्यादा रुचि लेता था. एक रोज कल्याणपुर का एक किन्नर गांव में किसी बच्चे के जन्म पर बधाई देने आया. नाचने के दौरान उस की नजर 12 वर्षीय जयसिंह पर पड़ी. उस किन्नर को समझते देर न लगी कि वह उसी के समुदाय का है.

इस के बाद वह किन्नर अकसर गांव आने लगा और जयसिंह से मिलने लगा. वह किन्नर सजधज कर सोने के आभूषण पहन कर आता था, जिस से जयसिंह उस से प्रभावित हो गया था. एक रोज उस किन्नर ने जयसिंह की आंखों में लालच देखा तो उस ने कहा, ‘‘तुम भी यह सब हासिल कर सकते हो बशर्ते कि तुम मेरे साथ चलो और हमारे समुदाय में शामिल हो जाओ.’’ जिज्ञासा और लालचवश जयसिंह ने बात मान ली और एक रोज घर वालों को बिना बताए उस किन्नर के साथ चला गया. उस किन्नर ने जयसिंह की मुलाकात अपने गुरु संजू से कराई और उसे अपने समुदाय में शामिल करने का अनुरोध किया.

संजू कल्याणपुर की किन्नर बस्ती में रहती थी. उस ने जयसिंह को अपने यहां रख लिया. अब जयसिंह को सुबहशाम नाचगाना व ताली बजाने की ट्रेनिंग दी जाने लगी. कुछ माह की ट्रेनिंग के बाद ही वह इन सभी कलाओं में पारंगत हो गया. संजू गुरु ने अब जयसिंह का नाम मुसकान रख दिया. शुरू हआ मुसकान का नया सफर

मुसकान अब अन्य किन्नरों के साथ सजधज कर नेग मांगने व बधाइयां गाने जाने लगी. किन्नरों का क्षेत्र बड़ा होता है. हर क्षेत्र का एक किन्नर गुरु होता है. क्षेत्र से किन्नर जो कमाते हैं, वह गुरु के चरणों में अर्पित करते है. गुरु आधा हिस्सा अपना निकाल कर बाकी का बंटवारा शिष्यों में कर देते हैं. मुसकान की भी अब कमाई होने लगी थी और वह धन जुटाने लगी थी. इस के बाद उस का रहनसहन भी बदल गया था. इस तरह धीरेधीरे 5 साल बीत गए. इस बीच न तो घर वालों को उस की याद आई और न ही मुसकान ने अपने मांबाप के घर की तरफ कदम रखा.

मुसकान पढ़ीलिखी तो थी नहीं, लेकिन महत्त्वाकांक्षी थी. वह किन्नर बन कर अकूत धन कमाना चाहती थी. इस के लिए उस ने लाखों रुपए खर्च कर प्लास्टिक सर्जरी के जरिए लिंग परिवर्तन करा लिया और सर्जरी के जरिए ही सुंदर स्त्री का रूप धारण कर लिया. अब वह सजधज कर जहां भी शादी समारोह में जाती तो लोगों की निगाह उस पर टिक जाती. उस के ठुमकों पर लोग वाहवाह करने लगते. मुसकान अब लाखों रुपए कमाने लगी थी.

किन्नर मुसकान ने कुछ सालों तक कानपुर परिक्षेत्र में कमाई की, उस के बाद वह उन्नाव शहर आ गई. इस बीच मुसकान ने कई किन्नर गुरुओं से अच्छे संबंध बना लिए थे. उन्नाव शहर के सफीपुर कस्बे में उस की मुलाकात जानकी कुंड में रहने वाली किन्नर गुरु मंजू से हुई. मंजू गुरु ने मुसकान को अपने ग्रुप में शामिल कर लिया और क्षेत्र में घूमने की इजाजत दे दी. कम समय में ही मुसकान ने अपने काम तथा अच्छे व्यवहार से मंजू का दिल जीत लिया और वह उस की चहेती शिष्या बन गई. मंजू ने उसे किन्नर नायक बना दिया. मंजू गुरु की मौत के बाद मुसकान नायक (गुरु) बन गई.

मुसकान ने वसीम से की लव मैरिज वर्ष 2010 में फतेहपुर शहर में हुए किन्नर सम्मेलन के दौरान मुसकान की मुलाकात वसीम से हुई. मुलाकातें बढ़ीं तो दोनों को एकदूसरे से प्यार हो गया. इस के बाद किन्नर मुसकान ने वसीम से प्रेम विवाह कर लिया. मुसकान कुछ माह तक उन्नाव में रही, उस के बाद वह वापस सफीपुर आ गई.

इन्हीं दिनों मुसकान ने सफीपुर कस्बे के बब्बर अली खेड़ा में एक मकान खरीद लिया और उसे आधुनिक रूप से सुसज्जित कर उस मकान में रहने लगी.वसीम और मुसकान के बीच 3 साल तक सब ठीक रहा. उस के बाद तनाव बढ़ने लगा. तनाव की वजह थी वसीम की शारीरिक मानसिक प्रताड़ना. वसीम नेग में मिलने वाले रुपए व जेवर उस से छीनने लगा था. मुसकान विरोध करती तो वह उसे मारतापीटता था.
मुसकान जब आजिज आ गई तो उस ने किन्नर समुदाय की मदद ली और वसीम से नाता तोड़ लिया. नाता तोड़ने के बाद भी वह उसे परेशान करता रहता था. वसीम से रिश्ता तोड़ने के बाद मुसकान ने जनवरी, 2019 में सोनू के साथ कोर्ट मैरिज कर ली. सोनू कश्यप मथुरा शहर के थाना चंद्रावली के यमुना पल्ली लक्ष्मी नगर मोहल्ले में रहता था. सोनू हृष्टपुष्ट आकर्षक युवक था. इसलिए मुसकान उस पर फिदा हो गई थी.

संदीप राजपूत उर्फ सलोनी मजबूरी में बना किन्नर शादी के बाद सोनू मुसकान के साथ सफीपुर में रहने लगा. वह कुछ माह मुसकान के साथ रहता तो कुछ माह मातापिता के साथ. इस तरह सोनू का आनाजाना सफीपुर बना रहता था. वसीम को जब मुसकान द्वारा दूसरी शादी करने की जानकारी हुई तो वह जलभुन उठा. उस ने मुसकान से कहा कि दूसरी शादी रचा कर उस ने अच्छा नहीं किया. तब उस ने मुसकान को जान से मारने की धमकी भी दी. उस के बाद वसीम उसे आए दिन धमकियां देने लगा. वसीम की धमकियों से आजिज आ कर मुसकान ने सुरक्षा के तौर पर अपने घर पर 2 सीसीटीवी कैमरे भी लगवा लिए.

मुसकान के साथ उस की 3 किन्नर साथी अन्नू, रूबी व सलोनी रहती थीं. सलोनी युवक किन्नर था. उस का नाम संदीप राजपूत था. संदीप का विवाह रिंकी से हुआ था. रिंकी ने सुहागरात को ही जान लिया था कि उस का पति संदीप नपुंसक (किन्नर) है. रिंकी का इस बाबत संदीप की मां मीना से झगड़ा हुआ.

लड़झगड़ कर रिंकी मायके चली गई और ससुराल वालों के खिलाफ कोर्ट में दहेज व धोखाधड़ी का मामला दर्ज करा दिया. कोर्टकचहरी के चक्कर से बचने के लिए संदीप किन्नर बन गया. उस ने अपना नाम सलोनी रख लिया और मुसकान के घर सफीपुर आ कर रहने लगा.

मुसकान सफीपुर कस्बे की चर्चित किन्नर थी. वह अपनी चेलियों अन्नू, रूबी, सलोनी व ढोलकिया मनोज बाबा के साथ क्षेत्र में निकलती थी और खूब कमाई करती थी. कमाई का आधा भाग वह स्वयं लेती थी और शेष भाग का बंटवारा सहयोगियों में करती थी. एक किलो सोने की ज्वैलरी थी मुसकान के पास

मुसकान ने अब तक कार भी खरीद ली थी. मनोज गोस्वामी को उस ने बतौर ड्राइवर रखा था. उस का रहनसहन अब रईसों जैसा था. उसे सोने के आभूषण खरीदने तथा पहनने का बेहद शौक था. कस्बे के एक ज्वैलर से उस ने एक किलोग्राम सोने के आभूषण खरीदे थे. वह पैसा बैंक में जमा करने के बजाय उस से ज्वैलरी खरीदना ज्यादा पसंद करती थी.

मुसकान के इस रहनसहन से अन्नू, रूबी व सलोनी ईर्ष्या करती थीं. वे सोचती थीं कि जो मुसकान के पास है, वह सब उन के पास भी होता.इसी सोच में अन्नू और रूबी की नीयत डोल गई. अन्नू ने एक रोज मुसकान के एटीएम से 40 हजार रुपए निकाल लिएइस की जानकारी मुसकान को हुई तो उस ने अन्नू को भलाबुरा कहा और पिटाई भी की. यही नहीं, उस ने वाट्सऐप के जरिए अन्नू को समुदाय में बदनाम भी कर दिया.

इस अपमान से अन्नू तिलमिला उठी और मुसकान से बदला लेने की सोचने लगी. रूबी ने भी उस की ज्वैलरी चुराई थी, सो उसे भी मुसकान ने बेइज्जत किया था. इसलिए रूबी भी मुसकान से नाराज रहने लगी थी.मुसकान के घर पर पुष्पा और संतोषा खाना बनाने का काम करती थीं. अन्नू व रूबी की करतूत से दोनों वाकिफ थीं, सो वे दोनों उन पर नजर रखती थीं. मुसकान को किन्नर सम्मेलन में जाने का बड़ा शौक था. वह आसपास के जिलों में होने वाले किन्नर सम्मेलनों में अकसर जाती रहती थी.

सम्मेलनों के अलावा मुसकान को पशुपक्षी से भी प्रेम था. उस ने दरजनों सफेद कबूतर व सफेद खरगोश पाल रखे थे, जिन का मकान की छत पर डेरा रहता था. मुसकान का एक वफादार कुत्ता चीकू भी था. वह उस से बेहद प्यार करती थी.अन्नू व रूबी दोनों मुसकान से अपमान का बदला लेना चाहती थीं. उन की निगाह मुसकान के आभूषणों तथा नकदी पर भी थी. आखिर में उन दोनों ने मुसकान की हत्या व लूट करने की योजना बनाई.

इस में उन दोनों ने संदीप उर्फ सलोनी को भी शामिल कर लिया. संदीप इसलिए राजी हो गया कि लूटे गए पैसों से वह पत्नी रिंकी से समझौता कर लेगा और कोर्टकचहरी से निजात पा जाएगा. योजना बनाने के बाद तीनों समय का इंतजार करने लगे.29 जुलाई, 2022 की सुबह मुसकान का ड्राइवर मनोज गोस्वामी बाइक की चाबी सोनू को देने मथुरा चला गया. दरअसल, 8 दिन पहले सोनू जब सफीपुर आया था तो अपनी बाइक की चाबी घर पर ही भूल गया था. शाम को रसोइया पुष्पा व संतोषा आईं और रात 8 बजे खाना बना कर अपने घर चली गई थीं.

उचित मौका देख कर रूबी, अन्नू तथा सलोनी ने गुफ्तगू की फिर काम तमाम करने की ठान ली. तीनों ने मिल कर शराब पी तथा मुसकान को भी पिलाई. शराब पीने के बाद मुसकान कमरे में जा कर लेट गई. चारों में से खाना किसी ने नहीं खाया.रात साढ़े 10 बजे किन्नर मुसकान जब सो गई, तब रूबी, अन्नू व सलोनी मुसकान के कमरे में पहुंचीं. रूबी व सलोनी ने मुसकान के हाथपैर पकड़ लिए और अन्नू ने तमंचा माथे पर सटा कर फायर कर दिया. गोली लगने से मुसकान का भेजा उड़ गया और उस की मौत हो गई.
फिर तीनों ने मिल कर शव फर्श पर रखा. इस के बाद कमरे का सामान बिखेर कर अलमारी से ज्वैलरी व नकदी लूट ली. अन्नू ने मुसकान का आईफोन भी अपने कब्जे में ले लिया. घर में 2 सीसीटीवी कैमरे लगे थे. पकड़े जाने के डर से उन्होंने उखाड़ कर सुरक्षित कर लिए. फिर कमरे को बाहर से बंद कर तीनों फरार हो गईं. मुसकान का आईफोन भी अन्नू ने रख लिया था.

सफीपुर से तीनों एक ट्रक ड्राइवर से लिफ्ट ले कर रात में ही बरेली आ गईं. यहां वे एक होटल में ठहरीं. होटल में ही अन्नू, रूबी व सलोनी ने आभूषण व नकदी का आपस में बंटवारा किया.बंटवारे में तीनों के हिस्से में 26-26 हजार रुपए नकद तथा सोने की ज्वैलरी के 28-28 नग आए. बंटवारे के बाद तीनों अलगअलग रास्ते से फरार हो गईं.

इधर घटना की जानकारी तब हुई, जब मुसकान का कुत्ता चीकू पुष्पा के घर गया और उस की साड़ी खींच कर घर लाया. पुष्पा ने ढोलकिया मनोज बाबा की मार्फत पुलिस को सूचना दी.4 अगस्त, 2022 को पुलिस ने आरोपी संदीप उर्फ सलोनी को उन्नाव कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. 2 अन्य आरोपी रूबी व अन्नू फरार थीं. पुलिस उन की तलाश में जुटी थी.

बीवी की शतरंजी चाल : भाग 3

एक समय में वीरेंद्र का नरकटियागंज सहित पूरे बेतिया में दबदबा था. इसलिए कमलेश उर्फ बिट्टू जायसवाल ने वीरेंद्र से शरण मांगी थी. उसे उम्मीद थी कि वीरेंद्र उसे पुलिस और प्रियंका के घर वालों से बचाने में मदद करेगा.
बताया जाता है कि जब बिट्टू और प्रियंका भाग कर उस के पास आए थे, तब कुछ दिन बाद वीरेंद्र ने बिट्टू को अपने घर से भगा दिया और प्रियंका से जबरन शादी कर ली.
प्रियंका से उस के 3 बच्चे भी हुए. लेकिन जब वीरेंद्र प्रियंका के साथ लखनऊ रहने आ गया, तब वहीं खुशबून तारा उस की जिंदगी में आ गई, जिसे वह नरकटियागंज से ही जानता था.

वीरेंद्र दिल में बसा चुका था प्रियंका को प्रियंका को वीरेंद्र ने पहली बार बिट्टू की नरकटियागंज के चौराहे पर स्थित पान की दुकान पर देखा था. उसे देखते ही वह उस पर फिदा हो गया था. दुकान पर प्रियंका बिट्टू की वजह से नियमित आती थी.
एक दिन आधी रात को वीरेंद्र ने बिट्टू और प्रियंका को साथ अपने घर आया देखा तो वह चौंक गया. वह अभी कुछ सवाल करता, इस से पहले ही कमलेश ने उसे कुछ दिनों तक प्रियंका के साथ रहने के लिए शरण मांगी.

उन्होंने बताया कि दोनों मंदिर में शादी कर चुके हैं, जिस का दोनों के परिवार में विरोध होगा. प्रियंका ठाकुर खानदान की है और वह वैश्य समाज से आता है. उन की शादी को प्रियंका के घर वाले कभी नहीं स्वीकारेंगे.वीरेंद्र को भी यह बात अच्छी नहीं लगी कि ऊंची जाति की कोई लड़की अपने नीचे की जाति वाले से अंतरजातीय विवाह करे. वह खुद ठाकुर था, लेकिन प्रियंका की वजह से उस ने अपने बड़े घर के एक हिस्से में उन दोनों को रहने की इजाजत दे दी.

प्रियंका को शादी के लिए कर लिया राजी अगले रोज ही वीरेंद्र ने प्रियंका को हिफाजत से रखने के बहाने से कमलेश उर्फ बिट्टू को चले जाने के लिए कहा. उस ने वादा किया कि उस की अमानत के तौर पर प्रियंका सुरक्षित रहेगी. बिट्टू उस की बातों में आ गया.
बिट्टू के जाने के बाद वीरेंद्र ने प्रियंका से न केवल अपने दिल की बात कही, बल्कि उसे समाज से बाहर किसी से शादी करने को ले कर डरायाधमकाया भी. वीरेंद्र ने इलाके में अपनी हैसियत और पैसा का हवाला देते हुए उस के साथ शादी करने का दबाव बनाया.
प्यार में अंधी प्रियंका घर से भाग चुकी थी.

उस के लिए दोबारा घर लौटना असंभव दिखा. उसे संरक्षण देने वाला व्यक्ति प्रेमी से कहीं ज्यादा वफादार लगा और वह वीरेंद्र से शादी करने को तैयार हो गई.उन्हीं दिनों वीरेंद्र के सामने बिहार छोड़ने की मजबूरी आ गई. वह प्रियंका के साथ लखनऊ आ गया. बिट्टू को जब पता चला कि उस की प्रेमिका प्रियंका पर वीरेंद्र ने कब्जा कर लिया है तो वह ठगा से महसूस करने लगा और भीतर ही भीतर वीरेंद्र से दुश्मनी भी पाल ली.
प्रियंका अभी अपनी शादी की 2 वर्षगांठ भी नहीं मना पाई थी कि उस का सामना सौतन खुशबून तारा से हो गया.

वीरेंद्र से शादी करने के बाद खुशबून ने अपना धर्म भी बदल लिया. इस का जम कर विरोध करते हुए प्रियंका बातबात में वीरेंद्र को जलील करने लगी.
फिरदौस गैंगस्टर का शूटर होने के चलते अभिमान में रहता था. वह अपना ठेका लेने या दूसरे के ठेके में से हिस्सा लेने की ताक में लगा रहता है. नहीं मिलने पर उस से दुश्मनी कर बैठता था. इस का शिकार वीरेंद्र भी हो चुका था.

वीरेंद्र को छोटेमोटे विवाद तो आपस में लेनदेन के बाद निपट जाते थे, लेकिन 2011 में हुआ विवाद थाना और अदालत तक जा पहुंचा. एक ठेके को ले कर वीरेंद्र के खिलाफ स्थानीय थाने में मामला दर्ज हो गया. जब उस ने महसूस किया कि बिहार में रहते हुए ठेकेदारी में काफी अड़चनें आ रही हैं, तब उस ने राज्य छोड़ने की योजना बना ली.

वीरेंद्र लखनऊ तो आ गया, लेकिन वह पिछली जिंदगी की परेशानियों से उबर नहीं पाया. पेशागत दुश्मनी बनी रही और दुश्मन पीछे लगे रहे. उन्हीं दिनों खुशबून तारा भी वीरेंद्र के संपर्क में आ गई थी और साथ रहने लगी. पहले से दुश्मन बना बैठा फिरदौस वीरेंद्र के साथ एक बार फिर रेलवे की ठेकेदारी हासिल करने को ले कर टकरा गया.

एक घटना सन 2014 की है, जो वीरेंद्र के लिए काफी नुसानदायक साबित हुई. एक काम के सिलसिले में उस का नरकटियागंज आना हुआ था. वहां घात लगाए दुश्मनों ने उस पर हमला कर दिया था.उस हमले में वह बच गया था, लेकिन शंभु राम नामक व्यक्ति की हत्या हो गई थी. हत्या का आरोप वीरेंद्र पर ही लगा जरूर, लेकिन उस का दबदबा भी बढ़ गया.

कुछ समय बाद ही बेतिया में 1 करोड़ 19 लाख के ठेके के विवाद में वीरेंद्र पर फायरिंग हो गई, जिस में एक महिला समेत 5 अन्य व्यक्तियों को जेल भेज दिया गया. उन में एक को छोड़ कर बाकी की जमानत हो गई थी.ठेके के विवाद में ही 2 जुलाई, 2019 को वीरेंद्र पर जानलेवा हमला लखनऊ के चारबाग जीआरपी स्टेशन के पास हुआ. उसे 2 युवतियों से मिलने के बहाने से बुलाया गया था. उस हमले में वह बच गया था, लेकिन कुछ गोलियां उस के पैरों में जा लगी थीं. रीढ़ की हड्डी को नुकसान हुआ था, जिस से वह दिव्यांग हो गया था.

तब दर्ज मुकदमे में प्रियंका और बिट्टू के अलावा अलावा 3 अन्य आरोपी शादाब अख्तर, फिरदौस और मिराज खातून बनाए गए थे. उस के बाद से वीरेंद्र और उन की दुश्मनी की जड़ें और गहरी हो गई थीं. हालांकि वीरेंद्र सतर्क हो गया था और सुरक्षा के लिए उस ने 3 गार्ड रख लिए थे.

वीरेंद्र की निगाह में बिट्टू के साथ प्रियंका भी खटकने लगी थी. हालांकि तब तक प्रियंका 3 बच्चों की मां भी बन चुकी थी. बात प्रियंका के तलाक तक की पहुंच गई थी, किंतु कोरोना प्रकोप के चलते मार्च 2020 में लौकडाउन लग गया और उन के तलाक की अरजी अदालती फाइलों में ही दबी रही.

घर में रहते हुए वीरेंद्र का घर कलह का अखाड़ा बन चुका था. वीरेंद्र का कामधंघा भी रुका हुआ था. वीरेंद्र उन दिनों काफी मानसिक तनाव में आ चुका था. किसकिस को संभाले, यह तय नहीं कर पा रहा था.

लौकडाउन खत्म होने के बाद साल 2021 के मध्य से वीरेंद्र कामकाज में जुट गया था, लेकिन उस का कभी इलाज के सिलसिले में दिल्ली जाना होता तो कभी कोर्ट की सुनवाई के सिलसिले में बिहार जाना पड़ता था. उन सब समस्याओं से निपट कर जब घर लौटता तब प्रियंका और खुशबून तारा की जलीभुनी बातें सुनने को मिलती थीं.
आखिरकार, एक दिन उस ने प्रियंका को कह दिया कि जहां जाना चाहे जाए, तलाक की अरजी मंजूर होते ही वह उसे उस का हक दे देगा.

प्रियंका ने पूर्व प्रेमी के साथ रची साजिश फिर एक दिन प्रियंका अपने एक बच्चे को ले कर मायके चली आई. उस के कुछ दिनों बाद उस ने पुराने प्रेमी कमलेश जायसवाल उर्फ बिट्टू से मिल क र खतरनाक योजना बना डाली. वारदात में कोई चूक न होने पाए, इस के लिए फिरदौस ने प्रियंका के साथ वीरेंद्र के घर के आसपास जा कर मुआयना तब किया था, जब वीरेंद्र इलाज के सिलसिले में खुशबून तारा के साथ दिल्ली गया हुआ था.

इस हत्याकांड के बाद 3 जुलाई, 2022 को बिहार के सीवान जिले के बड़हरिया कस्बे से क्राइम ब्रांच और एसटीएफ की टीम ने भाड़े के शूटरों को गिरफ्तार कर लिया था, किंतु तीनों मुख्य आरोपी पकड़ में नहीं आ पाए थे. उन्हें बड़े ही नाटकीय ढंग से पकड़ा गया था. इस बारे में डीसीपी (ईस्ट) प्राची सिंह ने जांच टीम को कुछ अहम सुराग दिए थे.

प्राची सिंह के अनुसार घटना को अंजाम देने के बाद फरार आरोपियों ने जियामऊ होटल में रात गुजारी थी. उन्हें फिरदौस ने रात में जश्न की एक पार्टी दी थी. पुलिस को वहीं पास में ही स्थित बक्शी का तालाब के निकट झाड़ी से मोबाइल फोन मिला था. उस से मिले नंबरों को सर्विलांस में लगा कर काल डिटेल्स निकाली गई थी. उसी आधार पर हमलावर पकड़े गए थे.

11 जुलाई, 2022 को एसटीएफ की टीम ने उसी काल डिटेल्स के आधार पर शाहजहांपुर जा कर वीरेंद्र के सुरक्षा गार्ड सतीश और देवेंद्र को भी पकड़ लिया था. पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लखनऊ ले आई. उन्होंने पूछताछ में बताया कि 25 जून की घटना से वे काफी डर गए थे. इस कारण वे फरार हो गए थे कि कहीं उन का नाम भी ठेकेदार की हत्या में न आ जाए.

बहरहाल, इस मामले में हत्या का मास्टरमाइंड कमलेश जायसवाल उर्फ बिट्टू जायसवाल की 25 जुलाई को पुलिस से मुठभेड़ हो गई, जिस से कमलेश के दाहिने पैर में गोली लगी और उसे सिविल अस्पताल में भरती करवा दिया गया. इस दौरान उस का एक साथी भाग गया था, संभवत: वह फिरदौस हो.

पुलिस ने कमलेश उर्फ बिट्टू जायसवाल पर 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर रखा था. उस के पास से एक तमंचा, कारतूस व बाइक बरामद हुई. इस के खिलाफ बिहार के कई थानों में मुकदमे दर्ज हैं.

कथा लिखे जाने तक इस हत्याकांड के 2 आरोपी प्रियंका और फिरदौस फरार चल रहे थे. आरोपियों से पूछताछ के बाद उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया

2 पत्नियों ने दी पति की सुपारी : भाग 2

इसी बीच घर वालों ने बुलंदशहर में अपने गांव के पास के एक परिवार की लड़की से उस का रिश्ता तय कर दिया. लड़की का नाम था गीता. गीता की मां अपने पति को छोड़ कर अपने बच्चों के साथ दिल्ली में आ बसी थी.यहां उसे एनडीएमसी में सफाईकर्मी के रूप में काम मिल गया तो गृहस्थी की गाड़ी आराम से चलने लगी. गीता की शादी संजीव से तय हुई तो दोनों के ही परिजन खुश थे. मगर इस रिश्ते में खुशी ज्यादा दिन नहीं टिक पाई.

दरअसल, संजीव शुरू से ही इधरउधर मुंह मारने का आदी था. मतलब एक औरत से उस की हवस शांत नहीं होती थी. शादी के बाद भी उस ने पत्नी के अलावा कई औरतों से शारीरिक संबंध बना रखे थे, जिसे ले कर गीता और संजीव में आए दिन झगड़े होने लगे.इस बीच संजीव से गीता को 2 बच्चे हुए. बेटा ललित जो अब 27 साल का है और बेटी कोमल जिस की उम्र इस समय 21 साल है, घर में आए दिन मांबाप के बीच होने वाली मारपीट गालीगलौज के बीच दोनों बच्चे बड़े होने लगे.

उस की रासलीलाओं को देख कर गीता अंदर ही अंदर घुली जाती थी. पति के अत्याचार से तंग आ कर गीता कभीकभी बच्चों को ले कर अपनी मां के पास चली जाती थी.संजीव ने सरकारी नौकरी करते हुए गोविंदपुरी इलाके में 200 गज का एक प्लौट, 2 मकान, डीडीए का एक मकान, नोएडा के परी चौक जैसे एरिया में एक प्लौट और एक अन्य मकान छोटी सी अवधि में बना लिए थे. उस के पास इतना पैसा कहां से आ रहा था, यह कोई नहीं जानता.

भाइयों की जमीन करा ली थी अपने नाम यही नहीं, संजीव ने गांव में अपने बूढ़े और कम पढ़ेलिखे पिता पर दबाव डाल कर और झूठ बोल कर फरजी तरीके से भाइयों के हिस्से की जमीन भी अपने नाम लिखवा ली थी. जिस का पता चलने पर पिता ने उसे अपनी सभी संपत्तियों से बेदखल कर दिया था. जिस के बाद मातापिता से संजीव के रिश्ते पूरी तरह खत्म हो गए थे.

बस, यहां उस की पत्नी गीता थी, जो तमाम उत्पीड़न और हिंसा सहते हुए भी संजीव के भाइयों के परिवार से नातारिश्ता जोड़े हुए थी. मगर एक दिन जब संजीव अपने से आधी उम्र की लड़की नजमा को अपनी दूसरी पत्नी बना कर घर ले आया तो गीता की बरदाश्त करने की हद समाप्त हो गई. वह अपने दोनों बच्चों को ले कर हमेशा के लिए अपनी मां के घर चली गई.

उस की मां ने जोड़जुगाड़ लगा कर बेटी की नौकरी बतौर सफाई कर्मचारी एनडीएमसी में लगवा दी तो गीता के लिए जीवन के रास्ते कुछ आसान हो गए. वह अकेली ही अपने दोनों बच्चों को पालने लगी. जब चार पैसे आने लगे तो उस ने दक्षिणपुरी इलाके में एक मकान किराए पर ले लिया और बच्चों के साथ उस में शिफ्ट हो गई.इधर नजमा से संजीव की शादी की कहानी भी गजब की थी. नजमा झारखंड के गोड््डा की रहने वाली थी. नजमा के भाई काम की आस में कभीकभी दिल्ली आया करते थे और यहां वे संजीव के मकान में किराएदार के रूप में ठहरते थे. एकाध बार नजमा भी अपने भाइयों के साथ दिल्ली आई.

जब संजीव की नजर कमसिन नजमा पर पड़ी तो उस की कामुक चाहतें पंख फड़फड़ाने लगीं. योजना के अनुसार, उस ने नजमा के भाइयों से नजदीकियां बढ़ाईं. फिर उस की नजमा से भी बातचीत शुरू हो गई. संजीव ने नजमा के भाइयों से कहा कि वह उन की बहन के लिए एक अच्छा रिश्ता देखेगा और उस की शादी करवा देगा. इस तरह संजीव ने उन के दिल में अपनी जगह बना ली.

मौका मिलने पर संजीव एक दिन एक लड़के को साथ ले कर नजमा के गांव पहुंचा और उस लड़के से नजमा के निकाह की बात कह कर वह नजमा को अपने साथ दिल्ली ले आया. नजमा से कर ली दूसरी शादी

यहां आ कर उस ने नजमा को अपने घर में रख लिया और अपनी लच्छेदार मीठीमीठी बातों में फंसा कर उसे अपने साथ शादी करने के लिए राजी कर लिया और एक मंदिर में शादी कर ली. उधर संजीव की अपनी पत्नी गीता ने तूफान खड़ा कर दिया. दोनों के बीच जम कर लड़ाईझगड़ा और जूतमपैजार हुई.

बीवी की शतरंजी चाल : भाग 1

लखनऊ में थाना कैंट के प्रभारी शिवचरण लाल यादव 25 जून, 2022 को नीलमथा इलाके में एक दिव्यांग व्यक्ति वीरेंद्र ठाकुर की हत्या की सूचना पा कर चौंक गए थे. उन के चौंकने का कारण भी स्वाभाविक था, क्योंकि 42 वर्षीय वीरेंद्र और उस के परिवार की सुरक्षा में 3-3 गार्डों की तैनाती के बावजूद उस की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. हत्यारों ने गार्ड समेत परिवार के सभी सदस्यों को बंधक बना दिया था.

थानाप्रभारी यादव ने इस घटना की सूचना तुरंत एसीपी अर्चना सिंह को दी और अपने सहयोगी एसआई इरशाद आलम, अख्तर अहमद, उमेश यादव और एक महिला सिपाही पूजा सिंह को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए. कुछ समय में ही अर्चना सिंह, डीसीपी (ईस्ट) प्राची सिंह और एडिशनल डीसीपी कासिम आबिदी भी घटनास्थल पर आ गए.

जांचपड़ताल के दौरान पुलिस ने पाया कि हमलावर पुलिस जैसी वरदी पहन कर आए थे. वे हरे रंग की कैप लगाए हुए थे, जबकि चेहरे पर नकाब था.इन अधिकारियों को निरीक्षण में पता चला कि हमलावर घटना को अंजाम देने के बाद घर के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरों की डिजिटल वीडियो रिकौर्डर (डीवीआर) को खोल कर ले गए थे.
सभी पुलिस अधिकारियों ने आपसी विचारविमर्श के बाद हत्याकांड संबंधी कुछ बिंदुओं पर गहन तहकीकात करने का निर्णय लिया. साथ ही यह अनुमान लगाया गया कि दिव्यांग ठेकेदार की हत्या निश्चित तौर पर आपसी दुश्मनी का नतीजा है.
घटना में पुलिस का शक वीरेंद्र की पहली पत्नी पर गया,

जो उस समय वहां नहीं थी. जबकि बंधक बनाए गए परिवार के सदस्यों में उन के 3 बच्चे और वीरेंद्र की दूसरी बीवी खुशबून तारा मौजूद थी. उस ने घटना के बारे में बताया कि दोपहर साढ़े 12 बजे के करीब की जब वह किचन में आई, तब किसी ने दरवाजा खटखटाया. उस वक्त घर के हाल में सोफे पर बैठे 3 में एक गार्ड ने पूछा, ‘‘कौन है?’’

‘‘पुलिस!’’ बाहर से आवाज आई, जो एक कमरे में बैठे वीरेंद्र ठाकुर ने भी सुनी. उन्होंने गार्ड से कहा, ‘‘देखो कोई पुलिस वाला है? पूछो, क्या बात है.’’‘‘जी, अभी देखता हूं.’’ कहता हुआ गार्ड दरवाजे तक जाने के लिए आगे बढ़ा और दरवाजे की कुंडी खोलने से पहले पूछा, ‘‘कहां की पुलिस हो?’’

‘‘लोकल, दरवाजा खोलो. वीरेंद्र ठाकुर से कुछ पूछताछ करनी है,’’ बाहर से
आवाज आई.गार्ड ने दरवाजा खोल दिया. दरवाजा खुलते ही हथियारों से लैस पुलिस की वरदी पहने 3 व्यक्ति घर में दनदनाते हुए घुस आए. वे चौड़ा मास्क लगाए और टोपी पहने हुए थे. चेहरा पहचानना मुश्किल था.

पुलिस वरदी में आए थे हत्यारे पुलिस वालों को आया देख खुशबून तारा तब तक किचन से बाहर बड़े हाल में आ गई थी, एक ने उन्हें दबोच कर मुंह दबा दिया. बाकी ने तुरंत असलहा निकाल कर गार्डों पर तान दिए. उन के मोबाइल छीन लिए और खुशबून तारा समेत सभी गार्डों को साथ लगे एक कमरे में बंद कर दिया.

वहां पहले से ही 2 बच्चे हर्ष व ऋषि पढ़ाई कर रहे थे. उस के बाद वे सीधे वीरेंद्र के कमरे में घुस गए. खुशबून तारा ने पुलिस को यह भी बताया कि उन के तीनों सुरक्षागार्ड भी वरदीधारी हमलावरों के सामने कुछ नहीं कर पाए.

वीरेंद्र की हत्या की खबर पा कर लल्लन ठाकुर भागेभागे घटनास्थल पर पहुंचे. इस से पहले खुशबून तारा की तहरीर पर थानाप्रभारी कैंट शिवचरन लाल यादव ने प्राथमिकी दर्ज कर ली. उस में वीरेंद्र की हत्या का आरोप उस की पहली पत्नी प्रियंका और उस के प्रेमी कमलेश उर्फ बिट्टू जायसवाल समेत बिहार के पूर्व सांसद मरहूम शहाबुद्दीन के शूटर फिरदौस पर लगाया. उन के खिलाफ भादंवि की धारा 342, 452, 302 के अंतर्गत 25 जून, 2022 को मुकदमा दर्ज किया गया.

गोलीकांड के बाद वीरेंद्र के घर में लगे 4 सीसीटीवी कैमरों की डीवीआर गायब होने के कारण हमलावरों के चेहरे की पहचान नहीं हो पाई. पुलिस को सिर्फ हमले से पहले वीरेंद्र के घर के बाहर गली में 12 बजे के करीब एक कार खड़ी दिखी. कार में सवार 4 लोग गली में जाते हुए दिखे, जो कुछ देर बाद वापस लौट आए थे. उस के कुछ समय बाद ही वारदात को अंजाम दिए जाने का अनुमान लगाया गया.

ASI के फरेेबी प्यार में बुरे फंसे थाना प्रभारी

इश्क की बिसात पर खतरनाक साजिश : भाग 2

रहस्यमय लगी फौजी प्रवीण की मौत

मनीषा ने जब खाना पका लिया तो पति और बच्चों के साथ फर्श पर बैठ कर एक साथ सभी ने खाना खाया. खाना खिलानेपिलाने के बाद अपनी आदत के अनुसार मनीषा रसोई में जा कर बरतन धोते हुए पति को सोने के लिए दोनों बच्चों के साथ कमरे में भेज दिया और थोड़ी देर बाद खुद रसोई का काम निपटा कर वह भी सोने के लिए कमरे में चली गई. यह 3 फरवरी, 2022 की बात है.
मनीष अगली सुबह जल्दी उठ गई थी. उठते ही दहाड़ें मार कर रो रही थी. बहू मनीषा के रोने की आवाज सुन कर सब से बड़े जेठ ओमप्रकाश अपने कमरे से नीचे उतर कर आए और प्रवीण के कमरे के पास पहुंचे तो देखा कि मनीषा पति के सिरहाने फर्श पर बैठी दहाड़ें मारमार कर रो रही है.
मां को रोता देख उस के दोनों बच्चे भी रो रहे थे. ओमप्रकाश ने मनीषा से रोने का कारण पूछा तो उस ने बताया कि रात में इन्हें (पति) को हार्ट अटैक आया और यह अब इस दुनिया में नहीं रहे.
मनीषा के मुंह से यह सुन कर उसे ऐसा लगा जैसे उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई हो. उस ने बैड पर सोए भाई को हिलाडुला कर देखा. वाकई उस के शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी.
फिर क्या था? ओमप्रकाश ने अपने और भाइयों को आवाज लगाई और नीचे प्रवीण के कमरे में बुलाया. फिर उसे लादफांद कर जिला अस्पताल चरखी दादरी ले गए, जहां डाक्टरों से उसे मृत घोषित कर दिया.

प्रवीण कुमार भारतीय सेना के 22 सिंगनल रेजीमेंट, मेरठ में हवलदार पद पर तैनात था. उस की मौत की खबर मिलते ही घर में कोहराम मच गया. पत्नी और बच्चों का रोरो कर हाल बुरा हुए जा रहा था.
यह खबर जब मेरठ, रेजीमेंट तक पहुंची तो उस के साथी शौक्ड रह गए. उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि उन का जिंदादिल एक साथी उन्हें हमेशाहमेशा के लिए छोड़ कर इस दुनिया से चला गया.
बहरहाल, 4 फरवरी, 2022 के बाढड़ा थाने के प्रभारी रामअवतार सिंह ने मृतक प्रवीण के बड़े भाई ओमप्रकाश के बयान के आधार पर इत्तफाकिया मौत की काररवाई करते हुए डाक्टरों के बोर्ड द्वारा शव का पोस्टमार्टम करवाया था, लेकिन उस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आनी थी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से चौंक उठे थानाप्रभारी

उधर रेजीमेंट वालों ने राजकीय सम्मान के साथ प्रवीण को अंतिम विदाई दी. 10 वर्षीय बेटे ने पिता को मुखाग्नि दी तो वहां का माहौल बेहद गमगीन हो गया और सब की आंखें नम हो गईं.
खैर, नियति को भला कौन टाल सकता है. जो होना है वह हो कर ही रहेगा. उसे कोई रोक नहीं सकता. छोटे भाई की मौत का गहरा सदमा सब से ज्यादा बड़े भाई ओमप्रकाश को लगा था. पता नहीं क्यों उन्हें भाई की मौत संदिग्ध लग रही थी.
उन्हें यह बात भी खटक रही थी कि जब उस रात भाई को हार्ट अटैक आया तो बहू ने घर वालों को जगा कर क्यों नहीं बताया. कुछ तो गड़बड़ है, जो उन की आंखों के सामने होते हुए भी उन्हें दिखाई नहीं दे रहा है. वो बात क्या हो सकती है.
इन्हीं उलझे हुए सवालों के बीच ओमप्रकाश गुत्थी को सुलझाने में जुटे हुए थे, लेकिन गुत्थी का कोई भी सिरा अभी तक उन के हाथ नहीं लगा था और भाई की चिता को ठंडा हुए करीब हफ्ता भर बीत गया.

12 फरवरी को प्रवीण की मौत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो उसे पढ़ कर थानाप्रभारी रामअवतार ऐसे उछले जैसे सैकड़ों बिच्छुओं ने उन्हें एक साथ डंक मारे हों.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में प्रवीण की मौत दम घुटने से हुई बताया गया था. जबकि उस की पत्नी मनीषा हार्टअटैक से पति की मौत होना बता रही थी. दोनों बातों में काफी विरोधा
भास था.

यही नहीं, जब थानाप्रभारी रामअवतार सिंह ने ओमप्रकाश को थाने बुलवा कर उन्हें पोस्टमार्टम रिपोर्ट की सच्चाई बताई तो वह भी चौंक उठे. प्रवीण की मौत ने नई कहानी को जन्म दे दिया था.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट पढ़ने के बाद ओमप्रकाश का शक यकीन में बदल गया. उन्हें बहू मनीषा पर शक हो गया कि भाई की मौत के पीछे जरूर उस का हाथ होगा.
लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट की सच्चाई ओमप्रकाश ने किसी के सामने जाहिर नहीं होने दी थी और न ही इंसपेक्टर रामअवतार ने. जबकि वह केस की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को देते रहते थे. उन्हीं से गाइडेंस भी लेते रहे. उन्होंने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया.

बीवी की शतरंजी चाल : भाग 2

वीरेंद्र की पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के अनुसार हमलावरों द्वारा उस पर नजदीक से 3 गोलियां दागी गई थीं, जिस में 2 सिर में फंसी हुई थीं, जबकि एक गोली सिर को भेदती हुई पार निकल गई थी.

वारदात में जुड़ा एक गैंगस्टर का नाम लखनऊ के पुलिस कमिश्नर डी.के. ठाकुर ने इस वारदात को गंभीरता से ले कर मामले की गहन तहकीकात के सख्त आदेश दिए. कारण मामले में बिहार के मोस्टवांटेड अपराधी और रेलवे के ठेकेदार वीरेंद्र ठाकुर उर्फ गोरख ठाकुर की हत्या के साथ एक गैंगस्टर का नाम भी जुड़ गया था. वह गैंग बिहार के पूर्व दिवंगत सांसद शहाबुद्दीन का था.

जांचपड़ताल आगे बढ़ाने के लिए लखनऊ पुलिस ने एसटीएफ और क्राइम ब्रांच की टीम को बिहार भेज दिया. जांच टीम ने प्रारंभिक जांच में पाया कि वीरेंद्र ठाकुर को लोग गोरख ठाकुर के नाम से जानते थे. वह मूलत: पश्चिमी चंपारण में बेतिया जिले के नरकटियागंज का रहने वाला था.

लखनऊ आने से पहले वह पीडब्ल्यूडी विभाग की ठेकेदारी के धंधे में ही था. इस पेशे में उस ने अगर अच्छा पैसा कमा कर रुतबा कायम कर लिया था, तो रंजिश के चलते कई विरोधी बना लिए थे, जो दुश्मन बन चुके थे.दुश्मनी इस कदर बढ़ गई थी कि गोरख ठाकुर उर्फ वीरेंद्र ठाकुर ने साल 2012 में बिहार छोड़ दिया था. वह सपरिवार लखनऊ आ कर बस गया था. परिवार में उस की पत्नी प्रियंका ठाकुर और उन के बच्चे थे. बिहार छोड़ने के पीछे ठेके में हुए विवाद को कारण बताया जाता है.

लखनऊ में उसे बिहार के ही इकरामुद्दीन खां का सहयोग मिला. वह उस का पूर्व परिचित था. उस की मदद से पीडब्लूडी और दूसरे सरकारी विभागों का ठेका ले कर लखनऊ में काम करने लगा, किंतु नाम बदल कर वीरेंद्र ठाकुर कर लिया. इकरामुद्दीन की ही बेटी खुशबून तारा है.दरअसल, पत्नी प्रियंका के रहते हुए वीरेंद्र ने खुशबून तारा से प्रेम संबंध कायम कर लिए थे. इस की जानकारी खुशबून के पिता को भी थी.
वीरेंद्र के साथ ठेकेदरी में सहयोगी संबंध होने के कारण भी इकरामुद्दीन ने अपनी बेटी का अधिक विरोध नहीं जता पाया और न ही वीरेंद्र की मुखालफत की.

वीरेंद्र ने खुशबून तारा से विवाह रचा लिया था. इस तरह एक म्यान में 2 तलवारों जैसी स्थिति में प्रियंका और खुशबून रहने को मजबूर थीं. नतीजा आए दिन उन के बीच कलह होने लगी थी. एक तरफ पति और उस की संपत्ति पर हक जताने को ले कर घरेलू लड़ाईझगड़े आम बात थी तो दूसरी तरफ वीरेंद्र के दुश्मन भी बाहर से आक्रामक बने हुए थे.

आरोपियों की धरपकड़ के लिए एसटीएफ के एडीजी अभिताश यश ने नरकटियागंज में डेरा डाल दिया था. उन्हें जांच में पता चला कि घटना के कुछ रोज पहले वीरेंद्र और खुशबून तारा के साथ लड़ाईझगड़े से ऊब कर प्रियंका अपने बच्चों को छोड़ कर मायके (बिहार) आ गई थी. प्रियंका का पूर्व प्रेमी आया सामने

प्रियंका की जिंदगी भी कुछ कम उलझी हुई और जिल्लत भरी नहीं थी. उस का भी एक प्रेमी कमलेश उर्फ बिट्टू जायसवाल है. वह उसी के शहर का रहने वाला है. वीरेंद्र से झगड़े का दुखड़ा प्रियंका ने पूर्व प्रेमी को सुनाया और मदद मांगी.बिट्टू ने प्रियंका की समस्या का समाधान करने के लिए फिरदौस से मुलाकात करवाई, जो उन दिनों एक हत्या के मामले में फरार चल रहा था. वीरेंद्र के द्वारा आए दिन उत्पीड़न करने की जानकारी उसे पहले से थी.

फिरदौस के सिर पर शहाबुद्दीन का हाथ था. यही नहीं, वह ऐसा व्यक्ति था, जिसे वीरेंद्र की अधिकतर आदतों और गतिविधियों की जानकारी थी. यहां तक कि वीरेंद्र के मकान का मेन डोर खोलने और भीतर के पूरे लोकेशन को वह जानता था. 27 जून, 2022 की सुबह जांच टीम बिहार पहुंचने के बाद हत्या में नामजद आरोपियों की तलाश में जुट गई थी. आरोपियों की काल डिटेल्स के आधार पर सर्विलांस टीम को महत्त्वपूर्ण जानकारी मिली. यह जानकारी बिहार में डेरा डाले एसटीएफ के एडीजी को भेज दी.

उस जानकारी के आधार पर बिहार में मौजूद लखनऊ पुलिस की टीम ने मंजर इकबाल, सरफराज अहमद, कासिफ और अली हसन को गिरफ्तार कर लिया. वे सभी फिरदौस के संपर्क में रहने वाले लोग थे. हालांकि कई बार प्रियंका के घर पर दबिश के बावजूद वह पकड़ में नहीं आ पाई थी.पकड़े गए लोगों से पूछताछ में प्रियंका का भी चौंकाने वाला राज खुला. उन से ही प्रियंका से विवाह रचाने और फिर खुशबून तारा से संपर्क में आने की कहानी सामने आई. इस के अलावा फिरदौस से उस की दुश्मनी के बारे में भी कई राज खुले.

वीरेंद्र उर्फ गोरख ठाकुर के साथ प्रियंका, फिरदौस और बिट्टू की कहानी काफी घुलीमिली थी, जिस में दोस्ती और प्रेम कम कड़वाहटें, झांसेबाजी और अदावतें भरी थीं.पूछताछ में सब से बड़ा खुलासा प्रियंका को ले कर हुआ, जिस ने अपने पति वीरेंद्र की हत्या की सुपारी दी थी. तफ्तीश और अभियुक्तों से की गई पूछताछ के बाद वीरेंद्र ठाकुर की हत्या की जो कहानी सामने आई, बड़ी दिलचस्प निकली—

वीरेंद्र ठाकुर उर्फ गोरख ठाकुर की पहचान पूर्वी चंपारण इलाके में एक अच्छे ठेकेदार की थी. वह साल 2008 से ही पीडब्लूडी के करोड़ों रुपयों के ठेके लिया करता था. उस की पहली पत्नी प्रियंका और बिट्टू जायसवाल भी नरकटियांगंज के ही रहने वाले हैं.
वीरेंद्र की फिरदौस के साथ भी दोस्ती थी. उस के साथ बरौली बिरवा में खुशबून तारा के पिता इकरामुद्दीन के यहां ठेकेदारी के सिलसिले में आताजाता रहता था. वहीं खुशबून से भी उस की मुलाकात हो जाती थी. फिरदौस दूर के रिश्ते में खुशबून का भाई लगता था.

खुद वीरेंद्र एक वांटेड अपराधी था. बिहार के विभिन्न थानों में उस के खिलाफ 23 मुकदमे दर्ज थे. यही वजह थी कि वीरेंद्र के कई सारे दुश्मन भी थे, जिस में से एक उस की पत्नी प्रियंका की शादी से भी जुड़ा था. वीरेंद्र ठाकुर ने प्रियंका से शादी भी उस के प्रेमी कमलेश जायसवाल उर्फ बिट्टू को धोखा दे कर जबरन की थी.दरअसल, प्रियंका कमलेश जायसवाल उर्फ बिट्टू से प्यार करती थी. वे दोनों साथ रहने के लिए घर से भाग कर वीरेंद्र की शरण में आए थे. यह बात साल 2011 की है.

इश्क की बिसात पर खतरनाक साजिश : भाग 3

सबूत मिलने पर मनीषा ने कुबूला जुर्म

अधिकारियों के निर्देश पर सेना के हवलदार प्रवीण के कातिलों को रंगेहाथ पकड़ने की योजना उन्होंने बनाई थी. योजना के मुताबिक, टारगेट पर उन्होंने मृतक की पत्नी मनीषा को ले रखा था. शक के दायरे में मनीषा तो पहले से ही आ चुकी थी लेकिन पुलिस के पास उस के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं था, इसलिए उस की गिरफ्तारी नहीं हो पा रही थी.
मनीषा के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने के लिए पुलिस ने उस के मोबाइल फोन नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. यही एक आधार बचा था मनीषा की नाक में नकेल कसने
के लिए.
18 फरवरी, 2022 को पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी. दीपक ने मनीषा को उस के नंबर पर फोन कर के अपने प्यार का इजहार किया और मनीषा ने भी प्रेमी को विश किया था. बस, यही चूक पुलिस की कामयाबी की सीढ़ी बनी.

इसी आधार पर पुलिस ने 18 फरवरी को मनीषा और उस के प्रेमी दीपक को उन के घर से गिरफ्तार कर लिया और थाने ले आई. थाने में दोनों से अलग तरीके से कड़ाई से पूछताछ की गई, जहां पुलिस के सामने दोनों ही टूट गए और अपना गुनाह कुबूल कर लिया.

घटना से परदा उठाती हुई मनीषा ने बताया, ‘‘साहब, उसे मैं नहीं मारती तो वह हम दोनों को मार डालता. पति को हमारे प्यार के बारे में पता चल चुका था. उस ने साफ कह दिया था कि अब उसे हमारी जरूरी नहीं है. तुम ने समाज, बिरादरी में हमारी इज्जत उछाल दी है, इसलिए मैं तुम्हें छोड़ रहा हूं. पति की धमकी से मैं बुरी तरह डर गई थी साहब, इसलिए योजना बना कर मैं ने उसे हमेशा के लिए रास्ते से हटा दिया.’’बहरहाल, हवलदार प्रवीण कुमार हत्याकांड की कहानी पुलिस पूछताछ में कुछ इस तरह से सामने आई—
35 वर्षीय प्रवीण कुमार हरियाणा के चरखी दादरी जिले के बाढड़ा थानाक्षेत्र के गांव डूडीवाला किशनपुरा का मूल निवासी था. वह मेरठ में भारतीय सेना में हवलदार था. उस का अपना भरापूरा परिवार था. अपने परिवार से वह बेहद खुश था. परिवार में 12 साल की एक बेटी और 10 साल का एक बेटा था.
वैसे मनीषा और प्रवीण की शादी करीब 15 साल पहले हुई थी. मनीषा बेहद खूबसूरत थी. गोरीचिट्टी, इकहरे बदन की करीब साढ़े 5 फीट लंबी. लंबे काले बाल, झील सी
गहरी आंखें.

ऐसी सुंदर पत्नी पा कर प्रवीण बेहद खुश था. यही नहीं, मनीषा को भी पति पर नाज था कि वह देश की सरहद की रक्षा करने वाले जवान की पत्नी है.

चचेरे देवर दीपक से हो गया प्यार

बहरहाल, समय का पहिया अपनी गति से घूमता रहा. इस दौरान मनीषा 2 बच्चों की मां बन गई. प्रवीण का पारिवारिक जीवन बेहद सुखमय बीत रहा था. कब सफल जीवन के 15 साल यूं ही बीत गए, न तो प्रवीण को पता चला और न ही मनीषा को.इसी बीच दोनों के दांपत्य जीवन में दीपक नाम का नाग कुंडली मार कर बैठ गया, जो प्रवीण का जीवन लील गया.दीपक प्रवीण का चचेरा भाई था, जो पड़ोस में रहता था. ग्रैजुएशन कर चुका दीपक अभी कुंवारा था. कोई अच्छी नौकरी पा लेने के बाद उस ने शादी का मन बनाया था. सरकारी नौकरी पाने के लिए वह कंपीटिशन की तैयारी में जुटा हुआ था.दीपक की प्रवीण के साथ खूब निभती थी. चूंकि दीपक उस का चचेरा भाई था, इस रिश्ते से दीपक का प्रवीण के घर में आनाजाना था. जब चाहता, वह बेधड़क घर में चला जाता था. पूरा घर घूम कर चला आता था.

जब भी वह घर में दाखिल होता था, भतीजी और भतीजे को अपने शब्दों से गुदगुदाया करता था. बच्चों के पास बैठी मनीषा भी देवर की बातें सुनसुन कर लुत्फ उठाती थी.

भाभी का खिलखिला कर हंसना दीपक के कोरे मन पर गहरा असर डालता था. पता नहीं क्यों वह अपनी भाभी को हंसते देखता तो वह मुग्ध हो जाता था और उस के जिस्म में एक झुरझुरी सी दौड़ पड़ती थी.
मनीषा को भी देवर दीपक का उसे आशिकी की नजरों से देखना पता नहीं क्यों अच्छा लगने लगा था.
एक दिन मनीषा दीपक से सवाल कर बैठी थी, ‘‘क्या बात है देवरजी, आजकल देख रही हूं मैं कि आप मेरी जवानी को बड़ी आशिकी नजरों से देखते हैं.’’

‘‘नहीं तो भाभीजी, ऐसी कोई बात नहीं है, जैसा आप समझती हैं.’’ सकपकाते हुए दीपक ने उत्तर दिया.
‘‘क्यों झूठ बोलते हो देवरजी, पुरुषों के हावभाव से औरत पहचान जाती है कि सामने वाले के मन में क्या चल रहा है. मैं सब जानती हूं कि आप के मन में क्या चल रहा है.’’ शरारत भरे शब्दों से दीपक के मन को मनीषा ने टटोलने की कोशिश की.

‘‘मैं ने कहा न भाभी, आप जैसा सोच रही हैं, ऐसी कोई बात नहीं है. फिर आप मेरी अच्छी दोस्त भी हैं तो भला आप से क्या छिपाना? अगर कोई बात मेरे मन में चल रही होगी तो मैं सब से पहले आप से ही शेयर करूंगा.’’ दीपक बोला.‘‘पक्का न,बात जरूर शेयर करेंगे मेरे से.’’ मनीषा ने मुसकराते हुए कहा.
‘‘हां..हां..हां…मैं जरूर शेयर करूंगा आप से.’’दीपक मनीषा से था 10 साल छोटा

दीपक बात कहने को कह तो गया था लेकिन हकीकत में अपने से 10 साल बड़ी भाभी मनीषा से वह दिल लगा बैठा था. दीपक ने अपने मन के सौफ्ट कोने में मनीषा के लिए प्यार का घर बना लिया था. वह अपनी भाभी से प्यार करने लगा था. मनीषा ने दीपक के मन की बात अपनी आंखों से पढ़ ली थी.
वह जान चुकी थी कि दीपक उस से प्यार करने लगा है तो मनीषा भी खुद को ना नहीं कर सकी. वह भी दीपक के प्यार में पतंग बनी डोर के समान लिपट गई.

15 साल पहले फेरे लेते समय उस ने अग्नि के समक्ष जो कसमें खाई थीं, 3 महीने के प्यार के सामने भूल गई. पति को दिया वचन याद नहीं रहा. उसे याद रहा तो बस अपने से 10 साल छोटे प्रेमी का प्यार. मनीषा यह भी भूल गई कि वह 2 बच्चों की मां है. कहीं इस प्यार वाले रिश्ते की सच्चाई समाज में जाहिर हुई तो उन का क्या होगा.

कहते हैं, प्यार अंधा होता है. मनीषा भी दीपक के प्यार में अंधी हो चुकी थी. उस के सिर पर दीपक के प्यार का भूत इस कदर सवार था कि उसे दीपक के सिवाय कुछ नहीं दिख रहा था. दीपक का भी हाल कुछ ऐसा ही था.

मोहब्बत की आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई थी. पति नौकरी पर घर से दूर था. उन्हें मिलने से भी कोई रोक नहीं सकता था. दीपक का घर में आनाजाना तो बराबर था ही. वे देवरभाभी के रिश्तों की आड़ में घिनौना खेल खेल रहे थे.

बात इसी साल जनवरी की है. दोपहर का वक्त था. मनीषा घर में अकेली थी. उस के दोनों बच्चे स्कूल गए हुए थे. ठंड से कांपती मनीषा बैड पर बैठी रजाई में दुबकी हुई थी. तभी दीपक वहां आ पहुंचा. दीपक को देख कर उस का चेहरा खिल उठा. यही हाल दीपक का भी था.
मनीषा ने दीपक को इशारा कर के अपने पास रजाई में बैठने के लिए बुलाया तो दीपक का दिल धड़कने लगा. फिर उसे निहारते हुए उस के करीब रजाई में बैठ गया.अनुभवी मनीषा ने दीपक को पढ़ा दिया कामकला का पाठ

मनीषा के गरम जिस्म से जब दीपक का बदन स्पर्श हुआ तो उसे असीम आनंद की अनुभूति हुई. उधर मनीषा का रोमरोम खिल उठा था. फिर दीपक आहिस्ताआहिस्ता मनीषा की ओर बढ़ता चला गया और मनीषा उस के प्यार में डूबती हुई बिछती चली गई. पलभर में एक तूफान उठा और रिश्तों की मर्यादा को कलंकित कर गया.

दीपक और मनीषा को जब होश आया तब तक बहुत देर हो चुकी थी. पहली बार औरत के जिस्म का स्वाद चख कर दीपक का रोमरोम खिल उठा था. उस दिन के बाद से दोनों को जब भी मौका मिलता था, जिस्मानी रिश्ता बना लेते थे.लेकिन दोनों का यह खेल ज्यादा दिनों तक टिक नहीं सका. किसी स्रोत से यह जानकारी मेरठ में नौकरी कर रहे हवलदार प्रवीण को हो गई थी. पत्नी की अनैतिकता और चरित्रहीनता की कहानी सुन कर प्रवीण को बहुत गुस्सा आया.

पत्नी को सबक सिखाने के लिए नौकरी से कुछ दिनों की छुट्टी ले कर प्रवीण जनवरी 2022 के आखिरी सप्ताह में अपने घर आया. घर आया तो जरूर लेकिन वह पत्नी को उस के प्रेमी के साथ रंगेहाथ पकड़ना चाहता था, इसलिए प्रवीण ने पत्नी को कुछ नहीं बताया कि उस के अनैतिक रिश्तों की जानकारी उसे मिल चुकी है, नहीं तो वह सतर्क हो जाती.

प्रवीण ने पत्नी को पकड़ लिया रंगेहाथ

आखिरकार 3 फरवरी, 2022 की रात उस समय प्रवीण ने पत्नी को उस के प्रेमी के साथ रंगेहाथ पकड़ लिया था, जब वह किचन में आटा गूंथ रही थी और उस का प्रेमी दीपक उस से लिपटा हुआ था.
यह देख कर प्रवीण के तनबदन में आग सी लग गई. प्रवीण ने दोनों को जम कर लताड़ा. माहौल गरम देख कर दीपक दबेपांव वहां से अपने घर लौट गया तो प्रवीण ने पत्नी को डांटा, फटकार लगाई और जम कर मारा भी. प्रवीण ने उसे अपने साथ रखने से इंकार कर दिया. पति के इस फैसले से मनीषा बुरी तरह डर गई.

चूंकि मनीषा जानती थी कि उस ने जो किया था, वह गलत था. अगर पति ने उसे छोड़ दिया तो वह कहां जाएगी. समाज में किसे मुंह दिखाएगी. उसी वक्त उस के दिमाग में एक खतरनाक योजना ने जन्म लिया. उस ने तय कर लिया कि इस राज को राज रखना है तो पति को मारना होगा, वरना वह मुझे मार डालेगा.

फिर क्या था, उस ने नारी रूप का जाल फैलाया और आंखों में घडि़याली आंसू भर पति को मनाने में सफल हो गई. उस ने अपने किए की पति से माफी मांगी और उसे भरोसा दिलाने में कामयाब हो गई कि अब दीपक से उस का कोई वास्ता नहीं होगा. पत्नी के माफी मांगने पर प्रवीण का दिल पसीज गया और उस ने सच्चे दिल से उसे माफ कर दिया.
मनीषा यही चाहती भी थी. मामला जब पूरी तरह शांत हो गया तो उस ने पति से कहा, ‘‘आप हाथमुंह धो लीजिए, मैं आप के लिए खाना परोस कर लाती हूं.’’

प्रवीण क्या जानता था कि यह निवाला उस के जीवन का आखिरी निवाला होगा. उस ने जिसे अपने शरीर का आधा अंग समझ कर माफ कर दिया था, वही उस के जीवन को लील लेगी.खैर, पति को मना कर कमरे में भेज दिया. दोनों बच्चे खाना खा कर पहले ही दूसरे कमरे में सो चुके थे. मनीषा कमरे में गई और चुपके से अलमारी से नींद की गोली का पूरा पत्ता निकाल कर रसोई में पहुंची. फिर सभी गोलियों का चूर्ण बना कर आधीआधी कर के दाल और सब्जी की कटोरी में डाल कर अच्छी तरह मिला दिया ताकि दवा पूरी तरह मिक्स हो जाए और अपना असर तुरंत दिखाए.

प्रवीण ने खाना खाया और अपने कमरे में सोने चला गया. बिस्तर पर लेटते ही वह गहरी नींद के आगोश में चला गया. पति के गहरी नींद में आने के बाद मनीषा ने उसे हिलाडुला कर देखा कि कहीं वह अपने मकसद में अधूरी तो नहीं रह गई है. लेकिन वह अपनी चाल में सफल हो चुकी थी.

पति के नींद में जाने के बाद मनीषा ने दीपक को फोन कर के बुलाया. जब दीपक मनीषा के घर पहुंचा तो उस ने सारी योजना उसे बता दी. योजना के मुताबिक, दीपक ने सो रहे प्रवीण के पैर दबोचे तो मनीषा ने अपने हाथों से पति का गला घोट दिया.

पलभर के लिए फौजी प्रवीण के मुर्दे जिस्म ने हरकत की, फिर वह शांत हो गया. मनीषा को अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि उस का पति मर चुका है. फिर उस ने तौलिया पति के मुंह पर रख कर उसे तब तक दबाए रखा जब उसे यकीन हो गया कि प्रवीण सचमुच मर चुका है.उस के बाद दोनों ने सबूत मिटाने के लिए तौलिया और नींद वाली दवा की रैपर उसी रात जला दिए ताकि कोई भी सबूत पुलिस के हाथ न लगे और उन्हें जेल जाना पड़े.

लेकिन दोनों की छोटी सी गलती ने उन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया. इश्क की बिसात पर बिछाई खतरनाक साजिश की पुलिस ने बखिया उधेड़ दी.मनीषा की गलतियों से उस के दोनों बच्चों के सिर से मातापिता का साया उठ गया. कथा लिखे जाने तक पुलिस ने दोनों आरोपियों मनीषा और दीपक के खिलाफ हत्या और साक्ष्य मिटाने की धारा में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था और उन के खिलाफ अप्रैल 2022 में आरोपपत्र भी अदालत में दाखिल कर दिया.

ASI के फरेेबी प्यार में बुरे फंसे थाना प्रभारी : भाग 2

इसी सिलसिले में यह भी बात सामने आई कि रंजना टीआई को ब्लैकमेल कर 50 लाख रुपए वसूल चुकी थी. वह उस का इकलौता शिकार नहीं थे, बल्कि पहले भी 3 पुलिसकर्मियों पर दुष्कर्म का आरोप लगा कर उन से लाखों रुपए वसूल चुकी थी. रंजना खांडे मूलरूप से खरगोन के धामनोद की रहने वाली थी.

उस के बाद ही करीब 3 बजे पुलिस कमिश्नर के औफिस के बाहर गोलियां चली थीं. टीआई पंवार इस वारदात को ले कर घर से ही पूरा मन बना कर आए थे. यहां तक कि वह अपनी पत्नी तक से आक्रोश जता चुके थे. उन्होंने कहा था कि गोविंद जायसवाल से पैसे ले कर ही लौटेंगे.
कपड़ा व्यापारी गोविंद को उन्होंने 25 लाख रुपए दिए थे, जो लौटाने में आनाकानी कर रहा था. उन्होंने पत्नी लीलावती उर्फ वंदना से यह भी कहा था कि यदि उस ने पैसे नहीं दिए तो वह उसे मार डालेंगे. बात नहीं बनी तो अपनी जान भी दांव पर लगा देंगे.

58 साल के हाकम सिंह पंवार की नियुक्ति इसी साल 6 फरवरी को भोपाल के श्यामला हिल्स थाने में हुई थी. इस से पहले वह गौतमपुर, खुडेल, सर्राफा थाना, इंदौर कोतवाली, खरगोन, भिकमगांव महेश्वर, राजगढ़ में पदस्थापित रह चुके थे.उन का निवास स्थान वटलापुर इलाके में था. वहां उन्होंने एक फ्लैट किराए पर ले रखा था, लेकिन रहने वाले मूलत: उज्जैन जिले के तराना कस्बे के थे. वह भोपाल में अकेले रहते थे. मध्य प्रदेश पुलिस में वह सन 1988 में कांस्टेबल के पद पर भरती हुए थे. बताया जाता है कि उन्होंने 5 शादियां कर रखी थीं.

पहली शादी उन्होंने लीलावती उर्फ वंदना से की थी. बताया जाता है कि दूसरी शादी उन्होंने सीहोर की रहने वाली सरस्वती से की. गौतमपुरा में पोस्टिंग के दौरान उन की मुलाकात रेशमा उर्फ जागृति से हुई जो मूलरूप से इंदौर की पुरामत कालोनी की रहने वाली थी. वह उन की तीसरी पत्नी बनी.
मजीद शेख की बेटी रेशमा ने टीआई हाकिमसिंह पंवार पर अपना इस तरह प्रभाव जमा लिया था कि वह उन से जब चाहे तब पैसे ऐंठती रहती थी. चौथी प्रेमिका के रूप में रंजना खांडे उन के जीवन में आई. हाकमसिंह की सर्विस बुक में लता पंवार का नाम है. चर्चा यह भी है कि भोपाल में तैनाती के दौरान उन्होंने माया नाम की महिला से शादी की थी. पुलिस इन सब की जांच कर रही है.

रंजना 3 पुलिस वालों से ऐंठ चुकी थी ,70 लाख रुपए जांच में पता चला कि सन 2012 में मध्य प्रदेश पुलिस में भरती हुई रंजना धार जिले के कस्बा धामनोद की रहने वाली थी और मौजूदा समय में इंदौर की सिलिकान सिटी में रह रही थी. उस की पंवार से अकसर मुलाकात महेश्वर थाने में होती थी.
वह महेश्वर थाने पर पंवार से मिलने के लिए 12 किलोमीटर की दूरी तय कर आती थी. रंजना के साथ उस का भाई कमलेश खांडे भी पंवार से मिलता रहता था.

रजंना और कमलेश ने मिल कर ब्लैकमेलिंग का तानाबाना बुना था. 28 वर्षीय कमलेश रंजना का भाई था. उस के बारे में मालूम हुआ कि वह एक आवारा किस्म का व्यक्ति था.3 पुलिसकर्मियों को ब्लैकमेल करने में उस की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी. तीनों से दोनों बहनभाई ने करीब 70 लाख रुपए की वसूली की थी. उन का तरीका एक औरत के लिए शर्मसार करने वाला था, लेकिन रंजना को इस से कोई फर्क नहीं पड़ता था. वह पैसे की इस कदर भूखी थी कि उस ने अपनी इज्जत, शर्म और मानमर्यादा को ताक पर रख दिया था.

एएसआई रंजना की दिलफेंक अदाओं पर पंवार तभी फिदा हो गए थे, जब वह पहली बार महेश्वर थाने में मिली थी. दरअसल, रंजना 2018 में थाने के काम से महेश्वर आई थी, वहां उस की मुलाकात टीआई पंवार से हुई थी.पंवार ने उस की मदद की थी, जिस से रंजना ने उसे साथ कौफी पीने का औफर दे दिया था. पंवार उस के औफर को ठुकरा नहीं पाए थे. उन के बीच दोस्ती की पहली शुरुआत कौफी टेबल पर हुई, जो जल्द ही गहरी हो गई.

साथ में पैग छलका कर टीआई से बनाए थे शारीरिक संबंध फिर एक दिन अपने भाई के साथ पंवार के कमरे पर आ धमकी. उस ने बताया कि उस के भाई का बिजनैस में किसी के साथ झगड़ा हो गया है. मामला उन्हीं के थाने का है. वह चाहें तो मामले को निपटा सकते हैं. इस संबंध में पंवार ने रंजना को मदद करने का वादा किया. इस खुशी में रंजना ने उन्हें एक छोटी सी पार्टी देने का औफर दिया और भाई से शराब की बोतलें मंगवा लीं. कमलेश विदेशी शराब की बोतलें और खाने का सामान रख कर चला गया.

पंवार के सामने शराब और शबाब दोनों थे. वह उस रोज बेहद खुश थे. उन की खुशी को बढ़ाने में रंजना ने भी खुले मन से साथ दिया था. देर रात तक शराब का दौर पैग दर पैग चलता रहा. इस दरम्यान रंजना ने टीआई हाकम सिंह पंवार के लिए न केवल अपने दिल के दरवाजे खोल दिए, बल्कि पंवार के सामने कपडे़ खोलने से भी परहेज नहीं किया.

बैडरूम में शराब की गंध के साथ दोनों के शरीर की गंध कब घुलमिल गई, उन्हें इस का पता ही नहीं चला. बिस्तर पर अधनंगे लेटे हुए जब उन की सुबह में नींद खुली, तब उन्होंने एकदूसरे को प्यार भरी निगाह से देखा. आंखों- आखों में बात हुई और एकदूसरे को चूम लिया. कुछ दिनों बाद रंजना पंवार से मिलने एक बार फिर अपने भाई के साथ आई. उस ने पंवार को धन्यवाद दिया और कहा कि उस की बदौलत ही उस का मामला निपट पाया. इसी के साथ रंजना ने एक दूसरी घरेलू समस्या भी बता दी. वह समस्या नहीं, बल्कि पैसे से मदद करने की थी.

रंजना ने बताया कि उस के परिवार को तत्काल 5 लाख रुपए की जरूरत है. पंवार पहले तो इस बड़ी रकम को ले कर सोच में पड़ गए, किंतु जब उस ने शराब की बोतल दिखाई तब वह पैसे देने के लिए राजी हो गए. टीआई पंवार ने उसी रोज कुछ पैसे अपने घर से मंगवाए और कुछ दोस्तों से ले कर रंजना को दे दिए.बदले में रंजना को पहले की तरह ही रात रंगीन करने में जरा भी हिचक नहीं हुई. इस तरह पंवार को रंजना से जहां यौनसुख मिलने लगा, वहीं रंजना के लिए पंवार सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बन चुके थे. धीरेधीरे रंजना उन से लगातार पैसे की मांग करने लगी. पंवार भी उस की पूर्ति करते रहे. लेकिन आए दिन की जाने वाली इन मांगों से पंवार काफी तंग आ चुके थे.

हद तो तब हो गई जब रंजना ने एक बार पूरे 25 लाख रुपए की मांग कर दी. उस ने न केवल रुपए मांगे, बल्कि भाई के लिए एक कार तक मांग ली. इस मांग के बाद पंवार का पारा बढ़ गया. वह गुस्से में आ गए. फोन पर ही धमकी दे डाली. किंतु रंजना ने बड़ी शालीनता से उन की धमकी का जवाब एक वीडियो क्लिपिंग के साथ दे दिया.

2 पत्नियों ने दी पति की सुपारी : भाग 1

6जुलाई की रात कोई 8-सवा 8 बजे का वक्त था, जब दक्षिणपूर्वी दिल्ली के गोविंदपुरी इलाके में एक डीटीसी बस के ड्राइवर संजीव कुमार की गोली मार कर हत्या कर दी गई. जिस समय हत्या हुई, उस समय 55 वर्षीय संजीव अपनी 28 वर्षीय पत्नी गीता उर्फ नजमा और अपने 10 साल के बेटे गौरव के साथ मोटरसाइकिल से कहीं जा रहा था.

दीपालय स्कूल के पास संजीव पहुंचा ही था कि उस की चलती बाइक के बगल से एक अन्य बाइक पर 2 सवार निकले और उन्होंने संजीव की बाइक ओवरटेक करते हुए उसे गोली मार दी. गोली लगते ही संजीव एक ओर को गिर पड़ा और उसी के साथ बाइक पर बैठी उस की पत्नी और बेटा भी गिर गए.

गीता बाइक से गिरते बेहोश हो गई थी. जब उसे होश आया तो उस ने देखा कि उस का पति घायल अवस्था में एक ओर पड़ा है और उन के चारों तरफ भारी भीड़ जुटी है.
लोगों की मदद से वह अपने पति को ले कर पास के मजीदिया अस्पताल गई, जहां उस ने डाक्टरों को बताया कि उन का एक्सीडेंट हो गया है. डाक्टरों ने संजीव का चैकअप किया और उसे मृत घोषित करते हुए पुलिस को फोन कर दिया. क्योंकि मामला एक्सीडेंट का नहीं, बल्कि गोली लगने का था.

सूचना मिलने के बाद गोविंदपुरी के थानाप्रभारी जगदीश यादव टीम के साथ मजीदिया अस्पताल पहुंच गए. उन्होंने जब गीता से घटना की जानकारी लेनी चाही तो वह पुलिस को अलगअलग बयान दे कर गुमराह करने लगी. कभी कहती कि एक्सीडेंट हुआ है, तो कभी कहती कि उसे कुछ पता नहीं, वह तो बेहोश हो गई थी और कभी कहती कि कालकाजी बस डिपो के कुछ लोगों से संजीव की दुश्मनी थी, उन्होंने उसे गोली मारी है.

इस दौरान गीता के चेहरे पर पति को खोने का वैसा गम किसी को नजर नहीं आया जो अकसर ऐसे मौकों पर दिखता है. जब उस से सख्ती से पूछताछ हुई तो उस का झूठ ज्यादा देर पुलिस के सामने टिक नहीं पाया.गीता से पूछताछ और उस के मोबाइल फोन को खंगालने के बाद जो सनसनीखेज कहानी सामने आई. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के पास सिकंदराबाद अंतर्गत आने वाले एक गांव बिलसुरी निवासी संजीव कुमार के मातापिता अपने 3 बेटों और एक बेटी के साथ दिल्ली के गोविंदपुरी इलाके में आ कर रहने लगे थे.

उन्होंने अपने बच्चों को यहीं के सरकारी स्कूल में पढ़ायालिखाया. बीचबीच में वह गांव भी चले जाते थे. बच्चों के जवान होने पर उन्होंने सभी की शादियां कर दीं और सभी ने इसी इलाके में अलगअलग अपनी गृहस्थी बना ली. इस के बाद मातापिता गांव लौट गए और वह खेतीकिसानी देखने लगे.

संजीव कुमार शुरू से ही परिवार से अलग रहा करता था. दबंग टाइप के संजीव की अपने भाइयों से और मातापिता से ज्यादा बनती नहीं थी. संजीव ने जब अपने दम पर डीटीसी बस ड्राइवर की सरकारी नौकरी पा ली तो उस के हौसले और बुलंद हो गए.
कुछ ही साल में वह अपनी दादागिरी और नेतागिरी की बदौलत डीटीसी कर्मचारी यूनियन का नेता भी बन गया. सरकारी तनख्वाह के अलावा वह कई अन्य गैरकानूनी तरीकों से पैसे कमाने लगा और कई जमीनों पर उस ने अवैध कब्जे कर लिए, जिन्हें बाद में सरकारी कर्मचारियों के साथ मिलीभगत और रिश्वत के दम पर उस ने अपने नाम लिखवा लिया.

 

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