प्यार में रवि को मिला जहर का इंजेक्शन

26 वर्षीय रवि कुमार दिल्ली के सदर बाजार स्थित कोटक महिंद्रा बैंक में कैशियर थे. रोज की तरह 7 जनवरी, 2017 को ड्यूटी खत्म कर के वह घर जाने के लिए निकले. वह उत्तरी दिल्ली के शास्त्रीनगर में रहते थे. वह बैंक से निकले थे तो उन के साथ साथ काम करने वाले शतरुद्र भी थे. सदर दिल्ली का थोक बाजार है, जिस से वहां दिन भर भीड़ लगी रहती है. माल लाने और ले जाने वाले रिक्शों की वजह से सड़कों पर जाम सा लगा रहता है. इसी वजह से रवि कुमार शतरुद्र के साथ पैदल ही जा रहे थे.

दोनों बैंक से कुछ दूर स्थित वेस्ट एंड सिनेमा के नजदीक पहुंचे, तभी उन के बीच एक ठेले वाला आ गया, जिस से दोनों अलगअलग हो गए. उसी बीच रवि कुमार की गरदन में किसी ने सुई जैसी कोई चीज चुभो दी. गरदन में जिस जगह सुई सी चुभी थी, रवि कुमार का हाथ तुरंत उस जगह पर तो गया ही, उन्होंने पलट कर भी देखा. एक युवक उन्हें भागता दिखाई दिया तो उन्हें लगा कि उसी ने उन की गरदन में कुछ चुभाया है.

रवि कुमार ने गरदन से हाथ हटा कर देखा तो उस में खून लगा था. उन्होंने उस युवक की ओर इशारा कर के शोर मचाया कि ‘पकड़ो पकड़ो’ तो उन के साथी शतरुद्र उस युवक के पीछे भागे. सदर और खारी बावली बाजार में अकसर छिनैती की घटनाएं होती रहती हैं, इसलिए लोगों ने यही समझा कि युवक पैसे वगैरह छीन कर भागा है. कुछ अन्य लोग भी उसे पकड़ने के लिए उस के पीछे दौड़ पड़े.

बाराटूटी के पास भाग रहे उस युवक का पैर फिसल गया तो पीछे दौड़ रहे लोगों ने उसे पकड़ लिया और उस की पिटाई करने लगे. तभी किसी ने पुलिस कंट्रोल रूम के 100 नंबर पर फोन कर के उस के पकड़े जाने की सूचना दे दी. रवि अभी अपनी जगह पर ही खडे़ थे. उन का हाथ गरदन पर उसी जगह था, जहां कोई चीज चुभी थी. अब तक उन्हें चक्कर से आने लगे थे. किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर गरदन पर क्या चीज चुभाई गई है. लेकिन यह साफ हो गया था कि उसी नुकीली चीज के चुभन से उन की तबीयत बिगड़ रही है. इस का मतलब वह कोई जहरीली चीज थी.

बाजार के तमाम लोग रवि को जानते थे. हमदर्दी में वे उन के पास आ कर खडे़ हो गए थे. उन्हीं लोगों में अजय साहू का बेटा इंद्रजीत भी था. अजय साहू सदर बाजार में ही कोटक महिंद्रा बैंक के पास गत्ते के डिब्बे बेचते हैं. इस में उन का बेटा इंद्रजीत हाथ बंटाता था. उस का कोटक महिंद्रा बैंक में एकाउंट था, जिस की वजह से कैशियर रवि कुमार से उस की दोस्ती थी.

रवि की बिगड़ती हालत देख कर लोग ऐंबुलैंस बुलाने की बात कर रहे थे. उस भीड़भाड़ वाली जगह में ऐंबुलैंस का जल्दी पहुंचना आसान नहीं था. इसलिए इंद्रजीत उन्हें मोटरसाइकिल से सेंट स्टीफंस अस्पताल ले गया. जांच के बाद डाक्टरों ने बताया कि जिस ने इन्हें जो भी चीज चुभोई है, उसी की वजह से इन की हालत बिगड़ रही है.

रवि की हालत देख कर साफ लग रहा था कि उन पर जहरीली दवा का असर हो रहा है. चूंकि यह पुलिस केस था, इसलिए डाक्टरों ने थाना सदर पुलिस को फोन द्वारा सूचना दे कर उन का इलाज शुरू कर दिया. शाम साढ़े 7 बजे के करीब पुलिस कंट्रोल रूम को सूचना मिली थी कि सदर बाजार में बाराटूटी के पास कुछ लोगों ने एक चोर को पकड़ रखा है.

इस सूचना को थाना सदर के ड्यूटी अफसर ने एएसआई निक्काराम के नाम कर इस की जानकारी थानाप्रभारी रमेश दहिया को दे दी थी. इसी के कुछ देर बाद थाना सदर पुलिस को सेंट स्टीफंस अस्पताल से भी सूचना मिली कि कोटक महिंद्रा बैंक के कैशियर रवि कुमार को किसी ने जहरीला इंजेक्शन लगा दिया है, उन का इलाज वहां चल रहा है.

बाराटूटी थाने से लगभग 5-6 सौ मीटर ही दूर है, इसलिए एएसआई निक्काराम हैडकांस्टेबल विजय को ले कर तुरंत वहां पहुंच गए. कुछ लोग 24-25 साल के एक युवक को पकड़े थे. पुलिस ने उसे अपने कब्जे में ले कर पूछा तो उस ने अपना नाम डा. प्रेम सिंह बताया. थाने ला कर उस से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि वह चोर नहीं है.

‘‘तू चोर नहीं है तो लोगों ने तुझे क्यों पकड़ा?’’ थानाप्रभारी रमेश दहिया ने पूछा.

‘‘सर, मैं चोरी कर के नहीं, कोटक महिंद्रा बैंक के कैशियर रवि कुमार की गरदन पर जहर का इंजेक्शन लगा कर भाग रहा था, तभी लोगों ने मुझे पकड़ लिया था.’’ प्रेम सिंह ने कहा.

चाकू, गोली मार कर किसी की जान लेने की वारदातें तो अकसर होती रहती हैं, लेकिन राह चलते किसी को जहर का इंजेक्शन लगा कर जान लेने की कोशिश करने का यह अपनी तरह का अलग ही मामला था. इसलिए मामले की सूचना एसीपी आर.पी. गौतम और डीसीपी जतिन नरवाल को देने के बाद रमेश दहिया अतिरिक्त थानाप्रभारी इंसपेक्टर मनमोहन कुमार को साथ ले कर सेंट स्टीफंस अस्पताल पहुंच गए.

रवि कुमार के उपचार में जुटे डाक्टरों को रमेश दहिया ने बता दिया कि इन्हें जहर का इंजेक्शन लगाया गया है. डाक्टर चाहते थे कि यह पता लग जाता कि इंजेक्शन में कौन सा जहर इस्तेमाल किया गया था, जिस से उपचार में उन्हें आसानी हो जाती.

बहरहाल, डाक्टर रवि कुमार के शरीर में फैले जहर का असर कम करने की कोशिश कर रहे थे. अब तक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी आ गए थे. डीसीपी और एसीपी के सामने प्रेम सिंह से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि रवि कुमार को जो इंजेक्शन लगाया गया था, उस में कोबरा सांप के जहर के अलावा मिडाजोलम और फोर्टविन नाम के कैमिकल भी मिले थे.

पुलिस ने प्रेम कुमार के खिलाफ धारा 328 (जहर देने) का मामला दर्ज कर के जहर के बारे में मिली जानकारी रवि कुमार के इलाज में जुटे डाक्टरों को दे दी. चूंकि अब तक जहर पूरे शरीर में फैल चुका  था, इसलिए रवि कुमार की हालत चिंताजनक होती जा रही थी.

पूछताछ में पता चला कि प्रेम कुमार से यह वारदात रवि कुमार के साले बौबी ने कराई थी. रवि कुमार अपनी पत्नी सविता के साथ मारपीट कर के उसे परेशान करते थे. उन की इस हरकत से बौबी बहुत परेशान रहता था, इसीलिए उस ने अपने बहनोई की हत्या की जिम्मेदारी उसे सौंपी थी.

डीसीपी जतिन नरवाल उस समय थाने में ही मौजूद थे. बौबी की गिरफ्तारी के लिए उन्होंने एसीपी आर.पी. गौतम के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई, जिस में थानाप्रभारी रमेश दहिया, अतिरिक्त थानाप्रभारी मनमोहन कुमार, एसआई प्रकाश, आशीष, एएसआई निक्काराम, हैडकांस्टेबल विजय आदि को शामिल किया.

रवि कुमार का साला बौबी द्वारका की पालम कालोनी के राजनगर एक्सटेंशन पार्ट-2 में रहता था. पुलिस टीम उस के घर पहुंची तो वह घर पर ही मिल गया. पुलिस उसे पकड़ कर थाने ले आई. बौबी से पूछताछ की गई तो उस ने कहा, ‘‘सर, मेरी बहन सविता तो अपनी ससुराल में खुश है. उस के पति रवि कुमार बेहद सज्जन व्यक्ति हैं, भला मैं उन के बारे में इस तरह क्यों सोचूंगा? यह जो हमला करने वाला आदमी है, इसे तो मैं जानता तक नहीं.’’

बौबी को जब पता चला कि उस के बहनोई अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं तो वह बेचैन हो उठा. उस ने फोन द्वारा यह जानकारी बहन सविता को दी. बौबी की बातों से पुलिस को लगा कि प्रेम सिंह उसे झूठा फंसाने की कोशिश कर रहा है तो पुलिस ने उसे घर जाने की इजाजत दे दी.

बौबी घर न जा कर सीधे सेंट स्टीफंस अस्पताल पहुंचा. लेकिन उस के अस्पताल पहुंचने से पहले ही रात करीब ढाई बजे उस के बहनोई रवि कुमार की मौत हो गई थी. रवि की मौत की खबर पा कर पुलिस भी अस्पताल पहुंच गई और शव को कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

पुलिस ने मामले में हत्या की धारा जोड़ कर अगले दिन यानी 8 जनवरी, 2017 को प्रेम सिंह को तीस हजारी कोर्ट में ड्यूटी एमएम के समक्ष पेश कर सबूत जुटाने के लिए एक दिन के रिमांड पर ले लिया. चूंकि डा. प्रेम सिंह बौबी को इस मामले में झूठा फंसाना चाहता था, इस से पुलिस समझ गई कि यह आदमी बेहद शातिर है.

रिमांड अवधि के दौरान उस से की गई पूछताछ में उस ने जो सच्चाई बताई, उस के अनुसार, उस ने यह काम जिम ट्रेनर अनीश यादव के कहने पर किया था. अनीश ने इस के एवज में उसे डेढ़ लाख रुपए दिए थे.

‘‘यह अनीश यादव कौन है और वह कहां रहता है?’’ मनमोहन कुमार ने पूछा.

‘‘सर, अनीश रवि कुमार की पत्नी सविता का प्रेमी है और वह पालम कालोनी की राजनगर एक्सटेंशन पार्ट-2 में रहता है.’’ प्रेम सिंह ने बताया.

प्रेम सिंह को ले कर पुलिस टीम जिम ट्रेनर अनीश यादव के घर पहुंची तो वह भी घर पर ही मिल गया. उसे थाने ला कर पूछताछ की गई तो रवि कुमार को अनूठे तरीके से मारने की जो कहानी सामने आई, वह प्रेमप्रसंग की चाशनी में सराबोर थी—

सविता दक्षिणीपश्चिमी दिल्ली की पालम कालोनी के राजनगर एक्सटेंशन पार्ट-2 में रहने वाले सुरेशचंद की बेटी थी. सुरेशचंद उत्तर प्रदेश के जिला प्रतापगढ़ के रहने वाले थे. 15-20 साल पहले वह दिल्ली आ गए थे और औटो चलाने लगे थे. बेटी सविता के अलावा उन का एक ही बेटा था, जिस का नाम था बौबी.

छोटा परिवार था. औटो चलाने से जो कमाई होती थी, उस से परिवार का गुजरबसर बड़े आराम से हो जाता था. इसलिए उन्होंने अपने दोनों बच्चों को ठीक से पढ़ायालिखाया. पालम कालोनी में ही नवीन रहता था, जो कालेज में सविता के साथ पढ़ता था. साथ पढ़ने की वजह से दोनों में दोस्ती हो गई थी, जो बाद में प्यार में बदल गई.

राजनगर एक्सटेंशन पार्ट-2 में ही नवीन का दोस्त अनीश रहता था. पढ़ाई के साथसाथ उसे बौडी बनाने का शौक था. इस के लिए वह घंटों जिम में एक्सरसाइज करता था. नवीन ने उसे अपनी प्रेमिका सविता के बारे में सब कुछ बता दिया था. यही नहीं, उस ने सविता से उसे मिलवा भी दिया था. पहली मुलाकात में ही सविता अनीश यादव से प्रभावित हो उठी थी. किसी तरह सविता को अनीश का फोन नंबर मिल गया तो वह उस से फोन पर बातें करने लगी.

अनीश सविता के बात करने का आशय समझ गया. दरअसल सविता का झुकाव नवीन के बजाए अनीश की तरफ हो गया था. दोनों एकदूसरे को प्यार करने लगे थे. नवीन को जब इस बात का पता चला तो उसे दोस्त की बेवफाई का बड़ा दुख हुआ.

अनीश ने एक तरह से नवीन की पीठ में छुरा घोंपा था. इसलिए नवीन ने उस से हमेशा के लिए संबंध खत्म कर लिए. उधर अनीश और सविता एकदूसरे को जीजान से चाहने लगे थे. वे प्यार के उस मुकाम पर पहुंच गए थे, जहां से वापस आना आसान नहीं होता. उन्होंने शादी करने का फैसला कर लिया था. लेकिन वे शादी कोर्ट में करने के बजाए घर वालों की सहमति से सामाजिक रीतिरिवाज से करना चाहते थे.

दोनों ने ही यह बात अपनेअपने घर वालों को कही तो अनीश ने तो किसी तरह अपने घर वालों को राजी कर लिया, पर सविता के घर वाले राजी नहीं हुए. उस की मां तो राजी हो गई थी, पर पिता किसी भी तरह तैयार नहीं हुए. इस की वजह यह थी कि दोनों अलगअलग जाति के थे. सुरेश बेटी सविता की शादी अपनी ही जाति के लड़के से करना चाहते थे.

पिता का यह फरमान सविता को बहुत अखरा. सुरेशचंद्र कैंसर पीडि़त थे. डाक्टरों ने कह दिया था कि वह कुछ ही दिनों के मेहमान हैं. इसलिए सविता जिद कर के पिता के दिल को दुखाना नहीं चाहती थी. यह बात उस ने प्रेमी अनीश को बताई तो अरमानों पर पानी फिरने का उसे भी दुख हुआ. सविता ने घर वालों की मरजी के खिलाफ शादी करने से इनकार कर दिया.

सविता का मानना था कि उस के पिता ज्यादा दिनों के मेहमान तो हैं नहीं, इसलिए उन के गुजर जाने के बाद वह अनीश से शादी कर लेगी. लेकिन अनीश इंतजार करने को तैयार नहीं था. लिहाजा उस ने 29 फरवरी, 2016 को दिल्ली के संगम विहार की एक लड़की से शादी कर ली.

सविता को जब पता चला कि अनीश ने शादी कर ली है तो उसे बड़ा दुख हुआ. उस ने इस बात की शिकायत अनीश से की तो उस ने  कह दिया कि यह शादी घर वालों ने जबरदस्ती की है. इस पर सविता ने मन ही मन ठान लिया कि वह अनीश को किसी और लड़की का नहीं होने देगी.

सविता अनीश की बीवी से मिली और उसे अपने और अनीश के प्रेमसंबंधों के बारे में बता दिया. यही नहीं, उस ने अनीश के साथ के अपने कुछ फोटो भी उसे दिखा दिए. फोटो देख कर अनीश की पत्नी को बहुत गुस्सा आया. शाम को उस ने अनीश से पूछा तो उस ने झूठ बोल दिया.

चूंकि वह सविता के साथ उस के फोटो देख चुकी थी, इसलिए वह उस पर भड़क उठी. दोनों के बीच जम कर नोकझोंक हुई. इस का नतीजा यह निकला कि अनीश की नवविवाहिता उसे छोड़ कर मायके चली गई. वह आज तक लौट कर ससुराल नहीं आई है.

अनीश की पत्नी के चली जाने से सविता बहुत खुश हुई, क्योंकि उस के और अनीश के बीच जो दीवार खड़ी हो गई थी, वह गिर चुकी थी. लिहाजा दोनों के बीच फिर पहले की तरह संबंध हो गए. पर ये संबंध ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रह सके. सविता के पिता की हालत दिनबदिन बिगड़ती जा रही थी. उन की इच्छा थी कि अपने जीतेजी वह सविता के हाथ पीले कर दें.

किसी रिश्तेदार से उन्हें रवि कुमार के बारे में पता चला. रवि कुमार उत्तर प्रदेश के जिला मैनपुरी के कुआंगई गांव के रहने वाले प्रमोद कुमार का बेटा था. प्रमोद कुमार सेना से रिटायर होने के बाद कानपुर की किसी कंपनी में नौकरी कर रहे थे. रवि कुमार दिल्ली के सदर बाजार स्थित कोटक महिंद्रा बैंक में कैशियर था.

लड़की लड़का पसंद आने के बाद सुरेशचंद्र और प्रमोद कुमार ने बातचीत कर के 13 जुलाई, 2016 को सामाजिक रीतिरिवाज से उन की शादी कर दी. हालांकि सविता अनीश से ही शादी करना चाहती थी, लेकिन रिश्ता तय होने के बाद पिता की भावनाओं को ठेस पहुंचाना उस ने उचित नहीं समझा. शादी के बाद वह मैनपुरी स्थित अपनी ससुराल चली गई.

शादी के बाद सविता ने अनीश से संबंध खत्म कर लिए और पूरी तरह से ससुराल में रम गई. उस की शादी हो जाने से अनीश जल बिन मछली की तरह तड़पने लगा. सविता की वजह से ही उस की बसीबसाई गृहस्थी उजड़ी थी और अब वही उसे धोखा दे कर चली गई थी. इस का उसे बड़ा दुख हुआ.

अनीश ने सविता से बात की तो उस ने उसे अपनी मजबूरी बता दी. उस ने पति के बारे में सब कुछ बता कर वाट्सएप से उस का फोटो भी भेज दिया. जबकि वह उस की एक भी बात सुनने को तैयार नहीं था. उस ने सविता पर पति से तलाक लेने का दबाव बनाया, लेकिन वह तैयार नहीं हुई. कुल मिला कर किसी भी तरह से वह पति को छोड़ने को तैयार नहीं थी.

अनीश तो सविता के प्यार में जैसे पागल था. उस के बिना हर चीज उसे बेकार लगती थी. उस ने सदर बाजार जा कर एक बार रवि कुमार से मुलाकात भी की. उस ने उसे अपने और सविता के प्यार के बारे में बता भी दिया. इस पर रवि ने उस से कहा कि सविता शादी से पहले क्या करती थी, इस से उसे कोई मतलब नहीं है. वह उस के अतीत को नहीं जानना चाहता, अब वह उस की पत्नी है और अपनी जिम्मेदारियां ठीक से निभा रही है.

अनीश को रवि कुमार की बातों पर हैरानी हुई. वह सोचने लगा कि यह कैसा आदमी है, जो पत्नी की सच्चाई जान कर भी चुप है. बहरहाल निराश हो कर वह घर लौट आया. कहते हैं, जिम करने से ब्रेकअप का दर्द कम हो जाता है, पर अनीश तो खुद जिम टे्रनर था. इस के बावजूद वह सविता से बिछुड़ने की पीड़ा नहीं भुला पा रहा था. वह सविता को पाने के उपाय खोजने लगा.

ऐसे में ही उस के दिमाग में आइडिया आया कि अगर वह रवि की हत्या करा दे तो सविता उसे मिल सकती है. यही उसे उचित लगा. वह रवि को ठिकाने लगाने का ऐसा उपाय खोजने लगा, जिस से उस पर कोई आंच न आए. वह तरीका कौन सा हो सकता है, इस के लिए वह इंटरनेट पर सर्च करने लगा. उस ने तमाम तरीके देखे, पर हर तरीके में बाद में कातिल पकड़ा गया था.

वह ऐसे तरीके की तलाश में था, जिस में कातिल पकड़ा न गया हो. इंटरनेट पर महीनों की सर्च के बाद आखिर उसे वह तरीका मिल गया. लंदन और जर्मनी में 2 हत्याएं हुई थीं, जो पिन चुभो कर की गई थीं. पिन द्वारा जहर उन के शरीर में पहुंचाया गया था और वे मर गए थे. ठीक इसी तरह शीतयुद्ध के दौरान बुल्गारिया के रहने वाले बीबीसी के पत्रकार जर्जेई मर्कोव की हत्या की गई थी.

मर्कोव कम्युनिस्टों की निगाह में था. उन्होंने उसे मारने का फतवा भी जारी किया था. मर्कोव बस में जा रहा था, तभी एक हट्टेकट्टे आदमी ने एक छाता उस के ऊपर गिरा दिया था. इस के लिए उस आदमी ने मर्कोव से सौरी भी कहा था. मर्कोव ने भी सोचा कि छाता गलती से गिर गया होगा. लिहाजा उस ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया.

मर्कोव की जांघ में कुछ चुभा था, जहां उस ने हाथ से मसला भी था. 3 दिनों बाद उसे बहुत तेज बुखार आया और वह मर गया. यह बात सन 1978 की थी. जेम्स बौंड स्टाइल में उस छाते के पिन में रिसिन जहर लगाया गया था. रूस की खुफिया एजेंसी केजीबी ने इसे ईजाद किया था.

इस मामले में कोई पकड़ा नहीं जा सका था. इटली के जासूस पिकोडिली पर आरोप लगा था, पर कुछ साबित नहीं हो पाया था. मर्कोव खुद भी एक कैमिकल इंजीनियर था. अनीश को यह तरीका सब से अच्छा लगा.

इस के बाद वह ऐसे व्यक्ति को खोजने लगा, जो उस का यह काम कर सके. वह जहर कहां से लाए, यह भी उस के लिए समस्या थी. इस के लिए वह किसी डाक्टर की तलाश करने लगा, क्योंकि पढ़ाई के दौरान डाक्टरों को जहर के बारे में भी पढ़ाया जाता है. कोई डाक्टर उस का यह काम करने को तैयार हो जाएगा, इस बात का शंशय उस के मन में था. अनीश का एक दोस्त था डा. प्रेम सिंह. वह फिजियोथैरेपिस्ट था. प्रेम सिंह जालौन का रहने वाला था. करीब 4 साल पहले वह दिल्ली आया था. गाजियाबाद के एक इंस्टीट्यूट से फिजियोथैरेपिस्ट का कोर्स करने के बाद द्वारका के पालम विहार में उस ने अपना क्लीनिक खोला था, पर उस का काम ज्यादा अच्छा नहीं चल रहा था.

अनीश के घर के पास डा. प्रेम सिंह किसी के यहां फिजियोथैरेपी करने आता था. तभी उस की मुलाकात अनीश से हुई. अनीश भी जिम ट्रेनर था, इसलिए दोनों में दोस्ती हो गई. अपना काम कराने के लिए अनीश को प्रेम सिंह ही उचित लगा. एक दिन उस ने अपने प्रेम विरह की पीड़ा प्रेम सिंह से बता कर बीबीसी पत्रकार जर्जेई मर्कोव की तरह रवि कुमार की हत्या करने को कहा.

पढ़ाई और क्लीनिक खोलने के लिए प्रेम सिंह पर कुछ लोगों का कर्ज हो गया था. उसे पैसों की सख्त जरूरत थी. हत्या करने का जो प्लान अनीश ने उसे बताया था, उस में उस के फंसने की संभावना काफी कम थी. इसी बात को ध्यान में रख कर उस ने कहा कि इस काम को वह खुद तो नहीं करेगा, पर किसी से करवा जरूर देगा. आखिर 3 लाख रुपए में बात तय हो गई. अनीश ने डेढ़ लाख रुपए उसे एडवांस दे भी दिए.

पैसे लेने के बाद प्रेम सिंह सितंबर, 2016 में अपने गांव गया. उस के गांव के बाहर सपेरों के डेरे थे. उस ने एक सपेरे से कोबरा सांप का जहर मांगा तो उस ने उसे 7 सौ रुपए में एक, सवा एमएल जहर उसे एक सिरिंज में निकाल कर दे दिया. प्रेम सिंह जानता था कि कभीकभी सांप के जहर से भी इंसान बच जाता है.

इसलिए सांप के जहर में वह दूसरे जहर मिलाना चाहता था. उस में क्या मिलाया जाए, इस के लिए वह गूगल पर सर्च करने लगा. सर्च कर के उसे मिडाजोलम और फोर्टविन नाम की 2 दवाओं की जानकारी मिली. इन की अधिक मात्रा आदमी के लिए जानलेवा साबित होती है. इन में से फोर्टविन तो केमिस्ट के पास मिल जाती है, पर मिडाजोलम बडे़ अस्पतालों में ही मिलती है.

अनीश से पैसे ले कर प्रेम सिंह गांव में ही रुका था. जबकि अनीश फोन कर के काम जल्द करने को कह रहा था. वह कह रहा था कि अगर उस से काम नहीं हो रहा तो वह उस के पैसे लौटा दे. दबाव बढ़ने पर वह दिल्ली आ गया.

प्रेम सिंह का एक रिश्तेदार एम्स में भरती था. वह उसे देखने एम्स गया तो वहां टेबल पर उसे मिडाजोलम की शीशी दिखाई दी. 5 एमएल दवा का इंजेक्शन मरीज को लगा दिया गया था. उस में एक एमएल दवा बाकी थी. प्रेम सिंह ने उस शीशी को जेब में रख लिया. फोर्टविन उस ने एक केमिस्ट से खरीद ली. इस के बाद उस ने एक सिरिंज में कोबरा सांप का जहर, फोर्टविन और मिडाजोलम को मिला कर रख दिया.

इस के बाद वह अनीश के साथ रवि कुमार की रैकी करने लगा. 25 अक्तूबर, 2016 को दोनों ने उस का पीछा किया. उस दिन वह बिंदापुर में अपने चचिया ससुर से मिल कर लौट रहा था. जैसे ही वह औटो में बैठा, प्रेम सिंह ने इंजेक्शन लगाने के लिए सुई उस के हाथ में घुसेड़ी. सुई चुभते ही उस ने अपना हाथ घुमाया तो सुई हाथ से निकल गई. इस तरह वह उसे इंजेक्शन नहीं लगा सका.

रवि कुमार ने शोर मचाया तो प्रेम सिंह भीड़ का फायदा उठा कर जहर की सिरिंज ले कर भाग खड़ा हुआ. इस के बाद प्रेम सिंह चौकन्ना हो गया. लेकिन वह समझ नहीं पाया था कि उसे सुई लगाने वाला आखिर कौन था? उस की उस ने पुलिस में शिकायत भी नहीं की थी.

वारदात को कैसे अंजाम दिया जाए, इस बारे में प्रेम सिंह और अनीश की बात होती रहती थी. दोनों ने तय किया कि रवि कुमार ड्यूटी खत्म करने के बाद बाहर निकले तो उसे ऐसी जगह इंजेक्शन लगाया जाए कि वह जीवित न बचे. दोनों मौके की तलाश में लगे रहे. उन्हें लगा कि यह काम सदर बाजार में करना आसान रहेगा, क्योंकि वह भीड़भाड़ इलाका है.

वारदात को अंजाम देने के मकसद से 7 जनवरी, 2017 को अनीश और प्रेम सिंह द्वारका से मैट्रो पकड़ कर आर.के. आश्रम स्टेशन पर पहुंचे. वहां से ई-रिक्शा द्वारा वे सदर बाजार में बाराटूटी चौक पर पहुंचे. अनीश ने वहीं पर प्रेम सिंह को एक बोतल बीयर पिलाई. इस के बाद वे कोटक महिंद्रा बैंक की उस शाखा के नजदीक पहुंच गए, जहां रवि कुमार नौकरी करता था.

शाम सवा 7 बजे के करीब रवि कुमार अपने सहकर्मी शतरुद्र के साथ बैंक से निकला तो प्रेम सिंह उस के पीछे लग गया. जबकि अनीश वहीं खड़ा रहा. प्रेम सिंह को वेस्ट एंड सिनेमा के नजदीक जैसे ही मौका मिला, उस ने रवि की गरदन में फुरती से जहर का इंजेक्शन लगा दिया. इस बार उस ने इंजेक्शन का सारा जहर रवि के शरीर में पहुंचा दिया था.

इस के पहले अप्रैल, 2016 में चैन्नै में एक बिजनैसमैन पकड़ा गया था, जिस ने सन 2015 में इसी अंदाज में 3 लोगों को इंजेक्शन लगा कर मारा था. पहले उस ने इंजेक्शन कुत्तों पर ट्राई किए थे. इंजेक्शन को वह छाते में छिपा कर रखता था. छाते को वह जांघ में छुआ देता था. मरने वाले उन 3 लोगों में एक उस का साला भी था.

अनीश ने इंटरनेट पर महीनों तक सर्च करने के बाद रवि कुमार को मारने का जो उपाय खोजा, आखिर उस से उसे क्या हासिल हुआ? अपने किए अपराध में वह जेल तो पहुंच ही गया, साथ ही उस ने सविता की हंसतीखेलती गृहस्थी भी उजाड़ दी. प्रेम सिंह ने डाक्टर होने के बावजूद अपने पेशे को बदनाम कर के जो कृत्य किया, वह निंदनीय है. पैसे के लालच में वह अपना फर्ज भी भूल गया.

बहरहाल, थाना सदर बाजार पुलिस ने डा. प्रेम सिंह और जिम ट्रेनर अनीश यादव को गिरफ्तार कर के तीसहजारी न्यायालय में महानगर दंडाधिकारी सचिन सांगवान की कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. केस की तफ्तीश इंसपेक्टर मनमोहन कुमार कर रहे हैं.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित, सविता परिवर्तित नाम है.

परपुरुष की बांहों में सुख की तलाश

कुलदीप सिंह को गायब हुए पूरे 2 हफ्ते गुजर चुके थे. उस का फोन भी बंद बता रहा था. उस की पत्नी कमलजीत कौर से जब कोई उस के बारे में पूछता तो वह यही कह देती कि वह नौकरी के लिए नोएडा गया है. कुलदीप नौकरी के लिए गया है तो उस का फोन क्यों बंद है? यह बात उस की बहन सुखमिंदर की समझ में नहीं आ रही थी.

उस ने भाई को हर संभावित जगह पर तलाशा, पर उस का कुछ पता नहीं चला. जब वह हर जगह कोशिश कर के थक गई तो पति देविंदर सिंह को साथ ले कर थाना दोराहा पहुंच गई. यह 22 मई, 2017 की बात है.

सुखमिंदर ने थानप्रभारी अश्वनी कुमार को बताया कि 7 मई, 2017 को उस का भाई कुलदीप यह कह कर घर से गया था कि वह अपने दोस्त हरप्रीत के साथ नौकरी के लिए नोएडा जा रहा है. हरप्रीत तो लौट आया, पर कुलदीप का कुछ पता नहीं है. हरप्रीत का कहना है कि नौकरी की बात कर के कुलदीप उसे छोड़ कर न जाने कहां चला गया था. कुलदीप का फोन भी बंद है.

पुलिस ने सुखमिंदर की शिकायत पर कुलदीप की गुमशुदगी दर्ज कर के उस की तलाश शुरू कर दी.

पंजाब के जिला लुधियाना की तहसील दोराहा के गांव बिलासपुर के रहने वाले सज्जन सिंह के 2 बच्चे थे, बेटा कुलदीप सिंह और बेटी सुखमिंदर कौर. सीधेसादे और साधारण आर्थिक स्थिति वाले सज्जन सिंह बच्चों को अधिक पढ़ा नहीं पाए. बच्चे बड़े हुए तो उन्होंने दोनों की शादियां कर दी.

बेटी सुखमिंदर की शादी जिला संगरूर के गांव बादशाहपुर मंडियाला के रहने वाले देविंदर सिंह से की थी. वह अपने पति के साथ खुश थी. इस के बाद 30 सितंबर, 2007 को बेटे कुलदीप की शादी मलहोद के लिहल गांव के रहने वाले दर्शन सिंह की बेटी कमलजीत कौर के साथ कर दी थी.

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शादी के बाद कुछ सालों तक तो कुलदीप और कमलजीत कौर ठीकठाक से रहे. उन के 2 बेटे भी हुए, गुरचरण सिंह और हर्षवीर सिंह. लेकिन बाद ही में दोनों के बीच तूतूमैंमैं होने लगी. इस की वजह यह थी कि कुलदीप के पास कोई स्थाई काम नहीं था. उस के पिता के पास जो थोड़ी जमीन थी, उसे उन्होंने बच्चों के पालनपोषण और उन की शादीब्याह के समय बेच दी थी. इसीलिए कुलदीप छोटामोटा काम कर के किसी तरह घर चला रहा था.

थानाप्रभारी अश्वनी कुमार ने एएसआई जसविंदर सिंह, तेजा सिंह, हवलदार लखवीर सिंह, सुरजीत सिंह, सिपाही गुरप्रीत सिंह और नवजीत सिंह की एक टीम बनाई और लापता कुलदीप सिंह और घर से गायब हरप्रीत की तलाश में लगा दी. कुछ मुखबिरों को भी उन्होंने कमलजीत कौर के चालचलन के बारे में पता लगाने के लिए लगा दिया था, क्योंकि सुखमिंदर कौर ने पुलिस को यह भी बताया था कि उस की भाभी कमलजीत कौर का चालचलन ठीक नहीं है.

इसीलिए अश्वनी कुमार कुलदीप की पत्नी कमलजीत कौर के चरित्र के बारे में जानना चाहते थे. पुलिस की जांच और मुखबिरों द्वारा दी गई सूचना से कमलजीत कौर के बारे में काफी चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं. इस के बाद थानाप्रभारी ने कमलजीत कौर को पूछताछ के लिए सिपाही भेज कर थाने बुलवा लिया.

सिपाही जिस समय कमलजीत कौर के घर पहुंचे थे, वह कपड़े वगैरह बांध कर कहीं भागने की तैयारी में थी. सिपाही कमलजीत कौर को जिस समय थाने ले कर पहुंचे, इत्तफाक से उस समय एसपी नवजोत सिंह माहल भी थाना दोराहा आए हुए थे. अश्वनी कुमार ने महिला हवलदार सतजीत कौर की मदद से एसपी के सामने कमलजीत कौर से पूछताछ शुरू की. सख्ती से की गई पूछताछ में कमलजीत कौर ने स्वीकार कर लिया कि हरप्रीत से उस के नाजायज संबंध हैं.

कुलदीप सिंह के बारे में पूछने पर कमलजीत कौर ने बताया कि 7 मई को रात करीब 10 बजे हरप्रीत उसे यह कह कर अपने साथ ले गया था कि वह उस की नोएडा में नौकरी लगवा देगा. उस के बाद वे दोनों कहां गए, यह उसे पता नहीं है.

‘‘तुम्हारा पति 7 मई से लापता है और तुम ने न तो उसे ढूंढने की कोशिश की और न ही पुलिस को सूचना दी. तुम झूठ बोल रही हो. सचसच बताओ कि वह कहां है?’’ अश्वनी कुमार ने पूछा.

कमलजीत कौर पर सख्ती की गई तो उस ने कुलदीप के बारे में तो कुछ नहीं बताया, पर हरप्रीत के बारे में बता दिया कि वह कहां मिलेगा. पुलिस टीम तुरंत उस के बताए पते पर पहुंची, जहां वह एक दोस्त के घर छिपा बैठा था. पुलिस उसे हिरासत में ले कर थाने आ गई. थाने में कमलजीत कौर को बैठी देख कर उस की सिट्टीपिट्टी गुम हो गई.

इस के बाद उस ने बिना किसी हीलहुज्जत के अपना अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि उस ने अपने एक दोस्त रोशन के साथ मिल कर कुलदीप की हत्या 7 मई की रात कर दी थी. हत्या की योजना में कमलजीत कौर भी शामिल थी. इस के बाद पुलिस ने कमलजीत कौर से भी पूछताछ की. तो उस ने सारी सच्चाई बता दी.

पुलिस ने दोनों को उसी दिन लुधियाना की सक्षम अदालत में पेश कर 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड में की गई पूछताछ में कुलदीप सिंह के लापता होने से ले कर उस की हत्या तक की जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार थी—

2 बच्चों की मां होने के बावजूद कमलजीत कौर की सुंदरता में कोई कमी नहीं आई थी, बल्कि शरीर भर जाने से वह और ज्यादा सुंदर लगने लगी थी. उसे देख कर बिलकुल नहीं लगता था कि वह 2 बच्चों की मां है. वह हंसमुख स्वभाव की ऐसी खूबसूरत युवती थी, जिस की सूरत और शरीर से ही कामुकता झलकती थी.

गांव में शादी के एक समारोह में कमलजीत कौर की आंखें गांव के ही नौजवान हरप्रीत सिंह से लड़ गईं. हरप्रीत कमलजीत की सहेली का भाई था. हालांकि वह हरप्रीत को पहले से जानती थी, लेकिन उस दिन उन की जो आंखें लड़ी थीं, उन में चाहत थी.

समारोह के बाद जब हरप्रीत घर पहुंचा तो कमलजीत की याद में उसे नींद नहीं आई. अगले दिन वह मिठाई देने के बहाने कमलजीत के घर जा पहुंचा. कमलजीत भी जैसे पलकें बिछाए उसी का इंतजार कर रही थी. खुले दिल से अपनी बांहें फैला कर उस ने हरप्रीत का स्वागत किया. उस समय घर पर कोई नहीं था. कुलदीप अपने काम पर गया था और दोनों बच्चे स्कूल गए थे. घर पर अकेली कमलजीत कौर ही थी.

दुनिया भर के जितने भी नाजायज काम या अपराध होते हैं, वे एकांत मिलते ही अंगड़ाइयां लेने लगते हैं. कमलजीत और हरप्रीत के साथ भी उस दिन ऐसा ही हुआ. चाहत की आग दोनों ओर से बराबर लगी थी, जो एकांत मिलते ही भड़क उठी. दोनों ही दुनियाजहान से बेखबर एकदूजे की बांहों में समा गए. जब अलग हुए तो दोनों मर्यादा लांघ चुके थे.

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समय के साथ कमलजीत कौर और हरप्रीत के नाजायज संबंध गहराते गए. स्थिति यह आ गई कि दोनों साथ जीनेमरने की कसमें खाने लगे. दूसरी ओर कुलदीप को पता नहीं था कि उस की पीठ पीछे घर में पत्नी क्या गुल खिला रही है. बाद में जब कुलदीप को इस बात की खबर लगी, तब तक पानी सिर के ऊपर से गुजर चुका था.

पत्नी की बेवफाई सुन कर कुलदीप का दिल टूट गया. वह समझ नहीं पा रहा था कि आखिर उस के प्यार में ऐसी क्या कमी रह गई, जो दोदो बच्चे होने के बावजूद कमलजीत को यह कदम उठाना पड़ा.

हरप्रीत अच्छी तरह जानता था कि कमलजीत कौर शादीशुदा औरत है. इस के बावजूद वह उसे जीजान से चाहता था. हरप्रीत दूसरी जाति का था, इस के बावजूद कमलजीत कौर एक दिन के लिए भी उस से जुदा नहीं होना चाहती थी. एक दिन उस ने रुआंसी हो कर कहा, ‘‘हरप्रीत, इस समय मेरी स्थिति 2 नावों पर सवारी करने जैसी है. इस स्थिति से अच्छा है मैं मर जाऊं.’’

हरप्रीत उस की बात समझ गया. उस ने उसे प्यार से समझाते हुए कहा, ‘‘तुम चिंता मत करो, जल्दी ही मैं कोई रास्ता निकालता हूं.’’

‘‘तुम हमेशा यही कहते हो. आज साफसाफ बता दो कि तुम मुझे अपनाओगे या फिर मैं कोई और रास्ता देखूं?’’

‘‘इस का मतलब तो यह हुआ कि कुलदीप को रास्ते से हटाना पड़ेगा.’’

‘‘जो करना है, जल्दी करो.’’ कमलजीत कौर ने कहा.

फिर उसी दिन कुलदीप की हत्या की योजना बन गई. 7 मई, 2017 की शाम को जब कुलदीप घर लौटा तो कमलजीत कौर ने कहा, ‘‘हरप्रीत, तुम्हें दिल्ली के पास स्थि त नोएडा में 15 हजार रुपए महीने की नौकरी दिलवा रहा है. वह कह रहा था कि 10 हजार रुपए महीने ऊपर से भी बन जाया करेंगे.’’

‘‘अरे ऊपर की गोली मारो, हमारे लिए तनख्वाह ही बहुत है.’’ पत्नी की भावनाओं से अंजान कुलदीप उस की बातों में आ गया. कुछ देर बाद ही हरप्रीत आया और कुलदीप को अपने साथ ले कर चला गया.

हरप्रीत पहले उसे अपने घर ले गया. घर से उस ने अपनी काले रंग की पल्सर मोटरसाइकिल नंबर पीबी10जी ई6790 उठाई और उस पर कुलदीप को बैठा कर अपने दोस्त रोशन के घर पहुंचा. रोशन को साथ ले कर तीनों दोराहा अड्डे पर पहुंचे, जहां उन्होंने शराब पी.

योजना के अनुसार, उन्होंने कुलदीप को अधिक शराब पिलाई. उसी बीच कुलदीप ने हरप्रीत का मोबाइल फोन ले कर अपनी बहन सुखमिंदर कौर को फोन कर के बताया कि वह हरप्रीत के साथ नौकरी के लिए नोएडा जा रहा है. यह सुन कर सुखमिंदर कौर ने उसे हरप्रीत सिंह के साथ कहीं भी जाने से मना किया. उस समय कुलदीप नशे में था, इसलिए बहन की बातों पर उस ने ध्यान नहीं दिया.

कुलदीप को नशा चढ़ गया तो रोशन और हरप्रीत ने उसे मोटरसाइकिल पर बीच में बैठाया और सरहिंद नहर के ऊपर बने फिलोटिंग रेस्टोरेंट के किनारे नहर के साथसाथ काफी दूर तक ले गए. रात होने की वजह से वहां सन्नाटा पसरा था.

एक जगह मोटरसाइकिल रोक कर दोनों उतरे और नशे में धुत कुलदीप को भी उतार कर उस के गले में साथ लाई रस्सी लपेट कर कस दी. कुछ ही देर में कुलदीप की मौत हो गई. वह गिर गया तो उन्होंने उस की लाश उठा कर सरहिंद नहर में फेंक दी. इस के बाद रोशन अपने घर चला गया तो हरप्रीत कमलजीत कौर के पास.

6 दिनों बाद 13 मई को पटियाला की थाना पसियाना पुलिस ने कुलदीप की लाश नहर से बरामद कर की थी, पर शिनाख्त न होने की वजह से लावारिस मान कर उस का अंतिम संस्कार कर दिया था. दोराहा पुलिस कुलदीप की लाश खोजते हुए थाना पसियाना पहुंची तो उस ने 13 मई को एक लाश मिलने की जानकारी दी. जब उस लाश के फोटो सुखमिंदर कौर को दिखाए गए तो उस ने उस की पुष्टि अपने भाई कुलदीप के रूप में की.

हरप्रीत और कमलजीत से पूछताछ के बाद पुलिस ने तीसरे आरोपी रोशन को भी गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस ने उन की निशानदेही पर पल्सर मोटरसाइकिल, हत्या में प्रयुक्त रस्सी और 2 मोबाइल फोन बरामद कर लिए थे. रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद पुलिस ने भादंवि की धारा 302, 201, 34 के तहत गिरफ्तार कमलजीत कौर, हरप्रीत और रोशन को 24 मई, 2017 को न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक तीनों आरोपी जेल में थे. उन की जमानतें नहीं हो सकी थीं.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

दिल्ली के पंचशील पार्क में एक्ट्रेस के घर हुई चोरी

बौलीवुड की मशहूर मौडल व टीवी अभिनेत्री अपर्णा कुमार के दिल्ली स्थित घर से लाखों की हीरे जड़ित जूलरी, कैश समेट कर नर्स फरार हो गई. मालवीय नगर के पंचशील पार्क में अभिनेत्री के बुजुर्ग माता पिता अकेले रहते हैं. इतना ही नहीं, बुजुर्ग के अकाउंट से भी लाखों का कैश ट्रांजेक्शन कर लिया गया.

अपर्णा मुंबई में रहती हैं. उनकी देखभाल के लिए अपर्णा ने घर में नर्स रखी हुई थी जो कि मेड के तौर पर भी जौब करती थी. घटना की जानकारी मिलते ही अपर्णा मुंबई से फौरन दिल्ली पहुंची और मालवीय नगर थाने में इस बाबत केस दर्ज कराया.

फिलहाल एक टीम गायब मेड की तलाश में वेस्ट बंगाल भेजी है. मामले में सभी पहलुओं से जांच चल रही है.

पुलिस के मुताबिक, 74 साल के अरुण कुमार व मां सावित्री गुप्ता एस ब्लॉक में रहते हैं. अंजलि नाम की युवती घर में मेड व नर्स के तौर पर जौब पर रखी हुई थी. अपर्णा मुंबई में रहते हुए इन दिनों शूटिंग में बिजी हैं. कुछ दिनों से तबियत ठीक नहीं रहने की वजह से अपर्णा मुंबई से दिल्ली पैरंट्स को देखने आईं. लेकिन घर पहुंचने पर देखा कि मेड गायब है.

अगली सुबह सावित्री नगर स्थित मेड के घर पर अपर्णा पहुंची. जहां मालूम चला कि वह परिवार के साथ कमरा खाली करके कोलकाता जाने की बात कहकर निकली है. बिना बताए इस तरह गायब होने पर शक हुआ.

घर आकर देखा अलमारी से हीरे जड़ित 4 सोने के कड़े, ईयर रिंग, गोल्ड चैन व तमाम जूलरी समेत 5 लाख कैश गायब है. इसके बाद पता चला कि मां के बैंक अकाउंट से भी 4 लाख की ट्रांजेक्शन हुई है.

अपर्णा ने पुलिस को बताया कि उनके पैरंट्स कभी भी औनलाइन बैंकिंग नहीं करते. वहीं पुलिस ने जांच पड़ताल की तो मालूम चला कि मेड को कोई वेरिफिकेशन भी नहीं कराया गया था. इस बारे में मालवीय नगर पुलिस सीसीटीवी कैमरों की मदद भी ले रही है.

अनजान फेसबुक फ्रेंड रिक्वेस्ट से रहें सावधान..!

चंडीगढ़ की एक युवती को फेसबुक पर विदेशी ‘हैंडसम’ की फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट करना भारी पड़ गया. पहले कीमती गिफ्ट भेजने, फिर विदेश से भारत आकर पैरंट्स से मुलाकात करने का झांसा देकर करीब साढ़े छह लाख रुपये ऐंठ लिए गए. न गिफ्ट मिला, न परदेसी से मुलाकात हुई. युवती ने स्पेशल सेल की साइबर सेल में पूरे घटनाक्रम का ब्योरा देते हुए कंप्लेंट दी.

पुलिस के मुताबिक, 26 साल की युवती मूलरूप से हरियाणा के सिरसा की रहने वाली है. वह चंडीगढ़ में जौब करती है. कुछ महीने पहले युवती की फेसबुक पर जौहन हैरी से दोस्ती हुई. फेसबुक से चैट वौट्सऐप पर पहुंच गई. युवक शादी की बात कहने लगा. इसके बाद उसने युवती से कहा कि वह गिफ्ट लाया है, जो उसे भेजना चाहता है. जौहन ने युवती को जूलरी और विदेशी मुद्रा से भरा पैकेट भेजने का झांसा दिया.

युवती के मोबाइल पर कौल आई. कौलर ने कहा कि वह मुंबई एयरपोर्ट कस्टम विभाग से बोल रहा है. गिफ्ट के लिए 35 हजार रुपये टैक्स भरना होगा. युवती ने बताए गए बैंक अकाउंट में कैश जमा करा दिया. फिर कौल आई कि और डेढ़ लाख रुपये देने होंगे. युवती ने वह भी दे दिए.

जौहन ने कहा कि वह कुछ दिनों में आ रहा है. उसने टिकट की फोटोकौपी भी दिखाई. तय तारीख पर युवती के पास एक मैडम की कौल आई. उन्होंने कहा कि वह मुंबई एयरपोर्ट से बोल रही हैं. मैडम ने बताया कि जौहन 50 हजार पाउंड लेकर आया है. एक्सचेंज कराने के लिए 2.10 लाख जमा करने होंगे. युवती ने रकम जमा करा दी.

कुछ घंटे बाद जौहन की कौल आई. उसने कहा कि दिल्ली एयरपोर्ट आ चुका है, लेकिन इमीग्रेशन वाले निकलने नहीं दे रहे हैं. पाउंड के बदले ढाई लाख रुपये की डिमांड कर रहे हैं. युवती ने फिर पैसे जमा करा दिए. इसके बाद जौहन भाग गया. उसका नंबर भी बंद हो गया.

अय्याशी की चाहत बनी आफत

मालदार और रसूखदार लोग पैसों के दम पर दुनिया की हर चीज खरीद सकते हैं लेकिन उन की जिंदगी में जरूरी नहीं  कि सैक्स सुख भी वैसा ही हो जैसा कि वे चाहते हैं. पैसे से सैक्स सुख हासिल करना कितना महंगा पड़ता है, यह आएदिन उजागर होता रहता है.

लेकिन यह अंदाजा कोई नहीं लगा पाएगा कि सैक्स सुख जान जाने की वजह भी बन सकता है. लोग यहीं तक उम्मीद कर सकते हैं कि जो पैसे वाले सैक्स का मजा लेने बाजार जाते हैं, पकड़े जाने पर उन के हिस्से में बदनामी ही आती है और एहतियात न बरतें तो उन्हें ब्लैकमेल भी होना पड़ता है, लेकिन मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के छतरपुर जिले की इस वारदात ने सभी को चौंका दिया कि ऐसा भी हो सकता है.

दास्तां एक सेठ की

आनंद जैन उर्फ सुकुमाल जैन मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के छतरपुर जिले के जानेमाने लोहा व्यापारी थे.

50 साला इस अधेड़ के पास करोड़ों की दौलत थी और शहर में अच्छीखासी इज्जत भी थी. धार्मिक इमेज वाले आनंद जैन रोजाना मंदिर जाते थे. यहां तक कि रात को दुकान बंद करने के बाद भी वे शहर की पहाड़ी पर बने मंदिर में दर्शन करते हुए घर जाते थे.

9 अक्तूबर, 2018 की रात आनंद जैन की हत्या उन की ही दुकान में हो गई, तो शहरभर में सनाका खिंच गया. उस रात वे घर वालों को ‘थोड़ी देर में वापस आता हूं’ कह कर कहीं चले गए थे.

देर रात तक जब आनंद जैन नहीं लौटे तो घर वालोें को चिंता हुई, क्योंकि बारबार फोन करने पर भी उन का मोबाइल नंबर नहीं लग रहा था.

उन का जवान बेटा पीयूष जैन ढूंढ़ता हुआ दुकान में पहुंचा तो वहां उस ने पिता की खून से लथपथ लाश देखी.

सदमे में आ गए पीयूष जैन ने खुद को संभालते हुए पिता की हत्या की खबर पुलिस और दूसरे जानपहचान वालों को दी तो भीड़ इकट्ठा होना शुरू हो गई.

पुलिसिया जांच में लाश के पास एक हथौड़ा पड़ा मिला जिस से अंदाजा यह लगाया गया कि उसी से हत्यारे ने उन की हत्या की होगी, क्योंकि आनंद जैन का सिर किसी तरबूज की तरह फटा हुआ था.

दुकान की तलाशी लेने पर जो चौंका देने वाली चीजें बरामद हुईं वे थीं औरतों की पहनने वाली एक ब्रा और एक इस्तेमाल किया हुआ कंडोम जिस में वीर्य भरा हुआ था.

ये चीजें हालांकि उन की इज्जतदार और धार्मिक इमेज से मेल खाती हुई नहीं थीं, लेकिन यह अंदाजा लगाना पुलिस वालों की मजबूरी हो गई थी कि जरूर आनंद जैन ने किसी कालगर्ल को बुलाया होगा और उस से किसी बात पर झगड़ा हुआ होगा जो उन की बेरहमी से की गई हत्या की वजह बना, लेकिन जब सच सामने आया तो हर कोई चौंक पड़ा.

यह थी लत

आनंद जैन के मोबाइल फोन के सहारे पुलिस ने चंद घंटों में ही कातिल को ढूंढ़ निकाला जिस के नंबर पर उन की अकसर रात को ही देर तक बातें होती रहती थीं.

वह कातिल एक बेरोजगार नौजवान राजेश रैकवार था जिस की हैसियत राजा भोज जैसे आनंद जैन के सामने गंगू तेली सरीखी भी नहीं थी. पुलिस उसे गिरफ्तार करने तो शक की बिना पर गई थी लेकिन पुलिस वालों को देखते ही उस के होश फाख्ता हो गए और मामूली पूछताछ में ही उस ने खुद मान लिया कि आनंद जैन की हत्या उस ने ही की है.

हत्या क्यों की? इस सवाल के जवाब में राजेश ने जो बताया वह और भी हैरान कर देने वाला था.

बकौल राजेश, ‘‘आनंद जैन उस के साथ सैक्स करते थे और इस के एवज में उसे हर बार के 400 रुपए देते थे.’’

राजेश के मुताबिक, वह कुछ दिनों पहले ही काम मांगने के लिए आनंद जैन की दुकान पर गया था. काम देने में तो उन्होंने मजबूरी जता दी लेकिन उस के हाथ में खर्चे के लिए 200 रुपए रख दिए थे.

राजेश इस बात पर हैरान हुआ था क्योंकि वह जहां भी काम मांगने जाता था वहां लोग उसे झिड़क कर भगा देते थे और 200 रुपए तो दूर की बात है, 2 रुपए भी नहीं देते थे. जितनी इज्जत इन सेठजी ने दी थी, उतनी आज तक किसी बड़े आदमी ने उसे नहीं दी थी.

ज्यादा हैरानी की बात तो यह थी कि इस के एवज में सेठजी उस से कोई हम्माली या बेगारी नहीं करवा रहे थे बल्कि जातेजाते उन्होंने कहा था कि जब भी पैसों की जरूरत पड़े तो ले जाना.

इस बात और हमदर्दी का राजेश पर वाजिब असर पड़ा था कि काश, दुनिया में सभी पैसे वाले आनंद सेठ जैसे हो जाएं तो कहीं बेरोजगारी और जातपांत का नाम नहीं होगा.

अब जरूरत पड़ने पर राजेश आनंद जैन के पास जाने लगा जिन्होंने कभी उसे निराश नहीं किया था. लेकिन अब वे  पैसे लेने उसे रात में बुलाने लगे थे.

ऐसे ही एक दिन बातें करतेकरते आनंद जैन ने उसे अपना हस्तमैथुन करने के लिए कहा तो वह अचकचा उठा. उस ने मना करने की कोशिश की लेकिन आनंद जैन के बारबार कहने पर मना नहीं कर सका.

राजेश को इस बात का भी डर था कि अगर वह मना करेगा तो सेठजी पैसे देना छोड़ देंगे और मुफ्त की मलाई मारी जाएगी. लिहाजा, जब भी देर रात को आनंद जैन फोन कर के उसे बुलाते तो वह उन का हस्तमैथुन कर आता था.

राजेश जैसे बेरोजगार नौजवान के लिए यह कोई घाटे का सौदा नहीं था लेकिन एक रात आनंद जैन ने उस से सैक्स करने की बात कही तो वह सकपका उठा.

भले ही राजेश झुग्गीझोंपड़ी में रहता था लेकिन ऐसा गंदा काम उस ने पहले कभी नहीं किया था. मना कर देने पर आनंद जैन ने उसे पेशकश की कि अगर वह इस के लिए तैयार हो जाए तो वे हर बार 400 रुपए उसे देंगे.

पैसों की जरूरत के चलते राजेश के सामने उन की बात मान लेने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था. लिहाजा, वह इस काम के लिए भी तैयार हो गया. फिर तो आनंद जैन उसे कभी भी दुकान में बुला कर अपनी ख्वाहिश पूरी करने लगे.

इस दौरान वे उसे वैसा ही प्यार करते थे और डौयलौग बोलते थे जैसे कोेई मर्द औरत को प्यार करते वक्त करता और बोलता है.

9 अक्तूबर, 2018 की रात को घर जाने के बाद आनंद जैन को फिर से सैक्स की तलब लगी तो उन्होंने राजेश को फोन किया. इस पर राजेश ने जवाब दिया कि नवरात्र के दिनों में वह ऐसा गंदा काम नहीं कर सकता. इस से व्रत टूट जाएगा.

यह जवाब सुन कर आनंद जैन ने उसे ढील देते हुए कहा कि ठीक है तो फिर हाथ से ही कर जाना.

राजेश के सिर फिर डर का यह भूत सवार हो गया कि अगर नहीं गया तो पैसे मिलना बंद हो जाएगा और इतने पैसे वाले सेठ के लिए लड़कों की क्या कमी, वे किसी दूसरे को फांस लेंगे.

‘सिर्फ हस्तमैथुन ही तो करना है,’ यह सोचते हुए राजेश वारदात की रात उन की दुकान पर पहुंच गया. लेकिन उसे आया देख आनंद जैन ने फिर सैक्स की जिद पकड़ ली तो उस ने साफ मना करते हुए पहले वाला जवाब दोहरा दिया.

इस पर आनंद जैन जबरदस्ती करने लगे तो उसे और गुस्सा आ गया और उस ने दुकान में पड़ा हथौड़ा उठा कर उन के सिर पर दे मारा. सिर तरबूज की तरह फट गया और आनंद जैन जमीन पर गिर कर तड़पने लगे.

आनंद जैन को उन के हाल पर छोड़ कर राजेश उन के पास से 20,000 रुपए और सोने की चैन गले से उतार कर ले गया. गिरफ्तार होने के बाद पुलिस ने वे चीजें बरामद कर लीं.

क्या करें ऐसे मर्द

राजेश अब जेल में बैठा अपने किए पर पछता रहा है, पर सवाल आनंद जैन जैसे खातेपीते रईस मर्दों का है जिन्हें कई वजहों के चलते बीवी या औरतों के साथ सैक्स में मजा नहीं आता तो वे लड़कों को सैक्स सुख का जरीया बना लेते हैं. कई लोग मुंहमांगे पैसे दे कर अपना हस्तमैथुन करवाते हैं तो कई लोग मुखमैथुन और गुदामैथुन करते और करवाते हैं.

रजामंदी से हो तो इस सौदे में कोई हर्ज नहीं क्योंकि अब तो सुप्रीम कोर्ट भी इसे कानूनी मंजूरी दे चुका है लेकिन जबरदस्ती होगी तो ऐसी वारदातें भी होंगी.

ऐसे काम चूंकि चोरीछिपे होते हैं इसलिए किसी को हवा भी नहीं लगती. हवा तब लगती है जब कोई बड़ा कांड हो जाता है.

ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री रह चुके भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता राघवजी भाई का सुर्खियों में रहा था जो अपने घरेलू नौकर राजकुमार के साथ वही सब करते थे जो आनंद जैन राजेश के साथ कर रहे थे.

तब राघवजी की ज्यादतियों से तंग आ गए राजकुमार ने उन की करतूतों की सीडी बना कर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा दी थी. इस के चलते राघवजी को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था और उस कांड की बदनामी का दाग आज तक उन के दामन पर लगा है.

बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही समलैंगिक संबंधों को कानूनी मंजूरी दी तो राघवजी ने राहत की सांस लेते हुए कहा था कि अब उन पर चल रहा धारा 377 का मुकदमा बंद हो जाएगा.

लेकिन लौंडेबाजी के आदी हो गए मर्दों का कोई इलाज नहीं है. भोपाल के सैक्स में माहिर एक नामी डाक्टर की मानें तो यह कोई बीमारी नहीं है लेकिन इस के लिए जोरजबरदस्ती करना ठीक नहीं. दूसरे, नाबालिगों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह अभी भी कानूनन जुर्म है.

इन्हीं डाक्टर का यह भी कहना है कि कई वजहों के चलते कुछ मर्दों को औरतों के साथ सैक्स करने में मजा नहीं आता है इसलिए वे लड़कों को फंसाते हैं. यह उन की मजबूरी हो जाती है.

ज्यादातर मर्द दूसरे के हस्तमैथुन से संतुष्ट हो जाते हैं क्योंकि वह पूरे फोर्स से होता है लेकिन कुछ को सैक्स में ही मजा आता है.

अब कानून भी उन के साथ है लेकिन इस के बाद भी उन्हें फूंकफूंक कर कदम रखने होंगे. इस में उन का पार्टनर ब्लैकमेल भी कर सकता है और नाजायज मांगें भी मनवाने का दबाव बना सकता है क्योंकि उन की कमजोरी वह समझ चुका होता है कि ये पैसे वाले लोग अपने चेहरे से शराफत का नकाब उतरने से बहुत डरते हैं.

देह व्यापार में प्यार की कोई जगह नहीं

10 नवंबर, 2016 को दोपहर के करीब 2 बजे राजस्थान के जिला राजसमंद के थाना केवला की पुलिस को सूचना मिली कि उदयपुर से गोमती जाने वाले फोरलेन नेशनल हाईवे के किनारे पड़ासली भैरूंघाटी के पास एक लाश पड़ी है. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी भरत योगी अधिकारियों को घटना के बारे में बता कर घटनास्थल के लिए रवाना हो गए थे. उन के पहुंचतेपहुंचते एसपी डा. विष्णुकांत भी मौके पर पहुंच गए थे. लाश सड़क से 2 सौ मीटर की दूरी पर एक खाई में पड़ी थी. वह एक औरत की लाश थी, जो टीशर्ट और लैगिंग पहने हुए थी. मृतका का रंग गोरा, कद ठिगना तथा शरीर थोड़ा मोटा था. हाथ की अंगुलियों पर टैटू बने थे और नाखूनों पर नेलपौलिश लगी थी. बालों का रंग भूरा था, जिस से अंदाजा लगाया गया कि बालों पर कलर किया गया होगा. एक कान में बाली थी. गले पर गहरे जख्म थे.

मृतका की उम्र 30-35 साल के बीच थी. लाश के पास बीयर की बोतलें पड़ी थीं. देख कर ही लग रहा था कि हत्या कहीं और कर के लाश वहां ला कर फेंकी गई थी. पहनावे से मृतका मेवाड़ क्षेत्र की नहीं लग रही थी.

अनुमान लगाया गया कि मृतका किसी बड़े शहर की रहने वाली थी. आसपास बड़ा शहर उदयपुर था. गुजरात की सीमा भी नजदीक थी. पुलिस ने घटनास्थल से मिले सबूतों को जुटा कर आसपास के लोगों से लाश की शिनाख्त कराने की कोशिश की, लेकिन कोई भी उस की शिनाख्त नहीं कर सका. इस के बाद पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए केवला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के मुर्दाघर में रखवा दिया.

लाश देख कर डाक्टरों ने बताया कि मृतका की हत्या 10 से 15 घंटे पहले गला घोंट कर की गई थी. बाद में लाश को राजसमंद के सरकारी अस्पताल भिजवा दिया गया था. इसी के साथ लाश की शिनाख्त होने के बाद ही पोस्टमार्टम कराने का निर्णय लिया गया.

पुलिस के सामने समस्या मृतका की शिनाख्त की थी. इस के लिए पुलिस ने लाश के फोटो व वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर डाल दिए. इस के अलावा उदयपुर, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर के सभी थानों को लाश के फोटो भेज कर कहा गया कि मृतका का पता लगाने की कोशिश करें. हो सकता है कहीं उस महिला की गुमशुदगी दर्ज हो. इसी के साथ ही हाईवे पर स्थित नेगडि़या और मांडावाड़ा टोल प्लाजा की सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली गईं.

मृतका की लाश के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर डालने से पुलिस को सूचनाएं मिलीं कि मृतका उदयपुर की हो सकती है. इन्हीं सूचनाओं के आधार पर पुलिस ने उदयपुर जा कर स्थानीय पुलिस की मदद ली. लाश मिलने के तीसरे दिन यानी 12 नवंबर को पता चला कि वह लाश रोमा उर्फ रेशमा की थी, जो मुंबई की रहने वाली थी.

उदयपुर में रोमा जिस्मफरोशी करती थी. पुलिस ने जिस्मफरोशी करने वाली महिलाओं के संपर्क में रहने वाले कुछ लोगों से पता किया तो उन से रोमा का फोन नंबर मिल गया. उस नंबर को वाट्सऐप वाले दूसरे फोन पर डाला गया तो उस की डीपी में मृतका की तसवीर आ गई. वह लाश रोमा उर्फ रेशमा की ही थी.

इस के बाद पुलिस को यह भी पता चल गया कि रोमा उदयपुर में रेखा उर्फ पूजा छाबड़ा के लिए काम करती थी. रेखा उर्फ पूजा छाबड़ा का नाम उदयपुर पुलिस के लिए नया नहीं था. सैक्स रैकेट के मामले में वह उदयपुर की जानीमानी हस्ती थी. रोमा की हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस ने उसे 12 नवंबर को हिरासत में लिया. उस से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के बडे़ बेटे अनिल और ड्राइवर धनराज मीणा को भी हिरासत में ले लिया.

उदयपुर पुलिस ने तीनों को राजसमंद की थाना केवला पुलिस को सौंप दिया. पूछताछ के बाद पुलिस ने तीनों को 13 नवंबर को रोमा की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. इस पूछताछ में रोमा के मुंबई से उदयपुर आने और जिस्मफरोशी के धंधे की सरगना रेखा के बेटे से प्रेम करने से ले कर हत्या तक की कहानी सामने आ गई.

उदयपुर राजस्थान का पर्यटनस्थल है. यहां रोजाना तमाम देशीविदेशी सैलानी आते हैं. अन्य महानगरों की तरह यहां भी जिस्मफरोशी का कारोबार धड़ल्ले से होता है. उदयपुर की हिरणमगरी कालोनी के सेक्टर-9 की रहने वाली रेखा उर्फ पूजा काफी समय से सैक्स रैकेट चला रही थी.

उस के खिलाफ थाना हिरणमगरी में पीटा के 7 मामले दर्ज हैं. इस के अलावा वह शांतिभंग के मामलों में भी कई बार गिरफ्तार हो चुकी थी. रेखा की उम्र 50 साल के आसपास है. उस की शादी ललित छाबड़ा से हुई थी, जिस से उस के 2 बेटे हुए, बड़ा अनिल और छोटा मनीष.

रेखा पहले उदयपुर की हिरणमगरी के सेक्टर-5 में रहती थी. अभी भी वहां उस का मकान है, जिस में वह लड़कियों से जिस्मफरोशी कराती थी. इसी धंधे की बदौलत उस के संपर्क मुंबई, दिल्ली और कोलकाता की लड़कियों से हो गए थे. उदयपुर के कई नामीगिरामी होटलों के अलावा हाईवे पर स्थित फार्महाउसों व गेस्टहाउसों के संचालकों से उस के संपर्क थे.

जिस्म के शौकीनों के लिए वह मुंबई, दिल्ली और कोलकाता से लड़कियां बुलाती थी. रेखा लड़कियों की खूबसूरती और देह के आधार पर ग्राहकों से रकम वसूलती थी. बाहर से आई लड़कियां कुछ दिन उदयपुर में रह कर लौट जाती थीं.

ग्राहकों की जरूरत के हिसाब से रेखा फोन कर के लड़कियां बुला लेती थी. इस धंधे से उस ने करोड़ों की दौलत कमाई. इसी कमाई से उस ने उदयपुर के हिरणमगरी के सेक्टर-9 में 3 हजार वर्गमीटर का भूखंड खरीद कर आलीशान कोठी बनवाई. कोठी के बेसमेंट में अनैतिक गतिविधियों के लिए ठिकाने बनवाए. उस ने कोठी में चारों तरफ कैमरे लगवाए, ताकि बाहर की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके. कहा जाता है कि जब रेखा ने यह मकान बनवाना शुरू किया था, उस के कारनामों की वजह से मोहल्ले वालों ने काफी विरोध किया था, लेकिन उस ने आपराधिक लोगों की मदद से सब को चुप करा दिया था. इस मकान की कीमत इस समय करीब 5 करोड़ रुपए है.

रोमा उर्फ रेशमा भी रेखा के बुलाने पर जिस्मफरोशी के लिए मुंबई से उदयपुर आई थी. कहा जाता है कि रोमा मूलरूप से बांग्लादेश की रहने वाली थी. वह गरीबी की वजह से इस दलदल में फंस गई थी.

कुछ दिनों वह कोलकाता में रही, फिर वहां से मुंबई चली गई. अन्य कालगर्ल्स की तरह वह भी बुलाने पर मुंबई से दूसरे शहरों में जाने लगी. इसी तरह रेखा के बुलाने पर वह उदयपुर आई थी.

रोमा को उदयपुर अच्छा लगा, इसलिए वह रेखा के साथ रह कर जिस्मफरोशी करने लगी. शुरू में तो उस के चाहने वाले काफी थे, लेकिन धीरेधीरे उस का शरीर और उम्र बढ़ी तो चाहने वालों की संख्या घटने लगी.

यह सच्चाई भी है कि उम्र बढ़ने के साथ कालगर्ल्स के चहेतों की तादाद कम होने लगती है. रोमा की उम्र जरूर ज्यादा हो गई थी, लेकिन जब वह टाइट वेस्टर्न ड्रैस पहनती थी तो उस के उभार चाहने वालों को आकर्षित करते थे. बालों को भी वह कलर करने लगी थी. फिर भी उस का धंधा टूटता जा रहा था. इस के अलावा जिस्म बेचने के बाद भी उसे पूरा पैसा नहीं मिलता था. उस की कमाई का अधिकांश हिस्सा रेखा रख लेती थी. इसलिए अब उसे इस धंधे में अपना भविष्य खतरे में दिखाई दे रहा था.

रोमा के जो भी आशिक थे, वे सिर्फ उस के जिस्म से मतलब रखते थे. उन में से किसी की नजरों में उसे अपनापन नजर नहीं आता था. रोमा जब से उदयपुर आई थी, रेखा के साथ उसी के घर में रह रही थी. वह उस की आंटी भी थी और मालकिन भी. साथ रहने की वजह से रोमा का आमनासामना रोजाना रेखा के छोटे बेटे मनीष से होता था. कभीकभी रोमा अपने छोटेमोटे काम भी मनीष से करा लेती थी. मनीष को पता ही था कि उस की मां रेखा देहव्यापार कराती है. उस के घर एक से एक खूबसूरत और हर उम्र की लड़कियां आतीजाती रहती थीं.

मनीष करीब 28 साल का युवा था. उस की अपनी शारीरिक जरूरतें थीं. अगर वह चाहता तो घर आने वाली किसी भी कालगर्ल्स से अपनी शारीरिक जरूरत पूरी कर सकता था, लेकिन रोमा उस के दिल में जगह बनाने लगी थी. अपनी जरूरतों के हिसाब से वह भी मनीष से प्यार करने लगी थी. कब दोनों एकदूसरे के प्यार में खो गए, पता ही नहीं चला.

रोमा और मनीष के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए. ये संबंध लगातर चलते रहे, जिस से रेखा को उन के संबंधों की जानकारी हो गई. रेखा इस धंधे की खेलीखाई और घाघ औरत थी. उसे पता था कि इस तरह के संबंधों का क्या हश्र होता है. भविष्य के बारे में सोच कर रोमा रेखा की चिंता किए बगैर मनीष के साथ लिवइन रिलेशन में रहने लगी.

मनीष से रोमा को गर्भ भी ठहर गया. अब वह मनीष से शादी की बात करने लगी. उसे पता था कि मनीष से शादी करने के बाद वह रेखा की करोड़ों की जायदाद में आधे की हिस्सेदार हो जाएगी. इस के लिए ही वह मनीष पर शादी के लिए दबाव बनाने लगी.

इस बात की भनक रेखा को लगी तो उसे मामला गड़बड़ नजर आने लगा. वह कतई नहीं चाहती थी कि उस का बेटा कालगर्ल्स से शादी करे और उस की जायदाद में हिस्सा मांगे. पहले उसे लगता था कि इस मामले को वह अपने स्तर से निपटा देगी. लेकिन उस की चिंता तब बढ़ गई, जब उस का अपना बेटा मनीष भी रोमा की भाषा बोलने लगा.

रोमा को ले कर घर में लगभग रोज ही झगड़े होने लगे. इस से रेखा परेशान रहने लगी. अब वह रोमा से छुटकारा पाने के उपाय सोचने लगी. काफी सोचविचार कर उस ने फैसला किया कि इस झगड़े की जड़ रोमा है, इसलिए उसे ही मनीष के रास्ते से हटा दिया जाए.

रेखा ने काफी सोचविचार कर साजिश रची. उसी साजिश के तहत उस ने मनीष को तलवारबाजी के एक झगड़े में पुलिस से गिरफ्तार करवा कर जेल भिजवा दिया. मनीष के जेल जाते ही रेखा ने अपने ड्राइवर धनराज मीणा और बड़े बेटे अनिल से बात की. इस के बाद योजना के अनुसार, 9 नवंबर की शाम को धनराज ने रोमा को इतनी शराब पिलाई कि वह सुधबुध खो बैठी. उसी हालत में धनराज और रेखा ने सलवार के नाड़े से रोमा का गला घोंट कर उस की हत्या कर दी. अधिक नशा होने की वजह से वह विरोध भी नहीं कर सकी.

रेखा को पूरा विश्वास हो गया कि रोमा की मौत हो चुकी है तो उस ने अनिल और धनराज से कहा कि वे लाश को गाड़ी से ले जा कर कहीं फेंक आएं. अनिल और धनराज हुंडई आई10 कार की पिछली सीट पर लाश रख कर निकल पड़े. कार धनराज चला रहा था.

दोनों नेगडि़या टोलनाका, नाथद्वारा, राजनगर, केवला होते हुए मांडावाड़ा टोलनाके से हो कर पड़ासली के पास पहुंचे. वहीं हाईवे पर सुनसान जगह देख कर धनराज ने सड़क के किनारे कार रोक दी.

फिर अनिल की मदद से कार की पिछली सीट पर पड़ी रोमा की लाश को निकाल कर हाईवे से करीब 2 सौ मीटर दूर ले जा कर खाई में फेंक दिया. इस तरह लाश को ठिकाने लगा कर दोनों उसी कार और उसी रास्ते से रात में ही घर आ गए.

रोमा की हत्या का खुलासा होने पर पुलिस ने सबूत जुटाने के लिए नेगडि़या टोलनाका व मांडावाड़ा टोलनाका की सीसीटीवी फुटेज की फिर से जांच की तो उन की कार आतीजाती दिखाई दे गई. पुलिस ने दोनों की उस रात की मोबाइल की लोकेशन और काल डिटेल्स भी सबूत के तौर पर जुटाए.

कथा लिखे जाने तक पुलिस यह पता करने की कोशिश कर रही थी कि रोमा कौन थी, वह कहां की रहने वाली थी, उस के परिवार में कोई है या नहीं? अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने रोमा की लाश का पोस्टमार्टम करा कर अंतिम संस्कार करा दिया था.

बहरहाल, देहव्यापार करने वाली रोमा ने कभी नहीं सोचा होगा कि प्यार करने की उसे ऐसी सजा मिलेगी. रोमा के साथ जो हुआ, उस से एक बार फिर साबित हो गया है कि इस तरह की औरतों का कोई भविष्य नहीं होता.

इंटरनेशन तैराक की कातिल माशूका

23 जनवरी, 2017 की सुबह की बात है. बिहार के भागलपुर के लोदीपुर थानांतर्गत कवाली नदी के किनारे कुछ बच्चे बेर तोड़ रहे थे तभी किसी की नजर पास की झाड़ी में पड़ी एक लाश पर गई. लाश देखते ही डर कर बच्चे वहां से भाग गए. उन्होंने यह बात अपने जानने वालों को बताई तो गांव के कुछ लोग उस जगह पहुंच गए, जहां लाश पड़ी थी. वहीं से किसी ने फोन कर के यह जानकारी लोदीपुर थाने में दे दी. सुबह 10 बजे के करीब पुलिस को जैसे ही लाश मिलने की सूचना मिली तो थानाप्रभारी भारतभूषण पुलिस टीम के साथ नदी के किनारे पहुंच गए.

वहां झाडि़यों में करीब 35 साल के एक युवक की लाश पड़ी थी. वह युवक विकलांग था. उस के दोनों हाथ नहीं थे. उस का चेहरा तेजाब से झुलसा हुआ सा लग रहा था. लाश से दुर्गंध आ रही थी. इस से लग रहा था कि उस की हत्या कई दिन पहले की गई थी.

जांच में उस लाश की पुष्टि इंटरनैशनल तैराक और बिहार सरकार के सचिवालय में क्लर्क की नौकरी करने वाले विनोद कुमार सिंह के रूप में हुई. विनोद मूलरूप से सीवान जिले के बड़ा सिकवा इलाके के नौतन बाजार में रहने वाले रामजी सिंह का बेटा था. वह पश्चिम बंगाल के 24 परगना के स्कूल में अध्यापक थे. पुलिस ने खबर भेज कर रामजी सिंह को बुलवा लिया. बेटे की लाश देख कर वह फूटफूट कर रोने लगे. मौके की काररवाई पूरी कर के पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

पुलिस ने रामजी सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि विनोद का लोदीपुर की रहने वाली वौलीबौल खिलाड़ी रंजना कुमारी से प्रेम चल रहा था. 6 जनवरी, 2017 से ही वह पटना से लापता था. तब 13 जनवरी को उन्होंने उस के गायब होने की सूचना सचिवालय थाने में दी. इस के 8 दिन बाद भी जब विनोद के बारे में जानकारी नहीं मिली तो उन्होंने विनोद के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी. एफआईआर दर्ज कराते हुए उन्होंने रंजना कुमारी, उस के पिता, मां, बहनोई और फुफेरे भाई पर अपहरण की आशंका जताई थी.

इंटरनैशनल तैराकी में मुकाम बना चुके विनोद को इसी उपलब्धि पर सचिवालय भवन में जल संसाधन विभाग में सन 2012 में क्लर्क की नौकरी मिली थी. विनोद के करीबी लोगों ने पुलिस को बताया कि वह रंजना को तैराकी सिखाता था. उसी दौरान दोनों करीब आए. दोनों चोरीछिपे मिलते रहते थे और धीरेधीरे उन का प्यार परवान चढ़ गया. विनोद शादीशुदा ही नहीं, बल्कि 2 बच्चों का पिता था. बेटा मिलन सिंह 7 साल का और बेटी गुनगुन 4 साल की है. विनोद की बीवी वीणा अपने ससुर के साथ ही 24 परगना में ही रहती है.

इस के बावजूद भी उस का रंजना से चक्कर चल रहा था. विनोद अपने परिवार के साथ पटना के राजवंशी नगर मोहल्ले में रहता था. उस के साथ उस का भांजा अंकित भी रहता था. विनोद के पिता ने पुलिस को बताया कि रंजना का मकसद विनोद के पैसों पर कब्जा जमाना था. रंजना सीतामढ़ी के डीएवी स्कूल में टीचर थी. विनोद जहां इंटरनैशनल डिसएबल स्विमर था तो वहीं रंजना स्टेट लेवल की वौलीबाल खिलाड़ी रह चुकी थी. विनोद के साथ पटना में रहने वाले उस के भांजे अंकित ने बताया कि जब विनोद गायब हुआ था तो उस दौरान वह पटना में नहीं था. वह कोलकाता जाने की बात कह कर पटना से निकले थे. पर बाद में पता चला कि वह कोलकाता पहुंचे ही नहीं.

जांच की इसी कड़ी में पुलिस को पता चला कि पहली जनवरी, 2017 को विनोद पर मोबाइल छीनने का आरोप लगा था. 2 लोग उसे पीटने पर उतारू थे. उन से जान बचा कर विनोद किसी तरह तिलकामांझी थाने के पास पहुंच गया. तब पुलिस ने उसे बचाया था. जो लोग उस की पिटाई करने पर उतारू थे उन्होंने पुलिस को बताया कि एक बैंक के एटीएम बूथ के पास विनोद ने किसी लड़की का मोबाइल फोन छीना है.

उन की यह बात सुन कर पुलिस भी चौंकी क्योंकि जिस आदमी के दोनों हाथ ही कंधों से न हों, वह किसी का मोबाइल कैसे छीन सकता है. तब उन दोनों युवकों ने पुलिस की उस लड़की से भी बात कराई. जिस का मोबाइल छीनने का वह आरोप लगा रहे थे. वह लड़की रंजना ही निकली और जो 2 आदमी विनोद को पीट रहे थे उन में एक रंजना का बहनोई और दूसरा मौसेरा भाई था.

रंजना ने पुलिस को बताया कि विनोद ने उस का मोबाइल छीना नहीं था बल्कि कई दिन पहले ले लिया था जो अब लौटा नहीं रहा है. पुलिस ने विनोद से मोबाइल फोन ले कर रंजना के बहनोई को दे दिया.

रंजना और उस के घर वाले चाहते थे कि विनोद रंजना का पीछा छोड़ दे. लेकिन विनोद नहीं मान रहा था. उस से पीछा छुड़ाने के लिए उन्होंने उस पर लूटपाट का झूठा आरोप लगाया था.

विनोद ने पुलिस को बताया कि रंजना उस की बीवी है, जो लोदीपुर इलाके में रहती है. वह नए साल पर उसे गिफ्ट देने आया था. इतना ही नहीं उस ने अपने मोबाइल में रंजना की और अपनी विवाह की तसवीरें भी दिखाईं.

विनोद तैराकी के बटरफ्लाई स्ट्रोक में माहिर था. उस ने सन 2005 और 2008 के बीजिंग पैरा ओलांपिक के अलावा 2011 में कई नैशनल और इंटरनैशनल तैराकी प्रतियोगिताओं में भाग लिया था. कई प्रतियोगिताओं में वह भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुका था. सन 2006 में मलेशिया में आयोजित ऐशियाई खेलों में भी उस ने भाग लिया था.

इस के बाद सन 2007 में ताइवान में आयोजित वर्ल्ड ऐम्प्यूटी स्पोर्ट और जरमन ओपन में हिस्सा ले चुका था. 2008 में वह तैराकी का इंटरनैशनल चैंपियन बना था. जर्मनी में तैराकी प्रतियोगिता में उसे गोल्ड मैडल मिला था. उस की इस उपलब्धि पर बिहार और बंगाल सरकार ने उसे कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया था.

साल 2012 में विनोद को खेल कोटा से बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग में क्लर्क की नौकरी मिली थी. शनिवार और रविवार को वह कोलकाता जा कर तैराकी का अभ्यास करता था.

अपनी विकलांगता को अपना हथियार बनाने वाले विनोद ने कभी हिम्मत नहीं हारी. उस के दोनों हाथ नहीं थे इस के बावजूद भी वह पैरों से ही सारा काम कर लेता था. घरेलू काम हो चाहे औफिस का काम हो, वह सारा काम पैरों से ही करता था. मोबाइल फोन से ले कर कंप्यूटर तक वह बिना किसी अवरोध के पैरों से ही चला लेता था.

रंजना के पिता राधाकृष्ण मंडल स्वास्थ्य विभाग में नौकरी करते थे. वह रिटायर हो चुके हैं. चूंकि विनोद के पिता ने रंजना के घर वालों पर ही आरोप लगाया था इसलिए पटना के एसएसपी मनु महाराज के निर्देश पर पुलिस ने रंजना, उस के पिता राधाकृष्ण मंडल, मां सबरी देवी, बहनोई शंभू मंडल को हिरसत में ले कर पूछताछ की तो उन्होंने विनोद की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. पूछताछ में पता चला कि खेल कोटे के तहत नौकरी का फार्म भरने के लिए रंजना बिहार सचिवालय में गई तो वहीं पर उस की मुलाकात विनोद से हुई थी. बाद में दोनों के बीच संबंध और गहरे हो गए.

रंजना ने कई चौंकाने वाली बातें पुलिस को बताईं. उस ने बताया कि वह विनोद से प्यार करती थी. पर उस ने खुद के शादीशुदा होने की बात उस से छिपाई. जब उसे पता चला कि विनोद 2 बच्चों का बाप है तो उस ने विनोद से दूरी बनानी शुरू कर दी.

रंजना के फोन में विनोद के साथ खींचे गए कुछ फोटो खास पलों के थे. विनोद ने उस का फोन अपने पास रख लिया. वह उन फोटो को सार्वजनिक करने की धमकी दे कर रंजना पर शादी का दबाव बना रहा था. पर रंजना उस से शादी तो दूर बल्कि उस से मिलना तक नहीं चाहती थी. बाद में रंजना की नौकरी सीतामढ़ी के डीएवी स्कूल में लग गई. लेकिन विनोद उस से मिलने उस के स्कूल में भी पहुंच जाता था.

रंजना ने बताया कि विनोद पैरों से ही मोबाइल फोन को पकड़ कर सेल्फी भी खींच लेता था. इतना ही नहीं वह पैरों से ही सिगरेट जला कर पी लेता था. कई बार जब वह उस से मिलने भागलपुर पहुंचता था और उस के घर वाले घर का दरवाजा नहीं खोलते थे तो वह बरामदे में ही घंटों बैठा रहता था. उस दौरान वह पैरों से ही माचिस जला कर सिगरेट जला लेता था और कश पर कश लेता रहता था.

रंजना की मां सबरी देवी ने रोतेरोते पुलिस से कहा कि परिवार की इज्जत बचाने के लिए गलत काम करना पड़ा. विनोद रंजना को ही नहीं बल्कि पूरे परिवार को ब्लैकमेल कर रहा था. रंजना और विनोद के रिश्तों की वजह से समाज में उस के परिवार की काफी बदनामी हो रही थी. छोटी बेटी का विवाह पक्का हो चुका था. विनोद की धमकी के बाद परिवार के लोगों को इस बात का अंदेशा था कि कहीं विनोद की वजह से बेटी का रिश्ता न टूट जाए. इसलिए परिजनों ने विनोद को यह समझाने की कोशिश की बेटी की शादी तक चुप रहे पर वह कुछ सुनने को तैयार नहीं था.

रंजना की बहन की शादी की तारीख जैसेजैसे नजदीक आती जा रही थी वैसेवैसे रंजना के घर वाले परेशान हो रहे थे. क्योंकि विनोद रंजना पर साथ रहने का दबाव  बढ़ा रहा था. 6 मार्च, 2017 को रंजना की बहन की शादी की तारीख निश्चित हो गई. रंजना को डर लगने लगा था कि विनोद और उस के अवैध संबंधों की बात बहन के ससुराल वालों को पता चल गई तो शादी टूट सकती है.

रंजना ने मिलने के लिए उसे भागलपुर बुलाया ताकि उसे बैठा कर समझाया जाए. विनोद 6 जनवरी को ही भागलपुर रेलवे स्टेशन पहुंच गया. उस समय रात हो गई थी इसलिए वह रेलवे स्टेशन पर ही रुक गया था. 7 जनवरी को वह रंजना से मिलने पहुंच गया. काफी समझाने के बाद भी विनोद अपनी जिद पर अड़ा रहा.

7 जनवरी की सुबह विनोद ने अपने पिता से बात की. पिता को जब पता चला कि वह भागलपुर में रंजना के पास गया है तो उन्होंने उस से कहा कि वह तुरंत लौट आए. पर विनोद ने कहा कि रंजना के भाई बिट्टू ने मिलने के लिए बुलाया है उस से बातचीत कर के लौट आऊंगा.

इस के बाद विनोद ने रंजना के मौसेरे भाई बिट्टू को फोन कर के कहा कि रंजना के मांबाप से बोल दो कि रंजना से उस की शादी हो चुकी है और अब जल्द से जल्द वह उस की विदाई कर दें. रंजना के बहनोई शंभू मंडल ने पुलिस के सामने कबूल कर लिया कि उस ने रंजना के मौसेरे भाई कमल किशोर उर्फ बिट्टू और उस के एक दोस्त संजीव के साथ मिल कर विनोद का कत्ल किया था. कत्ल के दौरान रंजना वहां मौजूद नहीं थी.

सभी ने पकड़ कर विनोद को जमीन पर पटक दिया. रंजना की मां और संजीव ने उस के पैर पकड़ लिए और बिट्टू उस का गला घोंटने लगा. शंभू ने विनोद के मुंह में गमछा ठूंस कर नाक दबा ली. कुछ ही देर में दम घुटने से विनोद की मौत हो गई. चूंकि रंजना ने ही मिलने के लिए विनोद को भागलपुर बुलाया था इस से वह साबित हो गया कि वह भी विनोद की हत्या की साजिश में शामिल थी.

पुलिस ने सभी अभियुक्तों से पूछताछ कर उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

डाक्टर ने 3 महिलाओं को कुचला, रुका और भाग गया

दिल्ली के करोल बाग इलाके में हिट एंड रन का मामला सामने आया है. मंगलवार रात रोड क्रॉस कर रहीं तीन महिलाओं को एक तेज रफ्तार कार ने टक्कर मार दी, जिसमें एक की मौत हो गई, जबकि दो जख्मी हैं. मृतका की पहचान 60 वर्षीय सन्नो के रूप में हुई है. हादसा इतना जबर्दस्त था कि एक महिला हवा में करीब 10 फुट उछलकर दूसरी ओर जा गिरीं.

दर्दनाक हादसे में महिला खून से लथपथ हालत में तड़पती रहीं. जबकि दो अन्य महिलाएं भी कार की चपेट में आ गई. हादसे के बाद कार चला रहा शख्स एक पल के लिए रुका फिर स्पीड बढ़ाकर वहां से भाग गया.

इस बीच पब्लिक इकट्ठा हो गई. हादसे की सूचना पर पीसीआर ने तीनों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया. जहां पुलिस ने मृत घोषित कर दिया. हादसे के चश्मदीदों और घटनास्थल से छानबीन के बाद पुलिस ने आरोपी कार सवार का पता लगाया. बुधवार सुबह उसे गिरफ्तार किया. जिसे थाने से ही बेल मिल गई. पुलिस ने महिला का शव परिजनों को सौंपकर जांच कर रही है.

पुलिस के मुताबिक, हिट एंड रन के इस मामले में कार सवार आरोपी एक डॉक्टर है. पूछताछ में उसकी पहचान अम्बुज गर्ग के तौर पर हुई है.

मेडिकल जांच से पता लगाया जा रहा है कि आरोपी डॉक्टर हादसे के वक्त नशे में तो नहीं था. चश्मदीद किशनगंज निवासी गीता देवी हैं. उनके बयान पर केस दर्ज किया है. गीता देवी, किरपाली देवी और सन्नो कुम्हार वाली गली सदर में एक कारखाने में काम करती थीं.

टाइम से पहुंचतीं तो बच सकती थी जान

हिट एंड रन के आरोपी डॉक्टर अंबुज गर्ग ने घटनास्थल पर ही अगर अपनी कार रोककर उस महिला को तुरंत अस्पताल पहुंचा दिया होता तो शायद वो जिंदा होतीं. यह कहना है हादसे के चश्मदीदों का. टक्कर लगने के बाद सन्नो तड़पती रहीं. तमाशबीन लोग भी मोबाइल से विडियो बनाते रहे. चश्मदीदों ने बताया है डॉक्टर अपनी कार में तेज रफ्तार से था.

सन्नो अपना काम खत्म कर घर जाने के लिए निकलीं. इस बीच रास्ते में पड़ोस में रहने वाली गीता और कृपाली देवी मिली. तीनों एक साथ घर जाने लगे. फिल्मिस्तान सिनेमा के पास तीनों रानी झांसी रोड पर सड़क पार करने लगीं. इसी दौरान ईदगाह की ओर से आए कार सवार डॉक्टर अंबुज गर्ग ने तीनों को टक्कर मार दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने तीनों को अस्पताल पहुंचाया. सन्नो को डॉक्टरों ने मृत बताया. गीता व कृपाली का इलाज जारी है.

पुलिस ने कार के नंबर के आधार पर देर रात को ही आरोपी डॉक्टर को उसके घर से दबोचकर कार बरामद कर ली और अरेस्ट किया. पुलिस मामले की छानबीन कर रही है.

लिफ्ट का बहाना, कहीं लुट न जाना

आप घर से दफ्तर, किसी टूर या अन्य काम से निकलते हैं तो घर सुरक्षित वापस आ जाएंगे या किसी अनहोनी का शिकार नहीं होंगे, इस बात की कोई गारंटी नहीं. वाहन नहीं है तो हो सकता है रास्ते में कहीं लिफ्ट लें और यदि वाहन है तो हो सकता है दयाभाव मन में आए और आप किसी को लिफ्ट दे दें लेकिन लिफ्ट का चक्कर कई बार माल और जान दोनों पर भारी पड़ जाता है. राहजनी करने वालों की गिद्ध दृष्टि सड़कों पर शिकार तलाशती रहती है और आप को पता भी नहीं चलता. जो जाल में फंसता है उसे कोई नहीं बचा सकता.

राष्ट्रीय राजमार्गों पर ऐसे कई खतरनाक गिरोह सक्रिय हैं जो लिफ्ट दे कर लोगों को लूटते हैं. मामूली लालच में वे हत्या करने से भी नहीं चूकते. चारपहिया वाहन चालकों से लिफ्ट लेने में भी ये माहिर खिलाड़ी होते हैं. वाहन चालक झांसे में आ जाए, इस के लिए वे अपने साथ महिला व बच्चों को भी रखते हैं. लूटने वालों ने अनोखे तरीके ईजाद किए हुए हैं. अनजाने में लोग इन के शिकार हो जाते हैं.

डा. सुमन त्यागी, उत्तर प्रदेश के कसबा किठौर में निजी क्लीनिक चलाती थीं. एक दिन वे क्लीनिक के लिए निकलीं, लेकिन रहस्यमय हालात में लापता हो गईं. उन का मोबाइल भी स्विच औफ हो गया. परिजनों को चिंता हुई. इंतजार के बाद गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई. जम कर खोजबीन हुई. पार्षद पति डा. ब्रजेश त्यागी व उन से जुड़े लोगों ने हंगामा किया, जाम लगाया और पुलिस पर नाकामी का आरोप लगाया.

पुलिस ने अपहरण की धाराओं में मामला भी दर्ज कर लिया. सुमन को जमीन निगल गई थी या आसमान, कोई नहीं जानता था. कई महीने तक भी उन के जिंदा या मुर्दा होने का कुछ पता न चला. परिजनों ने सूचना देने वाले को 5 लाख रुपए का इनाम देने के पोस्टर भी कई स्थानों पर चस्पां कराए. डेढ़ साल के बाद भी सुमन का कोई सुराग नहीं लगा. परिजन व पुलिस दोनों ही थक कर शांत बैठ गए थे कि अचानक 13 जून को इस का राज खुल गया.

गाजियाबाद जिले के साहिबाबाद पुलिस ने बावरिया गिरोह के 5 बदमाशों को गिरफ्तार किया. उन्होंने राजमार्गों पर होने वाली लूट व हत्याओं की कई वारदातों का इकबाल किया. इसी गिरोह ने कुबूल किया कि डा. सुमन त्यागी को भी उस ने ही अपनी जीप में लिफ्ट दे कर पहले लूट का शिकार बनाया और फिर गला दबा कर हत्या कर के शव को नहर में फेंक दिया.

फेंक देते थे नहर में शव

बेहद खूंखार इस गैंग ने दिल्ली, गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर, बागपत, अलीगढ़, नोएडा व हापुड़ जैसे स्थानों को अपने निशाने पर रखा हुआ था. गिरोह का लूट का तरीका बिलकुल अलग था. ये लोग अपने पास बोलेरो जीप रखते थे. बस अड्डों पर बस के इंतजार में खड़े लोगों को बैठा लेते थे. लोग आसानी से झांसे में आ जाएं, इस के लिए अपनी पत्नी व बच्चों को भी बैठा कर रखते थे. रास्ते में लूटपाट कर के उन्हें सड़क पर हत्या कर के किसी जंगल या नहर में शव फेंक देते थे. गिरोह ने इसी तरह 100 से ज्यादा वारदातें कीं. पकड़े जाने के डर से ये इलाका बदलते रहते थे. हत्या व लूट के कई मामलों से परदा तो उठ गया, लेकिन इस के सरगना को पुलिस नहीं पकड़ सकी.

गाजियाबाद के तत्कालीन एसएसपी नितिन तिवारी का कहना है, ‘‘लोगों को अनजान लोगों व डग्गामारी करने वालों के वाहनों में बैठने से बचना चाहिए. पकड़े गए बदमाशों के अलावा और भी बदमाश हैं जो ऐसी ही वारदातें करते हैं. हम उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं.’’

नएनए हथकंडे

हाईवे पर लूट के कई तरीके हैं. कोई लिफ्ट दे कर लूटता है तो कोई ले कर. कोई पंक्चर होने की बात कर के तो कोई पैर पर गाड़ी चढ़ने की बात कह कर. कुश शर्मा नोएडा की एक मोबाइल कंपनी में जौब करता है. अपने परिजनों से मिल कर वह स्विफ्ट कार में सवार हो कर मेरठ से औफिस जा रहा था. वह जैसे ही मुरादनगर पहुंचा तो हलका जाम लग गया. इसी बीच एक युवक शीशे पर हाथ मार कर बाईं ओर से चिल्लाया कि मेरे पैर पर गाड़ी चढ़ा दी. कुश घबराहट में गाड़ी रोक कर नीचे उतर गया. युवक ने बेवजह शोर मचाया, ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था. वह वापस सीट पर आ कर बैठ गया. लेकिन इसी बीच डैशबोर्ड पर रखे उस के 2 महंगे मोबाइल गायब हो चुके थे. गाड़ी पैर पर चढ़ने की बात करने वाला युवक भी पलक झपकते ही नदारद हो गया.

दरअसल, कुश लूटपाट करने वाले गिरोह का शिकार हो गया था. यूपी के नैशनल हाईवे पर पड़ने वाले मोदीनगर व मुरादनगर थाने में इसी तरह के कई मामले दर्ज हैं. लूट करने वालों का दूसरा तरीका होता है आप की कार में पंक्चर बता कर. यह गिरोह कार में चलता है और उस के कुछ सदस्य पैदल होते हैं. गिरोह के सदस्य चालक को बताते हैं कि उस की कार के पिछले पहिए में पंक्चर हो गया है या पैट्रोल लीक हो रहा है. चालक नीचे उतर कर देखता है तो लूट का शिकार हो जाता है. एनसीआर के इंदिरापुरम थाने की पुलिस ने ऐसे गिरोह के 4 सदस्यों को गिरफ्तार कर के कुछ मामलों का खुलासा किया. बकौल इंस्पैक्टर राजेश द्विवेदी, ‘‘हम ने जिस गिरोह को पकड़ा वह लोगों की कार के डैशबोर्ड पर रखे महंगे मोबाइल फोन लूटता था. यह गिरोह उन्हीं को निशाना बनाता था जो अधिकांश अकेले होते थे या जिन के डैशबोर्ड पर मोबाइल रखे होते थे. महंगे मोबाइल को डैशबोर्ड पर रखना लुटेरों को न्यौता देने जैसा साबित हो रहा है.’’

छात्र बन कर लेते हैं लिफ्ट

युवकों का ऐसा भी गिरोह होता है जो छात्र बन कर पहले लिफ्ट लेता है फिर लूटता है. चैकिंग के दौरान गाजियाबाद पुलिस ने शादाब, वसीम व अंकित को गिरफ्तार किया. इन तीनों बदमाशों के पास चोरी की 2 बाइकें व कुछ हथियार मिले. यह गिरोह रात को पीठ पर बैग लटका कर छात्रों की ड्रैस पहन कर खड़ा हो जाता था और कार चालकों से लिफ्ट लेता था. लिफ्ट देने वालों को लूट लिया जाता था. कई बार मोटरसाइकिल से कार को ओवरटेक कर के भी लूटपाट करते थे. जब अंकित से पूछा गया कि यह आइडिया कहां से आया तो उस ने बताया कि कार चालक जल्दी विश्वास करें, इसलिए वे छात्र बन कर रहते थे, ताकि लिफ्ट मिल जाए.

अंडामार लुटेरे

वाहन चालकों को लूट का शिकार बनाने के लिए अनोखे तरीके अपनाए जाते हैं. सड़कों पर अंडामार लुटेरे भी होते हैं. आप की चलती कार के शीशे पर यदि कोई मुरगी का अंडा फेंक दे तो उसे साफ करने के लिए कार रोकने, पानी डाल कर वाइपर चलाने की तत्काल गलती न करें. इस से लुटेरे आप को अपना शिकार बना सकते हैं. दरअसल, जैसे ही अंडे की जर्दी को साफ करने के लिए वाइपर चलाया जाता है, उस की सफेदी पूरे शीशे पर फैल जाती है. इस से शीशा बुरी तरह धुंधला हो जाता है मजबूरन कार रोकनी पड़ती है और इसी बीच पीछा करता गिरोह लूटपाट शुरू कर देता है.

लुटेरी हसीनाएं

सुनसान सड़क या बस स्टौप पर, कोई जींसटौप पहने खूबसूरत युवती आप से मोहक मुसकान के साथ लिफ्ट मांगे तो कई बार सोच लें, क्योंकि यह नुकसानदेह हो सकता है. ऐसी युवतियां लूट करने वाले गिरोह की सदस्य भी हो सकती हैं. कई बार वे अपने साथियों से लुटवा देती हैं तो कई बार हथियार की नोंक व इज्जत से खिलवाड़ करने का आरोप लगाने की धमकी दे कर खुद ही लूट लेती हैं. मामला लड़की का होता है, इसलिए शर्मिंदगी में कई बार लूट का शिकार व्यक्ति किसी से कुछ कह भी नहीं पाता. कई हाईवेज पर ऐसी लड़कियां सक्रिय हैं जिन्हें हर वक्त अपने शिकार की तलाश रहती है.

प्यार के जाल में लड़के लड़कियां

प्यार के जाल में फंस कर आज भी बहुत से नौजवान लड़केलड़कियां जेल की सलाखों में बंद हैं. आएदिन प्यार के फेर में पड़ कर लड़केलड़कियों की हत्या तक कर दी जाती है.

जब एक नौजवान लड़का और लड़की किसी तरह आपस में मिलते हैं, तो वे दोनों बहुत से सपने देखते हैं. लेकिन ज्यादातर प्रेमियों के सपने पूरे नहीं होते. ऐसे सपनों की सचाई भी अलगअलग होती है.

राकेश एमएससी तक पढ़ालिखा था. 10वीं क्लास में पढ़ने वाली एक लड़की अंजू को वह ट्यूशन पढ़ाता था. थोड़े ही समय में वह उस लड़की से इश्क करने लगा. अंजू भी मान गई. दोनों साथ जीनेमरने का सपना देखने लगे. स्कूल, पार्क, रैस्टोरैंट में दोनों का लगातार मिलना जारी रहा.

इस दौरान राकेश के मातापिता ने दूसरी जगह लड़की देख कर उस की शादी तय कर दी. ज्यों ही यह बात अंजू को मालूम हुई, वह राकेश पर दबाव बनाने लगी, ‘‘अगर तुम ने उस लड़की से शादी की, तो मैं जहर खा कर जान दे दूंगी.’’

राकेश को अपने भरोसे में ले कर अंजू बोली, ‘‘हम लोग यहां से किसी दूसरी जगह भाग चलते हैं.’’

अंजू अपने पिता की अलमारी से 50 हजार रुपए निकाल कर ले आई. दोनों नई दिल्ली के लिए चल दिए.

उधर अंजू के मातापिता ने अपनी बेटी के अपहरण का मामला लोकल थाने में दर्ज करा दिया. पुलिस छानबीन करने लगी.

मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर पुलिस ने उन दोनों को नई दिल्ली के एक होटल से गिरफ्तार कर लिया.

अंजू का मैडिकल टैस्ट कराया गया. जांच में उस के साथ जिस्मानी संबंध बनाने की तसदीक हो गई.

राकेश के ऊपर अंजू को अगवा करने और उस का बलात्कार करने का मुकदमा चला. उसे अदालत ने 8 साल की सजा सुनाई. वह आज भी जेल में बंद है.

इसी तरह की दूसरी घटना है. इलैक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग कर चुके अमित कुमार का बैंगलुरु में कंप्यूटर ट्रेनिंग सैंटर था. ट्रेनर के रूप में उस ने एक लड़की को बहाल किया था. उस का नाम शबाना था. दोनों एक ही जगह पर रह कर काम कर रहे थे. दोनों में नजदीकियां बढ़ने लगीं. धीरेधीरे ये नजदीकियां प्यार में बदलने लगीं और उन्होंने शादी करने का मन बना लिया.

अमित ने अपने मातापिता के सामने उस लड़की से शादी करने की बात कही, पर दोनों के बीच धर्म आडे़ आने लगा. अमित के मातापिता किसी भी शर्त पर दूसरे धर्म की लड़की के साथ अपने बेटे की शादी करने को राजी नहीं थे.

इस शादी के लिए शबाना के मातापिता भी तैयार नहीं थे. दोनों ने शहर छोड़ने का फैसला लिया और अहमदाबाद चले गए. शबाना के मातापिता ने मुकदमा कर दिया. जल्दी ही पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया और अमित को जेल भेज दिया गया.

रमता अपने गांव के ही साथ में पढ़ने वाले संजय से प्यार करती थी. कभीकभी रात में मौका पा कर दोनों आपस में जिस्मानी संबंध बना लिया करते. वह पेट से हो गई. इस की जानकारी ज्यों ही लोगों को हुई, उन्होंने रमता की हत्या कर लाश गांव के एक कुएं में फेंक दी.

पुलिस को पता चला, तो जांच के दौरान सचाई जब सामने आई, तो उस के परिवार वालों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. सामाजिक मुद्दों की जानकारी रखने वाले कृष्णा सिंह का कहना है कि अगर लड़का या लड़की आपस में प्यार करते हैं, तो सोचसमझ कर करें. इस में दोनों के मातापिता और घर वालों की रजामंदी होना जरूरी है, नहीं तो बाद में बड़े अपराध तक हो जाते हैं.

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