प्यार, सेक्स और हत्या : प्यार बना हैवान

‘‘सीमा, देखो शाम का समय है. मौसम भी मस्तमस्त हो रहा है. घूमने का मन कर रहा है. चलो, हम लोग कहीं घूम कर आते हैं.’’ लखनऊ के स्कूटर इंडिया के पास रहने वाली सीमा नाम की लड़की से उस के बौयफ्रैंड कैफ ने मोबाइल पर बात करते हुए कहा.

‘‘कैफ, अभी तो कोई घर में है नहीं, बिना घर वालों के पूछे कैसे चलें?’’ सीमा ने अनमने ढंग से मोहम्मद कैफ को जबाव दिया.

‘‘यार जब घर में कोई नहीं है तो बताने की क्या जरूरत है? हम लोग जल्दी ही वापस आ जाएंगे. जब तक तुम्हारे पापा आएंगे उस के पहले ही हम वापस लौट आएंगे. किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा.’’ कैफ को जैसे ही यह पता चला कि घर में सीमा अकेली है, वह जिद करने लगा. सीमा भी अपने प्रेमी कैफ को मना नहीं कर पाई.

सीमा के पिता सीतापुर जिले के खैराबाद के रहने वाले थे. लखनऊ में इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित एक प्राइवेट कंपनी में वह शिफ्ट के हिसाब से काम करते थे.

सीमा ने पिछले साल बीएससी में एडमिशन लिया था. इसी बीच कोरोना के कारण स्कूलकालेज बंद हो गए. इस के बाद वह अपने पिता रमेश कुमार के पास रहने चली आई थी. सीमा के एक छोटा भाई और एक बहन भी थी.

घर में वह बड़ी थी. इसलिए पिता की मदद के लिए उस ने पढ़ाई के साथ नादरगंज में चप्पल बनाने की एक फैक्ट्री में नौकरी कर ली.

गांव और शहर के माहौल में काफी अंतर होता है. लखनऊ आ कर सीमा भी यहां के माहौल में ढलने लगी थी. चप्पल फैक्ट्री में काम करते समय वहां कैफ नाम के लड़के से उस की दोस्ती हो गई. यह बात फैक्ट्री के गार्ड को पता चली तो वह भी उसे छेड़ने की कोशिश करने लगा.

यह जानकारी जब सीमा के पिता को हुई तो उन्होंने चप्पल फैक्ट्री से बेटी की नौकरी छुड़वा दी.

नौकरी छोड़ने के बाद सीमा ज्वैलरी शौप पर नौकरी करने लगी. कैफ के साथ दोस्ती प्यार में बदल चुकी थी. अब वह घर वालों को बिना बताए उस से मिलने जाने लगी थी. दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन चुके थे. 12 जून की शाम करीब साढ़े 7 बजे सीमा के पिता रमेश कुमार अपनी ड्यूटी पर जा रहे थे. सीमा उस समय शौप से वापस आ चुकी थी.

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रमेश कुमार ने सीमा को समझाते कहा, ‘‘बेटी रात में कहीं जाना नहीं. कमरे का दरवाजा बंद कर लो. खाना खा कर चुपचाप सो जाना.’’

‘‘जी पापा, आप चिंता न करें. मैं कहीं नहीं जाऊंगी. घर पर ही रहूंगी.’’

इस के बाद पिता के जाते ही कैफ का फोन आ गया और सीमा उसे मना करती रही पर उस की जबरदस्ती के आगे वह कुछ कर नहीं सकी.

शाम 8 बजे के करीब कैफ सीमा के घर के पास आया और उसे बुला लिया. मां ने शाम 5 बजे के करीब बेटी से फोन पर बात की थी. उसे हिदायत दी थी कि कहीं जाना नहीं. पिता ने भी उसे समझाया था कि घर में ही रहना, कहीं जाना नहीं. इस के बाद भी सीमा ने बात नहीं मानी. वह अपने प्रेमी मोहम्मद कैफ के साथ चली गई.

पिता जब अगली सुबह 8 बजे ड्यूटी से वापस घर आए तो सीमा वहां नहीं थी. उन्होंने सीमा के फोन पर काल करनी शुरू की तो उस का फोन बंद था. यह बात उन्होंने अपनी पत्नी को बताई तो बेटी की चिंता में वह सीतापुर से लखनऊ के लिए निकल गई.

इस बीच पिपरसंड गांव के प्रधान रामनरेश पाल ने सरोजनीनगर थाने में सूचना दी कि गहरू के जंगल में एक लड़की की लाश पड़ी है. लड़की के कपडे़ अस्तव्यस्त थे. देखने में ही लग रहा था कि पहले उस के साथ बलात्कार किया गया है. गले में दुपट्टा कसा हुआ था. पास में ही शराब, पानी की बोतल, 2 गिलास, एक रस्सी और सिगरेट के टुकड़े भी पड़े थे.

घटना की सूचना पुलिस कमिश्नर डी.के. ठाकुर, डीसीपी (सेंट्रल) सोमेन वर्मा और एडिशनल डीसीपी (सेंट्रल) सी.एन. सिन्हा को भी दी गई. पुलिस ने छानबीन के लिए फोरैंसिक और डौग स्क्वायड टीम को भी लगाया.

इस बीच तक सीमा के मातापिता भी वहां पहुंच चुके थे. पुलिस ने अब तक मुकदमा अज्ञात के खिलाफ कायम कर के छानबीन शुरू कर दी थी.

सीमा के घर वालों ने पुलिस को बताया कि मोहम्मद कैफ नाम के लड़के पर उन्हें शक है. दोनों की दोस्ती की बात सामने आई थी. पुलिस ने मोहम्मद कैफ के मोबाइल और सीमा के मोबाइल की काल डिटेल्स चैक करनी शुरू की.

पुलिस को कैफ के मोबाइल को चैक करने से पता चला कि उस ने सीमा से बात की थी. उस के बाद से सीमा का फोन बंद हो गया. अब पुलिस ने कैफ को पकड़ा और उस से पूछताछ की तो प्यार, सैक्स और हत्या की दर्दनाक कहानी सामने आ गई.

12 जून, 2021 की शाम मोहम्मद कैफ अपने 2 दोस्तों विशाल कश्यप और आकाश यादव के साथ बैठ कर ताड़ी पी रहा था. ये दोनों दरोगाखेड़ा और अमौसी गांव के रहने वाले थे. ताड़ी का नशा तीनों पर चढ़ चुका था. बातोंबातों में लड़की की बातें आपस में होने लगीं.

कैफ ने कहा, ‘‘ताड़ी पीने के बाद तो लड़की और भी नशीली दिखने लगती है.’’

आकाश बोला, ‘‘दिखने से काम नहीं होता. लड़की मिलनी भी चाहिए.’’

कैफ उसे देख कर बोला, ‘‘तुम लोगों का तो पता नहीं, पर मेरे पास तो लड़की है. अब तुम ने याद दिलाई है तो आज उस से मिल ही लेते हैं.’’

यह कह कर कैफ ने सीमा को फोन मिलाया और कुछ देर में वह सीमा को बुलाने चला गया.

इधर आकाश और विशाल को भी नशा चढ़ चुका था. दोनों भी इस मौके का लाभ उठाना चाहते थे. उन को पता था कि कैफ कहां जाता है. ये दोनों जंगल में पहले से ही पहुंच गए और वहीं बैठ कर पीने लगे.

सीमा और कैफ ने जंगल में संबंध बनाए. तभी विशाल और आकाश वहां पहुंच गए. वे भी सीमा से संबंध बनाने के लिए दबाव बनाने लगे. पहले तो कैफ इस के लिए मना करता रहा, बाद में वह भी सीमा पर दबाव बनाने लगा.

जब सीमा नहीं मानी तो तीनों ने जबरदस्ती उस के साथ बलात्कार करने का प्रयास किया. अब सीमा ने खुद को बचाने के लिए शोर मचाना चाहा और कच्चे रास्ते पर भागने लगी. इस पर विशाल ने सीमा की पीठ पर चाकू से वार किया. सीमा इस के बाद भी बबूल की झडि़यों में होते हुए भागने लगी.

‘‘इसे मार दो नहीं तो हम सब फंस जाएंगे.’’ विशाल और आकाश ने कैफ से कहा.

सीमा झाडि़यों से निकल कर जैसे ही बाहर खाली जगह पर आई, तीनों ने उसे घेर लिया. ताबड़तोड़ वार करने के साथ ही साथ उस के गले को भी दबा कर रखा. मारते समय चाकू सीमा के पेट में होता हुआ पीठ में फंस गया और वह टूट गया. 15 से 20 गहरे घाव से खून बहने के कारण सीमा की मौत हो गई. पेट में चाकू के वार से सीमा का यूरिनल थैली तक फट गई थी.

2 महीने पहले जब सीमा ने मोहम्मद कैफ से दोस्ती और प्यार में संबंध बनाए थे, तब यह नहीं सोचा था कि एक दिन उसे यह दिन देखना पड़ेगा.

लखनऊ पुलिस ने एसीपी स्वतंत्र कुमार सिंह की अगुवाई में बनी पुलिस टीम को पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की. पुलिस ने मोहम्मद कैफ और उस के दोनों साथी विशाल और आकाश को भादंवि की धारा 302 में गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया.

(कथा में सीमा और उस के परिजनों के नाम बदल दिए गए हैं

पति की दूरी ने बढ़ाया यार से प्यार

घटना मध्य प्रदेश के ग्वालियर क्षेत्र की है. 17 मार्च, 2019 की दोपहर 2 बजे का समय था. इस समय अधिकांशत:
घरेलू महिलाएं आराम करती हैं. ग्वालियर के पुराने हाईकोर्ट इलाके में स्थित शांतिमोहन विला की तीसरी मंजिल पर रहने वाली मीनाक्षी माहेश्वरी काम निपटाने के बाद आराम करने जा रही थीं कि तभी किसी ने उन के फ्लैट की कालबेल बजाई. घंटी की आवाज सुन कर वह सोचने लगीं कि पता नहीं इस समय कौन आ गया है.बैड से उठ कर जब उन्होंने दरवाजा खोला तो सामने घबराई हालत में खड़ी अपनी सहेली प्रीति को देख कर वह चौंक गईं. उन्होंने प्रीति से पूछा, ‘‘क्या हुआ, इतनी घबराई क्यों है?’’
‘‘उन का एक्सीडेंट हो गया है. काफी चोटें आई हैं.’’ प्रीति घबराते हुए बोली.‘‘यह तू क्या कह रही है? एक्सीडेंट कैसे हुआ और भाईसाहब कहां हैं?’’ मीनाक्षी ने पूछा.‘‘वह नीचे फ्लैट में हैं. तू जल्दी चल.’’ कह कर प्रीति मीनाक्षी को अपने साथ ले गई.
मीनाक्षी अपने साथ पड़ोस में रहने वाले डा. अनिल राजपूत को भी साथ लेती गईं. प्रीति जैन अपार्टमेंट की दूसरी मंजिल पर स्थित फ्लैट नंबर 208 में अपने पति हेमंत जैन और 2 बच्चों के साथ रहती थी.
हेमंत जैन का शीतला माता साड़ी सैंटर के नाम से साडि़यों का थोक का कारोबार था. इस शाही अपार्टमेंट में वे लोग करीब साढ़े 3 महीने पहले ही रहने आए थे. इस से पहले वह केथ वाली गली में रहते थे. हेमंत जैन अकसर साडि़यां खरीदने के लिए गुजरात के सूरत शहर आतेजाते रहते थे. अभी भी वह 2 दिन पहले ही 15 मार्च को सूरत से वापस लौटे थे.
मीनाक्षी माहेश्वरी डा. अनिल राजपूत को ले कर प्रीति के फ्लैट में पहुंची तो हेमंत की गंभीर हालत देख कर वह घबरा गईं. पलंग पर पड़े हेमंत के सिर से काफी खून बह रहा था. वे लोग हेमंत को तुरंत जेएएच ट्रामा सेंटर ले गए, जहां जांच के बाद डाक्टरों ने हेमंत को मृत घोषित कर दिया.
पुलिस केस होने की वजह से अस्पताल प्रशासन द्वारा इस की सूचना इंदरगंज के टीआई को दे दी. इस दौरान प्रीति ने मीनाक्षी को बताया कि उसे एक्सीडेंट के बारे में कुछ नहीं पता कि कहां और कैसे हुआ.
प्रीति ने बताया कि वह अपने फ्लैट में ही थी. कुछ देर पहले हेमंत ने कालबेज बजाई. मैं ने दरवाजा खोला तो वह मेरे ऊपर ही गिर गए. उन्होंने बताया कि उन का एक्सीडेंट हो गया. कहां और कैसे हुआ, इस बारे में उन्होंने कुछ नहीं बताया और अचेत हो गए. हेमंत को देख कर मैं घबरा गई. फिर दौड़ कर मैं आप को बुला लाई.
अस्पताल से सूचना मिलते ही थाना इंदरगंज के टीआई मनीष डाबर मौके पर पहुंचे तो प्रीति जैन ने वही कहानी टीआई मनीष डाबर को सुनाई, जो उस ने मीनाक्षी को सुनाई थी.

एक्सीडेंट की कहानी पर संदेह

टीआई मनीष डाबर को लगा कि हेमंत की कहानी एक्सीडेंट की तो नहीं हो सकती. इस के बाद उन्होंने इस मामले से एसपी नवनीत भसीन को भी अवगत करा दिया. एसपी के निर्देश पर टीआई अस्पताल से सीधे हेमंत के फ्लैट पर जा पहुंचे.
उन्होंने हेमंत के फ्लैट की सूक्ष्मता से जांच की. जांच में उन्हें वहां की स्थिति काफी संदिग्ध नजर आई. प्रीति ने पुलिस को बताया था कि एक्सीडेंट से घायल हेमंत ने बाहर से आ कर फ्लैट की घंटी बजाई थी, लेकिन न तो अपार्टमेंट की सीढि़यों पर और न ही फ्लैट के दरवाजे पर धब्बे तो दूर खून का छींटा तक नहीं मिला. कमरे में जो भी खून था, वह उसी पलंग के आसपास था, जिस पर घायल अवस्था में हेमंत लेटे थे.
बकौल प्रीति हेमंत घायलावस्था में थे और दरवाजा खुलते ही उस के ऊपर गिर पड़े थे, लेकिन पुलिस को इस बात का आश्चर्य हुआ कि प्रीति के कपड़ों पर खून का एक दाग भी नहीं था.
टीआई मनीष डाबर ने इस जांच से एसपी नवनीत भसीन को अवगत कराया. इस के बाद एडीशनल एसपी सत्येंद्र तोमर तथा सीएसपी के.एम. गोस्वामी भी हेमंत के फ्लैट पर पहुंच गए. सभी पुलिस अधिकारियों को प्रीति द्वारा सुनाई गई कहानी बनावटी लग रही थी.
प्रीति के बयान की पुष्टि करने के लिए टीआई ने फ्लैट के सामने लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज अपने कब्जे में लिए. फुटेज की जांच में चौंकाने वाली बात सामने आई. पता चला कि घटना से करीब आधा घंटा पहले हेमंत के फ्लैट में 2 युवक आए थे. दोनों कुछ देर फ्लैट में रहने के बाद एकएक कर बाहर निकल गए थे.
उन युवकों के चले जाने के बाद प्रीति भी एक बार बाहर आ कर वापस अंदर गई और कपड़े बदल कर मीनाक्षी को बुलाने तीसरी मंजिल पर जाती दिखी.
मामला साफ था. सीसीटीवी फुटेज में घायल हेमंत घर के अंदर या बाहर आते नजर नहीं आए थे. अलबत्ता 2 युवक फ्लैट में आतेजाते जरूर दिखे थे. प्रीति ने इन युवकों के फ्लैट में आने के बारे में कुछ नहीं बताया था. जिस की वजह से प्रीति खुद शक के घेरे में आ गई.
जो 2 युवक हेमंत के फ्लैट से निकलते सीसीटीवी कैमरे में कैद हुए थे, पुलिस ने उन की जांच शुरू कर दी. जांच में पता चला कि उन में से एक दानाखोली निवासी मृदुल गुप्ता और दूसरा सुमावली निवासी उस का दोस्त आदेश जैन था.
दोनों युवकों की पहचान हो जाने के बाद मृतक हेमंत की बहन ने भी पुलिस को बताया कि प्रीति के मृदुल गुप्ता के साथ अवैध संबंध थे. इस बात को ले कर प्रीति और हेमंत के बीच विवाद भी होता रहता था.
यह जानकारी मिलने के बाद टीआई मनीष डाबर ने मृदुल और आदेश जैन के ठिकानों पर दबिश दी लेकिन दोनों ही घर से लापता मिले. इतना ही नहीं, दोनों के मोबाइल फोन भी बंद थे. इस से दोनों पर पुलिस का शक गहराने लगा.
लेकिन रात लगभग डेढ़ बजे आदेश जैन अपने बडे़ भाई के साथ खुद ही इंदरगंज थाने आ गया. उस ने बताया कि मृदुल ने उस से कहा था कि हेमंत के घर पैसे लेने चलना है. वह वहां पहुंचा तो मृदुल और प्रीति सोफे के पास घुटने के बल बैठे थे जबकि हेमंत सोफे पर लेटा था.
इस से दाल में कुछ काला नजर आया, जिस से वह वहां से तुरंत वापस आ गया था. उस ने बताया कि वह हेमंत के घर में केवल डेढ़ मिनट रुका था. आदेश के द्वारा दी गई इस जानकारी से हेमंत की मौत का संदिग्ध मामला काफी कुछ साफ हो गया.
दूसरे दिन पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई. रिपोर्ट में बताया गया कि हेमंत के माथे पर धारदार हथियार के 5 और चेहरे पर 3 घाव पाए गए. उन के सिर पर पीछे की तरफ किसी भारी चीज से चोट पहुंचाई गई थी, जिस से उन की मृत्यु हुई थी.
इसी बीच पुलिस को पता चला कि मृतक की पत्नी प्रीति जैन रात के समय घर में आत्महत्या करने का नाटक करती रही थी. सुबह अंतिम संस्कार के बाद भी उस ने आग लगा कर जान देने की कोशिश की. पुलिस उसे हिरासत में थाने ले आई.
दूसरी तरफ दबाव बढ़ने पर मृदुल गुप्ता भी शाम को अपने वकील के साथ थाने में पेश हो गया. पुलिस ने प्रीति और मृदुल से पूछताछ की तो बड़ी आसानी से दोनों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उन्होंने स्वीकार कर लिया कि हेमंत की हत्या उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से की थी.
पूछताछ के बाद हेमंत की हत्या की कहानी इस तरह सामने आई—

हेमंत के बड़े भाई भागचंद जैन करीब 20 साल पहले ग्वालियर के खिड़की मोहल्लागंज में रहते थे. हेमंत का अपने बड़े भाई के घर काफी आनाजाना था. बड़े भाई के मकान के सामने एक शुक्ला परिवार रहता था. प्रीति उसी शुक्ला परिवार की बेटी थी. वह हेमंत की हमउम्र थी.
बड़े भाई और शुक्ला परिवार में काफी नजदीकियां थीं, जिस के चलते हेमंत का भी प्रीति के घर आनाजाना हो जाने से दोनों में प्यार हो गया. यह बात करीब 18 साल पहले की है. हेमंत और प्रीति के बीच बात यहां तक बढ़ी कि दोनों ने शादी करने का फैसला कर लिया. लेकिन प्रीति के घर वाले इस के लिए राजी नहीं थे. तब दोनों ने घर वालों की मरजी के खिलाफ प्रेम विवाह कर लिया था.
इस से शुक्ला परिवार ने बड़ी बेइज्जती महसूस की और वह अपना गंज का मकान बेच कर कहीं और रहने चले गए जबकि प्रीति पति के साथ कैथवाली गली में और फिर बाद में दानाओली के उसी मकान में आ कर रहने लगी, जिस की पहली मंजिल पर मृदुल गुप्ता अकेला रहता था. यहीं पर मृदुल की प्रीति के पति हेमंत से मुलाकात और दोस्ती हुई थी.
हेमंत ने साड़ी का थोक कारोबार शुरू कर दिया था, जिस में कुछ दिन तक प्रीति का भाई भी सहयोगी रहा. बाद में वह कानपुर चला गया. इधर हेमंत का काम देखते ही देखते काफी बढ़ गया और वह ग्वालियर के पहले 5 थोक साड़ी व्यापारियों में गिना जाने लगा. हेमंत को अकसर माल की खरीदारी के लिए गुजरात के सूरत शहर जाना पड़ता था.
हेमंत का काम काफी बढ़ चुका था, जिस के चलते एक समय ऐसा भी आया जब महीने में उस के 20 दिन शहर से बाहर गुजरने लगे. इस दौरान प्रीति और दोनों बच्चे ग्वालियर में अकेले रह जाते थे. इसलिए उन की देखरेख की जिम्मेदारी हेमंत अपने सब से खास और भरोसेमंद दोस्त मृदुल को सौंप जाता था.
हेमंत मृदुल पर इतना भरोसा करता था कि कभी उसे बाहर से बड़ी रकम ग्वालियर भेजनी होती तो वह मृदुल के बैंक खाते में ही ट्रांसफर कर देता था. इस से हेमंत की गैरमौजूदगी में भी मृदुल का प्रीति के घर में लगातार आनाजाना बना रहने लगा था.
प्रीति की उम्र 35 पार कर चुकी थी. वह 2 बच्चों की मां भी बन चुकी थी लेकिन आर्थिक बेफिक्री और पति के अति भरोसे ने उसे बिंदास बना दिया था. इस से वह न केवल उम्र में काफी छोटी दिखती थी बल्कि उस का रहनसहन भी अविवाहित युवतियों जैसा था.
कहते हैं कि लगातार पास बने रहने वाले शख्स से अपनापन हो जाना स्वाभाविक होता है. यही प्रीति और मृदुल के बीच हुआ. दोनों एकदूसरे से काफी घुलेमिले तो थे ही, अब एकदूसरे के काफी नजदीक आ गए थे. उन के बीच दोस्तों जैसी बातें होने लगी थीं, जिस के चलते एकदूसरे के प्रति उन का नजरिया भी बदल गया था. इस का नतीजा यह हुआ कि लगभग डेढ़ साल पहले उन के बीच शारीरिक संबंध बन गए.
दोस्त बन गया दगाबाज

प्रीति का पति ज्यादातर बाहर रहता था और मृदुल अभी अविवाहित था. इसलिए दैहिक सुख की दोनों को जरूरत थी. उन्हें रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था. क्योंकि खुद हेमंत ने ही मृदुल को प्रीति और बच्चों की देखरेख की जिम्मेदारी सौंप रखी थी. इसलिए हेमंत के ग्वालियर में न रहने पर मृदुल की रातें प्रीति के साथ उस के घर में एक ही बिस्तर पर कटने लगीं.
दूसरी तरफ प्रीति के नजदीक बने रहने के लिए मृदुल जहां हेमंत के प्रति ज्यादा वफादारी दिखाने लगा, वहीं जवान प्रेमी को अपने पास बनाए रखने के लिए प्रीति न केवल उसे हर तरह से सुख देने की कोशिश करने लगी, बल्कि मृदुल पर पैसा भी लुटाने लगी थी.
इसी बीच करीब 6 महीने पहले एक रोज जब हेमंत ग्वालियर में ही बच्चों के साथ था, तब बच्चों ने बातोंबातों में बता दिया कि मम्मी तो मृदुल अंकल के साथ सोती हैं और वे दोनों दूसरे कमरे में अकेले सोते हैं.
बच्चे भला ऐसा झूठ क्यों बोलेंगे, इसलिए पलक झपकते ही हेमंत सब समझ गया कि उस के पीछे घर में क्या होता है. हेमंत ने मृदुल को अपनी जिंदगी से बाहर कर दिया और उस के अपने यहां आनेजाने पर भी रोक लगा दी.

इस बात को ले कर उस का प्रीति के साथ विवाद भी हुआ. प्रीति ने सफाई देने की कोशिश भी की लेकिन हेमंत ने मृदुल को फिर घर में अंदर नहीं आने दिया. इस से प्रीति परेशान हो गई.
दोनों अकेलेपन का लाभ न उठा सकें, इसलिए हेमंत अपना घर छोड़ कर परिवार को ले कर अपनी बहन के साथ आ कर रहने लगा. ननद के घर में रहते हुए प्रीति और मृदुल की प्रेम कहानी पर ब्रेक लग गया.
लेकिन हेमंत कब तक अपना परिवार ले कर बहन के घर रहता, सो उस ने 3 महीने पहले पुराना मकान बेच कर इंदरगंज में नया फ्लैट ले लिया. यहां आने के बाद प्रीति और मृदुल की कामलीला फिर शुरू हो गई.
प्रीति अपने युवा प्रेमी की ऐसी दीवानी थी कि उस ने मृदुल पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि वह उसे अपने साथ रख ले. इस पर जनवरी में मृदुल ने प्रीति से कहीं दूर भाग चलने को कहा लेकिन प्रीति बोली, ‘‘यह स्थाई हल नहीं है. पक्का हल तो यह है कि हम हेमंत को हमेशा के लिए रास्ते से हटा दें.’’
मृदुल को भी अपनी इस अनुभवी प्रेमिका की लत लग चुकी थी, इसलिए वह इस बात पर राजी हो गया. जिस के बाद दोनों ने घर में ही हेमंत की हत्या करने की योजना बना कर 17 मार्च, 2019 को उस पर अमल भी कर दिया.
योजना के अनुसार उस रोज प्रीति ने पति की चाय में नींद की ज्यादा गोलियां डाल दीं, जिस से वह जल्द ही गहरी नींद में चला गया. फिर मृदुल के आने पर प्रीति ने गहरी नींद में सोए पति के पैर दबोचे और मृदुल ने हेमंत की गला दबा दिया.
इस दौरान हेमंत ने विरोध किया तो दोनों ने उसे उठा कर कई बार उस का सिर दीवार से टकराया, जिस से उस के सिर से खून बहने लगा और कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.
टीआई मनीष डाबर ने प्रीति और मृदुल से विस्तार से पूछताछ के बाद दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से प्रीति को जेल भेज दिया और मृदुल को 2 दिनों के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया ताकि उस से वह कपड़े बरामद हो सकें जो उस ने हत्या के समय पहन रखे थे.
कथा लिखने तक पुलिस मृदुल से पूछताछ कर रही थी. हेमंत की हत्या में आदेश जैन शामिल था या नहीं, इस की पुलिस जांच कर रही थी.

 

प्यार में चली ऐसी चाल कि बना दिया खून

बिल्हौर मार्ग पर एक कस्बा है ककवन. इसी कस्बे से सटा एक गांव है नदीहा धामू. यहीं पर रामदयाल गौतम अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी कुसुमा के अलावा 2 बेटे सर्वेश, उमेश तथा 2 बेटियां राधा व सुधा थीं. रामदयाल गांव का संपन्न किसान था. उस का बेटा सर्वेश गांव में डेयरी चलाता था. संपन्न होने के कारण जातिबिरादरी में रामदयाल की हनक थी.

रामदयाल की छोटी बेटी सुधा 10वीं कक्षा में पढ़ रही थी, जबकि बड़ी बेटी ने 12वीं पास कर के पढ़ाई छोड़ दी थी. रामदयाल उसे पढ़ालिखा कर मास्टर बनाना चाहता था, लेकिन राधा के पढ़ाई छोड़ देने से उस का यह सपना पूरा नहीं हो सका. पढ़ाई छोड़ कर वह मां के साथ घरेलू काम में मदद करने लगी थी.

गांव के हिसाब से राधा कुछ ज्यादा ही सुंदर थी. जवानी में कदम रखा तो उस की सुंदरता में और निखार आ गया. उस का गोरा रंग, बड़ीबड़ी आंखें और कंधों तक लहराते बाल, हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर लेते थे. अपनी इस खूबसूरती पर राधा को भी नाज था.

यही वजह थी कि जब कोई लड़का उसे चाहत भरी नजरों से देखता तो वह इस तरह घूरती मानो खा जाएगी. उस की इन खा जाने वाली नजरों से ही लड़के डर जाते थे.लेकिन आलोक राजपूत राधा की इन नजरों से जरा भी नहीं डरा था. वह राधा के घर से कुछ ही दूरी पर रहता था. आलोक के पिता राजकुमार राजपूत प्राइमरी स्कूल में अध्यापक थे. लेकिन रिटायर हो चुके थे. उन की एक बेटी तथा एक बेटा आलोक था. बेटी का वह विवाह कर चुके थे.

पिता के रिटायर हो जाने के बाद घरपरिवार की जिम्मेदारी आलोक पर आ गई थी. बीए करने के बाद वह नौकरी की तलाश में था. लेकिन जब नौकरी नहीं मिली तो उस ने अपनी खेती संभाल ली थी. इस के अलावा उस ने घर में किराने की दुकान भी खोल ली थी. इस से उसे अतिरिक्त आमदनी हो जाती थी.

राधा के भाई सर्वेश की आलोक से खूब पटती थी. आसपड़ोस में रहने की वजह से दोनों का एकदूसरे के घर भी आनाजाना था. आलोक जब भी सर्वेश के घर आता था, राधा उसे घर के कार्यों में लगी नजर आती थी. वैसे तो वह उसे बचपन से देखता आया था, लेकिन पहले वाली राधा में और अब की राधा में काफी फर्क आ गया था.

पहले जहां वह बच्ची लगती थी, अब वही जवान होने पर ऐसी हो गई थी कि उस पर से नजर हटाने का मन ही नहीं होता था.एक दिन आलोक राधा के घर पहुंचा तो सामने वही पड़ गई. उस ने पूछा, ‘‘सर्वेश कहां है?’ ‘‘मम्मी और भैया तो कस्बे में गए हैं. कोई काम था क्या?’’ राधा बोली.

‘‘नहीं, कोेई खास काम नहीं था. बस ऐसे ही आ गया था. सर्वेश आए तो बता देना कि मैं आया था.’’‘‘बैठो, भैया आते ही होंगे.’’ राधा ने कहा तो आलोक वहीं पड़ी चारपाई पर बैठ गया.  आलोक बैठा तो राधा रसोई की ओर बढ़ी. उसे रसोई की ओर जाते देख आलोक ने कहा, ‘‘राधा, चाय बनाने की जरूरत नहीं है. मैं चाय पी कर आया हूं.’’

‘‘कोई बात नहीं, मैं ने अपने लिए चाय भी चढ़ा रखी है. उसी में थोड़ा दूध और डाल देती हूं.’’ कह कर राधा रसोेई में चली गई.थोड़ी देर बाद वह 2 गिलासों में चाय ले आई. एक गिलास उस ने आलोक को थमा दिया, तो दूसरा खुद ले कर बैठ गई. चाय पीते हुए आलोक ने कहा, ‘‘राधा, बुरा न मानो तो मैं एक बात कहूं.’’

‘‘कहो.’’ उत्सुक नजरों से देखते हुए राधा बोली.‘‘अगर तुम जैसी खूबसूरत और ढंग से घर का काम करने वाली पत्नी मुझे मिल जाए तो मेरी किस्मत ही खुल जाए.’’ आलोक ने कहा.आलोक की इस बात का जवाब देने के बजाय राधा उठी और रसोई में चली गई. उसे इस तरह जाते देख आलोक को लगा, वह उस से नाराज हो गई है, इसलिए उस ने कहा, ‘‘राधा लगता है मेरी बात तुम्हें बुरी लग गई. मेरी बात का कोई गलत अर्थ मत लगाना. मैं ने तो यूं ही कह दिया था.’’

इतना कह आलोक वहां से चला गया. लेकिन इस के बाद वह जब भी सर्वेश के घर जाता, मौका मिलने पर राधा से 2-4 बातें जरूर करता. उन की इस बातचीत पर घरवालों को कोई ऐतराज भी न था. क्योंकि मोहल्ले के नाते रिश्ते में दोनों भाईबहन लगते थे. गांवों में तो वैसे भी रिश्तों को काफी अहमियत दी जाती है.

लेकिन आलोक और राधा रिश्तों की मर्यादा निभा नहीं पाए. मेलमुलाकात और बातचीत से आलोक के दिलोदिमाग पर राधा की खूबसूरती और बातव्यवहार का ऐसा असर हुआ कि वह उसे अपनी जीवनसंगिनी बनाने के सपने देखने लगा. लेकिन अपने मन की बात वह राधा से कह नहीं पाता था.

वह सोचता था कि कहीं राधा बुरा मान गई और उस ने यह बात घर वालों से बता दी तो वह मुंह दिखाने लायक नहीं रह जाएगा. लेकिन यह उस का भ्रम था. राधा के मन में भी वही सब था, जो उस के मन में था.जब दोनों ओर ही चाहत के दीए जल रहे हों तो मौका मिलने पर उस का इजहार भी हो जाता है. ऐसा ही राधा और आलोक के साथ भी हुआ. फिर एक दिन उन्होंने अपने मन की बात जाहिर भी कर दी.

दोनों के बीच प्यार का इजहार हो गया तो उन का प्यार परवान चढ़ने लगा. आए दिन होने वाली मुलाकातों ने दोनों को जल्द ही करीब ला दिया. वे भूल गए कि उन का रिश्ता नाजुक है. आलोक राधा के प्यार के गाने गाने लगा. इस तरह दोनों मोहब्बत की नाव में सवार हो कर काफी आगे निकल गए.

राधा और आलोक के बीच नजदीकियां बढ़ीं तो मनों में शारीरिक सुख पाने की कामना भी पैदा होने लगी. इस के बाद मौका मिला तो दोनों सारी मर्यादाएं तोड़ कर एकदूसरे की बांहों में समा गए. इस के बाद तो उन्हें जब भी मौका मिलता, अपनी हसरतें पूरी कर लेते.

इस का नतीजा यह निकला कि कुछ दिनों बाद ही दोनों गांव वालों की नजरों में आ गए. उन के प्यार के चर्चे पूरे गांव में होने लगे. उड़तेउड़ते यह खबर राधा के पिता रामदयाल के कानों में पड़ी तो सुन कर उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उसे एकाएक विश्वास नहीं हुआ कि आलोक उस की इज्जत पर हाथ डाल सकता है. वह तो उसे अपने बेटों की तरह मानता था.यह सब जान कर उस ने राधा पर तो पाबंदी लगा ही दी, साथ ही आलोक से भी कह दिया कि वह उस के घर न आया करे.

बात इज्जत की थी, इसलिए राधा के भाई सर्वेश को दोस्त की यह हरकत अच्छी नहीं लगी. उस ने आलोक को समझाया ही नहीं, धमकी भी दी कि अगर उस ने अब उस की बहन पर नजर डाली तो वह भूल जाएगा कि वह उस का दोस्त है. इज्जत के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है.

इस के बाद उस ने राधा की पिटाई भी की और उसे समझाया कि उस की वजह से गांव में सिर उठा कर चलना दूभर हो गया है. वह ठीक से रहे अन्यथा अनर्थ हो जाएगा.

रामदयाल जानता था कि बात बढ़ाने पर उसी की बदनामी होगी, इसलिए बात बढ़ाने के बजाय वह पत्नी व बेटों से सलाह कर के राधा के लिए लड़के की तलाश करने लगा. इस बात की जानकारी राधा को हुई तो वह बेचैन हो उठी.

एक शाम वह मौका निकाल कर आलोक से मिली और रोते हुए बोली, ‘‘घर वाले मेरे लिए लड़का ढूंढ रहे हैं. जबकि मैं तुम्हारे अलावा किसी और से शादी नहीं करना चाहती.’’ ‘‘इस में रोने की क्या बात है? हमारा प्यार सच्चा है, इसलिए दुनिया की कोई ताकत हमें जुदा नहीं कर सकती.’’ राधा को रोते देख आलोक भावुक हो उठा. वह राधा के आंसू पोंछ उस का चेहरा हथेलियों में ले कर उसे विश्वास दिलाते हुए बोला, ‘‘तुम मुझ पर भरोसा करो, मैं तुम्हारे साथ हूं. मेरे रोमरोम में तुम्हारा प्यार रचा बसा है. तुम्हें क्या लगता है कि तुम से अलग हो कर मैं जी पाऊंगा, बिलकुल नहीं.’’

उस की आंखों में आंखें डाल कर राधा बोली, ‘‘मुझे पता है कि हमारा प्यार सच्चा है, तुम दगा नहीं दोगे. फिर भी न जाने क्यों मेरा दिल घबरा रहा है. अच्छा, अब मैं चलती हूं. कोई खोजते हुए कहीं आ न जाए.’’

‘‘ठीक है, मैं कोई योजना बना कर तुम्हें बताता हूं.’’ कह कर आलोक अपने घर की तरफ चल पड़ा तो मुसकराती हुई राधा भी अपने घर चली गई.रामदयाल राधा के लिए लड़का ढूंढढूंढ कर थक गया, लेकिन कहीं उपयुक्त लड़का नहीं मिला. इस से राधा के घर वाले परेशान थे, वहीं राधा और आलोक खुश थे. इस बीच घर वाले थोड़ा लापरवाह हो गए तो वे फिर से चोरीछिपे मिलने लगे थे.

एक दिन सर्वेश ने खेतों पर राधा और आलोक को हंसीमजाक करते देख लिया तो उस ने राधा की ही नहीं, आलोक की भी पिटाई की. इसी के साथ धमकी भी दी कि अगर फिर कभी उस ने दोनों को इस तरह देख लिया तो अंजाम अच्छा न होगा.सर्वेश ने आलोक की शिकायत उस के घर वालों से की तो घर वालों ने उसे भरोसा दिया कि वे आलोक को समझाएंगे. इस के बाद सर्वेश घर आ गया. इधर शाम को आलोक घर पहुंचा तो पिता राजकुमार ने टोका, ‘‘सर्वेश उलाहना देने आया था. तुम्हारी शिकायत कर रहा था कि तुम उस की बहन के पीछे पड़े हो. सच्चाई क्या है?’’

‘पिताजी, मैं और राधा एकदूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं.’  ‘‘तुम्हारा दिमाग फिर गया है क्या? जो उस लड़की से शादी करना चाहते हो. क्या तुम्हें मालूम नहीं कि राधा दूसरी जाति की है और हम राजपूत हैं. यदि तुम ने उस से ब्याह रचाया तो समाज में हम मुंह दिखाने लायक नहीं बचेंगे. बिरादरी के लोग हमारा हुक्कापानी बंद कर देंगे. इसलिए कान खोल कर सुन लो, उस लड़की से तुम्हारा रिश्ता हरगिज नहीं हो सकता. भूल जाओ उसे.’’ राजकुमार ने कहा.

पिता की फटकार और स्पष्ट चेतावनी से आलोक परेशान हो उठा. उस का एक दोस्त छोटू उर्फ नीलू था. उस ने इस बारे में छोटू से बात की तो उस ने उस के पिता की बात को जायज ठहराया और राधा से संबंध तोड़ लेने का सुझाव दिया.आलोक ने अपनी मां का दिल टटोला तो उस ने भी साफ कह दिया कि जिस दिन राधा की डोली उस के घर आएगी, उसी दिन उस की अर्थी उठेगी.

मां की इस धमकी से आलोक कांप उठा. उस पर सवार राधा के प्यार का भूत उतरने लगा. मातापिता और दोस्त की नसीहत उसे भली लगने लगी. अत: उस ने निश्चय किया कि वह राधा से दूरी बनाएगा और प्यारमोहब्बत की बात नहीं करेगा. अब उस ने राधा से ब्याह रचाने की बात दिमाग से निकाल दी.

इस के बाद जब कभी आलोक का सामना राधा से होता, तो वह उस से बेमन से मिलता. बेरुखी से बात करता. न होंठों पर मुसकराहट, न चेहरे पर दमक होती. राधा नजदीकियां बढ़ाने की पहल करती, तो वह मना कर देता.फोन पर भी उस ने बात करना एक तरह से बंद ही कर दिया था. राधा दस बार फोन करती तो वह मुश्किल से एक बार रिसीव करता, उस पर भी ज्यादा बात न करता और फोन कट कर देता.

आलोक के इस रूखे व्यवहार से राधा परेशान हो उठी. उसे शक होने लगा कि आलोक किसी दूसरी लड़की के चक्कर में तो नहीं पड़ गया. अत: वह आलोक पर शादी के लिए दबाव डालने लगी. वह जब भी मिलती या फोन पर बात करती तो शादी की ही बात करती. इधर कुछ समय से राधा आलोक को धमकाने भी लगी थी कि यदि उस ने शादी नहीं की तो वह पुलिस में उस की शिकायत कर देगी, तब उसे जेल भी हो सकती है.

24 अगस्त, 2020 की शाम 4 बजे राधा घर से गायब हो गई. वह देर शाम तक घर वापस नहीं लौटी तो रामदयाल को चिंता हुई. उस ने अपने बेटे सर्वेश व उमेश को साथ लिया और रात भर उस की खोज करता रहा.

लेकिन राधा का कुछ भी पता न चला. रामदयाल को शक हुआ कि कहीं आलोक उसे भगा तो नहीं ले गया. वह आलोक के घर पहुंचा, तो आलोक घर पर ही मिला.26 अगस्त की सुबह गांव का ही किसान विमल अपने खेत पर पानी लगाने पहुंचा तो उस ने अपने खेत की मेड़ के पास पीपल के पेड़ के नीचे राधा का शव देखा. उस ने खबर राधा के घर वालों को दी. उस के बाद तो रामदयाल के घर में रोनापीटना शुरू हो गया.

घर के सभी लोग घटनास्थल पहुंच गए. लाश मिलते ही आलोक का परिवार घर से गुपचुप तरीके से फरार हो गया.रामदयाल गौतम ने थाना ककवन पुलिस को सूचना दी तो थानाप्रभारी अमित कुमार मिश्रा पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन की सूचना पर एसपी केशव कुमार चौधरी तथा एएसपी अनूप कुमार आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. उस के गले में दुपट्टा था. इस से अंदाजा लगाया गया कि राधा की हत्या दुपट्टे से गला घोंट कर की गई होगी. उस की उम्र 19 वर्ष के आसपास थी.

घटनास्थल पर मृतका का पिता रामदयाल तथा भाई सर्वेश मौजूद थे. पुलिस अधिकारियों ने उन दोनों से पूछताछ की तो सर्वेश ने उन्हें बताया कि उस की बहन की हत्या गांव के आलोक व उस के दोस्त छोटू ने की है.

पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने राधा के शव को पोेस्टमार्टम हेतु माती स्थित अस्पताल भिजवा दिया तथा थानाप्रभारी अमित मिश्रा को आदेश दिया कि वह मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को शीघ्र गिरफ्तार करें.

आदेश पाते ही अमित कुमार मिश्रा ने मृतका के भाई सर्वेश की तहरीर पर भादंवि की धारा 302/201 के तहत आलोक व छोटू के खिलाफ रिपोेर्ट दर्ज कर ली और उन्हें गिरफ्तार करने में जुट गए. इस के लिए उन्होंने मुखबिरों को भी लगा दिया.

29 अगस्त, 2020 की रात 10 बजे अमित कुमार मिश्रा ने मुखबिर की सूचना पर आलोक व छोटू को ककवन मोड़ से गिरफ्तार कर लिया. उन्हें थाना ककवन लाया गया. थाने पर जब दोनों से पूछताछ की गई तो उन्होंने राधा की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

पूछताछ में आलोक ने बताया कि राधा उस पर शादी का दबाव बना रही थी, जबकि वह राधा से शादी नहीं करना चाहता था. उस ने जब पुलिस में शिकायत दर्ज करने की धमकी दी, तो उस ने राधा को ही मिटाने की योजना बनाई. इस में उस ने अपने दोस्त छोटू को शामिल कर लिया.

योजना के तहत उस ने 24 अगस्त की शाम 4 बजे राधा को खेतों पर बुलाया फिर उसी के दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया.

30 सितंबर, 2020 को पुलिस ने अभियुक्त आलोक राजपूत व छोटू को कानपुर देहात की माती कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया.

लालच का जंजाल, नौजवान बेहाल

छत्तीसगढ़ में शेयर ट्रेडिंग टिप्स सीखने के फेर में साकेत कालोनी, दुर्ग का एक नौजवान तकरीबन 15 लाख रुपए की ठगी का शिकार हो गया.

जांच करने वाले पुलिस अफसर ने बताया कि 35 साल का सौरभ स्वर्णकार एक औनलाइन इश्तिहार देखने के बाद शेयर ट्रेडिंग की जानकारी लेने की कोशिश करने लगा. उसे टैलीग्राम एप के जरीए संपर्क किया गया. एक लिंक के द्वारा 19 दिसंबर, 2023 को एक एप डाउनलोड करा कर केवाईसी के लिए आधारकार्ड और पैनकार्ड के फोटो भी अपलोड कराए गए.

उन लोगों के द्वारा पीडि़त को ह्वाट्सएप ग्रुप में भी जोड़ा गया. इसी के जरीए शेयर की खरीदीबिक्री की जानकारी दी जाने लगी. शेयर खरीदने के लिए जो पैसे लगने थे, उन्हें जो एप डाउनलोड कराया गया था, उस में रिचार्ज के जरीए रुपए का भुगतान करना होता था.

रिचार्ज करने के लिए टैलीग्राम चैनल में कस्टमर सर्विस के नाम से एक चैनल बनाया गया, जहां रिचार्ज की रकम पूछी जाती थी, फिर एक खाता नंबर में रुपए ट्रांसफर करने होते थे. रिचार्ज होने पर वह रकम उन के एप में दिखाई पड़ती थी.

हर रिचार्ज के समय अलगअलग खाते बताए गए. 19 जनवरी, 2024 को एक आईपीओ लौंच हुआ. सौरभ को इस में एप्लाई करने को कहा गया. मुनाफा अच्छा होने का चांस बता कर लालच भी दिया गया.

सौरभ स्वर्णकार पर दबाव बना कर एकमुश्त 13 लाख रुपए उस के बताए खाते में आरटीजीएस कराया गया. सौरभ स्वर्णकार को जमा रकम उस के एप में दिखाई दे रही थी, मगर कुछ दिनों बाद वह अपनेआप बदल गया. पूछने पर कोई सही जवाब नहीं आया.

ठगी का एहसास होने पर सौरभ स्वर्णकार ने मोहन नगर थाने में शिकायत दर्ज की. उस के साथ कुल 14 लाख, 65 हजार रुपए की ठगी हुई थी.

ऐसा है ठगी का खेल

दरअसल, जब सौरभ स्वर्णकार पूरी तरीके से उन के ?ांसे आ गया, तो उस के 2 अलगअलग अकाउंट खुलवाए गए, फिर धीरेधीरे एक करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम खातों में जमा कराई गई.

इधर, पीडि़त को लग रहा था कि उस की रकम बढ़ रही है और वह देखते ही देखते करोड़पति हो जाएगा और इस तरह वह लालच में फंसता चला गया. लेकिन जब जरूरत पड़ी और पीडि़त ने पैसे निकालने की कोशिश की, तो उसे रुपए नहीं मिले. उलटा, उस से नए आईपीओ के नाम पर और रकम मांगी गई.

पुलिस के मुताबिक, आमतौर पर लोगों के साथ धोखाधड़ी के मामले उन के लालच की वजह से होते हैं. जैसे, एक आदमी के साथ 22 करोड़ रुपए का साइबर कांड हुआ. उस ने इंवैस्टमैंट के नाम पर पैसा डबल होने के लालच में नुकसान झेला.

दरअसल, जैसे धार्मिक अंधश्रद्धा में फंस कर लोग अपना सबकुछ गंवा बैठते हैं और बाद में खुद को लुटा हुआ पाते हैं, वैसे ही आजकल कारोबार का जामा पहन कर लूटे जाने की वारदातें आम हो गई हैं.

सेना के फर्जी जवान, ठगी से डाक्टर हलाकान

सेना के फर्जी जवान बन कर खासतौर पर डाक्टरों से ठगी करने वाला गिरोह इन दिनों अनेक लोगों को अपना शिकार बना चुका है. बतौर सावधानी जरूरी है कि अगर आप के पास ऐसा कोई फोन आता है और भुगतान के लिए यूपीआई नंबर की मांग की जाती है, तो सावधान हो जाएं.

दरअसल, डाक्टरों से ठगी करने वाला गिरोह छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कांड करता है. ऐसी कुछ घटनाएं पिछले कुछ सालों में भी हुई थीं, जिन में कोई भी अपराधी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाया. अब पिछले कुछ समय से गिरोह के सदस्य दोबारा जवानों की जांच कराने के नाम पर किसी भी डाक्टर को फोन करते हैं. जवानों की तादाद बता कर वे फीस के बारे में पूछते हैं और फिर डाक्टर से ठगी करते हैं.

डाक्टर के फीस बताने पर ठग पेटीएम के जरीए एडवांस यूपीआई नंबर मांगते हैं. यूपीआई नंबर बताते ही ठगी का खेला शुरू हो जाता है. अब डाक्टर के खाते में फीस जमा होने के बजाय उस के खाते की रकम ठग के खाते में जाना शुरू हो जाती है.

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव, दुर्ग और राजधानी रायपुर में डाक्टरों के पास इन दिनों ऐसे फोन आ रहे हैं. ट्रु कौलर पर सेना की वरदी पहने आदमी का फोटो देख कर डाक्टरों को यही महसूस होता है कि फोन करने वाला सेना का कोई अफसर होगा, मगर ऐसा कुछ नहीं होता है और डाक्टर ठगी का शिकार हो जाते हैं.

मार्च, 2024 के पहले हफ्ते में राजनांदगांव के एक संस्थान में ऐसा ही फोन आया. ट्रु कौलर पर सेना के अफसर का फोटो देख कर शहर के एक नामचीन डाक्टर वर्मा (बदला हुआ नाम) ने इज्जत के साथ बातचीत की और बाद में वे खुद ठगी का शिकार हो गए.

ऐसे ही एक और मामले में डाक्टर माखीजा ने फोन रिसीव किया, तो सामने वाले ने खुद को सेना का अफसर बताते हुए कुछ सेना के जवानों की शारीरिक जांच कराने की चर्चा की. जब उस अफसर ने फीस का भुगतान पेटीएम से करने की कह कर यूपीआई नंबर मांगा, तो डाक्टर मखीजा को शक हो गया और उन्होंने तत्काल फोन काट दिया.

इसी तरह स्टेशनरी और टेलरिंग की एक दुकान से भुगतान के लिए यूपीआई नंबर ले लिया गया और बाद में कारोबारी का खाता खाली होता चला गया.

भुगतान करने की कह कर एक कारोबारी के यूपीआई नंबर अकाउंट को आर्मी के खाते से लिंक कराने के एक और मामले में आर्मी के अफसर के नाम से ठगी की कोशिश हुई. उस कारोबारी को किसी ठग ने खुद को आर्मी का अफसर बताते हुए वरदी के और्डर देने की बात कही. ठग ने नियम का हवाला दे कर पेमेंट के लिए यूपीआई नंबर या बैंक अकाउंट नंबर देने की बात कही और ओटीपी आने पर उन्हें वह ओटीपी बताने की बात कही, जिस पर शक होने पर उस कारोबारी ने अपने दोस्त की सलाह ली और किसी भी तरह की जानकारी देने से मना कर दिया और दुकान पर आ कर पेमेंट कैश कर और्डर कंफर्म करने की बात कही. इस पर ठग ने बकवास करते हुए गालीगलौज करना शुरू कर दिया. यह सारा मामला पुलिस की जानकारी में आ चुका है और अभी तक आरोपी पकड़े नहीं गए हैं.

ऐसी ठगी भी होती है

एक मामले में 45 साल के वी. सिंह, जो आम्रपाली सोसाइटी, लालपुर, रायपुर में रहते थे, ठगी का शिकार हो गए. उन के पास सुबह 10 बजे एक फोन आया. फोन करने वाले ने अपना नाम दीपक पवार बताते हुए खुद को आर्मी अफसर बताया. उस ने किराए पर घर लेने की इच्छा जताई. इस के बाद उस ने अपना आधारकार्ड, पैनकार्ड उन्हें ह्वाट्सएप कर दिया. फिर उस ने एडवांस पैसा जमा करने के लिए अकाउंट नंबर मांग लिया.

पीड़ित ने अपनी मां का अकाउंट नंबर दे दिया. इस के बाद उस ने कहा कि यूपीआई ट्रांजेक्शन करना है, इसलिए अकाउंट नंबर कंफर्म करने के लिए एक रुपया भेजने के लिए कहा और उस के बदले में उस ने 2 रुपए भेज दिए.

अब ठग ने कहा कि आर्मी अकाउंट का नियम है है कि आप एक रुपया भेजोगे तो डबल भेजेंगे. उस ने घर किराए की एडवांस रकम 54,000 रुपए प्रार्थी को भेजने के लिए कहा. उस ने वैसा ही कर दिया. पैसे डालने के बाद उस ने कहा कि गलत ट्रांजैक्शन हो गया है, एक रुपया कम कर के भेजना था.

इस के बाद पीड़ित ने 45,999 रुपए भेज दिए. तभी के शिकार हो चुके शख्स ने पुलिस को बताया कि इस के बाद वह फोन करता रहा, लेकिन ठग ने फोन उठाना बंद कर दिया. मगर पीड़ित से कुल 99,999 रुपए ठग लिए गए थे.

नोटों की बारिश का झांसा

हमारे आसपास बहुत से लोग सज्जन और भोलेभाले होते हैं, जो किसी की भी बातों में आ जाते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं. हाल ही में ऐसी अनेक घटनाएं घटी हैं.

पहली घटना

छत्तीसगढ़ के रतनपुर, बिलासपुर में लड़कियों को दैवीय शक्ति से पैसों की बारिश होने का झांसा दे कर पूजापाठ करने के नाम पर ठगी की गई.

दूसरी घटना

‘चांदी ले कर आओ उसे हम सोना बना देंगे,’  कह कर जिला कोरबा के पाली थाना इलाके में 2 लोगों ने कई औरतों को ठग लिया.

तीसरी घटना

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के कटोरा तालाब थाना इलाके के तहत रुपयों को दोगुना बनाने का झांसा दे कर ठगी कर ली गई.

ये कुछ घटनाएं बताती हैं कि आज के पढ़ेलिखे समाज में भी लगातार ठगी की घटनाएं हो रही हैं. इस का सीधा सा मतलब यह है कि 21वीं सदी में भी वही हालात हैं, जो कई साल पहले हुआ करते थे. आखिर इस के पीछे वजह क्या है और इसे कैसे रोका जा सकता है?

रुपए की बरसात

2 नाबालिग लड़कियों को दैवीय शक्ति से पैसों की बारिश होने का झांसा दे कर पूजापाठ करने और फिर रेप करने वाले 4 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया. पुलिस की अपील है कि झांसा देने वाले ऐसे लोगों से सभी को सावधान रहना चाहिए, जिस से भविष्य में ऐसी घटना न हो.

दरअसल, हुआ यह था कि छत्तीसगढ़ के रतनपुर थाना इलाके के तहत 14 फरवरी, 2024 को पीडि़ता के परिवार द्वारा रिपोर्ट दर्ज की गई कि उन के गांव के 2 लोगों द्वारा उन्हें बताया गया था कि एक ठाकुर बाबा हैं, जो कुंआरी कन्याओं के साथ पूजापाठ करते हैं, जिस से पैसा बरसने लगता है.

इस झांसे में आ कर वे लोग रतनपुर के मदनपुर इलाके में एक घर में आए, जहां पूजापाठ के बाद बाबा द्वारा उन बच्चियों को अकेले कमरे में ले जा कर  जिस्मानी शोषण किया गया. अपने घर जाने पर उन बच्चियों ने यह बात अपने परिवार वालों को बताई, जिस पर उन के द्वारा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई.

थाना रतनपुर में पुलिस टीम गठित कर संदेहियों को लोकल मुखबिर के आधार पर आरोपियों का पता लगाकर गिरफ्तारी के लिए 3 अलगअलग टीमें बनाई गईं और 4 आरोपियों को बालपुर, भाठागांव थाना सरसींवा जिला सारंगढ़, बिलाईगढ़ व लिगिंयाडीह और मदनपुर जिला बिलासपुर से गिरफ्तार किया गया.

पुलिस से यह भी जानकारी मिली कि सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के बाशिंदे धनिया बंजारे और हुलसी रात्रे तकरीबन 2 महीने पहले से 2 अलगअलग जगह की नाबालिग बच्चियों और उन के मातापिता को कुंआरी लड़की की पूजा करा कर और उस के ऊपर दैवीय शक्ति बैठाने से लाखोंकरोड़ों रुपए की बारिश होती है कह कर अपने विश्वास में लिया गया.

11 फरवरी, 2024 को उन 2 नाबालिग बच्चियों को उन के परिवार के साथ बिलासपुर बसस्टैंड ले कर गए और वहां पूजा करने वाले पंडित कुलेश्वर राजपूत उर्फ पंडित ठाकुर और उन के साथी कन्हैया से मिलवा कर उन के द्वारा ही पूजापाठ करा कर पैसे बरसाने वाली बता कर मुलाकात कराई गई, जहां से वे लोग उन दोनों नाबालिग बच्चियों को मदनपुर रानीगांव के पास गणेश साहू के मकान में ले कर गए. वहां सभी ने गणेश साहू के घर खाना खाया.

बाद में पंडित कुलेश्वर ठाकुर उन दोनों नाबालिग बच्चियों में से एक बच्ची को मकान के अंदर कमरे में ले गए और पूजा के बहाने उस लड़की के साथ जबरदस्ती जिस्मानी संबंध बनाया और उस घटना के बारे में किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी देते हुए कमरे के बाहर छोड़ दिया.

इसी तरह दूसरी नाबालिग लड़की को भी पूजा कराने के बहाने अंदर कमरे में ले जा कर जबरदस्ती रेप किया. इस के बाद पंडित कुलेश्वर ठाकुर द्वारा उन लड़कियों के परिवार वालों को बताया गया कि पूजापाठ से महज 2-4 हजार रुपए की ही बारिश हो पाई है और पैसे दे दिए.

दोनों नाबालिग बच्चियां इस घटना से इतनी ज्यादा डरीसहमी थीं कि वे अपने परिवार वालों को कुछ भी नहीं बता पाईं.

पर बाद में बिलासपुर बसस्टैंड से अपने घर लौटते समय इस घटना के संबंध में दोनों नाबालिग लड़कियों ने अपने परिवार को बताया. रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड विधान की धाराओं के तहत मामला बना कर आरोपियों को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेज दिया.

 

जुनून में हो रहे खून

महाराष्ट्र के पुणे शहर में 21 जनवरी, 2024 को एक सिरफिरे आशिक ने प्यार का विरोध करने पर अपनी प्रेमिका की मां की गला घोंट कर हत्या कर दी. कत्ल के लिए उस ने कुत्ते की बैल्ट का इस्तेमाल किया. प्रेमिका की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.

यह वारदात पुणे के पाषाण सुस रोड पर बनी एक सोसाइटी में हुई. वहां 58 साल की वर्षा अपनी 22 साल की बेटी मृण्मयी के साथ रहती थीं. जनवरी महीने की पहली तारीख को वर्षा के पति की मौत हो गई थी. उन की बेटी एक कंप्यूटर इंजीनियर है, लेकिन 1 जनवरी को पिता की मौत के बाद उस ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी.

मृण्मयी की तकरीबन 7 महीने पहले एक डेटिंग एप पर शिवांशु के साथ मुलाकात हुई थी. फिर वे दोनों एकदूसरे से प्यार करने लगे थे, लेकिन कुछ महीने बाद ही मृण्मयी को पता चला कि उस का प्रेमी डिलीवरी बौय है.

मृण्मयी की मां वर्षा उन दोनों के रिश्ते के खिलाफ थीं. वे लड़के की नौकरी और माली हालत को अपनी हैसियत के बराबर नहीं समझाती थीं, इसलिए उन्होंने अपनी बेटी मृण्मयी से इस रिश्ते से बाहर निकलने के लिए कहा.

पिता को खो चुकी मृण्मयी ने अपनी मां की बात मान ली. उस ने शिवांशु से ब्रेकअप कर लिया और उस से मिलनाजुलना भी बंद कर दिया. इस बात से नाराज शिवांशु एक रात मृण्मयी के घर पहुंच गया.

मृण्मयी की मां वर्षा शिवांशु को पहले से जानती थीं, इसलिए उन्होंने दरवाजा खोल कर उसे अंदर बुला लिया. घर में घुसने के बाद शिवांशु ने पहले तो मां को शादी के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन जब वे नहीं मानीं, तो उस ने कुत्ते की बैल्ट से गला घोंट कर उन की हत्या कर दी.

इसी तरह दिल्ली के रोहिणी इलाके में एक 24 साल के लड़के ने अपनी 19 साल की प्रेमिका की गला रेत कर हत्या करने की कोशिश की. बाद में खुद की भी जान ले ली.

दरअसल, अमित नाम का यह सिरफिरा आशिक उसी दफ्तर में काम करता था, जिस में लड़की काम करती थी. उसे लड़की से एकतरफा प्यार हो गया था. परेशान हो कर लड़की ने अमित से बात करना बंद कर दिया.

अमित यह बेरुखी सह नहीं सका. उस ने चाकू से लड़की पर हमला किया और उस का गला रेतने की कोशिश की. लेकिन औफिस के दूसरे लोगों ने उसे बचा लिया. फिर अमित ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया और फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली.

इस तरह के अपराध होने की वजह क्या है? दरअसल, आजकल हमारे पास अच्छी सोच विकसित करने के लिए कोई जरीया नहीं है. न हमारे पास वैसे लेखक हैं, जो समाज को सुधारने की बातें कहते हों या जिन के लेखन में कोई पैनापन झलकता हो. न हमारे पास पढ़ने के लिए वैसी किताबें हैं, जो हमें अच्छा नागरिक बनाएं.

हम बस विश्वास या कहें कि अंधविश्वास के सहारे चल रहे हैं. तभी हम कहते हैं कि धर्म ने ऐसा कहा, इसलिए यही सही है या प्यार ऐसे ही होता है और हम ऐसे ही प्यार करेंगे. इसी पर हमारा विश्वास है.

आज हमारे पास देखने के लिए जो फिल्म या सीरियल की कहानियां हैं, उन में तिकड़मबाजी, लालच और जबरदस्ती दिखाई जाती है. कुछ गिनीचुनी किताबें जो हम पढ़ते हैं, उन की कहानियों में भी आज इसी तरह के ही किरदार दिखाई देते हैं.

आज हमारे पास पढ़ने को बचा क्या है? लेदे कर एक मोबाइल है, जो सब के हाथों में होता है. हम उस में आंखें गड़ाए रखते हैं. उस में जो भी बेसिरपैर की बातें पढ़ने को मिलती हैं, वही हमारे मन में बैठती जाती हैं.

मोबाइल में ऐसी बेहूदा चीजें भी होती हैं, जिन का हमारी जिंदगी पर नैगेटिव असर पड़ता है. मगर हम उसे ही फौरवर्ड किए जाते हैं. इस में केवल विश्वास को बढ़ावा दिया जाता है. बस, इसी विश्वास के आधार पर हमारी सोच विकसित होती है. हम वैसा ही करने लग जाते हैं, जैसा हमें समझाया जा रहा है.

गलती हमारी नहीं, बल्कि गलती है हमारे माहौल की. गलती है समाज के बदलते हुए नजरिए की जिस ने हमें तिकड़मबाजी, लालच, बेईमानी जैसी बुराइयां सिखाई हैं.

आज कुछ पत्रिकाएं हैं, जो अच्छी सोच को समाज सुधारने का आधार मानती हैं. दिल्ली प्रैस की पत्रिकाएं ऐसी ही हैं, मगर समस्या यह है कि हम पढ़ने के लिए समय ही नहीं निकालते हैं. हम मोबाइल में लगे रहते हैं.

जब तक हम मोबाइल के जंजाल से पीछा नहीं छुड़ाएंगे, तब तक कुछ भी सही होने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?

चसका पराई औरत का

नंदू का अपने गांव की विधवा कमला से जिस्मानी संबंध अब लोगों में चर्चा की बात बन चुका है. नंदू की बीवी तारा इस वजह से अपने बच्चों को ले कर 2 महीने से मायके में बैठी हुई है.

सारा समाज नंदू की इस हरकत पर थूथू कर रहा है, लेकिन नंदू है कि विधवा कमला से अपने जिस्मानी संबंध तोड़ने को तैयार नहीं है.

मायके जाने से पहले नंदू की बीवी तारा भी कमला को समझाने और पति नंदू से जिस्मानी रिश्ता तोड़ लेने की गुहार लगाने कमला के पास गई थी, लेकिन कमला ने उस की एक नहीं सुनी और कहा, ‘‘तू अपने मर्द को बांध कर रख ले. मैं उस के पास नहीं जाती, वही मेरे पास आता है.’’

शबनम की शादीशुदा जिंदगी भी बुरी तरह गुजर रही है. वजह, शबनम का शौहर शब्बीर अपने चाचा की बीवी तनाज की जवानी में खोया रहता है. शब्बीर अपने घर न रह कर अकसर चाचा के घर ही पड़ा रहता है और वहां तनाज के जिस्मानी रूप का जाम पीता रहता है. चाचा की रोकटोक नहीं होने और तनाज की हामी के चलते शब्बीर की ये करतूतें मजे से चल रही हैं.

शब्बीर ने अपनी सारी दौलत तनाज को खुश करने में लुटा रखी है. तनाज की अदाओं के सामने शब्बीर अपनी बीवी को भी भुला बैठा है.

शब्बीर ने समाज के बंधनों को भी ताक पर रख दिया. बस, तनाज और उस के जिस्मानी रिश्तों को वह अपनी जिंदगी मानने लगा है और तनाज है कि शब्बीर को बेवकूफ बना कर उसे दोनों हाथों से लूट रही है.

दूसरे की औरत सभी मर्दों को अच्छी लगती है. पराई बीवी में मर्द को जवानी और जोश का सैलाब दिखता है. पराई औरत को भोगने की इच्छा तकरीबन सभी मर्दों में पाई जाती है. इस के लिए वे इज्जत को ताक पर रख जिस्मानी मजा लेने के लिए उतावले हो जाते हैं.

कुछ मर्दों को दूसरे की बीवी के ब्लाउज से झाकते उभार पसंद आते हैं, तो किसी को उस के हिलते हुए कूल्हे. कोई गैर की बीवी के कसे हुए जिस्म पर मरता है, तो कोई उस की नशीली अदाओं का शिकार हो जाता है.

ऐसा दर्शन पा कर उस पर लट्टू मर्द को अपनी बीवी बेकार लगने लगती है. उसे तब अपनी बीवी में न जवानी दिखती है और न ही सैक्सी अदाएं नजर आती हैं.

बदमाश किस्म की औरतें ऐसे मर्दों की तलाश में रहती हैं, जो उन के हुस्न पर पैसा लुटाए और जरूरत पड़ने पर उन की जिस्मानी प्यास को भी बुझाए.

इन औरतों का अपना कोई दीनईमान नहीं होता है. जब तक उन्हें पराए मर्द से पैसा मिलता है, तब तक वे उन के करीब रहती हैं. कंगाल मर्द को वे दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल कर बाहर फेंक देती हैं.

सच यही है कि दूसरे की बीवी के चक्कर में पड़ने के बाद वह अपनी बीवी और समाज की नजर में गिर जाता है. बीवी भी अपने मर्द को दिल से माफ नहीं कर पाती है.

पराई औरत से जिस्मानी रिश्तों के चक्कर में ऐसे मर्दों को आखिर में बदनामी ही मिलती है. उन्हें हमेशा गलत नजर से देखने की जो आदत पड़ जाती है, वह भी आसानी से नहीं छूटती है.

दूसरे की बीवी से जिस्मानी रिश्ता बनाने के चलते मर्दों को कई अंदरूनी बीमारियों का शिकार होते भी देखा गया है. अनजाने में उस मर्द की बीवी भी शिकार हो जाती है. बीमारी के बढ़ने पर ही पता चलता है, लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है.

गैर की बीवी गैर की ही होती है. सबकुछ लुटा देने के बाद भी वह गैर की रहती है. ऐसे में उस के लिए अपना घरपरिवार और जिंदगी बरबाद करना समझदारी वाली बात नहीं है. जो सुख पराई बीवी देती है, उस से कहीं ज्यादा मजा खुद की बीवी दे सकती है, फिर क्यों घर से बाहर दूसरे की बीवी में जिस्मानी सुख तलाशा जाए?

अच्छी बात तो यह होगी कि दूसरे की बीवी को अपनी बांहों में भरने की गलत आदत को छोड़ें. अपनी बीवी को प्यार करें, ताकि बीवी तो खुश रहे ही, घरपरिवार में भी सुख बना रहे.

जिस्मानी रिश्तों को अपनी जिंदगी से ज्यादा अहमियत न दें. दूसरे की बीवी अगर गलत इरादे से करीब आना चाहे, तो उस से दूरी बना कर रखें.

पटना ट्रिपल मर्डर, कैसे बना वह हथौड़े वाला हत्यारा

सुबह के 10 बज रहे थे. 50 साला अलीना सिंह अपनी दोनों बेटियों को स्कूल और कालेज भेज कर घर का काम निबटा रही थीं. उस समय घर में उन का सौतेला बेटा देवेश कुमार उर्फ रिंटू ही मौजूद था. अचानक देवेश कुमार ने अलीना के चेहरे पर कपड़ा लपेट दिया और सिर पर हथौड़ा मारमार कर उन्हें जान से मार डाला.

11 बजे अलीना की 11 साला छोटी बेटी पूर्णिमा स्कूल से घर आई, तो देवेश ने दरवाजा खोला. उस के बाद उस ने पूर्णिमा के सिर पर भी चादर लपेट कर हथौड़ा मारमार उस की जान ले ली.

दोपहर 1 बजे अलीना की 18 साला मझली बेटी सोनाली कालेज से घर लौटी और डोरबैल बजाई. देवेश ने दरवाजा खोला और उस का भी वही हाल किया, जो अलीना और पूर्णिमा का किया था.

15 दिसंबर को पटना के इंद्रपुरी महल्ले के जीरो नंबर रोड पर एक के बाद एक 3 कत्ल करने के बाद देवेश कुमार अपने पिता गोपाल शरण सिंह के पास पहुंचा.

दरअसल, देवेश ने ही गोपाल को सुबह 8 बजे उन के दोस्त धर्मपाल महतो के घर भेज दिया था.

देवेश ने गोपाल से कहा कि दिल्ली चलना है. जल्दी तैयार हो जाइए. उस के बाद दोनों पटना जंक्शन पहुंचे. देवेश ने किसी तरह से पटनादिल्ली राजधानी ऐक्सप्रैस ट्रेन में टिकट का इंतजाम किया और दोनों दिल्ली की ओर चल पड़े.

जब ट्रेन कानपुर के पास पहुंची, तो देवेश ने अपने पिता से कहा कि उस ने अपनी सौतेली मां समेत दोनों बहिनों को मार डाला.

गोपाल को तो पहले बेटे की इस हैवानियत पर यकीन नहीं हुआ, लेकिन जब सारा मामला उन्हें समझ में आया, तो वे जोरजोर से रोने लगे.

देवेश ने अपने हाथों से उन का मुंह दबा कर कहा कि वे रोएं नहीं, वरना वह पकड़ा जाएगा. इस के बाद देवेश ट्रेन से नीचे उतर गया.

ट्रेन जब दिल्ली पहुंची, तो गोपाल अपने छोटे बेटे ओंकार सिंह उर्फ चिंटू के कालकाजी इलाके में बने घर पहुंचे और उसे सारा माजरा बताया.

दिल्ली से ही गोपाल ने पटना में अपने पड़ोसी जोगिंदर को फोन कर के कहा कि वह उन के घर जा कर देखें कि वहां कुछ गड़बड़ तो नहीं है, क्योंकि घर में कोई भी फोन नहीं उठा रहा है.

जोगिंदर जब गोपाल के घर पहुंचा, तो चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था. गेट खोल कर वह अंदर गया, तो कमरे में पड़ी 3 लाशों को देख कर वह सन्न रह गया.

हड़बड़ी में वह भाग कर बाहर निकला और गोपाल को फोन कर सारा माजरा बताया. इस के बाद उस ने महल्ले वालों से बात कर पाटलीपुत्र थाने में खबर दी.

पटना के एसएसपी अमृतराज ने बताया कि हत्या करने का क्रूर तरीका बता देता है कि हत्यारा अलीना, सोनाली और पूर्णिमा से काफी नफरत करता था. हत्या को लूट का रंग देने के लिए उस ने कमरे में रखे बक्सों को उलटपुलट कर रख दिया था. इस मर्डर केस की जड़ में जायदाद का झगड़ा ही है.

रिटायर्ड क्लर्क गोपाल शरण सिंह का पटना के इंद्रपुरी महल्ले में डेढ़ कट्ठा यानी तकरीबन 2 हजार वर्ग फुट जमीन पर मकान बना हुआ है, जिस की कीमत तकरीबन 80 लाख रुपए है. इस के अलावा कटिहार के राजपूताना इलाके में 55 कट्ठा जमीन भी है, जिस की कीमत भी करोड़ों रुपए की आंकी गई है.

देवेश चाहता था कि पिता गोपाल शरण सिंह अपनी जायदाद का बंटवारा कर दें. पिता गोपाल बंटवारे को तैयार थे, पर अलीना इस के लिए तैयार नहीं थीं. वे चाहती थीं कि सोनाली और पूर्णिमा की शादी के बाद ही जायदाद का बंटवारा हो.

अलीना ने जमीन और मकान के सारे कागजात अपने कब्जे में कर रखे थे. इस मामले को ले कर अकसर घर में हल्लाहंगामा होता रहता था.

गोपाल के पड़ोसी बताते हैं कि गोपाल की पहली बीवी की मौत 20-22 साल पहले हो गई थी. इस के बाद उन्होंने अलीना से दूसरी शादी की. अलीना से उन की 3 बेटियां हुईं, जबकि पहली बीवी से 2 बेटे थे.

अलीना जब ब्याह कर घर आईं, तो उसी समय से उन्होंने गोपाल के बेटों को परेशान करना शुरू कर दिया. इस को ले कर अलीना और गोपाल में अकसर बकझक होती रहती थी. हार कर गोपाल ने अपने दोनों बेटों को हौस्टल में भेज दिया था. शुरुआती पढ़ाई करने के बाद गोपाल ने दोनों बेटों को पढ़ने के लिए दिल्ली भेज दिया था. दोनों भाई पिछले 12 सालों से दिल्ली में रह रहे थे.

कई पड़ोसियों ने बताया कि अलीना काफी सख्त मिजाज की औरत थीं और गोपाल उन के सामने घुटने टेके रहते थे. अलीना ने दोनों बेटों की शादी में भी गोपाल को नहीं जाने दिया था.

सौतेली मां और 2 बेटियों की हत्या करने में हैवानियत की हद पार कर देवेश फरार है. उस की शादी हो चुकी है और पिछले महीने ही वह बाप बना था.

मनोविज्ञानी अनिल पांड्या कहते हैं कि अपने परिवार के लोगों का कत्ल कर के देवेश हैवानियत की तमाम हदें पा कर गया. इस से पता चलता है कि उस के मन में अलीना को ले कर इस कदर नफरत थी कि वह उस की बेटियों को भी नहीं देखना चाहता होगा.

घरेलू झगड़ों के बढ़ते मामलों के बीच परिवार वालों को देखना समझना होगा कि ऐसे झगड़ों को तूल न पकड़ने दें और न ही ऐसे मामलों को लटका कर रखें.

लालच और गुस्से में मां की हत्या, कत्ल का खुलासा हैरान करने वाला

दिसंबर, 2012 को महाराष्ट्र के सांगली शहर में लालच के चलते एक बेटे ने अपनी मां का ही कत्ल कर दिया. खुद का कारोबार, घर और गाड़ी पाने के लालच में रूपेश पाटिल ने अपनी मां के साथसाथ अपने दूसरे रिश्तेदारों से भी रिश्ते खराब कर लिए थे. उस के रिश्ते इतने बिगड़ गए थे कि सासबहू के झगड़े में उसे अपनी मां विजयालक्ष्मी कांटा लगने लगी और गुस्से में उस ने अपनी मां का गला दबा कर हत्या कर दी.

बचपन में ही रूपेश के पिताजी की मौत हो गई थी. उस की मां ने उसे बड़े जतन से पालपोस कर बड़ा किया, पर मां के इसी प्यार की वजह से उस ने 10वीं से आगे पढ़ाई नहीं की. फिर वह अपने चाचा के मैडिकल स्टोर में काम करने लगा.

कुछ सालों बाद फार्मेसी से जुड़े किसी जानने वाले की बेटी शुभांगी के साथ रूपेश की शादी हुई.

शादी के बाद रूपेश बड़ा बनने के सपने देखने लगा. उसे लगने लगा कि उस की अपनी भी खुद की कोई दुकान हो. इस बीच उस की अपने चाचा के साथ किसी बात पर अनबन हो गई और उस ने उन का काम छोड़ दिया.

कारोबार के लिए रूपेश ने बैंक से 18 लाख रुपए का कर्ज लिया. उन्हीं पैसों में से उस ने घर बनवाने का काम भी शुरू कर दिया, पर बैंक की किस्तें समय पर न चुकाने के चलते बैंक ने उसे नोटिस भेज दिया.

चाचा से अलग होने की वजह से रूपेश की मां विजयालक्ष्मी भी उस से नाराज हो गईं. बहू के साथ भी उन की छोटीछोटी बातों को ले कर अनबन होने लगी.

अपना कर्जा कम करने के लिए रूपेश ने अपनी मां से उस के 15 तोले गहने और उस के नाम की कोथड़ी की एक एकड़ जमीन भी ले ली.

इस जमीन को बेचने के लिए वह ग्राहक ढूंढ़ने लगा. इस बीच मांबेटे के बीच की झगड़े की खबर सभी रिश्तेदारों में फैल गई और सभी रिश्तेदार रूपेश से नाराज हो गए.

ऐसे में रूपेश ने अपनी ससुराल का रुख किया और मां के सभी गहने उन के पास रखने को दे दिए. कर्ज ले कर पहला कर्जा कम करने की उस की मंसा थी. इसी बीच एक दिन घर में सासबहू के बीच झगड़ा हो गया. हमेशा के इस झगड़े से रूपेश तंग आ गया था, जिस की वजह से गुस्से में बौखला कर उस ने अपनी मां का तब तक गला दबाया, जब तक कि उस की जान नहीं चली गई.

अपना जुर्म छिपाने के लिए रूपेश ने घर में चोरी की मनगढ़ंत कहानी बनाई. उस की इस साजिश में उस की पत्नी शुभांगी भी शामिल थी.

साजिश की बू

रूपेश का पिछला रिकौर्ड देखते हुए पुलिस को इस हत्या के पीछे किसी साजिश की बू आने लगी. उन्होंने शक के आधार पर उसे गिरफ्तार कर लिया. सख्ती से पूछताछ करने पर आखिरकार उस ने अपनी जबान खोल दी.

रूपेश ने कबूल किया कि लालच और गुस्से में आ कर उस ने अपनी मां की गला दबा कर हत्या कर दी. रूपेश के साथ हत्या और पुलिस को चोरी की मनगढ़ंत कहानी सुना कर गुमराह करने के जुर्म में शुभांगी पर भी कार्यवाही की गई. पतिपत्नी की इस करतूत की वजह से उन की एक साल की बच्ची अनाथ हो गई.

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