‘‘अरे भैया, क्या कर रहे हो… देख कर काम करो न,’’ तान्या ने उस की नीयत जानते हुए एतराज जताया, तो वह पंडा नाराज होते हुए बोला, ‘‘अब हमारा यही काम है और इस काम में कोई चमड़े की बनी देह बीच में आ गई तो भला इस में हमारा क्या दोष है,’’ और फिर वह पंडा संस्कृत में कुछ जोरजोर से पढ़ने लगा.
‘‘अरे, आप लोग कहां लाइन में लग कर धक्के खा रहे हैं… आप तो वीआईपी लोग हैं… आप चाहें तो मैं पीछे के गेट से आप को 10 मिनट में ही स्पैशल दर्शन करा सकता हूं…’’ एक पंडे ने वीरेन के पास आ कर धीरे से कहा.
वीरेन ने लंबी लाइन में लगने के बजाय स्पैशल दर्शन के लिए हामी भर दी, तो फौरन ही वह पंडा 5,000 रुपए मांगने लगा.
‘‘पर, ये तो बहुत ज्यादा हैं,’’ वीरेन ने कहा.
‘‘अरे, तो जैसा काम है वैसा दाम है. भाई, समझ में आए तो बताओ, नहीं तो मैं दूसरा कस्टमर देखता हूं,’’ पंडा अपना सब्र खोता हुआ सा बोला.
‘‘ठीक है भैया, ये लो पैसे और जल्दी से हमें दर्शन करा दो,’’ सिया ने उस पंडे को पैसे देते हुए कहा.
फिर क्या था, उस पंडे ने उन्हें पीछे के दरवाजे से मात्र 10 मिनट में मंदिर के अंदर पहुंचा दिया था.
सिया, नताशा और तान्या तो खुशी के मारे मानो झूम रही थीं.
‘‘ऐ लड़की… अंधी है क्या… सामने साफसाफ लिखा है कि मंदिर के अंदर कोई सैल्फी नहीं, कोई तसवीर नहीं ली जाएगी…’’ एक लंबी दाढ़ी वाले बाबा ने तान्या के गले में लटकते हुए कैमरे को देख कर कहा.
‘‘पर बाबाजी, मैं सैल्फी नहीं ले रही हूं और न ही कोई फोटो ले रही हूं. यह कैमरा तो बाहर के फोटो लेने के लिए गले में टंगा हुआ था और इसीलिए अब भी इसी तरह टंगा हुआ है,’’ तान्या ने जवाब दिया.
‘‘तुम लोग तो भगवान के साथ भी सैल्फी लेने से बाज नहीं आते,’’ वह पंडा बोला और फिर घंटी बजाने में मशगूल हो गया.
पूजा करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते हुए ये चारों अभी हाथ जोड़े मंदिर के अंदर खड़े थे कि तभी गेरुए कपड़े पहने हुए एक और लड़का तान्या के पास आ कर बोला, ‘‘दीदी, अगर यहां मंदिर के अंदर सैल्फी लेनी है, तो आप को 500 रुपए देने होंगे… सैल्फी दिलवाना मेरी जिम्मेदारी होगी.’’
‘‘नहीं… मुझे कोई सैल्फीवैल्फी नहीं लेनी है… तुम जाओ यहां से,’’ तान्या चीख पड़ी.
उस के मना करने से वह पंडा भी चिढ़ गया और बोला, ‘‘अरे, हम कहां जाएंगे… हमारा तो घर यही है… और काम भी यही है.’’
उस की इस बात पर तान्या सिर्फ उसे घूरती रह गई.
मंदिर में ढोलनगाड़े बज रहे थे. लोगों की भीड़ को देख कर पंडों ने और तेजी से ढोल पीटने शुरू कर दिए थे.
‘‘कुछ देर बाद आप लोगों का नंबर आने वाला है… यह रेट लिस्ट देखिए और बताइए कि आप लोग कितने वाली पूजा कराने वाले हैं…’’ मंदिर के अंदर बैठे एक साधु ने इन लोगों से कहा.
‘‘कितने वाली पूजा का क्या मतलब है पंडितजी?’’ वीरेन ने पूछा.
‘‘वह सामने देखो, बोर्ड पर सारे रेट लिखे हुए हैं,’’ पंडित ने एक बोर्ड की तरफ इशारा करते हुए कहा.
इन चारों ने बोर्ड पर देखा, तो वहां पर हर तरह की पूजा के लिए अलगअलग रेट तय था और पूजा की अवधि के साथ उस की कीमत भी बढ़ती जा रही थी. उस में यह भी लिखा हुआ था कि कौन सी पूजा में कितने लोग कितनी कीमत चुका कर शामिल हो सकते हैं.
पूजा का भी कोई रेट होता है, यह इन चारों ने पहली बार जाना था. अब तो सिया को भी बात कुछ अखरने लगी थी.
‘‘अरे पंडितजी, टीका तो लगा दीजिए,’’ सिया ने पुजारी से कहा और अपनी प्रसाद की थाली आगे बढ़ाई.
‘‘प्रसाद के साथसाथ इस में कुछ दक्षिणा भी तो रख बच्ची,’’ पुजारी ने तिरछी नजर से देखा और सिया के माथे पर बेमन से टीका लगाते हुए कहा.
सिया ने 100 रुपए का नोट बढ़ाया, तो पुजारी नाराज हो गया और कहने लगा, ‘‘आप दक्षिणा इतनी तो दीजिए
कि एक आदमी के एक समय का भोजन तो हो ही जाए, इस 100 रुपए में भला क्या होगा…’’
हार कर सिया ने 500 रुपए दिए, तब जा कर उस पुजारी के चेहरे पर थोड़ी मुसकराहट आई.
इतना होतेहोते वीरेन का मन पूजा
से पूरी तरह हट चुका था. चारों तरफ लूटखसोट के माहौल से वह ऊब चुका था. भला कहीं पूजा करवाने का भी कोई रेट होता है. सामने ही रेट का बोर्ड
लगा हुआ था. वीरेन ने उस बोर्ड की तसवीर खींच ली, पर उसे रेट बोर्ड का फोटो लेते देख कर पुजारी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया.
‘‘पानी की एक बूंद से पैदा हुआ आदमी, तू एक दिन मिट्टी में मिल जाएगा और यह तेरा अहंकार ही तुझे गर्त में ले जा रहा है. तू इस बोर्ड की तसवीर ले कर क्या कर लेगा… और देख लेते हैं कि तू क्या कर सकता है?’’
पुजारी की बातें सुन कर वीरेन मंदिर से बाहर आ गया. उस के पीछे से सिया, नताशा और तान्या भी बाहर आ गईं. उन चारों ने यहां चलने वाले गोरखधंधे को दुनिया के सामने लाने के लिए इस पूरे ठगी के मामले को सोशल मीडिया पर शेयर करने की गरज से मंदिर के बाहर ही एक वीडियो बनाया, जिस में पूजा के हर काम में पंडितों द्वारा पैसे उगाहने की बात कही गई थी.
अब पूजा से सब का मन हट चुका था और वे चारों वापस आने लगे थे.
रास्ते में कुछ लोकल लड़के बैठे हुए थे. वीरेन के साथ 3 लड़कियों को देख कर उन में से एक लड़का बोला, ‘‘अरे भाई, एक अकेले लड़के के साथ 3-3 लड़कियां… बड़ी नाइंसाफी है रे… हमें भी साथ ले लो…’’ यह बात इतने भद्दे ढंग से कही गई थी कि वीरेन का गुस्सा भड़कना लाजिमी था, पर सिया ने किसी तरह अपनी कसम दे कर उसे शांत किया.
उधर सोशल मीडिया पर इन चारों का रोष भरा वीडियो वायरल होते देर नहीं लगी, जहां पर एक बुद्धिजीवी वर्ग का पूरा साथ इन लोगों को मिल रहा था, वहीं दूसरी तरफ तथाकथित धार्मिक लोग सिया और वीरेन को गालियां भी दे रहे थे और कुछ धार्मिक संगठनों ने तो इन्हें जान से मार डालने की धमकी भी दे दी थी, क्योंकि इन लोगों ने सिद्धनाथ मंदिर के अंदर चलने वाले पुजारियों के गंदे खेल को उजागर करने की कोशिश की थी. नताशा और तान्या तो इस बात से डरी हुई थीं.
वे चारों जल्दी से जल्दी अपने होटल पहुंच कर आराम करना चाहते थे और होटल अब करीब ही था, पर सामने से कुछ पंडे चले आ रहे थे.
‘‘क्यों भाई, तुम लोग हमारी धर्मशाला में रुके और बिना कोई पैसे दिए, बिना कुछ दानपात्र में डाले ही वहां से चले आए… किस बात की जल्दी थी तुम लोगों को…’’ ये सब उस धर्मशाला के लोग थे, जहां ये चारों सब से पहले रुके थे.
‘‘जी देखिए, हमें वहां कुछ ऐसा महसूस हुआ, जो हमें सही नहीं लगा. वहां बाथरूम में कुछ गलत हो रहा था, इसीलिए हम ने उस धर्मशाला को छोड़ना ही सही समझा,’’ वीरेन ने शांत आवाज में कहा.
‘‘भेड़ जहां जाएगी वहीं मूड़ी जाएगी… कहां नहीं बनते हैं ये नंगे वीडियो… धर्मशाला छोड़ोगे तो होटल में भी बनेंगे… अच्छा बताओ कि इन में से किस लड़की को नंगा देखना चाहोगे तुम? मेरे इस मोबाइल में इन सब के वीडियो हैं,’’ एक पंडा अपना होंठ काटते हुए बोला.
अब तो वीरेन के गुस्से की सीमा नहीं रही. उस ने तुरंत ही उन पंडों पर अटैक कर दिया. पर वह अकेला था और वे 8-10 लोग थे. उन सब ने वीरेन को इतना मारा कि वह अधमरा हो गया और उसे उसी हालत में छोड़ कर वे पंडे, जो शायद पंडे न हो कर गुंडे थे, सब फरार हो गए.
वीरेन के सिर से खून बह रहा था. जल्द ही उसे अस्पताल ले जाना होगा, नहीं तो कुछ भी हो सकता था. वे तीनों लड़कियां मदद के लिए इधरउधर भाग रही थीं, पर कोई भी मदद करने को तैयार नहीं था.
तभी सिया को एक खाली एंबुलैंस आती दिखाई दी. उस ने हाथ दे कर उसे रुकवाया और ड्राइवर से घायल वीरेन को अस्पताल पहुंचाने की गुजारिश की. ड्राइवर ने भी मामले की गंभीरता
को समझते हुए वीरेन को तुरंत ही लिटाया और एंबुलैंस को सड़क पर दौड़ा दिया.
पर कुछ किलोमीटर चलने पर ड्राइवर को रुक जाना पड़ा, क्योंकि आगे कोई जुलूस जा रहा था. एंबुलैंस के बारबार हौर्न और हूटर बजाने का भी उन लोगों पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था. इधर वीरेन की हालत उपचार नहीं मिल पाने के चलते बिगड़ती ही जा रही थी.
जुलूस की भीड़ को न हटता देख कर सिया खुद नीचे उतर गई और हाथ जोड़ कर भीड़ से रास्ता देने की अपील करने लगी. वह बहुत देर तक सब से प्रार्थना करती रही, पर किसी पर कोई असर नहीं हुआ.
किसी ने बताया कि आज पीले मठ वाले बाबा का जन्मदिन है और उन की झांकी उसी उपलक्ष्य में निकाली जा रही है और अभी फिलहाल तो यह भीड़ नहीं हट सकती है. अच्छा होगा कि तुम कोई दूसरा रास्ता पकड़ लो.
पर कौन सा रास्ता पकड़ती सिया. यह एक पहाड़ी जगह थी और अस्पताल तक यही एक सड़क जाती थी. इंतजार करने के अलावा कोई दूसरा चारा भी नहीं था.
सिया भाग कर एंबुलैंस में आई, पर तब तक वीरेन मर चुका था. यह देख कर सिया की आंखों से झरझर आंसू बहने लगे.