थाने पर उस की जामातलाशी ली गई तो उस के पास से सोने की 28 ज्वैलरी बरामद की गईं, जिन की कीमत 14 लाख रुपए आंकी गई. इस के अलावा 16 हजार रुपए नकद, एक तमंचा .315 बोर तथा डिजिटिल वीडियो रिकौर्डर का ऐडाप्टर बरामद हुआ. उस से मुसकान की हत्या के संबंध में पूछा गया तो वह मुकर गई. लेकिन सख्ती करने पर सलोनी टूट गई और उस ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया.
इंसपेक्टर अवनीश कुमार सिंह ने किन्नर मुसकान की हत्या का परदाफाश करने और एक आरोपी को गिरफ्तार करने की जानकारी एसपी दिनेश त्रिपाठी को दी तो उन्होंने पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता की. मीडियाकर्मियों के समक्ष किन्नर मुसकान की हत्या का खुलासा किया. खुलासा करने वाली टीम को उन्होंने पुरस्कृत करने की भी घोषणा की.
जयसिंह आखिर क्यों बना मुसकान मुसकान कौन थी? वह किन्नर कैसे बनी? उस ने अकूत संपत्ति कैसे कमाई? फिर वह अपनों का शिकार कैसे बनी? यह सब जानने के लिए हम पाठकों को उस के अतीत की ओर ले चल रहे हैं. उत्तर प्रदेश के कानपुर महानगर से करीब 20 किलोमीटर दूर एक धार्मिक व ऐतिहासिक कस्बा बिठूर है. इसी कस्बे से 4 किलोमीटर दूर अरैर गांव में ज्ञान सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी लौंग श्री के अलावा 2 बेटे मान सिंह व जय सिंह थे. ज्ञान सिंह के पास कटरी में कुछ खेत तथा 2 बीघा में अमरूद का बाग था. खेत व अमरूद के बाग से ज्ञान सिंह की गुजरबसर हो जाती थी.
ज्ञान सिंह का बड़ा बेटा मान सिंह तो तेजतर्रार था. लेकिन छोटे बेटे जयसिंह से वह परेशान रहते थे. जयसिंह की चालढाल भी ठीक न थी. वह मटकमटक कर चलता था. वह लड़कों के बजाय लड़कियों में ज्यादा रुचि लेता था. एक रोज कल्याणपुर का एक किन्नर गांव में किसी बच्चे के जन्म पर बधाई देने आया. नाचने के दौरान उस की नजर 12 वर्षीय जयसिंह पर पड़ी. उस किन्नर को समझते देर न लगी कि वह उसी के समुदाय का है.
इस के बाद वह किन्नर अकसर गांव आने लगा और जयसिंह से मिलने लगा. वह किन्नर सजधज कर सोने के आभूषण पहन कर आता था, जिस से जयसिंह उस से प्रभावित हो गया था. एक रोज उस किन्नर ने जयसिंह की आंखों में लालच देखा तो उस ने कहा, ‘‘तुम भी यह सब हासिल कर सकते हो बशर्ते कि तुम मेरे साथ चलो और हमारे समुदाय में शामिल हो जाओ.’’ जिज्ञासा और लालचवश जयसिंह ने बात मान ली और एक रोज घर वालों को बिना बताए उस किन्नर के साथ चला गया. उस किन्नर ने जयसिंह की मुलाकात अपने गुरु संजू से कराई और उसे अपने समुदाय में शामिल करने का अनुरोध किया.
संजू कल्याणपुर की किन्नर बस्ती में रहती थी. उस ने जयसिंह को अपने यहां रख लिया. अब जयसिंह को सुबहशाम नाचगाना व ताली बजाने की ट्रेनिंग दी जाने लगी. कुछ माह की ट्रेनिंग के बाद ही वह इन सभी कलाओं में पारंगत हो गया. संजू गुरु ने अब जयसिंह का नाम मुसकान रख दिया. शुरू हआ मुसकान का नया सफर
मुसकान अब अन्य किन्नरों के साथ सजधज कर नेग मांगने व बधाइयां गाने जाने लगी. किन्नरों का क्षेत्र बड़ा होता है. हर क्षेत्र का एक किन्नर गुरु होता है. क्षेत्र से किन्नर जो कमाते हैं, वह गुरु के चरणों में अर्पित करते है. गुरु आधा हिस्सा अपना निकाल कर बाकी का बंटवारा शिष्यों में कर देते हैं. मुसकान की भी अब कमाई होने लगी थी और वह धन जुटाने लगी थी. इस के बाद उस का रहनसहन भी बदल गया था. इस तरह धीरेधीरे 5 साल बीत गए. इस बीच न तो घर वालों को उस की याद आई और न ही मुसकान ने अपने मांबाप के घर की तरफ कदम रखा.
मुसकान पढ़ीलिखी तो थी नहीं, लेकिन महत्त्वाकांक्षी थी. वह किन्नर बन कर अकूत धन कमाना चाहती थी. इस के लिए उस ने लाखों रुपए खर्च कर प्लास्टिक सर्जरी के जरिए लिंग परिवर्तन करा लिया और सर्जरी के जरिए ही सुंदर स्त्री का रूप धारण कर लिया. अब वह सजधज कर जहां भी शादी समारोह में जाती तो लोगों की निगाह उस पर टिक जाती. उस के ठुमकों पर लोग वाहवाह करने लगते. मुसकान अब लाखों रुपए कमाने लगी थी.
किन्नर मुसकान ने कुछ सालों तक कानपुर परिक्षेत्र में कमाई की, उस के बाद वह उन्नाव शहर आ गई. इस बीच मुसकान ने कई किन्नर गुरुओं से अच्छे संबंध बना लिए थे. उन्नाव शहर के सफीपुर कस्बे में उस की मुलाकात जानकी कुंड में रहने वाली किन्नर गुरु मंजू से हुई. मंजू गुरु ने मुसकान को अपने ग्रुप में शामिल कर लिया और क्षेत्र में घूमने की इजाजत दे दी. कम समय में ही मुसकान ने अपने काम तथा अच्छे व्यवहार से मंजू का दिल जीत लिया और वह उस की चहेती शिष्या बन गई. मंजू ने उसे किन्नर नायक बना दिया. मंजू गुरु की मौत के बाद मुसकान नायक (गुरु) बन गई.
मुसकान ने वसीम से की लव मैरिज वर्ष 2010 में फतेहपुर शहर में हुए किन्नर सम्मेलन के दौरान मुसकान की मुलाकात वसीम से हुई. मुलाकातें बढ़ीं तो दोनों को एकदूसरे से प्यार हो गया. इस के बाद किन्नर मुसकान ने वसीम से प्रेम विवाह कर लिया. मुसकान कुछ माह तक उन्नाव में रही, उस के बाद वह वापस सफीपुर आ गई.
इन्हीं दिनों मुसकान ने सफीपुर कस्बे के बब्बर अली खेड़ा में एक मकान खरीद लिया और उसे आधुनिक रूप से सुसज्जित कर उस मकान में रहने लगी.वसीम और मुसकान के बीच 3 साल तक सब ठीक रहा. उस के बाद तनाव बढ़ने लगा. तनाव की वजह थी वसीम की शारीरिक मानसिक प्रताड़ना. वसीम नेग में मिलने वाले रुपए व जेवर उस से छीनने लगा था. मुसकान विरोध करती तो वह उसे मारतापीटता था.
मुसकान जब आजिज आ गई तो उस ने किन्नर समुदाय की मदद ली और वसीम से नाता तोड़ लिया. नाता तोड़ने के बाद भी वह उसे परेशान करता रहता था. वसीम से रिश्ता तोड़ने के बाद मुसकान ने जनवरी, 2019 में सोनू के साथ कोर्ट मैरिज कर ली. सोनू कश्यप मथुरा शहर के थाना चंद्रावली के यमुना पल्ली लक्ष्मी नगर मोहल्ले में रहता था. सोनू हृष्टपुष्ट आकर्षक युवक था. इसलिए मुसकान उस पर फिदा हो गई थी.
संदीप राजपूत उर्फ सलोनी मजबूरी में बना किन्नर शादी के बाद सोनू मुसकान के साथ सफीपुर में रहने लगा. वह कुछ माह मुसकान के साथ रहता तो कुछ माह मातापिता के साथ. इस तरह सोनू का आनाजाना सफीपुर बना रहता था. वसीम को जब मुसकान द्वारा दूसरी शादी करने की जानकारी हुई तो वह जलभुन उठा. उस ने मुसकान से कहा कि दूसरी शादी रचा कर उस ने अच्छा नहीं किया. तब उस ने मुसकान को जान से मारने की धमकी भी दी. उस के बाद वसीम उसे आए दिन धमकियां देने लगा. वसीम की धमकियों से आजिज आ कर मुसकान ने सुरक्षा के तौर पर अपने घर पर 2 सीसीटीवी कैमरे भी लगवा लिए.
मुसकान के साथ उस की 3 किन्नर साथी अन्नू, रूबी व सलोनी रहती थीं. सलोनी युवक किन्नर था. उस का नाम संदीप राजपूत था. संदीप का विवाह रिंकी से हुआ था. रिंकी ने सुहागरात को ही जान लिया था कि उस का पति संदीप नपुंसक (किन्नर) है. रिंकी का इस बाबत संदीप की मां मीना से झगड़ा हुआ.
लड़झगड़ कर रिंकी मायके चली गई और ससुराल वालों के खिलाफ कोर्ट में दहेज व धोखाधड़ी का मामला दर्ज करा दिया. कोर्टकचहरी के चक्कर से बचने के लिए संदीप किन्नर बन गया. उस ने अपना नाम सलोनी रख लिया और मुसकान के घर सफीपुर आ कर रहने लगा.
मुसकान सफीपुर कस्बे की चर्चित किन्नर थी. वह अपनी चेलियों अन्नू, रूबी, सलोनी व ढोलकिया मनोज बाबा के साथ क्षेत्र में निकलती थी और खूब कमाई करती थी. कमाई का आधा भाग वह स्वयं लेती थी और शेष भाग का बंटवारा सहयोगियों में करती थी. एक किलो सोने की ज्वैलरी थी मुसकान के पास
मुसकान ने अब तक कार भी खरीद ली थी. मनोज गोस्वामी को उस ने बतौर ड्राइवर रखा था. उस का रहनसहन अब रईसों जैसा था. उसे सोने के आभूषण खरीदने तथा पहनने का बेहद शौक था. कस्बे के एक ज्वैलर से उस ने एक किलोग्राम सोने के आभूषण खरीदे थे. वह पैसा बैंक में जमा करने के बजाय उस से ज्वैलरी खरीदना ज्यादा पसंद करती थी.
मुसकान के इस रहनसहन से अन्नू, रूबी व सलोनी ईर्ष्या करती थीं. वे सोचती थीं कि जो मुसकान के पास है, वह सब उन के पास भी होता.इसी सोच में अन्नू और रूबी की नीयत डोल गई. अन्नू ने एक रोज मुसकान के एटीएम से 40 हजार रुपए निकाल लिएइस की जानकारी मुसकान को हुई तो उस ने अन्नू को भलाबुरा कहा और पिटाई भी की. यही नहीं, उस ने वाट्सऐप के जरिए अन्नू को समुदाय में बदनाम भी कर दिया.
इस अपमान से अन्नू तिलमिला उठी और मुसकान से बदला लेने की सोचने लगी. रूबी ने भी उस की ज्वैलरी चुराई थी, सो उसे भी मुसकान ने बेइज्जत किया था. इसलिए रूबी भी मुसकान से नाराज रहने लगी थी.मुसकान के घर पर पुष्पा और संतोषा खाना बनाने का काम करती थीं. अन्नू व रूबी की करतूत से दोनों वाकिफ थीं, सो वे दोनों उन पर नजर रखती थीं. मुसकान को किन्नर सम्मेलन में जाने का बड़ा शौक था. वह आसपास के जिलों में होने वाले किन्नर सम्मेलनों में अकसर जाती रहती थी.
सम्मेलनों के अलावा मुसकान को पशुपक्षी से भी प्रेम था. उस ने दरजनों सफेद कबूतर व सफेद खरगोश पाल रखे थे, जिन का मकान की छत पर डेरा रहता था. मुसकान का एक वफादार कुत्ता चीकू भी था. वह उस से बेहद प्यार करती थी.अन्नू व रूबी दोनों मुसकान से अपमान का बदला लेना चाहती थीं. उन की निगाह मुसकान के आभूषणों तथा नकदी पर भी थी. आखिर में उन दोनों ने मुसकान की हत्या व लूट करने की योजना बनाई.
इस में उन दोनों ने संदीप उर्फ सलोनी को भी शामिल कर लिया. संदीप इसलिए राजी हो गया कि लूटे गए पैसों से वह पत्नी रिंकी से समझौता कर लेगा और कोर्टकचहरी से निजात पा जाएगा. योजना बनाने के बाद तीनों समय का इंतजार करने लगे.29 जुलाई, 2022 की सुबह मुसकान का ड्राइवर मनोज गोस्वामी बाइक की चाबी सोनू को देने मथुरा चला गया. दरअसल, 8 दिन पहले सोनू जब सफीपुर आया था तो अपनी बाइक की चाबी घर पर ही भूल गया था. शाम को रसोइया पुष्पा व संतोषा आईं और रात 8 बजे खाना बना कर अपने घर चली गई थीं.
उचित मौका देख कर रूबी, अन्नू तथा सलोनी ने गुफ्तगू की फिर काम तमाम करने की ठान ली. तीनों ने मिल कर शराब पी तथा मुसकान को भी पिलाई. शराब पीने के बाद मुसकान कमरे में जा कर लेट गई. चारों में से खाना किसी ने नहीं खाया.रात साढ़े 10 बजे किन्नर मुसकान जब सो गई, तब रूबी, अन्नू व सलोनी मुसकान के कमरे में पहुंचीं. रूबी व सलोनी ने मुसकान के हाथपैर पकड़ लिए और अन्नू ने तमंचा माथे पर सटा कर फायर कर दिया. गोली लगने से मुसकान का भेजा उड़ गया और उस की मौत हो गई.
फिर तीनों ने मिल कर शव फर्श पर रखा. इस के बाद कमरे का सामान बिखेर कर अलमारी से ज्वैलरी व नकदी लूट ली. अन्नू ने मुसकान का आईफोन भी अपने कब्जे में ले लिया. घर में 2 सीसीटीवी कैमरे लगे थे. पकड़े जाने के डर से उन्होंने उखाड़ कर सुरक्षित कर लिए. फिर कमरे को बाहर से बंद कर तीनों फरार हो गईं. मुसकान का आईफोन भी अन्नू ने रख लिया था.
सफीपुर से तीनों एक ट्रक ड्राइवर से लिफ्ट ले कर रात में ही बरेली आ गईं. यहां वे एक होटल में ठहरीं. होटल में ही अन्नू, रूबी व सलोनी ने आभूषण व नकदी का आपस में बंटवारा किया.बंटवारे में तीनों के हिस्से में 26-26 हजार रुपए नकद तथा सोने की ज्वैलरी के 28-28 नग आए. बंटवारे के बाद तीनों अलगअलग रास्ते से फरार हो गईं.
इधर घटना की जानकारी तब हुई, जब मुसकान का कुत्ता चीकू पुष्पा के घर गया और उस की साड़ी खींच कर घर लाया. पुष्पा ने ढोलकिया मनोज बाबा की मार्फत पुलिस को सूचना दी.4 अगस्त, 2022 को पुलिस ने आरोपी संदीप उर्फ सलोनी को उन्नाव कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. 2 अन्य आरोपी रूबी व अन्नू फरार थीं. पुलिस उन की तलाश में जुटी थी.