सैक्स की भूख ने जूली को बना दिया हत्यारा

वह सैक्स की आग में कई सालों से झुलस रही थी. उस का पति पिछले 2 सालों से दोहरे हत्याकांड के आरोप में जेल में बंद था. पति की गैरहाजिरी में उसे जिस्मानी सुख नहीं मिल पा रहा था. आखिर में उस ने एक रास्ता निकाल ही लिया. वह दोहरी जिंदगी जीने लगी. दिन के उजाले में वह घर वालों के सामने घूंघट ओढ़े आदर्श बहू की तरह रहती और जैसे ही रात का अंधेरा घिरता, वह आदर्श बहू का चोला उतार कर ऐयाशी में रम जाती. यह सिलसिला पिछले एक साल से चल रहा था. बहू की इस दोहरी जिंदगी का राज एक दिन घर वालों के सामने उजागर हो गया. एक रात दादी सास सुशीला राजावत ने बहू को किसी पराए मर्द के साथ सैक्स संबंध बनाते देख लिया. इस के बाद से दादी सास उस पर कड़ी नजर रखने लगीं.

इस से खफा उस औरत ने रची एक खौफनाक साजिश, जो दिल दहला देने वाली थी.

यह मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के हजारी इलाके के बिरला मंदिर का है. जूली अपनी दादी सास सुशीला राजावत और अपने 6 साल के बेटे के साथ रहती थी.

पुलिस अधीक्षक हरिनारायणचारी मिश्र के मुताबिक, पिछले 3 साल से जूली का पति शिवा राजावत दोहरे हत्याकांड के आरोप में अपने पिता और छोटे भाई के साथ जेल में बंद है. पति के जेल चले जाने के बाद से जूली अकेली हो गई. पति के बिना उस का मन नहीं लगता था. वह अकसर अपनी दादी सास के सामने रोती रहती थी.

शिवा राजावत के कुछ करीबी दोस्त थे, जो जेल से उस की खबर ले कर उस के घर पर आते रहते थे. इसी दौरान जूली उन में से एक दोस्त की ओर आकर्षित हो गई. जल्दी ही दोनों नजदीक आ गए और चोरीछिपे मिलने लगे.

जूली काफी समय से सैक्स की भूखी थी. अपनी भूख मिटाने के लिए वह प्रेमी को रात के समय अपने कमरे पर बुलाने लगी. वह शख्स रात में उस के पास आता और सुबह होने से पहले ही वहां से निकल जाता. रात के अंधेरे में चलने वाले ऐयाशी के इस खेल के बारे में किसी को पता नहीं था.

एक रात दादी सास सुशीला राजावत ने जूली को पराए मर्द के साथ मस्ती करते देख लिया. उस रात जूली कुछ ज्यादा ही उतावली थी. इस चक्कर में कमरे का दरवाजा बंद करना भूल गई.

रात के समय दादी सास सुशीला राजावत की नींद खुल गई. उन्हें बहू के कमरे से सिसकारियों की आवाज सुनाई दी. उन के कान खड़े हो गए. वे दबे कदमों से कमरे के पास पहुंचीं. अंदर का नजारा देख कर उन के होश उड़ गए.

जूली अपने यार के साथ सैक्स में इतनी खोई हुई थी कि उसे कमरे में किसी के आने का एहसास तक न हुआ. दादी सास ने उसी वक्त दोनों को काफी खरीखोटी सुनाई.

वह शख्स बिना कुछ बोले सिर नीचे कर के वहां से भाग गया, लेकिन उस दिन से जूली घर में कैद हो कर रह गई. दादी सास उस पर कड़ी निगाह रखने लगीं. उसे बाहर के किसी शख्स से बात करने, घर के बाहर कहीं जाने, यहां तक कि मोबाइल फोन से बात करने पर भी रोक लगा दी.

जूली अपने प्रेमी से मिलने के लिए तड़पने लगी. उस ने सास की नजरों से बच कर घर से बाहर निकलने की कोशिश की, पर कामयाबी नहीं मिली. नतीजा यह हुआ कि वह गुस्से से बौखला गई. उस ने सास को ही खत्म करने का खतरनाक प्लान बना लिया.

5 अगस्त की सुबह 8 बजे अपने बेटे को स्कूल भेजने के बाद जूली ने इस खौफनाक वारदात को अंजाम दिया. जूली ने चाय में ढेर सारी नींद की गोलियां मिला कर अपनी दादी सास सुशीला को पिला दी.

चाय पीने के कुछ समय बाद ही सुशीला राजावत को नींद आने लगी. वे अपने कमरे में जा कर सो गईं. मौका पा कर जूली ने तौलिया से गला दबा कर उन की हत्या कर दी. सास की हत्या के बाद उस ने कमरे का सारा सामान इस तरह से बिखेर दिया, ताकि मामला लूटपाट का लगे.

तकरीबन 12 बजे जूली ‘मैं लुट गई… बरबाद हो गई’ चिल्लाने लगी. आवाज सुन कर आसपास के लोग जमा हो गए. पुलिस भी वहां पहुंच गई.

जूली ने पुलिस को बताया, ‘‘3 लोग उस के पति शिवा के दोस्त बता कर घर में घुसे. तीनों अंदर कमरे में कुरसी पर बैठ कर सास से बातें करने लगे. मैं उन के लिए अंदर रसोई में चाय बनाने चली गई.

‘‘थोड़ी देर में 2 लोग रसोई में आ गए. उन्होंने मुझे पीछे से पकड़ लिया. एक ने मेरे सिर पर पिस्टल अड़ा दिया. दूसरे ने मेरा पेटीकोट उठा कर रेप करने की कोशिश की.

‘‘वह कुछ करने में कामयाब होता, उस बीच किसी ने दरवाजे पर आवाज दी. आवाज सुन कर तीनों भाग निकले. जाने से पहले वे अलमारी में रखा सोना लूट कर ले गए और उन्होंने सास की हत्या भी कर दी.’’

जूली ने पुलिस को जो कहानी सुनाई थी, पुलिस द्वारा अंदर तहकीकात करने पर झूठी निकली, जिस की वजह से जूली शक के घेरे में आ गई.

जूली ने तीनों लुटेरों को सामने कमरे में रखी कुरसियों पर बैठ कर सास से बातें करने की बात कही थी, जबकि कमरे में कुरसियां एक के ऊपर एक रखी थीं. दूसरी बात, जूली ने हत्यारे द्वारा उस का दुपट्टा ले जाने की बात कही थी, पर वह दुपट्टा अंदर कमरे में लाश के पास मिला.

तीसरी बात, जो सोना लुटेरों द्वारा लूट कर ले जाने की बात की थी, जांच में पता चला कि वह सोना बैंक में गिरवी रखा हुआ है. उस पर लोन लिया गया था. इस के अलावा जूली अपना बयान बारबार बदल रही थी.

पुलिस द्वारा कड़ाई से पूछताछ करने पर जूली ने दादी सास की हत्या करने की बात कबूल ली और सारी असलियत बयान कर दी.

जूली ने पुलिस को बताया कि वह पिछले 5 महीने से अपनी दादी सास की हत्या की साजिश रचने में लगी थी. उस ने टैलीविजन सीरियल देख कर हत्या करने व उस से बचने की प्लानिंग बनाई थी. उस ने सीरियल के द्वारा छोटेबड़े अपराध के बारे में जानकारी हासिल की थी. पहले उस ने बदमाशों द्वारा रेप किए जाने की कहानी पुलिस के सामने सुनाने की सोची थी, लेकिन रेप के मामले में मैडिकल एंगल को देखते हुए उस ने पिस्टल अड़ा कर रेप करने की कोशिश, लूट और हत्या की कहानी सुनाई.

जूली को यकीन था कि उस के द्वारा बताई गई सारी बातें पुलिस मान लेगी और वह साफतौर पर बच जाएगी, पर ऐसा हुआ नहीं. पुलिस ने तहकीकात कर उस की सारी पोल खोल कर रख दी.

जूली ने बताया कि उसे अपनी दादी सास की हत्या करने का कोई मलाल नहीं है, क्योंकि वे उसे प्रेमी से मिलने नहीं दे रही थीं. सैक्स के माहिर डाक्टरों का कहना है कि इनसान के लिए सैक्स की भूख जिस्मानी जरूरत है. इस पर रोक लगाने पर औरत हो या मर्द, हत्या करने जैसा खौफनाक कदम उठा सकते हैं.

बेवफा आशिक को दी मौत की सजा

पीड़ित का नाम-विभाष कुमार कनेरिया. उम्र-35 साल. पिता का नाम-परसराम कनेरिया. पेशा-जमीन की दलाली. निवासी-बैतूल. हालमुकाम 307, 2 सी, साकेत नगर, भोपाल. जुर्म-माशूका से बेवफाई. सजा-सजा ए मौत. कातिल-मोंटी उर्फ योगेश्वरी बरार. यह वाकिआ 5 जून, 2016 का है, जब विभाष कुमार को उस की ही माशूका मोंटी ने चाकू से हमला कर मौत के घाट उतार दिया था. विभाष कुमार उन लाखों नौजवानों में से एक था, जो रोजगार की तलाश में भोपाल आ कर रहने लगा था. कुछ और उसे आता नहीं था, इसलिए वह दिखने में सब से आसान लगने वाला जमीनों की दलाली का काम करने लगा और इमारतें बनाने के धंधे में भी उतरने वाला था.

भोपाल जैसे बड़े शहर में अपनी आमदनी के दम पर 10 साल गुजार देना यह बताता है कि विभाष कुमार अपने धंधे में माहिर हो गया था और उस की कमाई ठीकठाक हो रही थी. लेकिन 35 साल का हो जाने के बाद भी उस ने शादी नहीं की थी, तो वजह उस की 28 साला माशूका मोंटी थी, जिस के साथ वह बीते 9 सालों से लिव इन रिलेशनशिप में था यानी वे दोनों बगैर शादी किए मियांबीवी की तरह रहते थे, जो हर्ज की बात इस लिहाज से थी कि मोंटी रिश्ते में उस की बहन लगती थी.

पहले प्यार और फिर जिस्मानी संबंध बना कर उन दोनों ने कोई समझदारी का काम नहीं किया था. अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज की खूबसूरत दिखने वाली मोंटी 9 साल पहले जब जवानी की दहलीज पर दाखिल हुई होगी, तो कितनी खूबसूरत रही होगी.

मोंटी भी लाखों लड़कियों की तरह भोपाल पढ़ने आई थी. पढ़ाई तो उस ने की, पर साथसाथ चचेरे भाई के साथ मुहब्बत की भी डिगरी ले डाली थी.

मोंटी पढ़ेलिखे घर की लड़की है, जिस के पिता टिमरनी, हरदा के एक स्कूल में टीचर और मां होस्टल वार्डन थीं. बेटी भी अच्छे से पढ़लिख कर कुछ बन जाए, इसलिए उन्होंने मोंटी को पढ़ाई के लिए भोपाल भेज दिया था, पर गलती यह की थी कि सहूलियत और हिफाजत के लिए उसे अपने दूर के रिश्ते के भाई विभाष कुमार के पास रहने छोड़ दिया था, जिस के पास उस की बहन भी रहती थी.

विभाष कुमार और मोंटी जवानी के जोश के चलते रिश्ते की हदें ज्यादा दिनों तक निभा नहीं पाए और सबकुछ भूल कर एकदूसरे में ऐसे खोए कि उन्होंने अपने आने वाले कल के बारे में कुछ नहीं सोचा.

गलती आशिक की

 9 साल का अरसा कम नहीं होता. एक कली को फूल बना चुके विभाष कुमार का दिल अपनी माशूका से उचटने लगा था, क्योंकि जैसेजैसे पैसा आता गया, वैसेवैसे उसे नईनई तितलियां भी मिलने लगी थीं.

उधर, मोंटी तो विभाष को ही अपना सबकुछ मान बैठी थी. शादी हो न हो, उसे इस बात से कोई मतलब नहीं था, वह तो बस हर हाल में आशिक का साथ चाहती थी.

ऐसा भी नहीं था कि वह एकदम नादान या देहाती लड़की थी, बल्कि बेहद समझदार और सधी हुई लड़की थी, जिस ने भोपाल की बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से साइकोलौजी में एमए की डिगरी ली थी. लिहाजा, कुदरती तौर पर वह जाननेसमझने लगी थी कि कौन कब क्या बरताव करेगा.

लेकिन पढ़ाईलिखाई या डिगरियों का जिंदगी की सचाई से कोई लेनादेना नहीं होता. यह बात मोंटी को समझाने वाला कोई नहीं था.

भड़की माशूका

 विभाष कुमार की कम होती दिलचस्पी को मोंटी बखूबी समझ रही थी, पर उसे ज्यादा अफसोस इस बात का रहने लगा था कि उसे छोड़ कर उस का आशिक इधरउधर मुंह मारने लगा था. भले ही वे पतिपत्नी नहीं बने थे, लेकिन मियांबीवी की तरह रह रहे थे, इसलिए मोंटी की बेचैनी या तिलमिलाहट कुदरती बात थी.

मोंटी ने कई बार विभाष कुमार को समझाया था कि दूसरी लड़कियों से प्यार की पींगे मत बढ़ाओ. यह मुझ से बरदाश्त नहीं होता है, लेकिन अब तक विभाष कुमार उस की कमजोरी ताड़ चुका था कि वह यों ही कलपती रहेगी, पर कुछ कर नहीं पाएगी.

अब से तकरीबन 4 साल पहले विभाष कुमार की बहन आभा, जिस का एक नाम रीना भी है, भी भोपाल में उन्हीं के साथ आ कर रहने लगी थी, तो मोंटी ने साकेत नगर में किराए पर अलग मकान ले लिया था, जो इस नाजायज रिश्ते को बनाए रखने में काफी मददगार साबित हुआ था.

हालांकि रीना इन दोनों के मियांबीवी सरीखे रिश्ते को ताड़ चुकी थी. मोंटी का मकान उस के घर से पैदल की दूरी पर था, इसलिए रीना से कुछ छिपा नहीं था.

रीना के जरीए ही इस रिश्ते की बात विभाष कुमार की मां तक पहुंची थी, जो पति की मौत के बाद से ही अपनी औलादों को ले कर परेशान रहने लगी थीं. विभाष कुमार की कमाई से ही उन का बैतूल का खर्च चलता था.

विभाष कुमार और मोंटी के रिश्ते के बारे में सुन कर मां का डरना लाजिम था, इसलिए उन्होंने उसे ऊंचनीच समझाई, तो वह मान गया. वैसे भी विभाष कुमार का जी अब मोंटी से ऊबने लगा था, इसलिए उस ने माशूका से दूरी बनाना शुरू कर दिया. लेकिन मोंटी किसी भी शर्त पर उस का साथ या पीछा छोड़ने को तैयार नहीं थी.

ऐसे लिया बदला

5 जून, 2016 को मोंटी विभाष कुमार के घर पहुंची और रातभर वहीं रही. जब दूसरे कमरे में आभा यानी रीना सो गई, तो उस ने विभाष कुमार को लताड़ना शुरू कर दिया. इसी कहासुनी में विभाष कुमार ने उसे अपनी सगाई के फोटो मोबाइल पर दिखाए, जिन में एक लड़की यानी उस की मंगेतर उसे केक खिला रही थी.

फोटो देख कर मोंटी के तनबदन में आग लग गई. हालांकि वह पहले से काफीकुछ जानती थी, पर नौबत यहां तक आ जाएगी, इस का उसे अंदाजा नहीं था.

रातभर दोनों तूतूमैंमैं करते रहे. मोंटी की दलीलें अपनी जगह ठीक थीं कि जब उस ने अपना सबकुछ उसे सौंप दिया है, तो वह किसी और का कैसे हो सकता है? विभाष कुमार का यह कहना था कि उस की मरजी जिस से चाहे शादी करे.

इस कहासुनी के बाद कोई हल न निकलता देख विभाष कुमार जब गहरी नींद में सो गया, तो नागिन सी तिलमिलाई मोंटी ने चाकू से उस के सीने पर हमला किया और फिर कहीं वह जिंदा न बच जाए, इसलिए ताबड़तोड़ हमले करती रही.

शोर सुन कर रीना जागी और बाहर आई तो नजारा देख कर हैरान रह गई. उस ने मोंटी को पकड़ने की कोशिश की, पर वह मोबाइल और चाकू फेंक कर भाग खड़ी हुई.

रीना कुछ पड़ोसियों की मदद से जैसेतैसे उसे अस्पताल ले गई, पर डाक्टरों ने उसे मरा घोषित कर दिया.

विभाष कुमार की हत्या करने के बाद मोंटी को होश आया, तो उस ने खुद को भी खत्म करने की ठान ली. शायद उस के लिए विभाष के बाद दुनिया में कुछ रह नहीं गया था. उस ने पहले खुद पर चाकू से हमला किया, पर घबरा गई, क्योंकि इस में मरने की गारंटी नहीं थी.

घाव बड़ा नहीं था, इसलिए उस ने उस को ढक लिया और नजदीकी आरआरएल चौराहे पर जा कर पैट्रोल पंप से बोतल में पैट्रोल खरीदा और खुद पर उड़ेल लिया, पर खुद को आग लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई.

जाहिर है, मोंटी अपना आपा खो चुकी थी, इसलिए खुदकुशी की तीसरी कोशिश उस ने कुएं में कूद कर की, पर जिस कुएं में वह कूदी, उस में 4 फुट ही पानी था. लिहाजा, वह फिर बच गई.

इधर, पुलिस को कत्ल की वारदात की खबर लग चुकी थी, इसलिए वह तुरंत मोंटी की तलाश में जुट गई थी. राह चलते लोगों से पूछताछ की बिना पर पुलिस वाले कुएं के पास पहुंचे, तो मोंटी अंदर ही थी. पिपलानी के गांधी मार्केट का यह कुआं 20 फुट गहरा है.

मोंटी को बाहर निकालने के लिए डायल 100 के ड्राइवर बलवीर ने हिम्मत दिखाई और कुएं में उतर कर उसे सहीसलामत ऊपर ले आया. थाने जा कर मोंटी फरियाद करती रही कि विभाष को तो उस ने मार दिया है, लेकिन उसे अब कब फांसी दोगे.

पुलिस वालों ने उसे प्यार से पुचकारा और खाने के लिए सैंडविच मंगा कर दिए, तो मोंटी कुछ सामान्य हुई और उस ने बताया कि विभाष की सगाई के फोटो देख कर मैं आपे से बाहर हो गई थी, इसलिए उसे चाकू से गोद कर मार डाला. यह चाकू उस ने कुछ दिन पहले ही औनलाइन शौपिंग कर के मंगाया था.

अगले दिन सुबह के 9 बज चुके थे. सारा शहर जाग उठा था. ‘एक माशूका ने आशिक की बेरहमी से हत्या की’ यह खबर जिस ने भी सुनी, उस ने कलयुग को कोसा, प्यारमुहब्बत और वफा पर उंगलियां उठाईं. अब तक लोगों ने यही सुना था कि बेवफाई के चलते आशिक ने माशूका की हत्या की, पर इस मामले में उलटा हुआ.

कइयों ने रिश्ते की बहन से मुहब्बत करने को ही गलत ठहराया, पर कोई मोंटी का दर्द नहीं समझ पाया, जो बेवफा आशिक को अपने हाथों मौत की सजा देने की बात कहते हुए खुद अपने लिए फांसी का फंदा मांग रही है.

शादियों को मातम में बदलती बेहूदगियां 

साल 2008 की बात है. गरमी का मौसम था. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के रामपुर में एक लड़की का शादी समारोह चल रहा था. लड़की को ब्याहने हाजीपुर गांव से बरात आई थी. विवाह का संगीत बज रहा था और बरात के साथ चल रहे लोग फायरिंग कर खुशी का इजहार कर रहे थे.

द्वाराचार के बाद सजाधजा दूल्हा सुनील वर्मा जयमाला कार्यक्रम में जाने की तैयारी में था कि शादी समारोह में फायरिंग कर रहे एक लड़के की लापरवाही से एक गोली दूल्हे के सीने में लग गई. दूल्हे को आननफानन अस्पताल ले जाया गया जहां उस की मौत हो गई.

इसी तरह की एक घटना मध्य प्रदेश के गाडरवारा इलाके में भी हुई थी. इस में जयमाला स्टेज पर दूल्हादुलहन की मौजूदगी में नशे में धुत्त रिश्तेदारों द्वारा पिस्टल से हवाई फायर किए जा रहे थे. इसी हवाई फायर से जयमाला स्टेज पर मौजूद दूल्हे की एक रिश्तेदार आयुषी की गोली लगने से मौत हो गई. 21 साला आयुषी जबलपुर में इंजीनियरिंग की छात्रा थी.

खुशी मनाने के चक्कर में फायरिंग से होने वाली ये घटनाएं बताती हैं कि आज भी हम दिखावे के नाम पर कैसीकैसी बेहूदा परंपराओं को निभा रहे हैं. समाज के हर क्षेत्र में फायरिंग की ऐसी खूनी परंपराएं बंद होने का नाम नहीं ले रही हैं.

मौजूदा दौर में शादीब्याह, लग्न, फलदान, सगाई, जन्मदिन और दूसरे तमाम समारोहों में फायरिंग कर के खुशी का इजहार किया जाता है. इन कार्यक्रमों में नशे में धुत्त रहने वाले लोग जोश में होश खो कर खुशियों के पलों को मातम में बदल देते हैं.

शादीब्याह में फायरिंग का किसी खास धर्म से कोई संबंध नहीं है, बल्कि यह एक सामंती तबके के रीतिरिवाज की तरह है. राजामहाराजाओं के शासनकाल में राज्याभिषेक और स्वयंवर के समय तोप या बंदूक चला कर राजा की खुशामद की जाती थी.

राजामहाराजाओं की शान में किया जाने वाला यह शक्ति प्रदर्शन उन के वंशजों की अगड़ी जातियों में आज के दौर में भी प्रचलित है. आज भी शादीब्याह में दूल्हे को किसी राजा की तरह सजाया जाता है और एक दिन के इस राजा के सम्मान में गए बराती खुशी का इजहार करने के लिए फायरिंग करते हैं.

पत्रकार और साहित्यकार कुशलेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि पहले जब आतिशबाजी का चलन नहीं था तब से बरात में बंदूक से हवाई फायर किए जाते हैं. उसी परंपरा को आज भी कुछ अगड़ी जाति के लोग समाज में अपना रोब गांठने की गरज से अपनाए हुए हैं. फायरिंग के इस खूनी खेल को आज पिस्टल में कारतूस भर कर खेला जाने लगा है. अगड़ी कही जाने वाली कुछ जातियों में तो बाकायदा गन रखने वाले दलित जाति के नौकरचाकर बरात में साथ चलते हैं.

गन चलाने वाले ये सेवक पेशेवर निशानेबाज नहीं होते, बल्कि घरेलू नौकर होते हैं जो अपने कंधे पर बंदूक टांग कर चलते हैं और बरात में अपने मालिक की सेवाखुशामद करने का काम करते हैं.

शादी समारोहों में वीडियोग्राफी का काम करने वाले अश्विनी चौहान बताते हैं कि विवाह मंडप में सजीसंवरी लड़कियों को प्रभावित करने के लिए यही नौजवान डीजे के कानफोड़ू संगीत में डांस करने के साथ फायरिंग कर के खुद को हीरो साबित करने की होड़ में लग जाते हैं.

शादीब्याह के अलावा दशहरा पर्व पर भी शस्त्र पूजन के नाम पर घातक और खूनी हथियारों का सार्वजनिक तौर पर दिखावा किया जाता है और फायरिंग कर गांवनगरों की शांति को भंग किया जाता है. विभिन्न जाति व समुदायों द्वारा निकाली जाने वाली शोभायात्राओं, चल समारोहों के अलावा धार्मिक पर्वों में भी जश्न के नाम पर की जाने वाली यह फायरिंग जानलेवा साबित हो रही है.

ऐसी फायरिंग करने के मामले में राजनीतिक दल भी पीछे नहीं हैं. देश के सभी राज्यों में राजनीतिक दल किसी न किसी बहाने फायरिंग कर लोगों को उकसाने का काम करते हैं. सितंबर, 2018 में जबलपुर में भारतीय जनता युवा मोरचा के एक कार्यक्रम में की गई ऐसी फायरिंग की काफी चर्चा रही थी.

मैरिज पैलेसों पर सख्ती

राज्य सरकारों द्वारा समारोहों में फायरिंग रोकने के लिए नियम तो बनाए गए हैं, पर इन पर अमल होता नहीं दिख रहा. पंजाब सरकार ने नियमों में बदलाव करते हुए प्रावधान किया है कि हथियारों के लाइसैंस बनवाने वाले लोगों को अर्जी में लिखित में देना होगा कि वे किसी भी शादी समारोह या सामाजिक कार्यक्रम में हथियारों का गलत इस्तेमाल नहीं करेंगे.

इस के साथ ही हथियार ले कर मैरिज पैलेस या सामाजिक समारोह में प्रवेश रोकने के लिए मैरिज पैलेसों के प्रवेश द्वार पर मैटल डिटैक्टर लगाने को कहा गया है. इस के लिए मैरिज पैलेसों में कड़े नियम लागू किए हैं.

राज्य सरकार की ओर से कहा गया है कि मैरिज पैलेस में अगर हथियार ले कर किसी शख्स को प्रवेश करने दिया गया तो पैलेस मालिक के खिलाफ केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया जा सकता है. इस के साथ ही मैरिज पैलेसों के मुख्य परिसरों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं.

मध्य प्रदेश में भी किसी शादी, पार्टी या समारोह में फायरिंग की कोई भी घटना होने पर संबंधित क्षेत्र के थाना प्रभारी के खिलाफ कार्यवाही करने का ऐलान किया गया है.

चंबल जोन के आईजी संतोष कुमार सिंह ने यह आदेश जारी करते हुए सभी थाना प्रभारियों से कहा है कि वे सख्ती के साथ ऐसी फायरिंग पर रोक लगाने के लिए हथियारों का प्रदर्शन करने वालों पर कार्यवाही करें. ऐसी फायरिंग और सार्वजनिक जगह पर हथियारों के प्रदर्शन को रोकने के लिए कलक्टर ने धारा 144 लागू की है.

कलक्टर के आदेश में कहा गया है कि जिले में कहीं पर भी कोई भी शख्स समारोह में फायरिंग नहीं करेगा, साथ ही शादी, पार्टी या दूसरे किसी समारोह में कोई भी हथियारों का प्रदर्शन नहीं करेगा.

जागरूकता की जरूरत

मुरैना जिले की एक महिला पार्षद रजनी बबुआ जादौन ने अपने बेटे की शादी के कार्ड पर मेहमानों से किसी भी तरह का नशा, शराब का सेवन न करने के साथ ही फायर न करने का संदेश दे कर समाज में एक अच्छी शुरुआत की है. उन्होंने अपने लड़के मानवेंद्र की शादी के कार्ड के कवर पेज पर ऐसा संदेश दिया.

देश में आज भी सामंती व्यवस्था को पालने वाली सामाजिक बुराइयां वजूद में हैं, जो गरीब और दलितों पर रोब जमाने के साथ उन का शोषण करने का काम कर रही हैं. केवल नकल करने के नाम पर किसी जलसे में अपनी झूठी शान को दिखाने वाली इस तरह की परंपराओं का समाज में विरोध होना चाहिए.

ऐसी फायरिंग जानमाल का नुकसान तो करती ही हैं, साथ ही समाज को मालीतौर पर भी खोखला बनाती हैं.

पेट की भूख और रोजगार की तलाश

तलाश आदमी को बंजारे की सी जिंदगी जीने पर मजबूर कर देती है. यह बात राजस्थान और मध्य प्रदेश के घुमंतू  लुहारों और उन की लुहारगीरी को देखने के बाद पता चलती है.

घुमंतू लुहार जाति के इतिहास के बारे में बताया जाता है कि 500 साल पहले जब महाराणा प्रताप का राज छिन गया था तब उन के साथ ही उन की सेना में शामिल रहे लुहार जाति के लोगों ने भी अपने घर छोड़ दिए थे. उन्होंने कसम खाई थी कि चितौड़ जीतने तक वे कभी स्थायी घर बना कर नहीं रहेंगे.

आज 500 साल बाद भी ये लुहार घूमघूम कर लोहे के सामान और खेतीकिसानी में काम आने वाले औजार बना कर अपनी जिंदगी बिताने को मजबूर हैं. जमाना जितना मौडर्न होता जा रहा है, इन घुमंतू लुहारों के सामने खानेपीने के उतने ही लाले पड़ते जा रहे हैं.

सब से ज्यादा परेशानी की बात है रोटी की चिंता. इन के बनाए औजार अब मशीनों से बने सामानों का मुकाबला नहीं कर पाते हैं. इस की वजह से इन लोगों के लिए रोजीरोटी कमाना मुश्किल हो गया है. सरकार की योजनाओं के बारे में इन्हें जानकारी नहीं है. इस वजह से ये लोग सरकारी योजनाओं का फायदा नहीं उठा पाते हैं.

लुहार जाति से जुड़े सुरमा ने कहा कि हमारी जाति के लोग सड़क किनारे डेरा डाले रहते हैं. कब्जा करने के नाम पर हमें खदेड़ा जाता है. एक ओर जहां दूसरी जातियों को घर बनाने के लिए जमीनें दी जा रही हैं, वहीं हमारे लिए न तो पानी का इंतजाम है, न ही शौचालय का. हमारे समाज की बहूबेटियों को असामाजिक तत्त्वों का डर बना रहता है.

इसी समाज की पानपति बताती हैं, ‘‘हम लोगों ने अपने बापदादा से मेहनत की कमाई से ही खाना सीखा है. हमारे पुरखों ने यही काम किया था और हम अब भी यही कर काम रहे हैं.’’

25 साला पप्पू लुहार, जो राजस्थान के माधोपुर का रहने वाला है, ने बताया, ‘‘हम लोग पूरे देश में घूमघूम कर यही काम करते हैं. आम लोगों की जरूरत की चीजें खासकर किसानों, मजदूरों के लिए सामान बनाते और बेचते हैं. हम लोगों का यही खानदानी काम है. हमारे पुरखे सदियों से यही काम करते आए हैं. हम दूसरा काम नहीं कर सकते क्योंकि हम पढ़ेलिखे नहीं हैं. हम लोगों को सरकार से कोई फायदा नहीं मिलता है.’’

मध्य प्रदेश के शिवपुरी से आए सूरज लुहार ने बताया, ‘‘हमारे परिवार में कोई पढ़ालिखा नहीं है. हम ने यही काम सीखा है. हमारे बच्चे हम से सीख रहे हैं. सालभर में 2 महीने बरसात के दिनों में हम अपने गांव में तंबू तान कर रहते हैं. हम लोग जहां भी जाते हैं, फुटपाथ पर ही सोते हैं.

‘‘हमें चोर, सांप, बिच्छू और मच्छर जैसी समस्याओं को झेलना पड़ता है. अनजान जगह पर खुले आसमान के नीचे औरतों के लिए सोना कितना मुश्किल काम है, इसे तो वही समझ सकता है जो उस जिंदगी को जी रहा है.’’

25 साला मदन लुहार की इसी साल शादी हुई है. उसे इस बात का अफसोस है कि वह जब चाहे तब अपनी पत्नी के साथ जिस्मानी संबंध नहीं बना सकता क्योंकि खुले आसमान में वह फुटपाथ पर ही सोता है. अगलबगल में उस के मातापिता व परिवार के दूसरे सदस्य भी सोते हैं ताकि रात में कोई औरतों के साथ गलत काम नहीं कर सके. आपस में जिस्मानी संबंध बनाने के लिए अमावस्या या जिस रात को चांद नहीं दिखाई पड़ता, वे दोनों उस रात का इंतजार करते हैं.

इन लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे में कोई जानकारी नहीं है. औरतें एनीमिया और बच्चे कुपोषण से पीडि़त दिखाई देते हैं. छोटे बच्चे तो जहां रहते हैं वहां पल्स पोलियो की दवा पी लेते हैं, लेकिन दूसरे टीके इन के बच्चों को नहीं लग पाते. इस की मूल वजह यह है कि ये लोग एक जगह रहते नहीं हैं और न ही टीकाकरण के बारे में इन्हें कोई जानकारी है.

आज इन घुमंतू लुहार जाति के लोगों को सरकारी सुविधाए देने की जरूरत है ताकि इन्हें भी घर, कपड़े, पढ़ाईलिखाई और सेहत जैसी दुनिया की सभी सहूलियतें मिल सकें.

दिल्ली के पंचशील पार्क में एक्ट्रेस के घर हुई चोरी

बौलीवुड की मशहूर मौडल व टीवी अभिनेत्री अपर्णा कुमार के दिल्ली स्थित घर से लाखों की हीरे जड़ित जूलरी, कैश समेट कर नर्स फरार हो गई. मालवीय नगर के पंचशील पार्क में अभिनेत्री के बुजुर्ग माता पिता अकेले रहते हैं. इतना ही नहीं, बुजुर्ग के अकाउंट से भी लाखों का कैश ट्रांजेक्शन कर लिया गया.

अपर्णा मुंबई में रहती हैं. उनकी देखभाल के लिए अपर्णा ने घर में नर्स रखी हुई थी जो कि मेड के तौर पर भी जौब करती थी. घटना की जानकारी मिलते ही अपर्णा मुंबई से फौरन दिल्ली पहुंची और मालवीय नगर थाने में इस बाबत केस दर्ज कराया.

फिलहाल एक टीम गायब मेड की तलाश में वेस्ट बंगाल भेजी है. मामले में सभी पहलुओं से जांच चल रही है.

पुलिस के मुताबिक, 74 साल के अरुण कुमार व मां सावित्री गुप्ता एस ब्लॉक में रहते हैं. अंजलि नाम की युवती घर में मेड व नर्स के तौर पर जौब पर रखी हुई थी. अपर्णा मुंबई में रहते हुए इन दिनों शूटिंग में बिजी हैं. कुछ दिनों से तबियत ठीक नहीं रहने की वजह से अपर्णा मुंबई से दिल्ली पैरंट्स को देखने आईं. लेकिन घर पहुंचने पर देखा कि मेड गायब है.

अगली सुबह सावित्री नगर स्थित मेड के घर पर अपर्णा पहुंची. जहां मालूम चला कि वह परिवार के साथ कमरा खाली करके कोलकाता जाने की बात कहकर निकली है. बिना बताए इस तरह गायब होने पर शक हुआ.

घर आकर देखा अलमारी से हीरे जड़ित 4 सोने के कड़े, ईयर रिंग, गोल्ड चैन व तमाम जूलरी समेत 5 लाख कैश गायब है. इसके बाद पता चला कि मां के बैंक अकाउंट से भी 4 लाख की ट्रांजेक्शन हुई है.

अपर्णा ने पुलिस को बताया कि उनके पैरंट्स कभी भी औनलाइन बैंकिंग नहीं करते. वहीं पुलिस ने जांच पड़ताल की तो मालूम चला कि मेड को कोई वेरिफिकेशन भी नहीं कराया गया था. इस बारे में मालवीय नगर पुलिस सीसीटीवी कैमरों की मदद भी ले रही है.

अय्याशी की चाहत बनी आफत

मालदार और रसूखदार लोग पैसों के दम पर दुनिया की हर चीज खरीद सकते हैं लेकिन उन की जिंदगी में जरूरी नहीं  कि सैक्स सुख भी वैसा ही हो जैसा कि वे चाहते हैं. पैसे से सैक्स सुख हासिल करना कितना महंगा पड़ता है, यह आएदिन उजागर होता रहता है.

लेकिन यह अंदाजा कोई नहीं लगा पाएगा कि सैक्स सुख जान जाने की वजह भी बन सकता है. लोग यहीं तक उम्मीद कर सकते हैं कि जो पैसे वाले सैक्स का मजा लेने बाजार जाते हैं, पकड़े जाने पर उन के हिस्से में बदनामी ही आती है और एहतियात न बरतें तो उन्हें ब्लैकमेल भी होना पड़ता है, लेकिन मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के छतरपुर जिले की इस वारदात ने सभी को चौंका दिया कि ऐसा भी हो सकता है.

दास्तां एक सेठ की

आनंद जैन उर्फ सुकुमाल जैन मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के छतरपुर जिले के जानेमाने लोहा व्यापारी थे.

50 साला इस अधेड़ के पास करोड़ों की दौलत थी और शहर में अच्छीखासी इज्जत भी थी. धार्मिक इमेज वाले आनंद जैन रोजाना मंदिर जाते थे. यहां तक कि रात को दुकान बंद करने के बाद भी वे शहर की पहाड़ी पर बने मंदिर में दर्शन करते हुए घर जाते थे.

9 अक्तूबर, 2018 की रात आनंद जैन की हत्या उन की ही दुकान में हो गई, तो शहरभर में सनाका खिंच गया. उस रात वे घर वालों को ‘थोड़ी देर में वापस आता हूं’ कह कर कहीं चले गए थे.

देर रात तक जब आनंद जैन नहीं लौटे तो घर वालोें को चिंता हुई, क्योंकि बारबार फोन करने पर भी उन का मोबाइल नंबर नहीं लग रहा था.

उन का जवान बेटा पीयूष जैन ढूंढ़ता हुआ दुकान में पहुंचा तो वहां उस ने पिता की खून से लथपथ लाश देखी.

सदमे में आ गए पीयूष जैन ने खुद को संभालते हुए पिता की हत्या की खबर पुलिस और दूसरे जानपहचान वालों को दी तो भीड़ इकट्ठा होना शुरू हो गई.

पुलिसिया जांच में लाश के पास एक हथौड़ा पड़ा मिला जिस से अंदाजा यह लगाया गया कि उसी से हत्यारे ने उन की हत्या की होगी, क्योंकि आनंद जैन का सिर किसी तरबूज की तरह फटा हुआ था.

दुकान की तलाशी लेने पर जो चौंका देने वाली चीजें बरामद हुईं वे थीं औरतों की पहनने वाली एक ब्रा और एक इस्तेमाल किया हुआ कंडोम जिस में वीर्य भरा हुआ था.

ये चीजें हालांकि उन की इज्जतदार और धार्मिक इमेज से मेल खाती हुई नहीं थीं, लेकिन यह अंदाजा लगाना पुलिस वालों की मजबूरी हो गई थी कि जरूर आनंद जैन ने किसी कालगर्ल को बुलाया होगा और उस से किसी बात पर झगड़ा हुआ होगा जो उन की बेरहमी से की गई हत्या की वजह बना, लेकिन जब सच सामने आया तो हर कोई चौंक पड़ा.

यह थी लत

आनंद जैन के मोबाइल फोन के सहारे पुलिस ने चंद घंटों में ही कातिल को ढूंढ़ निकाला जिस के नंबर पर उन की अकसर रात को ही देर तक बातें होती रहती थीं.

वह कातिल एक बेरोजगार नौजवान राजेश रैकवार था जिस की हैसियत राजा भोज जैसे आनंद जैन के सामने गंगू तेली सरीखी भी नहीं थी. पुलिस उसे गिरफ्तार करने तो शक की बिना पर गई थी लेकिन पुलिस वालों को देखते ही उस के होश फाख्ता हो गए और मामूली पूछताछ में ही उस ने खुद मान लिया कि आनंद जैन की हत्या उस ने ही की है.

हत्या क्यों की? इस सवाल के जवाब में राजेश ने जो बताया वह और भी हैरान कर देने वाला था.

बकौल राजेश, ‘‘आनंद जैन उस के साथ सैक्स करते थे और इस के एवज में उसे हर बार के 400 रुपए देते थे.’’

राजेश के मुताबिक, वह कुछ दिनों पहले ही काम मांगने के लिए आनंद जैन की दुकान पर गया था. काम देने में तो उन्होंने मजबूरी जता दी लेकिन उस के हाथ में खर्चे के लिए 200 रुपए रख दिए थे.

राजेश इस बात पर हैरान हुआ था क्योंकि वह जहां भी काम मांगने जाता था वहां लोग उसे झिड़क कर भगा देते थे और 200 रुपए तो दूर की बात है, 2 रुपए भी नहीं देते थे. जितनी इज्जत इन सेठजी ने दी थी, उतनी आज तक किसी बड़े आदमी ने उसे नहीं दी थी.

ज्यादा हैरानी की बात तो यह थी कि इस के एवज में सेठजी उस से कोई हम्माली या बेगारी नहीं करवा रहे थे बल्कि जातेजाते उन्होंने कहा था कि जब भी पैसों की जरूरत पड़े तो ले जाना.

इस बात और हमदर्दी का राजेश पर वाजिब असर पड़ा था कि काश, दुनिया में सभी पैसे वाले आनंद सेठ जैसे हो जाएं तो कहीं बेरोजगारी और जातपांत का नाम नहीं होगा.

अब जरूरत पड़ने पर राजेश आनंद जैन के पास जाने लगा जिन्होंने कभी उसे निराश नहीं किया था. लेकिन अब वे  पैसे लेने उसे रात में बुलाने लगे थे.

ऐसे ही एक दिन बातें करतेकरते आनंद जैन ने उसे अपना हस्तमैथुन करने के लिए कहा तो वह अचकचा उठा. उस ने मना करने की कोशिश की लेकिन आनंद जैन के बारबार कहने पर मना नहीं कर सका.

राजेश को इस बात का भी डर था कि अगर वह मना करेगा तो सेठजी पैसे देना छोड़ देंगे और मुफ्त की मलाई मारी जाएगी. लिहाजा, जब भी देर रात को आनंद जैन फोन कर के उसे बुलाते तो वह उन का हस्तमैथुन कर आता था.

राजेश जैसे बेरोजगार नौजवान के लिए यह कोई घाटे का सौदा नहीं था लेकिन एक रात आनंद जैन ने उस से सैक्स करने की बात कही तो वह सकपका उठा.

भले ही राजेश झुग्गीझोंपड़ी में रहता था लेकिन ऐसा गंदा काम उस ने पहले कभी नहीं किया था. मना कर देने पर आनंद जैन ने उसे पेशकश की कि अगर वह इस के लिए तैयार हो जाए तो वे हर बार 400 रुपए उसे देंगे.

पैसों की जरूरत के चलते राजेश के सामने उन की बात मान लेने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था. लिहाजा, वह इस काम के लिए भी तैयार हो गया. फिर तो आनंद जैन उसे कभी भी दुकान में बुला कर अपनी ख्वाहिश पूरी करने लगे.

इस दौरान वे उसे वैसा ही प्यार करते थे और डौयलौग बोलते थे जैसे कोेई मर्द औरत को प्यार करते वक्त करता और बोलता है.

9 अक्तूबर, 2018 की रात को घर जाने के बाद आनंद जैन को फिर से सैक्स की तलब लगी तो उन्होंने राजेश को फोन किया. इस पर राजेश ने जवाब दिया कि नवरात्र के दिनों में वह ऐसा गंदा काम नहीं कर सकता. इस से व्रत टूट जाएगा.

यह जवाब सुन कर आनंद जैन ने उसे ढील देते हुए कहा कि ठीक है तो फिर हाथ से ही कर जाना.

राजेश के सिर फिर डर का यह भूत सवार हो गया कि अगर नहीं गया तो पैसे मिलना बंद हो जाएगा और इतने पैसे वाले सेठ के लिए लड़कों की क्या कमी, वे किसी दूसरे को फांस लेंगे.

‘सिर्फ हस्तमैथुन ही तो करना है,’ यह सोचते हुए राजेश वारदात की रात उन की दुकान पर पहुंच गया. लेकिन उसे आया देख आनंद जैन ने फिर सैक्स की जिद पकड़ ली तो उस ने साफ मना करते हुए पहले वाला जवाब दोहरा दिया.

इस पर आनंद जैन जबरदस्ती करने लगे तो उसे और गुस्सा आ गया और उस ने दुकान में पड़ा हथौड़ा उठा कर उन के सिर पर दे मारा. सिर तरबूज की तरह फट गया और आनंद जैन जमीन पर गिर कर तड़पने लगे.

आनंद जैन को उन के हाल पर छोड़ कर राजेश उन के पास से 20,000 रुपए और सोने की चैन गले से उतार कर ले गया. गिरफ्तार होने के बाद पुलिस ने वे चीजें बरामद कर लीं.

क्या करें ऐसे मर्द

राजेश अब जेल में बैठा अपने किए पर पछता रहा है, पर सवाल आनंद जैन जैसे खातेपीते रईस मर्दों का है जिन्हें कई वजहों के चलते बीवी या औरतों के साथ सैक्स में मजा नहीं आता तो वे लड़कों को सैक्स सुख का जरीया बना लेते हैं. कई लोग मुंहमांगे पैसे दे कर अपना हस्तमैथुन करवाते हैं तो कई लोग मुखमैथुन और गुदामैथुन करते और करवाते हैं.

रजामंदी से हो तो इस सौदे में कोई हर्ज नहीं क्योंकि अब तो सुप्रीम कोर्ट भी इसे कानूनी मंजूरी दे चुका है लेकिन जबरदस्ती होगी तो ऐसी वारदातें भी होंगी.

ऐसे काम चूंकि चोरीछिपे होते हैं इसलिए किसी को हवा भी नहीं लगती. हवा तब लगती है जब कोई बड़ा कांड हो जाता है.

ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री रह चुके भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता राघवजी भाई का सुर्खियों में रहा था जो अपने घरेलू नौकर राजकुमार के साथ वही सब करते थे जो आनंद जैन राजेश के साथ कर रहे थे.

तब राघवजी की ज्यादतियों से तंग आ गए राजकुमार ने उन की करतूतों की सीडी बना कर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा दी थी. इस के चलते राघवजी को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था और उस कांड की बदनामी का दाग आज तक उन के दामन पर लगा है.

बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने जैसे ही समलैंगिक संबंधों को कानूनी मंजूरी दी तो राघवजी ने राहत की सांस लेते हुए कहा था कि अब उन पर चल रहा धारा 377 का मुकदमा बंद हो जाएगा.

लेकिन लौंडेबाजी के आदी हो गए मर्दों का कोई इलाज नहीं है. भोपाल के सैक्स में माहिर एक नामी डाक्टर की मानें तो यह कोई बीमारी नहीं है लेकिन इस के लिए जोरजबरदस्ती करना ठीक नहीं. दूसरे, नाबालिगों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह अभी भी कानूनन जुर्म है.

इन्हीं डाक्टर का यह भी कहना है कि कई वजहों के चलते कुछ मर्दों को औरतों के साथ सैक्स करने में मजा नहीं आता है इसलिए वे लड़कों को फंसाते हैं. यह उन की मजबूरी हो जाती है.

ज्यादातर मर्द दूसरे के हस्तमैथुन से संतुष्ट हो जाते हैं क्योंकि वह पूरे फोर्स से होता है लेकिन कुछ को सैक्स में ही मजा आता है.

अब कानून भी उन के साथ है लेकिन इस के बाद भी उन्हें फूंकफूंक कर कदम रखने होंगे. इस में उन का पार्टनर ब्लैकमेल भी कर सकता है और नाजायज मांगें भी मनवाने का दबाव बना सकता है क्योंकि उन की कमजोरी वह समझ चुका होता है कि ये पैसे वाले लोग अपने चेहरे से शराफत का नकाब उतरने से बहुत डरते हैं.

देह व्यापार में प्यार की कोई जगह नहीं

10 नवंबर, 2016 को दोपहर के करीब 2 बजे राजस्थान के जिला राजसमंद के थाना केवला की पुलिस को सूचना मिली कि उदयपुर से गोमती जाने वाले फोरलेन नेशनल हाईवे के किनारे पड़ासली भैरूंघाटी के पास एक लाश पड़ी है. सूचना मिलते ही थानाप्रभारी भरत योगी अधिकारियों को घटना के बारे में बता कर घटनास्थल के लिए रवाना हो गए थे. उन के पहुंचतेपहुंचते एसपी डा. विष्णुकांत भी मौके पर पहुंच गए थे. लाश सड़क से 2 सौ मीटर की दूरी पर एक खाई में पड़ी थी. वह एक औरत की लाश थी, जो टीशर्ट और लैगिंग पहने हुए थी. मृतका का रंग गोरा, कद ठिगना तथा शरीर थोड़ा मोटा था. हाथ की अंगुलियों पर टैटू बने थे और नाखूनों पर नेलपौलिश लगी थी. बालों का रंग भूरा था, जिस से अंदाजा लगाया गया कि बालों पर कलर किया गया होगा. एक कान में बाली थी. गले पर गहरे जख्म थे.

मृतका की उम्र 30-35 साल के बीच थी. लाश के पास बीयर की बोतलें पड़ी थीं. देख कर ही लग रहा था कि हत्या कहीं और कर के लाश वहां ला कर फेंकी गई थी. पहनावे से मृतका मेवाड़ क्षेत्र की नहीं लग रही थी.

अनुमान लगाया गया कि मृतका किसी बड़े शहर की रहने वाली थी. आसपास बड़ा शहर उदयपुर था. गुजरात की सीमा भी नजदीक थी. पुलिस ने घटनास्थल से मिले सबूतों को जुटा कर आसपास के लोगों से लाश की शिनाख्त कराने की कोशिश की, लेकिन कोई भी उस की शिनाख्त नहीं कर सका. इस के बाद पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए केवला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के मुर्दाघर में रखवा दिया.

लाश देख कर डाक्टरों ने बताया कि मृतका की हत्या 10 से 15 घंटे पहले गला घोंट कर की गई थी. बाद में लाश को राजसमंद के सरकारी अस्पताल भिजवा दिया गया था. इसी के साथ लाश की शिनाख्त होने के बाद ही पोस्टमार्टम कराने का निर्णय लिया गया.

पुलिस के सामने समस्या मृतका की शिनाख्त की थी. इस के लिए पुलिस ने लाश के फोटो व वीडियो बना कर सोशल मीडिया पर डाल दिए. इस के अलावा उदयपुर, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर के सभी थानों को लाश के फोटो भेज कर कहा गया कि मृतका का पता लगाने की कोशिश करें. हो सकता है कहीं उस महिला की गुमशुदगी दर्ज हो. इसी के साथ ही हाईवे पर स्थित नेगडि़या और मांडावाड़ा टोल प्लाजा की सीसीटीवी फुटेज भी खंगाली गईं.

मृतका की लाश के फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर डालने से पुलिस को सूचनाएं मिलीं कि मृतका उदयपुर की हो सकती है. इन्हीं सूचनाओं के आधार पर पुलिस ने उदयपुर जा कर स्थानीय पुलिस की मदद ली. लाश मिलने के तीसरे दिन यानी 12 नवंबर को पता चला कि वह लाश रोमा उर्फ रेशमा की थी, जो मुंबई की रहने वाली थी.

उदयपुर में रोमा जिस्मफरोशी करती थी. पुलिस ने जिस्मफरोशी करने वाली महिलाओं के संपर्क में रहने वाले कुछ लोगों से पता किया तो उन से रोमा का फोन नंबर मिल गया. उस नंबर को वाट्सऐप वाले दूसरे फोन पर डाला गया तो उस की डीपी में मृतका की तसवीर आ गई. वह लाश रोमा उर्फ रेशमा की ही थी.

इस के बाद पुलिस को यह भी पता चल गया कि रोमा उदयपुर में रेखा उर्फ पूजा छाबड़ा के लिए काम करती थी. रेखा उर्फ पूजा छाबड़ा का नाम उदयपुर पुलिस के लिए नया नहीं था. सैक्स रैकेट के मामले में वह उदयपुर की जानीमानी हस्ती थी. रोमा की हत्या की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस ने उसे 12 नवंबर को हिरासत में लिया. उस से पूछताछ के बाद पुलिस ने उस के बडे़ बेटे अनिल और ड्राइवर धनराज मीणा को भी हिरासत में ले लिया.

उदयपुर पुलिस ने तीनों को राजसमंद की थाना केवला पुलिस को सौंप दिया. पूछताछ के बाद पुलिस ने तीनों को 13 नवंबर को रोमा की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया. इस पूछताछ में रोमा के मुंबई से उदयपुर आने और जिस्मफरोशी के धंधे की सरगना रेखा के बेटे से प्रेम करने से ले कर हत्या तक की कहानी सामने आ गई.

उदयपुर राजस्थान का पर्यटनस्थल है. यहां रोजाना तमाम देशीविदेशी सैलानी आते हैं. अन्य महानगरों की तरह यहां भी जिस्मफरोशी का कारोबार धड़ल्ले से होता है. उदयपुर की हिरणमगरी कालोनी के सेक्टर-9 की रहने वाली रेखा उर्फ पूजा काफी समय से सैक्स रैकेट चला रही थी.

उस के खिलाफ थाना हिरणमगरी में पीटा के 7 मामले दर्ज हैं. इस के अलावा वह शांतिभंग के मामलों में भी कई बार गिरफ्तार हो चुकी थी. रेखा की उम्र 50 साल के आसपास है. उस की शादी ललित छाबड़ा से हुई थी, जिस से उस के 2 बेटे हुए, बड़ा अनिल और छोटा मनीष.

रेखा पहले उदयपुर की हिरणमगरी के सेक्टर-5 में रहती थी. अभी भी वहां उस का मकान है, जिस में वह लड़कियों से जिस्मफरोशी कराती थी. इसी धंधे की बदौलत उस के संपर्क मुंबई, दिल्ली और कोलकाता की लड़कियों से हो गए थे. उदयपुर के कई नामीगिरामी होटलों के अलावा हाईवे पर स्थित फार्महाउसों व गेस्टहाउसों के संचालकों से उस के संपर्क थे.

जिस्म के शौकीनों के लिए वह मुंबई, दिल्ली और कोलकाता से लड़कियां बुलाती थी. रेखा लड़कियों की खूबसूरती और देह के आधार पर ग्राहकों से रकम वसूलती थी. बाहर से आई लड़कियां कुछ दिन उदयपुर में रह कर लौट जाती थीं.

ग्राहकों की जरूरत के हिसाब से रेखा फोन कर के लड़कियां बुला लेती थी. इस धंधे से उस ने करोड़ों की दौलत कमाई. इसी कमाई से उस ने उदयपुर के हिरणमगरी के सेक्टर-9 में 3 हजार वर्गमीटर का भूखंड खरीद कर आलीशान कोठी बनवाई. कोठी के बेसमेंट में अनैतिक गतिविधियों के लिए ठिकाने बनवाए. उस ने कोठी में चारों तरफ कैमरे लगवाए, ताकि बाहर की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके. कहा जाता है कि जब रेखा ने यह मकान बनवाना शुरू किया था, उस के कारनामों की वजह से मोहल्ले वालों ने काफी विरोध किया था, लेकिन उस ने आपराधिक लोगों की मदद से सब को चुप करा दिया था. इस मकान की कीमत इस समय करीब 5 करोड़ रुपए है.

रोमा उर्फ रेशमा भी रेखा के बुलाने पर जिस्मफरोशी के लिए मुंबई से उदयपुर आई थी. कहा जाता है कि रोमा मूलरूप से बांग्लादेश की रहने वाली थी. वह गरीबी की वजह से इस दलदल में फंस गई थी.

कुछ दिनों वह कोलकाता में रही, फिर वहां से मुंबई चली गई. अन्य कालगर्ल्स की तरह वह भी बुलाने पर मुंबई से दूसरे शहरों में जाने लगी. इसी तरह रेखा के बुलाने पर वह उदयपुर आई थी.

रोमा को उदयपुर अच्छा लगा, इसलिए वह रेखा के साथ रह कर जिस्मफरोशी करने लगी. शुरू में तो उस के चाहने वाले काफी थे, लेकिन धीरेधीरे उस का शरीर और उम्र बढ़ी तो चाहने वालों की संख्या घटने लगी.

यह सच्चाई भी है कि उम्र बढ़ने के साथ कालगर्ल्स के चहेतों की तादाद कम होने लगती है. रोमा की उम्र जरूर ज्यादा हो गई थी, लेकिन जब वह टाइट वेस्टर्न ड्रैस पहनती थी तो उस के उभार चाहने वालों को आकर्षित करते थे. बालों को भी वह कलर करने लगी थी. फिर भी उस का धंधा टूटता जा रहा था. इस के अलावा जिस्म बेचने के बाद भी उसे पूरा पैसा नहीं मिलता था. उस की कमाई का अधिकांश हिस्सा रेखा रख लेती थी. इसलिए अब उसे इस धंधे में अपना भविष्य खतरे में दिखाई दे रहा था.

रोमा के जो भी आशिक थे, वे सिर्फ उस के जिस्म से मतलब रखते थे. उन में से किसी की नजरों में उसे अपनापन नजर नहीं आता था. रोमा जब से उदयपुर आई थी, रेखा के साथ उसी के घर में रह रही थी. वह उस की आंटी भी थी और मालकिन भी. साथ रहने की वजह से रोमा का आमनासामना रोजाना रेखा के छोटे बेटे मनीष से होता था. कभीकभी रोमा अपने छोटेमोटे काम भी मनीष से करा लेती थी. मनीष को पता ही था कि उस की मां रेखा देहव्यापार कराती है. उस के घर एक से एक खूबसूरत और हर उम्र की लड़कियां आतीजाती रहती थीं.

मनीष करीब 28 साल का युवा था. उस की अपनी शारीरिक जरूरतें थीं. अगर वह चाहता तो घर आने वाली किसी भी कालगर्ल्स से अपनी शारीरिक जरूरत पूरी कर सकता था, लेकिन रोमा उस के दिल में जगह बनाने लगी थी. अपनी जरूरतों के हिसाब से वह भी मनीष से प्यार करने लगी थी. कब दोनों एकदूसरे के प्यार में खो गए, पता ही नहीं चला.

रोमा और मनीष के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए. ये संबंध लगातर चलते रहे, जिस से रेखा को उन के संबंधों की जानकारी हो गई. रेखा इस धंधे की खेलीखाई और घाघ औरत थी. उसे पता था कि इस तरह के संबंधों का क्या हश्र होता है. भविष्य के बारे में सोच कर रोमा रेखा की चिंता किए बगैर मनीष के साथ लिवइन रिलेशन में रहने लगी.

मनीष से रोमा को गर्भ भी ठहर गया. अब वह मनीष से शादी की बात करने लगी. उसे पता था कि मनीष से शादी करने के बाद वह रेखा की करोड़ों की जायदाद में आधे की हिस्सेदार हो जाएगी. इस के लिए ही वह मनीष पर शादी के लिए दबाव बनाने लगी.

इस बात की भनक रेखा को लगी तो उसे मामला गड़बड़ नजर आने लगा. वह कतई नहीं चाहती थी कि उस का बेटा कालगर्ल्स से शादी करे और उस की जायदाद में हिस्सा मांगे. पहले उसे लगता था कि इस मामले को वह अपने स्तर से निपटा देगी. लेकिन उस की चिंता तब बढ़ गई, जब उस का अपना बेटा मनीष भी रोमा की भाषा बोलने लगा.

रोमा को ले कर घर में लगभग रोज ही झगड़े होने लगे. इस से रेखा परेशान रहने लगी. अब वह रोमा से छुटकारा पाने के उपाय सोचने लगी. काफी सोचविचार कर उस ने फैसला किया कि इस झगड़े की जड़ रोमा है, इसलिए उसे ही मनीष के रास्ते से हटा दिया जाए.

रेखा ने काफी सोचविचार कर साजिश रची. उसी साजिश के तहत उस ने मनीष को तलवारबाजी के एक झगड़े में पुलिस से गिरफ्तार करवा कर जेल भिजवा दिया. मनीष के जेल जाते ही रेखा ने अपने ड्राइवर धनराज मीणा और बड़े बेटे अनिल से बात की. इस के बाद योजना के अनुसार, 9 नवंबर की शाम को धनराज ने रोमा को इतनी शराब पिलाई कि वह सुधबुध खो बैठी. उसी हालत में धनराज और रेखा ने सलवार के नाड़े से रोमा का गला घोंट कर उस की हत्या कर दी. अधिक नशा होने की वजह से वह विरोध भी नहीं कर सकी.

रेखा को पूरा विश्वास हो गया कि रोमा की मौत हो चुकी है तो उस ने अनिल और धनराज से कहा कि वे लाश को गाड़ी से ले जा कर कहीं फेंक आएं. अनिल और धनराज हुंडई आई10 कार की पिछली सीट पर लाश रख कर निकल पड़े. कार धनराज चला रहा था.

दोनों नेगडि़या टोलनाका, नाथद्वारा, राजनगर, केवला होते हुए मांडावाड़ा टोलनाके से हो कर पड़ासली के पास पहुंचे. वहीं हाईवे पर सुनसान जगह देख कर धनराज ने सड़क के किनारे कार रोक दी.

फिर अनिल की मदद से कार की पिछली सीट पर पड़ी रोमा की लाश को निकाल कर हाईवे से करीब 2 सौ मीटर दूर ले जा कर खाई में फेंक दिया. इस तरह लाश को ठिकाने लगा कर दोनों उसी कार और उसी रास्ते से रात में ही घर आ गए.

रोमा की हत्या का खुलासा होने पर पुलिस ने सबूत जुटाने के लिए नेगडि़या टोलनाका व मांडावाड़ा टोलनाका की सीसीटीवी फुटेज की फिर से जांच की तो उन की कार आतीजाती दिखाई दे गई. पुलिस ने दोनों की उस रात की मोबाइल की लोकेशन और काल डिटेल्स भी सबूत के तौर पर जुटाए.

कथा लिखे जाने तक पुलिस यह पता करने की कोशिश कर रही थी कि रोमा कौन थी, वह कहां की रहने वाली थी, उस के परिवार में कोई है या नहीं? अभियुक्तों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने रोमा की लाश का पोस्टमार्टम करा कर अंतिम संस्कार करा दिया था.

बहरहाल, देहव्यापार करने वाली रोमा ने कभी नहीं सोचा होगा कि प्यार करने की उसे ऐसी सजा मिलेगी. रोमा के साथ जो हुआ, उस से एक बार फिर साबित हो गया है कि इस तरह की औरतों का कोई भविष्य नहीं होता.

इंटरनेशन तैराक की कातिल माशूका

23 जनवरी, 2017 की सुबह की बात है. बिहार के भागलपुर के लोदीपुर थानांतर्गत कवाली नदी के किनारे कुछ बच्चे बेर तोड़ रहे थे तभी किसी की नजर पास की झाड़ी में पड़ी एक लाश पर गई. लाश देखते ही डर कर बच्चे वहां से भाग गए. उन्होंने यह बात अपने जानने वालों को बताई तो गांव के कुछ लोग उस जगह पहुंच गए, जहां लाश पड़ी थी. वहीं से किसी ने फोन कर के यह जानकारी लोदीपुर थाने में दे दी. सुबह 10 बजे के करीब पुलिस को जैसे ही लाश मिलने की सूचना मिली तो थानाप्रभारी भारतभूषण पुलिस टीम के साथ नदी के किनारे पहुंच गए.

वहां झाडि़यों में करीब 35 साल के एक युवक की लाश पड़ी थी. वह युवक विकलांग था. उस के दोनों हाथ नहीं थे. उस का चेहरा तेजाब से झुलसा हुआ सा लग रहा था. लाश से दुर्गंध आ रही थी. इस से लग रहा था कि उस की हत्या कई दिन पहले की गई थी.

जांच में उस लाश की पुष्टि इंटरनैशनल तैराक और बिहार सरकार के सचिवालय में क्लर्क की नौकरी करने वाले विनोद कुमार सिंह के रूप में हुई. विनोद मूलरूप से सीवान जिले के बड़ा सिकवा इलाके के नौतन बाजार में रहने वाले रामजी सिंह का बेटा था. वह पश्चिम बंगाल के 24 परगना के स्कूल में अध्यापक थे. पुलिस ने खबर भेज कर रामजी सिंह को बुलवा लिया. बेटे की लाश देख कर वह फूटफूट कर रोने लगे. मौके की काररवाई पूरी कर के पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

पुलिस ने रामजी सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि विनोद का लोदीपुर की रहने वाली वौलीबौल खिलाड़ी रंजना कुमारी से प्रेम चल रहा था. 6 जनवरी, 2017 से ही वह पटना से लापता था. तब 13 जनवरी को उन्होंने उस के गायब होने की सूचना सचिवालय थाने में दी. इस के 8 दिन बाद भी जब विनोद के बारे में जानकारी नहीं मिली तो उन्होंने विनोद के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी. एफआईआर दर्ज कराते हुए उन्होंने रंजना कुमारी, उस के पिता, मां, बहनोई और फुफेरे भाई पर अपहरण की आशंका जताई थी.

इंटरनैशनल तैराकी में मुकाम बना चुके विनोद को इसी उपलब्धि पर सचिवालय भवन में जल संसाधन विभाग में सन 2012 में क्लर्क की नौकरी मिली थी. विनोद के करीबी लोगों ने पुलिस को बताया कि वह रंजना को तैराकी सिखाता था. उसी दौरान दोनों करीब आए. दोनों चोरीछिपे मिलते रहते थे और धीरेधीरे उन का प्यार परवान चढ़ गया. विनोद शादीशुदा ही नहीं, बल्कि 2 बच्चों का पिता था. बेटा मिलन सिंह 7 साल का और बेटी गुनगुन 4 साल की है. विनोद की बीवी वीणा अपने ससुर के साथ ही 24 परगना में ही रहती है.

इस के बावजूद भी उस का रंजना से चक्कर चल रहा था. विनोद अपने परिवार के साथ पटना के राजवंशी नगर मोहल्ले में रहता था. उस के साथ उस का भांजा अंकित भी रहता था. विनोद के पिता ने पुलिस को बताया कि रंजना का मकसद विनोद के पैसों पर कब्जा जमाना था. रंजना सीतामढ़ी के डीएवी स्कूल में टीचर थी. विनोद जहां इंटरनैशनल डिसएबल स्विमर था तो वहीं रंजना स्टेट लेवल की वौलीबाल खिलाड़ी रह चुकी थी. विनोद के साथ पटना में रहने वाले उस के भांजे अंकित ने बताया कि जब विनोद गायब हुआ था तो उस दौरान वह पटना में नहीं था. वह कोलकाता जाने की बात कह कर पटना से निकले थे. पर बाद में पता चला कि वह कोलकाता पहुंचे ही नहीं.

जांच की इसी कड़ी में पुलिस को पता चला कि पहली जनवरी, 2017 को विनोद पर मोबाइल छीनने का आरोप लगा था. 2 लोग उसे पीटने पर उतारू थे. उन से जान बचा कर विनोद किसी तरह तिलकामांझी थाने के पास पहुंच गया. तब पुलिस ने उसे बचाया था. जो लोग उस की पिटाई करने पर उतारू थे उन्होंने पुलिस को बताया कि एक बैंक के एटीएम बूथ के पास विनोद ने किसी लड़की का मोबाइल फोन छीना है.

उन की यह बात सुन कर पुलिस भी चौंकी क्योंकि जिस आदमी के दोनों हाथ ही कंधों से न हों, वह किसी का मोबाइल कैसे छीन सकता है. तब उन दोनों युवकों ने पुलिस की उस लड़की से भी बात कराई. जिस का मोबाइल छीनने का वह आरोप लगा रहे थे. वह लड़की रंजना ही निकली और जो 2 आदमी विनोद को पीट रहे थे उन में एक रंजना का बहनोई और दूसरा मौसेरा भाई था.

रंजना ने पुलिस को बताया कि विनोद ने उस का मोबाइल छीना नहीं था बल्कि कई दिन पहले ले लिया था जो अब लौटा नहीं रहा है. पुलिस ने विनोद से मोबाइल फोन ले कर रंजना के बहनोई को दे दिया.

रंजना और उस के घर वाले चाहते थे कि विनोद रंजना का पीछा छोड़ दे. लेकिन विनोद नहीं मान रहा था. उस से पीछा छुड़ाने के लिए उन्होंने उस पर लूटपाट का झूठा आरोप लगाया था.

विनोद ने पुलिस को बताया कि रंजना उस की बीवी है, जो लोदीपुर इलाके में रहती है. वह नए साल पर उसे गिफ्ट देने आया था. इतना ही नहीं उस ने अपने मोबाइल में रंजना की और अपनी विवाह की तसवीरें भी दिखाईं.

विनोद तैराकी के बटरफ्लाई स्ट्रोक में माहिर था. उस ने सन 2005 और 2008 के बीजिंग पैरा ओलांपिक के अलावा 2011 में कई नैशनल और इंटरनैशनल तैराकी प्रतियोगिताओं में भाग लिया था. कई प्रतियोगिताओं में वह भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुका था. सन 2006 में मलेशिया में आयोजित ऐशियाई खेलों में भी उस ने भाग लिया था.

इस के बाद सन 2007 में ताइवान में आयोजित वर्ल्ड ऐम्प्यूटी स्पोर्ट और जरमन ओपन में हिस्सा ले चुका था. 2008 में वह तैराकी का इंटरनैशनल चैंपियन बना था. जर्मनी में तैराकी प्रतियोगिता में उसे गोल्ड मैडल मिला था. उस की इस उपलब्धि पर बिहार और बंगाल सरकार ने उसे कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया था.

साल 2012 में विनोद को खेल कोटा से बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग में क्लर्क की नौकरी मिली थी. शनिवार और रविवार को वह कोलकाता जा कर तैराकी का अभ्यास करता था.

अपनी विकलांगता को अपना हथियार बनाने वाले विनोद ने कभी हिम्मत नहीं हारी. उस के दोनों हाथ नहीं थे इस के बावजूद भी वह पैरों से ही सारा काम कर लेता था. घरेलू काम हो चाहे औफिस का काम हो, वह सारा काम पैरों से ही करता था. मोबाइल फोन से ले कर कंप्यूटर तक वह बिना किसी अवरोध के पैरों से ही चला लेता था.

रंजना के पिता राधाकृष्ण मंडल स्वास्थ्य विभाग में नौकरी करते थे. वह रिटायर हो चुके हैं. चूंकि विनोद के पिता ने रंजना के घर वालों पर ही आरोप लगाया था इसलिए पटना के एसएसपी मनु महाराज के निर्देश पर पुलिस ने रंजना, उस के पिता राधाकृष्ण मंडल, मां सबरी देवी, बहनोई शंभू मंडल को हिरसत में ले कर पूछताछ की तो उन्होंने विनोद की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. पूछताछ में पता चला कि खेल कोटे के तहत नौकरी का फार्म भरने के लिए रंजना बिहार सचिवालय में गई तो वहीं पर उस की मुलाकात विनोद से हुई थी. बाद में दोनों के बीच संबंध और गहरे हो गए.

रंजना ने कई चौंकाने वाली बातें पुलिस को बताईं. उस ने बताया कि वह विनोद से प्यार करती थी. पर उस ने खुद के शादीशुदा होने की बात उस से छिपाई. जब उसे पता चला कि विनोद 2 बच्चों का बाप है तो उस ने विनोद से दूरी बनानी शुरू कर दी.

रंजना के फोन में विनोद के साथ खींचे गए कुछ फोटो खास पलों के थे. विनोद ने उस का फोन अपने पास रख लिया. वह उन फोटो को सार्वजनिक करने की धमकी दे कर रंजना पर शादी का दबाव बना रहा था. पर रंजना उस से शादी तो दूर बल्कि उस से मिलना तक नहीं चाहती थी. बाद में रंजना की नौकरी सीतामढ़ी के डीएवी स्कूल में लग गई. लेकिन विनोद उस से मिलने उस के स्कूल में भी पहुंच जाता था.

रंजना ने बताया कि विनोद पैरों से ही मोबाइल फोन को पकड़ कर सेल्फी भी खींच लेता था. इतना ही नहीं वह पैरों से ही सिगरेट जला कर पी लेता था. कई बार जब वह उस से मिलने भागलपुर पहुंचता था और उस के घर वाले घर का दरवाजा नहीं खोलते थे तो वह बरामदे में ही घंटों बैठा रहता था. उस दौरान वह पैरों से ही माचिस जला कर सिगरेट जला लेता था और कश पर कश लेता रहता था.

रंजना की मां सबरी देवी ने रोतेरोते पुलिस से कहा कि परिवार की इज्जत बचाने के लिए गलत काम करना पड़ा. विनोद रंजना को ही नहीं बल्कि पूरे परिवार को ब्लैकमेल कर रहा था. रंजना और विनोद के रिश्तों की वजह से समाज में उस के परिवार की काफी बदनामी हो रही थी. छोटी बेटी का विवाह पक्का हो चुका था. विनोद की धमकी के बाद परिवार के लोगों को इस बात का अंदेशा था कि कहीं विनोद की वजह से बेटी का रिश्ता न टूट जाए. इसलिए परिजनों ने विनोद को यह समझाने की कोशिश की बेटी की शादी तक चुप रहे पर वह कुछ सुनने को तैयार नहीं था.

रंजना की बहन की शादी की तारीख जैसेजैसे नजदीक आती जा रही थी वैसेवैसे रंजना के घर वाले परेशान हो रहे थे. क्योंकि विनोद रंजना पर साथ रहने का दबाव  बढ़ा रहा था. 6 मार्च, 2017 को रंजना की बहन की शादी की तारीख निश्चित हो गई. रंजना को डर लगने लगा था कि विनोद और उस के अवैध संबंधों की बात बहन के ससुराल वालों को पता चल गई तो शादी टूट सकती है.

रंजना ने मिलने के लिए उसे भागलपुर बुलाया ताकि उसे बैठा कर समझाया जाए. विनोद 6 जनवरी को ही भागलपुर रेलवे स्टेशन पहुंच गया. उस समय रात हो गई थी इसलिए वह रेलवे स्टेशन पर ही रुक गया था. 7 जनवरी को वह रंजना से मिलने पहुंच गया. काफी समझाने के बाद भी विनोद अपनी जिद पर अड़ा रहा.

7 जनवरी की सुबह विनोद ने अपने पिता से बात की. पिता को जब पता चला कि वह भागलपुर में रंजना के पास गया है तो उन्होंने उस से कहा कि वह तुरंत लौट आए. पर विनोद ने कहा कि रंजना के भाई बिट्टू ने मिलने के लिए बुलाया है उस से बातचीत कर के लौट आऊंगा.

इस के बाद विनोद ने रंजना के मौसेरे भाई बिट्टू को फोन कर के कहा कि रंजना के मांबाप से बोल दो कि रंजना से उस की शादी हो चुकी है और अब जल्द से जल्द वह उस की विदाई कर दें. रंजना के बहनोई शंभू मंडल ने पुलिस के सामने कबूल कर लिया कि उस ने रंजना के मौसेरे भाई कमल किशोर उर्फ बिट्टू और उस के एक दोस्त संजीव के साथ मिल कर विनोद का कत्ल किया था. कत्ल के दौरान रंजना वहां मौजूद नहीं थी.

सभी ने पकड़ कर विनोद को जमीन पर पटक दिया. रंजना की मां और संजीव ने उस के पैर पकड़ लिए और बिट्टू उस का गला घोंटने लगा. शंभू ने विनोद के मुंह में गमछा ठूंस कर नाक दबा ली. कुछ ही देर में दम घुटने से विनोद की मौत हो गई. चूंकि रंजना ने ही मिलने के लिए विनोद को भागलपुर बुलाया था इस से वह साबित हो गया कि वह भी विनोद की हत्या की साजिश में शामिल थी.

पुलिस ने सभी अभियुक्तों से पूछताछ कर उन्हें न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्यार के जाल में लड़के लड़कियां

प्यार के जाल में फंस कर आज भी बहुत से नौजवान लड़केलड़कियां जेल की सलाखों में बंद हैं. आएदिन प्यार के फेर में पड़ कर लड़केलड़कियों की हत्या तक कर दी जाती है.

जब एक नौजवान लड़का और लड़की किसी तरह आपस में मिलते हैं, तो वे दोनों बहुत से सपने देखते हैं. लेकिन ज्यादातर प्रेमियों के सपने पूरे नहीं होते. ऐसे सपनों की सचाई भी अलगअलग होती है.

राकेश एमएससी तक पढ़ालिखा था. 10वीं क्लास में पढ़ने वाली एक लड़की अंजू को वह ट्यूशन पढ़ाता था. थोड़े ही समय में वह उस लड़की से इश्क करने लगा. अंजू भी मान गई. दोनों साथ जीनेमरने का सपना देखने लगे. स्कूल, पार्क, रैस्टोरैंट में दोनों का लगातार मिलना जारी रहा.

इस दौरान राकेश के मातापिता ने दूसरी जगह लड़की देख कर उस की शादी तय कर दी. ज्यों ही यह बात अंजू को मालूम हुई, वह राकेश पर दबाव बनाने लगी, ‘‘अगर तुम ने उस लड़की से शादी की, तो मैं जहर खा कर जान दे दूंगी.’’

राकेश को अपने भरोसे में ले कर अंजू बोली, ‘‘हम लोग यहां से किसी दूसरी जगह भाग चलते हैं.’’

अंजू अपने पिता की अलमारी से 50 हजार रुपए निकाल कर ले आई. दोनों नई दिल्ली के लिए चल दिए.

उधर अंजू के मातापिता ने अपनी बेटी के अपहरण का मामला लोकल थाने में दर्ज करा दिया. पुलिस छानबीन करने लगी.

मोबाइल फोन की लोकेशन के आधार पर पुलिस ने उन दोनों को नई दिल्ली के एक होटल से गिरफ्तार कर लिया.

अंजू का मैडिकल टैस्ट कराया गया. जांच में उस के साथ जिस्मानी संबंध बनाने की तसदीक हो गई.

राकेश के ऊपर अंजू को अगवा करने और उस का बलात्कार करने का मुकदमा चला. उसे अदालत ने 8 साल की सजा सुनाई. वह आज भी जेल में बंद है.

इसी तरह की दूसरी घटना है. इलैक्ट्रोनिक्स इंजीनियरिंग कर चुके अमित कुमार का बैंगलुरु में कंप्यूटर ट्रेनिंग सैंटर था. ट्रेनर के रूप में उस ने एक लड़की को बहाल किया था. उस का नाम शबाना था. दोनों एक ही जगह पर रह कर काम कर रहे थे. दोनों में नजदीकियां बढ़ने लगीं. धीरेधीरे ये नजदीकियां प्यार में बदलने लगीं और उन्होंने शादी करने का मन बना लिया.

अमित ने अपने मातापिता के सामने उस लड़की से शादी करने की बात कही, पर दोनों के बीच धर्म आडे़ आने लगा. अमित के मातापिता किसी भी शर्त पर दूसरे धर्म की लड़की के साथ अपने बेटे की शादी करने को राजी नहीं थे.

इस शादी के लिए शबाना के मातापिता भी तैयार नहीं थे. दोनों ने शहर छोड़ने का फैसला लिया और अहमदाबाद चले गए. शबाना के मातापिता ने मुकदमा कर दिया. जल्दी ही पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया और अमित को जेल भेज दिया गया.

रमता अपने गांव के ही साथ में पढ़ने वाले संजय से प्यार करती थी. कभीकभी रात में मौका पा कर दोनों आपस में जिस्मानी संबंध बना लिया करते. वह पेट से हो गई. इस की जानकारी ज्यों ही लोगों को हुई, उन्होंने रमता की हत्या कर लाश गांव के एक कुएं में फेंक दी.

पुलिस को पता चला, तो जांच के दौरान सचाई जब सामने आई, तो उस के परिवार वालों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. सामाजिक मुद्दों की जानकारी रखने वाले कृष्णा सिंह का कहना है कि अगर लड़का या लड़की आपस में प्यार करते हैं, तो सोचसमझ कर करें. इस में दोनों के मातापिता और घर वालों की रजामंदी होना जरूरी है, नहीं तो बाद में बड़े अपराध तक हो जाते हैं.

बुजुर्ग दंपती के मुंह पर टेप लगाकर 45 लाख लूटे

वेस्ट दिल्ली के पंजाबी बाग थाना इलाके में रहने वाले बुजुर्ग दंपती को घर में बंधक बनाकर लूट लिया गया. 45 लाख कैश, जूलरी और मोबाइल फोन लूटने का विरोध करने पर उन्हें पीटा भी गया. बाद में दोनों को बाथरूम में बांधकर बंद कर दिया गया. इसके बाद लुटेरों ने आराम से लूटपाट की. करीब 1 घंटे तक बदमाश घर में रहे. उनकी संख्या 3-5 बताई जा रही है. पुलिस का कहना है कि दो बदमाशों ने लूट को अंजाम दिया.

पुलिस के पास रविवार रात 8 बजे के बाद पीसीआर कॉल की गई. पीड़ित शिकायतकर्ता का नाम गिरधारी लाल है. 63 साल के गिरधारी लाल, पत्नी के साथ रहते हैं. वह एक फाइनैंस कंपनी चलाते हैं. रविवार शाम करीब 7:15 बजे किसी ने उनके घर की घंटी बजाई. गेट खोलने से पहले उन्होंने घंटी बजाने वाले से पहचान पूछी. अजनबी ने बताया कि एक ट्रक खरीदने के लिए पैसे लिए थे उसकी किस्त जमा करनी है. गेट खोलने पर दो आदमी घुसे.

कुछ देर तक दोनों ने गिरधारी लाल से इधर-उधर की बातें कीं. इसके बाद उनकी कनपटी पर पिस्टल तान दी. उन्होंने विरोध किया तो उनकी पिटाई भी की गई. इसी बीच, उनकी पत्नी वहां आ पहुंचीं. लुटेरों ने दोनों को बाथरूम ले जाकर बांध दिया. उनके मुंह पर भी टेप चिपका दी गई थी.

पुलिस का कहना है कि लुटेरे जाते-जाते उनके घर में लगे सीसीटीवी कैमरों की डीवीआर भी अपने साथ ले गए. ऐसे में उनकी पहचान नहीं हो पाई है. लुटेरों ने जिस तरह वारदात को अंजाम दिया उससे लगता है कि उन्हें यह पहले से पता था कि गिरधारी लाल के पास कितना कैश है. बदमाशों ने लूट की वारदात को अंजाम देते हुए उनसे कैश के बारे में पूछा था.

आशंका जताई जा रही है कि कंपनी में ही काम करने वाला कोई कर्मचारी लुटेरों में शामिल हो. कुछ लोगों को शक के दायरे में रखा गया है.

एक घंटे तक रहे घर में

  • 63 साल के गिरधारी लाल, पत्नी के साथ रहते हैं. वह एक फाइनैंस कंपनी चलाते हैं
  • घर में घुसे बदमाशों ने लूट का विरोध करने पर दंपती को पीटा भी
  • पुलिस का कहना है कि 2 बदमाश थे, कुछ लोगों का कहना है कि 3-5 बदमाश थे
  • कुछ देर तक दोनों ने गिरधारी लाल से इधर-उधर की बातें कीं, इसके बाद उनकी कनपटी पर पिस्टल तान दी
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