
चायनाश्ता ले कर महेंद्री आई तो उस ने सानिया के साथ चायनाश्ता किया. फिर सानिया से बोला, ‘‘सानिया, इसे भी अपना ही घर समझो, मौसी शाम को लड़का दिखा देगी. मुझे जरूरी काम न होता तो मैं भी शाम तक रुक जाता. लड़का पसंद आ जाए तो मैं और नीलम तुम्हारे हाथ पीले कर देंगे.’’
‘‘ठीक है अंकल,’’ सानिया मुसकरा कर बोली.सानिया को महेंद्री के सुपुर्द कर के दिलीप वहां से चला आया. उसे सानिया की कीमत मिल गई थी. एक ही रात में उस ने 40 हजार रुपए कमा लिए थे.
महेंद्री ने सानिया को आराम करने को कहा और दूसरे कमरे में जा कर किसी से फोन पर बात करने लगी.
शाम को 2-3 आदमी सानिया को देखने आए. उन्होंने चेहरों पर मास्क लगा रखे थे. महेंद्री से बात करने के बाद दूसरे दिन वह अपने साथ सानिया को ले कर राजस्थान के लिए चले गए. वहां कितनी ही जगह सानिया को दिखाया गया. एक पार्टी से एक लाख रुपए में शादी के लिए सौदा हुआ, लेकिन उन्होंने पूरी रकम का इंतजाम नहीं किया तो वे लोग सानिया को वापस महेंद्री के पास छोड़ कर चले गए.
महेंद्री को अपने 40 हजार रुपयों की फिक्र होने लगी. वह सानिया को अच्छे दाम में बेचना चाहती थी. इस के लिए सानिया को अच्छा भी दिखना जरूरी था. महेंद्री उस के बनावशृंगार और कपड़ों की खरीद के लिए सावित्री के घर ले गई.
सावित्री बवाना में ही रहती थी. सावित्री को महेंद्री ने बताया कि सानिया उस की रिश्तेदार है. लेकिन पारखी सावित्री ने एक ही नजर में ताड़ लिया कि महेंद्री इस लड़की को बेचने के लिए कहीं से फांस लाई है.
महेंद्री के काले कारनामों से सावित्री परिचित थी. उसे सानिया पर तरस आ गया. उस ने एकांत में सानिया को महेंद्री की हकीकत से वाकिफ करा दिया. सानिया सकते में आ गई. उस का दिल बैठ गया. वह यह जान कर घबरा गई कि वह गलत लोगों के हाथों में फंस गई है. उस ने निर्णय ले लिया कि वह सावित्री के पास रहेगी.सानिया ने महेंद्री के साथ जाने को मना किया तो महेंद्री गुस्से में आ गई. उस ने सावित्री को खरीखोटी सुनाई. सावित्री ने उसे अच्छे से जलील कर के भगा दिया.
सानिया अब सावित्री को अपनी मां मान कर उसी के साथ रहने लगी थी लेकिन महेंद्री को यह कैसे सहन होता कि उस का माल सावित्री हड़प जाए. वह फिर सावित्री से मिलने के लिए और सानिया को ले जाने के लिए उस के घर पहुंची तो मालूम हुआ कि वह सानिया को ले कर बाजार गई है.महेंद्री बाजार में उसे तलाश करने निकली तो डिफेंस कालोनी थाने की एसआई चंचल की नजर में आ गई. एसआई चंचल के साथ कांस्टेबल होशियार सिंह था. उसी की मदद से उस ने महेंद्री को पकड़ लिया और डिफेंस कालोनी थाने में ले आई.
दरअसल, कुछ दिनों से 3 लड़कियां घर से लापता थीं. उन की रिपोर्ट डिफेंस कालोनी थाने में दर्ज थी. एसआई चंचल उन्हीं की तलाश में बवाना आई थी. उसे मालूम था कि महेंद्री लड़कियों की खरीदफरोख्त करती है.महेंद्री से जब सख्ती से पूछताछ हुई तो उन गुमशुदा लड़कियों का तो नहीं, सानिया का महेंद्री के पास से सावित्री के कब्जे में जाने का राज जरूर खुल गया.डिफेंस कालोनी पुलिस ने इस मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी. उन के दिशानिर्देशन में एक पुलिस टीम का गठन किया गया, जिस की कमान एसआई चंचल, किशोर, कांस्टेबल होशियार के हाथों में सौंपी गई.
एसआई चंचल की टीम ने सानिया का एम्स में मैडिकल एग्जामिनेशन करवा कर इस बात की पुष्टि की कि क्या सानिया के साथ यौनाचार भी किया गया.ऐसी बात सामने नहीं आई तो पुलिस जांच दल ने सानिया को निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन, नई दिल्ली, शिवाजी ब्रिज, मिंटो ब्रिज आदि स्टेशनों के प्लेटफार्म दिखाए. पुलिस टीम यह पता लगाना चाहती थी कि पहली बार वह किस स्टेशन और किस प्लेटफार्म पर नीलम को मिली थी.सानिया दिल्ली के स्टेशनों और स्थानों से अपरिचित थी, उसे मालूम नहीं था कि वह टे्रन से कहां उतरी थी.
एसआई चंचल ने अपनी टीम के साथ इस विषय पर माथापच्ची की तो उन्हें पुरानी दिल्ली स्टेशन को जांच के दायरे में लेने का खयाल आया, कारण सानिया गुवाहाटी से अवध आसाम एक्सप्रैस से दिल्ली आई थी और यह ट्रेन पुरानी दिल्ली स्टेशन ही आती है.जांच के लिए टीम सानिया को पुरानी दिल्ली स्टेशन ले कर आई. सानिया ने वह प्लेटफार्म और जगह पहचान ली, जहां बैठ कर वह हताशा में रोने लगी थी. वह 13 नंबर का प्लेटफार्म था.जांच दल ने वहां लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली तो पहली अगस्त के दिन शाम के समय सानिया 2 कैमरों में दिखाई दे गई. उस के साथ नीलम भी बैठी नजर आ रही थी. पुलिस के लिए यह एक पुख्ता सबूत था.
जांच दल चूंकि डिफेंस कालोनी थाने का था और पुरानी दिल्ली का एरिया उन के क्षेत्र में नहीं आता था, इसलिए अपने यहां जीरो एफआईआर दर्ज कर के यह केस पुरानी दिल्ली स्टेशन के दायरे में आने वाले थाने को 23 अगस्त, 2022 को ट्रांसफर कर दिया गया.क्षेत्र के एसीपी प्रवीण कुमार के संज्ञान में यह केस आया तो उन्होंने थाने के प्रभारी शिवदत्त जैमिनी को आदेश दिया कि इस केस को बड़ी संजीदगी से हैंडल करें.थानाप्रभारी शिवदत्त जैमिनी ने एसआई राजेंद्र कुमार के दिशानिर्देशन में काम करने के लिए एक टीम का गठन कर दिया. इस में एएसआई सुखपाल, कांस्टेबल रवि, पल्लवी को शामिल किया गया.
महेंद्री को भी इस थाने की कस्टडी में दे दिया गया था. सानिया और सावित्री भी इस थाने को सौंप दी गईं.
पुख्ता सबूत एकत्र करने के बाद एसआई राजेंद्र ने अपनी टीम के साथ शास्त्री पार्क इलाके में दबिश दे कर दिलीप और नीलम को भी गिरफ्तार कर लिया.
दिलीप अपनी पत्नी नीलम के साथ शास्त्री पार्क की गली नंबर 1, मकान नंबर एफ-3 में रहता था. उस का पुश्तैनी पता वार्ड नंबर-15, खाटी गांव, थाना छातापुर, जिला सुपोल, बिहार था. शास्त्री पार्क में अपनी पत्नी नीलम के साथ रहते हुए छोटेमोटे अपराध करता था. कभीकभी वे दोनों कोई बड़ा अपराध भी करते थे.महेंद्री लड़कियां खरीद कर उन्हें ऐसे लोगों को बेचती थी, जिन की किसी कारणवश शादी नहीं हो पाती थी. वह कई लड़कियों को देहमंडी में भी बेच चुकी थी. उस पर पहले भी कई केस चल रहे थे. इस बार सानिया को बेचने के चक्कर में वह फिर पकड़ी गई थी. पुलिस ने भादंवि धारा 363, 366ए, 370, 370ए, 372, 373,120/34 तथा 21 पोक्सो एक्ट लगा कर दिलीप पूर्वे, नीलम और महेंद्री को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. सावित्री बेकुसूर थी, इसलिए उसे छोड़ दिया गया.
सानिया के पिता का नाम नौइमुल था. सानिया को मां का नाम मालूम नहीं था. मांबाप बांग्लादेश में कहां काम करते हैं, वह नहीं जानती थी.बचपन से वह दादादादी के पास पली थी. दादा की मौत के बाद घर में फाके पड़े तो वह काम की तलाश में दिल्ली आ गई थी और लड़कियों का सौदा करने वाले लोगों के चंगुल में फंस गई थी.पुलिस ने दिलीप पूर्वे, उस की पत्नी नीलम और महेंद्री से पूछताछ कर उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. सानिया वापस अपने घर रामपुर टाउन नहीं जाना चाहती थी, इसलिए पुलिस ने उसे नारी निकेतन में भेज दिया.
सानिया उठ कर खड़ी हो गई.‘‘पहले नल पर चल कर आंसुओं से भीगा यह चेहरा धो डालो, फिर मेरे साथ नाश्ता करो.’’ नीलम ने कहा.सानिया ने एक नल पर चेहरा धो कर बालों को ठीक किया, फिर नीलम की ओर देख कर बोली, ‘‘अब ठीक है न आंटी.’’नीलम मुसकरा पड़ी, ‘‘अब अच्छी लग रही हो. चलो, तुम्हें नाश्ता करवाती हूं.’’सानिया उस के साथ स्टेशन से बाहर आ गई. बाहर एक पटरी पर सजी चाय की दुकान पर नीलम ने 2 चाय और बिसकुट लिए और सानिया को नाश्ता करवाया. नाश्ता कर लेने के बाद सानिया को ले कर नीलम एक आटो में सवार हो गई और उसे अपने घर ले आई.
39 साल का दिलीप पूर्वे खूबसूरत शख्स था. वह जरायम की दुनिया का मंझा हुआ खिलाड़ी था. उस ने अपनी पत्नी नीलम के साथ आटो से उतर रही युवती को देखा तो तुरंत ताड़ गया कि पत्नी किसी चिडि़या को फांस लाई है.उस ने उस युवती को सिर से पांव तक देखा. वह नवयौवना नौर्थईस्ट की लग रही थी. उस में गजब का आकर्षण था. यह लड़की सोने का अंडा देगी, यह ताड़ते ही दिलीप की आंखों में गहरी चमक आ गई.वह लपक कर पत्नी नीलम के पास आया और बोला, ‘‘तुम इस मेहमान को अंदर ले कर जाओ. मैं आटो का किराया देता हूं.’’
नीलम सानिया को ले कर अपने घर में आ गई. कुछ ही क्षणों में दिलीप भी आटो का किराया चुका कर कमरे मेआ गया.उस ने नीलम की तरफ प्रश्नसूचक नजरों से देख कर पूछा, ‘‘यह तो अजनबी लगती है.’’
‘‘बेचारी स्टेशन पर बैठी रो रही थी. इस का इस शहर में कोई नहीं है. मैं इसे अपने साथ ले आई.’’ नीलम ने मुसकरा कर बताया.‘‘खाने का समय हो रहा है, तुम फ्रैश होना चाहो तो वहां बाथरूम है. फ्रैश हो जाओ, फिर हम तीनों खाना खाएंगे.’’ नीलम ने सानिया से कहा.
सानिया को नीलम ने तौलिया दे दिया. वह बाथरूम में चली गई तो दिलीप ने नीलम का चेहरा हथेलियों में भर लिया.‘‘कहां मिला यह हीरा?’’ उस ने मुसकरा कर पूछा.‘‘पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर. मैं शिकार की तलाश में भटक रही थी कि इस पर नजर पड़ गई. बस, सहानुभूति का मरहम लगा कर पटा लाई. अब तुम इसे संभालो, मैं खाना तैयार कर लाती हूं.’’दिलीप पूर्वे ने सिर हिलाया.नीलम रसोई में चली गई. दिलीप ने इस बीच सानिया के विषय में बहुत कुछ जान लिया.
एक घंटे बाद वे तीनों एक साथ बैठ कर खाना खा रहे थे. सानिया अब तक काफी सामान्य अवस्था में आ गई थी और उन दोनों से इस प्रकार से हंसबोल रही थी जैसे उन्हें बरसों से जानती हो.‘‘सानिया, तुम अपनी सहेली के पास किस मकसद से आई थी?’’ दिलीप ने पूछा.‘‘काम की तलाश में आई थी अंकल.’’
‘‘कोई बात नहीं. सहेली तुम्हें काम ही तो दिलवाती, यह काम तो मैं भी कर सकता हूं. तुम्हें परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है.’’ दिलीप ने उसे आश्वासन दिया. फिर नीलम को आंख से इशारा किया.
नीलम ने तुरंत दांव चला, ‘‘ऐ जी, मैं एक बात सोच रही हूं.’’
‘‘क्या?’’ दिलीप ने पूछा.‘‘सानिया काम किस के लिए करेगी, अपनी जरूरत के लिए ही न, क्यों सानिया?’’
‘‘हांहां आंटी, इंसान की जरूरतें ही तो उस से कामधंधा करवाती हैं. मैं भी अपनी जरूरतों के लिए काम करना चाहती हूं.’’‘‘तुम्हारे मांबाप, भाईबहन भी होंगे. कमाओगी तो रुपया उन्हें भी भेजोगी?’’ दिलीप ने पूछा.‘‘मांपिताजी बांग्लादेश में कहीं काम करते हैं, उन्होंने मुझे बचपन में ही दादादादी के पास छोड़ दिया था. मुझे दादादादी पढ़ा रहे थे और पाल रहे थे. अब दादाजी चल बसे तो खानेपीने की परेशानी आ गई, इसलिए…’’‘‘हूं…’’ नीलम ने उस की बात काट दी, ‘‘तब तो केवल तुम्हें पेट भर कर खाना, कपड़ा और शौक पूरा करने का सामान चाहिए, इसी के लिए तो काम करना चाहोगी.’’‘‘हां, आंटी.’’‘‘तो फिर इस नाजुक शरीर को क्यों मेहनत की भट्ठी में झोंकना चाहती हो. तुम्हारी उम्र ऐसी नहीं है कि कहीं नौकरी करो.’’
‘‘बगैर मेहनत किए रोटी कहां से मिलेगी आंटी?’’ सानिया ने प्रश्न किया.
‘‘मिलेगी. बगैर मेहनतमजदूरी किए भी रोटी, कपड़ा मिलेगा सानिया.’’ नीलम ने कहा.
‘‘कैसे?’’‘‘हम तुम्हारा घर बसा देंगे. अच्छा सा लड़का देख कर तुम्हारी शादी कर देंगे. तुम्हें वह रोटी, कपड़ा और जरूरत की तमाम चीजें देगा. प्यार भी.’’ नीलम ने कहने के बाद सानिया की तरफ देखा.सानिया के चेहरे पर लाज की रेखाएं उभर आईं, ‘‘अभी से शादी…’’‘‘क्यों?’’ नीलम मुसकराई, ‘‘कितने साल की हो तुम?’’‘‘17 पूरे हो गए हैं, 18वां लगा है.’’ सानिया ने बताया.‘‘अरे, तो कौन सा छोटी हो,’’ नीलम हंस कर बोली, ‘‘मेरी इन से शादी हुई थी तब मैं तो 16 साल की थी और यह मुझ से दोगुनी उम्र के. देख लो, मैं फिट हूं और इन का घर संभाल रही हूं.’’
‘‘जैसा आप लोग ठीक समझें,’’ सानिया धीरे से बोली.‘‘आप बहुत अच्छे हैं,’’ सानिया भावुक स्वर में बोली, ‘‘मुझ अजनबी लड़की को सहारा दिया और अब मेरा घर बसाने की सोच रहे हैं. मैं आप लोगों की जीवन भर अहसानमंद रहूंगी.’’‘‘अहसान नहीं कर रहे हैं,’’ नीलम तुरंत बोली, ‘‘मेरा काम ही है समाज सेवा का. अब तुम सो जाओ. कल तुम्हारे अंकल अपने मिशन पर लग जाएंगे.’’
सानिया मुसकराई और फिर चारपाई पर लेट गई. सुबह सो कर उठी तो नीलम ने उसे फ्रैश हो कर तैयार होने के लिए कह दिया.दिलीप के साथ तैयार हो कर सानिया घर से निकली. दिलीप उसे बस से बाहरी दिल्ली क्षेत्र में स्थित बवाना ले कर आया.
मोहल्ला धुलान के मकान नंबर 294 में महेंद्री रहती थी. दिलीप ने सानिया को बताया कि महेंद्री उस की मौसी है. उस ने 2-3 लड़के देख रखे हैं. वह तुम्हें अच्छे घर में बिठा देगी.महेंद्री ने सानिया को सिर से पांव तक देखा और खुशी से बोली, ‘‘ऐसी हसीन लड़की को कौन पसंद नहीं करेगा. नीलम ने मुझे रात को ही बता दिया था कि इस के लिए अच्छा सा लड़का देखना है. मैं ने एक लड़का देख रखा है. वह शाम तक यहां आ जाएगा.’’‘‘लेकिन मैं शाम तक नहीं रुक सकता मौसी,’’ दिलीप ने असहज होने का नाटक किया.
‘‘तुझे रुक कर करना भी क्या है. सानिया को छोड़ जा, मैं इसे लड़के वालों को दिखा दूंगी.’’ महेंद्री ने कहा, ‘‘तुम दूर से आए हो, बैठो मैं चायनाश्ता लाती हूं.’’
महेंद्री दूसरे कमरे में गई तो दिलीप भी थोड़ी देर में उठ कर उस के पास पहुंच गया.‘‘मैं इस की कीमत 30 हजार दूंगी.’’ महेंद्री ने दिलीप से कहा.‘‘30 हजार? मौसी, यह सोने की चिडि़या है, 30 हजार बहुत कम हैं.’’‘‘रंग सांवला है और उम्र भी कम है. इस के सौदे में रिस्क है…’’‘‘फिर भी 30 हजार कम है.’’ दिलीप ने बात काटी, ‘‘ऐसा करो, तुम 50 हजार दे दो.’’‘‘नहीं, यह बहुत ज्यादा है.’’ महेंद्री गंभीरता से बोली, ‘‘ज्यादा से ज्यादा मैं 40 हजार दे सकती हूं.’’
‘‘ठीक है, दो 40 हजार.’’ दिलीप खुश हो कर बोला.महेंद्री ने ट्रंक से निकाल कर उसे 40 हजार रुपए दे दिए.
‘‘अब तुम जा कर बैठक में बैठो, मैं चायनाश्ता ले कर आती हूं.’’
दिलीप पूर्वे रुपए पैंट की जेब में रख कर बैठक में आ गया.
अवध आसाम एक्सप्रैस ट्रेन अपना लंबा सफर तय करती हुई दिल्ली के करीब पहुंच गई थी. जिन्हें दिल्ली
उतरना था, वे अपनाअपना सामान संभालने लगे थे. उन के चेहरे प्रफुल्लित थे, दिल्ली पहुंचने का उत्साह व खुशी थी. वहीं पैसेंजर डिब्बे के एक कोने में गठरी बनी बैठी 18 साल की सानिया परेशान और चिंता में डूबी बारबार अपने छोटे से मोबाइल को उलटपुलट कर देख रही थी.
दिल्ली में उसे जिस के पास पहुंचना था, उस का न तो उस के पास एडे्रस था, न उस से फोन से संपर्क हो पा रहा था. शायद यही सानिया की परेशानी का सबब था.जब वह गुवाहाटी से इस ट्रेन में सवार हुई थी, उस ने अपनी परिचित को फोन किया था और अपने दिल्ली आने की खबर की थी. परिचित जो उस की गांव की ही थी और 8वीं तक उस के साथ पढ़ी थी, ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा था कि वह दिल्ली आ जाए, वह उसे यहां स्टेशन पर लेने पहुंच जाएगी.
सानिया तब बेफिक्र ट्रेन में सवार हो गई थी. जब दिल्ली करीब आने की सुगबुगाहट उस के कानों में पड़ी तो उस ने अपनी सहेली को फिर से संपर्क करना चाहा था, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया था.बस, इसी चिंता ने सानिया को परेशान कर के रख दिया था. उस के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आई थीं, उसे दिल्ली के नजदीक आने की जरा भी खुशी नहीं हो रही थी.सानिया अपना छोटा सा बैग ले कर वह डिब्बे से नीचे आ गई. प्लेटफार्म पर बहुत भीड़ थी. बहुत शोर था. वह घबरा गई.
अपना बैग सीने से चिपकाए वह अंजान लोगों की भीड़ से बचतीबचाती निकास द्वार की तरफ बढ़ने लगे. तभी उसे भीड़ का धक्का लगा और वह गिर गई. हाथ से छूट कर उस का बैग एक तरफ उछल गया. सानिया ने उठना चाहा तो भीड़ के बीच से उठ नहीं पाई. कितने ही लोग उसे रौंदते हुए निकल गए.
सानिया ज्यादा घबरा गई. वह एक बेंच पर आ कर बैठ गई. बैग में उस के कपड़े और पर्स था, जिस में डेढ़ सौ रुपए के करीब थे. वह बैग के खो जाने से परेशान हो उठी. उस के पास एक रुपया नहीं बचा था.
मोबाइल निकाल कर उस ने अपनी सहेली का नंबर मिलाया. दूसरी ओर से मोबाइल के स्विच्ड औफ होने का संदेश आने लगा. सानिया रो पड़ी. उस की आंखों से झरझर कर आंसू बहने लगे. उस ने घुटनों में सिर छिपा लिया और अपनी बेबसी पर आंसू बहाने लगी.अभी कुछ ही देर हुई थी कि उस के कंधे पर किसी का स्पर्श हुआ और किसी का सुरीला स्वर उस के कानों में पड़ा, ‘‘क्या हुआ, तुम रो क्यों रही हो?’’
सानिया ने घुटनों से सिर ऊपर उठाया. सामने एक युवती खड़ी हुई उसे देख रही थी.
‘‘कौन हो तुम, इस तरह यहां बैठी क्यों रो रही हो?’’ उस युवती ने प्यार से पूछा.सानिया और जोर से रो पड़ी. वह युवती उस के पास बैठ गई. स्नेह से उस के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली, ‘‘रोओ मत, मुझे बताओ, तुम्हें क्या परेशानी है?’’‘‘मेरा बैग…’’ सानिया रोते हुए बोली, ‘‘वह भीड़ के धक्के से नीचे गिरा, मैं भी गिर गई थी, संभल कर उठी तो बैग मुझे नहीं मिला.’’‘‘उस में तुम्हारे कपड़े होंगे और खानेपीने का सामान..?’’ युवती ने पूछा.
‘‘कपड़े और पैसे थे,’’ सानिया ने आंसू बहाते हुए बताया, ‘‘अब इस अजनबी शहर में मेरा क्या होगा.’’
युवती की आंखों में तीखी चमक उभर आई, ‘‘अजनबी शहर… तो यहां तुम्हारा कोई अपना नहीं रहता है क्या?’’‘‘मेरी एक सहेली है, उसी के पास आई हूं. उस का नंबर मोबाइल में है, वह नहीं लग पा रहा है.’’
‘‘तुम्हारे पास उस का एड्रेस तो होगा? मुझे बताओ, मैं उस के घर तुम्हें पहुंचा दूंगी.’’
‘‘एड्रेस नहीं है,’’ सानिया ने रुंधे गले से बताया.‘‘कहां से आई हो?’’‘‘डिब्रूगढ़, असम से.’’
‘‘ओह?’’ उस युवती ने होंठों को गोल सिकोड़ा, ‘‘इतनी दूर से आई हो, इतने बड़े शहर में कहां जाओगी, तुम्हारे पास पैसे भी नहीं हैं… अब क्या करोगी?’’
सानिया ने आशा और उम्मीद भरी नजरों से उस युवती की ओर देखते हुए कहा, ‘‘आप मेरी मदद करेंगी?’’
‘‘हां, इस अंजान शहर में तुम कहां भटकोगी, मैं तुम्हें सहारा दूंगी.’’ उस युवती ने प्यार से कहा तो सानिया ने उस के सीने पर अपना सिर रख दिया और भर्राए कंठ से बोली, ‘‘आप बहुत अच्छी हैं.’’
‘‘वो तो मैं हूं ही,’’ युवती होंठों में बुदबुदाई और प्रत्यक्ष में बोली, ‘‘तुम्हारा नाम क्या है?’’
‘‘सानिया.’’‘‘मेरा नाम नीलम है,’’ अपना नाम बताने के बाद नीलम ने सानिया का हाथ पकड़ लिया, ‘‘उठो, मेरे साथ चलो.’’
उस के जाने के बाद काफी समय तक उस की उपस्थिति का एहसास नरसिंह को होता रहा. बातबात पर खनकती हंसी कानों में सुनाई देती रही. जब भी दुकान पर किसी औरत की आवाज सुनता, उसे लगता रितु ही बोल रही है. उस रोज नरसिंह के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी.उसी दिन रात को वाट्सऐप मैसेज आया, ‘हैलो! गुड नाइट!!’’नरसिंह उसे अभी पढ़ ही रहा था कि एक और मैसेज आ गया, ‘स्वीट मीटिंग विद रेनी डे… यादगार बन गया!’नरसिंह समझ गया कि मैसेज किस ने भेजा है. उस ने भी रितु का नंबर ‘आर रेनीडे’ नाम से सेव कर लिया और उसे लव चिह्न का जवाबी मैसेज भी भेज दिया.
दूसरी प्रेमिका रानी से जलती थी रितु
प्रेम की पहली सफलता मिलने के बाद नरसिंह रितु के साथ अकेले में मिलने का मौका निकालने लगा. यहां तक कि उसे अपने घर पर भी बुलाने लगा. पत्नी से परिचय करवाया. उस के शादीशुदा होने पर पत्नी ने उन की मुलाकातों पर संदेह नहीं किया. दोनों बाहर भी मिलनेजुलने लगे.कुछ दिनों में ही दोनों ने महसूस किया कि उन को अपनेअपने जीवनसाथी से मिलने वाली खुशी इस नए प्रेम संबंध से मिल रही है.उन की प्रेम कहानी सरपट दौड़ती रही. कहीं कोई बाधा नहीं और न ही एकदूसरे से शिकायतें. किंतु उस में खलल तब पड़ गई, जब 3 साल पहले नरसिंह ने अपने मैडिकल स्टोर पर सीहोर की रानी नाम की युवती को सेल्सगर्ल के रूप में नौकरी पर रख लिया. वह मात्र 20 साल की कुंवारी थी. जबकि रितु की उम्र बढ़ने के साथसाथ उस की चंचलता और मादकता में कमी आ गई थी.
दुकान पर जब रितु ने एक बार रानी को नरसिंह से हंसहंस कर बातें करते देखा, तब उसे बहुत बुरा लगा. उस ने तुरंत इस का विरोध जताया कि उसे इस तरह से अपने स्टाफ से हंसीमजाक नहीं करनी चाहिए. उस समय नरसिंह कुछ नहीं बोला, लेकिन उसे रानी से हंसीमजाक करना या बातबात पर उसे छेड़ देना अच्छा लगता था. कारण, रानी उस की बातों का बुरा नहीं मानती थी.रसिकमिजाज नरसिंह किसी कमसिन लड़की को देखते ही उस पर फिदा हो जाता था. वह उसे अपने प्रेम जाल में फंसा कर ही छोड़ता था. न केवल उस के साथ रंगरलियां मनाने के सपने देखने लगता था, बल्कि उसे अपने अनुरूप भी बना लेता था. ऐसा ही उस ने रानी के साथ किया था. वह उस की भावना में आ गई थी. जबकि एक सच्चाई यह भी थी कि रानी पैसों की भूखी थी और बबलू उस पर पैसे खर्च करने लगा था.
शादीशुदा नरसिंह ने रानी से भी कर ली शादी
रानी एक गरीब परिवार से थी. उसे पैसे की जरूरत थी. नरसिंह उस की जरूरत को अच्छी तरह समझ गया था. एक दिन रानी के कहने पर वह उस के कमरे में ठहर गया. दोनों ने मरजी से सैक्स संबंध बनाए. अगले रोज रानी बिफरती हुई उसे शादी करने को बोली. नरसिंह के इनकार करने पर रानी ने उस पर रेप का मुकदमा करने की धमकी दी. आखिरकार नरसिंह ने रानी से गुपचुप शादी कर ली और उसे हर महीने पैसे भी देने लगा.उन्होंने कोरोना काल में लौकडाउन का भरपूर फायदा उठाया. मैडिकल की दुकानें खुली रहने के चलते रानी और नरसिंह का संपर्क बना रहा. सड़कें, गलियां और बाजार पसरे सन्नाटे का फायदा उठा कर नरसिंह अकसर रानी के कमरे पर समय गुजारने लगा.
दूसरी तरफ लौकडाउन में रितु की ज्वैलरी की दुकान बंद हो गई थी, जिस से उस का घर से निकलना नहीं हो पा रहा था. रितु का पति भी घर पर रहता था. नरसिंह से मिलने के लिए रितु की तड़प बढ़ती जा रही थी. मुलाकात का कोई रास्ता नहीं होने के कारण रितु परेशान थी, तो नरसिंह उस की कमी को रानी संग रातें रंगीन कर पूरी कर रहा था.कुछ दिनों बाद ही नरसिंह रितु समेत अपनी बीवी को भी भूल गया. उस की बीवी अपने पति की आशिकमिजाजी से वाकिफ थी, लेकिन रानी संग गुप्त शादी रचाने से अनजान थी. कोरोना के बाद जब बाजार पूरी तरह खुल गए, तब रितु का अपने आशिक नरसिंह से सामना हुआ.
नरसिंह ने उस से ठीक तरह से बात तक नहीं की. इस का कारण समझने में रितु को जरा भी समय नहीं लगा. तब तक वह रानी और नरसिंह के संबंधों के बारे में अच्छी तरह पता चल चुका था.रितु को अपने प्यार के छिन जाने का गुस्सा था, लेकिन विवाहित होने के चलते कुछ कर भी नहीं सकती थी. उस ने नरसिंह की पहली पत्नी को सब कुछ बताने की सोची, लेकिन डर गई कि ऐसा होने से वह भी फंस जाएगी और उस के पति तक भी बात पहुंच जाएगी. दूसरी तरफ रितु ने जब नरसिंह से रानी से संबंध तोड़ने की बात कही थी, तब उस ने खुदकुशी करने की धमकी दे डाली थी.
स्वार्थ के लिए रानी को लगा दिया ठिकाने
रितु और नरसिंह जब भी मिलते, उन के बीच रानी को ले कर तकरार हो ही जाती थी. एक दिन तंग आ कर नरसिंह उर्फ बबलू ने रितु से कह दिया था कि वह घर और बाहर की किचकिच से काफी तंग आ चुका है. अगर उसे और परेशान किया तो किसी दिन नींद की गोलियां खा कर हमेशा के लिए सो जाएगा.
मौत की बात से रितु का दिमाग भन्ना गया था. मन बेचैन रहने लगा था. उस के बाद एक दिन उस ने ही निर्णय लिया कि प्रेमी के मरने के बजाय क्यों न उसी की मौत हो जाए, जिस ने उस का प्यार छीना है. इस बारे में उस ने नरसिंह से इशारेइशारे में कह भी दिया था.नरसिंह भी रितु के जिद्दी स्वभाव को जानता था. हालांकि एक सच्चाई यह भी थी कि वह खुद रानी से पीछा छुड़ाना चाहता था. रितु को रोकने के बजाय वह रानी को रास्ते से हटाने के लिए उकसाने लगा. वह रानी को ले कर ताने भी मारने लगा. एक दिन रितु ने अपने प्यार की राजदार सहेली प्रियंका से अपनी योजना बताई. उस से मदद मांगी तो वह तैयार हो गई.
प्रियंका ही वह लड़की थी, जो रितु और नरसिंह को एकांत में समय गुजारने के लिए जगह उपलब्ध करवाती थी. बदले में उसे पैसे मिल जाते थे. रितु ने उसे साथ देने के बदले में पैसे देने का वादा किया. उस के कहने पर 7 अगस्त, 2022 को रानी की हत्या की योजना में प्रियंका भी शामिल हो गई. दोनों एक साथ अखाड़ा रोड पर रानी के घर पहुंचीं.रितु से रानी पहले से परिचित थी. दरवाजे पर ही रितु ने कहा कि वह आपसी मतभेद मिटाने आई है. वह जैसा कहेगी, मानने के लिए तैयार है. रानी ने रितु और प्रियंका को कमरे में बैठाया और उन की आवभगत की तैयारी में लग गई. इसी दौरान मौका पा कर रितु और प्रियंका ने उस की चुन्नी को उसी के गले में लपेट कर वहीं गिरा दिया.
रानी अचानक हुए इस हमले से खुद को नहीं संभाल पाई. चुन्नी के एक सिरे को मजबूत बदन की प्रियंका और दूसरे सिरे को रितु ने जोर लगा कर खींच दिया. रानी छटपटा कर रह गई. कुछ समय में ही उस का दम घुट गया.उस के बाद रितु ने तुरंत नरसिंह को फोन मिलाया. उस से आधे मिनट के करीब बात की और प्रियंका को अपने घर भेज कर उस के घर चली गई. सब कुछ रानी को रास्ते से हटाने की योजना के अनुसार ही हो रहा था.
उधर नरसिंह दुकान पर रितु की सूचना आने का इंतजार कर रहा था. इस की जानकारी उसे घर से पत्नी ने दी कि उस की सेल्सगर्ल घर में बेहोश पड़ी हुई है. नरसिंह तुरंत रानी के कमरे पर गया और उसे ले कर अस्पताल के इमरजेंसी में ले गया.इस तरह से इस अनैतिक प्रेम कहानी में से एक ने तो दुनिया से विदा ले ली, लेकिन बाकी एक अपनी सहेली के साथ सलाखों के पीछे चली गई. प्रेमी नरसिंह पर भी साजिश रचने का आरोप लगा. इस का असर उस के परिवार पर भी हुआ.
नरसिंह के 2 लड़कियों से संबंध होने की जानकारी मिलने पर पुलिस ने उन में छिपे प्रेम त्रिकोण की कहानी का अनुमान लगाया. इस की आशंका भी हुई कि रानी इसी प्रेम त्रिकोण के चलते मारी गई होगी. नरसिंह द्वारा रानी को अस्पताल लाने के कारण वह पहले से ही संदेह के दायरे में आ चुका था.
फिर क्या था, एसपी डा. शिवदयाल ने कोतवाली पुलिस को नरसिंह से गहन पूछताछ के निर्देश दिए. नरसिंह को हिरासत ले लिया गया. पूछताछ की शुरुआत में तो उस ने खुद को निर्दोष बताया, लेकिन जब उसे कुछ बातें रितु के साथ प्रेम संबंध और रानी से सीक्रेट शादी के बारे में बताई गईं, तब वह मानसिक दबाव में आ गया. और फिर वह लोगों से छिपाए सच को मन में दबाए नहीं रख सका. उस ने रानी के साथ गुप्त शादी और रितु से प्रेम संबंध की बात उगल दी.
उस ने पुलिस को यह भी बताया कि रानी के साथ उस की शादी की जानकारी होने पर ही रितु उस से नफरत करने लगी थी. इस कारण ही रितु ने रानी को मारने का काम किया.इस तरह नरसिंह ने रितु पर रानी की हत्या का आरोप लगाते हुए बताया कि इस में उस ने अपनी एक सहेली प्रियंका की मदद ली. रानी के बेहोश होने की जानकारी उसी ने दी थी. फिर वह भागाभागा सीधा रानी के कमरे पर गया था और उसे बेहोश जान कर उपचार के लिए अस्पताल ले गया.
कई युवतियों से चल रहा था प्रेम प्रसंग
नरसिंह से मिली जानकारी पर पुलिस ने समय गंवाए बगैर रितु और उस की सहेली प्रियंका को भी हिरासत में ले लिया. साथ ही चुन्नी भी बरामद कर ली गई, जिस की मदद से दोनों ने रानी का गला घोटा था. उन दोनों ने भी अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. उस के बाद तीनों आरोपियों को अदालत में पेश कर दिया गया. वहां से सभी न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिए गए.इस तरह से रानी की मौत के बाद नरसिंह के कारनामे की जो कहानी सामने आई, उस में 3 युवतियों की जिंदगियां शामिल थीं. प्रेम संबंध चतुष्कोणीय बने हुए थे तो लिवइन रिलेशन और अवैध विवाह की कहानी भी थी. उस की पूरी दास्तान इस प्रकार जगजाहिर हुई—
देवास के हेमंतराव मार्ग निवासी नरसिंह उर्फ बबलू की परमार्थी मेन मार्केट में एक मैडिकल स्टोर है. उस की शादी 14 साल पहले हो चुकी है. खूबसूरत पत्नी और 3 बच्चे हैं. उन की पारिवारिक जिंदगी मजे में कट रही थी, फिर भी उस के दिल को सुकून नहीं था.दरअसल, नरसिंह किशोरावस्था से ही दिलफेंक किस्म का रहा है. उस के दोस्तों की मानें तो शादी से पहले उस ने कई लड़कियोंं को अपने प्रेमजाल में फंसा रखा था. वह बात करने की लच्छेदार शैली और मधुरता से थोड़े समय में ही किसी भी लड़की को अपना दीवाना बना लेता था. पहनावा भी अच्छा होता था. धनवान की तरह दिखता था. हमेशा उस के कपड़े से भीनीभीनी इत्र की खुशबू आती रहती थी.
लड़कियों पर प्रेम जाल फेंकने की हरकत से उस के घर वाले भी चिंतित हो गए थे. मोहल्ले की लड़कियों को छेड़ने की शिकायतें आने पर पिता ने 19 साल की उम्र में ही उस की शादी कर दी थी.खूबसूरत बीवी पा कर वह खुश हो गया था. कुछ सालों में ही 3 बच्चों का बाप भी बन गया. पत्नी बच्चों को संभालने में लग गई और वह पहले जैसे प्यार में कमी महसूस करने लगा. पारिवारिक जिम्मेदारियों में उलझी पत्नी की जब रोमांस में नीरसता आने लगी, तब नरसिंह तन्हाई की जिंदगी पा कर तड़प उठा.
उस की नजर दूसरी लड़कियों की तरफ घूमने लगी. नए दौर के प्यार के बोल और नई बाहों की तलाश करने लगा. संयोग से उस के मैडिकल स्टोर पर कई कमसिन लड़कियां अपनी निजी जरूरतों का सामान खरीदने आती थीं. नरसिंह उन से काफी घुलमिल कर बातें करने के साथसाथ कीमत में भी अतिरिक्त छूट दे दिया करता था.दुकान पर अकसर आने वाले लड़कियों में रितु भी थी. वैसे तो नरसिंह ने कई लड़कियों को अपनी चिकनीचुपड़ी बातों और व्यवहार से आकर्षित कर लिया था, लेकिन रितु पर उस का असर कुछ अधिक ही हुआ था.
शादीशुदा रितु भी फंस गई जाल में
उस वक्त रितु 23 साल की थी और नरसिंह 26 साल का था. दोनों युवा दिलों की धड़कनों से वाकिफ थे. रितु की नईनई शादी हुई थी और वह किसी से भी बात करने में संकोच नहीं करती थी. दूसरों के बारे में जानने की जिज्ञासा रखती थी.वह बेहद खूबसूरत और स्मार्ट थी. उस की सुंदरता और लटकेझटके देख कर नरसिंह भी उस का दीवाना बन गया था. एक बार बातोंबातों में उस ने बताया कि वह एक ज्वैलर्स की दुकान पर सेल्सगर्ल की नौकरी करती है.
उन की प्रेम कहानी की शुरुआत करीब 7 साल पहले बारिश के मौसम में उस वक्त शुरू हुई थी, जब रितु कुछ सामान खरीदने नरसिंह के मैडिकल स्टोर पर आई थी. तेज बारिश शुरू होने के कारण वह काफी समय तक उस की दुकान में रुकी रही थी. बारिश रुकने का इंतजार कर रही थी. उस वक्त तेज बारिश के कारण दुकान पर दूसरे ग्राहक भी नहीं आ रहे थे.इस मौके का फायदा नरसिंह ने मजे लेले कर उठाया. रितु के साथ खूब बातें कीं. उन के बीच इधरउधर की बातों के साथसाथ प्यारमोहब्बत की भी बातें होने लगीं.
नरसिंह ने उस की खूबसूरती के पुल बांध दिए. मेकअप से ले कर फिटिंग ड्रेस के फबने की तारीफ की. यहां तक कि उस की तुलना कैटरीना कैफ और प्रियंका चोपड़ा तक से कर दी.
जब नरसिंह ने उसे अच्छी दिखने वाली सैक्सी मौडल कहा, तब वह शरमा गई. रितु बारिश रुकने के बाद जाने लगी, तब नरसिंह एक पर्ची पर अपना मोबाइल नंबर लिख कर देते हुए बोला, ‘‘जब भी जरूरत हो काल कर लेना. जरूरी सामान भिजवा दूंगा.’’‘‘क्यों, मेरा आना अच्छा नहीं लगेगा?’’ रितु मजाकिया आंदाज में बोली.तब नरसिंह ने तुरंत उस का हाथ पकड़ते हुए कहा, ‘‘ऐसा क्यों बोलती हो? मैं तो चाहता हूं कि तुम रोज कम से कम एक बार आओ…’’‘‘तो फिर हाथ छोड़ो, अभी चलती हूं. बहुत देर हो चुकी है. मैं काल करूंगी, नंबर सेव कर लेना.’’ कहती हुई रितु चली गई.
उत्तर प्रदेश के ऊसराहार थाने में सुबह के करीब 10 बजे एक सूचना मिली कि कौआ गांव के नाग देवता मंदिर के पास सड़क किनारे नाली में एक लाश पड़ी है.यह मैसेज पुलिस नियंत्रण कक्ष से प्रसारित किया गया था. थाने में उस समय इमरजेंसी ड्यूटी पर एसआई रामकुमार सिंह मौजूद थे. उन्होंने थानाप्रभारी गंगादास को इस सूचना से अवगत करा दिया. यह बात 22 जुलाई, 2022 की है.
लाश मिलने की खबर से ही थानाप्रभारी गंगादास ने आवश्यक पुलिसकर्मियों को साथ लिया और घटनास्थल की ओर रवाना हो लिए. कौआ गांव से मीसापुरा जाने वाली सड़क पर नागदेव मंदिर के पास खेत किनारे नाली में उन्हें एक महिला की लाश पड़ी मिली. उस की उम्र 35 साल के आसपास थी. वह गुलाबी रंग की साड़ी और काला ब्लाउज पहने थी.
थानाप्रभारी ने शव का बारीकी से निरीक्षण किया तो महिला की दाहिनी कनपटी के ऊपर सिर पर गोली मारी गई थी. जिस जगह शव पड़ा था, वहां से कुछ दूर सड़क पर खून पड़ा था. खून के निशान नाली तक थे. सड़क पर नारियल, चावल, सिंदूर, पूजा सामग्री और टूटी चूडि़यां बिखरी पड़ी थीं. महिला की चप्पलें व पूजा की थाली भी सड़क पर पड़ी थी.
घटनास्थल व लाश का मुआयना करने के बाद थानाप्रभारी इस नतीजे पर पहुंचे कि नाग देवता मंदिर में पूजा कराने का झांसा दे कर महिला को लाया गया और सड़क पर गोली मार कर हत्या कर दी गई. इस के बाद शव को घसीट कर खेत किनारे बनी नाली में डाल दिया गया.
मामले की गंभीरता को देख कर थानाप्रभारी ने इस घटना की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी.
सूचना पाते ही एसएसपी जयप्रकाश सिंह, एसपी (देहात) सत्यपाल सिंह, एएसपी कपिल देव सिंह तथा डीएसपी (भरथना) विजय सिंह घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने मौकाएवारदात पर डौग स्क्वायड तथा फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया.
पुलिस अधिकारियों ने बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण किया तथा थानाप्रभारी गंगादास से घटना के संबंध में जानकारी ली.फोरैंसिक टीम ने पूजा की थाली से फिंगरप्रिंट लिए. इस के अलावा भी टीम ने कई अन्य सबूत जुटाए. टीम ने खून आलूदा मिट्टी का नमूना भी रासायनिक जांच हेतु सुरक्षित कर लिया. महिला पुलिसकर्मी पूनम ने मृत महिला की जामातलाशी ली, लेकिन कुछ नहीं मिला.फिलहाल पुलिस के लिए सब से बड़ी समस्या लाश की शिनाख्त की थी. घटनास्थल पर कौआ गांव व उस के आसपास के गांव के लोग मौजूद थे. थानाप्रभारी गंगादास ने उन लोगों से पूछताछ की, लेकिन लाश की शिनाख्त नहीं हो सकी.
थानाप्रभारी को उचित दिशानिर्देश दे कर पुलिस अधिकारी वहां से वापस लौट गए.
थानाप्रभारी ने घटनास्थल की जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शव का पोस्टमार्टम हेतु इटावा के जिला अस्पताल भिजवा दिया. फिर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ भादंवि की धारा 302/201 के तहत मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी.
थानाप्रभारी गंगादास ने ब्लांइड मर्डर का खुलासा करने तथा आरोपी को गिरफ्तार करने की जानकारी पुलिस अधिकारियों को दी. फिर एसएसपी जयप्रकाश सिंह ने सिविल लाइंस पुलिस सभागार में प्रैसवार्ता की और कातिल सतीश चंद्र यादव के द्वारा एक नहीं, 2 हत्याएं किए जाने का खुलासा किया.
मिथलेश कौन थी? वह सतीश के संपर्क में कैसे आई? सतीश ने मिथलेश और उस के पति गजेंद्र की हत्या क्यों की? यह सब जानने के लिए हम पाठकों को उन के अतीत की ओर ले चलते हैं.
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले का एक छोटा सा गांव है रमपुरा. यह ऊसराहार थानांतर्गत आता है. रमपुरा गांव से 2 किलोमीटर दूर नाग देवता का मंदिर है, जो आसपास के दरजनों गांवों में मशहूर है. आषाढ़ माह की पंचमी को यहां मेला लगता है. दरजनों संपेरे सांपों का दर्शन कराने यहां आते हैं.
नाग देवता मंदिर सुनसान जगह पर है. इसी रमपुरा गांव में रामसिंह यादव रहते थे. उन के परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटे सतीश चंद्र, उमेश चंद्र तथा एक बेटी उमा थी. राम सिंह किसान थे. किसानी से ही वह अपने परिवार का भरणपोषण करते थे.
नौकरी की तलाश में आया दिल्ली
3 भाईबहनों में सतीश बड़ा था. उस का विवाह कमला नाम की युवती से हुआ था. कमला साधारण रंगरूप की युवती थी. सतीश की उस से नहीं पटती थी. पति की उपेक्षा से कमला ससुराल में कम और मायके में ज्यादा रहती थी. सतीश पढ़ालिखा था, इसलिए उस का मन खेतखलिहान में नहीं लगता था. वह कोई नौकरी कर अपना जीवन खुशहाल बनाना चाहता था.
नौकरी के मकसद से सतीश दिल्ली आ गया. लेकिन यहां उसे मनपसंद नौकरी नहीं मिली. छोटीमोटी नौकरी से जब उस का मन भर गया तो उस ने ड्राइविंग सीख ली. उस ने कुछ दिन आटो चलाया फिर किसी कंपनी की कार चलाने लगा.कुछ समय बाद उसे नोएडा स्थित कटियार ट्रैवल एजेंसी में काम मिल गया और वह वहां टैक्सी चलाने लगा. इस काम में वह रम गया और पैसा कमाने लगा. नोएडा में ही उस ने किराए पर कमरा ले लिया.
सतीश चंद्र यादव जिस ट्रैवल एजेंसी में टैक्सी चलाता था, उसी में गजेंद्र भी टैक्सी चलाता था. चूंकि दोनों ड्राइवर थे, सो उन में खूब पटती थी. रात में अकसर दोनों साथ खातेपीते थे. गजेंद्र राजस्थान के झुंझनू जिले के पचेरी थाना के पचेरी छोटी खुर्द गांव का रहने वाला था. नोएडा में वह पत्नी मिथलेश व 2 बच्चों के साथ किराए के मकान में रहता था.एक रोज सतीश चंद्र गजेंद्र के घर पहुंचा. गजेंद्र उस समय घर पर ही था. गजेंद्र को देख कर सतीश बोला, ‘‘किसी काम से इधर आया था. मैं ने सोचा कि अब आज की चाय भाभी के हाथ की पी कर ही जाऊंगा.’’
‘‘बिलकुल मेरे भाई, चाय भी और नाश्ता भी. आज पहलीपहली बार आया है तो तुझे खाली थोड़ी न जाने दूंगा,’’ कहते हुए गजेंद्र ने सतीश का हाथ पकड़ कर उसे कुरसी पर बिठा लिया. फिर उस ने पत्नी को आवाज दी, ‘‘अरे मिथलेश, जरा 2-3 कप चाय और कुछ नाश्ता बनाओ तो फटाफट.’’
मिथलेश चायनाश्ता तैयार करने लगी तो गजेंद्र और सतीश इधरउधर की बातों में मशगूल हो गए.
पहली ही नजर में दोस्त की पत्नी मिथलेश पर आ गया दिल
कुछ देर बाद मिथलेश चाय और नाश्ता ले कर आई और जब झुक कर ट्रे मेज पर रखने लगी तो सतीश उसे ठगा सा देखता ही रह गया. सतीश सोच में पड़ गया. वह कभी गजेंद्र को देखता तो कभी मिथलेश को. जिस के दिलकश चेहरे पर गजब का आकर्षण था. गजेंद्र उस के सामने कहीं भी नहीं ठहरता था.
वह पहली ही नजर में मिथलेश का ऐसा दीवाना बन गया था कि उसे अपने दिल से निकाल नहीं पाया. इस के बाद तो सतीश अकसर गजेंद्र के घर आनेजाने लगा. वह मिथलेश के लिए उपहार भी लाने लगा.
गजेंद्र की आय इतनी नहीं थी कि वह पत्नी को उपहार आदि दे सके. सतीश ने वह कमी पूरी की तो मिथलेश भी सतीश की ओर आकर्षित हो गई. दोनों के बीच हंसीमजाक भी होने लगी. अब सतीश गजेंद्र की गैरमौजूदगी में भी मिथलेश से मिलने आने लगा.
एक रोज सतीश मिथलेश को अपनी टैक्सी में बिठा कर लक्ष्मीनगर, दिल्ली ले गया. बहाना था शौपिंग का. उसी रोज सतीश ने उसे अपने दिल की बात कह दी. मिथलेश ने भी स्वीकृति दे दी कि वह भी उसे चाहती है. दोनों कुछ देर एक सुनसान पार्क में बैठे रहे. वहीं पहली बार सतीश ने मिथलेश को बांहों में भर कर चूमा था.