
23 नवंबर, 2017 गुरुवार का दिन था. सुबह के यही कोई 10 बजे थे. महाराष्ट्र के अमरावती शहर के ओंकार मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी थी. मंदिर आनेजाने वाले लोगों की वजह से सड़कों पर भी काफी चहलपहल थी. 24 वर्षीया प्रतीक्षा भी अपनी सहेली श्रेया वायस्कर के साथ साईंबाबा के दर्शन कर के स्कूटी से खुशीखुशी अपने घर लौट रही थी.
दोनों सहेलियां आपस में बातें करते हुए अभी साईंनगर के वृंदावन कालोनी परिसर स्थित ठाकुलदार मालानी घर के सामने क्रौसिंग पर पहुंची थीं कि अचानक उन की स्कूटी के सामने एक दूसरी स्कूटी आ कर रुकी. जिस की वजह से दोनों सड़क पर गिरतेगिरते बचीं.
उस स्कूटी पर एक युवक सवार था. उसे इस तरह सामने आया देख कर प्रतीक्षा के दिल की धड़कनें बढ़ गईं. डरीसहमी प्रतीक्षा ने एक बार श्रेया को देखा. वह उस लड़के को जानती थी. वह हिम्मत जुटा कर उस लड़के से बोली, ‘‘हटो मेरे सामने से, मेरा रास्ता छोड़ो. मुझे घर जाने के लिए देर हो रही है.’’
वह युवक उसे घूरने लगा. तभी प्रतीक्षा ने श्रेया से कहा, ‘‘श्रेया, यह सामने से नहीं हट रहा तो तुम अपनी स्कूटी साइड से निकाल कर चलो.’’
श्रेया वहां से निकल पाती, उस के पहले उस युवक ने श्रेया के नजदीक आ कर स्कूटी की चाबी निकालते हुए कहा, ‘‘प्रतीक्षा, आज मैं तुम्हें यह जान कर ही जाने दूंगा कि तुम मेरे साथ चलोगी या नहीं?’’
‘‘मैं तुम्हारे साथ क्यों चलूं?’’ प्रतीक्षा ने कहा.
‘‘क्योंकि तुम मेरी पत्नी हो. तुम ने मुझ से शादी की है.’’ युवक ने आवेश में आ कर कहा.
‘‘मैं कितनी बार कह चुकी हूं कि अब मैं तुम्हारे साथ नहीं जा सकती. तुम यह बात भूल जाओ कि मैं तुम्हारी पत्नी हूं. न मैं अब तुम से प्यार करती हूं और न पहले तुम से प्यार करती थी.’’ प्रतीक्षा ने सीधे जवाब दिया.
‘‘लेकिन मैं तुम्हें अभी भी पत्नी मानता हूं और प्यार भी करता हूं, इसलिए मैं कतई नहीं चाहूंगा कि तुम मुझ से दूर रहो. तुम्हें मेरे साथ चलना ही होगा. अगर आज तुम मेरे साथ नहीं चलोगी तो अच्छा नहीं होगा.’’ युवक ने धमकी दी.
प्रतीक्षा उस की इन बातों से परेशान हो गई. उस ने उसे समझाने का प्रयास करते हुए कहा, ‘‘तुम मेरी बात समझते क्यों नहीं. मैं तुम्हारे साथ नहीं जा सकती. फिर भी तुम ऐसा कुछ नहीं करोगे, जो मेरे लिए अच्छा न हो.’’
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‘‘प्रतीक्षा, मैं कुछ भी कर सकता हूं. तुम्हारे साथ न आने से अब मेरी जिंदगी में बचा ही क्या है. तुम्हारी वजह से मुझे थाने और कोर्टकचहरी के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. तुम ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा. मेरी जिंदगी तबाह कर के रख दी. भला मैं तुम्हें कैसे छोड़ सकता हूं.’’ इतना कह कर उस युवक ने जेब से एक चाकू निकाला. चाकू देख कर प्रतीक्षा और उस की सहेली श्रेया घबरा गईं. दोनों कुछ कर पातीं, उस के पहले ही उस ने प्रतीक्षा पर हमला कर दिया.
हमला होते वक्त मूकदर्शक बने लोग
प्रतीक्षा की मार्मिक चीखें वातावरण में गूंजने लगीं. वह जमीन पर गिर कर तड़पने लगी. इस पर भी उस युवक का गुस्सा शांत नहीं हुआ. वह उस पर तब तक वार करता रहा, जब तक कि वह शांत नहीं हो गई. सहेली पर हमला होने से श्रेया घबरा गई थी. वह प्रतीक्षा की मदद के लिए चीखतीचिल्लाती रही, पर मदद के लिए कोई नहीं आया. कुछ लोग वहां खड़े बस तमाशा देखते रहे. हमलावर को जब विश्वास हो गया कि प्रतीक्षा मर चुकी है तो वह बड़े आराम से अपनी स्कूटी ले कर फरार हो गया.
फिल्मी अंदाज में घटी इस घटना से डरीसहमी श्रेया ने घटना की खबर पुलिस कंट्रोल रूम के साथसाथ प्रतीक्षा के घर वालों को भी दे दी. चूंकि वह इलाका थाना राजापेठ के अंतर्गत आता था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम से यह सूचना राजापेठ थाने को प्रसारित कर दी. थानाप्रभारी किशोर सूर्यवंशी ने इंसपेक्टर दुर्गेश तिवारी को आवश्यक पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर भेज दिया और अपने आला अधिकारियों को सूचना देने के बाद खुद भी घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए.
अगले भाग में पढ़ें- मां ने बताया हमलावर का नाम
छत्तीसगढ़ के जिला कोरबा के कटघोरा थाना अंतर्गत छत्तीसगढ़ प्रदेश की प्राचीन राजधानी कहे जाने वाले “तुमान” नामक ग्राम में हुए एक युवती की हत्या की गुत्थी को सुलझाने में पुलिस को बड़ी मशक्कत के बाद सफलता मिली .
कटघोरा थाना प्रभारी अविनाश सिंह व पुलिस की टीम ने हत्या की तह तक जांच कर संदिग्ध आरोपी से कड़ी पूछताछ की और अंततः हत्यारे ने अपना गुनाह कबूल कर लिया.
हत्या की वजह प्रेम प्रसंग है- प्रेमी ने युवती कृष्णा कुमारी गोस्वामी( 21 वर्ष )की बेवफाई के शक में उसे मौत की नींद सुला दिया. कृष्णा हत्या कांड में पुलिस की गहन जांच में यह तथ्य सामने आया की एक टीवी सीरियल के अपराधिक कार्यक्रम को देखकर प्रेमी ने संगीन तरीके से हत्या की घटना को अंजाम दिया . पुलिस अधिकारी ने हमारे संवाददाता को बताया कि दिगपाल दास गोस्वामी की बेटी कृष्णा गोस्वामी का एक युवक संजय चौहान के साथ पिछले कुछ वर्षों से प्रेम संबंध था. संजय कृष्णा कुमारी के घर भी आया जाया करता था.
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कृष्णा गोस्वामी के ब्वाय फ्रेंड संजय के अलावा अन्य लड़कों से भी , हो गई थी और मोबाइल में बात चीत व चैटिंग किया करती थी. इस दरमियान कृष्णा की कटघोरा के एक युवक नेमेंद्र देवांगन से ऑनलाइन मोबाइल गेम के जरिये मित्रता हुई और दोनों के बीच मोबाइल से बातचीत भी होने लगी, जिसकी भनक प्रेमी संजय को हो गई जिसके कारण संजय कृष्णा से इस बात को लेकर सख्त नाराज़ रहने लगा था.
और उतारा मौत के घाट
प्रेमी संजय चौहान ने एक टेलीविजन सीरियल को देखकर उसी अंदाज़ में प्रेमिका कृष्णा की हत्या को अंजाम दिया. घटना के दिन संजय युवती कृष्णा के घर पहुँचा और कहने लगा – “तू मझे धोखा दे रही है देखना कहा मैं तुझे मार डालूंगा. तू किसी और लड़के से सम्बंध बना रही है.”
इस पर कृष्णा ने उसकी बातों को हंस कर ध्यान नहीं दिया. उसे घर में बिठाया चाय पीने के बाद वह वापस चला गया.
रात तकरीबन डेढ़ बजे संजय बिना चप्पल व मोबाइल के युवती के घर पहुँचा और कृष्णा को बहलाकर उसके मोबाइल से अपने मोबाइल व कटघोरा के युवक नेमेन्द्र के मोबाइल पर कृष्णा से मैसेज पोस्ट करवाया – “मुझे बचा लो, मेरे पिताजी मुझे मार डालेंगे” उसके बाद कृष्णा के घर पर रखी साड़ी से कृष्णा का गला दबाकर घर के पीछे की बाड़ी में ले जा कर मार दिया. सुबह जब कृष्णा के पिता दिगपाल घर के पीछे बाडी में गया तो कृष्णा मृत अवस्था में पड़ी हुई मिली गले में साड़ी लिपटी हुई थी उन्होंने कृष्णा के गले से साड़ी के फंदे को हटाया और देखा तो कृष्णा मर चुकी थी. घटना की सूचना थाना में दी गई.
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विवाद का फायदा उठाया प्रेमी ने
कटघोरा पुलिस थाना प्रभारी द्वारा की गई कड़ी पूछताछ में पुलिस को जानकारी मिली दिगपाल अपनी बेटी कृष्णा कुमारी गोस्वामी का विवाह जिला सूरजपुर में करना चाहता था लेकिन बेटी कृष्णा इस शादी को लेकर इंकार कर रही थी. जिसे लेकर बाप बेटी में विवाद होता था इस बात की जानकारी कृष्णा के प्रेमी संजय को थी और इस बात का फायदा उठाकर सबसे पहले घटना के दिन उसने कृष्णा को धमकाकर अपने व कटघोरा के युवक नेमेन्द्र देवांगन के मोबाइल में पिता के खिलाफ मैसेज करवाया जिससे पुलिस का शक कृष्णा के पिता पर चला जाए.
और पहले हुआ भी यही हत्या की जांच में पहुचे सायबर सेल व खोजी बाघा ने भी मृतका कृष्णा कुमारी गोस्वामी के पिता को ही संदेही हत्यारा बताया. सायबर सेल ने जांच में पाया की कृष्णा के मोबाइल से मैसेज किया गया है जिसमें कृष्णा के द्वारा लिखा गया था कि उसे पिता से उसको जान का खतरा है. और दिगपाल द्वारा सुबह मृतका के गले से साड़ी के फंदे को हटाना भी खोजी बाघा द्वारा दिगपाल को निधानदेही होना बताया गया था. लेकिन पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह मीणा इस जांच से संतुष्ट नही थे.
तुमान हत्याकांड में युवती कृष्णा की हत्या में कृष्णा के पिता और भाई तथा प्रेमी संजय चौहान व कटघोरा के युवक नेमेन्द्र देवांगन को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू हुई लेकिन पिता ने बार बार फरियाद की कि उसने बेटी की हत्या हत्या नहीं कि है. अंततः कटघोरा निरीक्षक ने कड़ी पूछताछ में आरोपी संजय चौहान ने हत्या का गुनाह कबूल कर लिया.
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पुलिस को सायबर से जानकारी मिली कि संजय अपना मोबाइल कभी बंद नहीं करता था और जब भी वो कृष्णा के घर जाता था तो भी मोबाइल लेकर जाता था लेकिन घटना के दिन उसका मोबाइल बंद था और वह मोबाइल लेकर नहीं गया था कृष्णा के मोबाइल से मैसेज खुद न लिख कर उसने कृष्णा से मैसेज लिखवाया और पोस्ट करवाया ताकि हत्या के आरोप में पिता जेल चला जाए और वह पुलिस पकड़ से दूर रहे. मगर उसकी चालाकी किसी काम नहीं आई.
सौजन्य- सत्यकथा
राजस्थान के उदयपुर शहर को झीलों की नगरी के नाम से जाना जाता है. इसी शहर के प्रतापनगर थाने के अंतर्गत उदयसागर झील स्थित है. 17 नवंबर, 2020 को लोगों ने उदयसागर झील में एक बोरा पानी के ऊपर तैरता देखा. लग रहा था जैसे कि उस में कोई चीज बंधी हो. किसी ने इस की सूचना प्रतापनगर थाने में फोन द्वारा दे दी.
सूचना पा कर थानाप्रभारी विवेक सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर जा पहुंचे. उन्होंने झील से बोरा निकलवाया. जब बोरा खोला गया तो उस में किसी अधेड़ उम्र के व्यक्ति का शव निकला. मृतक की उम्र 45 वर्ष के आसपास लग रही थी.
मृतक ने पैंटशर्ट पहनी हुई थी. चेहरे से लग रहा था कि वह असम, मणिपुर इलाके का है. मृतक की जामातलाशी में कुछ नहीं मिला था, जिस से कि मृतक की शिनाख्त हो पाती. शव की शिनाख्त नहीं होने पर कागजी काररवाई कर शव को राजकीय अस्पताल की मोर्चरी में सुरक्षित रखवा दिया.
पुलिस ने अज्ञात शव की शिनाख्त कराने की पूरी कोशिश की. मगर किसी ने उस व्यक्ति की शिनाख्त नहीं की. एक सप्ताह तक मृतक की पहचान नहीं हुई तो पुलिस ने शव को लावारिस मान कर मैडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करा कर उस की अंत्येष्टि करा दी.
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प्रतापनगर थाने में अज्ञात व्यक्ति का शव मिलने का मामला दर्ज कर लिया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मृतक को गला दबा कर मारा गया था. यह हत्या का मामला था. मगर जब तक मृतक की शिनाख्त नहीं हो जाती, तब तक पुलिस काररवाई करती भी तो कैसे.
पुलिस ने खूब हाथपैर मारे कि शव की कोई तो पहचान करे. मगर किसी ने इस व्यक्ति को देखा नहीं था. पुलिस ने अपने मुखबिरों को भी अज्ञात शव की सुरागसी के लिए लगा रखा था. मगर साढ़े 4 महीने तक कुछ पता नहीं चला.
मगर अचानक उदयपुर पुलिस की जिला स्पैशल टीम के कांस्टेबल प्रह्लाद पाटीदार को मुखबिर से सूचना मिली कि कुछ लोग एक मृत व्यक्ति का मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने की बात कहते हुए कई पंचायतों के चक्कर लगा रहे हैं.
तब प्रह्लाद पाटीदार एवं स्पैशल टीम के इंचार्ज हनुमंत सिह भाटी की टीम ने जब 2 लोगों पर निगरानी
रखी तो किसी व्यक्ति की मौत के बाद फरजी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने की बात सामने आई.
टीम ने जब दोनों व्यक्तियों को हिरासत में ले कर सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने अपने 3 अन्य साथियों के साथ मिल कर असम के उत्तम दास की हत्या करने की बात स्वीकार की. उन्होंने बताया कि उत्तम दास की हत्या उस के बड़े भाई तपन दास ने कराई थी. आरोपियों ने पुलिस को यह भी बताया कि तपन दास ने उन्हें इस काम के लिए साढ़े 12 लाख रुपए की सुपारी दी थी.
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स्पैशल टीम और प्रतापनगर थाना पुलिस ने कड़ी से कड़ी जोड़ी तो फरजी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के मामूली से प्रयास के पीछे अपराध की बड़ी कहानी निकल आई. किसी ने ऐसा सोचा भी नहीं था.
इस खुलासे के बाद न सिर्फ घिनौना अपराध सामने आया बल्कि उदयसागर में 17 नवंबर, 2020 को मिली अज्ञात व्यक्ति की लाश की वह गुत्थी भी सुलझ गई, जो करीब पौने 5 माह से प्रतापनगर थाना पुलिस के लिए सिरदर्द बनी हुई थी.
मामला असम के रहने वाले एक परिवार में अवैध संबंधों का निकला, जिस में तपन दास को छोटे भाई उत्तम दास की पत्नी रूपा से प्यार हो गया तो आगे चल कर प्यार के इस खेल में उत्तम दास बलि का बकरा बन गया और उस की लाश हजारों किलोमीटर दूर उदयपुर की उदयसागर झील में फिंकवा दी. सुपारी किलर 5 युवकों से पूरी जानकारी एवं मृतक के भाई तपन दास का मोबाइल नंबर पुलिस ने हासिल कर लिया. इस के बाद एक विशेष पुलिस टीम गठित की गई.
इस टीम में जिला स्पैशल टीम के कांस्टेबल प्रह्लाद पाटीदार की विशेष भूमिका रही. इस के अलावा जिला स्पैशल टीम में प्रतापनगर थाने के एसआई मांगीलाल, एएसआई गोविंद सिंह, सुखदेव सिंह, विक्रम सिंह, अनिल पूनिया, मोड़ सिंह, कांस्टेबल अचलाराम, विश्वेंद्र सिंह, नंदकिशोर, उमेश, हरिकिशन, नवलराम, फिरोज, साइबर सेल से गजराज सिंह को शामिल किया गया.
फिर एसआई मांगीलाल, कांस्टेबल नंदकिशोर को फ्लाइट से गुवाहाटी भेजा गया. इन्होंने स्थानीय पुलिस की मदद से मुख्य आरोपी तपन दास की तलाश की.
तपन दास से पूछताछ के बाद मृतक की पत्नी रूपा दास को भी हिरासत में ले लिया. मृतक के परिजनों से भी पूछताछ की गई. उन लोगों ने बताया कि रूपा ने दिसंबर 2020 के दूसरे हफ्ते बताया कि उदयपुर में उत्तम दास की कोरोना से मृत्यु हो गई है.
कोरोना होने के कारण शव का वहीं अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस के बाद मृतक के पैतृक निवास पर विधिविधान से अंतिम क्रियाएं की गई थीं. मृतक के परिजन तो उत्तम दास की मौत कोरोना से होने की मान रहे थे, मगर उदयपुर पुलिस ने घर वालों को बता दिया कि उत्तम की मृत्यु कोरोना से नहीं हुई थी, बल्कि बड़े भाई तपन दास ने साढ़े 12 लाख रुपए की सुपारी दे कर उस की हत्या कराई थी.
पुलिस से सच जान कर मृतक के परिजन बहू और हत्यारे बेटे तपन दास को कोसने लगे और विलाप करने लगे. पुलिस टीम दोनों आरोपियों रूपा दास और उस के जेठ तपन दास को गिरफ्तार कर उदयपुर ले आई.
उदयपुर में थाना प्रतापनगर में सातों आरोपियों से मृतक उत्तम दास की हत्या के संबंध में एसपी डा. राजीव पचार, एएसपी (सिटी) गोपालस्वरूप मेवाड़ा, डीएसपी राजीव जोशी, थानाप्रभारी (प्रतापनगर) विवेक सिंह ने कड़ी पूछताछ की.
पूछताछ में सभी आरोपियों ने उत्तम की हत्या करने का जुर्म कबूल कर के सारी कहानी बयां कर दी. इस के बाद एसपी डा. राजीव पचार ने 9 अप्रैल, 2021 को प्रैसवार्ता कर पत्रकारों को इस मामले की जानकारी दी.
पुलिस पूछताछ में अवैध संबंध में हत्या की जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार है.
अगले भाग में पढ़ें- उत्तम को अपने बड़े भाई की बात क्यों जंच गई
सौजन्य- सत्यकथा
बात 26 मार्च, 2021 की सुबह 7 बजे की है. राजस्थान के बारां जिले के गांव आखाखेड़ी के रहने वाले मास्टर प्रेमनारायण मीणा के यहां उन का भतीजा राजू दूध लेने पहुंचा तो उन के घर का मुख्य गेट भिड़ा हुआ था. दरवाजा धक्का देने पर खुला तो भतीजा घर में चला गया. उस की नजर जैसे ही आंगन में चारपाई पर पड़ी तो वहां का मंजर देख कर वह कांप गया. बिस्तर पर चाचा प्रेमनारायण की खून सनी लाश पड़ी थी.
यह देख कर भतीजा चीखनेचिल्लाने लगा. आवाज सुन कर प्रेमनारायण की पत्नी रुक्मिणी (40 वर्ष) अपने कमरे से बाहर आई. बाहर आते समय वह बोली, ‘‘क्यों रो रहे हो राजू, क्या हुआ?’’
मगर जैसे ही रुक्मिणी की नजर चारपाई पर खून से लथपथ पड़े पति पर पड़ी तो वह जोरजोर से रोनेचिल्लाने लगी. रोने की आवाज मृतक के बच्चों वैभव मीणा और ऋचा मीणा ने भी कमरे में सुनी. वह दरवाजा पीटने लगे कि क्या हुआ. क्यों रो रही हो. दरवाजा खोलो. उन भाईबहनों के दरवाजे के बाहर कुंडी लगी थी. कुंडी खोली तो भाईबहन बाहर आ कर पिता की लाश देख कर रोने लगे.
मास्टर प्रेमनारायण के घर से सुबहसवेरे रोने की आवाज सुन कर आसपास के लोग भी वहां आ गए. थोड़ी देर में पूरे आखाखेड़ी गांव में मास्टर की हत्या की खबर फैल गई. थाना छीपा बड़ौद में किसी ने हत्या के इस मामले की खबर दे दी.
थानाप्रभारी रामस्वरूप मीणा खबर मिलते ही पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे. थानाप्रभारी मीणा ने घटनास्थल का मुआयना किया. रात में अज्ञात लोगों ने घर में सो रहे सरकारी टीचर प्रेमनारायण की धारदार हथियार से गला, मुंह और सिर पर वार कर के हत्या कर दी थी, जिस से काफी मात्रा में खून निकल चुका था.
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पूछताछ में मृतक की पत्नी रुक्मिणी ने बताया कि वह कमरे में सो रही थी. उस के दोनों बच्चे वैभव और ऋचा अलग कमरे में सो रहे थे. बड़ी बेटी ससुराल में थी. वह (प्रेमनारायण) आंगन में अकेले सो रहे थे, तभी नामालूम किस ने उन्हें मार डाला.
थानाप्रभारी रामस्वरूप मीणा ने घटना की खबर उच्चाधिकारियों को दे दी. एसपी (बारां) विनीत कुमार बंसल ने सीओ (छबड़ा) ओमेंद्र सिंह शेखावत व जयप्रकाश अटल आरपीएस (प्रोबेशनरी) को निर्देश दिए कि वे घटनास्थल पर जा कर मौकामुआयना कर जल्द से हत्याकांड का खुलासा करें.
एसपी के निर्देश पर दोनों सीओ ओमेंद्र सिंह और जयप्रकाश अटल घटनास्थल पर पहुंचे और घटना से संबंधित जानकारी ली. पुलिस अधिकारियों ने एफएसएल एवं डौग स्क्वायड टीम को भी बुला कर साक्ष्य जुटाने के निर्देश दिए.
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पुलिस अधिकारियों को पता चला कि मृतक प्रेमनारायण मीणा सरकारी स्कूल में टीचर थे. उन की पोस्टिंग इस समय मध्य प्रदेश के गुना जिले के फतेहगढ़ के सरकारी स्कूल में थी. वह छुट्टी पर घर आए हुए थे. वह 15-20 दिन बाद छुट्टी पर गांव आते थे.
पुलिस को पता चला कि मृतक प्रेमनारायण घर के आंगन में सोए थे. उन की बीवी कमरे में अलग सोई थी. उन के 3 बच्चे हैं, जिन में से बड़ी बेटी की शादी हो चुकी थी. वह अपनी ससुराल में थी. जबकि छोटे दोनों बच्चे वैभव व ऋचा अलग कमरे में सो रहे थे.
घर के आंगन में हत्यारों ने आ कर हत्या की थी, मगर बीवी व बच्चों ने कुछ नहीं सुना था. बीवी सुबह 7 बजे तब जागी, जब भतीजा राजू दूध लेने आया. यह बात पुलिस को पच नहीं रही थी. मृतक के मुंह, सिर और गरदन पर लगे गहरे घावों से रिसा खून सूख चुका था. इस का मतलब था कि मृतक की हत्या हुए 6-7 घंटे का समय हो चुका था.
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एफएसएल टीम ने साक्ष्य एकत्रित किए. तब पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया. पुलिस अधिकारियों ने अपने मुखबिरों को सुरागसी के लिए लगा दिया. वहीं मृतक के बच्चों वैभव व ऋचा से एकांत में पूछताछ की.
बच्चों ने बताया कि कल रात मम्मी ने हमें धमका कर अलग कमरे में सुला दिया था. मम्मी ने हमें कमरे में बंद कर के बाहर से कुंडी लगा दी थी. मम्मी अलग कमरे में सोई थी. बच्चों ने यह भी बताया कि वह हमेशा मम्मी के कमरे में सोते थे, लेकिन उन्होंने कल हमें दूसरे कमरे में सुला दिया था.
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इंसपेक्टर दुर्गेश तिवारी के घटनास्थल पर पहुंचने से पहले मृतका के घर वाले वहां पहुंच चुके थे. उसी दौरान प्रैस फोटोग्राफर, फिंगरप्रिंट ब्यूरो की टीम भी वहां पहुंच गई. इंसपेक्टर दुर्गेश तिवारी ने प्रतीक्षा के घर वालों को सांत्वना दी कि हो सकता है प्रतीक्षा की सांसें चल रही हों. फिर वह प्रतीक्षा को अपनी कार में डाल कर नजदीक के डा. वोडे अस्पताल ले गए, पर डाक्टरों की टीम ने जांच के बाद प्रतीक्षा को मृत घोषित कर दिया.
दिनदहाड़े घटी इस घटना की खबर थोड़ी ही देर में सारे शहर में फैल गई. पूरे शहर में सनसनी सी फैल गई. घटना की जानकारी पा कर अमरावती शहर के पुलिस कमिश्नर दत्तात्रय मांडलिक, डीसीपी शशिकांत सातव घटनास्थल पर पहुंच गए. सभी अधिकारियों ने बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण कर थानाप्रभारी किशोर सूर्यवंशी को आवश्यक दिशानिर्देश दिए.
मृतका के घर वालों से बातचीत करने के बाद थानाप्रभारी ने इस हत्याकांड की जांच इंसपेक्टर दुर्गेश तिवारी को सौंप दी. उन्होंने सब से पहले प्रतीक्षा की सहेली का बयान दर्ज किया. क्योंकि वह उस समय प्रतीक्षा के साथ ही थी. सहेली श्रेया ने अपनी आंखों देखा हाल पुलिस को लिखवा दिया. उधर प्रतीक्षा के घर वालों ने पुलिस को बताया कि उन की बेटी की हत्या राहुल भड़ ने की है.
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मां ने बताया हमलावर का नाम
प्रतीक्षा की मां मंगला ने पुलिस को बताया कि राहुल से प्रतीक्षा एकतरफा प्यार करता था. वह कई सालों से प्रतीक्षा के पीछे पड़ा था. वह उस से प्यार करने का दम भरता था और उसे अपनी पत्नी बताता था. अकसर वह उसे छेड़ता, परेशान करता और तरहतरह की धमकियां दिया करता था, जिस से प्रतीक्षा का कहीं अकेले आनाजाना मुश्किल हो गया था.
इस बात की शिकायत उन्होंने फ्रेजरपुरा गाडगेनगर और राजापेठ पुलिस थानों में भी की थी. लेकिन पुलिस ने उस के खिलाफ कोई कठोर काररवाई नहीं की, जिस से उस की हिम्मत बढ़ गई. यह उसी का नतीजा है.
लोगों को जब यह जानकारी मिली तो वे आक्रोशित हो कर सैकड़ों की संख्या में इकट्ठा हो कर थाना राजापेठ के सामने पहुंच गए और प्रतीक्षा के हत्यारे को अतिशीघ्र गिरफ्तार करने की मांग करने लगे.
मामले को तूल पकड़ते देख डीसीपी ने तफ्तीश का दायित्व खुद संभाला. उन्होंने लोगों को भरोसा दिलाया कि हत्यारे राहुल को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा. इस के बाद डीसीपी ने कई टीमें गठित कीं. पुलिस टीमें राहुल भड़ के सभी ठिकानों पर दबिश के लिए निकल गईं. पुलिस ने उस के दोस्तों, नातेरिश्तेदारों से पूछताछ की.
राहुल का जब पता नहीं चला तो उस के फोन की लोकेशन को ट्रेस किया जाने लगा. मोबाइल की लोकेशन के आधार पर पुलिस टीम ने उसे यवतमाल के मूर्तिजापुर रेलवे स्टेशन के पास से रात करीब 2 बजे गिरफ्तार कर लिया. जिस समय पुलिस टीम ने राहुल भड़ को गिरफ्तार किया था, उस समय उस की स्थिति काफी खराब थी. पुलिस उपचार के लिए उसे डाक्टर के पास ले गई.
जांच के बाद डाक्टर ने बताया कि राहुल ने कोई विषैली चीज खा ली है. यदि समय रहते उसे इलाज न मिला होता तो उस की जान जा सकती थी. बहरहाल राहुल भड़ की हालत सामान्य होने के बाद पुलिस उसे थाने ले आई.
पुलिस ने उस से प्रतीक्षा की हत्या के बारे में पूछताछ की तो उस ने बड़ी आसानी से स्वीकार कर लिया कि प्रतीक्षा की हत्या उस ने मजबूरी में की थी. यदि वह उस की बात मान लेती तो यह करने की नौबत नहीं आती. पूछताछ के बाद उस की हत्या के पीछे की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—
कम उम्र में ही हो गया था दोनों को प्यार
26 वर्षीय राहुल भड़ अमरावती के गांव हंतोड़ा का रहने वाला था. उस के पिता बबनराव भड़ का गांव में ही एक छोटा सा कारोबार था. उन के परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटी और 2 बेटे थे. बड़ा बेटा अकोला की एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करता था. राहुल परिवार में सब से छोटा था. घर वालों के लाड़प्यार में वह जिद्दी हो गया था.
लेकिन वह तेजतर्रार और महत्त्वाकांक्षी युवक था. वह पढ़ाई में होशियार था. सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री ले कर वह नौकरी करने के बजाय किसी ऐसे काम की तलाश में था, जिस में मोटी कमाई हो. वह नागपुर जा कर ठेकेदारी करने लगा था. परिवार में सब कुछ ठीकठाक चल रहा था, लेकिन प्रतीक्षा को देखने के बाद वह उस का दीवाना हो गया था.
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छावड़ा प्लांट अमरावती शहर की रहने वाली प्रतीक्षा के पिता मुरलीधर मेहत्रे धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे. परिवार में उन की पत्नी मंगला मेहत्रे के अलावा 2 बेटियां थीं. पिता की तरह दोनों बेटियां भी धार्मिक प्रवृत्ति की थीं. सभी साईंबाबा के भक्त थे. गुरुवार को सभी साईंबाबा के मंदिर जरूर जाते थे. प्रतीक्षा पढ़ाई में भी होशियार थी. पहली कक्षा से ले कर एमएससी तक उस ने अच्छे अंकों से पास की थी. वह टीचर बनना चाहती थी. लेकिन उस का यह सपना अधूरा ही रह गया. उस का सपना पूरा होने से पहले ही उस पर राहुल भड़ की काली नजर पड़ गई.
सन 2010 में राहुल ने प्रतीक्षा को उस समय देखा था, जब वह अपने मामा राऊत के घर एक दावत में आया था. उस समय प्रतीक्षा सिर्फ 14 साल की थी. उस समय वह हाईस्कूल की परीक्षा पास कर चुकी थी. राहुल भड़ के मामा राऊत और प्रतीक्षा का परिवार एक ही सोसायटी में आमनेसामने रहता था.
हालांकि उस समय दोनों ही नादान और कमउम्र थे. लेकिन प्रतीक्षा का खूबसूरत चेहरा राहुल की निगाहों में समा गया था और प्रतीक्षा के करीब आने के लिए वह अकसर अपने मामा के यहां आनेजाने लगा था. जिस का उसे पूरापूरा फायदा भी मिला. धीरेधीरे वह प्रतीक्षा के करीब आ गया.
दोनों में जब अच्छी जानपहचान हो गई तो वे मिलनेजुलने लगे. दोनों के बीच जब घनिष्ठता बढ़ी तो समय निकाल कर इधरउधर घूमने भी लगे. राहुल प्रतीक्षा पर दिल खोल कर खर्च भी करने लगा था, जिस का नतीजा यह रहा कि प्रतीक्षा की राहुल के प्रति सहानुभूति बढ़ गई.
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सौजन्य- सत्यकथा
तकरीबन 26-27 साल की उस युवती ने अपना नाम प्रियंका बताया था. हलका सा घूंघट होने के बावजूद उस का आंसुओं से भीगा चेहरा साफ नजर आ रहा था. उस का रंग गेहुंआ था. बड़ीबड़ी आंखें और सुतवां नाक घूंघट की ओट से साफ नजर आ रही थी. थानाप्रभारी बदन सिंह के सामने आते ही वह फफक पड़ी, ‘‘साब मेरा तो सुहाग ही उजड़ गया. बच्चों को भी अनाथ कर गया.’’
फिर चेहरा हाथों में छिपा कर रोने लगी, ‘‘साहब, एक तो मेरा मरद खुदकुशी कर मुझे बेसहारा छोड़ गया. अब घरपरिवार वाले कह रहे हैं कि उस की हत्या हो गई. कोई क्यों करेगा उस की हत्या? हमारा तो किसी से बैर भी नहीं था.’’
इतना कहतेकहते उस ने हिचकियां लेनी शुरू कर दीं. थानाप्रभारी बदन सिंह ने उसे शांत रहने का संकेत करते हुए कहा, ‘‘आप रोएं नहीं. हम हकीकत का खुलासा कर के रहेंगे. आप पूरी बात को सिलसिलेवार बताइए ताकि हमें अपराधी को गिरफ्तार करने में मदद मिल सके.’’
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कुछ पलों के लिए गला भर आने के कारण प्रियंका चुप हो गई. फिर उस ने कहना शुरू किया, ‘‘सच्ची बात तो यह है साब कि हमारा मर्द कुछ दिनों से पैसों की देनदारी और तगादों से परेशान था. उधारी चुकाने की कोई सूरत कहीं से नजर नहीं आ रही थी. दिनरात शराब में डूबा रहता था. कल तो सुबह से ही शराब पी रहा था. शायद दारू के नशे की झोंक में ही जान दे बैठा…’’ प्रियंका की रुलाई फिर फूट पड़ी, ‘‘तगादों से परेशान हो कर जान देने की क्या जरूरत थी?’’
थानाप्रभारी बदन सिंह ने उसे ढांढस बंधाते हुए कहा, ‘‘आप को किसी पर शक है? मेरा मतलब है, जिस के तगादे से परेशान हो कर आप के पति ने आत्महत्या की या उस की हत्या हो गई?’’
‘‘हत्या की बात कौन कह रहा है साब!’’ प्रियंका ने प्रतिवाद करते हुए कहा.
तभी वहां खड़े कुछ लोगों में से एक युवक बोल पड़ा, ‘‘हम कहते हैं साब.’’
इस के साथ ही वह शख्स बुरी तरह उबल पड़ा, ‘‘हमें तो इस कुलच्छिनी पर ही शक है. साहब, इस ने ही मरवाया है अपने पति को… यह आत्महत्या का नहीं बल्कि हत्या का मामला है.’’
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इस से पहले कि थानाप्रभारी बदन सिंह उस युवक को तवज्जो देते, प्रियंका चिल्ला पड़ी, ‘‘नहीं… यह झूठ है, हम से दुश्मनी निकालने के लिए यह झूठे इलजाम लगा रहा है.’’
थानाप्रभारी बदन सिंह ने युवक की तरफ देखा, ‘‘कौन हो तुम? तुम कैसे कह सकते हो कि इस की हत्या हुई है और इस के पीछे प्रियंका का हाथ है?’’
‘‘मेरा नाम रामदीन है साहब, रिश्ते में मृतक बुद्धि प्रकाश मेरा चचेरा भाई था.’’ उस के चेहरे की तमतमाहट कम नहीं हुई थी. वह बुरी तरह फट पड़ा, ‘‘साहब बुद्धि प्रकाश का किसी से कोई लेनदेन था ही नहीं. फिर तगादे की बात कहां से आ गई? मेरा भाई मजबूत दिल गुर्दे वाला आदमी था, कायर नहीं था कि आत्महत्या कर लेता. जरूर उस की हत्या हुई है.’’
‘‘तो इस में प्रियंका कहां से आ गई?’’ थानाप्रभारी बदन सिंह ने सवाल दागा.
‘‘आप पूरी जांच कर लो साहब. दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा.’’ वहीं मौजूद परिजनों और बस्ती के लोगों ने एक स्वर में कहा, ‘‘साहब, घर में प्रियंका के अलावा और कौन रहता है? बुद्धि प्रकाश ने जिंदगी में कभी शराब नहीं पी, लेकिन पिछले 2 सालों से तो जैसे दारू में डुबकी मार रहा था. अगर उस ने आत्महत्या जैसा कदम उठाया है तो हमारी समझ से बाहर है.’’
इस बीच पड़ोस के कुछ लोग भी बोल पड़े, ‘‘पतिपत्नी के संबंध भी अच्छे नहीं थे. दिनरात झगड़े की आवाज सुनाई देती थी. पड़ोस के नाते हम ने प्रियंका से पूछा भी, लेकिन इस ने मुंह बिचका दिया. कहती थी, नशेड़ी को न घर की चिंता होती है और न ही घरवाली की. दारू पी कर खेतखलिहान में पड़ा रहेगा तो घर में झगड़े ही होंगे.’’
थानाप्रभारी बदन सिंह ने गहरी नजरों से मृतक के परिजनों और पड़ोसियों की तरफ देखा फिर कहा, ‘‘दिनरात दारू में डुबकी मारने की नौबत तो तब आती है जब कोई गहरे तनाव में हो? पतिपत्नी के बीच रोज की खटपट भी इस की वजह हो सकती है? लेकिन आत्महत्या तो बहुत बड़ा कदम होता है.’’
लेकिन इस सवाल पर परिजनों की खामोशी ने रहस्य का कुहासा और गहरा कर दिया. थानाप्रभारी बदन सिंह के दिमाग में एक सवाल हथौड़े की तरह टकरा रहा था, आखिर मृतक की पत्नी प्रियंका क्यों इस बात पर अड़ी हुई है कि यह आत्महत्या का मामला है.
उन्होंने थोड़े सख्त स्वर मे प्रियंका से पूछा, ‘‘तुम्हें कब और कैसे पता चला कि तुम्हारे पति ने आत्महत्या कर ली है?’’
प्रियंका की रुलाई फिर फूट पड़ी, ‘‘साहब हम तो रोज की तरह तड़के दिशामैदान के लिए चले गए थे. तब भी हमारा मरद ऐसे ही सो रहा था. लौट कर आए तब भी ऐसे ही सोता मिला. हमें बड़ा अटपटा लगा. ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ. हम ने हिलायाडुलाया, कोई हरकत नहीं हुई. दिल की धड़कनें भी गायब थीं. हमारा दिल धक से रह गया. लगा जरूर कुछ गड़बड़ है… हम ने फौरन पड़ोसियों को पुकार लगाई.’’
अगले भाग में पढ़ें- प्रियंका का राज खुल गया
सौजन्य- सत्यकथा
बुद्धि प्रकाश घर के बाहर बरामदे में तख्त पर मृत पड़ा था. थानाप्रभारी बदन सिंह शव का निरीक्षण करने लगे. वह कुछ अनुमान लगा पाते तब तक सीओ विजय शंकर शर्मा वहां पहुंच गए. उन्होंने शव का निरीक्षण किया तो उन के चेहरे पर हैरानी के भाव आए बिना नहीं रहे.
गले पर पड़े निशानों ने कौतूहल जगा दिया था. सीओ शर्मा ने झुक कर गौर किया तो वह चौंक पड़े. चेहरे पर ऐंठन और गले के निशान बहुत कुछ कह रहे थे. चेहरे पर ऐसी ऐंठन तो बेरहमी से गला दबाए जाने पर ही होती है. स्वाभाविक प्रश्न था कि क्या किसी ने बुद्धि प्रकाश का गला दबाने की कोशिश की थी?
मामला पूरी तरह संदिग्ध लग रहा था. काले निशान भी रस्सी से गला दबाए जाने पर होते हैं. उन्होंने आसपास नजर दौड़ाई. ऐसी कोई रस्सी नजर नहीं आई. फोरैंसिक टीम को बुलाना अब जरूरी हो गया था.
छानबीन और मौके से सबूत जुटाने के लिए क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम के साथ फोरैंसिक टीम भी पहुंच गई थी. फोरैंसिक टीम की जांच में चौंकाने वाले रहस्य उजागर हुए. बुद्धि प्रकाश के गले के दोनों ओर तथा पीछे की तरफ काले निशान बने हुए थे. लगता था कि रस्सी से गले को पूरी ताकत से कसा गया था. इस के अलावा चोट का कोई और निशान शरीर पर कहीं नहीं पाया गया.
लेकिन स्थितियां पूरी तरह संदेहास्पद थीं. घटनास्थल पर सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे होने के कारण किसी के वहां आनेजाने का साक्ष्य मिलना भी संभव नहीं था. सीओ विजय शंकर शर्मा ने घटनास्थल का बड़ी बारीकी से निरीक्षण किया. उन्होंने प्रियंका से दरजनों सवाल किए. लेकिन अपने मतलब की कोई बात नहीं उगलवा सके.
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बिना किसी सबूत के प्रियंका पर हाथ डालने का कोई मतलब भी नहीं था. हालांकि पूछताछ के दौरान प्रियंका पूरी तरह सामान्य लग रही थी. उस के चेहरे पर भय या घबराहट की कोई रेखा तक नहीं थी. लेकिन उस के जवाब अटपटे थे.
मृतक करवट की स्थिति में था, जबकि प्रियंका का कहना था कि उस ने दिशामैदान से लौट कर उसे हिलाया- डुलाया था. दिल की धड़कन टटोलने के लिए शरीर को पीठ के बल कर दिया था. लेकिन प्रियंका और पड़ोसियों के बयानों में कोई तालमेल नहीं था. उन का कहना था हम ने बुद्धि प्रकाश को करवट की ही स्थिति में देखा था.
पुलिस के सामने अच्छेअच्छे के हौंसले पस्त पड़ जाते हैं. लेकिन प्रियंका चाहे अटकअटक कर ही सही, पूरे हौसले से हर सवाल का जवाब दे रही थी. बेशक बुद्धि प्रकाश शराब में धुत रहा होगा. लेकिन आखिर था तो हट्टाकट्टा मर्द. उसे अकेली प्रियंका के द्वारा काबू करना आसान नहीं था.
सीओ हत्या के हर संभावित कोण को समझ रहे थे. इसलिए एक बात पर तो उन्हें यकीन हो चला था कि अगर हत्या में प्रियंका शामिल थी तो उस का कोई मजबूत साथी जरूर रहा होगा. हत्या सुनियोजित ढंग से की गई थी. लेकिन सवाल यह था कि योजना किस ने बनाई और उसे कैसे अंजाम दिया?
पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शव परिजनों को सौंप दिया. पोस्टमार्टम में प्रथमदृष्टया मौत का कारण दम घुटना माना गया. थाने लौट कर थानाप्रभारी बदन सिंह ने अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया.
एसपी शरद चौधरी ने इस मामले का खुलासा करने के लिए एडिशनल एसपी पारस जैन की निगरानी में सीओ विजय शंकर शर्मा, थानाप्रभारी बदन सिंह, हैडकांस्टेबल भरत, कांस्टेबल सतपाल, रामराज और महिला कांस्टेबल भारती बाना को शामिल किया.
प्रियंका के थाने आने से पहले की गई पूछताछ में पुलिस को कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई थी. लेकिन थाने लाए जाने के बाद हुई पूछताछ में महावीर मीणा का जिक्र आने के साथ ही घटना की गिरह खुलने लगी.
पुलिस का हवा में पूछा गया सवाल ही घटना का तानाबाना खोलता चला गया कि बुद्धि प्रकाश की शराबनोशी में उस का साथी कौन था? प्रियंका जिस भेद को छिपाए थी, वह खुल गया. प्रियंका को बताना पड़ा कि बुद्धि प्रकाश शनिवार 13 मार्च को दिन भर पड़ोसी महावीर मीणा के साथ शराब पी रहा था.
लेकिन पुलिस के इस सवाल पर प्रियंका बिफर पड़ी कि महावीर मीणा के साथ उस के अवैध रिश्ते हैं. उस का कहना था, ‘‘आप सुनीसुनाई बातों को ले कर मेरे चरित्र पर लांछन क्यों लगा रहे हैं.’’
लेकिन प्रियंका की काल डिटेल्स खंगाल चुके पुलिस अधिकारी पूरी तरह आश्वस्त थे. उन का एक ही सवाल प्रियंका के होश फाख्ता कर गया, ‘‘क्या तुम्हारे और महावीर के बीच देर रात को 2-2 घंटे तक बातें नहीं होती थीं?’’
प्रियंका के पास अब कोई जवाब नहीं बचा था. उस ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. उस का कहना था कि बुद्धि प्रकाश उस के चालचलन पर शक करता था और रोज उस के साथ मारपीट करता था. इसलिए उस ने पति की हत्या कर दी.
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यह आधा सच था. प्रियंका अपने आप को एक बेबस औरत के रूप में पेश कर रही थी. लेकिन पुलिस को उस की पूरी दास्तान सुनने का इंतजार था कि कैसे उस ने प्रेमी के साथ मिल कर पति को मौत के घाट उतारा?
राजस्थान के कोटा जिले में इटावा कस्बे के बूढादीत गांव में रहने वाले बुद्धि प्रकाश मीणा का कोई 12 साल पहले वहीं के निवासी सीताराम की बेटी प्रियंका से विवाह हुआ था. बुद्धि प्रकाश खेतिहर किसान था. प्रियंका का दांपत्य जीवन 10 साल ही ठीकठाक रह पाया. इस के बाद दोनों में खटपट रहने लगी.
इस बीच प्रियंका ने एकएक कर के एक बेटा और 2 बेटियों समेत 3 बच्चों को जन्म दिया.
दांपत्य जीवन के 12 साल गुजर जाने और 3 बच्चों की पैदाइश के बाद बुद्धि प्रकाश और प्रियंका के बीच खटास कैसे पैदा हुई? उस की वजह था पड़ोस में आ कर बसने वाला युवक महावीर मीणा.
दरअसल कदकाठी की दृष्टि से आकर्षक लगने वाला महावीर मीणा प्रियंका की नजरों में चढ़ गया था. प्रियंका की हर बात महावीर पर जा कर खत्म होती थी कि क्यों तुम अपने आप को महावीर की तरह नहीं ढाल लेते? जबकि बुद्धि प्रकाश का जवाब मुसकराहट में डूबा होता था कि महावीर की अभी शादी नहीं हुई है. इसलिए उसे अभी किसी की फिक्र नहीं है.
प्रियंका जवान थी, खूबसूरत भी. बेशक वह 3 बच्चों की मां बन गई थी, लेकिन उस की देह के कसाव में कोई कमी नहीं आई थी. उस की अपनी भावनाएं थीं. इसलिए मन करता था कि बुद्धि प्रकाश भी सजीले नौजवान की तरह बनठन कर रहे. फिल्मी हीरो की तरह उस से प्यार करे.
लेकिन बुद्धि प्रकाश 35 की उम्र पार कर चुका था. मेहनतकश खेतीकिसानी में खटने के कारण उस पर उम्र हावी हो चली थी. इसलिए पत्नी की इच्छाओं की गहराई भांपने का उसे कभी खयाल तक नहीं आया. प्रियंका को अपने मेहनतकश पति के पसीने की गंध सड़ांध मारती लगती थी.
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चढ़ती उम्र और बढ़ती आकांक्षाओं के साथ प्रियंका में पति के प्रति नफरत में इजाफा होता चला गया. संयोग ही रहा कि उस के बाजू वाले मकान में रहने के लिए महावीर मीणा आ गया. महावीर छैलछबीला था और प्रियंका के सपनों के मर्द की तासीर पर खरा उतरता था. प्रियंका अकसर अपने पति बुद्धि प्रकाश को उस का उदाहरण देते हुए कहती थी, तुम भी ऐसे सजधज कर क्यों नहीं रहते. बुद्धि प्रकाश सीधासादा गृहस्थ इंसान था, इसलिए पत्नी की उड़ान को पहचानने की बजाय बात को टालते हुए कह देता, ‘‘अभी महावीर पर गृहस्थी की जिम्मेदारी नहीं पड़ी. जब पड़ेगी तो वह भी सजनासंवरना भूल जाएगा.’’
पड़ोसी के नाते महावीर की बुद्धि प्रकाश से मेलमुलाकात बढ़ी तो गाहेबगाहे महावीर के यहां उस का आनाजाना भी बढ़ गया. अकसर प्रियंका के आग्रह पर वह वहीं खाना भी खा लेता था.
असल में महावीर की नजरें प्रियंका पर थीं. उस की पारखी नजरों से यह बात छिपी नहीं रही कि असल में प्रियंका को क्या चाहिए? लेकिन सवाल यह था कि पहल कौन करे.
महावीर दोपहर में अकसर वक्त गुजारने के लिए अपने दोस्त की फलसब्जी की दुकान पर बैठ जाता था. दोस्त को सहूलियत थी कि अपने जरूरी काम निपटाने के लिए महावीर के भरोसे दुकान छोड़ जाता था.
अगले भाग में पढ़ें- महावीर ने बुद्धि प्रकाश के साथ क्या किया
सौजन्य- सत्यकथा
एक दिन दुकान पर अकेला बैठा था तो प्रियंका सब्जी खरीदने पहुंची. लेकिन महावीर ने फलसब्जी के पैसे नहीं लिए. प्रियंका ने पैसे देने चाहे तो महावीर मुसकरा कर बोला, ‘‘तुम्हारी मुसकराहट में दाम वसूल हो गए. सारी दुकान ही अपनी समझो…’’
प्रियंका को शायद ऐसे ही मौके की तलाश थी. मुसकरा कर कहा, ‘‘ऐसी दोपहरी में दुकान पर बैठने की बजाय घर आओ.’’ प्रियंका ने मुसकरा कर निमंत्रण दिया तो महावीर बोला, ‘‘खातिरदारी का वादा करो तो आऊं.’’
‘‘मेरी तरफ से मेहमाननवाजी में कोई कमी नहीं रहेगी, तुम अकेले में आ कर देखो तो…’’ प्रियंका ने हंस कर कहा.
इस के बाद एक दिन महावीर प्रियंका के घर दोपहर के समय चला गया. प्रियंका तो जैसे उस का इंतजार कर रही थी. मौके का फायदा उठाते हुए उस दिन दोनों ने अपनी हसरतें पूरी कीं.
इस के बाद तो प्रियंका महावीर की मुरीद हो गई. मौका मिलने पर दोपहर के समय वह प्रियंका के घर चला जाता. इस तरह कुछ दिनों तक उन का यह खेल बिना किसी रुकावट के चलता रहा.
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कहते हैं कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते. एक दिन बुद्धि प्रकाश खेत से जल्दी ही लौट आया और उस ने प्रियंका को महावीर के साथ रंगरलियां मनाते देख लिया. फिर तो बुद्धि प्रकाश का खून खौल उठा.
महावीर तो भाग गया, लेकिन उस ने प्रियंका की जम कर धुनाई शुरू कर दी. प्रियंका ने गलती मानी तो बुद्धि प्रकाश ने यह चेतावनी देते हुए उसे छोड़ दिया कि अगली बार ऐसा हुआ तो तुम दोनों जिंदगी से हाथ धो बैठोगे.
जिसे पराया घी चाटने की आदत पड़ जाए वह कहां बाज आता है. एक बार की बात है. पति के सो जाने के बाद प्रियंका अपने प्रेमी से फोन पर बातें कर रही थी. उसी दौरान बुद्धि प्रकाश की नींद खुल गई. उस ने पत्नी की बातें सुन लीं. फिर क्या था, उसी समय बुद्धि प्रकाश ने प्रियंका पर जम कर लातघूंसों की बरसात कर दी.
प्रियंका किसी भी हालत में महावीर का साथ नहीं छोड़ना चाहती थी. इस की वजह से अकसर ही उसे पति से पिटाई खानी पड़ती थी. रोजरोज की कलह और पिटाई से अधमरी होती जा रही प्रियंका का पोरपोर दुखने लगा था.
प्रियंका का सब से ज्यादा आक्रोश तो इस बात को ले कर था कि बुद्धि प्रकाश जम कर शराब पीने लगा था और नशे में धुत हो कर उसे गंदीगंदी गालियों से जलील करता था.
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प्रियंका ने महावीर पर औरत का आखिरी अस्त्र चला दिया कि तुम्हारे कारण मैं हर रोज रूई की तरह धुनी जाती हूं और तुम कुछ भी नहीं करते. प्रियंका ने महावीर के सामने शर्त रख दी, ‘‘तुम्हें फूल चाहिए तो कांटे को जड़ से खत्म करना पड़ेगा.’’
प्रियंका की खातिर महावीर बुद्धि प्रकाश का कत्ल करने को तैयार हो गया. फिर योजना के तहत अगले दिन महावीर यह कहते हुए बुद्धि प्रकाश के पावोंं में गिर पड़ा, ‘‘दादा, मैं कल गांव छोड़ कर जा रहा हूं ताकि तुम्हारी कलह खत्म हो सके.’’
बुद्धि प्रकाश ने भी महावीर पर यह सोच कर भरोसा जताया कि संकट अपने आप ही जा रहा है.
महावीर ने बुद्धि प्रकाश को यह कहते हुए शराब की दावत दे डाली कि भैया आखिरी मुलाकात का जश्न हो जाए. बुद्धि प्रकाश के मन में तो कोई खोट नहीं थी. उस ने सहज भाव से कह दिया, ‘‘ठीक है भैया, अंत भला सो सब भला.’’
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महावीर ने तो थोड़ी ही शराब पी, लेकिन बुद्धि प्रकाश को जम कर पिलाई. नशे में बेहोश हो चुके बुद्धि प्रकाश को महावीर ने घर के बरामदे में रखे तख्त पर ला कर पटक दिया. फिर प्रियंका की मदद से रस्सी से उस का गला घोंट दिया.
पुलिस द्वारा निकाली गई काल डिटेल्स के मुताबिक महावीर ने रात करीब 12 बजे बुद्धि प्रकाश की हत्या करने के बाद प्रियंका से 20 से 25 मिनट बात की. इस के बाद प्रियंका सो गई थी. प्रियंका से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के प्रेमी महावीर मीणा को भी गिरफ्तार कर लिया. फिर दोनों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.
—कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चा पर आधारित