राजस्थान का बाड़मेर जिला रेतीले धोरों के लिए प्रसिद्ध है. करीब दोढाई दशक पहले कुछ कंपनियों

ने बाड़मेर सहित आसपास के कुछ अन्य जिलों में खोज की तो यहां के रेतीले धोरों के पीछे कच्चे तेल एवं गैस का अथाह भंडार मिला. इस के बाद केंद्र सरकार ने अलगअलग बेसिन बना कर राष्ट्रीय एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियों को तेल एवं प्राकृतिक गैस के दोहन की जिम्मेदारी सौंप दी.

करीब 2 दशक से राजस्थान के करीब 21 ब्लौकों में तेल एवं प्राकृतिक गैस की खोज एवं दोहन का काम बड़े पैमाने पर चल रहा है. जानीमानी कंपनी केयर्न इंडिया की ओर से बाड़मेर के 10 ब्लौकों में पैट्रोलियम की खोज के लिए 700 से अधिक कुआें की खुदाई की गई.

इन में मंगला, मंगला ईओआर, सरस्वती, रागेश्वरी, रागेश्वरी दक्षिण, रागदीप, भाग्यम, एनआई, एनई एवं ऐश्वर्या ब्लौक शामिल हैं. केयर्न इंडिया ने जो कुएं खोदे, उन में से 380 कुओं में खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस के दोहन का काम चल रहा है. बाकी 58 कुएं ड्राई हो कर फेल हो गए, जबकि 270 कुओं में खोज का काम चल रहा है.

अगस्त, 2009 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बाड़मेर में केयर्न इंडिया के एक आयलफील्ड का उद्घाटन किया था. केयर्न इंडिया के पास देश का सब से बड़ा खजाना बाड़मेर के मंगला ब्लौक में है. मंगला प्रोसेसिंग टर्मिनल (एमपीटी) में पिछले कई सालों से क्रूड आयल की बड़े पैमाने पर चोरी हो रही थी.

क्रूड आयल को काला सोना भी कहा जाता है. काले सोने के खजाने में चोरी की छोटीमोटी घटनाएं यदाकदा सामने आती रहती थीं. पुलिस इस पर काररवाई भी करती रहती थी. आरोपियों की गिरफ्तारी होती और अधिकांश मामलों में क्रूड आयल की बरामदगी हो जाती.

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