अय्याशी की चाहत बनी आफत

मालदार और रसूखदार लोग पैसों के दम पर दुनिया की हर चीज खरीद सकते हैं लेकिन उन की जिंदगी में जरूरी नहीं  कि सैक्स सुख भी वैसा ही हो जैसा कि वे चाहते हैं. पैसे से सैक्स सुख हासिल करना कितना महंगा पड़ता है, यह आएदिन उजागर होता रहता है.

लेकिन यह अंदाजा कोई नहीं लगा पाएगा कि सैक्स सुख जान जाने की वजह भी बन सकता है. लोग यहीं तक उम्मीद कर सकते हैं कि जो पैसे वाले सैक्स का मजा लेने बाजार जाते हैं, पकड़े जाने पर उन के हिस्से में बदनामी ही आती है और एहतियात न बरतें तो उन्हें ब्लैकमेल भी होना पड़ता है, लेकिन मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के छतरपुर जिले की इस वारदात ने सभी को चौंका दिया कि ऐसा भी हो सकता है.

दास्तां एक सेठ की

आनंद जैन उर्फ सुकुमाल जैन मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के छतरपुर जिले के जानेमाने लोहा व्यापारी थे.

50 साला इस अधेड़ के पास करोड़ों की दौलत थी और शहर में अच्छीखासी इज्जत भी थी. धार्मिक इमेज वाले आनंद जैन रोजाना मंदिर जाते थे. यहां तक कि रात को दुकान बंद करने के बाद भी वे शहर की पहाड़ी पर बने मंदिर में दर्शन करते हुए घर जाते थे.

9 अक्तूबर, 2018 की रात आनंद जैन की हत्या उन की ही दुकान में हो गई, तो शहरभर में सनाका खिंच गया. उस रात वे घर वालों को ‘थोड़ी देर में वापस आता हूं’ कह कर कहीं चले गए थे.

देर रात तक जब आनंद जैन नहीं लौटे तो घर वालोें को चिंता हुई, क्योंकि बारबार फोन करने पर भी उन का मोबाइल नंबर नहीं लग रहा था.

उन का जवान बेटा पीयूष जैन ढूंढ़ता हुआ दुकान में पहुंचा तो वहां उस ने पिता की खून से लथपथ लाश देखी.

सदमे में आ गए पीयूष जैन ने खुद को संभालते हुए पिता की हत्या की खबर पुलिस और दूसरे जानपहचान वालों को दी तो भीड़ इकट्ठा होना शुरू हो गई.

पुलिसिया जांच में लाश के पास एक हथौड़ा पड़ा मिला जिस से अंदाजा यह लगाया गया कि उसी से हत्यारे ने उन की हत्या की होगी, क्योंकि आनंद जैन का सिर किसी तरबूज की तरह फटा हुआ था.

दुकान की तलाशी लेने पर जो चौंका देने वाली चीजें बरामद हुईं वे थीं औरतों की पहनने वाली एक ब्रा और एक इस्तेमाल किया हुआ कंडोम जिस में वीर्य भरा हुआ था.

ये चीजें हालांकि उन की इज्जतदार और धार्मिक इमेज से मेल खाती हुई नहीं थीं, लेकिन यह अंदाजा लगाना पुलिस वालों की मजबूरी हो गई थी कि जरूर आनंद जैन ने किसी कालगर्ल को बुलाया होगा और उस से किसी बात पर झगड़ा हुआ होगा जो उन की बेरहमी से की गई हत्या की वजह बना, लेकिन जब सच सामने आया तो हर कोई चौंक पड़ा.

यह थी लत

आनंद जैन के मोबाइल फोन के सहारे पुलिस ने चंद घंटों में ही कातिल को ढूंढ़ निकाला जिस के नंबर पर उन की अकसर रात को ही देर तक बातें होती रहती थीं.

वह कातिल एक बेरोजगार नौजवान राजेश रैकवार था जिस की हैसियत राजा भोज जैसे आनंद जैन के सामने गंगू तेली सरीखी भी नहीं थी. पुलिस उसे गिरफ्तार करने तो शक की बिना पर गई थी लेकिन पुलिस वालों को देखते ही उस के होश फाख्ता हो गए और मामूली पूछताछ में ही उस ने खुद मान लिया कि आनंद जैन की हत्या उस ने ही की है.

हत्या क्यों की? इस सवाल के जवाब में राजेश ने जो बताया वह और भी हैरान कर देने वाला था.

बकौल राजेश, ‘‘आनंद जैन उस के साथ सैक्स करते थे और इस के एवज में उसे हर बार के 400 रुपए देते थे.’’

राजेश के मुताबिक, वह कुछ दिनों पहले ही काम मांगने के लिए आनंद जैन की दुकान पर गया था. काम देने में तो उन्होंने मजबूरी जता दी लेकिन उस के हाथ में खर्चे के लिए 200 रुपए रख दिए थे.

राजेश इस बात पर हैरान हुआ था क्योंकि वह जहां भी काम मांगने जाता था वहां लोग उसे झिड़क कर भगा देते थे और 200 रुपए तो दूर की बात है, 2 रुपए भी नहीं देते थे. जितनी इज्जत इन सेठजी ने दी थी, उतनी आज तक किसी बड़े आदमी ने उसे नहीं दी थी.

ज्यादा हैरानी की बात तो यह थी कि इस के एवज में सेठजी उस से कोई हम्माली या बेगारी नहीं करवा रहे थे बल्कि जातेजाते उन्होंने कहा था कि जब भी पैसों की जरूरत पड़े तो ले जाना.

इस बात और हमदर्दी का राजेश पर वाजिब असर पड़ा था कि काश, दुनिया में सभी पैसे वाले आनंद सेठ जैसे हो जाएं तो कहीं बेरोजगारी और जातपांत का नाम नहीं होगा.

अब जरूरत पड़ने पर राजेश आनंद जैन के पास जाने लगा जिन्होंने कभी उसे निराश नहीं किया था. लेकिन अब वे  पैसे लेने उसे रात में बुलाने लगे थे.

ऐसे ही एक दिन बातें करतेकरते आनंद जैन ने उसे अपना हस्तमैथुन करने के लिए कहा तो वह अचकचा उठा. उस ने मना करने की कोशिश की लेकिन आनंद जैन के बारबार कहने पर मना नहीं कर सका.

राजेश को इस बात का भी डर था कि अगर वह मना करेगा तो सेठजी पैसे देना छोड़ देंगे और मुफ्त की मलाई मारी जाएगी. लिहाजा, जब भी देर रात को आनंद जैन फोन कर के उसे बुलाते तो वह उन का हस्तमैथुन कर आता था.

राजेश जैसे बेरोजगार नौजवान के लिए यह कोई घाटे का सौदा नहीं था लेकिन एक रात आनंद जैन ने उस से सैक्स करने की बात कही तो वह सकपका उठा.

भले ही राजेश झुग्गीझोंपड़ी में रहता था लेकिन ऐसा गंदा काम उस ने पहले कभी नहीं किया था. मना कर देने पर आनंद जैन ने उसे पेशकश की कि अगर वह इस के लिए तैयार हो जाए तो वे हर बार 400 रुपए उसे देंगे.

पैसों की जरूरत के चलते राजेश के सामने उन की बात मान लेने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था. लिहाजा, वह इस काम के लिए भी तैयार हो गया. फिर तो आनंद जैन उसे कभी भी दुकान में बुला कर अपनी ख्वाहिश पूरी करने लगे.

इस दौरान वे उसे वैसा ही प्यार करते थे और डौयलौग बोलते थे जैसे कोेई मर्द औरत को प्यार करते वक्त करता और बोलता है.

9 अक्तूबर, 2018 की रात को घर जाने के बाद आनंद जैन को फिर से सैक्स की तलब लगी तो उन्होंने राजेश को फोन किया. इस पर राजेश ने जवाब दिया कि नवरात्र के दिनों में वह ऐसा गंदा काम नहीं कर सकता. इस से व्रत टूट जाएगा.

यह जवाब सुन कर आनंद जैन ने उसे ढील देते हुए कहा कि ठीक है तो फिर हाथ से ही कर जाना.

राजेश के सिर फिर डर का यह भूत सवार हो गया कि अगर नहीं गया तो पैसे मिलना बंद हो जाएगा और इतने पैसे वाले सेठ के लिए लड़कों की क्या कमी, वे किसी दूसरे को फांस लेंगे.

‘सिर्फ हस्तमैथुन ही तो करना है,’ यह सोचते हुए राजेश वारदात की रात उन की दुकान पर पहुंच गया. लेकिन उसे आया देख आनंद जैन ने फिर सैक्स की जिद पकड़ ली तो उस ने साफ मना करते हुए पहले वाला जवाब दोहरा दिया.

इस पर आनंद जैन जबरदस्ती करने लगे तो उसे और गुस्सा आ गया और उस ने दुकान में पड़ा हथौड़ा उठा कर उन के सिर पर दे मारा. सिर तरबूज की तरह फट गया और आनंद जैन जमीन पर गिर कर तड़पने लगे.

आनंद जैन को उन के हाल पर छोड़ कर राजेश उन के पास से 20,000 रुपए और सोने की चैन गले से उतार कर ले गया. गिरफ्तार होने के बाद पुलिस ने वे चीजें बरामद कर लीं.

क्या करें ऐसे मर्द

राजेश अब जेल में बैठा अपने किए पर पछता रहा है, पर सवाल आनंद जैन जैसे खातेपीते रईस मर्दों का है जिन्हें कई वजहों के चलते बीवी या औरतों के साथ सैक्स में मजा नहीं आता तो वे लड़कों को सैक्स सुख का जरीया बना लेते हैं. कई लोग मुंहमांगे पैसे दे कर अपना हस्तमैथुन करवाते हैं तो कई लोग मुखमैथुन और गुदामैथुन करते और करवाते हैं.

रजामंदी से हो तो इस सौदे में कोई हर्ज नहीं क्योंकि अब तो सुप्रीम कोर्ट भी इसे कानूनी मंजूरी दे चुका है लेकिन जबरदस्ती होगी तो ऐसी वारदातें भी होंगी.

ऐसे काम चूंकि चोरीछिपे होते हैं इसलिए किसी को हवा भी नहीं लगती. हवा तब लगती है जब कोई बड़ा कांड हो जाता है.

ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री रह चुके भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता राघवजी भाई का सुर्खियों में रहा था जो अपने घरेलू नौकर राजकुमार के साथ वही सब करते थे जो आनंद जैन राजेश के साथ कर रहे थे.

तब राघवजी की ज्यादतियों से तंग आ गए राजकुमार ने उन की करतूतों की सीडी बना कर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा दी थी. इस के चलते राघवजी को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था और उस कांड की बदनामी का दाग आज तक उन के दामन पर लगा है.

बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही समलैंगिक संबंधों को कानूनी मंजूरी दी तो राघवजी ने राहत की सांस लेते हुए कहा था कि अब उन पर चल रहा धारा 377 का मुकदमा बंद हो जाएगा.

लेकिन लौंडेबाजी के आदी हो गए मर्दों का कोई इलाज नहीं है. भोपाल के सैक्स में माहिर एक नामी डाक्टर की मानें तो यह कोई बीमारी नहीं है लेकिन इस के लिए जोरजबरदस्ती करना ठीक नहीं. दूसरे, नाबालिगों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह अभी भी कानूनन जुर्म है.

इन्हीं डाक्टर का यह भी कहना है कि कई वजहों के चलते कुछ मर्दों को औरतों के साथ सैक्स करने में मजा नहीं आता है इसलिए वे लड़कों को फंसाते हैं. यह उन की मजबूरी हो जाती है.

ज्यादातर मर्द दूसरे के हस्तमैथुन से संतुष्ट हो जाते हैं क्योंकि वह पूरे फोर्स से होता है लेकिन कुछ को सैक्स में ही मजा आता है.

अब कानून भी उन के साथ है लेकिन इस के बाद भी उन्हें फूंकफूंक कर कदम रखने होंगे. इस में उन का पार्टनर ब्लैकमेल भी कर सकता है और नाजायज मांगें भी मनवाने का दबाव बना सकता है क्योंकि उन की कमजोरी वह समझ चुका होता है कि ये पैसे वाले लोग अपने चेहरे से शराफत का नकाब उतरने से बहुत डरते हैं.

देह व्यापार में प्यार की कोई जगह नहीं

10 नवंबर, 2016 को दोपहर के करीब 2 बजे राजस्थान के जिला राजसमंद के थाना केवला की पुलिस को सूचना मिली कि उदयपुर से गोमती जाने वाले फोरलेन नेशनल हाईवे के किनारे पड़ासली भैरूंघाटी के पास एक लाश पड़ी है. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी भरत योगी अधिकारियों को घटना के बारे में बता कर घटनास्थल के लिए रवाना हो गए थे. उन के पहुंचतेपहुंचते एसपी डा. विष्णुकांत भी मौके पर पहुंच गए थे. लाश सड़क से 2 सौ मीटर की दूरी पर एक खाई में पड़ी थी. वह एक औरत की लाश थी, जो टीशर्ट और लैगिंग पहने हुए थी. मृतका का रंग गोरा, कद ठिगना तथा शरीर थोड़ा मोटा था. हाथ की अंगुलियों पर टैटू बने थे और नाखूनों पर नेलपौलिश लगी थी. बालों का रंग भूरा था, जिस से अंदाजा लगाया गया कि बालों पर कलर किया गया होगा. एक कान में बाली थी. गले पर गहरे जख्म थे.

मृतका की उम्र 30-35 साल के बीच थी. लाश के पास बीयर की बोतलें पड़ी थीं. देख कर ही लग रहा था कि हत्या कहीं और कर के लाश वहां ला कर फेंकी गई थी. पहनावे से मृतका मेवाड़ क्षेत्र की नहीं लग रही थी.

अनुमान लगाया गया कि मृतका किसी बड़े शहर की रहने वाली थी. आसपास बड़ा शहर उदयपुर था. गुजरात की सीमा भी नजदीक थी. पुलिस ने घटनास्थल से मिले सबूतों को जुटा कर आसपास के लोगों से लाश की शिनाख्त कराने की कोशिश की, लेकिन कोई भी उस की शिनाख्त नहीं कर सका. इस के बाद पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए केवला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के मुर्दाघर में रखवा दिया.

लाश देख कर डाक्टरों ने बताया कि मृतका की हत्या 10 से 15 घंटे पहले गला घोंट कर की गई थी. बाद में लाश को राजसमंद के सरकारी अस्पताल भिजवा दिया गया था. इसी के साथ लाश की शिनाख्त होने के बाद ही पोस्टमार्टम कराने का निर्णय लिया गया.

पुलिस के सामने समस्या मृतका की शिनाख्त की थी. इस के लिए पुलिस ने लाश के फोटो व वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर डाल दिए. इस के अलावा उदयपुर, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर के सभी थानों को लाश के फोटो भेज कर कहा गया कि मृतका का पता लगाने की कोशिश करें. हो सकता है कहीं उस महिला की गुमशुदगी दर्ज हो. इसी के साथ ही हाईवे पर स्थित नेगडि़या और मांडावाड़ा टोल प्लाजा की सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली गईं.

मृतका की लाश के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर डालने से पुलिस को सूचनाएं मिलीं कि मृतका उदयपुर की हो सकती है. इन्हीं सूचनाओं के आधार पर पुलिस ने उदयपुर जा कर स्थानीय पुलिस की मदद ली. लाश मिलने के तीसरे दिन यानी 12 नवंबर को पता चला कि वह लाश रोमा उर्फ रेशमा की थी, जो मुंबई की रहने वाली थी.

उदयपुर में रोमा जिस्मफरोशी करती थी. पुलिस ने जिस्मफरोशी करने वाली महिलाओं के संपर्क में रहने वाले कुछ लोगों से पता किया तो उन से रोमा का फोन नंबर मिल गया. उस नंबर को वाट्सऐप वाले दूसरे फोन पर डाला गया तो उस की डीपी में मृतका की तसवीर आ गई. वह लाश रोमा उर्फ रेशमा की ही थी.

इस के बाद पुलिस को यह भी पता चल गया कि रोमा उदयपुर में रेखा उर्फ पूजा छाबड़ा के लिए काम करती थी. रेखा उर्फ पूजा छाबड़ा का नाम उदयपुर पुलिस के लिए नया नहीं था. सैक्स रैकेट के मामले में वह उदयपुर की जानीमानी हस्ती थी. रोमा की हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस ने उसे 12 नवंबर को हिरासत में लिया. उस से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के बडे़ बेटे अनिल और ड्राइवर धनराज मीणा को भी हिरासत में ले लिया.

उदयपुर पुलिस ने तीनों को राजसमंद की थाना केवला पुलिस को सौंप दिया. पूछताछ के बाद पुलिस ने तीनों को 13 नवंबर को रोमा की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. इस पूछताछ में रोमा के मुंबई से उदयपुर आने और जिस्मफरोशी के धंधे की सरगना रेखा के बेटे से प्रेम करने से ले कर हत्या तक की कहानी सामने आ गई.

उदयपुर राजस्थान का पर्यटनस्थल है. यहां रोजाना तमाम देशीविदेशी सैलानी आते हैं. अन्य महानगरों की तरह यहां भी जिस्मफरोशी का कारोबार धड़ल्ले से होता है. उदयपुर की हिरणमगरी कालोनी के सेक्टर-9 की रहने वाली रेखा उर्फ पूजा काफी समय से सैक्स रैकेट चला रही थी.

उस के खिलाफ थाना हिरणमगरी में पीटा के 7 मामले दर्ज हैं. इस के अलावा वह शांतिभंग के मामलों में भी कई बार गिरफ्तार हो चुकी थी. रेखा की उम्र 50 साल के आसपास है. उस की शादी ललित छाबड़ा से हुई थी, जिस से उस के 2 बेटे हुए, बड़ा अनिल और छोटा मनीष.

रेखा पहले उदयपुर की हिरणमगरी के सेक्टर-5 में रहती थी. अभी भी वहां उस का मकान है, जिस में वह लड़कियों से जिस्मफरोशी कराती थी. इसी धंधे की बदौलत उस के संपर्क मुंबई, दिल्ली और कोलकाता की लड़कियों से हो गए थे. उदयपुर के कई नामीगिरामी होटलों के अलावा हाईवे पर स्थित फार्महाउसों व गेस्टहाउसों के संचालकों से उस के संपर्क थे.

जिस्म के शौकीनों के लिए वह मुंबई, दिल्ली और कोलकाता से लड़कियां बुलाती थी. रेखा लड़कियों की खूबसूरती और देह के आधार पर ग्राहकों से रकम वसूलती थी. बाहर से आई लड़कियां कुछ दिन उदयपुर में रह कर लौट जाती थीं.

ग्राहकों की जरूरत के हिसाब से रेखा फोन कर के लड़कियां बुला लेती थी. इस धंधे से उस ने करोड़ों की दौलत कमाई. इसी कमाई से उस ने उदयपुर के हिरणमगरी के सेक्टर-9 में 3 हजार वर्गमीटर का भूखंड खरीद कर आलीशान कोठी बनवाई. कोठी के बेसमेंट में अनैतिक गतिविधियों के लिए ठिकाने बनवाए. उस ने कोठी में चारों तरफ कैमरे लगवाए, ताकि बाहर की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके. कहा जाता है कि जब रेखा ने यह मकान बनवाना शुरू किया था, उस के कारनामों की वजह से मोहल्ले वालों ने काफी विरोध किया था, लेकिन उस ने आपराधिक लोगों की मदद से सब को चुप करा दिया था. इस मकान की कीमत इस समय करीब 5 करोड़ रुपए है.

रोमा उर्फ रेशमा भी रेखा के बुलाने पर जिस्मफरोशी के लिए मुंबई से उदयपुर आई थी. कहा जाता है कि रोमा मूलरूप से बांग्लादेश की रहने वाली थी. वह गरीबी की वजह से इस दलदल में फंस गई थी.

कुछ दिनों वह कोलकाता में रही, फिर वहां से मुंबई चली गई. अन्य कालगर्ल्स की तरह वह भी बुलाने पर मुंबई से दूसरे शहरों में जाने लगी. इसी तरह रेखा के बुलाने पर वह उदयपुर आई थी.

रोमा को उदयपुर अच्छा लगा, इसलिए वह रेखा के साथ रह कर जिस्मफरोशी करने लगी. शुरू में तो उस के चाहने वाले काफी थे, लेकिन धीरेधीरे उस का शरीर और उम्र बढ़ी तो चाहने वालों की संख्या घटने लगी.

यह सच्चाई भी है कि उम्र बढ़ने के साथ कालगर्ल्स के चहेतों की तादाद कम होने लगती है. रोमा की उम्र जरूर ज्यादा हो गई थी, लेकिन जब वह टाइट वेस्टर्न ड्रैस पहनती थी तो उस के उभार चाहने वालों को आकर्षित करते थे. बालों को भी वह कलर करने लगी थी. फिर भी उस का धंधा टूटता जा रहा था. इस के अलावा जिस्म बेचने के बाद भी उसे पूरा पैसा नहीं मिलता था. उस की कमाई का अधिकांश हिस्सा रेखा रख लेती थी. इसलिए अब उसे इस धंधे में अपना भविष्य खतरे में दिखाई दे रहा था.

रोमा के जो भी आशिक थे, वे सिर्फ उस के जिस्म से मतलब रखते थे. उन में से किसी की नजरों में उसे अपनापन नजर नहीं आता था. रोमा जब से उदयपुर आई थी, रेखा के साथ उसी के घर में रह रही थी. वह उस की आंटी भी थी और मालकिन भी. साथ रहने की वजह से रोमा का आमनासामना रोजाना रेखा के छोटे बेटे मनीष से होता था. कभीकभी रोमा अपने छोटेमोटे काम भी मनीष से करा लेती थी. मनीष को पता ही था कि उस की मां रेखा देहव्यापार कराती है. उस के घर एक से एक खूबसूरत और हर उम्र की लड़कियां आतीजाती रहती थीं.

मनीष करीब 28 साल का युवा था. उस की अपनी शारीरिक जरूरतें थीं. अगर वह चाहता तो घर आने वाली किसी भी कालगर्ल्स से अपनी शारीरिक जरूरत पूरी कर सकता था, लेकिन रोमा उस के दिल में जगह बनाने लगी थी. अपनी जरूरतों के हिसाब से वह भी मनीष से प्यार करने लगी थी. कब दोनों एकदूसरे के प्यार में खो गए, पता ही नहीं चला.

रोमा और मनीष के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए. ये संबंध लगातर चलते रहे, जिस से रेखा को उन के संबंधों की जानकारी हो गई. रेखा इस धंधे की खेलीखाई और घाघ औरत थी. उसे पता था कि इस तरह के संबंधों का क्या हश्र होता है. भविष्य के बारे में सोच कर रोमा रेखा की चिंता किए बगैर मनीष के साथ लिवइन रिलेशन में रहने लगी.

मनीष से रोमा को गर्भ भी ठहर गया. अब वह मनीष से शादी की बात करने लगी. उसे पता था कि मनीष से शादी करने के बाद वह रेखा की करोड़ों की जायदाद में आधे की हिस्सेदार हो जाएगी. इस के लिए ही वह मनीष पर शादी के लिए दबाव बनाने लगी.

इस बात की भनक रेखा को लगी तो उसे मामला गड़बड़ नजर आने लगा. वह कतई नहीं चाहती थी कि उस का बेटा कालगर्ल्स से शादी करे और उस की जायदाद में हिस्सा मांगे. पहले उसे लगता था कि इस मामले को वह अपने स्तर से निपटा देगी. लेकिन उस की चिंता तब बढ़ गई, जब उस का अपना बेटा मनीष भी रोमा की भाषा बोलने लगा.

रोमा को ले कर घर में लगभग रोज ही झगड़े होने लगे. इस से रेखा परेशान रहने लगी. अब वह रोमा से छुटकारा पाने के उपाय सोचने लगी. काफी सोचविचार कर उस ने फैसला किया कि इस झगड़े की जड़ रोमा है, इसलिए उसे ही मनीष के रास्ते से हटा दिया जाए.

रेखा ने काफी सोचविचार कर साजिश रची. उसी साजिश के तहत उस ने मनीष को तलवारबाजी के एक झगड़े में पुलिस से गिरफ्तार करवा कर जेल भिजवा दिया. मनीष के जेल जाते ही रेखा ने अपने ड्राइवर धनराज मीणा और बड़े बेटे अनिल से बात की. इस के बाद योजना के अनुसार, 9 नवंबर की शाम को धनराज ने रोमा को इतनी शराब पिलाई कि वह सुधबुध खो बैठी. उसी हालत में धनराज और रेखा ने सलवार के नाड़े से रोमा का गला घोंट कर उस की हत्या कर दी. अधिक नशा होने की वजह से वह विरोध भी नहीं कर सकी.

रेखा को पूरा विश्वास हो गया कि रोमा की मौत हो चुकी है तो उस ने अनिल और धनराज से कहा कि वे लाश को गाड़ी से ले जा कर कहीं फेंक आएं. अनिल और धनराज हुंडई आई10 कार की पिछली सीट पर लाश रख कर निकल पड़े. कार धनराज चला रहा था.

दोनों नेगडि़या टोलनाका, नाथद्वारा, राजनगर, केवला होते हुए मांडावाड़ा टोलनाके से हो कर पड़ासली के पास पहुंचे. वहीं हाईवे पर सुनसान जगह देख कर धनराज ने सड़क के किनारे कार रोक दी.

फिर अनिल की मदद से कार की पिछली सीट पर पड़ी रोमा की लाश को निकाल कर हाईवे से करीब 2 सौ मीटर दूर ले जा कर खाई में फेंक दिया. इस तरह लाश को ठिकाने लगा कर दोनों उसी कार और उसी रास्ते से रात में ही घर आ गए.

रोमा की हत्या का खुलासा होने पर पुलिस ने सबूत जुटाने के लिए नेगडि़या टोलनाका व मांडावाड़ा टोलनाका की सीसीटीवी फुटेज की फिर से जांच की तो उन की कार आतीजाती दिखाई दे गई. पुलिस ने दोनों की उस रात की मोबाइल की लोकेशन और काल डिटेल्स भी सबूत के तौर पर जुटाए.

कथा लिखे जाने तक पुलिस यह पता करने की कोशिश कर रही थी कि रोमा कौन थी, वह कहां की रहने वाली थी, उस के परिवार में कोई है या नहीं? अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने रोमा की लाश का पोस्टमार्टम करा कर अंतिम संस्कार करा दिया था.

बहरहाल, देहव्यापार करने वाली रोमा ने कभी नहीं सोचा होगा कि प्यार करने की उसे ऐसी सजा मिलेगी. रोमा के साथ जो हुआ, उस से एक बार फिर साबित हो गया है कि इस तरह की औरतों का कोई भविष्य नहीं होता.

इंटरनेशन तैराक की कातिल माशूका

23 जनवरी, 2017 की सुबह की बात है. बिहार के भागलपुर के लोदीपुर थानांतर्गत कवाली नदी के किनारे कुछ बच्चे बेर तोड़ रहे थे तभी किसी की नजर पास की झाड़ी में पड़ी एक लाश पर गई. लाश देखते ही डर कर बच्चे वहां से भाग गए. उन्होंने यह बात अपने जानने वालों को बताई तो गांव के कुछ लोग उस जगह पहुंच गए, जहां लाश पड़ी थी. वहीं से किसी ने फोन कर के यह जानकारी लोदीपुर थाने में दे दी. सुबह 10 बजे के करीब पुलिस को जैसे ही लाश मिलने की सूचना मिली तो थानाप्रभारी भारतभूषण पुलिस टीम के साथ नदी के किनारे पहुंच गए.

वहां झाडि़यों में करीब 35 साल के एक युवक की लाश पड़ी थी. वह युवक विकलांग था. उस के दोनों हाथ नहीं थे. उस का चेहरा तेजाब से झुलसा हुआ सा लग रहा था. लाश से दुर्गंध आ रही थी. इस से लग रहा था कि उस की हत्या कई दिन पहले की गई थी.

जांच में उस लाश की पुष्टि इंटरनैशनल तैराक और बिहार सरकार के सचिवालय में क्लर्क की नौकरी करने वाले विनोद कुमार सिंह के रूप में हुई. विनोद मूलरूप से सीवान जिले के बड़ा सिकवा इलाके के नौतन बाजार में रहने वाले रामजी सिंह का बेटा था. वह पश्चिम बंगाल के 24 परगना के स्कूल में अध्यापक थे. पुलिस ने खबर भेज कर रामजी सिंह को बुलवा लिया. बेटे की लाश देख कर वह फूटफूट कर रोने लगे. मौके की काररवाई पूरी कर के पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

पुलिस ने रामजी सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि विनोद का लोदीपुर की रहने वाली वौलीबौल खिलाड़ी रंजना कुमारी से प्रेम चल रहा था. 6 जनवरी, 2017 से ही वह पटना से लापता था. तब 13 जनवरी को उन्होंने उस के गायब होने की सूचना सचिवालय थाने में दी. इस के 8 दिन बाद भी जब विनोद के बारे में जानकारी नहीं मिली तो उन्होंने विनोद के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी. एफआईआर दर्ज कराते हुए उन्होंने रंजना कुमारी, उस के पिता, मां, बहनोई और फुफेरे भाई पर अपहरण की आशंका जताई थी.

इंटरनैशनल तैराकी में मुकाम बना चुके विनोद को इसी उपलब्धि पर सचिवालय भवन में जल संसाधन विभाग में सन 2012 में क्लर्क की नौकरी मिली थी. विनोद के करीबी लोगों ने पुलिस को बताया कि वह रंजना को तैराकी सिखाता था. उसी दौरान दोनों करीब आए. दोनों चोरीछिपे मिलते रहते थे और धीरेधीरे उन का प्यार परवान चढ़ गया. विनोद शादीशुदा ही नहीं, बल्कि 2 बच्चों का पिता था. बेटा मिलन सिंह 7 साल का और बेटी गुनगुन 4 साल की है. विनोद की बीवी वीणा अपने ससुर के साथ ही 24 परगना में ही रहती है.

इस के बावजूद भी उस का रंजना से चक्कर चल रहा था. विनोद अपने परिवार के साथ पटना के राजवंशी नगर मोहल्ले में रहता था. उस के साथ उस का भांजा अंकित भी रहता था. विनोद के पिता ने पुलिस को बताया कि रंजना का मकसद विनोद के पैसों पर कब्जा जमाना था. रंजना सीतामढ़ी के डीएवी स्कूल में टीचर थी. विनोद जहां इंटरनैशनल डिसएबल स्विमर था तो वहीं रंजना स्टेट लेवल की वौलीबाल खिलाड़ी रह चुकी थी. विनोद के साथ पटना में रहने वाले उस के भांजे अंकित ने बताया कि जब विनोद गायब हुआ था तो उस दौरान वह पटना में नहीं था. वह कोलकाता जाने की बात कह कर पटना से निकले थे. पर बाद में पता चला कि वह कोलकाता पहुंचे ही नहीं.

जांच की इसी कड़ी में पुलिस को पता चला कि पहली जनवरी, 2017 को विनोद पर मोबाइल छीनने का आरोप लगा था. 2 लोग उसे पीटने पर उतारू थे. उन से जान बचा कर विनोद किसी तरह तिलकामांझी थाने के पास पहुंच गया. तब पुलिस ने उसे बचाया था. जो लोग उस की पिटाई करने पर उतारू थे उन्होंने पुलिस को बताया कि एक बैंक के एटीएम बूथ के पास विनोद ने किसी लड़की का मोबाइल फोन छीना है.

उन की यह बात सुन कर पुलिस भी चौंकी क्योंकि जिस आदमी के दोनों हाथ ही कंधों से न हों, वह किसी का मोबाइल कैसे छीन सकता है. तब उन दोनों युवकों ने पुलिस की उस लड़की से भी बात कराई. जिस का मोबाइल छीनने का वह आरोप लगा रहे थे. वह लड़की रंजना ही निकली और जो 2 आदमी विनोद को पीट रहे थे उन में एक रंजना का बहनोई और दूसरा मौसेरा भाई था.

रंजना ने पुलिस को बताया कि विनोद ने उस का मोबाइल छीना नहीं था बल्कि कई दिन पहले ले लिया था जो अब लौटा नहीं रहा है. पुलिस ने विनोद से मोबाइल फोन ले कर रंजना के बहनोई को दे दिया.

रंजना और उस के घर वाले चाहते थे कि विनोद रंजना का पीछा छोड़ दे. लेकिन विनोद नहीं मान रहा था. उस से पीछा छुड़ाने के लिए उन्होंने उस पर लूटपाट का झूठा आरोप लगाया था.

विनोद ने पुलिस को बताया कि रंजना उस की बीवी है, जो लोदीपुर इलाके में रहती है. वह नए साल पर उसे गिफ्ट देने आया था. इतना ही नहीं उस ने अपने मोबाइल में रंजना की और अपनी विवाह की तसवीरें भी दिखाईं.

विनोद तैराकी के बटरफ्लाई स्ट्रोक में माहिर था. उस ने सन 2005 और 2008 के बीजिंग पैरा ओलांपिक के अलावा 2011 में कई नैशनल और इंटरनैशनल तैराकी प्रतियोगिताओं में भाग लिया था. कई प्रतियोगिताओं में वह भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुका था. सन 2006 में मलेशिया में आयोजित ऐशियाई खेलों में भी उस ने भाग लिया था.

इस के बाद सन 2007 में ताइवान में आयोजित वर्ल्ड ऐम्प्यूटी स्पोर्ट और जरमन ओपन में हिस्सा ले चुका था. 2008 में वह तैराकी का इंटरनैशनल चैंपियन बना था. जर्मनी में तैराकी प्रतियोगिता में उसे गोल्ड मैडल मिला था. उस की इस उपलब्धि पर बिहार और बंगाल सरकार ने उसे कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया था.

साल 2012 में विनोद को खेल कोटा से बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग में क्लर्क की नौकरी मिली थी. शनिवार और रविवार को वह कोलकाता जा कर तैराकी का अभ्यास करता था.

अपनी विकलांगता को अपना हथियार बनाने वाले विनोद ने कभी हिम्मत नहीं हारी. उस के दोनों हाथ नहीं थे इस के बावजूद भी वह पैरों से ही सारा काम कर लेता था. घरेलू काम हो चाहे औफिस का काम हो, वह सारा काम पैरों से ही करता था. मोबाइल फोन से ले कर कंप्यूटर तक वह बिना किसी अवरोध के पैरों से ही चला लेता था.

रंजना के पिता राधाकृष्ण मंडल स्वास्थ्य विभाग में नौकरी करते थे. वह रिटायर हो चुके हैं. चूंकि विनोद के पिता ने रंजना के घर वालों पर ही आरोप लगाया था इसलिए पटना के एसएसपी मनु महाराज के निर्देश पर पुलिस ने रंजना, उस के पिता राधाकृष्ण मंडल, मां सबरी देवी, बहनोई शंभू मंडल को हिरसत में ले कर पूछताछ की तो उन्होंने विनोद की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. पूछताछ में पता चला कि खेल कोटे के तहत नौकरी का फार्म भरने के लिए रंजना बिहार सचिवालय में गई तो वहीं पर उस की मुलाकात विनोद से हुई थी. बाद में दोनों के बीच संबंध और गहरे हो गए.

रंजना ने कई चौंकाने वाली बातें पुलिस को बताईं. उस ने बताया कि वह विनोद से प्यार करती थी. पर उस ने खुद के शादीशुदा होने की बात उस से छिपाई. जब उसे पता चला कि विनोद 2 बच्चों का बाप है तो उस ने विनोद से दूरी बनानी शुरू कर दी.

रंजना के फोन में विनोद के साथ खींचे गए कुछ फोटो खास पलों के थे. विनोद ने उस का फोन अपने पास रख लिया. वह उन फोटो को सार्वजनिक करने की धमकी दे कर रंजना पर शादी का दबाव बना रहा था. पर रंजना उस से शादी तो दूर बल्कि उस से मिलना तक नहीं चाहती थी. बाद में रंजना की नौकरी सीतामढ़ी के डीएवी स्कूल में लग गई. लेकिन विनोद उस से मिलने उस के स्कूल में भी पहुंच जाता था.

रंजना ने बताया कि विनोद पैरों से ही मोबाइल फोन को पकड़ कर सेल्फी भी खींच लेता था. इतना ही नहीं वह पैरों से ही सिगरेट जला कर पी लेता था. कई बार जब वह उस से मिलने भागलपुर पहुंचता था और उस के घर वाले घर का दरवाजा नहीं खोलते थे तो वह बरामदे में ही घंटों बैठा रहता था. उस दौरान वह पैरों से ही माचिस जला कर सिगरेट जला लेता था और कश पर कश लेता रहता था.

रंजना की मां सबरी देवी ने रोतेरोते पुलिस से कहा कि परिवार की इज्जत बचाने के लिए गलत काम करना पड़ा. विनोद रंजना को ही नहीं बल्कि पूरे परिवार को ब्लैकमेल कर रहा था. रंजना और विनोद के रिश्तों की वजह से समाज में उस के परिवार की काफी बदनामी हो रही थी. छोटी बेटी का विवाह पक्का हो चुका था. विनोद की धमकी के बाद परिवार के लोगों को इस बात का अंदेशा था कि कहीं विनोद की वजह से बेटी का रिश्ता न टूट जाए. इसलिए परिजनों ने विनोद को यह समझाने की कोशिश की बेटी की शादी तक चुप रहे पर वह कुछ सुनने को तैयार नहीं था.

रंजना की बहन की शादी की तारीख जैसेजैसे नजदीक आती जा रही थी वैसेवैसे रंजना के घर वाले परेशान हो रहे थे. क्योंकि विनोद रंजना पर साथ रहने का दबाव  बढ़ा रहा था. 6 मार्च, 2017 को रंजना की बहन की शादी की तारीख निश्चित हो गई. रंजना को डर लगने लगा था कि विनोद और उस के अवैध संबंधों की बात बहन के ससुराल वालों को पता चल गई तो शादी टूट सकती है.

रंजना ने मिलने के लिए उसे भागलपुर बुलाया ताकि उसे बैठा कर समझाया जाए. विनोद 6 जनवरी को ही भागलपुर रेलवे स्टेशन पहुंच गया. उस समय रात हो गई थी इसलिए वह रेलवे स्टेशन पर ही रुक गया था. 7 जनवरी को वह रंजना से मिलने पहुंच गया. काफी समझाने के बाद भी विनोद अपनी जिद पर अड़ा रहा.

7 जनवरी की सुबह विनोद ने अपने पिता से बात की. पिता को जब पता चला कि वह भागलपुर में रंजना के पास गया है तो उन्होंने उस से कहा कि वह तुरंत लौट आए. पर विनोद ने कहा कि रंजना के भाई बिट्टू ने मिलने के लिए बुलाया है उस से बातचीत कर के लौट आऊंगा.

इस के बाद विनोद ने रंजना के मौसेरे भाई बिट्टू को फोन कर के कहा कि रंजना के मांबाप से बोल दो कि रंजना से उस की शादी हो चुकी है और अब जल्द से जल्द वह उस की विदाई कर दें. रंजना के बहनोई शंभू मंडल ने पुलिस के सामने कबूल कर लिया कि उस ने रंजना के मौसेरे भाई कमल किशोर उर्फ बिट्टू और उस के एक दोस्त संजीव के साथ मिल कर विनोद का कत्ल किया था. कत्ल के दौरान रंजना वहां मौजूद नहीं थी.

सभी ने पकड़ कर विनोद को जमीन पर पटक दिया. रंजना की मां और संजीव ने उस के पैर पकड़ लिए और बिट्टू उस का गला घोंटने लगा. शंभू ने विनोद के मुंह में गमछा ठूंस कर नाक दबा ली. कुछ ही देर में दम घुटने से विनोद की मौत हो गई. चूंकि रंजना ने ही मिलने के लिए विनोद को भागलपुर बुलाया था इस से वह साबित हो गया कि वह भी विनोद की हत्या की साजिश में शामिल थी.

पुलिस ने सभी अभियुक्तों से पूछताछ कर उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

डाक्टर ने 3 महिलाओं को कुचला, रुका और भाग गया

दिल्ली के करोल बाग इलाके में हिट एंड रन का मामला सामने आया है. मंगलवार रात रोड क्रॉस कर रहीं तीन महिलाओं को एक तेज रफ्तार कार ने टक्कर मार दी, जिसमें एक की मौत हो गई, जबकि दो जख्मी हैं. मृतका की पहचान 60 वर्षीय सन्नो के रूप में हुई है. हादसा इतना जबर्दस्त था कि एक महिला हवा में करीब 10 फुट उछलकर दूसरी ओर जा गिरीं.

दर्दनाक हादसे में महिला खून से लथपथ हालत में तड़पती रहीं. जबकि दो अन्य महिलाएं भी कार की चपेट में आ गई. हादसे के बाद कार चला रहा शख्स एक पल के लिए रुका फिर स्पीड बढ़ाकर वहां से भाग गया.

इस बीच पब्लिक इकट्ठा हो गई. हादसे की सूचना पर पीसीआर ने तीनों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया. जहां पुलिस ने मृत घोषित कर दिया. हादसे के चश्मदीदों और घटनास्थल से छानबीन के बाद पुलिस ने आरोपी कार सवार का पता लगाया. बुधवार सुबह उसे गिरफ्तार किया. जिसे थाने से ही बेल मिल गई. पुलिस ने महिला का शव परिजनों को सौंपकर जांच कर रही है.

पुलिस के मुताबिक, हिट एंड रन के इस मामले में कार सवार आरोपी एक डॉक्टर है. पूछताछ में उसकी पहचान अम्बुज गर्ग के तौर पर हुई है.

मेडिकल जांच से पता लगाया जा रहा है कि आरोपी डॉक्टर हादसे के वक्त नशे में तो नहीं था. चश्मदीद किशनगंज निवासी गीता देवी हैं. उनके बयान पर केस दर्ज किया है. गीता देवी, किरपाली देवी और सन्नो कुम्हार वाली गली सदर में एक कारखाने में काम करती थीं.

टाइम से पहुंचतीं तो बच सकती थी जान

हिट एंड रन के आरोपी डॉक्टर अंबुज गर्ग ने घटनास्थल पर ही अगर अपनी कार रोककर उस महिला को तुरंत अस्पताल पहुंचा दिया होता तो शायद वो जिंदा होतीं. यह कहना है हादसे के चश्मदीदों का. टक्कर लगने के बाद सन्नो तड़पती रहीं. तमाशबीन लोग भी मोबाइल से विडियो बनाते रहे. चश्मदीदों ने बताया है डॉक्टर अपनी कार में तेज रफ्तार से था.

सन्नो अपना काम खत्म कर घर जाने के लिए निकलीं. इस बीच रास्ते में पड़ोस में रहने वाली गीता और कृपाली देवी मिली. तीनों एक साथ घर जाने लगे. फिल्मिस्तान सिनेमा के पास तीनों रानी झांसी रोड पर सड़क पार करने लगीं. इसी दौरान ईदगाह की ओर से आए कार सवार डॉक्टर अंबुज गर्ग ने तीनों को टक्कर मार दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने तीनों को अस्पताल पहुंचाया. सन्नो को डॉक्टरों ने मृत बताया. गीता व कृपाली का इलाज जारी है.

पुलिस ने कार के नंबर के आधार पर देर रात को ही आरोपी डॉक्टर को उसके घर से दबोचकर कार बरामद कर ली और अरेस्ट किया. पुलिस मामले की छानबीन कर रही है.

लिफ्ट का बहाना, कहीं लुट न जाना

आप घर से दफ्तर, किसी टूर या अन्य काम से निकलते हैं तो घर सुरक्षित वापस आ जाएंगे या किसी अनहोनी का शिकार नहीं होंगे, इस बात की कोई गारंटी नहीं. वाहन नहीं है तो हो सकता है रास्ते में कहीं लिफ्ट लें और यदि वाहन है तो हो सकता है दयाभाव मन में आए और आप किसी को लिफ्ट दे दें लेकिन लिफ्ट का चक्कर कई बार माल और जान दोनों पर भारी पड़ जाता है. राहजनी करने वालों की गिद्ध दृष्टि सड़कों पर शिकार तलाशती रहती है और आप को पता भी नहीं चलता. जो जाल में फंसता है उसे कोई नहीं बचा सकता.

राष्ट्रीय राजमार्गों पर ऐसे कई खतरनाक गिरोह सक्रिय हैं जो लिफ्ट दे कर लोगों को लूटते हैं. मामूली लालच में वे हत्या करने से भी नहीं चूकते. चारपहिया वाहन चालकों से लिफ्ट लेने में भी ये माहिर खिलाड़ी होते हैं. वाहन चालक झांसे में आ जाए, इस के लिए वे अपने साथ महिला व बच्चों को भी रखते हैं. लूटने वालों ने अनोखे तरीके ईजाद किए हुए हैं. अनजाने में लोग इन के शिकार हो जाते हैं.

डा. सुमन त्यागी, उत्तर प्रदेश के कसबा किठौर में निजी क्लीनिक चलाती थीं. एक दिन वे क्लीनिक के लिए निकलीं, लेकिन रहस्यमय हालात में लापता हो गईं. उन का मोबाइल भी स्विच औफ हो गया. परिजनों को चिंता हुई. इंतजार के बाद गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुई. जम कर खोजबीन हुई. पार्षद पति डा. ब्रजेश त्यागी व उन से जुड़े लोगों ने हंगामा किया, जाम लगाया और पुलिस पर नाकामी का आरोप लगाया.

पुलिस ने अपहरण की धाराओं में मामला भी दर्ज कर लिया. सुमन को जमीन निगल गई थी या आसमान, कोई नहीं जानता था. कई महीने तक भी उन के जिंदा या मुर्दा होने का कुछ पता न चला. परिजनों ने सूचना देने वाले को 5 लाख रुपए का इनाम देने के पोस्टर भी कई स्थानों पर चस्पां कराए. डेढ़ साल के बाद भी सुमन का कोई सुराग नहीं लगा. परिजन व पुलिस दोनों ही थक कर शांत बैठ गए थे कि अचानक 13 जून को इस का राज खुल गया.

गाजियाबाद जिले के साहिबाबाद पुलिस ने बावरिया गिरोह के 5 बदमाशों को गिरफ्तार किया. उन्होंने राजमार्गों पर होने वाली लूट व हत्याओं की कई वारदातों का इकबाल किया. इसी गिरोह ने कुबूल किया कि डा. सुमन त्यागी को भी उस ने ही अपनी जीप में लिफ्ट दे कर पहले लूट का शिकार बनाया और फिर गला दबा कर हत्या कर के शव को नहर में फेंक दिया.

फेंक देते थे नहर में शव

बेहद खूंखार इस गैंग ने दिल्ली, गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर, बागपत, अलीगढ़, नोएडा व हापुड़ जैसे स्थानों को अपने निशाने पर रखा हुआ था. गिरोह का लूट का तरीका बिलकुल अलग था. ये लोग अपने पास बोलेरो जीप रखते थे. बस अड्डों पर बस के इंतजार में खड़े लोगों को बैठा लेते थे. लोग आसानी से झांसे में आ जाएं, इस के लिए अपनी पत्नी व बच्चों को भी बैठा कर रखते थे. रास्ते में लूटपाट कर के उन्हें सड़क पर हत्या कर के किसी जंगल या नहर में शव फेंक देते थे. गिरोह ने इसी तरह 100 से ज्यादा वारदातें कीं. पकड़े जाने के डर से ये इलाका बदलते रहते थे. हत्या व लूट के कई मामलों से परदा तो उठ गया, लेकिन इस के सरगना को पुलिस नहीं पकड़ सकी.

गाजियाबाद के तत्कालीन एसएसपी नितिन तिवारी का कहना है, ‘‘लोगों को अनजान लोगों व डग्गामारी करने वालों के वाहनों में बैठने से बचना चाहिए. पकड़े गए बदमाशों के अलावा और भी बदमाश हैं जो ऐसी ही वारदातें करते हैं. हम उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहे हैं.’’

नएनए हथकंडे

हाईवे पर लूट के कई तरीके हैं. कोई लिफ्ट दे कर लूटता है तो कोई ले कर. कोई पंक्चर होने की बात कर के तो कोई पैर पर गाड़ी चढ़ने की बात कह कर. कुश शर्मा नोएडा की एक मोबाइल कंपनी में जौब करता है. अपने परिजनों से मिल कर वह स्विफ्ट कार में सवार हो कर मेरठ से औफिस जा रहा था. वह जैसे ही मुरादनगर पहुंचा तो हलका जाम लग गया. इसी बीच एक युवक शीशे पर हाथ मार कर बाईं ओर से चिल्लाया कि मेरे पैर पर गाड़ी चढ़ा दी. कुश घबराहट में गाड़ी रोक कर नीचे उतर गया. युवक ने बेवजह शोर मचाया, ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था. वह वापस सीट पर आ कर बैठ गया. लेकिन इसी बीच डैशबोर्ड पर रखे उस के 2 महंगे मोबाइल गायब हो चुके थे. गाड़ी पैर पर चढ़ने की बात करने वाला युवक भी पलक झपकते ही नदारद हो गया.

दरअसल, कुश लूटपाट करने वाले गिरोह का शिकार हो गया था. यूपी के नैशनल हाईवे पर पड़ने वाले मोदीनगर व मुरादनगर थाने में इसी तरह के कई मामले दर्ज हैं. लूट करने वालों का दूसरा तरीका होता है आप की कार में पंक्चर बता कर. यह गिरोह कार में चलता है और उस के कुछ सदस्य पैदल होते हैं. गिरोह के सदस्य चालक को बताते हैं कि उस की कार के पिछले पहिए में पंक्चर हो गया है या पैट्रोल लीक हो रहा है. चालक नीचे उतर कर देखता है तो लूट का शिकार हो जाता है. एनसीआर के इंदिरापुरम थाने की पुलिस ने ऐसे गिरोह के 4 सदस्यों को गिरफ्तार कर के कुछ मामलों का खुलासा किया. बकौल इंस्पैक्टर राजेश द्विवेदी, ‘‘हम ने जिस गिरोह को पकड़ा वह लोगों की कार के डैशबोर्ड पर रखे महंगे मोबाइल फोन लूटता था. यह गिरोह उन्हीं को निशाना बनाता था जो अधिकांश अकेले होते थे या जिन के डैशबोर्ड पर मोबाइल रखे होते थे. महंगे मोबाइल को डैशबोर्ड पर रखना लुटेरों को न्यौता देने जैसा साबित हो रहा है.’’

छात्र बन कर लेते हैं लिफ्ट

युवकों का ऐसा भी गिरोह होता है जो छात्र बन कर पहले लिफ्ट लेता है फिर लूटता है. चैकिंग के दौरान गाजियाबाद पुलिस ने शादाब, वसीम व अंकित को गिरफ्तार किया. इन तीनों बदमाशों के पास चोरी की 2 बाइकें व कुछ हथियार मिले. यह गिरोह रात को पीठ पर बैग लटका कर छात्रों की ड्रैस पहन कर खड़ा हो जाता था और कार चालकों से लिफ्ट लेता था. लिफ्ट देने वालों को लूट लिया जाता था. कई बार मोटरसाइकिल से कार को ओवरटेक कर के भी लूटपाट करते थे. जब अंकित से पूछा गया कि यह आइडिया कहां से आया तो उस ने बताया कि कार चालक जल्दी विश्वास करें, इसलिए वे छात्र बन कर रहते थे, ताकि लिफ्ट मिल जाए.

अंडामार लुटेरे

वाहन चालकों को लूट का शिकार बनाने के लिए अनोखे तरीके अपनाए जाते हैं. सड़कों पर अंडामार लुटेरे भी होते हैं. आप की चलती कार के शीशे पर यदि कोई मुरगी का अंडा फेंक दे तो उसे साफ करने के लिए कार रोकने, पानी डाल कर वाइपर चलाने की तत्काल गलती न करें. इस से लुटेरे आप को अपना शिकार बना सकते हैं. दरअसल, जैसे ही अंडे की जर्दी को साफ करने के लिए वाइपर चलाया जाता है, उस की सफेदी पूरे शीशे पर फैल जाती है. इस से शीशा बुरी तरह धुंधला हो जाता है मजबूरन कार रोकनी पड़ती है और इसी बीच पीछा करता गिरोह लूटपाट शुरू कर देता है.

लुटेरी हसीनाएं

सुनसान सड़क या बस स्टौप पर, कोई जींसटौप पहने खूबसूरत युवती आप से मोहक मुसकान के साथ लिफ्ट मांगे तो कई बार सोच लें, क्योंकि यह नुकसानदेह हो सकता है. ऐसी युवतियां लूट करने वाले गिरोह की सदस्य भी हो सकती हैं. कई बार वे अपने साथियों से लुटवा देती हैं तो कई बार हथियार की नोंक व इज्जत से खिलवाड़ करने का आरोप लगाने की धमकी दे कर खुद ही लूट लेती हैं. मामला लड़की का होता है, इसलिए शर्मिंदगी में कई बार लूट का शिकार व्यक्ति किसी से कुछ कह भी नहीं पाता. कई हाईवेज पर ऐसी लड़कियां सक्रिय हैं जिन्हें हर वक्त अपने शिकार की तलाश रहती है.

प्यार के जाल में लड़के लड़कियां

प्यार के जाल में फंस कर आज भी बहुत से नौजवान लड़केलड़कियां जेल की सलाखों में बंद हैं. आएदिन प्यार के फेर में पड़ कर लड़केलड़कियों की हत्या तक कर दी जाती है.

जब एक नौजवान लड़का और लड़की किसी तरह आपस में मिलते हैं, तो वे दोनों बहुत से सपने देखते हैं. लेकिन ज्यादातर प्रेमियों के सपने पूरे नहीं होते. ऐसे सपनों की सचाई भी अलगअलग होती है.

राकेश एमएससी तक पढ़ालिखा था. 10वीं क्लास में पढ़ने वाली एक लड़की अंजू को वह ट्यूशन पढ़ाता था. थोड़े ही समय में वह उस लड़की से इश्क करने लगा. अंजू भी मान गई. दोनों साथ जीनेमरने का सपना देखने लगे. स्कूल, पार्क, रैस्टोरैंट में दोनों का लगातार मिलना जारी रहा.

इस दौरान राकेश के मातापिता ने दूसरी जगह लड़की देख कर उस की शादी तय कर दी. ज्यों ही यह बात अंजू को मालूम हुई, वह राकेश पर दबाव बनाने लगी, ‘‘अगर तुम ने उस लड़की से शादी की, तो मैं जहर खा कर जान दे दूंगी.’’

राकेश को अपने भरोसे में ले कर अंजू बोली, ‘‘हम लोग यहां से किसी दूसरी जगह भाग चलते हैं.’’

अंजू अपने पिता की अलमारी से 50 हजार रुपए निकाल कर ले आई. दोनों नई दिल्ली के लिए चल दिए.

उधर अंजू के मातापिता ने अपनी बेटी के अपहरण का मामला लोकल थाने में दर्ज करा दिया. पुलिस छानबीन करने लगी.

मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर पुलिस ने उन दोनों को नई दिल्ली के एक होटल से गिरफ्तार कर लिया.

अंजू का मैडिकल टैस्ट कराया गया. जांच में उस के साथ जिस्मानी संबंध बनाने की तसदीक हो गई.

राकेश के ऊपर अंजू को अगवा करने और उस का बलात्कार करने का मुकदमा चला. उसे अदालत ने 8 साल की सजा सुनाई. वह आज भी जेल में बंद है.

इसी तरह की दूसरी घटना है. इलैक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग कर चुके अमित कुमार का बैंगलुरु में कंप्यूटर ट्रेनिंग सैंटर था. ट्रेनर के रूप में उस ने एक लड़की को बहाल किया था. उस का नाम शबाना था. दोनों एक ही जगह पर रह कर काम कर रहे थे. दोनों में नजदीकियां बढ़ने लगीं. धीरेधीरे ये नजदीकियां प्यार में बदलने लगीं और उन्होंने शादी करने का मन बना लिया.

अमित ने अपने मातापिता के सामने उस लड़की से शादी करने की बात कही, पर दोनों के बीच धर्म आडे़ आने लगा. अमित के मातापिता किसी भी शर्त पर दूसरे धर्म की लड़की के साथ अपने बेटे की शादी करने को राजी नहीं थे.

इस शादी के लिए शबाना के मातापिता भी तैयार नहीं थे. दोनों ने शहर छोड़ने का फैसला लिया और अहमदाबाद चले गए. शबाना के मातापिता ने मुकदमा कर दिया. जल्दी ही पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया और अमित को जेल भेज दिया गया.

रमता अपने गांव के ही साथ में पढ़ने वाले संजय से प्यार करती थी. कभीकभी रात में मौका पा कर दोनों आपस में जिस्मानी संबंध बना लिया करते. वह पेट से हो गई. इस की जानकारी ज्यों ही लोगों को हुई, उन्होंने रमता की हत्या कर लाश गांव के एक कुएं में फेंक दी.

पुलिस को पता चला, तो जांच के दौरान सचाई जब सामने आई, तो उस के परिवार वालों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. सामाजिक मुद्दों की जानकारी रखने वाले कृष्णा सिंह का कहना है कि अगर लड़का या लड़की आपस में प्यार करते हैं, तो सोचसमझ कर करें. इस में दोनों के मातापिता और घर वालों की रजामंदी होना जरूरी है, नहीं तो बाद में बड़े अपराध तक हो जाते हैं.

बुजुर्ग दंपती के मुंह पर टेप लगाकर 45 लाख लूटे

वेस्ट दिल्ली के पंजाबी बाग थाना इलाके में रहने वाले बुजुर्ग दंपती को घर में बंधक बनाकर लूट लिया गया. 45 लाख कैश, जूलरी और मोबाइल फोन लूटने का विरोध करने पर उन्हें पीटा भी गया. बाद में दोनों को बाथरूम में बांधकर बंद कर दिया गया. इसके बाद लुटेरों ने आराम से लूटपाट की. करीब 1 घंटे तक बदमाश घर में रहे. उनकी संख्या 3-5 बताई जा रही है. पुलिस का कहना है कि दो बदमाशों ने लूट को अंजाम दिया.

पुलिस के पास रविवार रात 8 बजे के बाद पीसीआर कॉल की गई. पीड़ित शिकायतकर्ता का नाम गिरधारी लाल है. 63 साल के गिरधारी लाल, पत्नी के साथ रहते हैं. वह एक फाइनैंस कंपनी चलाते हैं. रविवार शाम करीब 7:15 बजे किसी ने उनके घर की घंटी बजाई. गेट खोलने से पहले उन्होंने घंटी बजाने वाले से पहचान पूछी. अजनबी ने बताया कि एक ट्रक खरीदने के लिए पैसे लिए थे उसकी किस्त जमा करनी है. गेट खोलने पर दो आदमी घुसे.

कुछ देर तक दोनों ने गिरधारी लाल से इधर-उधर की बातें कीं. इसके बाद उनकी कनपटी पर पिस्टल तान दी. उन्होंने विरोध किया तो उनकी पिटाई भी की गई. इसी बीच, उनकी पत्नी वहां आ पहुंचीं. लुटेरों ने दोनों को बाथरूम ले जाकर बांध दिया. उनके मुंह पर भी टेप चिपका दी गई थी.

पुलिस का कहना है कि लुटेरे जाते-जाते उनके घर में लगे सीसीटीवी कैमरों की डीवीआर भी अपने साथ ले गए. ऐसे में उनकी पहचान नहीं हो पाई है. लुटेरों ने जिस तरह वारदात को अंजाम दिया उससे लगता है कि उन्हें यह पहले से पता था कि गिरधारी लाल के पास कितना कैश है. बदमाशों ने लूट की वारदात को अंजाम देते हुए उनसे कैश के बारे में पूछा था.

आशंका जताई जा रही है कि कंपनी में ही काम करने वाला कोई कर्मचारी लुटेरों में शामिल हो. कुछ लोगों को शक के दायरे में रखा गया है.

एक घंटे तक रहे घर में

  • 63 साल के गिरधारी लाल, पत्नी के साथ रहते हैं. वह एक फाइनैंस कंपनी चलाते हैं
  • घर में घुसे बदमाशों ने लूट का विरोध करने पर दंपती को पीटा भी
  • पुलिस का कहना है कि 2 बदमाश थे, कुछ लोगों का कहना है कि 3-5 बदमाश थे
  • कुछ देर तक दोनों ने गिरधारी लाल से इधर-उधर की बातें कीं, इसके बाद उनकी कनपटी पर पिस्टल तान दी

शर्मनाक : हवस के पुजारी

10 मार्च, 2016 की सुबह सैकड़ों लोग भोपाल के पौश इलाके टीटी नगर के कस्तूरबा स्कूल के सामने बने शीतला माता मंदिर के इर्दगिर्द इकट्ठा हो रहे थे. उस दिन वहां कोई धार्मिक जलसा नहीं हो रहा था और न ही यज्ञहवन या भंडारा था. भीड़ गुस्से में थी. कुछ लोगों के हाथ में लोहे के सरिए थे.

देखते ही देखते लोगों ने मंदिर के पीछे बनी दीवार तोड़ डाली, जो इस मंदिर के 58 साला पुजारी राजेंद्र शर्मा के घर की थी.

अभी भीड़ तोड़फोड़ कर ही रही थी कि दनदनाती हुई पुलिस की गाडि़यां आ खड़ी हुईं. पुलिस वाले नीचे उतरे और भीड़ को तितरबितर करने की कोशिश करने लगे, लेकिन उन के पास लोगों खासतौर से औरतों के इस सवाल का कोई जवाब नहीं था कि जब परसों उन की बेटी की इज्जत इसी मंदिर में लुट रही थी, तब पुलिस कहां थी?

इस सवाल के जवाब से ज्यादा अहम पुलिस वालों के लिए यह था कि भीड़ पुजारी के घर को और ज्यादा नुकसान न पहुंचा पाए, लिहाजा, पुलिस वालों ने औरतों को समझाया और 4 लोगों को तोड़फोड़ और बलवे के इलजाम में गिरफ्तार कर लिया.

यों फंसाया शिकार

कस्तूरबा नगर में झुग्गीझोंपडि़यां भी काफी तादाद में हैं. यहां के बाशिंदों की अपनी अलगअलग परेशानियां हैं, जिन्हें दूर करने वे इस मंदिर में अपना माथा झुकाने आया करते थे.

मंदिर का पुजारी राजेंद्र शर्मा नकद चढ़ावा और प्रसाद बटोरता था और इस के एवज में भगवान की तरफ से गारंटी भी देता था कि यों ही चढ़ावा चढ़ाते रहो, आज नहीं तो कल जब भी तुम्हारी बारी आएगी, भगवान जरूर सुनेगा और परेशानी दूर करेगा.

crime

ऐसी ही एक हैरानपरेशान औरत ललिता बाई (बदला नाम) थी, जिस का पति जगन्नाथ प्रसाद (बदला नाम) शराब की लत का शिकार हो कर निकम्मा हो चला था.

नशे में धुत्त रहने वाले जगन्नाथ को घरगृहस्थी तो दूर की बात है, जवान हो रही बेटी आशा (बदला नाम) की भी चिंता नहीं थी कि वह 12 साल की हो रही है और जैसेतैसे 5वीं जमात तक पहुंची है.

ललिता की चिंता यह थी कि अगर पति ने नशा करना नहीं छोड़ा, तो बेटी के हाथ पीले करना मुश्किल हो जाएगा.

काफी समझाने के बाद भी जगन्नाथ की शराब की लत नहीं छूटी, तो ललिता उसे मंदिर ले गई और पुजारी राजेंद्र शर्मा के आगे अपना दुखड़ा रोया.

पुजारी राजेंद्र शर्मा तो मानो इसी दिन का इंतजार कर रहा था. उस ने ललिता को एक टोटका बता दिया कि रोजाना मंदिर में दीया लगाओ, तो जगन्नाथ की शराब की लत छूट सकती है.

इस मशवरे के पीछे इस पुजारी की मंशा यह थी कि जगन्नाथ के घर से रोज दीया रखने तो ललिता आने से रही, क्योंकि माहवारी के दिनों में औरतें मंदिर में पैर रखना तो दूर की बात है, नजदीक से भी नहीं गुजरतीं. ऐसे में जाहिर है कि कभी न कभी ललिता अपनी बेटी आशा को भेजेगी और तभी वह अपनी हवस की आग बुझा लेगा.

और ऐसा हुआ भी. 8 मार्च, 2016 की शाम को दीया रखने आशा आई, तो ललिता की तो नहीं, पर राजेंद्र शर्मा की मुराद पूरी हो गई. जैसे ही आशा ने दीया लगाया, तो राजेंद्र ने उसे मंदिर की एक परिक्रमा लगाने को भी कहा.

आशा ने मंदिर का चक्कर लगाया और मंदिर के सामने आ खड़ी हुई. इस पर राजेंद्र ने उसे एक और दीया मंदिर के भीतर आ कर लगाने को कहा. जैसे ही वह दीया लगाने मंदिर के अंदर गई, तो हवस के इस पुजारी ने उसे खींच लिया और इज्जत तारतार कर दी.

अपनी हवस पूरी करने के बाद राजेंद्र शर्मा ने रोतीकराहती आशा को धमकी दी कि अगर किसी को कुछ बताया, तो अंजाम अच्छा नहीं होगा.

घर आ कर आशा ने मां ललिता को अपने साथ मंदिर में हुई ज्यादती की बात बताई, तो ललिता का खून खौल गया. ललिता ने कुछ खास लोगों को बात बता कर सीधे थाने का रुख किया.

मंदिर की तरह थाने में भी ललिता की सुनवाई नहीं हुई और मौजूदा पुलिस वाले उसे टरकाने की कोशिश करते हुए रिपोर्ट लिखने में आनाकानी करने लगे, पर अब तक महल्ले के काफी लोग थाने के बाहर जमा हो चुके थे. लिहाजा, पुलिस को पुजारी राजेंद्र शर्मा के खिलाफ बलात्कार की रिपोर्ट लिखनी पड़ी और उसे गिरफ्तार भी करना पड़ा.

दूसरे दिन 9 मार्च, 2016 को जैसे ही मंदिर में नाबालिग से बलात्कार की खबर आम हुई, तो लोगों ने जीभर कर पुजारी राजेंद्र शर्मा को कोसा, लेकिन यह कम ही लोगों ने सोचा कि मंदिर में बैठी शीतला माता ने क्यों नहीं आशा की इज्जत बचाई? क्यों फिल्मों की तरह उस का त्रिशूल उड़ कर राजेंद्र शर्मा की छाती में जा घुसा? क्यों किसी सांप ने आ कर उसे नहीं डसा, जो मंदिर में हैवानियत कर रहा था?

ऐयाशी के अड्डे

देवी ने कुछ नहीं किया, तो 10 मार्च, 2016 को गुस्साए लोगों ने ही इंसाफ करने की ठान ली, पर पुलिस बीच में आ गई, तो मामला आयागया हो गया.

लेकिन यह हादसा कई सच उजागर कर गया कि मंदिर बलात्कार करने के लिए महफूज जगह है, क्योंकि ये भगवान के घर हैं, इसलिए यहां कुछ गलत नहीं हो सकता. लेकिन हकीकत में मंदिर हमेशा से ही पंडेपुजारियों की ऐयाशी के अड्डे रहे हैं.

घनी बस्तियों में बने मंदिरों में तो दुकानदारी के खराब होने के डर से थोड़ाबहुत लिहाज चलता है, पर शहर से दूर सुनसान और नदी किनारे बने मंदिरों में शाम होते ही चिलम सुलग उठती है और गांजे के धुएं से पूरा माहौल ही गंधाने लगता है. दिनभर तो साधुसंत घरघर जा कर भीख मांगते हैं और शाम को अफीमगांजा और शराब के सेवन से अपनी थकान उतारते हैं.

भोपाल की बस्तियों में बने नाजायज मंदिरों पर कब्जा जमाने की नीयत से ज्यादातर पुजारी वहीं पर ही घर बना कर रहने लगे हैं, क्योंकि जमीनों के दाम आसमान छू रहे हैं और अहम बात यह कि अगर इलाका रिहायशी हो, तो दुकान खुद ब खुद चल पड़ती है.

लोग सुबहशाम मंदिर का घंटा बजाते हैं, पैसाप्रसाद चढ़ाते हैं और पुजारी की भी खासी इज्जत करते हैं, क्योंकि वही उन्हें बताता है कि किस उपाय से कौन सा दुख दूर होगा.

पति जगन्नाथ की शराब पीने की आदत तो इस से नहीं छूटी, उलटे नाबालिग बेटी की इज्जत देवी की आंखों के सामने तारतार होते लुट गई. इस से कुछ लोगों की आंखें खुलीं, तो उन्होंने बलवा कर डाला, जो समस्या का हल नहीं कहा जा सकता.

समस्या का हल है भगवान और उस का राग अलाप कर दोनों हाथों से पैसा बटोरते पंडेपुजारियों की असलियत समझना कि देवी या देवता कुछ नहीं कर सकते, लेकिन इन की आड़ में पुजारी जो न करे सो कम है.

सालभर मंदिरों में धार्मिक जलसे हुआ करते हैं. गरीबों से कहा जाता है कि भगवान सभी की गरीबी दूर करेगा. ऐसा होता तो अब तक देश में एक भी गरीब न बचता, लेकिन चढ़ावे के चक्कर में गरीब हर तरफ से लुटपिट रहा है और उन की औरतों की इज्जत ये पुजारी कैसे करते हैं, भोपाल की 2 वारदातों ने इसे उजागर किया है.

हालांकि आसाराम बापू जैसे भी नाबालिग लड़की की इज्जत अपने आश्रम में ही लूटने के इलजाम में जेल की सजा काट रहे हैं, पर उन से यह सबक कौन सीखता है कि मंदिर जाने से पाप नहीं धुलते, बल्कि पाप होने देने के मौके बढ़ जाते हैं.

यह भी बनी शिकार

दानदक्षिणा लेकर भक्तों के लोकपरलोक सुधरवाने का दावा करने वाले पुजारियों का खुद का लोक कितना बिगड़ा होता है, इस की एक और मिसाल भोपाल में ही 15 मार्च, 2016 को देखने में आई.

38 साला गोमती (बदला नाम) को उस के पति ने तलाक दे दिया था, इसलिए वह रोजगार और काम की तलाश में रायसेन से भोपाल चली आई और बाग दिलकुशा इलाके में किराए के मकान में रहने लगी. घर के पास बने मंदिर में गोमती रोज जाने लगी, तो पुजारी दुर्गा प्रसाद दुबे ने उसे अपनी बातों के जाल में फंसा लिया और 6 साल तक उस का जिस्मानी शोषण किया. इस के एवज में शादी का वादा भी किया.

पर जब दुर्गा प्रसाद दुबे का जी गोमती से भरने लगा, तो वह शादी के वादे से मुकरने लगा. घरों में झाड़ूपोंछा और बरतनकपड़े धो रही गोमती जैसेतैसे अपने जवान होते बेटे का पेट पालती थी. वह पुजारी की बीवी बनने का सपना देखने लगी थी. जब यह ख्वाब टूटा, तो वह भी सीधे थाने गई और पुजारी की ज्यादतियों और देह शोषण के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई. पुलिस ने दुर्गा प्रसाद दुबे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.

प्रीत या नादानी : इश्क के चक्कर में हत्या

दिल्ली-अमृतसर राष्ट्रीय राजमार्ग पर जालंधर से करीब 50 किलोमीटर पहले ही जिला जालंधर की तहसील है थाना फिल्लौर. इसी थाने का एक गांव है शाहपुर. इसी गांव के 4 छात्र थे- हनी, रमेश उर्फ गगू, तजिंदर उर्फ राजन और निशा. 15 से 17 साल के ये सभी बच्चे फिल्लौर के ही एक सरकारी स्कूल में पढ़ते थे.

एक ही गांव के होने की वजह से इन सभी का आपस में गहरा लगाव था. साथसाथ खेलना, साथसाथ खाना, साथसाथ पढ़ने जाना. लेकिन ज्योंज्यों इन की उम्र बढ़ती गई, त्योंत्यों इन के मन में तरहतरह के विचार पैदा होने लगे.

हनी के घर वालों की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, जबकि रमेश और राजन अच्छे परिवारों से थे. हनी के पिता हरबंसलाल की फिल्लौर बसअड्डे के पास फ्लाई ओवर के नीचे पंचर लगाने की छोटी सी दुकान थी. उसी दुकान की आमदनी से घर का खर्चा चलता था.

जबकि राजन और रमेश के पिता के पास खेती की अच्छीखासी जमीनों के अलावा उन का अपना बिजनैस भी था. इसलिए राजन तथा रमेश जेब खर्च के लिए घर से खूब पैसे लाते थे और स्कूल में अन्य दोस्तों के साथ खर्च करते थे.

शुरुआत में निशा हनी के साथ ज्यादा घूमाफिरा करती थी, पर बाद में उस का झुकाव रमेश की ओर से हो गया. धीरेधीरे हालात ऐसे बन गए कि इन चारों छात्रों के बीच 2 ग्रुप बन गए. एक ग्रुप में अकेला हनी रह गया था तो दूसरे में राजन, रमेश और निशा.

रमेश और निशा अब हर समय साथसाथ रहने लगे थे. दोनों के साथ राजन भी लगा रहता था. तीनों ही साथसाथ फिल्म देखने जाते. हनी को एक तरह से अलग कर दिया गया था. इस बात को हनी समझ रहा था. निशा ने हनी से मिलनाजुलना तो दूर, बात तक करना बंद कर दिया था.

एक दिन हनी ने फोन कर के निशा से कहा, ‘‘हैलो जानेमन, कैसी हो और इस समय क्या कर रही हो?’’

‘‘कौन…हनी?’’ निशा ने पूछा.

‘‘और कौन होगा, जो इस तरह तुम से बात करेगा. मैं हनी ही बोल रहा हूं.’’ हनी ने कहकहा लगाते हुए कहा, ‘‘अच्छा बताओ, तुम इस समय कहां हो? आज हमें पिक्चर देखने चलना है.’’

‘‘हनी, मैं तुम से कितनी बार कह चुकी हूं कि मुझे फोन कर के डिस्टर्ब मत किया करो. मैं तुम से कोई वास्ता नहीं रखती, फिर भी तुम मुझे परेशान करते हो. आखिर क्या बिगाड़ा है मैं ने तुम्हारा…?’’ निशा ने झुंझलाते हुए कहा.

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‘‘अरे डार्लिंग, परेशान मैं नहीं, तुम कर रही होे. आखिर तुम्हें मेरे साथ फोन पर दो बातें करने में इतनी तकलीफ क्यों होती है, जबकि दूसरे लड़कों के साथ आवारागर्दी करती रहती हो. तब तुम्हें कोई परेशानी नहीं होती.’’ हनी ने कहा तो उस की इन बातों से निशा खामोश हो गई. फिर उस ने हिम्मत जुटा कर कहा, ‘‘सुनो हनी, तुम जिन लड़कों की बात कर रहे हो, वे मेरे दोस्त हैं. अब तुम यह बताओ, मैं किसी के भी साथ घूमूंफिरूं, इस में तुम्हें क्या परेशानी है? यह मेरी मरजी है. मेरे दोस्त सभ्य परिवारों से हैं, समझे.’’

निशा की बात सुन कर हनी को गुस्सा तो बहुत आया, पर कुछ सोच कर उस ने अपने गुस्से पर काबू करते हुए कहा, ‘‘हां, सही कह रही हो. भला मैं कौन होता हूं. पर तुम शायद यह भूल गई कि तुम और तुम्हारे जो दोस्त हैं, वे मेरे ही गांव के हैं.’’

‘‘इस का मतलब तुम मुझे धमकी दे रहे हो?’’ निशा ने उत्तेजित हो कर कहा.

‘‘मैं तुम्हें कोई धमकी नहीं दे रहा. तुम ना जाने क्यों नाराज हो रही हो.’’ हनी ने कहा.

इस के बाद निशा थोड़ा नार्मल हुई तो हनी ने कहा, ‘‘अरे पगली, मुझे इस से कोई ऐतराज नहीं है. तुम किसी के साथ भी घूमोफिरो. मैं सिर्फ इतना चाहता हूं कि थोड़ा टाइम मुझे भी दे दिया करो. बात यह है कि आज मैं ने पिक्चर का प्रोग्राम बनाया है. तुम मेरे साथ पिक्चर देखने जालंधर चलो. मैं फिल्लौर बसअड्डे पर तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं.’’

‘‘ठीक है, मैं आ रही हूं, लेकिन आइंदा जो भी प्रोग्राम बनाना, मुझ से पूछ कर बनाना.’’ निशा ने कहा.

‘‘ओके जानेमन, मैं आइंदा से ध्यान रखूंगा. तुम टाइम पर बसअडडे आ जाना. बाकी बातें वहीं करेंगे.’’ हनी ने कहा.

निशा समझ गई कि हनी उसे ब्लैकमेल कर रहा है, इसलिए न चाहते हुए भी मजबूरी में उसे उस के साथ फिल्म देखने जाना पड़ा. इस के बाद यह नियम सा बन गया.

हनी जब भी निशा को बुलाता, न चाहते हुए भी उसे उस की बात माननी पड़ती. निशा जानती थी कि अगर उस ने उस की बात नहीं मानी तो इस का क्या परिणाम हो सकता है. क्योंकि हनी ने उस से स्पष्ट कह दिया था कि अगर उस ने उस की कोई बात नहीं मानी तो वह उस के और रमेश के संबंधों के बारे में उस के मातापिता से बता देगा.

उधर रमेश और उस के दोस्त को पता चल गया था कि निशा हनी के साथ घूमती है. यह बात उन्हें अच्छी नहीं लगी. इसलिए उन्होंने निशा को धमकी दी कि अगर उस ने हनी से बोलना बंद नहीं किया तो नतीजा ठीक नहीं होगा. निशा ने यह बात रमेश को नहीं बताई थी कि वह हनी के साथ अपनी मरजी से नहीं जाती, बल्कि यह उस की मजबूरी है.

निशा पेशोपेश में पड़ गई. वह जानती थी कि जिस दिन उस ने हनी से बोलना बंद किया, उसी दिन वह उस के मांबाप से उस की शिकायत कर देगा. लेकिन ऐसा कब तक चलता. एक न एक दिन इस बात का भांडा फूटना ही था.

यही सोच कर एक दिन निशा ने यह बात रमेश और राजन को बता दी कि हनी उसे किस तरह ब्लैकमेल कर रहा है. यह सुन कर रमेश और राजन का खून खौल उठा. उन्होंने उसी दिन हनी को रास्ते में घेर लिया. उन्होंने उसे धमकाते हुए कहा, ‘‘तुम निशा से दूर ही रहो, वरना यह तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा. तुम लापता हो जाओगे और तुम्हारे मांबाप तुम्हें ढूंढते रह जाएंगे.’’

दोनों की इस धमकी से उत्तेजित होने के बजाय हनी ने उन्हें समझाते हुए कहा, ‘‘देखो रमेश, हम सब दोस्त हैं और एक ही गांव के रहने वाले हैं. बचपन से साथसाथ खेलेकूदे हैं और पढ़ेलिखे हैं. अब यह बताओ कि तुम निशा के साथ बातें करते हो, घूमने जाते हो, मैं ने कभी बुरा माना तो फिर मेरे बात करने पर तुम्हें भी बुरा नहीं मानना चाहिए.’’

‘‘अच्छा तो पंक्चर लगाने वाले का बेटा मेरी बराबरी करेगा?’’ रमेश ने नफरत से यह बात कही. इस के बावजूद हनी ने मुसकराते हुए जवाब दिया, ‘‘रमेश बात हम लोगों के बीच की है, इसलिए इस में बड़ों को मत घसीटो.’’

बहरहाल, उस दिन तो मामला यहीं पर शांत हो गया. लेकिन हनी और रमेश के बीच कड़वाहट पैदा हो गई. आगे चल कर इस कड़वाहट का क्या नतीजा निकलेगा, कोई नहीं जानता था. हनी ने कुछ दिनों तक निशा से बात नहीं की.

7 जुलाई, 2017 को हनी ने निशा को फोन कर के मिलने के लिए कहा. इस बार निशा ने उस से मिलने से साफ मना कर दिया. हनी को गुस्सा आ गया. उस ने उसी दिन रमेश और निशा के प्रेमप्रसंग की बात निशा के पिता को बता दी.

बेटी की बदचलनी के बारे में जान कर मांबाप की नींद उड़ गई. निशा घर लौटी तो उन्होंने उसे डांटा. उस ने लाख सफाई दी, पर उन्होंने उस की बात पर विश्वास न करते हुए उसे घर में कैद कर दिया. यह बात जब रमेश और राजन को पता चली तो दोनों हनी के पास जा पहुंचे. दोनों पक्षों में काफी तूतूमैंमैं हुई और अंत में एकदूसरे को देख लेने की धमकी देते हुए अपनेअपने घर चले गए.

अगले दिन यानी 8 जुलाई, 2017 की शाम साढ़े 6 बजे हनी के पिता हरबंशलाल ने कहा, ‘‘जा बेटा, हवेली जा कर पशुओं के लिए चारा काट दे. पशु भूखे होंगे.’’

पिता के कहने पर हनी चारा काटने के लिए हवेली चला गया. चारा काटने का काम ज्यादा से ज्यादा एक घंटे का था. लेकिन जब हनी साढ़े 8 बजे तक घर नहीं लौटा तो हरबंशलाल को चिंता हुई. पहले तो उन्होंने अपने छोटे बेटे को हवेली जाने को कहा, फिर उसे रोक कर खुद ही उठ कर चल पड़े.

वहां हनी नहीं दिखा. उस ने चारा काट कर पशुओं को डाल दिया था. चारा काटने के बाद वह कहां चला गया, वह इस बात पर विचार करने लगे. उन्हें लगा ऐसा तो नहीं कि वह घर चला गया हो. वह घर लौट आए.

पर हनी घर नहीं आया था. उन्होंने उसे इधरउधर देखा, लेकिन वह कहीं दिखाई नहीं दिया. अब तब तक रात के 10 बज चुके थे. हनी के मातापिता के अलावा गांव के अन्य लोग भी रात के 1 बजे तक उसे गांव और आसपास ढूंढते रहे. पर हनी का कहीं पता नहीं चला. थकहार कर सब सो गए.

अगले दिन सुबह जब हनी के दोस्तों रमेश, राजन आदि को उस के गायब होने का पता चला तो सभी हनी के घर जमा हो गए. वे सब भी उसे खोजने लगे.

अगले दिन सुबह गांव का ही ओंकार सिंह अपने खेतों पर गया तो उस के खेत के दूसरे छोर पर नहर के पास एक जगह किसी आदमी का कटा हुआ कान पड़ा दिखाई दिया. वहीं पर काफी मात्रा में खून बिखरा था. खून देख कर ओंकार सिंह सोच रहा था कि यह सब वह किस ने किया होगा, तभी हरबंशलाल, रमेश, राजन तथा अन्य लोग हनी को तलाशते हुए वहां पहुंच गए.

कान और खून वाली जगह उन्होंने भी देखी, पर एक अकेले कान को देख कर कुछ कहा नहीं जा सकता था कि कान किस का होगा. खेत में कुछ दूरी पर खून से सनी एक चप्पल देख कर हरबंशलाल के मुंह से चीख निकल गई. वह कान को भले ही नहीं पहचान पाए थे, पर वह चप्पल उन के बेटे हनी की थी. कुछ दिनों पहले ही उन्होंने खुद वह चप्पल हनी को खरीद कर दी थी.

कान वाली जगह से खून टपकता हुआ खेत के बाहर तक गया था. सभी ने टपकते खून का पीछा किया तो वह नहर के किनारे तक टपका हुआ मिला. अनुमान लगाया गया कि मरने वाला जो भी था, उस की हत्या करने के बाद लाश को ले जा कर नहर में फेंक दिया गया था.

कुछ लोग गोताखोरों को बुलाने चले गए तो कुछ लोग पुलिस को सूचना देने थाने चले गए. पर गोताखोर और पुलिस आती, उस के पहले ही अपनी दोस्ती का फर्ज निभाते हुए रमेश और राजन नहर में कूद गए और लाश ढूंढने लगे.

सूचना मिलने पर थाना फिल्लौर के थानाप्रभारी राजीव कुमार अपनी टीम के साथ नहर पर पहुंच गए. गोताखोर भी आ कर नहर में लाश ढूंढने लगे. कुछ देर बाद गोताखोर नहर से लाश निकाल कर बाहर आ गए. लाश देख कर हरबंशलाल पछाड़ खा कर गिर गए. क्योंकि वह लाश और किसी की नहीं, उन के बेटे हनी की थी.

थानाप्रभारी ने लाश मिलने की सूचना अधिकारियों को दे दी. सूचना पा कर डीएसपी (फिल्लौर) बलविंदर इकबाल सिंह, सीआईए इंचार्ज हरिंदर गिल भी मौके पर पहुंच गए. लाश का मुआयना करने पर उस का एक कान गायब मिला. गरदन भी पूरी तरह कटी हुई थी. वह सिर्फ खाल से जुड़ी थी.

लाश व कान को बरामद कर पुलिस काररवाई में जुट गई. खेत से खूनआलूदा मिट्टी भी अपने कब्जे में ले कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दिया. पुलिस ने हरबंशलाल की तहरीर पर अज्ञात लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 34 के तहत मुकदमा दर्ज कर तफ्तीश शुरू कर दी.

15 साल के हनी की हत्या के विरोध में लोगों ने बाजार बंद कर पुलिस के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. सूरक्षा की दृष्टि से एसपी (जालंधर) बलकार सिंह ने फिल्लौर और शाहपुर में भारी मात्रा में पुलिस तैनात कर दिया. इस के अलावा एसपी ने लोगों को आश्वासन दिया कि जल्द ही केस का खुलासा कर अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

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उन के आश्वासन के बाद लोग शांत हुए. एसपी बलकार सिंह ने डीएसपी गुरमीत सिंह और डीएसपी बलविंदर इकबाल सिंह की अगुवाई में पुलिस टीमों का गठन किया, जिस में सीआईए इंचार्ज हरिंदर गिल, एसआई ज्ञान सिंह, एएसआई लखविंदर सिंह, परमजीत सिंह, हंसराज सिंह, हवलदार राजिंदर कुमार, निशान सिंह, प्रेमचंद और सिपाही जसविंदर कुमार को शामिल किया गया.

पुलिस ने सब से पहले मृतक हनी के यारदोस्तों से पूछताछ की. इस में निशा को ले कर रमेश और राजन की नाराजगी वाली बातें निकल कर सामने आईं. यह बात भी सामने आई कि इस हत्या से एक दिन पहले रमेश और हनी के बीच जम कर कहासुनी हुई थी.

संदेह के आधार पर पुलिस ने रमेश को पूछताछ के लिए थाने बुला लिया. पर उस की हिमायत में लगभग पूरा गांव थाने पहुंच गया. दबाव बढने पर पुलिस को तफ्तीश बीच में छोड़ कर उसे घर भेजना पड़ा.

हरबंशलाल ने अपने बयान में बताया था कि रात को जिस समय वह उसे तलाश रहे थे, उन्होंने अपने फोन से हनी को कई बार फोन किया था, पर हर बार फोन बंद मिला था. थानाप्रभारी राजीव कुमार ने हनी के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर चेक की तो उस में अंतिम फोन रमेश के फोन से गई थी.

रमेश के अलावा 4 नंबर और भी थे. डीएसपी गुरमीत सिंह ने राजन, रमेश सहित उन चारों लड़कों को उठवा लिया. इस बार थाने के बजाय उन्हें किसी अन्य जगह ले जाया गया. वहां हनी की हत्या के संबंध में पूछताछ की गई तो रमेश अधिक देर तक नहीं टिक सका. उस ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए हनी की हत्या की जो सनसनीखेज कहानी सुनाई, उसे सुन कर सभी सन्न रह गए.

रमेश और हनी के बीच निशा को ले कर खींचातानी चल रही थी. निशा और रमेश, दोनों के दिलों में इस बात को ले कर एक डर बैठा हुआ था कि हनी कभी भी उन की पोल गांव वालों या निशा के मांबाप के सामने खोल सकता है. ऐसा ही हुआ भी. हनी ने 7 जुलाई को जब निशा के घर वालों को निशा और रमेश के संबंधों की बात बता दी तो रमेश यह सहन नहीं कर सका.

रमेश ने उसी समय राजन के साथ मिल कर हनी को रास्ते से हटाने की योजना बना डाली. निशा को समझा कर उसे घर भेजते समय रमेश ने कहा, ‘‘तू चिंता मत कर, जल्द ही हनी की दर्दनाक चीखों की आवाज तेरे कानों को सुनाई देगी.’’

और फिर उसी शाम वह अपना फोन निशा के घर जा कर जबरदस्ती उसे दे आया. निशा की मां ने उस समय उसे बहुत डांटा था, पर वह वहां से भाग गया था. रमेश और राजन यह बात अच्छी तरह जानते थे कि हनी शाम को किस समय हवेली में चारा लेने जाता है.

दोनों दातर (दरांती) ले कर 8 जुलाई को हनी के पीछेपीछे पहुंच गए. हनी शाम 8 बजे जैसे ही हवेली से  घर जाने के लिए निकला दोनों ने उस का रास्ता रोक कर दोस्ताना लहजे में  कहा, ‘‘सौरी यार हनी, बेवजह तेरे साथ गरमागरमी कर ली, यार हमें माफ कर दे. हमें निशा से बात करने में कोई ऐतराज नहीं. तू कहे तो अभी के अभी तेरी निशा से बात करा दूं.’’

बात करतेकरते दोनों हनी को खेतों की तरफ ले गए. चलते हुए रमेश ने अपने उस फोन का नंबर मिलाया, जो वह निशा को दे आया था. उधर से जब निशा ने फोन उठाया तो रमेश ने कहा, ‘‘निशा, लो अपने पुराने साथी से बात करो.’’

हनी फोन अपने कान से लगा कर निशा से बातें करने लगा, तभी रमेश ने पीछे से दातर का एक भरपूर बार हनी के उस कान पर किया, जिस पर उस ने फोन लगा रखा था. एक ही वार में हनी का कान कट कर दूर जा गिरा और उस के मुंह से एक जोरदार चीख निकली.

इस के बाद रमेश और राजन ने यह कहते हुए हनी पर लगातार वार करने शुरू कर दिए कि ‘‘साले और कर निशा से बात.’’

हनी कटे हुए पेड़ की तरह जमीन पर गिर गया. कुछ ही देर में उस की मौत हो गई. हनी की हत्या कर के राजन और रमेश ने उस की लाश को घसीट कर पास वाली नहर में फेंक दिया और अपनेअपने घर चले गए.

पुलिस ने 11 जुलाई, 2017 को रमेश और राजन को हनी की हत्या के अपराध में गिरफ्तार कर अदालत में पेश कर रिमांड पर लिया. रमेश की उम्र 17 साल और राजन की उम्र 15 साल थी. अब यह अदालत तय करेगी कि उन पर काररवाई कोर्ट में चलेगी या बाल न्यायालय में.

रिमांड के बीच पुलिस ने वह दातर बरामद कर लिया था, जिस से हनी की हत्या की गई थी. इस के बाद पुलिस ने रमेश और राजन को बाल न्यायालय में पेश कर बालसुधार गृह भेज दिया.

पुलिस ने पूछताछ के लिए निशा को भी थाने बुलाया था कि इस अपराध में उस की भी तो कोई भूमिका नहीं है? पर थाने आते ही वह डर के मारे बेहोश हो गई. पुलिस ने उसे अस्पताल में भरती कराया. उस की हालत में सुधार होने पर उस से पूछताछ की गई, पर वह बेकुसूर थी, इसलिए उसे घर भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में रमेश, राजन तथा निशा बदले हुए नाम हैं.

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साली के जिस्म की चाहत ने जीजा से कराया जुर्म

उत्तर प्रदेश पुलिस में हैडकांस्टेबल शिवकुमार की पोस्टिंग शिकोहाबाद के सीओ औफिस में थी. उन का घर वहां से कोई 60-65 किलोमीटर दूर आगरा में था. वहीं से वह रोजाना अपनी ड्यूटी पर आतेजाते थे. परिवार में पत्नी के अलावा 2 बेटियां संगम और ज्योति तथा एक बेटा अमरेंद्र कुमार था. परिवार के साथ वह हंसीखुशी से जिंदगी बिता रहे थे. उन्होंने तीनों बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ायालिखाया था. बड़ी बेटी शादी लायक हुई तो उस की शादी उन्होंने अपने जिगरी दोस्त कुलदीप शैली के बेटे अशोक शैली से कर दी. कुलदीप गाजियाबाद के नेहरूनगर में रहते थे. उन की भी 2 बेटियां परविंद्र और पूजा तथा एक बेटा अशोक था. बेटी परविंद्र का विवाह उन्होंने बुलंदशहर के रहने वाले पंकज के साथ किया था.

संगम की शादी के समय उस की छोटी बहन ज्योति महज 12 साल की थी. अशोक गाजियाबाद में किसी फैक्ट्री में काम करता था. संगम और अशोक का जीवन काफी खुशहाल था. शादी के साल भर बाद ही अशोक एक बेटी का पिता बन गया था. वह जबतब अपनी पत्नी और बेटी के साथ ससुराल आता रहता था. शिवकुमार का बेटा अमरेंद्र एक दवा कंपनी में एमआर था. अशोक की बहन पूजा की शादी में निमंत्रण पा कर शिवकुमार पूरे परिवार के साथ आए थे. शादी में लहंगाचोली पहने ज्योति बहुत खूबसूरत लग रही थी. हालांकि उस की उम्र 14-15 साल थी, पर हृष्टपुष्ट शरीर की वजह से वह जवान लग रही थी. ऐसे में ज्योति की नजर अपने जीजा अशोक से टकराई तो उस की नजरों में उसे कुछ अजीब सा दिखाई दिया. क्योंकि इस के पहले अशोक ने कभी उसे इस तरह नहीं देखा था. चूंकि शादी अशोक की बहन पूजा की थी, इसलिए उस पर काफी जिम्मेदारियां थीं. वह भागदौड़ में लगा था. ऐसे में अशोक कई बार साली से टकराया. एक बार हिम्मत कर के उस ने ज्योति का हाथ पकड़ कर सहलाते हुए कहा, ‘‘ज्योति, आज तुम बड़ी सुंदर लग रही हो. किस पर बिजली गिराने का इरादा है ’’ जीजा की बात सुन कर ज्योति घबरा गई. झटके से अपना हाथ छुड़ा कर वह चली गई. उस का दिल जोरों से धड़क उठा था. वह समझ गई कि जीजा की नीयत ठीक नहीं है.

ज्योति सोच में डूबी थी कि जीजा उसे अजीब नजरों से क्यों देख रहे थे उसे लगा कि शायद उन्होंने मजाक किया होगा  इस बात को दिमाग से निकाल कर वह शादी के कार्यक्रमों में एंजौय करने लगी. लेकिन अशोक ने तो मन ही मन कुछ और ही सोच लिया था. शादी निपट जाने के बाद थकेहारे लोग आराम करने की सोच रहे थे, जबकि शिवकुमार अपने परिवार के साथ घर जाना चाहते थे, लेकिन कुलदीप ने उन्हें एक दिन और रुकने की बात कह कर रोक लिया. इस से अशोक को खुशी हुई, क्योंकि उस का दिल अपनी नाबालिग साली ज्योति पर आ गया था. वह किसी भी तरह उसे हासिल करना चाहता था. शादी की भागदौड़ में सभी काफी थक गए थे. इसलिए खापी कर सभी जल्दी ही सो गए. अशोक के लिए यह अच्छा मौका था. उस ने धीरे से ज्योति को उठा कर कहा, ‘‘चलो, तुम से कुछ बात करनी है.’’

डरीसहमी ज्योति के मुंह से आवाज तक नहीं निकली. उसे एकांत में ले जा कर अशोक उस के शरीर से छेड़छाड़ करने लगा. ज्योति ने विरोध किया तो उस ने कहा, ‘‘चुप रहो, अगर कोई जाग गया तो तुम्हारी ही बदनामी होगी.’’ ज्योति जानती थी कि अगर वह शोर मचाएगी तो घर के लोग उस की बात पर विश्वास नहीं करेंगे. क्योंकि सभी अशोक पर बहुत विश्वास करते थे. आखिर अशोक ने ज्योति को डराधमका कर अपनी हवस पूरी कर ली. यही नहीं, उस ने मोबाइल फोन से उस की कुछ आपत्तिजनक तसवीरें भी खींच लीं. अपना सब कुछ गंवा कर ज्योति कमरे में आ गई. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे  अशोक ने उसे धमकी दे रखी थी कि अगर उस ने किसी को कुछ बताया तो वह उसे बदनाम कर देगा.

ज्योति खामोश थी. उस के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था. बेटी को परेशान देख कर मां मुन्नी ने पूछा तो उस ने तबीयत खराब होने का बहाना बना दिया. घर आ कर ज्योति ने राहत की सांस ली. उस ने तय कर लिया कि अब वह जीजा से कभी बात नहीं करेगी. अपने साथ घटी घटना के बारे में उस ने घर वालों से इसलिए नहीं बताया कि कहीं बहन का घर न टूट जाए. इसलिए चुप रह कर वह अपनी पढ़ाई में लग गई. कुछ दिन इसी तरह बीत गए. जीजा का कोई फोन नहीं आया तो उसे लगा कि शायद उन्हें अपनी गलती का अहसास हो गया है. लेकिन यह उस की भूल थी. अशोक को इधर गाजियाबाद के एक फार्महाउस में मैनेजर की नौकरी मिल गई थी. एक दिन वह अकेला ही ससुराल पहुंचा. उसे देख कर ज्योति डर गई.

‘‘अरे ज्योति, तुम इधरउधर क्यों भाग रही हो आओ, बैठो मेरे पास.’’ अशोक ने उस का हाथ पकड़ कर पास बैठाते हुए कहा. मुन्नी भी वहीं बैठी थी. इस की असल वजह क्या है, यह मुन्नी को पता नहीं था, इसलिए वह हंसने लगी. क्योंकि जीजासाली के बीच हंसीमजाक होना आम बात है. उस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. खाना खाने के बाद अशोक जाने लगा तो उस ने ज्योति से चुपके से कहा, ‘‘मैं ने आगरा के कुंदु कटरा स्थित एक होटल में कमरा बुक करा रखा है, तुम वहां आ जाना. मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा.’’

ज्योति ने हिम्मत कर के कहा, ‘‘मैं वहां नहीं आऊंगी.’’

इस पर अशोक ने टेढ़ी नजरों से देखते हुए कहा, ‘‘तो फिर अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना. मेरी मानो तो तुम्हारा आना ही ठीक रहेगा. मैं होटल में तुम्हारा इंतजार करूंगा.’’ न चाहते हुए भी ज्योति को होटल जाना पड़ा. अशोक होटल के गेट पर ही मिल गया. उस का हाथ पकड़ कर वह उसे उस कमरे में ले गया, जो उस ने पहले से बुक करा रखा था. कमरे में पहुंच कर उस ने ज्योति के सामने एक कागज रख दिया, जिस पर कुछ टाइप किया हुआ था. ज्योति ने पूछा, ‘‘यह क्या है ’’

‘‘यह हमारी शादी का प्रमाण पत्र है. इस पर तुम दस्तखत कर दो.’’ अशोक ने कहा. ज्योति ने दस्तखत करने से मना करते हुए कहा, ‘‘आप तो दीदी के पति हैं, हमारी शादी कैसे हो सकती है ’’

‘‘देखो ज्योति, मैं तुम से प्यार करता हूं. तुम्हारे बिना जी नहीं सकता, इसलिए मैं तुम्हें अपनी पत्नी बनाना चाहता हूं.’’

‘‘मुझे यह बेहूदगी पसंद नहीं है.’’ कह कर ज्योति कमरे से बाहर जाने लगी तो अशोक ने उसे पकड़ कर बैड पर ही पटक दिया और गुर्राते हुए कहा, ‘‘अगर तुम ने मेरी बात नहीं मानी तो मैं तुम्हारे पूरे परिवार को खत्म कर दूंगा.’’

उस की धमकी से डर कर ज्योति ने उस कागज पर दस्तखत कर दिए. ज्योति मजबूर थी, इस का फायदा उठाते हुए अशोक ने उस के साथ जबरदस्ती की. उस ने उस की अश्लील वीडियो भी बना ली. ज्योति उस के जाल में पूरी तरह फंस चुकी थी. चाह कर भी वह नहीं निकल पा रही थी. उस के एक ओर कुआं था तो दूसरी ओर खाई. वह जीजा का शोषण सहती रही. मुन्नी कभीकभी पूछती भी कि वह परेशान क्यों रहती है तो वह पढ़ाई का बहाना बना देती. अशोक का जब भी उस के पास फोन आता, वह अवसाद से घिर जाती. वह उसे होटल में बुलाता. उस का वीडियो वायरल करने की धमकी दे कर अशोक उस के साथ मनमानी करता. इसी तरह 2 साल गुजर गए. अशोक की हिम्मत बढ़ती गई. ज्योति इंटरमीडिएट में आ गई थी. पढ़ाई में उस का मन बिलकुल नहीं लगता था. वह यही सोचती थी कि दुराचारी जीजा से कैसे छुटकारा मिले  उसे अब खुद से नफरत होने लगी थी.

सब कुछ चलता रहा. घर वाले बेटी पर हो रहे अत्याचार से बेखबर थे. बेटी भी अपना मुंह खोलने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी. उसी बीच ज्योति की जिंदगी में नागेंद्र आ गया. वह ज्योति को अच्छा लगता था. दोचार मुलाकातों के बाद दोनों के बीच गहरा प्यार हो गया. नागेंद्र के प्यार से ज्योति का खोया आत्मविश्वास वापस लौटने लगा. इस के बाद जब भी अशोक का फोन आता, वह फोन रिसीव नहीं करती. अशोक की समझ में यह नहीं आ रहा था कि ज्योति ऐसा क्यों कर रही है  यह जानने के लिए एक दिन वह अपनी ससुराल पहुंच गया. उसे इस बार देख कर ज्योति ने तय कर लिया कि वह उस से बिलकुल नहीं डरेगी. मौका देख कर जब अशोक ने उसे होटल चलने को कहा तो उस ने साफ मना कर  दिया. अशोक ने उसे धमकाया तो उस ने कहा, ‘‘जीजा मेहरबानी कर के अब छोड़ दो मुझे.’’ अशोक ने उसे मोहब्बत की दुहाई दी, पर वह नहीं मानी. वह नाराज हो कर चला गया. ज्योति के व्यवहार से उसे लगा कि जरूर कोई उस की जिंदगी में आ गया है. अशोक ज्योति की सहेली के दोस्त सुमित को जानता था. उस ने जब सुमित को फोन किया तो उसे पता चला कि सचमुच ही ज्योति के जीवन में कोई और आ गया है. सच्चाई पता चलने पर अशोक को ज्योति पर बहुत गुस्सा आया.

इस के बाद ज्योति ने अपने प्रेमी नागेंद्र को सारी बात बता दी. उस ने ज्योति की हिम्मत बढ़ाते हुए कहा कि वह हमेशा उस के साथ है. अशोक से उसे डरने की जरूरत नहीं है. इस के बाद अशोक अपने आखिरी हथियार का उपयोग करते हुए धमकी देने लगा कि अगर उस ने उस की बात नहीं मानी तो वह उस के नंगे फोटो इंटरनेट पर डाल देगा. ज्योति ने साफ कह दिया, ‘‘जीजा, तुम्हें जो करना हो करो, मैं अब तुम से बिलकुल नहीं मिल सकती.’’ आखिर अशोक ने अंजाम की चिंता किए बिना ज्योति को सबक सिखाने की ठान ली. 9 सितंबर, 2016 को ज्योति कालेज के लिए निकली तो गली में खड़े कुछ लड़कों ने उसे देख कर कटाक्ष किया. वह उन की बातों का विरोध करने के बजाय आगे बढ़ गई. तभी उस के मोबाइल पर उस के भाई का फोन आया. भाई ने उसे तुरंत घर वापस आने को कहा.

ज्योति घर पहुंची तो उस ने देखा मां और भाई गुस्से में हैं. भाई ने उसे कई तमाचे जड़ दिए. भाई के गुस्से को देख कर ज्योति समझ गई कि जरूर जीजा ने उस का अश्लील वीडियो वायरल कर दिया है, जिसे घर वालों ने देख लिया है. ज्योति ने रोरो कर मां और भाई को जीजा की सारी करतूतें बता दीं. असलियत जान कर दोनों ने अपना सिर पीट लिया. ज्योति ने कहा कि वह जीजा की धमकियों से डर गई थी, जिस की वजह से उस ने किसी को कुछ नहीं बताया था. शिवकुमार उस समय ड्यूटी पर थे. अमरेंद्र ने पिता को फोन कर के सारी बात बताई तो उन्होंने कहा कि वह ज्योति को ले कर थाना सदर जाए और पुलिस को सारी बात बता कर रिपोर्ट दर्ज करा दे. अमरेंद्र बहन को ले कर थाना सदर पहुंचा और थानाप्रभारी अशोक कुमार सिंह को सारी बात बता दी. थानाप्रभारी ने उस की बात सुन कर भादंवि की धारा 376, 506, 420, 67, 72 के तहत अशोक सैली के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. शिवकुमार और मुन्नी दामाद की इस हरकत से बहुत आहत हुए थे. पर उस ने काम ही ऐसा किया था, जो क्षमा करने लायक नहीं था. अगले दिन आगरा सदर बाजार पुलिस ने गाजियाबाद से अशोक को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में अशोक ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया. पति की करतूत से संगम को अफसोस है. बहरहाल कथा संकलन तक अशोक जेल में था.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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