पटना ट्रिपल मर्डर, कैसे बना वह हथौड़े वाला हत्यारा

सुबह के 10 बज रहे थे. 50 साला अलीना सिंह अपनी दोनों बेटियों को स्कूल और कालेज भेज कर घर का काम निबटा रही थीं. उस समय घर में उन का सौतेला बेटा देवेश कुमार उर्फ रिंटू ही मौजूद था. अचानक देवेश कुमार ने अलीना के चेहरे पर कपड़ा लपेट दिया और सिर पर हथौड़ा मारमार कर उन्हें जान से मार डाला.

11 बजे अलीना की 11 साला छोटी बेटी पूर्णिमा स्कूल से घर आई, तो देवेश ने दरवाजा खोला. उस के बाद उस ने पूर्णिमा के सिर पर भी चादर लपेट कर हथौड़ा मारमार उस की जान ले ली.

दोपहर 1 बजे अलीना की 18 साला मझली बेटी सोनाली कालेज से घर लौटी और डोरबैल बजाई. देवेश ने दरवाजा खोला और उस का भी वही हाल किया, जो अलीना और पूर्णिमा का किया था.

15 दिसंबर को पटना के इंद्रपुरी महल्ले के जीरो नंबर रोड पर एक के बाद एक 3 कत्ल करने के बाद देवेश कुमार अपने पिता गोपाल शरण सिंह के पास पहुंचा.

दरअसल, देवेश ने ही गोपाल को सुबह 8 बजे उन के दोस्त धर्मपाल महतो के घर भेज दिया था.

देवेश ने गोपाल से कहा कि दिल्ली चलना है. जल्दी तैयार हो जाइए. उस के बाद दोनों पटना जंक्शन पहुंचे. देवेश ने किसी तरह से पटनादिल्ली राजधानी ऐक्सप्रैस ट्रेन में टिकट का इंतजाम किया और दोनों दिल्ली की ओर चल पड़े.

जब ट्रेन कानपुर के पास पहुंची, तो देवेश ने अपने पिता से कहा कि उस ने अपनी सौतेली मां समेत दोनों बहिनों को मार डाला.

गोपाल को तो पहले बेटे की इस हैवानियत पर यकीन नहीं हुआ, लेकिन जब सारा मामला उन्हें समझ में आया, तो वे जोरजोर से रोने लगे.

देवेश ने अपने हाथों से उन का मुंह दबा कर कहा कि वे रोएं नहीं, वरना वह पकड़ा जाएगा. इस के बाद देवेश ट्रेन से नीचे उतर गया.

ट्रेन जब दिल्ली पहुंची, तो गोपाल अपने छोटे बेटे ओंकार सिंह उर्फ चिंटू के कालकाजी इलाके में बने घर पहुंचे और उसे सारा माजरा बताया.

दिल्ली से ही गोपाल ने पटना में अपने पड़ोसी जोगिंदर को फोन कर के कहा कि वह उन के घर जा कर देखें कि वहां कुछ गड़बड़ तो नहीं है, क्योंकि घर में कोई भी फोन नहीं उठा रहा है.

जोगिंदर जब गोपाल के घर पहुंचा, तो चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था. गेट खोल कर वह अंदर गया, तो कमरे में पड़ी 3 लाशों को देख कर वह सन्न रह गया.

हड़बड़ी में वह भाग कर बाहर निकला और गोपाल को फोन कर सारा माजरा बताया. इस के बाद उस ने महल्ले वालों से बात कर पाटलीपुत्र थाने में खबर दी.

पटना के एसएसपी अमृतराज ने बताया कि हत्या करने का क्रूर तरीका बता देता है कि हत्यारा अलीना, सोनाली और पूर्णिमा से काफी नफरत करता था. हत्या को लूट का रंग देने के लिए उस ने कमरे में रखे बक्सों को उलटपुलट कर रख दिया था. इस मर्डर केस की जड़ में जायदाद का झगड़ा ही है.

रिटायर्ड क्लर्क गोपाल शरण सिंह का पटना के इंद्रपुरी महल्ले में डेढ़ कट्ठा यानी तकरीबन 2 हजार वर्ग फुट जमीन पर मकान बना हुआ है, जिस की कीमत तकरीबन 80 लाख रुपए है. इस के अलावा कटिहार के राजपूताना इलाके में 55 कट्ठा जमीन भी है, जिस की कीमत भी करोड़ों रुपए की आंकी गई है.

देवेश चाहता था कि पिता गोपाल शरण सिंह अपनी जायदाद का बंटवारा कर दें. पिता गोपाल बंटवारे को तैयार थे, पर अलीना इस के लिए तैयार नहीं थीं. वे चाहती थीं कि सोनाली और पूर्णिमा की शादी के बाद ही जायदाद का बंटवारा हो.

अलीना ने जमीन और मकान के सारे कागजात अपने कब्जे में कर रखे थे. इस मामले को ले कर अकसर घर में हल्लाहंगामा होता रहता था.

गोपाल के पड़ोसी बताते हैं कि गोपाल की पहली बीवी की मौत 20-22 साल पहले हो गई थी. इस के बाद उन्होंने अलीना से दूसरी शादी की. अलीना से उन की 3 बेटियां हुईं, जबकि पहली बीवी से 2 बेटे थे.

अलीना जब ब्याह कर घर आईं, तो उसी समय से उन्होंने गोपाल के बेटों को परेशान करना शुरू कर दिया. इस को ले कर अलीना और गोपाल में अकसर बकझक होती रहती थी. हार कर गोपाल ने अपने दोनों बेटों को हौस्टल में भेज दिया था. शुरुआती पढ़ाई करने के बाद गोपाल ने दोनों बेटों को पढ़ने के लिए दिल्ली भेज दिया था. दोनों भाई पिछले 12 सालों से दिल्ली में रह रहे थे.

कई पड़ोसियों ने बताया कि अलीना काफी सख्त मिजाज की औरत थीं और गोपाल उन के सामने घुटने टेके रहते थे. अलीना ने दोनों बेटों की शादी में भी गोपाल को नहीं जाने दिया था.

सौतेली मां और 2 बेटियों की हत्या करने में हैवानियत की हद पार कर देवेश फरार है. उस की शादी हो चुकी है और पिछले महीने ही वह बाप बना था.

मनोविज्ञानी अनिल पांड्या कहते हैं कि अपने परिवार के लोगों का कत्ल कर के देवेश हैवानियत की तमाम हदें पा कर गया. इस से पता चलता है कि उस के मन में अलीना को ले कर इस कदर नफरत थी कि वह उस की बेटियों को भी नहीं देखना चाहता होगा.

घरेलू झगड़ों के बढ़ते मामलों के बीच परिवार वालों को देखना समझना होगा कि ऐसे झगड़ों को तूल न पकड़ने दें और न ही ऐसे मामलों को लटका कर रखें.

दूसरी बीवी का खेल

20जनवरी, 2022 को गुरुवार का दिन था. दोपहर के करीब 12 बजे शरद विश्वकर्मा ने लखनऊ के
थाना पारा की हंसखेड़ा पुलिस चौकी के इंचार्ज ओमप्रकाश मिश्रा को फोन किया. उस ने बताया कि उस की बहन शिवा विश्वकर्मा उर्फ जारा उर्फ सोफिया खान (27 साल) सुबह से अपने घर से गायब है. वह पुरानी कांशीराम कालोनी के फ्लैट नंबर 2/6 में अपने पति यासीन खान के साथ रहती है.  ‘‘ठीक है, आप चिंता मत करो, कुछ ही देर में पुलिस वहां पहुंचती है,’’ चौकी इंचार्ज ओमप्रकाश मिश्रा ने शरद से कहा.

इस के बाद एसआई मिश्रा ने अपने पास बैठे सहयोगी एसआई सुधांशु रंजन को फोन पर हुई बातचीत के बारे में बताते हुए विचारविमर्श किया.फिर वह एसआई सुधांशु रंजन और महिला सिपाही अंतिमा पांडेय को साथ ले कर मौके पर आ पहुंचे. फ्लैट पर ताला लगा था. उन्होंने फ्लैट के दरवाजे की झिरखी से झांक कर देखा. कमरे में अंधेरा था.

अंधेरे में कमरे के अंदर कुछ साफ दिखाई नहीं दे रहा था. अंदर से हलकी दुर्गंध आती महसूस हुई तो मौके की नजाकत को समझ कर एसआई सुधांशु रंजन ने थाना पारा के प्रभारी दधिबल तिवारी को फोन पर मामला संदिग्ध होने की आशंका जाहिर करते हुए तुरंत ही मौके पर आने को कहा.
थानाप्रभारी दधिबल तिवारी एसआई की सूचना पा कर महिला एसआई रीना वर्मा, हैडकांस्टेबल अशोक कुमार को साथ ले कर पुरानी कांशीराम कालोनी आ पहुंचे.

पड़ोसियों से पुलिस ने यासीन खान के बारे में पूछताछ की तो वह कुछ नहीं बता सके.चूंकि फ्लैट से दुर्गंध आ रही थी, इसलिए लोगों की मौजूदगी में पुलिस ने फ्लैट का ताला तोड़ दिया. उस के बाद कमरे का सघन निरीक्षण किया. काफी देर तक छानबीन करने पर यासीन खान की दूसरी पत्नी शिवा विश्वकर्मा उर्फ जारा उर्फ सोफिया खान की लाश पलंग पर गद्दे की तह में लिपटी हुई मिली.
पुलिस टीम अभी छानबीन कर ही रही थी, उसी समय मृतका शिवा उर्फ सोफिया का भाई शरद विश्वकर्मा भी मौके पर पहुंच गया.

उस ने थानाप्रभारी को बताया कि यासीन खान ने पहली पत्नी शहर बानो के मौजूद रहते हुए उस की बहन शिवा विश्वकर्मा से दूसरा प्रेम विवाह नेपाल में किया था और उस के साथ इसी फ्लैट पर दोनों पत्नियां रहती थीं.

शरद विश्वकर्मा ने बताया कि वह 6 दिन पहले नेपाल से अपना इलाज कराने बहन शिवा उर्फ सोनिया खान के कहने पर लखनऊ आया था और डिलाइट सन हौस्पिटल में भरती था.20 जनवरी, 2022 को दिन के लगभग 10 बजे के समय शिवा से उस की फोन पर बात हुई थी तो उस ने खाना ले कर अस्पताल में आने को कहा था. लेकिन 2 घंटे बीत जाने के बाद भी शिवा खाना ले कर जब अस्पताल नहीं पहुंची तो मन में जानने की उत्सुकता हुई.

इस पर उस ने शिवा को कई बार फोन किया तो बहुत मुश्किल से बहनोई यासीन खान ने काल रिसीव करते हुए उसे बताया कि तुम्हारी बहन की शहर बानो से कुछ कहासुनी हो गई है. कुछ ही देर में मैं उसे मना कर अस्पताल ला रहा हूं.जब काफी देर हो गई और शिवा खाना ले कर अस्पताल नहीं पहुंची तो शरद विश्वकर्मा को कुछ आशंका हुई. तब उस ने मोबाइल फोन से थाना पारा चौकी इंचार्ज ओमप्रकाश मिश्रा को सूचना दी.

शरद विश्वकर्मा ने कहा कि उस का बहनोई यासीन खान और उस की पहली पत्नी शहर बानो सुबह अपने घर पर मौजूद थे, जिन्होंने अस्पताल आने का जिक्र किया था, लेकिन अब वह अपनी पत्नी शहर बानो को ले कर गायब हो गया.थानाप्रभारी दधिबल तिवारी ने एसआई ओमप्रकाश मिश्रा और सुधांशु रंजन से मृतका के पोस्टमार्टम काररवाई कराने हेतु निर्देश देने के बाद शरद विश्वकर्मा से तहरीर ले कर मुकदमा दर्ज करने को कहा और थाने लौट आए.

शरद विश्वकर्मा की तरफ से पारा थाने में भादंवि की धारा 302, 201 के अंतर्गत यासीन खान एवं उस की पत्नी शहर बानो के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया.मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस के गले यह बात नहीं उतर रही थी कि यासीन खान अपनी पत्नी सोफिया की हत्या भला क्यों करेगा.
पड़ोसियों से छानबीन करने पर एसआई ओमप्रकाश मिश्रा को पता चला कि शहर बानो 2 दिन पहले ही अपने मायके बहराइच से लगभग 3 माह के बाद ही लौटी थी और वह यहां लखनऊ में यासीन और सोफिया के साथ एक ही रूम में रहती थी.

अब पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार था. 22 जनवरी, 2022 को शिवा विश्वकर्मा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को मिल गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह बात स्पष्ट हो गई कि उस की हत्या किसी धारदार हथियार से नहीं, बल्कि गला दबा कर की गई थी.थानाप्रभारी दधिबल तिवारी ने विवेचना अपने हाथों में ले कर जांच करनी शुरू कर दी. पुलिस को भरोसा था कि सोफिया की हत्या का क्लू उस के भाई शरद विश्वकर्मा से जरूर मिल जाएगा, लेकिन पुलिस के पूछने पर शरद हत्या का राज व कारण तो नहीं बता सका, अलबत्ता इतना जरूर कहा कि शहर बानो एवं उस की बहन में काफी अनबन रहती थी और उस की बहन को शहर बानो फूटी आंख नहीं सुहाती थी.

पड़ोसियों ने बताया यासीन खान सोफिया के कहने पर ही शहर बानो को मनमुटाव के चलते 3 महीने पहले उस के मायके नानपारा, बहराइच छोड़ आया था और घटना के बाद पुलिस के पहुंचने से पहले शहर बानो और यासीन खान दोनों घर से फरार हो गए थे.अब पुलिस को शिवा उर्फ सोफिया के पति यासीन खान और शहर बानो की तलाश थी ताकि हत्या का परदाफाश हो सके.कानपुर रोड कृष्णानगर अंडरपास से मुखबिर की सूचना पर 22 जनवरी, 2022 को रात के समय शहर बानो और यासीन खान को गिरफ्तार कर लिया गया.

पूछताछ में यासीन खान ने बताया कि उस ने शहर बानो के सहयोग से ही दूसरी पत्नी सोफिया की हत्या की थी. हत्या के बाद उस की लाश को गद्दे में छिपा दी थी. उस ने हत्या की जो वजह बताई, वह हैरान कर देने वाली निकली—उत्तर प्रदेश के शहर लखनऊ और हरदोई मार्ग पर अवध हौस्पिटल बहुत चर्चित है. इसी अवध अस्पताल से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर लखनऊ विकास प्राधिकरण द्वारा कांशीराम कालोनी बनाई गई है.

पुरानी कांशीराम कालोनी में लगभग 5 हजार आबादी रहती है. प्राधिकरण द्वारा बनाई गई इस कालोनी में यासीन खान किराए के फ्लैट नंबर 2/6 में सोफिया व शहर बानो के साथ रहता था. उस के पिता का नाम ताहिर खान है और वह नेपाल के जिला बांके के कस्बा उधड़ापुर का मूल निवासी है.
उस की पहली शादी सन 2016 में उत्तर प्रदेश के जिला बहराइच के मोहल्ला घसियारिन टोला निवासी मुल्ला खान की बेटी शहर बानो से हुई थी.

वह लखनऊ में 2 साल पहले शहर बानो के साथ रोजीरोटी की तलाश में आ कर बस गया था. इन दिनों वह आयुर्वेदिक दवाओं का सप्लायर था.यासीन खान की दूसरी पत्नी शिवा विश्वकर्मा उर्फ सोफिया शरद विश्वकर्मा की बहन थी. वह हिंदू थी. उस के पिता का नाम बंसबहादुर विश्वकर्मा था. वह नेपाल के कस्बा घोराई उपमहानगर पालिका वार्ड-14, जिला-दाड़ के मूल निवासी थे.शरद विश्वकर्मा से यासीन खान के व्यवसाय के सिलसिले में आनेजाने के कारण नेपाल में ही दोस्ती हो गई थी. शरद ने यासीन को साथ मिल कर नेपाल में ही प्रौपर्टी डीलिंग का काम करने की सलाह दी. यासीन खान शरद के कहने पर नेपाल के कस्बा घोराई में प्रौपर्टी डीलिंग का धंधा करने लगा था.

शरद के कहने पर उस ने उस की बहन शिवा विश्वकर्मा को अपने औफिस में रिसैप्शनिस्ट की नौकरी पर रख लिया था.शरद और यासीन खान ने घोराई में रह कर लगभग एक साल तक धंधा किया. लेकिन इन का वहां कोई खास फायदा नहीं हुआ और अधिक पूंजी न होने के कारण प्रौपर्टी डीलिंग के धंधे में कोई खास सफलता नहीं मिल सकी.तब यासीन के कहने पर शरद नेपाल छोड़ कर लखनऊ आ कर रहने लगा. यहां भी इस धंधे में सफलता न मिलने पर शरद विश्वकर्मा का मन इस काम से उचट गया और वह शिवा को साथ ले कर नेपाल वापस लौट गया.

यहां उल्लेख कर दें कि नेपाल में ही प्रौपर्टी के धंधे के दौरान शिवा विश्वकर्मा यासीन खान के संपर्क में आई थी और उस के प्यार में रचबस गई थी. दोनों ने प्रेम विवाह करने की कसमें खाई थीं. उस ने यासीन खान से धर्म बदल कर जीवन भर साथ निभाने का भरोसा दिला कर 3 साल पहले प्रेम विवाह कर लिया था. यासीन से शादी के बाद शिवा विश्वकर्मा ने अपना नाम बदल कर सोफिया खान रख लिया था.
नेपाल में धंधा बंद होने पर यासीन के साथ वह लखनऊ आ कर शेष जीवन गुजारना चाहती थी. लेकिन शिवा मुसलिम रीतिरिवाजों के कारण यासीन के साथ खुल कर जीने का रास्ता नहीं खोज पा रही थी.
तब शिवा ने नेपाल में ही अपने पिता के यहां जा कर बसने का तानाबाना बुन कर यासीन के समक्ष प्रस्ताव रखा. लेकिन यासीन उस के साथ नेपाल में रहने के लिए हरगिज तैयार नहीं हुआ.

तब यासीन ने शिवा उर्फ सोफिया खान उर्फ जारा को लखनऊ में अपने साथ रहने के लिए राजी कर लिया था.वर्ष 2018 से यासीन खान शिवा उर्फ सोफिया को साथ ले कर लखनऊ रहने लगा था. शिवा उसे दिलोजान से प्यार करती थी. लेकिन यासीन खान की पहली बीवी शहर बानो को शिवा उर्फ सोफिया पसंद नहीं थी. वह नहीं चाहती थी कि उस का पति उस के अलावा किसी और को प्यार करे.
लखनऊ में ही रहने के दौरान शिवा ने एक बेटी को जन्म दिया और उस का नाम सारा रखा था. उस की बेटी सारा इस समय लगभग 3 साल को होने जा रही है. लखनऊ के कांशीराम कालोनी के मकान नंबर 2/6 में यासीन खान सोफिया के साथ रहने लगा था.

यहां उस ने कुछ समय तक इलैक्ट्रीशियन का धंधा किया लेकिन बाद में वह आयुर्वेदिक दवाओं की सप्लाई की कंपनी में नौकरी करने लगा.लखनऊ में सोफिया उर्फ जारा के रहने के कारण पहली बीवी शहर बानो घसियारी टोला, नानपारा बहराइच में अपने पिता के घर पर रहा करती थी और यासीन साल छ: महीने में शहर बानो से मिलने बहराइच आताजाता था.बहराइच पहुंचने पर शहर बानो यासीन खान को काफी भलाबुरा कहा करती थी और दोनों में सोफिया को ले कर कहासुनी होती थी. शहर बानो यासीन से सीधे मुंह बात तक नहीं करती थी और यह कह कर उलाहने दिया करती थी कि अब यहां क्या लेने आते हो. उस कलमुंही के साथ ही गुरछर्रे उड़ाओ.

यासीन 1-2 दिन ससुराल में रुकने के बाद शहर बानो को तसल्ली दे कर लखनऊ वापस लौट आता था. शहर बानो के साथ किए गए वादों को अमली जामा पहनाने के लिए वह दिनरात बेचैन रहने लगा था.
पहली पत्नी शहर बानो के बाद सोफिया यासीन की जिंदगी में जब से आई थी, उस के अमनचैन की जिंदगी में जहर घुल गया था.एक बार की बात है. उस समय सोफिया और यासीन का निकाह नहीं हुआ था. मनमुटाव के कारण शहर बानो जब अपने मायके आई थी, तब यासीन शहर बानो की रुखसती कराने अपनी ससुराल आया हुआ था.

लखनऊ से यासीन के साथ शिवा विश्वकर्मा भी आई थी तो शहर बानो को ससुराल में न पा कर यासीन को काफी अचरज हुआ.शहर बानो की बहन रेशमा ने पूछने पर यासीन को बताया कि आपा तो खालाजान के यहां गई हुई हैं. उन के यहां कुरान खुवानी की दावत है. आज ही वापस आने के लिए कह गई थीं.यासीन को जान कर काफी तसल्ली हुई कि अब शहर बानो नाम का कांटा उस की आंखों से दिन भर के लिए दूर है. दोपहर के समय यासीन खान जब शिवा के साथ कमरे में सो रहा था तो शिवा के साथ अठखेलियां खेलने में मस्त हो गया. शिवा यासीन के साथ बातें करने मे मशगूल थी.

कुछ ही देर पहले शिवा और यासीन हमबिस्तर हो कर अलग हुए थे. तब शिवा ने उस के साथ निकाह नहीं किया था. शिवा यासीन को प्यार का वास्ता दे कर शीघ्र ही निकाह करने के लिए कुछ कहने ही जा रही थी कि अचानक घर में शहर बानो के आने की आहट सुनाई दी.दरवाजे पर उस की ब्याहता बेगम शहर बानो खड़ी थी. शहर बानो उस के लिए कमरे में चाय ले कर आई थी कि यासीन शहर बानो को अच्छे कपड़ों में देख कर चहक उठा और बोला आज तुम काफी खूबसूरत लग रही हो.शहर बानो ने उस दिन काफी सुंदर लिबास पहन रखा था, पति की बातें सुन कर वह मुसकरा उठी.

शहर बानो के पूछने पर उस ने शिवा विश्वकर्मा का परिचय कराया तो वह जलभुन कर राख हो गई. शहर बानो खिसियानी बिल्ली की तरह नफरत भरी नजरों से शिवा विश्वकर्मा को घूर कर रह गई. शहर बानो काफी देर तक उसे जलीकटी सुनाती रही.यासीन खान के संपर्क में आने के बाद शहर बानो को शिवा की गतिविधियों पर शक होने लगा था. उसे यह आभास नहीं था कि उस का पति शिवा के चक्कर में फंस गया है और उस के सामने सौत के गुन गाया करता है.

यासीन के साथ वह कांशीराम कालोनी में आई हुई थी तो शिवा को पति के साथ एक बार आपत्तिजनक अवस्था में उसे देख लिया था तो उसे पूर्ण विश्वास हो गया था कि शिवा विश्वकर्मा उर्फ सोफिया उस के शौहर पर डोरे डाल चुकी है और यासीन भी उस के रंग में रचबस चुका है.यहीं से शहर बानो के मन में कांटा पनप चुका था और खुशहाल जिंदगी में घर के अंदर कलह शुरू हो गई थी.

फलस्वरूप शहर बानो आए दिन अपनी ससुराल में रहा करती थी और यासीन खान ने पूर्णरूप से स्वतंत्र हो कर शिवा विश्वकर्मा के साथ निकाह कर लिया था. घर में शहर बानो पहले से जलीभुनी बैठी थी और उस ने घर में शिवा उर्फ सोफिया को देख कर कोहराम मचा दिया था.पानी सिर से ऊंचा होते देख यासीन पत्नी शहर बानो की बातें सुन कर बुरी तरह बौखला उठा था. उस ने कहा, ‘‘तुम लोग सोफिया के बारे में बुराभला कहने वाले कौन होते हो.’’

शहर बानो और उस की बहन रेशमा को तो उस दिन जैसे भूत सवार था. यासीन ने रेशमा को डांटते हुए खामोश रहने की हिदायत दी.विवाद बढ़ता गया और यासीन ने गुस्से में सोफिया के सामने शहर बानो पर मिट्टी का तेल उड़ेल दिया और शहर बानो को जला कर मारने की धमकी दे डाली.उस दिन कोई अनहोनी न हो, इसलिए मातापिता के द्वारा मामला रफादफा कर दिया गया और यासीन अगले दिन शहर बानो की बिना रुकसती कराए सोफिया को साथ ले कर बहराइच से लखनऊ वापस लौट आया और शहर बानो को धमकी दे डाली कि अगर तुम्हारी गर्ज हो तो तुम लखनऊ खुद चली आना.

लेकिन सोफिया के कारण शहर बानो लखनऊ वापस लौट कर नहीं आई. यासीन उसे ले कर परेशान रहने लगा था क्योंकि सोफिया के कारण शहर बानो से अब उस की तलाक की नौबत आ गई थी. कहावत है कि नारी नदिया की धार होती है और पुरुष एक किनारा होता है. दोनों विमुख भी नहीं रह सकते हैं.शहर बानो भी यासीन से लगाव होने के कारण उसे दिल से निकाल नहीं पा रही थी. शहर बानो के मातापिता ने अपनी बेटी की जिंदगी में फिर से बहार लाने के लिए यासीन को रुखसत कराने के लिए खबर भेजी.

यासीन ने भी उत्तर में कहलवा दिया कि यदि वह अपनी बेटी को भेजने के लिए तैयार हैं तो वह उसे खुद पहुंचा दें. वह उसे अपने पास रखने को तैयार है.शहर बानो के वालिद मुल्ला खान ने बेटी को समझाया कि तुम्हें अपने शौहर के यहां खुद चले जाना चाहिए. उस दिन 18 जनवरी, 2022 को एक लंबे अरसे के बाद लखनऊ स्थित कांशीराम कालोनी वह खुद आ गई थी.शहर बानो जब कांशीराम कालोनी वाले आवास पर पहुंची तो यासीन बरामदे में बैठाबैठा दूसरी पत्नी शिवा उर्फ सोफिया से हंसहंस कर बातें कर रहा था.

शहर बानो को अचानक आया देख कर वह भड़क उठा और बोला कि आने से पहले तुम्हें फोन करना चाहिए था. शिवा उर्फ सोफिया ने भी यासीन का साथ दिया, ‘‘यासीन ठीक तो कह रहे हैं. कम से कम आने से पहले तुम्हें फोन तो करना चाहिए था. जब से यासीन ने मुझ से निकाह किया है तुम बातबात में रूठ कर चली जाती हो.’’शहर बानो ने कहा कि तुम लोगों से मेरा यहां रहना देखा नहीं जाता है तो मैं बहराइच न जाऊं तो फिर क्या करूं.

लंबे अरसे बाद लखनऊ आने पर शहर बानो को यासीन खान से यह उम्मीद नहीं थी. वह उलाहना सुन कर मन मसोस कर रह गई थी.पुलिस के पूछने पर यासीन खान ने बताया कि सोफिया ने अपने भाई शरद विश्वकर्मा के इलाज के लिए 30-40 हजार रुपया अलमारी में बचा कर रखे थे, गुरुवार को सोफिया को बिना बताए वह पैसे उस ने निकाल लिए.इस पर पहले तो उस का शक शहर बानो पर गया था. जिस पर दोनों में काफी कहासुनी हुई थी. लेकिन सोफिया को उस ने बताया कि वह रुपए शहर ने नहीं बल्कि उस ने निकाले थे. इस पर उस का उस से भी काफी झगड़ा हुआ.

जब रात को सोफिया अपने अंदर के कमरे में जा कर सो गई, तभी शहर बानो ने यासीन खान को अपने बाहुपाश में लेते हुए सोफिया की हत्या करने और हमेशा के लिए रास्ते का कांटा हटाने के लिए उकसाया, ताकि वह बाकी जिंदगी चैन से जी सके.यासीन उस की बात सुन कर राजी हो गया. शहर बानो जानती थी कि जब से शिवा उर्फ सोफिया खान उस के पति यासीन की जिंदगी में आई है, यासीन की महीने भर की कमाई अपने भाई शरद को भेज दिया करती है, जिस से यासीन मन मसोस कर रह जाता है.

20 जनवरी, 2022 को शिवा उर्फ सोफिया जब सो गई तो शहर बानो ने सोफिया की हत्या करने के लिए यासीन को अस्पताल में शरद विश्वकर्मा के पास न भेज कर घर पर ही रोक लिया.
सुबह होने पर जब सोफिया ने अस्पताल में भरती अपने भाई शरद के लिए खाना बना कर और उस के औपरेशन के लिए रुपए ले कर यासीन को साथ चलने को कहा तो यासीन ने रुपए न देने की बात कही.
जिस के कारण उस की सोफिया से कहासुनी हो गई. उसी दौरान यासीन के इशारे पर शहर बानो ने सोफिया के हाथ पकड़ लिए और यासीन ने गला दबा कर शिवा उर्फ सोफिया की हत्या कर दी. हत्या के बाद शव को पलंग पर गद्दे में लपेट कर छिपा दिया.

जब शिवा विश्वकर्मा उर्फ सोफिया खाना और रुपए ले कर अस्पताल नहीं पहुंची, तब शरद ने उसे कई बार फोन किया. जब उस की बहन से बात नहीं हो पाई तो शरद ने संदेह होने पर हंसखेड़ा पुलिस चौकीप्रभारी को फोन कर सूचना देते हुए बहन के घर पहुंचने को कहा था.
गिरफ्तारी के बाद थानाप्रभारी दधिबल तिवारी, एडिशनल सीपी राजेश श्रीवास्तव, डीसीपी गोपालकृष्ण चौधरी व एसीपी आशुतोष कुमार के समक्ष शहर बानो व यासीन खान को पेश किया गया. आरोपियों ने इन सभी अधिकारियों को भी हत्या की कहानी बताई.
इस के बाद यासीन खान और शहर बानो को 23 जनवरी, 2022 को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक विवेचना जारी थी.

दोस्ती की कमजोर छत

छत्तीसगढ़ के जिला महासमुंद के गांव किशनपुर में मनहरण उर्फ मोनो और दुर्गेश उर्फ पुस्तम की दोस्ती एक मिसाल बन चुकी थी. लोग उन की दोस्ती की नजीर दिया करते थे. दोनों का ही एकदूसरे के घर खूब आनाजाना था.

करीब 6 महीने पहले मनहरण की शादी आरती से हुई थी. दोनों की गृहस्थी ठीक चल रही थी. दुर्गेश को पिथौरा में आरटीओ एजेंट से काम था. उस ने सोचा कि पहले मनहरण के घर जाएगा, वहां से उसे साथ ले कर एजेंट के पास चला जाएगा. यही सोच कर वह सुबह 8 बजे मनहरण के घर चला गया.

मनहरण की पत्नी आरती नहाने के बाद नाश्ता तैयार करने के लिए किचन में जा रही थी, तभी दरवाजे पर दस्तक हुई. आरती ने दरवाजा खोला तो दुर्गेश को आया देख कर मुसकराई. वह बोली, ‘‘भैया आप? आओ, अंदर आओ.’’

उस समय आरती बेहद खूबसूरत लग रही थी. दुर्गेश उसे निहारता रह गया. आरती उसे कमरे में ले गई. मनहरण उस समय सो रहा था. आरती दुर्गेश को बैठा कर चाय बनाने लगी. दुर्गेश आरती के खयालों में खो सा गया. कुछ ही देर में वह दुर्गेश के लिए चाय बना कर ले आई. आरती उसे खोया देख बोली, ‘‘क्या बात है भैया, कहां खो गए? लो, चाय पी लो.’’

‘‘कुछ नहीं भाभी, बस यूं ही… मनहरण कहां है, दिखाई नहीं दे रहा.’’ दुर्गेश ने पूछा.

‘‘अभी सो रहे हैं. मैं उठाती हूं.’’ कह कर वह पति को जगाने चली गई.

दुर्गेश के आने की बात सुन कर मनहरण ने बिस्तर छोड़ दिया. वह दुर्गेश के पास पहुंच कर बोला, ‘‘अरे यार, तुम बैठो मैं तुरंत तैयार होता हूं. बस 5 मिनट में…’’

इस बीच आरती दुर्गेश के पास बैठी बतियाती रही. उस दौरान दुर्गेश उसे चाहत की नजरों से देखता रहा. इस बात को आरती ने महसूस किया तो उस ने दुर्गेश को टोका, ‘‘क्या बात है दुर्गेश भैया, ऐसा क्या है जो मुझे इतनी गौर से देखे जा रहे हो?’’

दुर्गेश ने साहस कर के कहा, ‘‘भाभी, मैं देख रहा हूं कि आप कितनी खूबसूरत हैं. आप की मिसाल तो पूरी दुनिया में नहीं मिलेगी. मेरा दोस्त कितना भाग्यशाली है, जो आप उसे मिली हैं.’’ चाय की चुस्कियां लेते हुए दुर्गेश बोला.

‘‘तुम जरूर झूठी तारीफ कर रहे हो. कुछ लोग दोस्त की पत्नी की झूठी तारीफ इसलिए करते हैं कि समय पर चायनाश्ता मिलता रहे.’’ कह कर आरती रसोई की ओर जाने लगी तो दुर्गेश ने कहा, ‘‘भाभी, एक बात कहूं.’’

आरती ने ठिठकते हुए रुक कर उस की ओर देखा तो वह बोला, ‘‘मैं जो भी कह रहा हूं सौ फीसदी सही है. आप इसे दिल बहलाने वाली बात मत समझना. आप वाकई…’’

आरती ने हंस कर कहा, ‘‘अच्छा भैया, तुम्हारी पत्नी खूबसूरत नहीं है क्या, बताओ तो. मैं आज ही तुम्हारे यहां आ धमकूंगी और सब कुछ बता दूंगी.’’

यह सुन कर दुर्गेश ने साहस के साथ कहा, ‘‘ऐसा है तो आप आज शाम को ही हमारे यहां आ जाओ. आप का स्वागत है. और हां, मेरी बात सही हुई तो मुझे क्या दोगी?’’

‘‘मैं भला तुम्हें क्या दूंगी? मगर मैं इतना जरूर जानती हूं कि तुम बिलावजह मेरी प्रशंसा कर रहे हो. तुम्हारी पत्नी रेशमा को मैं ने देखा है, समझे न.’’ आरती मुसकराते हुए बोली.

आरती कमरे से फिर जाने को हुई तो दुर्गेश ने रुकने का अनुरोध किया लेकिन वह उस की बातें अनसुनी कर के किचन में चली गई.

दोस्त की बीवी पर गंदी नजर

थोड़ी देर में मनहरण नहा कर बाहर आया और नाश्ता कर दुर्गेश के साथ चला गया.

इस के बाद दुर्गेश किसी न किसी बहाने मनहरण के घर आनेजाने लगा. दुर्गेश की आंखों के आगे बस आरती घूमती रहती थी. अब वह उसे पाने के उपाय खोजने लगा था. वह यह भी भूल गया था कि आरती उस के जिगरी दोस्त मनहरण की जीवनसंगिनी है.

पति की गैरमौजूदगी में भी दुर्गेश आरती से मिलता तो वह उसे पूरा सम्मान देती थी. लेकिन उस की नजरों की भाषा को समझते हुए वह खुद संयम से रहती थी.

एक दिन जब मनहरण घर पर नहीं था, तो दुर्गेश आ धमका और आरती से अधिकारपूर्वक बोला, ‘‘भाभी, आज मेरे सिर में बड़ा दर्द हो रहा है. मैं ने सोचा कि आप के हाथों की चाय पी लूं तो शायद सिरदर्द गायब हो जाए.’’

आरती ने स्वाभाविक रूप से उस का स्वागत किया और कहा, ‘‘बैठिए, मैं चाय बना कर लाती हूं. लेकिन भैया, यह तो बताओ कि मेरी बनाई चाय में ऐसा क्या जादू है, जो तुम ठीक हो जाओगे. और हां, रेशमा की चाय में ऐसा क्या नहीं है, जो तुम्हारा सिरदर्द ठीक नहीं होगा.’’ कह कर आरती हंसने लगी.

‘‘भाभी, मेरा यह मर्ज आप नहीं समझोगी.’’ वह बोला.

‘‘क्यों…क्यों नहीं समझूंगी. मुझे समझाओ मैं कोशिश करूंगी.’’ आरती ने भोलेपन से कहा.

‘‘भाभी, एक गाना है न ‘तुम्हीं ने दर्द दिया है, तुम्हीं दवा देना’ तो यह समझो कि दर्द तुम्हारा ही दिया हुआ है इसलिए यह तुम्हारी ही दवाई से ठीक भी होगा. इसलिए जल्द से चाय बना कर पिला दो.’’

आरती समझ रही थी कि दुर्गेश कुछ ज्यादा ही बहकने लगा है, इसलिए एक दिन उस ने पति को दुर्गेश की हरकतों का हवाला देते हुए सारी बातें विस्तार से बता दीं.

पति की गैरमौजूदगी में दुर्गेश के आनेजाने का मतलब आरती समझ रही थी. वह पति का दोस्त था, इसलिए वह उसे घर आने को मना भी नहीं कर सकती थी. उस का आदरसत्कार करना उस की मजबूरी थी. लेकिन दुर्गेश के वहां आने का मकसद कुछ और ही था.

एक दिन दुर्गेश आरती के यहां पहुंचा तो आरती उस के लिए चाय बना कर लाई. चाय पीते समय आरती बोली, ‘‘दुर्गेश भैया, मैं बहुत दिनों से आप से एक सवाल पूछना चाहती थी. सचसच बताओगे?’’

सुन कर दुर्गेश खिल उठा. उसे लगा कि बस उस की बात बन गई. आरती कुछ ऐसा कहेगी कि उस की मनोकामना पूरी हो जाने का रास्ता खुल जाएगा.

‘‘भाभी, आप एक क्या 2 बातें पूछो.’’ दुर्गेश खुश हो कर बोला.

‘‘भैया, पिछले साल एक मर्डर हुआ था, जिस में तुम्हारे बड़े भाई जेल में हैं, वो क्या मामला था?’’ आरती बोली.

आरती की बातें सुन कर दुर्गेश मानो आसमान से जमीन पर आ गिरा. वह सोचने लगा कि भाई द्वारा मर्डर करने की बात आरती को पता है. उस ने तत्काल बातों को घुमाया और कहने लगा, ‘‘कुछ नहीं भाभी, मेरे भैया को झूठा फंसाया गया था. भैया तो देवता समान आदमी हैं, वे भला किसी का मर्डर क्यों करेंगे. मैं तुम को सब कुछ बता दूंगा कि सच्चाई क्या है, मगर फिर किसी दिन…’’ दुर्गेश ने आरती की आंखों में डूबते हुए कहा.

‘‘ठीक है, बता देना.’’ कह कर आरती कमरे से निकलने को हुई कि तभी दुर्गेश ने पीछे से आ कर उसे बांहों में भर लिया. आरती ने किसी तरह उस के चंगुल से छूट कर कहा, ‘‘दुर्गेश भैया, यह तुम क्या कर रहे हो. शर्म आनी चाहिए तुम्हें. मैं तुम्हें जो सम्मान देती हूं, उस का तुम यह सिला दे रहे हो. अपनी मर्यादा में रहो. आइंदा अगर तुम ने ऐसी हरकत की तो अच्छा नहीं होगा.’’

इसी बीच मनहरण भी आ गया. उस ने पत्नी की सारी बातें सुन ली थीं लेकिन अपने हावभाव से उस ने यह बात दुर्गेश को महसूस नहीं होने दी. कुछ देर तक दुर्गेश और मनहरण इधरउधर की बातें करते रहे. इस के बाद दुर्गेश वहां से चला गया.

मनहरण हकीकत जान गया था

उस रात आरती ने पति को दुर्गेश के क्रियाकलापों से अवगत कराया. उस ने कहा कि वह अपने दोस्त को समझाने की कोशिश करे. मनहरण ने पत्नी की ओर उचटती निगाह डालते हुए कहा, ‘‘मैं ने उस की हरकतें देख ली हैं और तुम्हारी बातें भी सुन ली हैं. सच कहूं, मुझे तुम पर गर्व है.’’

यह सुन कर आरती के चेहरे पर मुसकान तैरने लगी. वह बोली, ‘‘मैं ने आज उसे सही तरह से डांट दिया है और तुम भी आ गए थे. अब वह दोबारा गलत हरकत नहीं करेगा.’’

‘‘और अगर करेगा तो मैं उसे हमेशा के लिए सही कर दूंगा.’’ मनहरण के स्वर में कठोरता थी.

‘‘यह आप क्या कह रहे हो?’’ आरती घबराते हुए बोली, ‘‘क्या मतलब है तुम्हारा?’’

‘‘कुछ नहीं, मैं उसे अच्छी तरह समझा दूंगा. वह सोचता है कि उस के भाई फूल सिंह ने 4 मर्डर किए हैं तो उस की वजह से मैं डर जाऊंगा. वह बेवकूफ है. फूल सिंह अपनी करनी का फल जेल में भोग रहा है. देखना यह भी भोगेगा.’’ वह गुस्से में बोला.

‘‘देखो जी, वह तुम्हारा दोस्त है, उसे प्रेम से समझा कर मामला खत्म करना है. हमें बात का बतंगड़ नहीं बनाना है, समझे. वादा करो मुझ से…’’ आरती ने कहा.

‘‘ठीक है, चलो अब सो जाओ. मुझे नींद आ रही है.’’ कह कर मनहरण ने करवट बदल कर सोने का अभिनय किया. मगर सच तो यह था कि उस की आंखों की नींद उड़ चुकी थी.

7 सितंबर, 2019 की शाम को जब मनहरण और दुर्गेश मिले तो दोनों एकदम सामान्य थे. ऐसे जैसे उन के बीच कुछ हुआ ही न हो. मनहरण ने कहा, ‘‘यार, मैं ने देशी माल बनवाया है.’’

मनहरण दुर्गेश को किशनपुर के पास स्थित गांव रामपुर ले गया, जहां मनहरण के लिए पहले से ही देशी शराब तैयार थी. उसे ले कर दोनों कटरा नाले के पास बैठ गए. उसी समय दुर्गेश का एक दोस्त सूरज वहां आ टपका. तीनों ने एक साथ शराब पीनी शुरू की.

मनहरण ने उस दिन पहले से ही मन ही मन एक योजना बना ली थी. उसी के तहत उस ने खुद कम शराब पी. दुर्गेश और सूरज को ज्यादा पिलाता चला गया. जब दोनों मदहोश हुए तो अपनेअपने घर जाने को तैयार हो गए, मगर दुर्गेश और सूरज ने इतनी ज्यादा पी ली थी कि दोनों के पैर लड़खड़ाने लगे.

सूरज अभी 16 साल का ही था. वह चलतेचलते साइकिल सहित सड़क पर गिर गया. उधर मनहरण दोनों की गतिविधियों पर नजर रखे हुए था. जब दुर्गेश पर शराब का नशा चढ़ा तो वह भी एक खेत के पास गिर गया.

शराब पिला कर मार डाला

मनहरण इसी मौके की तलाश में था. वह दुर्गेश के पास बैठा सोचता रहा कि आखिर सोचीसमझी योजना को मूर्तरूप कैसे दिया जाए. तभी दुर्गेश को हलका होश सा आने लगा तो वह उठ बैठा.

‘‘तुम तो शेर हो यार, तुम ढेर कैसे हो गए.’’ मनहरण ने व्यंग्य बुझा तीर चलाया.

‘‘नहींनहीं, मैं ठीक हूं. चलो.’’ दुर्गेश बोला.

‘‘कहां जाओगे, पहले मेरी बात तो सुन लो. तुम कमीने हो, नीच आदमी हो, तुम ने मेरी बीवी का हाथ पकड़ कर उसे छेड़ा. तुम से मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी.’’ मनहरण गुस्से में कहता चला गया, ‘‘मैं ने बहुत बरदाश्त किया, लेकिन तुम दोस्ती के लायक नहीं निकले.’’

दुर्गेश पर ज्यादा नशा सवार था. नशे में मनहरण की ओर देख कर बोला, ‘‘यार, तू इतनी छोटी सी बात पर गुस्सा हो रहा है. दोस्ती में यह सब तो चलता है भाई. एक रोटी को मिलबांट कर खाना चाहिए.’’

मनहरण को गुस्सा आ गया. वह बोला, ‘‘तुम नीच सोच के आदमी निकले, इसलिए आज मैं तुम्हें मौत की सजा दूंगा. और सुनो, बोल कर मार रहा हूं.’’

यह कह कर मनहरण दुर्गेश पर टूट पड़ा और उसे लातघूंसों से मारता रहा. शराब के नशे में दुर्गेश विरोध भी नहीं कर सका. मनहरण ने लस्तपस्त पड़े दुर्गेश को अंतत: गला दबा कर मार डाला और गालियां देते हुए अपने घर चला गया.

जब रात को दुर्गेश घर नहीं पहुंचा, तो उस के घर वालों को चिंता हुई. पिता कन्हैया यादव उसे ढूंढने निकले. सुबह जब उन की मुलाकात मनहरण से हुई तो मनहरण ने दुर्गेश से कई दिनों से मुलाकात न होने की बात कही.

8 सितंबर तक दुर्गेश का कहीं पता नहीं चला. परिवार के लोग यह सोचते रहे कि दुर्गेश कहीं बाहर तो नहीं चला गया, मगर 9 सितंबर को सुबह रामपुर गांव का तीरथराम जब अपने खेत पर पहुंचा तो वहां एक आदमी की लाश पड़ी देख उस के होश उड़ गए.

उस ने कोटवार (चौकीदार) समयलाल और सरपंच को घटना की जानकारी दी. कोटवार ने पिथौरा के थानाप्रभारी दीपेश जायसवाल को घटना की सूचना मिली तो वह घटनास्थल पर पहुंच गए.

वहां मौजूद लोगों ने मृतक की शिनाख्त दुर्गेश उर्फ पुस्तम के रूप में की. थानाप्रभारी ने जरूरी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

जांच अधिकारी दीपेश जायसवाल को जानकारी मिली कि दुर्गेश मनहरण का जिगरी दोस्त था. पुलिस ने मनहरण को यह सोच कर पूछताछ के लिए थाने बुलाया कि शायद उस से हत्यारे के बारे में कोई सुराग मिल जाए.

लेकिन मनहरण ने इस मामले से पल्ला झाड़ लिया. तभी पुलिस सूरज को हिरासत में ले कर थाने लौट आई.

दरअसल, पुलिस को जानकारी मिली थी कि मृतक दुर्गेश, मनहरण और सूरज ने कल शाम एक साथ बैठ कर शराब पी थी. सूरज को आया देख कर मनहरण समझ गया कि अब उस का झूठ नहीं चल सकता, इसलिए वह टूट गया.

मनहरण ने पुलिस के सामने स्वीकार कर लिया कि पत्नी आरती के साथ छेड़छाड़ की वजह से उस ने अपने दोस्त दुर्गेश की हत्या की थी. उस से पूछताछ के बाद पुलिस ने मनहरण उर्फ मोनो को दुर्गेश उर्फ पुस्तम की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. जबकि सूरज को बेकसूर पाए जाने पर थाने से घर भेज दिया.

दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है, जो कभीकभी सगे भाई से भी बेहतर साबित होता है. लेकिन जब यह रिश्ता वासनामय हो कर दोस्त की पत्नी का दामन छूने लगे तो अंजाम भयानक ही होता है. अगर समाज में आप को रिश्ते बनाए रखने हैं तो रिश्तों की मर्यादा को समझिए और उन का सम्मान बनाए रखिए.

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

मोहब्बत की मकड़ी, क्राइम का मकड़जाल

बुधवार, 17 मई, 2017 का दिन ढल चुका था और रात उतर आई थी. 9 बजे के करीब राजस्थान के जिला कोटा के थाना नयापुरा के थानाप्रभारी देवेश भारद्वाज के चैंबर में जिस समय 2 लड़कियां दाखिल हुई थीं, उस समय वह बाहर निकलने की तैयारी कर रहे थे. उन लड़कियों के नाम पूजा और स्वाति थे. दोनों की ही उम्र 30-32 साल के बीच थी. वे थीं भी काफी आकर्षक. अपना परिचय देने के बाद पिछले पौन घंटे के बीच उन्होंने हिचकियां लेले कर रोते हुए जो कुछ बताया था, उस ने देवेश भारद्वाज को पशोपेश में डाल दिया था.

पूरी बात पूजा ने बताई थी. स्वाति तो बीचबीच में हौसला बढ़ाते हुए उस की बातों की तसदीक कर रही थी और जहां पूजा रुकती थी, वहां वह उसे याद दिला देती थी. उन की बातें सुन कर देवेश भारद्वाज उसे जिन निगाहों से ताक रहे थे, उस से पूजा को लग रहा था कि शायद वह उस की बातों पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं. शायद इसी वजह से एक बार तो लगा कि वह फूटफूट कर रो पड़ेगी. लेकिन किसी तरह खुद को संभालते हुए आखिर उस ने पूछ ही लिया, ‘‘सर, क्या आप को हमारी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा है?’’

देवेश भारद्वाज ने पानी का गिलास पूजा की ओर बढ़ाते हुए कहा, ‘‘आप को ऐसा क्यों लग रहा है? आप ने अपने ऊपर हुए जुल्मों के बारे में जो बताया है, उसे एक कागज पर लिख कर रिपोर्ट दर्ज करा दीजिए.’’

युवती, जिस ने अपना नाम पूजा हाड़ा बताया था, उस के बताए अनुसार, वह कोटा के कुन्हाड़ी की रहने वाली थी. आर्थिक तंगी की वजह से वह नौकरी करना चाहती थी. नौकरी की तलाश में उस की मुलाकात लालजी नमकीन भंडार के मालिक अशोक अग्रवाल से हुई. उन्होंने उसी दिन यानी 17 मई की दोपहर लगभग 3 बजे नयापुरा स्थित एक रेस्तरां में नौकरी की खातिर बातचीत करने के लिए उसे बुलाया.

बातचीत के दौरान अशोक अग्रवाल ने सौफ्टड्रिंक औफर किया. व्यावहारिकता के नाते मना करना ठीक नहीं था, इसलिए पूजा ने भी मना नहीं किया. उसे पीते ही पूजा पर नशा सा चढ़ने लगा. उस में शायद कोई नशीली चीज मिलाई गई थी. वह जल्दी ही बेसुध हो गई.

होश आया तो पूजा को पता चला कि नौकरी के बहाने बुला कर अशोक अग्रवाल ने उस की अस्मत लूट ली थी. होश में आने पर पूजा ने यह बात सब को बताने की धमकी दी तो उन्होंने उसे बेइज्जत कर के भगा दिया.

पूजा के साथ स्वाति उस की घनिष्ठ सहेली थी. जब यह पूरा वाकया पूजा ने उसे बताया तो हिम्मत दिला कर वह उसे थाने ले आई. अशोक अग्रवाल पैसे वाले आदमी थे, वह कुछ भी करा सकते थे, इसलिए पूजा ने अपनी जान का खतरा जताया.

रिपोर्ट दर्ज करा कर पूजा और स्वाति ने देवेश भारद्वाज के पास आ कर कहा, ‘‘सर, अब हम जाएं?’’

देवेश भारद्वाज ने अपनी घड़ी देखी. उस समय रात के 11 बज रहे थे. उन्होंने कहा, ‘‘नहीं, तुम लोग इतनी रात को अकेली कैसे जा सकती हो? अकेली जाना तुम दोनों के लिए ठीक नहीं है. क्योंकि अभी तुम्हीं ने कहा है कि तुम्हारी जान को खतरा है.’’

इस के बाद ट्रेनी आरपीएस सीमा चौहान की ओर देखते हुए देवेश भारद्वाज ने कहा, ‘‘मैडम, आप अपनी जिप्सी से इन्हें इन के घर पहुंचा दीजिए.’’

‘‘नहीं सर, इस की कोई जरूरत नहीं है. मैं खुद चली जाऊंगी और पूजा को भी उस के घर पहुंचा दूंगी.’’ स्वाति ने कहा, ‘‘मैं ही इसे ले कर आई थी और मैं ही इसे इस के घर छोड़ भी आऊंगी. पूजा को घर पहुंचाना मेरी जिम्मेदारी है. आप इतनी रात को मैडम को क्यों परेशान करेंगे?’’

देवेश भारद्वाज स्वाति की इस बात पर हैरान रह गए. उन की समझ में यह नहीं आया कि पुलिस की गाड़ी से जाने में इन्हें परेशानी क्यों हो रही है? आखिर उन्हें शक हो गया. क्योंकि इधर लगभग रोज ही अखबारों में वह पढ़ रहे थे कि लड़कियों ने फलां व्यापारी को दुष्कर्म में फंसाने की धमकी दे कर मोटी रकम ऐंठी है, इसलिए उन्होंने दोनों लड़कियों को चुपचाप पुलिस जिप्सी में बैठने को कहा.

आखिर वही हुआ, जिस का अंदेशा देवेश भारद्वाज को था. करीब डेढ़ घंटे बाद उन्हें पता चला कि सीमा चौहान को स्वाति और पूजा करीब एक घंटे तक कुन्हाड़ी की गलियों में घुमाती रहीं, लेकिन उन का घर नहीं मिला. जब वे अपना घर नहीं दिखा सकीं तो वह उन्हें ले कर थाने आ गईं.

सीमा चौहान ने यह बात देवेश भारद्वाज को बताई तो उन्होंने कहा, ‘‘अब समझ में आया कि स्वाति और पूजा आप के साथ क्यों नहीं जाना चाहती थीं. स्वाति क्यों कह रही थी कि पूजा को मैं खुद उस के घर छोड़ आऊंगी.’’

इस के बाद पूजा और स्वाति शक के घेरे में आ गईं. देवेश भारद्वाज ने पूजा के बयान पर विचार किया तो उन्हें सारा माजरा समझ में आने लगा. भला दिनदहाड़े रेस्तरां में ग्राहकों की आवाजाही के बीच कोई किसी के साथ कैसे दुष्कर्म कर सकता है? दुष्कर्म की छोड़ो, छेड़छाड़ भी मुमकिन नहीं है. लड़की शोर मचा सकती थी. हां, लड़की चाहती तो कुछ भी हो सकता था. इस का मतलब शिकारी भी वही है और शिकार भी वही है.

इस के बाद पूजा और स्वाति से सख्ती से पूछताछ की गई तो दोनों टूट गईं और उन्होंने जो बताया, उस से एक ऐसे रैकेट का खुलासा हुआ, जो खूबसूरत औरतों का चारा डाल कर शहर के रसूखदार लोगों को दुष्कर्म में फंसाने की धमकी दे कर मनमानी रकम वसूल रहा था. इस पूछताछ में जो खुलासा हुआ, वह काफी चौंकाने वाला था.

पूजा का असली नाम पूजा बघेरवाल था. वह कोटा के अनंतपुरा की रहने वाली थी. पुलिस ने उस के घर पर छापा मार कर वहां से जो कागजात बरामद किए थे, उस के अनुसार उस की उम्र 20 साल थी. स्वाति इस रैकेट की सरगना थी. उन के गिरोह में नाजमीन भी शामिल थी. पुलिस ने उसे भी अनंतपुरा से गिरफ्तार कर लिया था.

पूछताछ में स्वाति ने स्वीकार किया कि नमकीन कारोबारी अशोक अग्रवाल तक पूजा को उसी ने पहुंचाया था. पूजा और स्वाति ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया तो देवेश भारद्वाज ने देर रात नमकीन कारोबारी अशोक अग्रवाल को बुला कर पूजा और स्वाति के खिलाफ धारा 420 और 384 के तहत मुकदमा दर्ज करा कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

इस तरह आढ़त और नमकीन के बड़े कारोबारी अशोक अग्रवाल इस गिरोह का आखिरी शिकार साबित हुए. जब उन से पूछा गया कि उन्हें कैसे फंसाया गया तो उन्होंने जो बताया, उस के अनुसार 7 मई, 2017 को जब वह बूंदी जा रहे थे तो उन के मोबाइल पर एक फोन आया. वह फोन उन्हें पूजा हाड़ा ने किया था.

पूजा ने उन से कहा कि उसे नौकरी की सख्त जरूरत है. वह बड़े आदमी होने के साथसाथ जानेमाने कारोबारी भी हैं. वह चाहें तो उसे कहीं न कहीं नौकरी मिल जाएगी. किसी अजनबी लड़की द्वारा इस तरह बेबाकी से नौकरी मांगना अशोक अग्रवाल के लिए हैरानी की बात थी. उन्होंने पूछा, ‘‘तुम मुझे कैसे जानती हो, मेरा मोबाइल नंबर तुम्हें कैसे मिला?’’

इस पर पूजा ने कहा, ‘‘तरक्की के इस दौर में आप जैसी जानीमानी हस्ती के मोबाइल नंबर हासिल कर लेना कोई मुश्किल काम नहीं है.’’

पूजा ने अपनी गरीबी और लाचारी का हवाला दिया तो अशोक अग्रवाल ने उसे कहीं नौकरी दिलाने की बात कह कर टालने की कोशिश की. लेकिन पूजा उन्हें लगातार फोन करती रही. यह सिलसिला लगातार जारी रहा. 17 मई की दोपहर को जब पूजा ने फोन कर के कहा कि वह उन से मिल कर अपनी परेशानी बताना चाहती है तो वह पिघल गए.

संयोग से अशोक अग्रवाल उस समय नयापुरा किसी काम से गए हुए थे. पूजा की परेशानी पर तरस खा कर वह उस के बताए रेस्टोरेंट में मिलने पहुंच गए. जिस समय वह रेस्टोरेंट में पहुंचे थे, उस समय वहां गिनेचुने लोग ही थे. कोने की एक मेज पर अकेली लड़की बैठी थी, जिसे देख कर वह समझ गए कि वही पूजा होगी. वह उन्हें देख कर मुसकराई तो उन्हें विश्वास भी हो गया. वह उस की ओर बढ़ गए.

कुरसी से उठ कर नमस्ते करते हुए उस ने कहा, ‘‘मेरा नाम पूजा है. आप ने मेरे लिए इस दोपहर में आने का कष्ट किया, इस के लिए आप को बहुतबहुत धन्यवाद.’’

अशोक अग्रवाल उस के सामने पड़ी कुरसी पर बैठते हुए बोले, ‘‘अब बताओ, मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूं?’’

‘‘मैं अपनी परेशानी इतनी दूरी से नहीं बता सकती.’’ पूजा ने अशोक अग्रवाल की आंखों में आंखें डाल कर मुसकराते हुए कहा, ‘‘आप यहां मेरे बगल में आ कर बैठें तो मैं आप को अपनी परेशानी बताऊं.’’

इतना कह कर पूजा दोनों हाथ टेबल पर रख कर झुकी तो उस के वक्ष झांकने लगे. अशोक अग्रवाल यह देख कर हड़बड़ा उठे, क्योंकि उन्होंने ऐसी स्थिति की कल्पना नहीं की थी. उन्होंने इधरउधर देखा, संयोग से उन की ओर कोई नहीं देख रहा था. लेकिन उस तनहाई में उस के इस रूप को देख कर वह पसीनेपसीने हो गए. उन का हलक सूख गया. जुबान से हलक को तर करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘यह क्या है?’’

‘‘वही, जो एक औरत किसी मर्द को खुश करने के लिए करती है.’’ अधखुले वक्षों की ओर ताकते हुए पूजा ने मदभरी आवाज में कहा, ‘‘इधर आओ न?’’

परेशान हो कर अशोक अग्रवाल ने इधरउधर देखा. इस के बाद नाराज हो कर उठते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मैं ने तुम्हें क्या समझा था और तुम क्या निकली?’’

पूजा ने आंखें तरेरते हुए कहा, ‘‘सही बात यही है कि मैं वही हूं, जो तुम ने नहीं समझा था. मैं तुम्हें इज्जत दे कर वह देना चाहती थी, जिस के लिए लोग तरसते हैं. लेकिन शायद तुम्हें हसीन तोहफा पसंद नहीं है. फिलहाल तो जो कुछ भी तुम्हारे पास है, चुपचाप निकाल कर रख दो, वरना अभी शोर मचा कर लोगों को इकट्ठा कर लूंगी कि तुम नौकरी देने के बहाने यहां बुला कर मेरी इज्जत पर हाथ डाल रहे हो?’’

अशोक अग्रवाल पसीनेपसीने हो गए. कांपती आवाज में उन्होंने कहा, ‘‘तुम ने यह ठीक नहीं किया.’’

इतना कह कर उन्होंने अपनी जेब से सारी नकदी निकाल कर मेज पर रख दी. उस समय उन के पास करीब 8 हजार रुपए थे. पूजा ने फौरन सारे पैसे समेटे और तेजी से यह कहती हुई बाहर चली गई कि इतनी रकम से मेरी इज्जत की भरपाई नहीं होनी सेठ.

अशोक अग्रवाल हक्काबक्का उसे जाते देखते रहे. हैरानपरेशान कांपते हुए वह अपनी दुकान पर पहुंचे. वह अभी सांस भी नहीं ले पाए थे कि एक नई मुसीबत आ खड़ी हुई. अचानक एक मोटरसाइकिल उन की दुकान पर आ कर रुकी. उस से मवाली सरीखे 3 लोग आए थे.

अशोक अग्रवाल उन से कुछ पूछ पाते, उस से पहले ही उन में से एक युवक उन के पास आ कर उन्हें डांटते हुए बोला, ‘‘इतना बड़ा कारोबारी है, फिर भी लड़कियां फंसाता घूमता है? तू ने पूजा के साथ क्या किया है, उस रेस्टोरेंट में? 50 लाख का इंतजाम कर ले, वरना दुष्कर्म के मामले में ऐसा फंसेगा कि सीधे जेल जाएगा. बदनामी ऐसी होगी कि किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगा.’’

डरेसहमे अशोक अग्रवाल के मुंह से बोल नहीं निकले. वह यह भी नहीं पूछ पाए कि वे आखिर हैं कौन और दिनदहाड़े इतना दुस्साहस करने की उन की हिम्मत कैसे हुई? उन्हें जैसे सांप सूंघ गया था. यह नौकरों की मौजूदगी में हुआ था, इसलिए बेइज्जती और धमकी से परेशान हो कर वह सिर थाम कर बैठ गए.

अशोक अग्रवाल के बयान के आधार पर उन्हें दुष्कर्म में फंसाने की धमकी दे कर 50 लाख रुपए की मांग करने वाले तीनों लोगों को भी थाना नयापुरा पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उन तीनों के नाम थे महेंद्र सिंह तंवर उर्फ चाचा, फिरोज खान और शानू उर्फ सलीम. महेंद्र सिंह रंगपुर रोड स्थित रेलवे कालोनी का रहने वाला था तो फिरोज खान साजीदेहड़ा का. शानू उर्फ सलीम कोटडी का रहने वाला था.

तीनों ने स्वाति के साथ मिल कर पूरी योजना तैयार की थी. उसी योजना के तहत तीनों ने अशोक अग्रवाल की दुकान पर जा कर रुपए मांगे थे. पूजा और स्वाति के साथ गिरफ्तार की गई नाजमीन भी रसूखदार लोगों को फंसाने में उन्हीं की तरह माहिर थी. उस की 3 बहनें हैं. पिता की मौत हो चुकी है. उस की मां भी अपराधी प्रवृत्ति की है. मादक पदार्थों की तस्करी के आरोप में वह 10 साल की सजा काट चुकी है.

शहर के रसूखदारों को हनीट्रैप में फंसाने वाला रैकेट सामने आया तो पुलिस ने विस्तार से पूछताछ की. इस पूछताछ में उन्होंने एक और खुलासा किया. स्वाति उर्फ श्वेता और पूजा बघेरवाल ने मिल कर बैंकिंग सेक्टर में एजेंसी चलाने वाले प्रदीप जैन के खिलाफ थाना गुमानपुरा में छेड़छाड़ और दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था. अक्तूबर, 2016 में इन लोगों ने प्रदीप जैन से 8 लाख रुपए मांगे थे. हालांकि बाद में दोनों अपने इस बयान से मुकर गई थीं.

इस के बाद प्रदीप जैन से पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें औफिस में काम करने वाले कर्मचारियों की जरूरत थी, जिस के लिए उन्होंने अखबार में विज्ञापन दिया था. उसी विज्ञापन के आधार पर पूजा बघेरवाल ने खुद को निशा जैन बताते हुए उन से संपर्क किया. उस ने करीब 3 महीने तक उन के यहां नौकरी की.

वह काम करने के बजाय दिन भर फोन पर ही बातें करती रहती थी, इसलिए उन्होंने उसे नौकरी से निकाल दिया. इस के बाद स्वाति उर्फ श्वेता उन के यहां नौकरी करने आई. लेकिन 3 दिन बाद ही वह नौकरी छोड़ कर चली गई. इस के बाद उस ने उन के खिलाफ छेड़खानी की रिपोर्ट दर्ज करा दी, लेकिन प्रदीप जैन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. उन्हें परेशानी तब हुई, जब अक्तूबर, 2016 में पूजा ने थाना गुमानपुरा में उन के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया. उस का कहना था कि 8 महीने पहले जब वह उन के यहां नौकरी करती थी, तब उन्होंने उस के साथ दुष्कर्म किया था.

जब इस बात की जानकारी प्रदीप को हुई तो वह सन्न रह गए. उन का परिवार तनाव में आ गया. लेकिन वह अपनी बात पर अडिग थे, क्योंकि आरोप सरासर झूठा था. पर मित्रों और रिश्तेदारों के कहने पर बेगुनाह होते हुए भी उन्हें भूमिगत होना पड़ा. बाद में डील हुई तो पूजा ने अदालत में अपने बयान बदल दिए. समझौता होने के बाद उस से फिर 50 हजार रुपए मांगे गए. लेकिन उस ने देने से साफ मना कर दिया. उस ने कहा कि अब उस का खेल खत्म हो चुका है.

पुलिस के अनुसार, शहर में यह गिरोह अभी ताजाताजा ही सक्रिय हुआ था. किसी रसूखदार को जाल में फंसाने से पहले ये लोग उस के रिश्तों और कारोबार की पूरी जानकारी जुटाते थे. उस के बाद शिकार की पंसद की लड़की का जुगाड़ किया जाता था, जो उसे फांस सके. शिकार से जो रकम मिलती थी, वह सभी में बराबरबराबर बंटती थी. गिरोह की सरगना स्वाति हनीट्रैप के लिए ‘नई’ और ‘काम की’ लड़कियां तलाशती रहती थी.

स्वाति पति को छोड़ कर साजीदेहड़ा में फिरोज के साथ रहती थी. लोगों की नजरों में वह मेहंदी लगाने और ब्यूटीशियन का काम करती थी. वह इन दिनों एक कोचिंग संचालक को फंसाने की फिराक में थी. उस के लिए वह हाईप्रोफेशनल लड़की ढूंढ रही थी.

लेकिन अशोक अग्रवाल को फंसाने के चक्कर में वह खुद ही फंस गई. अगर ऐसा न होता तो शायद वह उस कोचिंग संचालक को बरबाद कर के ही मानती. पुलिस ने पूछताछ के बाद स्वाति, पूजा, नाजमीन, महेंद्र सिंह तंवर उर्फ चाचा, फिरोज खान और शानू उर्फ सलीम को अदालत में पेश किया, जहां से सभी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

महेंद्र सिंह तंवर, फिरोज खान और शानू उर्फ सलीम को तब गिरफ्तार किया गया, जब स्वाति, पूजा और नाजमीन की गिरफ्तारी की खबर पा कर तीनों शहर छोड़ कर भागने की तैयारी कर रहे थे. लड़कियों के पास से एक डायरी मिली थी, जिस में इन तीनों के नाम और मोबाइल नंबर थे.

स्वाति से बरामद मोबाइल का बिल फिरोज खान के नाम था तो उस में पड़ा सिम महेंद्र सिंह के पिता मोहनलाल के नाम था. शिकार को फंसाने के लिए पूजा और नाजमीन इसी मोबाइल का इस्तेमाल करती थीं. यह मोबाइल स्वाति के पास रहता था. पुलिस अब उस मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस नंबर से किसकिस को फोन किए गए थे.

महेंद्र सिंह तंवर उर्फ चाचा पहले औटो चलाता था. औटो चलाने के दौरान उस की मुलाकात स्वाति से हुई तो वह इस रैकेट से जुड़ गया. जबकि सलीम उर्फ शानू मकानों की मरम्मत का काम करता था. स्वाति 2 साल पहले पति से अलग हुई थी. इस के बाद साजीदेहड़ा में किराए का मकान ले कर वह फिरोज खान के साथ लिवइन रिलेशनशिप में रहने लगी थी. उस का बच्चे की सुपुर्दगी को ले कर पति से कोर्ट में केस चल रहा है.

पति से अलग होने के बाद जब वह ब्यूटीपार्लर चला रही थी, तभी फिरोज खान से उस का परिचय हुआ था. उस के बाद वह उस के साथ रहने लगी. स्वाति से बरामद डायरी में अंगरेजी के कुछ ऐसे शब्द लिखे हैं, जो आमतौर पर हाईप्रोफाइल सर्किल में व्यावहारिक तौर पर बोलबाल में इस्तेमाल किए जाते हैं. पुलिस का मानना है कि संभवत: नई लड़कियों को शिकार फंसाने के लिए इन शब्दों का ज्ञान कराया जाता था, ताकि उन की कुलीनता का असर पड़े.

जंगल में मिली लाश की गुत्थी और एक संगीन अपराध

अब माहौल दिनों दिन ऐसा त्रासद होता जा रहा है कि हत्या जैसे संगीन अपराध कम उम्र के किशोर युवा नशे और सेक्स की उत्तेजना में करने लगे हैं. परिणाम स्वरूप उन्हें मिलती है पुलिस की लाठियां और जेल की कोठरी.

छत्तीसगढ़ की न्याय धानी बिलासपुर में, महमंद के जंगल में मिली लाश की गुत्थी एक सच्चे संगीन अपराध  का सार संक्षेप कहा जा सकता है. दरअसल, तोरवा पुलिस ने यह बड़ी मशक्कत के बाद आरोपियों तक पहुंच गई है. मामले में जो तथ्य निकल कर सामने आए है वह चौंकाने वाले है और समाज को सोचने पर विवश करते है.

पुलिस को शुरू से ही शक था कि आरोपी ने मृतिका के संग शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास किया होगा और उसका विरोध करने पर ही उसने एलुमिनियम के तार से उसका गला घोट कर उसकी हत्या कर दी है. इस बहुचर्चित हत्या मामले में तोरवा पुलिस ने लाल खदान निवासी मुख्य आरोपी सूरज कश्यप उर्फ राजा और उसके साथी महेंद्र पासी को गिरफ्तार किया है.

पुलिस के अनुसार मामला का पटाक्षेप इस तरह हो गया है मगर छत्तीसगढ़ के साहू समाज ने इसे लेकर एक जेहाद छेड़ दिया है और खुलकर सामने आकर सांसद बिलासपुर अरुण साहू के नेतृत्व में शासन प्रशासन से मांग की है कि मामला अभी पूरी तरीके से सुलझा नहीं है कुछ और आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं. संपूर्ण घटनाक्रम आपको बताएं उससे पहले देखिए सिलसिलेवार घटनाक्रम.

स्वावलंबी और चंचल  थी किशोरी

जिला बिलासपुर के महमंद गांव में राजू साहू का  परिवार रहता है. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के कारण सोनू (उम्र17) (काल्पनिक नाम) नौकरी कर घर खर्चे में सहयोग करती थी. जानकारी के अनुसार सूरज (उम्र 21) उस पर लंबे समय से बुरी नियत रखता था सभी जानते थे कि वह एक बिगड़ा हुआ लड़का है और नित्य नशा करता है और ऐसी उसकी दोस्तों की मंडली है.वह और कई बार सोनू को प्रपोज भी कर चुका था. लेकिन सोनू उसे मना कर देती, लेकिन फिर भी सूरज कश्यप उसका पीछा नहीं छोड़ रहा था. घटना दिनांक को सोनू जब शौच के लिए घर से  सुबह करीब साढ़े 9 बजे निकली मगर दोपहर तक नहीं लौटी तो परिजनों को चिंता हुई. उन्होंने सोनू की तलाश शुरू की तो जंगल झाड़ी में उसकी लाश मिली.किसी  हत्यारे ने तार से गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी थी और फिर उसके मुंह में बेशर्म की पत्तियां भी ठूंसी मिली  थी.

मामला सनसनीखेज बनता चला गया. इधर पुलिस को जानकारी मिली की घटना के दिन सोनू अपने काम पर नहीं गई थी क्योंकि उसकी तबीयत खराब थी और इस वजह से वह काफी कमजोर भी थी. सुबह जब सोनू शौच के लिए निकली तो उसे जाते  महेंद्र पासी ने देख लिया और इसकी जानकारी सूरज को दे दी. सूरज कश्यप और महेंद्र किशोरी का पीछा करते हुए जंगल पहुंच गए. जहां पहले तो सूरज कश्यप ने सोनू से इधर उधर की बातें की और फिर वे उसे सुनसान में लेकर गए, जहां बेशर्म के झाड़ियों में उसे पटक कर उसके साथ दुष्कर्म का प्रयास किया गया. बीमारी की वजह से सोनू काफी कमजोर हो गई थी, इसका फायदा आरोपियों ने उठाया और उसकी इच्छा विरुद्ध उसके साथ संबंध बनाने का प्रयास किया. जब सोनू शोर मचाने लगी तो उसका मुंह बंद करने के लिए उसके मुंह में बेशर्म के पत्ते ठूस दिया. सोनू ने  उन्हें धमकी दी थी कि वह यह बात सबको बता देगी. इसलिए डर कर सूरज कश्यप और महेंद्र ने पास ही पड़े एलुमिनियम के तार से उसका गला घोट मार दिया.

सांसद अरुण साहू की हुंकार

साहू समाज की एक नाबालिक लड़की से  अनाचार हत्या के इस मामले ने लगातार तूल पकड़ लिया और नित्य नए खुलासे हो रहे हैं. बिलासपुर के सांसद अरुण साहू ने इस मामले को गंभीर बताते हुए आरोपियों को कड़ी सजा देने की मांग सरकार से कर आर्थिक मदद की मांग की है. साहू संघ ने कहा कि नाबालिग की निर्मम हत्या हुई है.  संघ के अध्यक्ष का कहना है कि इस मामले पर जो शासन-प्रशासन से मदद मिलनी चाहिए वह नहीं मिल पाई है. उनके अनुसार सोनू हत्या काण्ड में 4 लोग शामिल हो सकते हैं, लेकिन दो लोग पर ही कार्रवाई हुई है. दो और लोग हैं जिनके पास से नाबालिग का पायल भी मिला है.

दूसरी तरफ हमारे संवाददाता से बात करते हुए सांसद अरुण साहू ने प्रदेश में नशे पर रोक लगाने मांग की है. उन्होंने कहा कि महमंद में जो घटना हुई है उसमें ठीक प्रकार की जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि परिवार को न्याय मिले. उन्होंने कहा कि महमंद का पूरा क्षेत्र अपराधियों का केंद्र बना हुआ है.

यही कारण है कि महमंद गांव के ग्रामीणों का  गुस्सा फूट पड़ा और कलेक्ट्रेट का  घेराव किया गया.आरोपी सूरज कश्यप आरोपी हर पल उस पर नजर बनाए हुए था.

10 महीने के बेटे ने खोला मां की हत्या का राज, सब रह गए हैरान

रात के 9 बज रहे थे. गुजरात के गांधीनगर के पीथापुर में स्वामिनारायण गौशाला के बाहर एक बच्चे के तेज रोने की आवाज सुन कर गौशाला के कर्मचारी बाहर आए. देखा गौशाला के गेट के बाहर सड़क पर एक मासूम रो रहा है. बच्चे के आसपास कोई नहीं था.

मासूम पैरों से अभी चल भी नहीं पाता था. एक कर्मचारी ने बच्चे को गोद में उठाने के बाद उसे चुप कराने की कोशिश की और उस के मांबाप की तलाश आसपास की गई. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. रात के अंधेरे में वहां कोई नहीं दिखाई दिया.

गौशाला के कर्मचारी बच्चे को ले कर अंदर आ गए. रात में ही गांधीनगर पुलिस को इस की सूचना दी गई. इस बीच जानकारी होने पर आसपास के लोग एकत्र हो गए. जिस ने भी यह बात सुनी, वही दांतों तले अंगुली दबाने लगा. सभी बच्चे के पत्थर दिल मांबाप को कोस रहे थे. पुलिस ने भी उस समय अपने स्तर से छानबीन की लेकिन कुछ पता नहीं चला.

बच्चा 10-11 महीने का था. वह अभी अपने पैरों से चल भी नहीं सकता था. इस समय इस मासूम को मां के आंचल में होना चाहिए था, लेकिन वह रात के अंध्ेरे में सड़क पर लावारिस हालत में था.

पुलिस ने उस मासूम को क्षेत्र की पार्षद दीप्ति पटेल के सुपुर्द कर दिया और सुबह बच्चे के बारे में जानकारी जुटाने की बात कही. दीप्ति पटेल ने मासूम को अपने पास रखा और रात में उसे खिलायापिलाया और पूरा ध्यान रखा.

यह बात 8 अक्तूबर, 2021 की है. पुलिस सुबह बच्चे को मैडिकल चैकअप के लिए सिविल अस्पताल ले गई. जहां जांच के बाद बच्चे को स्वस्थ बताया गया.

सोशल मीडिया पर जिस किसी ने इस खबर को पढ़ा व देखा, वह सन्न रह गया. जितने मुंह उतनी बातें. कोई इतना बेदर्द कैसे हो सकता है, जो अपने कलेजे के टुकड़े को रात के अंधेरे में इस तरह गौशाला के बाहर सड़क पर लावारिस छोड़ गया. उस मां के साथ ऐसी क्या मजबूरी थी, जो उसे कलेजे पर पत्थर रख कर यह काम करना पड़ा.

दूसरे दिन 9 अक्तूबर को अखबारों में जब मासूम की फोटो सहित समाचार छपा तो हर किसी का कलेजा फट रहा था. बात गुजरात के गृहमंत्री हर्ष सांगवी के कानों तक पहुंची. गृहमंत्री भी अस्पताल पहुंचे और बच्चे के बारे में जानकारी की. बच्चे को गोदी में ले कर दुलारा. उन्होंने पुलिस अधिकारियों को बच्चे के मांबाप का शीघ्र पता लगाने के निर्देश दिए.

50 पुलिसकर्मी जुटे जांच में गांधीनगर के एसपी मयूर चावड़ा ने बच्चे के परिजनों का पता लगाने के लिए 50 पुलिसकर्मियों की 7 टीमें लगा दीं.

पुलिस ने गौशाला के बाहर लगे एक सीसीटीवी कैमरे की फुटेज को चैक किया. फुटेज में रात 9 बज कर 20 मिनट पर एक व्यक्ति बच्चे को गोद में ले कर आता हुआ दिखाई दे रहा था. वह बच्चे को गौशाला के गेट के बाहर सड़क पर छोड़ कर तेजी से भागता हुआ अंधेरे में गायब हो गया. इस पर पुलिस ने गौशाला आनेजाने वाले रास्तों पर लगे सीसीटीवी कैमरों को चैक करने का निर्णय लिया.

पुलिस ने लगभग 150 सीसीटीवी कैमरों को चैक किया. आखिर पुलिस की मेहनत रंग लाई. एक फुटेज में एक सैंट्रो कार दिखाई दे रही थी. कार में एक व्यक्ति इसी बच्चे के साथ बैठा हुआ गौशाला की ओर जाता दिखाई दे रहा था.

यहीं से पुलिस को कार का नंबर भी मिल गया. तब पुलिस ने इस कार के रजिस्ट्रेशन नंबर से कार के मालिक का पता किया.

पता चला कि यह सैंट्रो कार सचिन दीक्षित के नाम रजिस्टर्ड है. 30 साल के सचिन का पता अहमदाबाद का लिखा हुआ था. पुलिस पते पर पहुंची तो पता चला कि सचिन दीक्षित अहमदाबाद में नहीं बल्कि अब गांधीनगर में रहता है.

पुलिस जब गांधीनगर स्थित सचिन के घर पहुंची तो वहां ताला लगा हुआ था. तब तक पुलिस को सचिन का मोबाइल नंबर मिल गया था. पुलिस ने सचिन के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया.

इस से पता चला कि सचिन राजस्थान के कोटा के आसपास है. सचिन की लोकेशन मिलते ही पुलिस ने सचिन को फोन कर बच्चा मिलने के बारे में जानकारी दी. इस पर सचिन ने पुलिस को बताया कि वह बच्चा उसी का है और उस का नाम शिवांश है.

रविवार 10 अक्तूबर, 2021 की सुबह राजस्थान पुलिस की मदद से कोटा में ही सचिन को रोक कर हिरासत में ले लिया गया. जिस समय सचिन को हिरासत में लिया गया, उस समय वह अपनी पत्नी अनुराधा और 3 साल के बेटे तथा अपने मातापिता के साथ था. वह फुटेज में दिखाई दे रही उसी सैंट्रो कार से दशहरा मनाने उत्तर प्रदेश जा रहा था.

गुजरात पुलिस व क्राइम ब्रांच ने 11 अक्तूबर को राजस्थान पहुंचने के बाद जब सचिन से बच्चे को गौशाला के बाहर लावारिस छोड़ने की वजह पूछी. इस पर सचिन ने चुप्पी साथ ली.

इस के बाद पत्नी अनुराधा से पुलिस ने पूछा, ‘‘आप ने अपने बेटे को रात में सड़क पर क्यों छोड़ा?’’

यह सुन कर अनुराधा हैरान रह गई. उस ने पुलिस को बताया कि उस का 3 साल का एक ही बेटा है, जो इस समय उस के साथ है.

पुलिस ने अनुराधा को शिवांश की फोटो दिखाई तो उस ने पहचानने से इंकार कर दिया. उस ने बताया कि वह इस बच्चे को पहली बार देख रही है वह उसे नहीं जानती.

सचिन कह रहा था कि 10 महीने का शिवांश उस का बेटा है और उसी ने उसे गौशाला के बाहर छोड़ा था. जबकि उस की पत्नी इस बात से इंकार कर रही थी. पुलिस उलझन में पड़ गई. पुलिस ने एक बार फिर सचिन से पूछताछ करने का फैसला किया.

सचिन से लंबी पूछताछ के बाद गांधीनगर पुलिस ने बड़ोदरा पुलिस को फोन किया और एक घर का पता बताया. इस मकान पर पहुंच कर उस की किचन में रखे बैग की तलाशी लेने को कहा.

किचन में मिली लाश

गांधीनगर पुलिस के कहने पर बड़ोदरा पुलिस बताए गए मकान जो बड़ोदरा में जी-102 दर्शनम ओएसिस सोसायटी में स्थित था, पर पहुंची.

सीढि़यां चढ़ कर पुलिस जब उस फ्लैट पर पहुंची तो ताला लगा था. पुलिस ताला तोड़ कर किचन में दाखिल हुई. वहां सचमुच एक बैग रखा हुआ मिला.

पुलिस ने जब बैग को खोला तो उस में एक महिला की लाश मिली. लाश देखते ही पुलिस हैरान रह गई. बैग में बंद होने के कारण लाश से दुर्गंध आ रही थी. बड़ोदरा पुलिस ने तत्काल गांधीनगर पुलिस को बताया कि बैग में 27-28 साल की एक महिला की लाश है.

पुलिस के सामने प्रश्न था कि बैग में बंद महिला कौन थी? उस की हत्या कब और क्यों की गई थी? लाश की भनक सचिन को कैसे लगी?

अब पुलिस ने इस हत्या के बारे में सचिन से कड़ाई से पूछताछ की. आखिर पुलिस ने सचिन से सच उगलवा ही लिया. सचिन ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. जो कहानी सामने आई, उसे सुन कर पुलिस भी हैरान रह गई. इस घटना का 24 घंटे में ही पुलिस ने कड़ी मेहनत कर परदाफाश कर दिया था.

गांधीनगर के एसपी मयूर चावड़ा ने प्रैस कौन्फ्रैंस में बताया कि मृतका सचिन की प्रेमिका थी. दोनों लिवइन रिलेशन में रह रहे थे. उन का एक बच्चा शिवांश था.

प्रेमिका शादी करने के लिए सचिन पर जोर दे रही थी. उस से व बच्चे से छुटकारा पाने के लिए सचिन ने षडयंत्र रच इस कृत्य को अंजाम दिया था.

लेकिन तीसरी आंख से वह अपने गुनाह को छिपा नहीं सका. आखिर पुलिस की 7 टीमों ने दिनरात मेहनत कर बेरहम गुनहगार को गिरफ्तार कर लिया था.

पत्नी अनुराधा को अपने पति सचिन के गुमनाम रिश्ते के बारे में कुछ पता नहीं था. उसे नहीं मालूम था कि पति की प्रेमिका व उस से बेटा भी है. यह बात तो उसे घटनाक्रम के सामने आने के बाद पता चली.

सचिन के राज से पत्नी थी अनभिज्ञ

सचिन 3 साल से इस राज को अपनी पत्नी से छिपाए हुए था. उस ने अपनी पत्नी को भी इस बात की भनक तक नहीं लगने दी कि उस की कोई प्रेमिका और उस से पैदा कोई बच्चा भी है.प्रेमिका की हत्या करने और जिगर के टुकड़े को रात के अंधेरे में सड़क पर छोड़ने की जो कहानी सामने आई, वह चौंकाने वाली थी—

4 साल पहले सचिन दीक्षित के मातापिता ने उस की शादी अनुराधा के साथ कर दी थी. इस समय अनुराधा के 3 साल का एक बेटा है. सचिन गांधीनगर की एक कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत था.

वर्ष 2018 में अहमदाबाद के एक शोरूम में उस की मुलाकात हिना पेथाणी उर्फ मेहंदी नाम की युवती से हुई. हिना मूलरूप से जूनागढ़ जिले के केशोद की रहने वाली थी. उस की मां की मौत हो चुकी थी. मां की मौत के बाद पिता महबूब पेथाणी ने दूसरी शादी कर ली. इस के बाद हिना अपने मौसामौसी के साथ अहमदाबाद में आ कर उन के साथ रहने लगी थी.

हिना उसी शोरूम में काम करती थी. धीरेधीरे दोनों के बीच मुलाकातें बढ़ने लगीं. इन मुलाकातों के चलते दोनों एकदूसरे को दिल दे बैठे. दोनों दिलोजान से एकदूसरे को प्यार करने लगे. इस के बाद साल 2019 में दोनों लिवइन रिलेशन में रहने लगे.

लिवइन रिलेशन के दौरान साल 2020 में शिवांश पैदा हुआ, जो घटना के समय लगभग 10 महीने का था. घटना से 2 महीने पहले सचिन का बड़ोदरा ट्रांसफर हो गया. तब सचिन ने दर्शनम ओएसिस सोसायटी में एक फ्लैट किराए पर ले लिया.

वह इसी फ्लैट में हिना और बेटे शिवांश के साथ रहने लगा. सचिन सप्ताह में 5 दिन बच्चे व प्रेमिका हिना के साथ तथा 2 दिन शनिवार और रविवार को गांधीनगर में मातापिता व पत्नी अनुराधा के साथ रहता था.

प्रेमिका हिना डाल रही थी शादी का दबाव

पिछले 3 साल से सब कुछ ठीक चल रहा था. पिछले कुछ दिनों से हिना शादी करने के लिए सचिन पर दबाव डाल रही थी. सचिन कोई न कोई बहाना बना कर टालमटोल कर देता था.

8 अक्तूबर की दोपहर सचिन ने हिना को बताया कि वह एक सप्ताह के लिए अपने घर गांधीनगर मातापिता के पास जा रहा है. वहां से सभी लोग दशहरा मनाने के लिए उत्तर प्रदेश जाएंगे.

यह बात हिना को नागवार गुजरी. उस ने सचिन को दशहरा मनाने के लिए जाने से मना करते हुए अपने साथ ही रहने की बात कही. उस ने सचिन से कहा, ‘‘हम लोग लिवइन रिलेशन में कब तक रहेंगे? अब तो हमारे एक बेटा भी हो चुका है. तुम जल्द ही पत्नी अनुराधा को तलाक दे दो, ताकि हम जल्द शादी कर सकें.’’

इस बात को ले कर दोनों के बीच सुबहसुबह झगड़ा हुआ. शाम के समय भी दोनों में फिर से झगड़ा हुआ. हिना शादी के लिए सचिन पर दबाव डाल रही थी. वहीं सचिन उस से शादी करने से आनाकानी करने के साथ ही परिवार के साथ दशहरा मनाने के लिए जाने की बात कह रहा था.

बात बढ़ गई. दोनों के बीच कहासुनी, फिर हाथापाई हुई. गुस्से में सचिन ने हिना का गला दबा कर उस की हत्या कर दी. इस के बाद घर में ही रखे एक सूटकेस में उस की लाश ठूंस कर भर दी और सूटकेस को किचन में रख दिया.

उस समय रात घिर आई थी. सचिन ने घर को ताला लगाया और बेटे शिवांश को ले कर अपनी सैंट्रो कार से निकल गया. सचिन सीधे गांधीनगर पहुंचा. प्रेमिका की हत्या कर परिवार के साथ सामान्य हो गया सचिन.

वह गांधीनगर के पीथापुर की स्वामिनारायण गौशाला को जानता था, क्योंकि वह गांधीनगर में रहने के दौरान इसी गौशाला से दूध, घी लेने जाता था. सचिन रात में उसी गौशाला के पास पहुंचा. उस समय रात होने से सड़क सुनसान थी.

गौशाला से कुछ दूरी पर उस ने अपनी कार खड़ी कर दी. फिर मासूम बेटे शिवांश को गोद में ले कर वह दबेपांव गौशाला के गेट पर पहुंचा. उस समय रात के 9 बज कर 20 मिनट का समय था. उस ने शिवांश को गौशाला के गेट के सामने सड़क पर बैठाया और तेजी से उलटे पांव अपनी कार में बैठ कर रफूचक्कर हो गया.

सचिन अपनी प्रेमिका की हत्या करने और अपने बच्चे को लावारिस छोड़ने के बाद अपने घर पहुंचा और पत्नी, बच्चे व मातापिता के साथ सैंट्रो कार से दशहरा मनाने के लिए उत्तर प्रदेश के लिए निकल पड़ा.

सचिन अपने परिवार में ऐसा व्यवहार कर रहा था कि कुछ हुआ ही नहीं है. उस ने अपनी पत्नी व मातापिता पर भी कुछ जाहिर नहीं होने दिया.

जानकारी होने पर गांधीनगर पुलिस ने कोटा में सचिन को गिरफ्तार कर लिया. संतान प्राप्ति के लिए लोग देवीदेवताओं की पूजा करते हैं. लेकिन एक पत्थरदिल पिता की जो शर्मनाक करतूत सामने आई, उस से मजबूत दिल वाले भी कांप गए.

उस ने पहले उस की मां का कत्ल किया और फिर अपने ही मासूम बेटे से छुटकारा पाने के लिए रात के अंधेरे में सुनसान सड़क पर छोड़ दिया. आवारा कुत्ते या अन्य कोई हिंसक पशु उसे कोई नुकसान पहुंचाता, उस से पहले ही वह सुरक्षित हाथों में पहुंच गया.

जांच के दौरान सचिन के पड़ोसियों ने बताया कि सचिन के घर का दरवाजा केवल कचरा वाले के लिए खुलता था. सभी उन्हें पतिपत्नी समझते थे. शिवांश का जन्म 10 दिसंबर, 2020 को अहमदाबाद के बोपल स्थित एक अस्पताल में हुआ था.

मृतका के पिता महबूब पेथानी सोमवार 11 अक्तूबर को एसएसजी हौस्पिटल में बेटी का शव लेने पहुंचे.

सचिन के खिलाफ बड़ोदरा के बापोद थाने में हत्या की रिपोर्ट गांधीनगर के इंसपेक्टर की शिकायत पर दर्ज की गई. जिस की जांच बापोद के थानाप्रभारी यू.जे. जोशी कर रहे हैं. जबकि सचिन पर पहले ही अपहरण भादंवि की धारा 363 और बच्चे को छोड़ने की धारा 317 के तहत मामला दर्ज है.

गांधीनगर पुलिस ने आरोपी सचिन को 11 अक्तूबर को न्यायालय के समक्ष पेश किया. जहां से उसे 14 अक्तूबर तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया.

गांधीनगर के पुलिस उपाधीक्षक एम.के. राणा के अनुसार सोमवार को अदालत में पेश किए जाने से पहले फोरैंसिक साइंस लैबोरेटरी के विशेषज्ञों ने आरोपी सचिन के फिंगरप्रिंट व नाखूनों के नमूने के साथ ही डीएनए का नमूना लिए, ताकि पता लगाया जा सके कि वह बच्चे का पिता है या नहीं. इस के अलावा अन्य फोरैंसिक एविडेंस जुटाने का कार्य किया गया. शिवांश को फिलहाल शिशुगृह में रखा गया है.

10 दिसंबर, 2021 को शिशुगृह में शिवांश का पहला जन्मदिन मनाया गया. इस अवसर पर बच्चे से केक भी कटवाया गया.

सचिन ने अपना हंसताखेलता परिवार उजाड़ने के साथ ही एक मासूम की जिंदगी दांव पर लगा दी. बच्चे से मां की गोद उस का आंचल और बचपन छीन लिया. उस मासूम को इस की कीमत ताउम्र चुकानी पड़ेगी.

इंसानियत को शर्मसार करने और 2 नावों में सवार होने पर सचिन को आखिर डूबना तो था ही. अब अपने कृत्यों के लिए उसे सलाखों के पीछे जिंदगी बितानी होगी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

लालच और गुस्से में मां की हत्या, कत्ल का खुलासा हैरान करने वाला

दिसंबर, 2012 को महाराष्ट्र के सांगली शहर में लालच के चलते एक बेटे ने अपनी मां का ही कत्ल कर दिया. खुद का कारोबार, घर और गाड़ी पाने के लालच में रूपेश पाटिल ने अपनी मां के साथसाथ अपने दूसरे रिश्तेदारों से भी रिश्ते खराब कर लिए थे. उस के रिश्ते इतने बिगड़ गए थे कि सासबहू के झगड़े में उसे अपनी मां विजयालक्ष्मी कांटा लगने लगी और गुस्से में उस ने अपनी मां का गला दबा कर हत्या कर दी.

बचपन में ही रूपेश के पिताजी की मौत हो गई थी. उस की मां ने उसे बड़े जतन से पालपोस कर बड़ा किया, पर मां के इसी प्यार की वजह से उस ने 10वीं से आगे पढ़ाई नहीं की. फिर वह अपने चाचा के मैडिकल स्टोर में काम करने लगा.

कुछ सालों बाद फार्मेसी से जुड़े किसी जानने वाले की बेटी शुभांगी के साथ रूपेश की शादी हुई.

शादी के बाद रूपेश बड़ा बनने के सपने देखने लगा. उसे लगने लगा कि उस की अपनी भी खुद की कोई दुकान हो. इस बीच उस की अपने चाचा के साथ किसी बात पर अनबन हो गई और उस ने उन का काम छोड़ दिया.

कारोबार के लिए रूपेश ने बैंक से 18 लाख रुपए का कर्ज लिया. उन्हीं पैसों में से उस ने घर बनवाने का काम भी शुरू कर दिया, पर बैंक की किस्तें समय पर न चुकाने के चलते बैंक ने उसे नोटिस भेज दिया.

चाचा से अलग होने की वजह से रूपेश की मां विजयालक्ष्मी भी उस से नाराज हो गईं. बहू के साथ भी उन की छोटीछोटी बातों को ले कर अनबन होने लगी.

अपना कर्जा कम करने के लिए रूपेश ने अपनी मां से उस के 15 तोले गहने और उस के नाम की कोथड़ी की एक एकड़ जमीन भी ले ली.

इस जमीन को बेचने के लिए वह ग्राहक ढूंढ़ने लगा. इस बीच मांबेटे के बीच की झगड़े की खबर सभी रिश्तेदारों में फैल गई और सभी रिश्तेदार रूपेश से नाराज हो गए.

ऐसे में रूपेश ने अपनी ससुराल का रुख किया और मां के सभी गहने उन के पास रखने को दे दिए. कर्ज ले कर पहला कर्जा कम करने की उस की मंसा थी. इसी बीच एक दिन घर में सासबहू के बीच झगड़ा हो गया. हमेशा के इस झगड़े से रूपेश तंग आ गया था, जिस की वजह से गुस्से में बौखला कर उस ने अपनी मां का तब तक गला दबाया, जब तक कि उस की जान नहीं चली गई.

अपना जुर्म छिपाने के लिए रूपेश ने घर में चोरी की मनगढ़ंत कहानी बनाई. उस की इस साजिश में उस की पत्नी शुभांगी भी शामिल थी.

साजिश की बू

रूपेश का पिछला रिकौर्ड देखते हुए पुलिस को इस हत्या के पीछे किसी साजिश की बू आने लगी. उन्होंने शक के आधार पर उसे गिरफ्तार कर लिया. सख्ती से पूछताछ करने पर आखिरकार उस ने अपनी जबान खोल दी.

रूपेश ने कबूल किया कि लालच और गुस्से में आ कर उस ने अपनी मां की गला दबा कर हत्या कर दी. रूपेश के साथ हत्या और पुलिस को चोरी की मनगढ़ंत कहानी सुना कर गुमराह करने के जुर्म में शुभांगी पर भी कार्यवाही की गई. पतिपत्नी की इस करतूत की वजह से उन की एक साल की बच्ची अनाथ हो गई.

पति की दी सुपारी, वजह जानकर खौल जाएगा खून

13 जुलाई, 2012 को महाराष्ट्र के परभणी के वसमत रोड के किनारे बसे शिवराम नगर में रहने वाले किशोर आहूजा के घर में कुछ अनजान हत्यारों ने घुस कर धारदार हथियार से उन की हत्या कर दी. साथ ही, 85 हजार रुपए नकद और जेवरात भी लूट लिए.

वारदात के बाद खुद सिमरन ने ही पुलिस स्टेशन में फोन कर के पुलिस को इस बात की जानकारी दी. पुलिस वाले जब घटना वाली जगह पर पहुंचे, तब किशोर के जिस्म पर लगे घाव के निशान देख कर उन्होंने यह शक जाहिर किया कि यह हत्या चोरी की मंशा से नहीं की गई है.

मामले की तहकीकात करने के लिए पुलिस उपाधीक्षक संदीप डोईफोडे और राहुल माकणीकर ने अलगअलग दल तैयार किए. पुलिस निरीक्षक सुनील जैतापुरकर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तहकीकात की और किशोर की पत्नी सिमरन से पूछताछ की.

शुरू में तो सिमरन ने टालमटोल की और पुलिस को यह बताया कि किशोर उस पर बहुत जुल्म किया करता था और इस बारे में उस ने अपने भाई राम कृपलानी से भी शिकायत की थी, पर उस के इस जवाब से पुलिस वालों को तसल्ली नहीं हुई और उन्होंने सख्त रवैया अपनाया. इस के बाद सिमरन टूट गई और उस ने जो राज खोला, उस ने सब को हिला कर रख दिया.

पुलिस निरीक्षक सुनील जैतापुरकर ने बताया कि सिमरन ने इस बात का खुलासा किया कि उस का पति किशोर अपनी बेटी पर बुरी नजर रखता था. इसी बात पर पतिपत्नी में काफी झगड़ा भी होता था, पर किशोर पर इस का कोई असर नहीं होता था, इसलिए हार कर सिमरन ने किशोर को रास्ते से हटाने का फैसला किया और अपने भाई की मदद से किशोर की हत्या की सुपारी दे दी.

पुलिस ने इस हत्याकांड में शामिल सचिन भगवान कदम, सोनू पुयनी वडीयार, प्रकाश अण्णा डोंगरे, अजय पांडुरंग भोसले, निलेश रणजीत शिंदे और सद्दाम को गिरफ्तार कर लिया है.

सैक्स के लालच में ठगी का शिकार होते लोग

Crime News in Hindi: आजकल हर उम्र के लोग सैक्स के मजे के लिए इतने ज्यादा उतावले रहते हैं कि लड़कियां उन्हें आसानी से अपने जाल में फंसा लेती हैं. कुछ दिन पहले एक 25 साला खूबसूरत लड़की रागिनी ने आगरा के एक 50 साला कारोबारी रामदास के 3 लाख रुपए लूट लिए थे. कारोबारी रामदास धौलपुर के कुछ दुकानदारों से अपने सामान की उधारी के 3 लाख रुपए की उगाही कर स्कूटर से आगरा जा रहे थे. धौलपुर के बसस्टैंड से कुछ ही दूर पहुंचे थे कि सड़क के किनारे खड़ी एक लड़की ने उन से लिफ्ट मांगी. उस लड़की ने अपना नाम रागिनी बताया. तरस खा कर रामदास ने उसे अपने स्कूटर पर बिठा लिया. रागिनी ने जब उन की कमर को पकड़ा, तो उस के हाथ की छुअन से उन्हें बड़ा मजा आने लगा था.

जब उन्होंने स्कूटर की रफ्तार तेज की, तो रागिनी मुसकराते हुए बोली, ‘‘जरा आराम से चलिए. आप के साथ चलने में मुझे बड़ा मजा आ रहा है.’’

‘‘वह क्यों?’’ रामदास ने मुसकराते हुए उस से पूछा, तो वह बोली, ‘‘आप अभी भी एकदम जवान लगते हैं.’’

यह सुन कर रामदास खुश हो कर उस से बोले, ‘‘अब भी मुझ में इतनी ताकत है कि आप की उम्र की लड़की से सैक्स करूं, तो उसे भी 1-2 बार में पेट से कर सकता हूं.’’

रागिनी हंसते हुए बोली, ‘‘फिर तो आप काम के आदमी हैं.’’

‘‘कैसे?’’ सुन कर रामदास ने उस से पूछा, तो रागिनी बोली, ‘‘आगरा में मेरी एक सहेली है दीप्ति. 2 साल पहले उस की शादी हुई थी, मगर अभी तक उस के बच्चा नहीं हुआ है. उस का पति दिनरात उस से सैक्स करता है, मगर बच्चा ठहरता ही नहीं. अगर आप उस के साथ सैक्स कर के उसे पेट से कर दें, तो वह और मैं कभी आप का यह एहसान नहीं भूलेंगीं.’’

यह सुन कर कारोबारी रामदास चहकते हुए बोले, ‘‘अगर मैं तुम्हारी सहेली को पेट से कर दूं, तो इनाम में मुझे क्या मिलेगा?’’

‘‘आप को इनाम में क्या चाहिए?’’ रागिनी ने पूछा.

रामदास बोले, ‘‘इनाम में मैं तुम्हारे साथ सैक्स करना चाहता हूं.’’

रागिनी कमर में प्यार से चपत लगाते हुए बोली, ‘‘मैं आप को मजे देने के लिए तैयार हूं.’’

रामदास ने बीच रास्ते में ही स्कूटर रोका और रागिनी को पेड़ों की ओट में ले गए और अपनी बांहों में ले कर उस के गालों को चूम लिया. उस समय वे इतने उतावले हो रहे थे कि वे उसे झाडि़यों की ओर ले जाने लगे, तो वह उन की ओर मुसकरा कर बोली, ‘‘यहां पर कुछ मजा नहीं आएगा. आनेजाने वाले लोगों के डर से ठीक से सैक्स नहीं हो पाएगा. हम आगरा पहुंच कर आज रात किसी होटल में रुक कर पूरी रात सैक्स के मजे लेंगे. मैं अपनी उस सहेली को भी वहां ले आऊंगी.

‘‘पर यह ध्यान रखना कि आप को मेरी सहेली को पेट से करना है, मुझे नहीं. क्योंकि अभी मेरी शादी नहीं हुई है.’’

जब वे आगरा के निकट पहुंचे, तो रागिनी मुसकराते हुए बोली, ‘‘आप जरा यहीं पर खड़े रहिए. मेरी सहेली का घर पास में ही है. मैं उसे आप के स्कूटर से 10-15 मिनट में ले कर आती हूं.’’

इतना कह कर रागिनी उन के स्कूटर को ले कर अपनी सहेली के यहां पर चली गई.

शाम तक रामदास वहीं खड़े हो कर रागिनी के आने के इंतजार में परेशान हो गए थे, मगर वह वापस नहीं लौटी थी. कुछ दूरी पर उन्हें अपना स्कूटर तो मिल गया था, मगर उस की डिग्गी में रखे 3 लाख रुपए गायब थे.

यह देख कर रामदास उस खूबसूरत लड़की और उस की सहेली के साथ सैक्स के मजे के लालच पर पछतावे के आंसू बहा रहे थे.

कुछ इसी तरह से कचरा बीनने वाली 2 लड़कियों ने एक अफसर के 20 साला लड़के को लूटा था. दोपहर का समय था. संदीप और उस का दोस्त सुरेश बंगले का गेट खोल मोबाइल फोन पर गाने सुन रहे थे. उन्हें वहां पर कचरा बीनने वाली 2 लड़कियां दिखाई दीं. उन दोनों लड़कियों ने उन से पानी मांगा, तो उन्होंने फ्रिज से बोतल निकाल कर उन्हें पानी पिलाया.

उन में से एक लड़की ने उन की ओर मुसकरा कर देखा, तो संदीप ने उस का हाथ पकड़ लिया.

वह लड़की उस से बोली, ‘‘हाथ पकड़ने से क्या होगा? अगर मजे लेने हैं, तो कुछ खर्चा करना पड़ेगा.’’

यह सुन कर संदीप ने उन दोनों लड़कियों को अंदर आने को कहा.

संदीप ने उन से पूछा, ‘‘मजे देने के लिए तुम्हें क्या चाहिए?’’

एक लड़की बोली, ‘‘हमें सोने का कोई जेवर चाहिए.’’

संदीप कुछ सोचने लगा, तभी उन दोनों लड़कियों ने अपनी कमीज के बटन खोल कर दिखाए, तो संदीप और सुरेश ने जोश में आ कर उन्हें अपनी बांहों में भर लिया.

यह देख कर एक लड़की उस से बोली, ‘‘अगर मजे चाहिए, तो पहले हमें सोने का एकएक जेवर दो. हम आप को ऐसे मजे देंगे, जैसे अब तक किसी ने नहीं दिए होंगे.’’

संदीप ने अलमारी खोल कर उस में से 2 सोने की चेनें निकाल कर उन्हें दीं, तो वे दोनों मजे देने के लिए उन के बैड पर लेट गई थीं. उन दोनों से मजे लेते हुए संदीप और उस का दोस्त सुरेश खुशी से मुसकरा रहे थे.

मजे ले कर जब वे लोग एकदूसरे से अलग हुए, तो संदीप उन से बोला, ‘‘क्या तुम दोनों आज रात यहां आ सकती हो? यहां पर तुम्हें अंगरेजी शराब के साथसाथ खाने में लजीज चिकन व तंदूरी रोटियां मिलेंगी. 2-2 हजार रुपए भी मिलेंगे.’’

यह सुन कर वे दोनों लड़कियां रात में आने की कह कर वहां से चली गईं.

संदीप और उस का दोस्त सुरेश रात होने का इंतजार करने लगे थे. रात को जब वे दोनों लड़कियां वहां आईं, तो लड़कियों ने चुपके से शराब में नशे की गोलियां मिला कर संदीप और सुरेश को बेहोश कर दिया.

दोपहर में जब संदीप ने अलमारी से निकाल कर उन्हें सोने की चेनें दी थीं, तभी उन लड़कियों ने चाबी रखने की जगह देख ली थी, इसलिए उन दोनों को बेहोश करने के बाद उन्होंने अलमारी से सोने के सभी जेवर और रुपए निकाले और वहां से चंपत हो गईं.

संदीप को जब पता चला कि वे लड़कियां उसे लूट चुकी हैं, तो मारे घबराहट के उस ने ट्रेन के आगे छलांग लगा कर खुदकुशी कर ली. कुछ पलों का सुख संदीप के लिए जानलेवा साबित हुआ.

लड़की के चक्कर में बरबादी, समय रहते संभलें

11 जुलाई, 2011 को पटना के गांधी मैदान में एक आशिक ने अपनी मुहब्बत का इजहार किया, जिसे माशूका ने बेरहमी से ठुकरा दिया. आशिक ने जान देने की धमकी दी, लेकिन माशूका पर इस का कोई असर नहीं हुआ.

आशिक ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता… तुम्हें मुझ से शादी करनी ही पड़ेगी… मैं तुम्हारी शादी कहीं और नहीं होने दूंगा… अगर तुम मुझे नहीं मिली, तो मैं कुछ कर जाऊंगा…’’

माशूका ने मुंह बिचका कर गुस्से से कहा, ‘‘जाओ, जो करना है कर लो.’’

माशूका के इतना कहते ही आशिक ने अपने पेट में चाकू घुसेड़ लिया. आननफानन उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उस ने दम तोड़ दिया.

भरी दोपहरी में 26 साल के आशिक विद्याशंकर ने गिलेशिकवे दूर करने के लिए अपनी प्रेमिका 22 साला अर्चना को गांधी मैदान में बुलाया था.

दोनों पटना के खगौल इलाके में रहते थे. बीबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह बेंगलुरु से लौटा था और इग्नू में बीए की पढ़ाई कर रही अर्चना के साथ प्यार की पेंग बढ़ा रहा था.

23 अगस्त को रजत ने महात्मा गांधी पुल पर चढ़ कर गंगा नदी में छलांग लगा दी. पुल के नीचे मछली पकड़ने के लिए जाल बिछा कर बैठे मछुआरों ने उसे बचा लिया और पुलिस के हवाले कर दिया.

रजत ने पहले तो पुलिस को बताया कि पिता की डांट से नाराज हो कर उस ने खुदकुशी करने की कोशिश की थी. पुलिस ने उस के घर वालों को इस की जानकारी दी.

घर वाले जब थाने पहुंचे, तो पता चला कि रजत का किसी लड़की से इश्क चल रहा था. उस के मां और पिता ने उसे कई बार समझाया कि वह लड़की का चक्कर छोड़ कर पढ़ाईलिखाई में मन लगाए, लेकिन उस पर इश्क का भूत इस कदर सवार था कि उसे किसी की बात समझ में नहीं आ रही थी.

इस का नतीजा यह हुआ कि वह 12वीं के इम्तिहान में फेल हो गया. जब घर वालों ने डांटफटकार लगाई, तो वह खुदकुशी करने की नीयत से पुल से नीचे कूद गया.

प्यार जिंदगी के लिए जरूरी है, पर बेवक्त इस के फेर में फंस कर कई जिंदगियां बरबाद भी होती रही हैं. पढ़ाईलिखाई की उम्र में लड़की और प्यार के चक्कर में फंसना कई घनचक्करों को न्योता देना ही है.

आज के तेजी से बदलते लाइफ स्टाइल और फास्ट फूड कल्चर के बीच पनपे बच्चे हर कुछ फटाफट हासिल करने के चक्कर में लगे रहते हैं. चाहे पढ़ाई का मामला हो या कैरियर का या फिर प्यारमुहब्बत का, हर चीज फटाफट चाहिए. अगर सबकुछ उन के मन के मुताबिक नहीं हो पाता है, तो वे जान देनेलेने पर उतारू हो उठते हैं.

लड़की के चक्कर में फंसने पर समय, पढ़ाई, पैसा, कैरियर बरबाद होने के साथसाथ मां और पिता से रिश्ते भी खराब होते हैं. माली, दिमागी और जिस्मानी हर तरह का नुकसान होता है सो अलग.

समाजशास्त्री हेमंत राव कहते हैं कि कच्ची उम्र होने की वजह से नौजवानों में अच्छेबुरे की जानकारी नहीं होती है, जिस से वे लड़की के फेर में फंस कर अपना सबकुछ बरबाद कर डालते हैं. साथ ही, वे अपने मांबाप के सपनों को भी तोड़ देते हैं. सबकुछ लुटने के बाद जब सच का पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.

चाहे पढ़नेलिखने वाले नौजवान हों या नौकरी करने वाले, वे लड़की के चक्कर में फंस कर अपने कीमती समय को बरबाद करते रहते हैं. लड़की पर प्यार का चक्कर चलाने वाले भले ही यह सोचें कि ऐसा कर के वे मर्दानगी दिखा रहे हैं, पर असल में वे लुटनेपिटने के रास्ते पर चल रहे होते हैं.

एक प्राइवेट बैंक में मैनेजर की नौकरी करने वाला विनीत बताता है कि किस तरह लड़की के चक्कर में फंस कर उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ा और किस तरह से उस की पारिवारिक जिंदगी चौपट हो गई.

बैंक में ही क्लर्क की नौकरी करने वाली एक लड़की के इश्क में फंसने के बाद विनीत खुद को बड़ा किस्मत वाला समझ रहा था. घर पर बीवी और दफ्तर में प्रेमिका पा कर वह फूला नहीं समाता था.

एक दिन उसे पता चला कि वह लड़की के प्यार में नहीं, चंगुल में बुरी तरह से फंस चुका है. लड़की ने उस के साथ बनाए जिस्मानी रिश्ते की वीडियो रिकौर्डिंग कर ली थी. वीडियो दिखा कर वह विनीत को ब्लैकमेल करने लगी. जबतब उस से पैसे ऐंठने लगी और नौकरी में तरक्की दिलाने के लिए दबाव बनाने लगी.

जब उस लड़की की मांगों को पूरा करना विनीत के बूते के बाहर की बात हो गई, तो वह दफ्तर से लंबी छुट्टी ले कर गायब हो गया. लड़की बारबार फोन पर उसे धमकी देने लगी.

जब विनीत उस के पास नहीं पहुंचा, तो उस लड़की ने उस की बीवी के मोबाइल फोन पर वीडियो को भेज दिया. उस के बाद विनीत दोबारा दफ्तर नहीं गया और अब उस की बीवी से तलाक का मुकदमा चल रहा है.

मगध यूनिवर्सिटी के प्रोफैसर अरुण कुमार कहते हैं कि हर चीज हद में ही अच्छी मानी जाती है. पढ़ाईलिखाई, नौकरी, घरपरिवार, इज्जत वगैरह को ताक पर रख कर जो नौजवान लड़कियों के चक्कर में जरा सा मजा पाने के लालच में फंसते हैं, तो बाकी जिंदगी उन के लिए सजा बन जाती है.

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