एक लाख की दुल्हन : भाग 1

अवध आसाम एक्सप्रैस ट्रेन अपना लंबा सफर तय करती हुई दिल्ली के करीब पहुंच गई थी. जिन्हें दिल्ली
उतरना था, वे अपनाअपना सामान संभालने लगे थे. उन के चेहरे प्रफुल्लित थे, दिल्ली पहुंचने का उत्साह व खुशी थी. वहीं पैसेंजर डिब्बे के एक कोने में गठरी बनी बैठी 18 साल की सानिया परेशान और चिंता में डूबी बारबार अपने छोटे से मोबाइल को उलटपुलट कर देख रही थी.

दिल्ली में उसे जिस के पास पहुंचना था, उस का न तो उस के पास एडे्रस था, न उस से फोन से संपर्क हो पा रहा था. शायद यही सानिया की परेशानी का सबब था.जब वह गुवाहाटी से इस ट्रेन में सवार हुई थी, उस ने अपनी परिचित को फोन किया था और अपने दिल्ली आने की खबर की थी. परिचित जो उस की गांव की ही थी और 8वीं तक उस के साथ पढ़ी थी, ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा था कि वह दिल्ली आ जाए, वह उसे यहां स्टेशन पर लेने पहुंच जाएगी.

सानिया तब बेफिक्र ट्रेन में सवार हो गई थी. जब दिल्ली करीब आने की सुगबुगाहट उस के कानों में पड़ी तो उस ने अपनी सहेली को फिर से संपर्क करना चाहा था, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया था.बस, इसी चिंता ने सानिया को परेशान कर के रख दिया था. उस के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आई थीं, उसे दिल्ली के नजदीक आने की जरा भी खुशी नहीं हो रही थी.सानिया अपना छोटा सा बैग ले कर वह डिब्बे से नीचे आ गई. प्लेटफार्म पर बहुत भीड़ थी. बहुत शोर था. वह घबरा गई.

अपना बैग सीने से चिपकाए वह अंजान लोगों की भीड़ से बचतीबचाती निकास द्वार की तरफ बढ़ने लगे. तभी उसे भीड़ का धक्का लगा और वह गिर गई. हाथ से छूट कर उस का बैग एक तरफ उछल गया. सानिया ने उठना चाहा तो भीड़ के बीच से उठ नहीं पाई. कितने ही लोग उसे रौंदते हुए निकल गए.
सानिया ज्यादा घबरा गई. वह एक बेंच पर आ कर बैठ गई. बैग में उस के कपड़े और पर्स था, जिस में डेढ़ सौ रुपए के करीब थे. वह बैग के खो जाने से परेशान हो उठी. उस के पास एक रुपया नहीं बचा था.
मोबाइल निकाल कर उस ने अपनी सहेली का नंबर मिलाया. दूसरी ओर से मोबाइल के स्विच्ड औफ होने का संदेश आने लगा. सानिया रो पड़ी. उस की आंखों से झरझर कर आंसू बहने लगे. उस ने घुटनों में सिर छिपा लिया और अपनी बेबसी पर आंसू बहाने लगी.अभी कुछ ही देर हुई थी कि उस के कंधे पर किसी का स्पर्श हुआ और किसी का सुरीला स्वर उस के कानों में पड़ा, ‘‘क्या हुआ, तुम रो क्यों रही हो?’’

सानिया ने घुटनों से सिर ऊपर उठाया. सामने एक युवती खड़ी हुई उसे देख रही थी.
‘‘कौन हो तुम, इस तरह यहां बैठी क्यों रो रही हो?’’ उस युवती ने प्यार से पूछा.सानिया और जोर से रो पड़ी. वह युवती उस के पास बैठ गई. स्नेह से उस के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली, ‘‘रोओ मत, मुझे बताओ, तुम्हें क्या परेशानी है?’’‘‘मेरा बैग…’’ सानिया रोते हुए बोली, ‘‘वह भीड़ के धक्के से नीचे गिरा, मैं भी गिर गई थी, संभल कर उठी तो बैग मुझे नहीं मिला.’’‘‘उस में तुम्हारे कपड़े होंगे और खानेपीने का सामान..?’’ युवती ने पूछा.

‘‘कपड़े और पैसे थे,’’ सानिया ने आंसू बहाते हुए बताया, ‘‘अब इस अजनबी शहर में मेरा क्या होगा.’’
युवती की आंखों में तीखी चमक उभर आई, ‘‘अजनबी शहर… तो यहां तुम्हारा कोई अपना नहीं रहता है क्या?’’‘‘मेरी एक सहेली है, उसी के पास आई हूं. उस का नंबर मोबाइल में है, वह नहीं लग पा रहा है.’’
‘‘तुम्हारे पास उस का एड्रेस तो होगा? मुझे बताओ, मैं उस के घर तुम्हें पहुंचा दूंगी.’’
‘‘एड्रेस नहीं है,’’ सानिया ने रुंधे गले से बताया.‘‘कहां से आई हो?’’‘‘डिब्रूगढ़, असम से.’’
‘‘ओह?’’ उस युवती ने होंठों को गोल सिकोड़ा, ‘‘इतनी दूर से आई हो, इतने बड़े शहर में कहां जाओगी, तुम्हारे पास पैसे भी नहीं हैं… अब क्या करोगी?’’

सानिया ने आशा और उम्मीद भरी नजरों से उस युवती की ओर देखते हुए कहा, ‘‘आप मेरी मदद करेंगी?’’
‘‘हां, इस अंजान शहर में तुम कहां भटकोगी, मैं तुम्हें सहारा दूंगी.’’ उस युवती ने प्यार से कहा तो सानिया ने उस के सीने पर अपना सिर रख दिया और भर्राए कंठ से बोली, ‘‘आप बहुत अच्छी हैं.’’
‘‘वो तो मैं हूं ही,’’ युवती होंठों में बुदबुदाई और प्रत्यक्ष में बोली, ‘‘तुम्हारा नाम क्या है?’’
‘‘सानिया.’’‘‘मेरा नाम नीलम है,’’ अपना नाम बताने के बाद नीलम ने सानिया का हाथ पकड़ लिया, ‘‘उठो, मेरे साथ चलो.’’

प्यार में खलल डालने वाली सीक्रेट वाइफ- भाग 3

उस के जाने के बाद काफी समय तक उस की उपस्थिति का एहसास नरसिंह को होता रहा. बातबात पर खनकती हंसी कानों में सुनाई देती रही. जब भी दुकान पर किसी औरत की आवाज सुनता, उसे लगता रितु ही बोल रही है. उस रोज नरसिंह के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी.उसी दिन रात को वाट्सऐप मैसेज आया, ‘हैलो! गुड नाइट!!’’नरसिंह उसे अभी पढ़ ही रहा था कि एक और मैसेज आ गया, ‘स्वीट मीटिंग विद रेनी डे… यादगार बन गया!’नरसिंह समझ गया कि मैसेज किस ने भेजा है. उस ने भी रितु का नंबर ‘आर रेनीडे’ नाम से सेव कर लिया और उसे लव चिह्न का जवाबी मैसेज भी भेज दिया.

दूसरी प्रेमिका रानी से जलती थी रितु

प्रेम की पहली सफलता मिलने के बाद नरसिंह रितु के साथ अकेले में मिलने का मौका निकालने लगा. यहां तक कि उसे अपने घर पर भी बुलाने लगा. पत्नी से परिचय करवाया. उस के शादीशुदा होने पर पत्नी ने उन की मुलाकातों पर संदेह नहीं किया. दोनों बाहर भी मिलनेजुलने लगे.कुछ दिनों में ही दोनों ने महसूस किया कि उन को अपनेअपने जीवनसाथी से मिलने वाली खुशी इस नए प्रेम संबंध से मिल रही है.उन की प्रेम कहानी सरपट दौड़ती रही. कहीं कोई बाधा नहीं और न ही एकदूसरे से शिकायतें. किंतु उस में खलल तब पड़ गई, जब 3 साल पहले नरसिंह ने अपने मैडिकल स्टोर पर सीहोर की रानी नाम की युवती को सेल्सगर्ल के रूप में नौकरी पर रख लिया. वह मात्र 20 साल की कुंवारी थी. जबकि रितु की उम्र बढ़ने के साथसाथ उस की चंचलता और मादकता में कमी आ गई थी.

दुकान पर जब रितु ने एक बार रानी को नरसिंह से हंसहंस कर बातें करते देखा, तब उसे बहुत बुरा लगा. उस ने तुरंत इस का विरोध जताया कि उसे इस तरह से अपने स्टाफ से हंसीमजाक नहीं करनी चाहिए. उस समय नरसिंह कुछ नहीं बोला, लेकिन उसे रानी से हंसीमजाक करना या बातबात पर उसे छेड़ देना अच्छा लगता था. कारण, रानी उस की बातों का बुरा नहीं मानती थी.रसिकमिजाज नरसिंह किसी कमसिन लड़की को देखते ही उस पर फिदा हो जाता था. वह उसे अपने प्रेम जाल में फंसा कर ही छोड़ता था. न केवल उस के साथ रंगरलियां मनाने के सपने देखने लगता था, बल्कि उसे अपने अनुरूप भी बना लेता था. ऐसा ही उस ने रानी के साथ किया था. वह उस की भावना में आ गई थी. जबकि एक सच्चाई यह भी थी कि रानी पैसों की भूखी थी और बबलू उस पर पैसे खर्च करने लगा था.

शादीशुदा नरसिंह ने रानी से भी कर ली शादी

रानी एक गरीब परिवार से थी. उसे पैसे की जरूरत थी. नरसिंह उस की जरूरत को अच्छी तरह समझ गया था. एक दिन रानी के कहने पर वह उस के कमरे में ठहर गया. दोनों ने मरजी से सैक्स संबंध बनाए. अगले रोज रानी बिफरती हुई उसे शादी करने को बोली. नरसिंह के इनकार करने पर रानी ने उस पर रेप का मुकदमा करने की धमकी दी. आखिरकार नरसिंह ने रानी से गुपचुप शादी कर ली और उसे हर महीने पैसे भी देने लगा.उन्होंने कोरोना काल में लौकडाउन का भरपूर फायदा उठाया. मैडिकल की दुकानें खुली रहने के चलते रानी और नरसिंह का संपर्क बना रहा. सड़कें, गलियां और बाजार पसरे सन्नाटे का फायदा उठा कर नरसिंह अकसर रानी के कमरे पर समय गुजारने लगा.

दूसरी तरफ लौकडाउन में रितु की ज्वैलरी की दुकान बंद हो गई थी, जिस से उस का घर से निकलना नहीं हो पा रहा था. रितु का पति भी घर पर रहता था. नरसिंह से मिलने के लिए रितु की तड़प बढ़ती जा रही थी. मुलाकात का कोई रास्ता नहीं होने के कारण रितु परेशान थी, तो नरसिंह उस की कमी को रानी संग रातें रंगीन कर पूरी कर रहा था.कुछ दिनों बाद ही नरसिंह रितु समेत अपनी बीवी को भी भूल गया. उस की बीवी अपने पति की आशिकमिजाजी से वाकिफ थी, लेकिन रानी संग गुप्त शादी रचाने से अनजान थी. कोरोना के बाद जब बाजार पूरी तरह खुल गए, तब रितु का अपने आशिक नरसिंह से सामना हुआ.

नरसिंह ने उस से ठीक तरह से बात तक नहीं की. इस का कारण समझने में रितु को जरा भी समय नहीं लगा. तब तक वह रानी और नरसिंह के संबंधों के बारे में अच्छी तरह पता चल चुका था.रितु को अपने प्यार के छिन जाने का गुस्सा था, लेकिन विवाहित होने के चलते कुछ कर भी नहीं सकती थी. उस ने नरसिंह की पहली पत्नी को सब कुछ बताने की सोची, लेकिन डर गई कि ऐसा होने से वह भी फंस जाएगी और उस के पति तक भी बात पहुंच जाएगी. दूसरी तरफ रितु ने जब नरसिंह से रानी से संबंध तोड़ने की बात कही थी, तब उस ने खुदकुशी करने की धमकी दे डाली थी.

स्वार्थ के लिए रानी को लगा दिया ठिकाने

रितु और नरसिंह जब भी मिलते, उन के बीच रानी को ले कर तकरार हो ही जाती थी. एक दिन तंग आ कर नरसिंह उर्फ बबलू ने रितु से कह दिया था कि वह घर और बाहर की किचकिच से काफी तंग आ चुका है. अगर उसे और परेशान किया तो किसी दिन नींद की गोलियां खा कर हमेशा के लिए सो जाएगा.
मौत की बात से रितु का दिमाग भन्ना गया था. मन बेचैन रहने लगा था. उस के बाद एक दिन उस ने ही निर्णय लिया कि प्रेमी के मरने के बजाय क्यों न उसी की मौत हो जाए, जिस ने उस का प्यार छीना है. इस बारे में उस ने नरसिंह से इशारेइशारे में कह भी दिया था.नरसिंह भी रितु के जिद्दी स्वभाव को जानता था. हालांकि एक सच्चाई यह भी थी कि वह खुद रानी से पीछा छुड़ाना चाहता था. रितु को रोकने के बजाय वह रानी को रास्ते से हटाने के लिए उकसाने लगा. वह रानी को ले कर ताने भी मारने लगा. एक दिन रितु ने अपने प्यार की राजदार सहेली प्रियंका से अपनी योजना बताई. उस से मदद मांगी तो वह तैयार हो गई.

प्रियंका ही वह लड़की थी, जो रितु और नरसिंह को एकांत में समय गुजारने के लिए जगह उपलब्ध करवाती थी. बदले में उसे पैसे मिल जाते थे. रितु ने उसे साथ देने के बदले में पैसे देने का वादा किया. उस के कहने पर 7 अगस्त, 2022 को रानी की हत्या की योजना में प्रियंका भी शामिल हो गई. दोनों एक साथ अखाड़ा रोड पर रानी के घर पहुंचीं.रितु से रानी पहले से परिचित थी. दरवाजे पर ही रितु ने कहा कि वह आपसी मतभेद मिटाने आई है. वह जैसा कहेगी, मानने के लिए तैयार है. रानी ने रितु और प्रियंका को कमरे में बैठाया और उन की आवभगत की तैयारी में लग गई. इसी दौरान मौका पा कर रितु और प्रियंका ने उस की चुन्नी को उसी के गले में लपेट कर वहीं गिरा दिया.

रानी अचानक हुए इस हमले से खुद को नहीं संभाल पाई. चुन्नी के एक सिरे को मजबूत बदन की प्रियंका और दूसरे सिरे को रितु ने जोर लगा कर खींच दिया. रानी छटपटा कर रह गई. कुछ समय में ही उस का दम घुट गया.उस के बाद रितु ने तुरंत नरसिंह को फोन मिलाया. उस से आधे मिनट के करीब बात की और प्रियंका को अपने घर भेज कर उस के घर चली गई. सब कुछ रानी को रास्ते से हटाने की योजना के अनुसार ही हो रहा था.

उधर नरसिंह दुकान पर रितु की सूचना आने का इंतजार कर रहा था. इस की जानकारी उसे घर से पत्नी ने दी कि उस की सेल्सगर्ल घर में बेहोश पड़ी हुई है. नरसिंह तुरंत रानी के कमरे पर गया और उसे ले कर अस्पताल के इमरजेंसी में ले गया.इस तरह से इस अनैतिक प्रेम कहानी में से एक ने तो दुनिया से विदा ले ली, लेकिन बाकी एक अपनी सहेली के साथ सलाखों के पीछे चली गई. प्रेमी नरसिंह पर भी साजिश रचने का आरोप लगा. इस का असर उस के परिवार पर भी हुआ.

प्यार में खलल डालने वाली सीक्रेट वाइफ- भाग 2

नरसिंह के 2 लड़कियों से संबंध होने की जानकारी मिलने पर पुलिस ने उन में छिपे प्रेम त्रिकोण की कहानी का अनुमान लगाया. इस की आशंका भी हुई कि रानी इसी प्रेम त्रिकोण के चलते मारी गई होगी. नरसिंह द्वारा रानी को अस्पताल लाने के कारण वह पहले से ही संदेह के दायरे में आ चुका था.
फिर क्या था, एसपी डा. शिवदयाल ने कोतवाली पुलिस को नरसिंह से गहन पूछताछ के निर्देश दिए. नरसिंह को हिरासत ले लिया गया. पूछताछ की शुरुआत में तो उस ने खुद को निर्दोष बताया, लेकिन जब उसे कुछ बातें रितु के साथ प्रेम संबंध और रानी से सीक्रेट शादी के बारे में बताई गईं, तब वह मानसिक दबाव में आ गया. और फिर वह लोगों से छिपाए सच को मन में दबाए नहीं रख सका. उस ने रानी के साथ गुप्त शादी और रितु से प्रेम संबंध की बात उगल दी.

उस ने पुलिस को यह भी बताया कि रानी के साथ उस की शादी की जानकारी होने पर ही रितु उस से नफरत करने लगी थी. इस कारण ही रितु ने रानी को मारने का काम किया.इस तरह नरसिंह ने रितु पर रानी की हत्या का आरोप लगाते हुए बताया कि इस में उस ने अपनी एक सहेली प्रियंका की मदद ली. रानी के बेहोश होने की जानकारी उसी ने दी थी. फिर वह भागाभागा सीधा रानी के कमरे पर गया था और उसे बेहोश जान कर उपचार के लिए अस्पताल ले गया.

कई युवतियों से चल रहा था प्रेम प्रसंग

नरसिंह से मिली जानकारी पर पुलिस ने समय गंवाए बगैर रितु और उस की सहेली प्रियंका को भी हिरासत में ले लिया. साथ ही चुन्नी भी बरामद कर ली गई, जिस की मदद से दोनों ने रानी का गला घोटा था. उन दोनों ने भी अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. उस के बाद तीनों आरोपियों को अदालत में पेश कर दिया गया. वहां से सभी न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिए गए.इस तरह से रानी की मौत के बाद नरसिंह के कारनामे की जो कहानी सामने आई, उस में 3 युवतियों की जिंदगियां शामिल थीं. प्रेम संबंध चतुष्कोणीय बने हुए थे तो लिवइन रिलेशन और अवैध विवाह की कहानी भी थी. उस की पूरी दास्तान इस प्रकार जगजाहिर हुई—

देवास के हेमंतराव मार्ग निवासी नरसिंह उर्फ बबलू की परमार्थी मेन मार्केट में एक मैडिकल स्टोर है. उस की शादी 14 साल पहले हो चुकी है. खूबसूरत पत्नी और 3 बच्चे हैं. उन की पारिवारिक जिंदगी मजे में कट रही थी, फिर भी उस के दिल को सुकून नहीं था.दरअसल, नरसिंह किशोरावस्था से ही दिलफेंक किस्म का रहा है. उस के दोस्तों की मानें तो शादी से पहले उस ने कई लड़कियोंं को अपने प्रेमजाल में फंसा रखा था. वह बात करने की लच्छेदार शैली और मधुरता से थोड़े समय में ही किसी भी लड़की को अपना दीवाना बना लेता था. पहनावा भी अच्छा होता था. धनवान की तरह दिखता था. हमेशा उस के कपड़े से भीनीभीनी इत्र की खुशबू आती रहती थी.

लड़कियों पर प्रेम जाल फेंकने की हरकत से उस के घर वाले भी चिंतित हो गए थे. मोहल्ले की लड़कियों को छेड़ने की शिकायतें आने पर पिता ने 19 साल की उम्र में ही उस की शादी कर दी थी.खूबसूरत बीवी पा कर वह खुश हो गया था. कुछ सालों में ही 3 बच्चों का बाप भी बन गया. पत्नी बच्चों को संभालने में लग गई और वह पहले जैसे प्यार में कमी महसूस करने लगा. पारिवारिक जिम्मेदारियों में उलझी पत्नी की जब रोमांस में नीरसता आने लगी, तब नरसिंह तन्हाई की जिंदगी पा कर तड़प उठा.

उस की नजर दूसरी लड़कियों की तरफ घूमने लगी. नए दौर के प्यार के बोल और नई बाहों की तलाश करने लगा. संयोग से उस के मैडिकल स्टोर पर कई कमसिन लड़कियां अपनी निजी जरूरतों का सामान खरीदने आती थीं. नरसिंह उन से काफी घुलमिल कर बातें करने के साथसाथ कीमत में भी अतिरिक्त छूट दे दिया करता था.दुकान पर अकसर आने वाले लड़कियों में रितु भी थी. वैसे तो नरसिंह ने कई लड़कियों को अपनी चिकनीचुपड़ी बातों और व्यवहार से आकर्षित कर लिया था, लेकिन रितु पर उस का असर कुछ अधिक ही हुआ था.

शादीशुदा रितु भी फंस गई जाल में

उस वक्त रितु 23 साल की थी और नरसिंह 26 साल का था. दोनों युवा दिलों की धड़कनों से वाकिफ थे. रितु की नईनई शादी हुई थी और वह किसी से भी बात करने में संकोच नहीं करती थी. दूसरों के बारे में जानने की जिज्ञासा रखती थी.वह बेहद खूबसूरत और स्मार्ट थी. उस की सुंदरता और लटकेझटके देख कर नरसिंह भी उस का दीवाना बन गया था. एक बार बातोंबातों में उस ने बताया कि वह एक ज्वैलर्स की दुकान पर सेल्सगर्ल की नौकरी करती है.

उन की प्रेम कहानी की शुरुआत करीब 7 साल पहले बारिश के मौसम में उस वक्त शुरू हुई थी, जब रितु कुछ सामान खरीदने नरसिंह के मैडिकल स्टोर पर आई थी. तेज बारिश शुरू होने के कारण वह काफी समय तक उस की दुकान में रुकी रही थी. बारिश रुकने का इंतजार कर रही थी. उस वक्त तेज बारिश के कारण दुकान पर दूसरे ग्राहक भी नहीं आ रहे थे.इस मौके का फायदा नरसिंह ने मजे लेले कर उठाया. रितु के साथ खूब बातें कीं. उन के बीच इधरउधर की बातों के साथसाथ प्यारमोहब्बत की भी बातें होने लगीं.
नरसिंह ने उस की खूबसूरती के पुल बांध दिए. मेकअप से ले कर फिटिंग ड्रेस के फबने की तारीफ की. यहां तक कि उस की तुलना कैटरीना कैफ और प्रियंका चोपड़ा तक से कर दी.

जब नरसिंह ने उसे अच्छी दिखने वाली सैक्सी मौडल कहा, तब वह शरमा गई. रितु बारिश रुकने के बाद जाने लगी, तब नरसिंह एक पर्ची पर अपना मोबाइल नंबर लिख कर देते हुए बोला, ‘‘जब भी जरूरत हो काल कर लेना. जरूरी सामान भिजवा दूंगा.’’‘‘क्यों, मेरा आना अच्छा नहीं लगेगा?’’ रितु मजाकिया आंदाज में बोली.तब नरसिंह ने तुरंत उस का हाथ पकड़ते हुए कहा, ‘‘ऐसा क्यों बोलती हो? मैं तो चाहता हूं कि तुम रोज कम से कम एक बार आओ…’’‘‘तो फिर हाथ छोड़ो, अभी चलती हूं. बहुत देर हो चुकी है. मैं काल करूंगी, नंबर सेव कर लेना.’’ कहती हुई रितु चली गई.

गुनाह जो छिप न सका

गुनाह जो छिप न सका- भाग 1

उत्तर प्रदेश के ऊसराहार थाने में सुबह के करीब 10 बजे एक सूचना मिली कि कौआ गांव के नाग देवता मंदिर के पास सड़क किनारे नाली में एक लाश पड़ी है.यह मैसेज पुलिस नियंत्रण कक्ष से प्रसारित किया गया था. थाने में उस समय इमरजेंसी ड्यूटी पर एसआई रामकुमार सिंह मौजूद थे. उन्होंने थानाप्रभारी गंगादास को इस सूचना से अवगत करा दिया. यह बात 22 जुलाई, 2022 की है.

लाश मिलने की खबर से ही थानाप्रभारी गंगादास ने आवश्यक पुलिसकर्मियों को साथ लिया और घटनास्थल की ओर रवाना हो लिए. कौआ गांव से मीसापुरा जाने वाली सड़क पर नागदेव मंदिर के पास खेत किनारे नाली में उन्हें एक महिला की लाश पड़ी मिली. उस की उम्र 35 साल के आसपास थी. वह गुलाबी रंग की साड़ी और काला ब्लाउज पहने थी.

थानाप्रभारी ने शव का बारीकी से निरीक्षण किया तो महिला की दाहिनी कनपटी के ऊपर सिर पर गोली मारी गई थी. जिस जगह शव पड़ा था, वहां से कुछ दूर सड़क पर खून पड़ा था. खून के निशान नाली तक थे. सड़क पर नारियल, चावल, सिंदूर, पूजा सामग्री और टूटी चूडि़यां बिखरी पड़ी थीं. महिला की चप्पलें व पूजा की थाली भी सड़क पर पड़ी थी.

घटनास्थल व लाश का मुआयना करने के बाद थानाप्रभारी इस नतीजे पर पहुंचे कि नाग देवता मंदिर में पूजा कराने का झांसा दे कर महिला को लाया गया और सड़क पर गोली मार कर हत्या कर दी गई. इस के बाद शव को घसीट कर खेत किनारे बनी नाली में डाल दिया गया.

मामले की गंभीरता को देख कर थानाप्रभारी ने इस घटना की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी.
सूचना पाते ही एसएसपी जयप्रकाश सिंह, एसपी (देहात) सत्यपाल सिंह, एएसपी कपिल देव सिंह तथा डीएसपी (भरथना) विजय सिंह घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौकाएवारदात पर डौग स्क्वायड तथा फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया.

पुलिस अधिकारियों ने बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा थानाप्रभारी गंगादास से घटना के संबंध में जानकारी ली.फोरैंसिक टीम ने पूजा की थाली से फिंगरप्रिंट लिए. इस के अलावा भी टीम ने कई अन्य सबूत जुटाए. टीम ने खून आलूदा मिट्टी का नमूना भी रासायनिक जांच हेतु सुरक्षित कर लिया. महिला पुलिसकर्मी पूनम ने मृत महिला की जामातलाशी ली, लेकिन कुछ नहीं मिला.फिलहाल पुलिस के लिए सब से बड़ी समस्या लाश की शिनाख्त की थी. घटनास्थल पर कौआ गांव व उस के आसपास के गांव के लोग मौजूद थे. थानाप्रभारी गंगादास ने उन लोगों से पूछताछ की, लेकिन लाश की शिनाख्त नहीं हो सकी.

थानाप्रभारी को उचित दिशानिर्देश दे कर पुलिस अधिकारी वहां से वापस लौट गए.
थानाप्रभारी ने घटनास्थल की जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शव का पोस्टमार्टम हेतु इटावा के जिला अस्पताल भिजवा दिया. फिर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ भादंवि की धारा 302/201 के तहत मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी.

गुनाह जो छिप न सका- भाग 3

थानाप्रभारी गंगादास ने ब्लांइड मर्डर का खुलासा करने तथा आरोपी को गिरफ्तार करने की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी. फिर एसएसपी जयप्रकाश सिंह ने सिविल लाइंस पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता की और कातिल सतीश चंद्र यादव के द्वारा एक नहीं, 2 हत्याएं किए जाने का खुलासा किया.
मिथलेश कौन थी? वह सतीश के संपर्क में कैसे आई? सतीश ने मिथलेश और उस के पति गजेंद्र की हत्या क्यों की? यह सब जानने के लिए हम पाठकों को उन के अतीत की ओर ले चलते हैं.

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले का एक छोटा सा गांव है रमपुरा. यह ऊसराहार थानांतर्गत आता है. रमपुरा गांव से 2 किलोमीटर दूर नाग देवता का मंदिर है, जो आसपास के दरजनों गांवों में मशहूर है. आषाढ़ माह की पंचमी को यहां मेला लगता है. दरजनों संपेरे सांपों का दर्शन कराने यहां आते हैं.
नाग देवता मंदिर सुनसान जगह पर है. इसी रमपुरा गांव में रामसिंह यादव रहते थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे सतीश चंद्र, उमेश चंद्र तथा एक बेटी उमा थी. राम सिंह किसान थे. किसानी से ही वह अपने परिवार का भरणपोषण करते थे.

नौकरी की तलाश में आया दिल्ली

3 भाईबहनों में सतीश बड़ा था. उस का विवाह कमला नाम की युवती से हुआ था. कमला साधारण रंगरूप की युवती थी. सतीश की उस से नहीं पटती थी. पति की उपेक्षा से कमला ससुराल में कम और मायके में ज्यादा रहती थी. सतीश पढ़ालिखा था, इसलिए उस का मन खेतखलिहान में नहीं लगता था. वह कोई नौकरी कर अपना जीवन खुशहाल बनाना चाहता था.

नौकरी के मकसद से सतीश दिल्ली आ गया. लेकिन यहां उसे मनपसंद नौकरी नहीं मिली. छोटीमोटी नौकरी से जब उस का मन भर गया तो उस ने ड्राइविंग सीख ली. उस ने कुछ दिन आटो चलाया फिर किसी कंपनी की कार चलाने लगा.कुछ समय बाद उसे नोएडा स्थित कटियार ट्रैवल एजेंसी में काम मिल गया और वह वहां टैक्सी चलाने लगा. इस काम में वह रम गया और पैसा कमाने लगा. नोएडा में ही उस ने किराए पर कमरा ले लिया.

सतीश चंद्र यादव जिस ट्रैवल एजेंसी में टैक्सी चलाता था, उसी में गजेंद्र भी टैक्सी चलाता था. चूंकि दोनों ड्राइवर थे, सो उन में खूब पटती थी. रात में अकसर दोनों साथ खातेपीते थे. गजेंद्र राजस्थान के झुंझनू जिले के पचेरी थाना के पचेरी छोटी खुर्द गांव का रहने वाला था. नोएडा में वह पत्नी मिथलेश व 2 बच्चों के साथ किराए के मकान में रहता था.एक रोज सतीश चंद्र गजेंद्र के घर पहुंचा. गजेंद्र उस समय घर पर ही था. गजेंद्र को देख कर सतीश बोला, ‘‘किसी काम से इधर आया था. मैं ने सोचा कि अब आज की चाय भाभी के हाथ की पी कर ही जाऊंगा.’’

‘‘बिलकुल मेरे भाई, चाय भी और नाश्ता भी. आज पहलीपहली बार आया है तो तुझे खाली थोड़ी न जाने दूंगा,’’ कहते हुए गजेंद्र ने सतीश का हाथ पकड़ कर उसे कुरसी पर बिठा लिया. फिर उस ने पत्नी को आवाज दी, ‘‘अरे मिथलेश, जरा 2-3 कप चाय और कुछ नाश्ता बनाओ तो फटाफट.’’
मिथलेश चायनाश्ता तैयार करने लगी तो गजेंद्र और सतीश इधरउधर की बातों में मशगूल हो गए.

पहली ही नजर में दोस्त की पत्नी मिथलेश पर आ गया दिल

कुछ देर बाद मिथलेश चाय और नाश्ता ले कर आई और जब झुक कर ट्रे मेज पर रखने लगी तो सतीश उसे ठगा सा देखता ही रह गया. सतीश सोच में पड़ गया. वह कभी गजेंद्र को देखता तो कभी मिथलेश को. जिस के दिलकश चेहरे पर गजब का आकर्षण था. गजेंद्र उस के सामने कहीं भी नहीं ठहरता था.
वह पहली ही नजर में मिथलेश का ऐसा दीवाना बन गया था कि उसे अपने दिल से निकाल नहीं पाया. इस के बाद तो सतीश अकसर गजेंद्र के घर आनेजाने लगा. वह मिथलेश के लिए उपहार भी लाने लगा.
गजेंद्र की आय इतनी नहीं थी कि वह पत्नी को उपहार आदि दे सके. सतीश ने वह कमी पूरी की तो मिथलेश भी सतीश की ओर आकर्षित हो गई. दोनों के बीच हंसीमजाक भी होने लगी. अब सतीश गजेंद्र की गैरमौजूदगी में भी मिथलेश से मिलने आने लगा.

एक रोज सतीश मिथलेश को अपनी टैक्सी में बिठा कर लक्ष्मीनगर, दिल्ली ले गया. बहाना था शौपिंग का. उसी रोज सतीश ने उसे अपने दिल की बात कह दी. मिथलेश ने भी स्वीकृति दे दी कि वह भी उसे चाहती है. दोनों कुछ देर एक सुनसान पार्क में बैठे रहे. वहीं पहली बार सतीश ने मिथलेश को बांहों में भर कर चूमा था.

गुनाह जो छिप न सका- भाग 2

ब्लाइंड मर्डर ने उड़ाई पुलिस की नींद

लाश की शिनाख्त के लिए उन्होंने मृतका का हुलिया तथा उस के फोटो के पोस्टर छपवा कर इटावा तथा उस के आसपास के जिलों के सभी सार्वजनिक स्थानों पर चिपकवा दिए. गुमशुदा तलाश केंद्र तथा इटावा के सभी 20 थानों से भी पता किया गया, लेकिन मृतका की शिनाख्त नहीं हो सकी. किसी भी थाने में इस हुलिए की महिला की गुमशुदगी की सूचना दर्ज नहीं थी.

कई दिन बीत जाने के बाद भी जब महिला के शव की शिनाख्त नहीं हो पाई, तब इस ब्लाइंड मर्डर का रहस्य उजागर करने के लिए एसएसपी जयप्रकाश सिंह ने पुलिस की एक टीम गठित की और इस टीम की जिम्मेदारी सौंपी एसपी (देहात) सत्यपाल सिंह को. सहयोग के लिए क्राइम ब्रांच की टीम तथा एएसपी कपिल देव सिंह एवं डीएसपी (भरथना) विजय सिंह को भी लगाया गया.

गठित टीम ने सब से पहले कौआ गांव के लोगों से पूछताछ की. गांव के लोगों ने बताया कि घटनास्थल लगभग एक किलोमीटर दूर है और सुनसान जगह है. हत्या देर रात की गई थी. इसलिए हम ने न तो हत्यारोें को देखा और न ही गोली चलने की आवाज सुनी. उन्होंने यह भी कहा कि महिला उन के क्षेत्र की नहीं है. उसे दूरदराज क्षेत्र से किसी वाहन से लाया गया होगा.

ग्रामीणों से पूछताछ के बाद पुलिस टीम फिर से घटनास्थल पहुंची और खोजबीन शुरू की. खोजबीन के दौरान थानाप्रभारी गंगादास की निगाह कागज के एक टुकड़े पर पड़ी. उन्होंने उस टुकड़े को उठा कर देखा तो वह टोकननुमा पर्ची थी, जिस पर ‘कटियार ट्रैवल एजेंसी, नोएडा’ लिखा था. उन्होंने उस पर्ची को सुरक्षित कर लिया.थानाप्रभारी गंगादास ने घटनास्थल से पर्ची मिलने की जानकारी टीम के अन्य सदस्यों तथा एसपी (देहात) सत्यपाल सिंह को दी. इस पर सत्यपाल सिंह ने टीम को नोएडा जाने तथा ट्रैवल एजेंसी के मालिक से पूछताछ करने का आदेश दिया. दरअसल, सत्यपाल सिंह को पर्ची देख कर अंधेरे में उजाले की एक किरण नजर आने लगी थी.

28 जून, 2022 को पुलिस टीम सैक्टर 49, नोएडा स्थित कटियार ट्रैवल एजेंसी पहुंची और अपने आने का मकसद तथा पर्ची दिखा कर एजेंसी मालिक से पूछताछ की. एजेंसी मालिक ने पर्ची देख कर बताया कि वह इस तरह की पर्ची टोकन 2 साल पहले अपने टैक्सी ड्राइवरों को देता था. लेकिन कोरोना काल में बंद कर दी थी.उस ने यह भी बताया कि 3 साल पहले उस की एजेंसी में सतीश चंद्र यादव नाम का ड्राइवर टैक्सी चलाता था. वह मूलरूप से इटावा जिले के रमपुरा गांव का रहने वाला था. कोरोना काल में उस की छुट्टी कर दी थी.

ट्रैवल एजेंसी की पर्ची ने पहुंचाया कातिल तक

रमपुरा गांव का नाम सुन कर थानाप्रभारी गंगादास का माथा ठनका, क्योंकि रमपुरा गांव उन के ही थाना क्षेत्र में था और जिस जगह महिला का कत्ल हुआ था, वहां से 2 किलोमीटर दूर रमपुरा गांव था.
अब उन के दिमाग में विचार कौंधा, ‘क्या उस अज्ञात महिला का कातिल सतीश चंद्र ही है? क्या वही उसे पूजा के बहाने वहां लाया था? क्या मृत महिला उस की पत्नी थी या फिर प्रेमिका?’
इन सब के जवाब तभी संभव थे, जब सतीश चंद्र पकड़ में आता. ट्रैवल एजेंसी के मालिक से पूछताछ कर पुलिस टीम वापस लौट गई.

टीम ने सारी जानकारी एसपी (देहात) सत्यपाल सिंह को दी. श्री सिंह को लगा कि अब हत्या का खुलासा जल्द ही हो जाएगा. उन्होंने तुरंत सतीश चंद्र यादव को गिरफ्तार कर उस से सघन पूछताछ करने का आदेश पुलिस टीम को दिया.आदेश पाते ही पुलिस टीम ने सतीश के रमपुरा गांव स्थित घर पर दबिश डाली. लेकिन वह हाथ नहीं आया. सतीश चंद्र घर से फरार हो गया था. पुलिस टीम ने उस के कई संभावित ठिकानों पर भी उसे तलाश किया. लेकिन वह पुलिस को चकमा दे गया. आखिर ऊसराहार थानाप्रभारी गंगादास ने सतीश चंद्र यादव की टोह में खास खबरियों को लगा दिया.

एक नहीं 2 हत्याओं का राज उगला

पहली जुलाई, 2022 की सुबह 5 बजे एक खास मुखबिर ने थानाप्रभारी को सूचना दी कि सतीश इस समय भाऊपुर अंडरपास पर मौजूद है. चूंकि मुखबिर की सूचना महत्त्वपूर्ण थी, अत: गंगादास पुलिस टीम के साथ भाऊपुर अंडरपास जा पहुंचे. पुलिस को देख कर सतीश तेजी से भागा, लेकिन टीम ने घेराबंदी कर उसे दबोच लिया. सतीश को थाने लाया गया.थाने में जब उसे मृत महिला के फोटो दिखाए गए तो उस ने उसे पहचानने से साफ इंकार कर दिया. लेकिन उस की घबराहट और हावभाव बता रहे थे कि वह कुछ छिपा रहा है. तब उस पर सख्ती बरती गई. फिर वह मुंह खोलने को मजबूर हो गया.

सतीश ने बताया कि मृतक महिला उस के दोस्त गजेंद्र की पत्नी मिथलेश थी. जो राजस्थान के झुंझनू की रहने वाली है. इस के बाद सतीश ने एक नहीं, 2 मर्डर का खुलासा किया. उस ने मिथलेश के पति गजेंद्र की हत्या का भी खुलासा किया. इस खुलासे से पुलिस दंग रह गई.पुलिस ने सतीश की जामातलाशी ली तो उस के पास से एक तमंचा व 2 कारतूस बरामद किए. उस की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त कार भी बरामद कर ली. इस के अलावा मृतका मिथलेश का आधार कार्ड व कुछ जेवर भी बरामद कर लिए.

प्यार में खलल डालने वाली सीक्रेट वाइफ- भाग 1

देवास (मध्य प्रदेश) के शहर कोतवाली टीआई एम.एस. परमार को 7 अगस्त, 2022 की शाम बेहद बेहोशी की गंभीरहालत में एक युवती को एम.जी. शासकीय अस्पताल ले जाने की सूचना मिली थी. उन्होंने तत्काल एसआई कृष्णा सूर्यवंशी को एक कांस्टेबल के साथ अस्पताल भेज दिया.अस्पताल पहुंची पुलिस को मालूम हुआ कि 23 वर्षीय युवती रानी थी. उसे केदारेश्वर मैडिकल स्टोर चलाने वाला नरसिंह दास उर्फ बबलू ले कर आया था. इमरजेंसी के डाक्टर की टीम ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया था.

पूछताछ में बबलू ने बताया कि रानी पिछले 3 साल से उस के मैडिकल स्टोर पर सेल्सगर्ल का काम कर रही थी. वह सीहोर जिले के बाऊपुर की रहने वाली थी और देवास के अखाड़ा रोड इलाके में किराए के मकान में रहती थी. उस की बिगड़ी हालत के बारे में पुलिस को जानकारी मिली कि शाम को रानी अपने कमरे में बेहोश पड़ी थी. वह अविवाहित थी और अकेली रहती थी. एसआई कृष्णा सूर्यवंशी ने यह जानकारी टीआई को दे दी.

नरसिंह के बयानों के आधार पर एम.एस. परमार को मामला संदिग्ध लगा. उन्हें नरसिंह पर भी संदेह हुआ कि शाम के समय वह उस के घर क्यों गया था? यह सब पूछताछ करने से पहले रानी की लाश को उन्होंने पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. इस घटना की जानकारी एसपी डा. शिवदयाल को भी दे दी गई.
डाक्टरी जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट में युवती की मौत गला दबने पर दम घुटने से हुई बताई गई. मामला हत्या के रूप में सामने आने पर कोतवाली थाने में अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया.

मामले की तह तक पहुंचने के लिए एसपी (देवास) द्वारा एडिशनल एसपी मनजीत सिंह, सीएसपी विवेक चौहान और डीएसपी किरण शर्मा के नेतृत्व में कोतवाली टीआई एम.एस. परमार के संग एसआई पवन यादव, हर्ष चौहान, एएसआई संजय तंवर, हैडकांस्टेबल मनोज पटेल, रवि गडोरा, पवन पटेल आदि की एक टीम गठित की गई.

पुलिस ने रानी के पड़ोसियों से भी पूछताछ की. उन से मालूम हुआ कि नरसिंह का रानी के पास अकसर आनाजाना था. कभीकभी वह रात को वहीं ठहर जाता था. उस ने उस से शादी भी कर ली थी, जो सीक्रेट थी. इस पर पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि रानी की आकस्मिक मौत का मामला अवैध संबंध के नतीजे का हो सकता है.

नरसिंह के बारे में जुटाई गई कुछ और जानकारियों से मालूम हुआ कि वह दिलफेंक किस्म का व्यक्ति है. उस के संबंध रानी के अलावा शहर के एक जानेमाने ज्वैलर्स की दुकान पर काम करने वाली युवती रितु से भी हैं. रितु न केवल सचिन चौहान की विवाहिता है, बल्कि 7 साल की बेटी की मां भी है.

प्रेमिका रितु पर हुआ शक

पुलिस को नरसिंह के मोबाइल की लोकेशन से पता चला कि वह 7 अगस्त को जिस समय बेहोश रानी को अस्पताल ले कर गया था, उस के कुछ समय पहले ही उस की रितु के मोबाइल से भी बात हुई थी. उस वक्त रितु के मोबाइल की लोकेशन भी अखाड़ा रोड पर रानी के घर की ही थी. इस का मतलब था कि नरसिंह के रानी के पास पहुंचने से पहले रितु उस के आसपास ही थी.

गुनाह जो छिप न सका- भाग 4

बात बढ़ी तो आग भी बढ़ी और एक रोज दोनों तन की इस आग में मर्यादा को जला बैठे. इस के बाद मिथलेश के लिए सतीश ही सब कुछ हो गया. वह उस का ज्यादा से ज्यादा सान्निध्य पाने के लिए लालायित रहने लगी. इस तरह सतीश और मिथलेश का रिश्ता मजबूत हो गया.मिथलेश से मिलन की भूख मिटाने के लिए सतीश कभीकभी शाम को गजेंद्र के लिए शराब भी ले आता था. दोनों एक साथ बैठ कर पीतेखाते और जब गजेंद्र नशे में धुत हो कर खर्राटे भरने लगता तो मिथलेश और सतीश के देह मिलन का सफर शुरू हो जाता. यह सिलसिला महीनों चलता रहा.

सतीश को मिथलेश से इतना लगाव हो गया था कि वह उस की आर्थिक मदद भी करने लगा. सतीश ने मिथलेश के पति गजेंद्र को आर्थिक मदद दे कर उसे एक पुरानी कार खरीदवा दी. इस कार का उपयोग गजेंद्र टैक्सी के रूप में करने लगा. वह बुकिंग पर शहर से बाहर भी जाने लगा. सतीश के इस एहसान से दोनों बहुत खुश हुए.एक रोज गजेंद्र ने मिथलेश से कहा कि बुकिंग पर वह इटावा जा रहा है. वहां उसे रात को रुकना भी पड़ेगा. वह रात को उस का इंतजार न करे और बच्चों का खयाल रखे.

रंगेहाथों पकड़ी गई मिथलेश

यह सूचना मिथलेश के लिए काफी खुशी वाली थी. गजेंद्र टैक्सी ले कर घर से चला गया तो मिथलेश ने फोन पर प्रेमी सतीश से बात की और बताया कि रात को गजेंद्र घर पर नहीं होगा. यह सुन कर सतीश भी खुश हो गया.शाम ढलते ही सतीश मिथलेश के घर आ गया. मिथलेश ने उस के लिए खानेपीने का इंतजाम किया. देर रात तक खानेपीने का दौर चलता रहा. फिर दोनों कमरे में कैद हो गए. लेकिन सुबह करीब 4 बजे अचानक गजेंद्र लौट आया. उस ने कमरे का दरवाजा खटखटाते हुए मिथलेश को आवाज दी. लगभग 5 मिनट बाद मिथलेश ने दरवाजा खोला और उस के दोनों पल्ले पकड़ कर वहीं खड़ी हो गई.
‘‘क्यों? कमरे के अंदर आने नहीं दोगी मुझे?’’ गजेंद्र बोला.

मिथलेश के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं और उस की भयभीत आंखें नीचे झुकी हुई थीं. तभी गजेंद्र को कमरे के अंदर से किसी चीज के गिरने की आवाज सुनाई दी तो उस ने पूछा, ‘‘अंदर कौन है?’’मिथलेश ने कोई जवाब नहीं दिया. गजेंद्र का मन आशंका से भर उठा. उस ने मिथलेश को धकेल कर एक ओर किया और कमरे के अंदर घुस गया. अंदर कदम रखते ही सामने का दृश्य देख कर उस के तनबदन में आग लग गई. सतीश वहां पलंग के नीचे छिपने का असफल प्रयास कर रहा था.

गजेंद्र उसे देख कर चीखा, ‘‘खड़ा हो जा और चुपचाप यहां से भाग जा, वरना तेरी जान ले लूंगा. तू तो आस्तीन का सांप निकला.’’गजेंद्र का गुस्सा देख कर सतीश सिर पर पैर रख कर भाग गया. मिथलेश अभी तक पकड़े गए चोर की तरह मुंह लटकाए खड़ी थी. गजेंद्र का पूरा शरीर गुस्से से जल रहा था. उस ने नफरत से पत्नी को देखा और पैर पटकता बाहर निकल गया. इस बीच सतीश वहां से रफूचक्कर हो चुका था. गजेंद्र ने आसपास देखा और लौट कर अंदर आ गया.

आते ही गजेंद्र ने मिथलेश की चुटिया पकड़ कर उसे जमीन पर पटक दिया. फिर लातघूंसों से बेतहाशा मारने लगा. मिथलेश रोनेगिड़गिड़ाने लगी. लेकिन गजेंद्र नेमिथेलश को तभी छोड़ा जब वह उसे मारतेमारते थक गया.इस घटना के बाद गजेंद्र ने अपने घर में सतीश के आने पर पाबंदी लगा दी. उस की दोस्ती में भी दरार आ गई. दोनों ने साथ महफिल जमानी भी छोड़ दी. इस के साथ ही उस ने बड़े बेटे से कह दिया कि अब अगर कभी सतीश घर आए तो वह उसे जरूर बताए.

पति गजेंद्र से छुटकारा चाहती थी मिथलेश

सतीश मिथलेश से मिलने कई दिनों तक नहीं आया. लेकिन मिथलेश की मोहब्बत के कारण वह अपने दिल से मजबूर था. उस की आंखें मिथलेश को देखने के लिए तरसने लगीं और दिल बेचैन रहने लगा.
आखिर जब सतीश से नहीं रहा गया तो एक दोपहर मिथलेश से मिलने उस के घर पहुंच गया. मिथलेश उस समय घर पर अकेली थी. उस के दोनों बच्चे स्कूल गए थे और गजेंद्र अपनी टैक्सी कार ले कर निकल गया था.

सतीश को घर आया देख कर मिथलेश के मुरझाए चेहरे पर बहार आ गई. उस ने सतीश की आंखों में झांक कर देखा तो उस की आंखें डबडबा आईं. वह भावावेश में आ कर सतीश से लिपट गई. फिर उस ने कहा, ‘‘मुझे बचा लो सतीश, वरना यह जालिम किसी रोज तुम्हारी मिथलेश को मार ही डालेगा.’’सतीश ने मिथलेश को तसल्ली देते हुए समझाया. इस के बाद दोनों काफी देर तक वहीं बैठेबैठे बातें करते रहे. बातों ही बातों में सतीश ने पूछा, ‘‘अगर वह अपनी हरकत बंद नहीं करता तो उसे ठिकाने क्यों न लगा दिया जाए? फिर हम दोनों आराम से ऐश की जिंदगी व्यतीत करेंगे.’’

‘‘तुम जो भी करना चाहो करो. सतीश, मेरी जिंदगी उस राक्षस के हाथों से बचा लो. वरना वह मुझे छोड़ेगा नहीं. जिस रोज उस ने मुझे तुम्हारे साथ देखा था, उसी रोज मुझे मारतेमारते बेहोश कर दिया था. उस ने मेरे शरीर का कोई ऐसा हिस्सा नहीं छोड़ा, जहां जख्म न दिए हों.’’ कहने के साथ मिथलेश ने सतीश को अपने शरीर पर आई अनेक चोटों के निशान दिखाए.यह सब देख कर सतीश की आंखें क्रोध से जल उठीं. वह कुछ सोचते हुए बोला, ‘‘मैं जल्द ही उस का कोई न कोई उपाय खोजता हूं. मैं अपने जीते जी तुम पर इस तरह का जुल्म नहीं होने दूंगा. तुम पर जुल्म करने वाले को सबक सिखा कर ही रहूंगा. बस तुम हमारा साथ देना.’’

यह सुनते ही मिथलेश ने सतीश का हाथ पकड़ कर अपने हाथों में ले लिया. फिर बोली, ‘‘तुम जैसा भी कहोगे सतीश, अब मैं वैसा ही करूंगी. भले ही वह काम कितना ही जोखिम भरा क्यों न हो.’’डुबो कर पति की कर दी हत्यायोजना के तहत सतीश ने गजेंद्र से माफी मांगी और दोबारा गलती न करने का वादा किया. बारबार माफी मांगने से गजेंद्र का दिल पिघल गया और उस ने उसे माफ कर दिया. इस के बाद सतीश का गजेंद्र के घर फिर से आनाजाना शुरू हो गया. दोनों की महफिल भी जमने लगी.

27 जुलाई, 2020 को सतीश और मिथलेश ने योजना के तहत घूमने का प्रोग्राम बनाया. इस के लिए मिथलेश ने अपने पति गजेंद्र को भी राजी कर लिया. गजेंद्र अपनी कार से जिसे वह टैक्सी के रूप में चलाता था, घर से पत्नी व दोस्त के साथ निकला. वे दिन भर घूमते रहे. रात 8 बजे वे इटावा पहुंचे.
यहां सतीश ने गजेंद्र को शराब पिलाई फिर वह सैफई पहुंचे. अब तक गजेंद्र पर नशा हावी हो चुका था. सतीश ने सैफई हवाई पट्टी के पास नहर किनारे कार रोकी फिर गजेंद्र को सीट बेल्ट पहना कर कार नहर में ढकेल दी. डूबने से गजेंद्र की मौत हो गई. इस के बाद दोनों लौट आए.

28 जुलाई, 2020 की सुबह सैफई पुलिस ने गजेंद्र की लाश बरामद की और अज्ञात में पोस्टमार्टम कराया. चूंकि पुलिस को कोई तहरीर नहीं मिली थी और युवक की मौत पानी में डूबने से हुई थी, इसलिए इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया और आत्महत्या मान कर फाइल बंद कर दी.

पति को ठिकाने लगाने के बाद मिथलेश अपनी ससुराल पहुंची. उस ने ससुरालीजनों को गजेंद्र के लापता होने की जानकारी दी और 2 महीने तक घडि़याली आंसू बहाती रही. उस के बाद एक रोज बच्चों के साथ गायब हो गई. ससुरालीजनों ने तब थाना पचेरी में उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी.ससुरालीजनों को चकमा देने के बाद मिथलेश अपने दोनों बेटों के साथ नोएडा आ गई और अपने प्रेमी सतीश चंद्र यादव के साथ उस की पत्नी बन कर रहने लगी. लौकडाउन में सतीश की नौकरी छूट गई थी.अब उस ने एक पुरानी कार खरीद ली थी और टैक्सी के रूप में चलाने लगा था. वह टोकन के रूप में कटियार ट्रैवल एजेंसी की पर्ची का प्रयोग करता था. हालांकि एजेंसी ने टोकन पर्ची देनी बंद कर दी थी.

मिथलेश का भिड़ गया पहाड़ी युवक से टांका

मिथलेश और सतीश ने लगभग एक साल तक हंसीखुशी जीवन बिताया. उस के बाद उन के जीवन में कड़वाहट का जहर घुलने लगा. उस का पहला कारण था मिथलेश की फैशनपरस्ती और रंगीनमिजाजी.
दरअसल, मिथलेश का मन भटकने लगा था और उस का टांका एक पहाड़ी युवक से भिड़ गया था. वह उस से खुल कर बतियाती थी और उस के साथ शौपिंग करने भी जाती थी. सतीश को यह सब पसंद नहीं था. अत: घर में कलह होने लगी.

इधर सतीश की पहली पत्नी कमला को भी जानकारी हो गई थी कि सतीश ने 2 बच्चों की मां मिथलेश को पत्नी का दरजा दे दिया है और शहरी मेम के साथ गुलछर्रे उड़ा रहा है.कोई भी औरत पति की उपेक्षा और मारपीट तो सह सकती है, लेकिन पति का बंटवारा सहन नहीं कर सकती है. कमला को भी सहन नहीं हुआ और उस ने विरोध शुरू कर दिया. सतीश जब भी घर जाता वह उसे जलील करती और झगड़ा करती.
घरवाली का विरोध और मिथलेश की रंगीनमिजाजी से टैक्सी चालक सतीश चंद्र यादव बौखला गया. इसी बौखलाहट में उस ने मिथलेश की हत्या की योजना बना डाली.

योजना के तहत सतीश ने मिथलेश से कहा कि उस के गांव के पास नाग देवता का मंदिर है. वह वहां दर्शन के लिए जाना चाहता है. चाहो तो तुम भी बच्चों के साथ चलो. नाग देवता के दर्शन के लिए मिथलेश राजी हो गई.21 जून, 2022 को मिथलेश सजधज कर तैयार हुई. फिर उस ने दोनों बच्चों को भी तैयार किया. पूजा सामग्री की थाली भी सजाई. उस के बाद सतीश के साथ कार में बैठ कर नाग देवता के दर्शन के लिए निकल पड़ी.सतीश मिथलेश और बच्चों को खिलातापिलाता रात 8 बजे नोएडा से इटावा पहुंचा. इटावा में कुछ देर रुकने के बाद रात 9 बजे सतीश अपने गांव रमपुरा से 2 किलोमीटर दूर स्थित नाग देवता के मंदिर पहुंचा. अब तक दोनों बच्चे कार में सो गए थे.

मंदिर सुनसान जगह पर था और चारों ओर सन्नाटा पसरा था. सतीश ने सड़क किनारे कार खड़ी कर दी. मिथलेश पूजा का थाल सजा कर कार से उतरी और नाग देवता मंदिर पहुंची. वहां उस ने पूजाअर्चना की. इसी बीच सतीश ने तमंचा लोड कर लिया था.मिथलेश पूजा कर के जैसे ही कार के पास आई, तभी उस ने पीछे से कनपटी से तमंचा सटा कर फायर कर दिया.मिथलेश के मुंह से चीख निकली और वह सड़क पर बिछ गई. पूजा की थाली व सामग्री भी बिखर गई. सड़क खून से लाल हो गई. कुछ मिनट तड़पने के बाद मिथलेश ने दम तोड़ दिया.

मिथलेश की हत्या के बाद सतीश ने उस के शव को सड़क से घसीट कर खेत किनारे नाली में डाल दिया. फिर शव से सारे आभूषण उतार कर सुरक्षित अपने पास रख लिए. आभूषण उतारते समय ही ट्रैवल एजेंसी की टोकन पर्ची उस की जेब से गिर गई. उस के बाद वह कार व उस में सो रहे बच्चों सहित फरार हो गया.
वह बच्चों को ले कर घर पहुंचा और घर वालों को बता दिया कि इन की मां अस्पताल में भरती है.
घर वालों को पहले से ही सतीश और मिथलेश के संबंधों की जानकारी थी, इसलिए उस के अस्पताल में भरती होने की वजह से चुप रहे. लेकिन जब पुलिस ने सतीश को गिरफ्तार कर लिया, तब उन्हें सच्चाई
पता चली.

पुलिस ने अभियुक्त सतीश चंद्र यादव से पूछताछ करने के बाद उसे इटावा कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जिला जेल भेज दिया गया. मिथलेश के दोनों बच्चों को उस के मायके वालों के सुपुर्द कर दिया गया था.

जुर्म: वजह छोटी, अपराध बड़े- मकसद से भटकती कमउम्र पीढ़ी

दक्षिण भारत की सुपरहिट फिल्म ‘केजीएफ चैप्टर वन’ के एक सीन में जब बच्चा रौकी दिनदहाड़े एक पुलिस वाले के सिर पर बोतल फोड़ कर भागताभागता रुक जाता है, तो उस का साथी बच्चा पूछता है कि रुक क्यों गया? इस पर रौकी बोलता है कि उस पुलिस वाले को अपना नाम तो बताया ही नहीं. वह फिर उस घायल पुलिस वाले के पास जाता है और दोबारा उस का सिर फोड़ कर अपना नाम बताता है.

यह तो महज एक फिल्मी सीन था, जिस पर सिनेमाघरों में खूब सीटियां और तालियां बजी थीं, पर असली जिंदगी में अपराध इतना ग्लैमरस नहीं होता है और न ही किसी अपराधी का भविष्य सुनहरा होता है.

इस के बावजूद बहुत से नौजवान अपनी छोटीमोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपराध की दुनिया में उतर जाते हैं, पर जब वे पुलिस के हत्थे चढ़ते हैं, तो अपनी जरूरतों का रोना रोने लगते हैं.

मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले का एक मामला देखते हैं. वहां 2 लड़के लूट के एक मामले में पकड़े गए थे. इस सिलसिले में पुलिस ने 19 साल के शुभम उर्फ अर्पण और 18 साल के अभिषेक शुक्ला उर्फ बच्ची को गिरफ्तार किया था. वे दोनों रीवां जिले के मिसिरिहा गांव के रहने वाले थे.

इन दोनों आरोपियों ने 13 जुलाई, 2022 को गांव बुढ़ाकर में लूट की वारदात को अंजाम देने से पहले बैंक की रेकी की थी. एक पतिपत्नी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अपने खाते में जमा 40,000 रुपए बैंक से निकाल कर बाहर फल विक्रेता के पास खड़े थे.

उसी दौरान दोनों आरोपी मोटरसाइकिल से आए और उन्होंने औरत से नकदी भरा बैग छीन लिया. बाद में पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की मदद से आरोपियों को पकड़ा था.

अर्पण ने इस कांड की वजह के तौर पर पुलिस को बताया कि उस के परिवार में पैसे की बेहद तंगी थी और उस के पास जबलपुर में प्रतियोगी परीक्षा की अपनी कोचिंग फीस और मकान का किराया देने के लिए पैसे नहीं थे.

अर्पण का दोस्त अभिषेक भी प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षा की कोचिंग ले रहा था और वह भी पैसे की तंगी का सामना कर रहा था.

अर्पण ने पुलिस को यह भी बताया कि पैसे के लिए किसी को लूटने का प्लान अभिषेक ने बनाया था. उन दोनों ने कई दिनों तक कई बैंकों की रेकी की थी और 40,000 रुपए निकालने वाले इन पतिपत्नी का पता लगाया था.

चलो, यहां तो पैसे की तंगी के चलते अपराध हुआ था, पर आजकल के कमउम्र नौजवान तो इश्क के चक्कर में क्याक्या नहीं कर बैठते हैं, इस की एक बानगी देखिए.

प्रेमिका की चाहत पूरी करने के लिए गोंडा, उत्तर प्रदेश में कुछ नौजवानों ने अपराध की सारी हदें पार कर दीं और लुटेरे बन गए. हैरत की बात तो यह है कि इन में से कोई इंजीनियरिंग, तो कोई डाक्टर बनने का सपना लिए घर से निकला था, पर उन्हें माशूका के नखरे उठाने का ऐसा चसका लगा कि वे लुटेरे बन बैठे.

दरअसल, गिरफ्तार किए गए ये पांचों नौजवान आदतन अपराधी नहीं थे, पर जब अचानक उन की जिंदगी में माशूका आ गई तो मुहब्बत की अंधी राह ने उन्हें अपराध की दुनिया में धकेल दिया. ये आरोपी गोंडा और आसपास के जनपदों में मोबाइल की लूट और छीनाझपटी की वारदात को अंजाम दे रहे थे.

पुलिस ने केस दर्ज कर जब इस मामले की छानबीन शुरू की, तो एक रैकेट इस के पीछे काम करता हुआ मिला. पुलिस ने एक नौजवान को गिरफ्तार कर के पूछताछ की तो एकएक कर 5 लोगों के नाम सामने आए.

जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की, तो पता चला कि गोंडा जिले के तरबगंज थाना क्षेत्र के रहने वाले ये लड़के लखनऊ, दिल्ली और पंजाब में रह रही अपनी गर्लफ्रैंड की ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए लूट की वारदात को अंजाम देने लगे थे.

देहात कोतवाली पुलिस और एसओजी की टीम ने गिरफ्तार नौजवानों के कब्जे से चोरी के 9 मोबाइल फोन, वारदात में इस्तेमाल की जाने वाली 2 मोटरसाइकिल, नकदी के अलावा दूसरा सामान भी बरामद किया.

बालिग तो बालिग, नाबालिग भी अपराध के दलदल में काफी अंदर तक धंसे हुए हैं. नैशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड और नैशनल क्राइम रिकौर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2020 में हत्या, अपहरण, लूट, डकैती, चोरी जैसी 29,768 आपराधिक वारदात ऐसी थीं, जिन में 74,124 नाबालिग शामिल थे.

बच्चों द्वारा की गई आपराधिक वारदात की बात करें तो इस में नंबर एक पर मध्य प्रदेश रहा था, जहां 4,819 वारदात में बच्चे शामिल थे. 4,079 ऐसी वारदात के साथ महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर, 3,394 वारदात के साथ तमिलनाडु तीसरे नंबर पर और 2,455 वारदात के साथ दिल्ली चौथे नंबर पर रही थी.

5वें नंबर पर राजस्थान (2,386 वारदात), 6ठे नंबर पर छत्तीसगढ़ (2,090 वारदात) और 7वें नंबर पर गुजरात (1,812 वारदात) जैसे राज्य थे.

ऐसे अपराधों की जड़ में पैसे की कमी और सामाजिक वजह बताई जाती हैं. यह कड़वी हकीकत है कि आज बड़ी तादाद में नौजवान बेरोजगार हैं. ऐसे में वे जब अपराध की तरफ खिंचते हैं, तो उन का पहला पड़ाव झपटमारी होता है. इस में मिली कामयाबी के बाद वे लूट और डकैती की तरफ चले जाते हैं. जेल में जा कर उन में से कुछ तो सुधर जाते हैं, पर बहुत से जेल में सजा काट रहे दूसरे बड़े अपराधियों की संगत में पूरी तरह से अपराधी बन जाते हैं.

इस के अलावा बहुत से नौजवान खराब परवरिश, महंगी जरूरतों, अपनी बढ़ती इच्छाओं, स्कूलकालेज के कैंपस की गुंडागर्दी, अकेलेपन और अपने गुस्सैल स्वभाव के चलते अपराध की ओर बढ़ने लगते हैं.

इस बुराई में समाज के साथसाथ सरकार भी बराबर की जिम्मेदार है. आज की नौजवान पीढ़ी नारों पर नहीं, बल्कि नतीजों पर यकीन करती है, जबकि केंद्र सरकार ने उसे रोजगार देने के नाम पर सिर्फ सपने दिखाए हैं.

हकीकत तो यह है कि दिसंबर, 2021 तक भारत में बेरोजगार लोगों की तादाद 5.3 करोड़ रही थी. देश की आजादी की 75वीं सालगिरह पर इस तरह के आंकड़े चिंता और शर्म की बात हैं.

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