
छत्तीसगढ़ राजधानी रायपुर सहित प्रदेश के शहरों में लगातार “चाइल्ड पोर्नोग्राफी” के मामलों मैं आश्चर्यजनक रूप से तेजी देखी जा रही है. पुलिस द्वारा भी लगातार कार्रवाई की जा रही है. छत्तीसगढ़ के रायपुर में चाइल्ड पोर्नोग्राफी का एक और वीडियो अपलोड किया गया . इस पर गोल बाजार थाना, रायपुर पुलिस ने प्राथमिक रपट दर्ज की है. खास बात यह कि इस दफा वीडियो वाईफाई के जरिये अपलोड किया जा रहा है. परिणाम स्वरूप आरोपियों की तलाश करने में पुलिस के पसीने निकल रहे हैं . छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में “चाइल्ड पोर्नोग्राफी” के अब तलक बारह प्रकरण दर्ज हो चुके हैं, जिसमें से दस कथित आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार करके कड़ी कार्रवाई की है.
छत्तीसगढ़ में चाइल्ड पोर्नोग्राफी का संजाल कुछ इस तरह फैला है कि आरोपी लगातार हाईटेक टेक्नोलॉजी का उपयोग कर वीडियो अपलोड कर रहे है. खास तकनीक की बात यह है कि इसमें कभी वीडियो शेयर कर तो कभी वाईफाई का इस्तेमाल कर वीडियो को सोशल मीडिया पर अपलोड किया जा रहा है. परिणाम स्वरूप अपराधियों को पता लगाने में पुलिस हलाकान परेशान ज्यादा होती है.
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हमारे पुलिस सूत्रों के अनुसार छत्तीसगढ़ में 30 से ज्यादा मामलों में गिरफ्तारी ऐसे मामलों में की गई है. उपरोक्त मामले में बंजारी मार्केट के एक युवक ने इंटरनेट कनेक्शन से अश्लील वीडियो सोशल मीडिया में पोस्ट किया . इसे कई लोगों को फॉरवर्ड भी किया गया. इसमें एक “बालिका” की अश्लील क्लिपिंग है. चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामले में प्रदेश में कार्रवाई की जा रही है. पुलिस प्रदेश में 30 से ज्यादा मामलों में गिरफ्तारी भी कर चुकी है.
यहां यह जानना जरूरी होगा कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने छत्तीसगढ़ पुलिस को 80 पोर्न वीडियो की रिपोर्ट भेजी थी,जो सोशल मीडिया में वायरल हुई थी. इन 80 वीडियो को राज्य के नंबर से पोस्ट किया गया था. इसमें 12 मोबाइल नंबर रायपुर के थे, जबकि 40 मोबाइल नंबर दूसरे राज्य के पाए गए उन्हें संबंधित राज्यों की पुलिस को भेज दिया गया है. पुलिस जहां इस मामले में गम भी दिखाई देती है वही उसके सामने चुनौतियां दोहरी हो जाती हैं जब समाज में जागरूकता की कमी के कारण कानून के भय के ना होने के कारण निरंतर चाइल्ड पोर्नोग्राफी जारी दिखाई देती है.
किशोरों की संदिग्ध भूमिका
छत्तीसगढ़ की राजधानी में एक छात्र को अश्लील वीडियो अपलोड करने के आरोप में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है. उसने एक बच्चे की अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड की थी. जिसे बहुतेरे लोगो द्वारा देखा और शेयर किया गया. बताया जा रहा है की पुलिस ने यह कार्रवाई नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो से मिली जानकारी के आधार पर की है.
पुलिस द्वारा बताए गए तथ्यों के अनुसार, टाटीबंध, राय पुर निवासी युवक रवि कुमार ( बदला हुआ नाम) खरोरा स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी में बीबीए द्वितीय वर्ष का छात्र है.उसने एक बच्चे का अश्लील वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड किया था.जो काफी वायरल हुआ था.
एनसीआरबी की टीम ऐसे लोगों पर नजर रखे हुए थी और उनके आईपी अड्रेस ट्रैक कर रही थी. टीम ने प्रदेश में लगभग 40 लोगों को चिन्हित किया है जिन्होंने पोर्नोग्राफी को वायरल किया है. गिरफ्तार युवक के फ़ोन के आईपी एड्रेस से ही उसके लोकेशन का पता लगाकर उसे गिरफ्तार किया गया. अब पुलिस बाकी के मामलों की भी छानबीन कर रही है. इस तरह कुल मिलाकर के युवाओं का इसमें शामिल होना उनकी वर्कर संदिग्ध भूमिका का सामने आना दोनों ही चिंता का सबब है.
सोशल मीडिया का दुरुपयोग जारी आहे
दरअसल, जबसे सोशल मीडिया का आगाज हुआ है चाइल्ड पॉर्नोग्राफी के मामलों में तेजी आ गई है जिसे रोक पाना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर सामने है.
छत्तीसगढ़ की रायपुर पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म में अश्लील वीडियो अपलोड करने वाले एक आरोपी को गिरफ्तार किया है. आरोपी पर यह कार्रवाई एनसीआरबी (NCRB) से मिले मोबाइल नंबर के आधार पर रायपुर की कोतवाली पुलिस ने की है.आरोपी का नाम पुलिस अधिकारियों द्वारा कैलाशपुरी निवासी प्रकाश राज (बदला हुआ नाम) है. आरोपी ने सोशल मीडियो में वीडियो अपलोड किया था.
यह है पूरा मामला
एनसीआरबी ने सोशल मीडिया में अश्लील वीडियो अपलोड करने वाले मोबाइल नंबर धारको की डिटेल सभी प्रदेशों को भेजी थी. छत्तीसगढ़ पुलिस को 80 मोबाइल नंबरों का पता चला था, जिससे सोशल मीडिया में अश्लील वीडियो अपलोड किया गया था. प्रदेश में इन नंबरों के आधार पर 11वीं कार्रवाई हुई है. गिरफ्त में आए आरोपी ने बच्चे का अश्लील वीडियो सोशल मीडिया में अपलोड किया था. चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर सामाजिक कार्यकर्ता इंजीनियर रमाकांत श्रीवास विश्लेषण करते हुए बताते हैं कि किशोर जो युवा होने की दहलीज पर पांव रखने की अवस्था मैं होते हैं उन्हें ऐसे समय में उन्हें शिक्षित एवं कानून की जानकारी देना अनिवार्य है. सरकार को चाहिए कि पाठ्यक्रम में सोशल मीडिया और अन्य महत्वपूर्ण मसले पर विधि सम्मत सामग्री शामिल करें. अन्यथा युवा वर्ग यह गलती करता रहेगा और समाज में चाइल्ड पोर्नोग्राफी जैसा नासूर बना रहेगा.
सुखबीर चूंकि पिछले 2 साल से अपनी ससुराल जसाना में ही मकान बना कर रहने लगा था. इसलिए अपनी ससुराल वालों के घर में उस का बेधड़क आनाजाना था. पुराने और गांवदेहात के लोग आज भी घर के दामाद को बड़ा मान देते हैं. सुखबीर की पत्नी मोनिका के 2 भाई हैं मनीष और ब्रह्मजीत.
दोनों ही शादीशुदा हैं और दोनों लंबेचौड़े घर में अलगअलग हिस्सों में रहते हैं. सुखबीर अपने दोनों सालों के घर में बेधड़क आताजाता था. ब्रह्मजीत की पत्नी उषा देखने में परिवार की दूसरी महिलाओं से कुछ ज्यादा सुंदर थी. लिहाजा सुखबीर उस के घर कुछ ज्यादा और बेधड़क आताजाता था. उषा भी खुले स्वभाव की थी.
चूंकि सुखबीर उस की ननद का पति था, इसलिए वह उस का बेहद सम्मान करती थी. लेकिन जब कभी सुखबीर उस के साथ हंसीमजाक करता तो वह भी उस से हंसीमजाक कर लेती थी.
हुआ यूं कि करीब 2 महीने पहले सुखबीर जब ब्रह्मजीत के घर पहुंचा तो वह घर में नहीं था और उस की पत्नी नहाने के लिए बाथरूम में थी. सुखबीर सोफे पर बैठ कर उस के बाहर आने का इंतजार कर रहा था कि उस की नजर सामने पड़े उषा के मोबाइल फोन पर पड़ी. उत्सुकतावश उस ने उषा का फोन उठा लिया और उसे चैक करने लगा.
उस ने उत्सुकता में ही फोन उठा कर परिवार की फोटो तथा वीडियो देखना शुरू कर दिया. अचानक कुछ ऐसी वीडियो और फोटो देख कर उस के होश उड़ गए, जिस में उषा ने अपने निजी पलों की ऐसी तसवीरें तथा वीडियो बनाए हुए थे, जिस में वह पूरी तरह या तो निर्वस्त्र थी या उस के शरीर पर बहुत कम कपडे़ थे.
सुखबीर की पत्नी मोनिका भी हालांकि बेहद खूबसूरत थी लेकिन ब्रह्मजीत की पत्नी उषा जिसे वह भाभी कहता था, अपने कदकाठी और छरहरे बदन के कारण हमेशा उस के आकर्षण का केंद्र रही.
उस दिन सुखबीर ने जब उषा की ऐसी फोटो तथा वीडियो क्लिप देखीं तो उस की आंखों में उषा के प्रति कामना के डोरे तैरने लगे. मन में उषा को अपना बनाने की तमन्ना का ज्वार फूटने लगा. हालांकि किसी की इजाजत के बिना चोरीछिपे उस का मोबाइल देखना एक तरह गलत काम है. लेकिन उस दिन पूरे परिवार की इज्जत का तारा बना सुखबीर यह पाप कर बैठा.
उस ने उषा के बाथरूम से आने के पहले ही उस के मोबाइल में पड़ी उस की निजी पलों की फोटो और वीडियो अपने मोबाइल में ट्रांसफर कर लीं और ट्रांसफर हिस्ट्री को डिलीट कर दिया ताकि किसी को पता न लगे.
उस वक्त सुखबीर को नहीं पता था कि उस ने किस मकसद से उषा के फोटो और वीडियो अपने फोन में ट्रांसफर किए हैं. लेकिन कुछ दिन बाद जब उस ने एकांत में उन तसवीरों और क्लिप को देखना शुरू किया तो उस के मन में उषा को पाने की लालसा जाग उठी.
आखिर एक दिन सुखबीर जब ब्रह्मजीत के घर गया और उस ने उषा को अकेला पाया तो उस ने अपने दिल की बात उषा से कह दी. दरअसल, उस दिन सुखबीर ने उषा से ऐसी द्विअर्थी बातचीत शुरू की जिस से उषा भी अचकचा गई. सुखबीर ने उषा से उस के छरहरे बदन, उस के सांचे में ढले जिस्म की तारीफें इस तरह करनी शुरू कर दीं कि उषा ने पूछ ही लिया, ‘‘जीजाजी, आज आप ये कैसी बहकीबहकी सी बातें कर रहे हैं?’’
सुखबीर ने मौका देख कर खुल कर बताने की जगह अपना मोबाइल खोल कर उषा को उस की तसवीरें और वीडियो दिखानी शुरू कर दीं और बोला, ‘‘उषा भाभी, आप की ऐसी तसवीरें देख कर तो विश्वामित्र की तपस्या भी भंग हो सकती है हम तो वैसे भी आप के हुस्न के पहले से कद्रदान हैं. भाभी, कभी हम पर भी अपने इस हुस्न की बरसात कर दो.’’
दरअसल सुखबीर को लगा था कि अपने फोन से उषा को उसी की आपत्तिजनक तस्वीरें दिखाने से उषा की उस के प्रति हिचक दूर हो जाएगी और वह शरमातेसकुचाते हुए उस के अंकपाश में आ जाएगी. लेकिन हुआ इस का उलटा. उस दिन उषा की सुखबीर से खूब बहस हुई. उस ने सुखबीर की खूब लानतमलामत की और उसे चेतावनी दी कि अगर उस ने अपने मोबाइल से चोरी से ट्रांसफर की गई उस की फोटो और वीडियो डिलीट नहीं कीं तो इस का अंजाम बहुत बुरा होगा.
सुखबीर को उषा के ऐसे रिएक्शन की उम्मीद नहीं थी. लेकिन उसे उम्मीद थी कि अगर वह थोड़ा सा और प्रयास करेगा तो उषा उस की बाहों में जरूर आ जाएगी. उस ने उषा की फोटो तथा वीडियो तो डिलीट नहीं कीं, लेकिन इस के बाद उषा से ऐसे वक्त पर फोन कर के बातचीत जरूर शुरू कर दी, जब वह घर में अकेली होती थी. वह सब बातें वाट्सऐप काल के जरिए करता था.
उस ने उषा पर दबाव डालना शुरू कर दिया कि अगर उस ने उस का दिल नहीं बहलाया तो हो सकता है वह उस की ये फोटो और वीडियो कुछ ऐसे लोगों तक पहुंचा दे, जिस से उस का जीना मुश्किल हो जाए और दुनिया भर में उस की बदनामी हो जाए.
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इस बात को ले कर उषा अकसर तनाव में रहने लगी. इसी दौरान ब्रह्मजीत को भी उषा के बदले हुए व्यवहार तथा उस के तनाव में रहने का अहसास हुआ. जब उस ने पत्नी उषा से इस की वजह पूछी तो उषा अपने दिल में भरे गुबार को रोक न सकी. उस ने पति को ननदोई सुखबीर की सारी बात बता दी कि वह किस तरह उसे ब्लैकमेल कर रहा है.
किसी भी पति के लिए पत्नी की इज्जत सब से बड़ी चीज होती है. लेकिन मुश्किल यह थी कि इस हरकत को करने वाला भी कोई गैर नहीं, बल्कि एकलौती बहन का पति था. उस ने उषा को समझाया कि फिलहाल वह चुप रहे, वह जल्द ही कोई रास्ता निकालेगा.
इसी तरह कई दिन बीत गए. दूसरी तरफ सुखबीर फोन कर के उषा को हर दिन ब्लैकमेल कर के अपना दबाव बढ़ाता जा रहा था. इसी बीच 3 अगस्त को रक्षाबंधन आ गया. चूंकि उषा का तनाव के कारण मन ठीक नहीं था, इसलिए उस ने अपने भाई विष्णु से कह दिया कि वह इस बार घर नहीं आ सकेगी. वह राखी बंधवाने खुद ही आ जाए.
उषा का भाई विष्णु जब रक्षाबंधन पर उस के पास आया तो बहन के चेहरे पर फैली उदासी तथा तनाव उस से छिप नहीं सका. उस ने अपनी कसम दे कर उषा से पूछ ही लिया कि ऐसी कौन सी बात है जिस की वजह से वह परेशान है. न चाहते हुए भी उषा को भाई से सुखबीर की तरफ से उसे ब्लैकमेल किए जाने की सारी बात बतानी पड़ी.
किसी भाई के लिए रक्षाबंधन के दिन उस की बहन की अस्मत पर आंच आने की बात पता चलना कितनी बड़ी पीड़ा होती है, यह कोई उस दिन विष्णु के दिल से पूछ सकता था. सुखबीर की इस घिनौनी हरकत को जान कर उस का खून खौल उठा लेकिन उस की बहन उषा ने उसे अपनी कसम दे कर शांत कर दिया.
उस दिन विष्णु को सुखबीर से ज्यादा गुस्सा अपने जीजा ब्रह्मजीत पर आया. उस ने अपने जीजा को खूब लानत दी और धिक्कारा कि पत्नी के इतने बड़े अपमान के बाद भी किस तरह उस का खून ठंडा पड़ा है.
‘‘ऐसा नही है विष्णु कि मेरा खून ठंडा पड़ा है. मेरा मन तो चाहता है कि उस कमीने को अभी जा कर खत्म कर दूं लेकिन फिर सोचता हूं कि अगर मैं ने जोश में ये काम कर दिया तो मुझे पुलिस पकड़ लेगी.
‘‘फिर उषा का क्या होगा. क्योंकि सब जानते हैं कि वह मेरा जीजा है…कितनी भी सफाई से काम करूं लेकिन भेद तो देरसबेर खुल ही जाएगा.’’
बात विष्णु की भी समझ में आ गई. उस ने जीजा से कहा, ‘‘तुम कहो तो मैं ऐसे लोगों का इंतजाम कर दूं कि वे इस हरामजादे का काम तमाम कर दें.’’
‘‘कोई है तुम्हारी नजर में तो देखो.क्योंकि उषा की इस बेइज्जती के बाद से मेरी रातों की नींद उड़ी हुई है.’’ ब्रह्मजीत ने कहा.
लेकिन साथ ही उस ने यह भी कहा कि उस के पास इस काम को करने वाले लोगों को देने के लिए पैसा नहीं है. लेकिन उन्हें सुखबीर के घर में इतना माल तो मिल ही जाएगा कि उन्हें काम करने का मलाल नहीं होगा. क्योंकि उस के पास पैसे की कोई कमी नहीं है.
उस दिन ब्रह्मजीत और विष्णु ने सुखबीर की हत्या का पूरा मन बना लिया और विष्णु दिल्ली आने के बाद इस काम के लिए भाडे़ के हत्यारे जुटाने में लग गया. सब से पहले उस ने हत्या के लिए 2 तंमचे व कारतूस खरीदे तथा उन्हें ला कर अपने जीजा को दे गया.
इस के बाद उस ने अपने 3 पुराने जानकारों मेरठ के परीक्षितगढ़ निवासी सोनू, यतिन उर्फ छोटू व कुलदीप कुमार उर्फ कैलाश सिंह से इस बारे में बात की.
दरअसल, विष्णु अवैध शराब की तस्करी के धंधे से जुडा था. मेरठ के उस के तीनों दोस्त भी इसी धंधे में थे और कभीकभी उस से माल खरीदते थे. विष्णु ने उन से बताया कि उस की बहन को उस का ननदोई कुछ गलत फोटो और वीडियो दिखा कर ब्लैकमेल कर रहा है. वह चाहता है कि वे तीनों बहन के ननदोई की हत्या करने में उस की मदद करें. उन्हें घर से इतना माल मिल जाएगा कि इस काम के लिए उन्हें पछताना नहीं पडे़गा.
माल मिलने और बहन की खातिर दोस्त की मदद करने के नाम पर सोनू, छोटू व कुलदीप इस काम को करने के लिए तैयार हो गए. बस इस के बाद विष्णु ने जीजा ब्रह्मजीत के साथ मिल कर सुखबीर की हत्या का पूरा तानाबाना बुन लिया.
वारदात को अंजाम देने से पहले एक दिन शाम के वक्त तीनों ने विष्णु के साथ आ कर सुखबीर के घर का निरीक्षण भी कर लिया. उस के बाद उन्होंने परतापुर इलाके से 2 मोटरसाइकिल चुराईं. जन्माष्टमी के दिन वारदात करने के लिए चुना और उस दिन चोरी की दोनों मोटरसाइकिलों पर सवार हो कर विष्णु अपने तीनों दोस्तों के साथ जसाना गांव पहुंच गया.
गांव के बाहर ब्रह्मजीत से उन की मुलाकात हुई. उस ने चारों को पहले से खरीदे गए तमंचे और एक पिस्टल दिया. इस के बाद ब्रह्मजीत अपने घर चला गया और बाकी चारों लोग अपना काम करने के लिए सुखबीर के घर पहुंच गए.
संयोग यह था कि सुखबीर जहां रहता था, वह गली सुनसान रहती थी. इसलिए उन्हें वहां आते किसी ने नहीं देखा. उन्होंने घर में घुसते ही सुखबीर तथा मोनिका को बंधक बना लिया. बड़ी सर्जिकल टेप से दोनों के हाथपांव बांध दिए. फिर घर में लूटपाट की. घर में जो भी गहना व नकदी मिली उसे एक बैग में भर लिया और बाद में सुखबीर तथा मोनिका को गोली मार दी.
हालांकि ब्रह्मजीत ने कहा था कि उन्हें मुंह पर कपड़ा बांध कर केवल सुखबीर की हत्या करनी है. लेकिन मोनिका ने वारदात के दौरान विष्णु का चेहरा देख लिया और पहचान लिया था. इसलिए उन्होंने पकड़े जाने के डर से मोनिका की भी हत्या कर दी थी.
चूंकि सुखवीर जिस जगह पर मकान बना कर रहता था, वहां पर आसपास और पीछे के एरिया में सभी प्लौट खाली थे. जबकि सामने पड़ोस में रहने वाले मकान मालिक घटना के समय घर पर नहीं थे. यह परिवार किसी काम से बाहर गया हुआ था.
किसी ने भी गोली चलने की आवाज नहीं सुनी. लेकिन उन के घर के बाहर बनी एक दुकान के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे में बदमाशों के आने की सारी रिकार्डिंग हो गई.
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वारदात को अंजाम देने के बाद उन्होंने घर में रखा एक लैपटौप, सुखबीर व मोनिका के मोबाइल फोन तथा सीसीटीवी का डीवीआर भी उखाड़ कर बैग में भर लिया और सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए.
क्योंकि ब्रह्मजीत ने उन्हें पहले ही बता दिया था कि सुखबीर के घर में सीसीटीवी लगा है. इस से उन्हें लगा कि अब उन्हें कोई नहीं पकड़ पाएगा. लेकिन उन्हें यह पता नहीं था कि पड़ोस के मकान में लगा सीसीटीवी उन के अपराध की चुगली कर देगा.
13 अगस्त को जरूरी पूछताछ के बाद पुलिस ने पांचों आरोपियों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें 3 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.
हिरासत में पूछताछ के बाद पुलिस ने उन की निशानदेही पर हत्या में प्रयोग किए गए 2 देसी तमंचे, 1 पिस्तौल, एक जिंदा कारतूस और एक चोरी की मोटरसाइकिल मेरठ शहर के पास मेन रोड पर झाड़ी से बरामद कर ली.
दूसरी मोटरसाइकिल पास ही दूसरी झाड़ी में मिली जो उन्होंने मेरठ के थाना परतापुर एरिया से चोरी की थी. आरोपी विष्णु के घर से सैमसंग फोन, सोने की एक चेन और 1200 रुपए नकद बरामद किए गए. आरोपी कुलदीप से एक हजार रुपए नकद, सोने के एक जोड़ी झुमके, चांदी की एक चेन उस की बहन की ससुराल से बरामद की.
आरोपी सोनू से एक लूटा हुआ लैपटौप एक मोबाइल फोन सिम कार्ड के साथ 2 हजार रुपए नकद बरामद किए गए. आरोपी जतिन से सोने के एक जोड़ी झुमके, डकैती के 2 हजार रुपए और वारदात में पहने हुए कपड़े बरामद किए गए. इस के साथ ही उस का खुद का एक मोबाइल और सिम भी बरामद किया गया.
पूछताछ में विष्णु ने बताया कि हत्या के बाद सुखबीर का मोबाइल वह अनलौक नहीं कर पा रहा था. सुखवीर के मोबाइल और लैपटौप में उस की बहन की अश्लील तसवीरें थीं. इसी वजह से हत्या के बाद विष्णु उसे साथ ले गया था. पुलिस ने दोनों मोबाइल और लैपटौप उस के पास से ही बरामद किए.
सुखबीर की हत्या उस के ही घर में करने की प्लानिंग ब्रह्मजीत ने इसीलिए रची थी कि भाड़े पर लाए गए शूटरों को पैसे न देने पड़ें. उन्होंने लूटा हुआ माल सुपारी के तौर पर शूटरों को ही रखने का लालच दिया था. लेकिन बदमाशों को दुर्भाग्य से वहां से ज्यादा नकदी और गहने नहीं मिले. ब्रह्मजीत ने ही उस दिन विष्णु को सुखबीर के घर पर होने की जानकारी दी थी.
पुलिस ने 16 अगस्त, 2020 को मुकदमे में शस्त्र अधिनियम तथा साजिश की धारा जोड़ कर पांचों अभियुक्तों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें नीमका जेल भेज दिया गया है. दूसरी तरफ मृतक सुखबीर के बड़े भाई सतबीर चंदीला ने मीडिया के सामने खुलासा किया है कि उन के भाई पर साले की पत्नी से ब्लैकमेलिंग का झूठा आरोप लगा कर जानबूझ कर बदनाम किया है. उन्होंने बताया कि सुखबीर ने खुद अपनी पत्नी और ससुराल वालों से भाभी की शिकायत की थी कि वह उसे अश्लील तसवीरें भेजती है.
इस बात को ले कर रक्षाबंधन से पहले सुखबीर के ससुराल में तीखी नोंकझोंक भी हुई थी.
– कथा पुलिस की जांच व आरोपियों के बयानों पर आधारित
सुखबीर व उस की पत्नी इतने बड़े मकान में अकेले रहते थे. उन के घर तथा महंगी गाड़ी को देख कर किसी को भी उन की हैसियत का अंदाजा लग सकता था. इसलिए पहली नजर में लग रहा था कि लूटपाट करने वाले बदमाशों ने ही वारदात को अंजाम दिया होगा.
वैसे भी घर में जिस तरह से सारी अलमारियां खुली हुई थीं, घर के कीमती जेवरात लापता थे, उस से भी यही लगता था. जहां तक सुखबीर की किसी से रंजिश की बात थी तो परिवार वालों ने साफ कर दिया था कि सुखबीर की किसी से भी आज तक कोई रंजिश नहीं रही.
बस एक बात ऐसी थी, जिस ने पुलिस को उलझा कर रख दिया था. वह यह कि अगर बदमाशों ने घर में घुसने के बाद सुखबीर तथा मोनिका को काबू में कर के उन के हाथपांव और मुंह सर्जिकल टेप से बांध दिए थे तो वे लूटपाट करने के बाद आराम से भाग सकते थे.
बदमाश और लुटेरे आमतौर पर किसी की हत्या तभी करते हैं, जब उन का विरोध होता है. लेकिन यहां तो सुखबीर तथा मोनिका के बंधे होने के कारण विरोध की संभावना ही नहीं थी. इस का मतलब साफ था कि बदमाशों को पता था कि अगर वे उन्हें जिंदा छोड़ कर गए तो पकड़े जा सकते हैं. ऐसा भी तभी होता है जब बदमाश पीडि़त का कोई जानकार होता है.
एक दूसरी बात यह भी थी कि बदमाश वारदात को अंजाम देने के बाद घर में लगे सीसीटीवी कैमरे का डीवीआर उखाड़ कर ले गए थे. ऐसा तभी होता है जब बदमाश पहचान वाला हो और सीसीटीवी की फुटेज से आसानी से पहचाने जाने के डर से आशंकित हो.
मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों को इस बात का पूरा यकीन हो गया कि हो न हो इस वारदात के पीछे सुखबीर या मोनिका के किसी जानकार का ही हाथ है. सुखबीर व मोनिका की हत्या सिर में गोली मार कर की गई थी.
कई घंटे की जांचपड़ताल तथा परिवार वालों से की गई पूछताछ के बाद तिगांव थाना पुलिस ने सुखबीर व मोनिका के शवों को पोस्टमार्टम के लिए बी.के. अस्पताल भिजवा दिया और अज्ञात बदमाशों के खिलाफ भादंसं की धारा 302, 395 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया.
पुलिस कमिश्नर ओ.पी. सिंह ने उसी रात इस केस को सुलझाने का जिम्मा क्राइम ब्रांच को सौंप दिया और एक विशेष टीम का गठन भी कर दिया. विशेष टीम में सीआईए सेक्टर-30 के इंचार्ज विमल कुमार, सेक्टर-85 सीआईए प्रभारी सुमेर सिंह, डीएलएफ प्रभारी सुरेंद्र व एनआईटी क्राइम ब्रांच प्रभारी को शामिल किया गया.
डीसीपी (क्राइम) मकसूद अहमद ने खुद इस केस की मौनिटरिंग का काम संभाला और एसीपी (क्राइम) अनिल कुमार तथा एसीपी (तिगांव) को विशेष टीमों की अगुवाई करने का जिम्मा सौंपा गया. एसीपी धारणा यादव को भी विशेष टीम की अगुवाई करने का जिम्मा दिया गया था.
मामला चूंकि सीधे पुलिस कमिश्नर की दिलचस्पी का केंद्र बन गया था, इसलिए अगली सुबह से विशेष टीम ने अलगअलग बिंदुओं को आधार बना कर जांचपड़ताल करने का काम तेजी से शुरू कर दिया.
बदमाश घर से कितनी नकदी व जेवरात लूट कर ले गए गए थे, यह तो पुलिस को कोई नहीं बता सका लेकिन ये साफ था कि घर में लूटपाट जरूर हुई थी. इतना ही नहीं, बदमाश सुखबीर व मोनिका के मोबाइल भी लूट ले गए थे, क्योंकि पुलिस को काफी तलाश करने पर भी मोबाइल घर में नहीं मिले थे. दोनों मोबाइल स्विच्ड औफ आ रहे थे. घर से सुखबीर का लैपटाप भी गायब था.
इधर, बदमाशों ने घर के सीसीटीवी कैमरे तोड़ दिए और डीवीआर उखाड़ कर ले गए थे. लेकिन पुलिस को यकीन था कि आसपास के किसी मकान में सीसीटीवी जरूर लगा होगा, जिस से बदमाशों तक पहुंचने में मदद मिल सकती है.
पुलिस ने जब सीसीटीवी की जानकारी हासिल कर उन्हें खंगालने का काम शुरू किया तो सुखबीर के मकान से 2 मकान छोड़ कर एक दुकान के बाहर लगे सीसीटीवी की फुटेज में पुलिस को वह फुटेज मिल गई, जिस में बदमाश आतेजाते दिख रहे थे.
इस फुटेज से पता चला कि 11 अगस्त, 2020 की दोपहर 1 बज कर 37 मिनट पर 4 युवक 2 बाइकों से मकान के पास गली में आए. उन्होंने बाइकों को मकान से कुछ दूर खड़ा किया. वे घर के भीतर करीब 42 मिनट तक रहे, जिस के बाद वे 2 बज कर 18 मिनट पर वापस जाते दिखे.
2 युवक पहले घर से निकले, जिन्होंने बाइक स्टार्ट की और मकान के पास आ कर खड़े हो गए. कुछ ही देर बाद 2 युवक मकान में से भागते हुए आए और बाइकों पर बैठ गए. जिस के बाद वे फरार हो गए.
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वारदात की फुटेज और बदमाशों के सीसीटीवी कैमरे में कैद हो जाना पुलिस के लिए संजीवनी की तरह काम आया. पुलिस ने इन सीसीटीवी फुटेज को अपने कब्जे में ले लिया. हालांकि इन फुटेज में किसी भी मोटरसाइकिल का नंबर तो साफ नहीं दिख रहा था. लेकिन चेहरे रूमाल से ढके होने के बावजूद उन्हें पहचानने में कोई परेशानी नहीं थी.
मोनिका व सुखबीर दोनों के घर वालों को बुला कर पुलिस ने वह फुटेज दिखाई तो मनीष ने देखते ही साफ कर दिया कि उन चारों बदमाशों में से एक बदमाश का हुलिया उस के बड़े भाई ब्रह्मजीत की पत्नी उषा (परिवर्तित नाम) के भाई विष्णु से काफी मिलताजुलता है.
जब पुलिस ने उषा व ब्रह्मजीत को वह फुटेज दिखाई तो वे घबरा गए. उन्होंने बताया कि हुलिया विष्णु से मिलताजुलता जरूर है, लेकिन वह अपने ही जीजा की बहन के घर पर ऐसी वारदात क्यों करेगा.
विष्णु के वारदात में शामिल होने की पुष्टि करने के लिए पुलिस ने मोनिका के घर वालों से विष्णु का फोन नंबर तथा घर का पता सब हासिल कर लिया. पुलिस ने विष्णु को दबोचने की तैयारी शुरू कर दी, लेकिन इस से पहले पुलिस ने विष्णु के फोन की काल डिटेल्स निकलवा ली. क्योंकि पुलिस यह विश्वास कर लेना चाहती थी कि जिस बदमाश के विष्णु होने की शंका जताई जा रही है वो असल में विष्णु है भी या नहीं.
काल डिटेल्स सामने आई तो पता चला कि सीसीटीवी फुटेज में जिस वक्त 4 बदमाश सुखबीर के घर में वारदात करने के लिए घुसे थे, उस वक्त विष्णु के मोबाइल की लोकेशन सुखबीर के घर पर ही थी. इस से साफ हो गया कि इस वारदात में विष्णु शामिल था.
पुलिस के लिए इस वारदात का खुलासा करने के लिए यह एक बड़ी लीड थी. पुलिस की एक टीम ने दिल्ली का रुख किया. विष्णु दिल्ली के भजनपुरा में रहता था. पुलिस की टीम ने उसे रात के वक्त सोते हुए उस के घर से ही दबोच लिया.
विष्णु को फरीदाबाद के तिगांव थाने में ला कर जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने कुबूल कर लिया कि सुखबीर व मोनिका की हत्या उस ने मेरठ के किला परीक्षितगढ़ के रहने वाले अपने 3 साथियों के साथ मिल कर की थी. इस वारदात को उस ने अपने जीजा यानी बहन उषा के पति ब्रह्मजीत के कहने पर अंजाम दिया.
एक भाई आखिर अपनी बहन और उस के पति की हत्या क्यों करवाएगा? पुलिस को यह बात थोड़ी अटपटी लगी. लेकिन जब विष्णु से गहराई से पूछताछ हुई और उस ने कारण बताया तो पुलिस भी चौंकी. पुलिस को यकीन हो गया कि ब्रह्मजीत ही इस हत्याकांड का असली मास्टरमाइंड है. लिहाजा पुलिस ने उसी रात ब्रह्मजीत को भी हिरासत में ले लिया.
इस के बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ छापेमारी शुरू की और जल्द ही विष्णु के तीनों साथी सोनू, यतिन उर्फ छोटू और कुलदीप कुमार उर्फ कैलाश सिंह को भी मेरठ से गिरफ्तार कर लिया.
सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद सुखबीर व मोनिका हत्याकांड की कहानी कुछ इस तरह सामने आई.
रात के लगभग सवा 9 बजे का वक्त था. लेकिन कई बार कालबेल बजाने के बाद भी जब मोनिका ने दरवाजा नहीं खोला तो मनीष को कोफ्त होने लगी. उसे गुस्सा इस बात पर आ रहा था कि एक तो उस की बहन मोनिका घर पर दूध लेने के लिए नहीं पहुंची थी, दूसरे जब वह खुद दूध देने के लिए आया तो कालबेल की आवाज सुन कर 10 मिनट बाद भी मोनिका और सुखबीर ने दरवाजा नहीं खोला था.
आश्चर्य की बात यह थी कि घर का मुख्यद्वार भी अंदर से लौक नहीं था. जीजा सुखबीर ने करीब 15 दिन पहले ही 40 लाख रुपए में औडी क्यू-3 कार खरीदी थी, वह पोर्च में खड़ी थी. सब से बड़ी हैरानी इस बात पर थी कि घर के अंदर और बाहर पूरी तरह अंधेरा था और एक भी लाइट नहीं जल रही थी. ये सब बातें ऐसी थी कि कोफ्त होने के साथसाथ मनीष का मन आशंका से भी भर उठा था. बहन की इस लापरवाही पर उसे गुस्सा आ रहा था.
मनीष ने दरवाजे को जोरजोर से पीटना शुरू कर दिया. 1-2 बार दरवाजे को जोर लगा कर थपथपाया तो अचानक दरवाजा खुल गया और वह अंदर दाखिल हो गया. अंदर घुप्प अंधेरा था. मनीष ने मोबाइल की टौर्च जला कर स्विच बोर्ड तलाश किया और ड्राइंगरूम की लाइट जला दी, जिस से कमरा रोशन हो गया.
लेकिन इतना सब होने के बावजूद घर के भीतर कोई हलचल नहीं हुई तो मनीष का दिल किसी अनहोनी के डर से कांपने लगा. क्योंकि ड्राइंगरूम से ले कर कई जगह घर का सामान अस्तव्यस्त पड़ा था. वह दौड़ता हुआ उस कमरे तक पहुंचा, जहां उस की बहन मोनिका का बैडरूम था. उस ने दरवाजे से लगे बिजली के स्विच बोर्ड से कमरे की बत्ती जलाई तो बैडरूम के अंदर का दृश्य देख कर उस के हलक से हृदयविदारक चीख निकल गई.
कमरे के भीतर उस की बहन मोनिका और जीजा सुखबीर के खून से लथपथ शव पड़े थे. दोनों के हाथपांव और मुंह सर्जिकल टेप से बंधे थे. घर की अलमारियां खुली थीं और सारा सामान अस्तव्यस्त था.
घर से लाए दूध का डिब्बा मनीष के हाथ से छूट गया और और वह जमीन पर दोनों हाथों से अपना सिर पकड़ कर बैठ गया. कुछ देर बाद जब उसे होश आया तो वह घर से बाहर दौड़ा और खून…खून चिल्लाता हुआ लोगों से मदद की गुहार लगाने लगा.
कालोनी में रहने वाले लोग दरवाजा खोल कर घर से बाहर आए और मनीष से चिल्लाने का कारण पूछा. मनीष ने वह सब बयान कर दिया जो उस ने अंदर देखा था. कुछ ही देर में वहां लोगों की भीड़ एकत्र हो गई. इसी दौरान मनीष ने गांव में रहने वाले अपने परिजनों को भी फोन कर दिया.
थोड़ी देर बाद मनीष का पूरा परिवार, गांव में रहने वाले दूसरे रिश्तेदार व अड़ोसपड़ोस में रहने वाले लोगों की भीड़ सुखबीर के घर के बाहर जमा हो गई. मनीष ने सुखबीर के परिवार वालों को भी फोन कर के इस बात की जानकारी दे दी थी. गांव वालों के कहने पर मनीष ने पुलिस कंट्रोल रूम को भी वारदात की सूचना दे दी.
11 अगस्त को जन्माष्टमी के दिन ये वारदात दिल्ली से सटे ग्रेटर फरीदाबाद के गांव जसाना में हुई थी. जिस गांव में वारदात हुई थी, वह फरीदाबाद के तिगांव थाना क्षेत्र में आता है. सूचना मिलने के आधे घंटे बाद तिगांव थाने की पुलिस मौके पर पहुंच गई.
सुखबीर के बड़े भाई ओमबीर और पिता रिछपाल भी अपने परिवार के साथ मौके पर आ गए थे. पुलिस ने सभी घरवालों से एकएक कर के पूछताछ शुरू कर दी.
वारदात की जानकारी सब से पहले मनीष को ही मिली थी, लिहाजा पुलिस ने सब से पहले उस से ही पूरी का घटना का ब्यौरा हासिल किया.
मनीष ने पुलिस को बताया कि उस की बहन मोनिका (25) की शादी साल 2013 में मूलरूप से फरीदाबाद के ही फतेहपुर चंदीला गांव के रहने वाले सुखबीर (27) के साथ हुई थी. सुखबीर को अपनी फैक्ट्री तक आने के लिए गांव से लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी.
उस का इलाका काफी भीड़भाड़ वाला भी था, इसलिए उस ने 2 साल पहले ससुराल वालों की मदद से जसाना गांव के बाहर एक नवनिर्मित बस्ती में 500 गज का प्लौट ले कर उस पर दोमंजिला आलीशान मकान बनवा लिया और मोनिका के साथ यहीं आ कर रहने लगा. घर में सभी आधुनिक सुखसुविधाएं मौजूद थीं. छत पर एक्सरसाइज के लिए ओपन जिम भी बनवाया था.
गांव का दामाद होने के कारण गांव के सभी लोग सुखबीर को पाहूना या रिश्तेदार कह कर संबोधित करते थे. सुखबीर मिलनसार और हंसमुख स्वभाव का था इसलिए सभी उस की बहुत इज्जत करते थे. उस की बेदर्दी से हुई हत्या से सभी दुखी थे.
करीब 15 दिन पहले ही सुखबीर ने औडी क्यू-3 कार खरीदी थी. इस कार की कीमत 35 से 40 लाख रुपए है. कार लेने के बाद सुखबीर ने अपने घर पर इस की पार्टी भी दी थी, जिस में उस की ससुराल वालों के अलावा घर के लोग भी शामिल हुए थे.
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सुखबीर ने अपने पिता व भाई की मेहनत व लगन के बूते काफी कम समय में अच्छी तरक्की की थी. गांव बड़खल में उन की लिक्विड फिलिंग मशीनें बनाने की फैक्ट्री है, जिसे वे सब खुद संभालते थे. सुखबीर सीए भी कर चुका था. इसलिए फैक्ट्री के एकाउंट का काम भी वह खुद ही संभालता था. जबकि उस की पत्नी मोनिका गृहिणी थी.
सुखबीर के भाई ओमबीर और पिता रिछपाल सप्ताह में कम से कम एक बार सुखबीर और मोनिका का हालचाल लेने गांव जसाना जरूर जाते थे. फोन पर भी उन की दोनों से रोजाना बातचीत होती थी.
कुल मिला कर सुखबीर के घर में काफी प्रेम था. पतिपत्नी भी एकदूसरे से बहुत प्यार करते थे. बस कमी थी तो यह कि शादी को 7 साल होने के बावजूद सुखबीर व मोनिका के घर में बच्चे की किलकारी नहीं गूंजी थी.
11 अगस्त को सुबह से ही सुखबीर के पेट में दर्द था इसलिए मोनिका के कहने पर वह उस दिन फैक्ट्री नहीं गया और घर पर आराम करता रहा. दिन भर आराम करने के बावजूद जब पेट की तकलीफ कम नहीं हुई तो मोनिका सुखबीर को सुबह 11 बजे दवा दिलाने के लिए अपने साथ डाक्टर के पास ले गई. वहां से दोनों एक घंटे बाद घर लौट आए थे.
चूंकि जसाना गांव मोनिका का मायका था और घर में दूध का काम होता था लिहाजा उस का दूध मायके से ही आता था. मोनिका रोज शाम को घर की डेरी पर ही दूध लेने जाती थी. लेकिन 11 अगस्त को सुखबीर की तबीयत ठीक नहीं होने के कारण वह दूध लेने के लिए नहीं जा सकी. पिता रामबीर से उस ने फोन कर के कह दिया था कि शाम को कोई घर की तरफ आए तो खुद ही दूध भिजवा दें.
रात को 9 बजे जब उन का छोटा बेटा मनीष गांव के घेर में सोने के लिए जाने लगा तो उन्होंने उस से कहा कि जाते वक्त दूध का डिब्बा मोनिका के घर पकड़ा देना. दूध का वही डिब्बा देने के लिए मनीष मोनिका के घर आया था. लेकिन वहां बहन और जीजा की लाशें देख कर उस के होश उड़ गए.
जब वह घर पहुंचा तो देखा सभी लाइटें बंद थी और अंदर दोनों की लाशें पड़ी थीं. रात के 12 बजे तक फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर ओ.पी. सिंह और क्राइम ब्रांच के अधिकारी भी मौके पर आ गए. डौग स्क्वायड के साथ फोरैंसिक टीम भी जांचपड़ताल में जुट गई.
घर के हर कोने से बदमाशों की पहचान के लिए फिंगरप्रिंट तथा सबूत एकत्र किए जाने लगे. घर वालों से अब तक की पूछताछ में जो जानकारी हासिल हुई थी, उस से लग रहा था कि बदमाशों ने इस वारदात को लूटपाट के लिए अंजाम दिया था.
कल्लू की जानपहचान रामदीन से थी. वह सोहाना गांव के पूर्वी छोर पर रहता था. अपराधी प्रवृत्ति का रामदीन दबंग आदमी था. उस की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. रामदीन की शराब पार्टी में कभीकभी कल्लू भी शामिल होता था, जिस से दोनों में दोस्ती हो गई थी.
हालांकि कल्लू रामदीन से 3-4 साल छोटा था, फिर भी दोनों गहरे दोस्त बन गए थे. एक रोज रामदीन, कल्लू के घर आया, तो उस की नजर उस की खूबसूरत पत्नी पंचवटी पर पड़ी. पंचवटी पहली ही नजर में रामदीन के दिल में रचबस गई. इस के बाद वह अकसर पंचवटी से मिलने आने लगा. वह अपनी लच्छेदार बातों से पंचवटी को रिझाने की कोशिश करने लगा. पंचवटी भी उस की बातों में रुचि लेने लगी थी. धीरेधीरे वह रामदीन की ओर आकर्षित होने लगी.
काम पर जाने के लिए कल्लू सुबह 9 बजे घर से निकलता और फिर रात 8 बजे ही घर लौटता. इस बीच पंचवटी घर में अकेली रहती थी. ऐसे ही समय में रामदीन उस से मिलने आता था. चूंकि आकर्षण दोनों तरफ था, इसलिए जल्द ही दोनों के बीच नाजायज रिश्ता बन गया. कल्लू की अपेक्षा रामदीन पौरुष में बलवान था, सो पंचवटी उस की दीवानी हो गई.
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रामदीन का कल्लू के घर आनाजाना बढ़ा तो पासपड़ोस के लोगों में दोनों के अवैध रिश्तों को ले कर कानाफूसी होने लगी. बात कल्लू के कानों में पड़ी, तो उस का माथा ठनका. उस ने पंचवटी से सवाल किया, ‘‘यह रामदीन मेरी गैरमौजूदगी में क्यों आता है? तुम दोनों के बीच क्या चल रहा है?’’
पंचवटी डरने या लजाने के बजाय त्यौरियां चढ़ा कर बोली, ‘‘रामदीन तुम्हारा दोस्त है. तुम्हीं उसे घर ले कर आते थे. मैं तो उसे बुलाने नहीं गई थी. अब जब वह घर आ जाता है, तो मैं उसे कैसे मना करूं. तुम्हें ऐतराज है, तो उसे मना कर दो. वैसे लगता है मोहल्ले वालों ने तुम्हारे कान भरे हैं. इसलिए मेरे चरित्र पर अंगुली उठा रहे हो.’’
कल्लू उस समय तो चुप रह गया, लेकिन उस के दिमाग में शक गहरा गया. वह पंचवटी पर नजर रखने लगा. इस का परिणाम भी जल्द ही सामने आ गया. एक शाम उस ने पंचवटी व रामदीन को रंगरेलियां मनाते रंगेहाथ पकड़ लिया.
उस रोज कल्लू ने पत्नी की जम कर पिटाई की, उसे खूब जलील किया. रामदीन से भी कल्लू की कहासुनी हुई लेकिन रामदीन ने उलटे उसे ही हड़का दिया.
इस के बाद तो रामदीन को ले कर आए दिन कल्लू और पंचवटी में झगड़ा और मारपीट होने लगी. तंग आ कर पंचवटी जून 2019 में अपने मायके चली गई.
कुछ दिन बाद कल्लू उसे लेने गया तो उस ने साथ चलने से साफ मना कर दिया. उस ने पति कल्लू के खिलाफ अपने मांबाप के भी कान भरे, जिस से उन्होेंने भी बेटी का ही साथ दिया.
पंचवटी मायके रूरीपहरी आ कर रहने लगी, तो रामदीन उस से मिलने वहां भी आने लगा. एक रोज रामदीन ने पंचवटी से कहा कि वह उसे बहुत प्यार करता है और शादी करना चाहता है. इस पर पंचवटी बोली, ‘‘प्यार तो मैं भी करती हूं, शादी भी करना चाहती हूं. लेकिन पति के रहते यह संभव नहीं है.’’
‘‘कल्लू की चिंता तुम छोड़ दो. उस का बंदोबस्त हम कर देंगे.’’ रामदीन ने उसे आश्वासन दिया.
इस के बाद रामदीन और पंचवटी ने कल्लू की हत्या का षडयंत्र रचा. रामदीन ने रज्जन से संपर्क किया. अपराधी प्रवृत्ति का रज्जन सोहाना गांव का ही रहने वाला था. वह अपनी अंटी में तमंचा लगा कर चलता था. रामदीन और पंचवटी ने मिल कर रज्जन से कल्लू की हत्या का सौदा 3 लाख रुपए में कर दिया. साथ ही रामदीन ने उसे 10 बिस्वा जमीन भी देने का लालच दिया.
हत्या की सुपारी लेने के बाद रज्जन अपने रिश्तेदार चंद्रप्रकाश उर्फ भूरा से मिला. बनसखा गिरवां गांव का रहने वाला चंद्रप्रकाश भी कमर में तमंचा खोसे रहता था.
रज्जन ने उसे हत्या की सुपारी लेने की बात बताई और डेढ़ लाख रुपया देने का लालच दिया. इस पर भूरा तैयार हो गया. फिर सब ने मिल कर हत्या की योजना बनाई.
योजना के तहत 26 जून, 2020 को पंचवटी ने अपने पति कल्लू से मोबाइल फोन पर बात की. उस ने कहा कि वह उस के साथ रहने को तैयार है, आ कर लिवा ले जाए. कल्लू तो पहले ही चाहता था कि पत्नी उस के साथ रहे. वह 27 जून की शाम अपनी ससुराल रूरीपहरी पहुंच गया. वहां उस की खूब आवभगत हुई.
28 जून, 2020 की दोपहर बाद पंचवटी सजधज कर ससुराल जाने के लिए पति कल्लू के साथ मोटरसाइकिल से निकली.
उस दिन सुबह से ही पंचवटी मोबाइल फोन पर प्रेमी रामदीन के संपर्क में थी. वह उसे हर जानकारी दे रही थी. पति के साथ घर से निकलने की जानकारी भी वह दे चुकी थी. फिर रास्ते भर वह रामदीन से जानकारी शेयर करती रही.
उधर जानकारी पा कर रामदीन कुल्हाड़ी हाथ में ले कर सोहाना गांव के बाहर तालाब के पास पहुंच गया. उस ने वहीं पर रज्जन और भूरा को भी बुलवा लिया था.
पंचवटी की सूचना के अनुसार उन दोनों को मोटरसाइकिल पर यहीं से गुजरना था. कल्लू शाम 4 बजे पंचवटी के साथ तालाब के पास पहुंचा, तभी घात लगाए बैठे रामदीन, रज्जन और चंद्रप्रकाश ने कल्लू को घेर लिया.
पंचवटी मोटरसाइकिल से उतर कर मुंह घुमा कर कुछ दूर जा कर खड़ी हो गई. कल्लू कुछ समझ पाता, तभी भूरा ने उस पर फायर झोंक दिया. लेकिन उस का फायर मिस हो गया.
कल्लू जान बचा कर भागने लगा तो सामने से रज्जन ने फायर कर दिया. गोली कल्लू के सीने में समा गई और वह जमीन पर गिर कर छटपटाने लगा. उसी समय रामदीन ने उस पर कुल्हाड़ी से वार पर वार किए, जिस से उस की गरदन कट गई और उस की मौत हो गई.
हत्या के बाद हत्यारों ने तालाब के दूसरे छोर पर जा कर हाथपैर धोए फिर कुल्हाड़ी, तमंचा, तालाब किनारे झाडि़यों में छिपा कर फरार हो गए.
दूसरी ओर त्रियाचरित्र दिखाते हुए पंचवटी रोनेपीटने लगी. उस ने अपने मोबाइल फोन द्वारा ससुराल वालों को पति की हत्या की जानकारी दी. इस पर घर में कोहराम मच गया. मातापिता, भाई व गांव के तमाम लोग घटनास्थल पर आ गए.
इस बीच पंचवटी ने पुलिस कंट्रोल रूम को भी हत्या की सूचना दे दी थी. कंट्रोल रूम से मिली सूचना पर थाना कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक दिनेश सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर आ गए. उन्होंने जांच शुरू की तो हत्या का परदाफाश हो गया.
3 जुलाई, 2020 को थाना कोतवाली पुलिस ने अभियुक्त रामदीन, रज्जन, चंद्रप्रकाश व पंचवटी को बांदा कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
एसपी साहब की पूछताछ में पंचवटी ने यह तो मान लिया कि रामदीन से उस के संबंध थे और कल्लू इस का विरोध करता था. लेकिन हत्या के बारे में उस ने कुछ नहीं बताया. कुछ सोच कर एसपी साहब ने उसे घर भेज दिया.
एसपी सिद्धार्थ शंकर द्वारा गठित विशेष पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया, पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया, फिर कल्लू के घर वालों के बयान दर्ज किए.
इस के बाद सोहाना गांव निवासी रामदीन व रज्जन के घर दबिश दी गई, लेकिन दोनों घर से फरार थे. उन की सुरागसी के लिए टीम ने उन के परिवार वालों पर दबाव बनाया, उन्हें हिरासत में ले कर कड़ी पूछताछ की गई. लेकिन रामदीन व रज्जन का पता नहीं चला.
उधर सर्विलांस टीम ने मृतक की पत्नी पंचवटी के मोबाइल फोन को खंगाला तो पता चला कि पंचवटी एक नंबर पर अकसर बात करती थी. उस नंबर का पता लगाया गया तो जानकारी मिली कि वह नंबर सोहाना गांव के ही रामदीन का है. इस नंबर पर 28 जून कोे सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक पंचवटी बराबर बात करती रही थी. उसी दिन कल्लू का कत्ल हुआ था.
सर्विलांस टीम ने लोकेशन ट्रेस करने के लिए रामदीन के नंबर को सर्विलांस पर ले लिया और पंचवटी के नंबर को लिसनिंग पर लगा दिया गया, ताकि दोनों बात करें तो पुलिस को जानकारी हो जाए. इतना ही नहीं टीम ने मृतक के मोबाइल फोन को भी सर्विलांस पर लगाया ताकि फोन चालू करते ही उस की लोकेशन पुलिस को मिल जाए.
पंचवटी ससुराल वालों को चकमा दे कर कहीं फरार न हो जाए, इसलिए जांच कर रही टीम ने उस की निगरानी के लिए घर के बाहर 2 महिला और 2 पुरुष सिपाहियों को तैनात कर दिया. घर वालों को भी सतर्क किया गया कि वे अपनी बहू पर नजर रखें.
2 जुलाई, 2020 की सुबह 7 बजे सर्विलांस टीम को रामदीन के मोबाइल फोन की लोकेशन केन नदी किनारे सिद्ध बाबा देवस्थान के पास की मिली. सर्विलांस टीम ने इस की जानकारी विशेष पुलिस टीम को दे दी.
चूंकि जानकारी अतिमहत्त्वपूर्ण थी, इसलिए टीम सादे कपड़ों में वहां पहुंच गई. लगभग 8 बजे सुबह केन नदी की ओर से सिद्ध बाबा देवस्थान की तरफ 3 आदमी आते दिखे. पुलिस टीम ने उन्हें टोका तो तीनों देवस्थान की ओर भागे. लेकिन पुलिस टीम ने उन्हें दबोच लिया.
तीनों को थाना बांदा कोतवाली लाया गया. थाने पर जब उन से नामपता पूछा गया तो एक ने अपना नाम रामदीन, दूसरे ने अपना नाम रज्जन बताया. जबकि तीसरे का नाम चंद्रप्रकाश उर्फ भूरा, निवासी वनसखा गिरवां जिला बांदा पता लगा.
तब तक एएसपी महेंद्र प्रताप चौहान भी कोतवाली आ गए थे. उन्होंने उन तीनों से कल्लू हत्याकांड के संबंध में पूछा तो वे साफ मुकर गए. उन्होंने बताया कि मृतक के घर वाले उन से रंजिश रखते हैं, इसलिए उन्हें फंसा रहे हैं.
यह सुनते ही पास खड़े कोतवाल दिनेश सिंह को गुस्सा आ गया. वह तीनों को अलग कक्ष में ले गए और तीनों की जम कर पिटाई की. इस से तीनों टूट गए. फिर उन्होंने एएसपी चौहान के सामने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. यही नहीं, पुलिस टीम ने उन तीनों की निशानदेही पर हत्या में इस्तेमाल 2 तमंचे, 2 जिंदा कारतूस, 2 खोखे और खून सनी कुल्हाड़ी भी बरामद कर ली, जिसे उन्होंने घटनास्थल से कुछ दूरी पर झाडि़यों में छिपा दिया था.
पुलिस ने रामदीन से मृतक कल्लू का मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया. बरामद सामान को साक्ष्य के लिए सीलमोहर कर दिया गया.
पूछताछ में हत्यारोपी रज्जन ने बताया कि मृतक कल्लू की पत्नी पंचवटी से रामदीन के नाजायज संबंध थे. रामदीन पंचवटी से शादी करना चाहता था. लेकिन उस का पति कल्लू बाधक बना हुआ था. कल्लू को रास्ते से हटाने के लिए पंचवटी और रामदीन ने मिल कर मुझे 3 लाख की सुपारी दी थी. साथ ही रामदीन ने 10 बिस्वा जमीन भी देने का वादा किया था.
सुपारी मिलने के बाद मैं ने अपने रिश्तेदार चंद्रप्रकाश उर्फ भूरा को डेढ़ लाख रुपया देने का लालच दे करअपने साथ मिला लिया. इस के बाद हम लोगों ने योजनाबद्ध तरीके से कल्लू की हत्या कर दी.
रज्जन के बयान से स्पष्ट था कि कल्लू की हत्या में उस की पत्नी पंचवटी बराबर की साझेदार थी. पुलिस टीम ने महिला पुलिस के सहयोग से पंचवटी को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया. थाना कोतवाली में जब उस का सामना प्रेमी रामदीन और उस के सहयोगी रज्जन से हुआ तो वह सब कुछ समझ गई. उस ने सहज ही पति की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.
चूंकि आरोपियों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था और आलाकत्ल कुल्हाड़ी तथा तमंचा भी बरामद करा दिया था, इसलिए इंसपेक्टर दिनेश सिंह ने सब को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.
पुलिस जांच और मुलजिमों से विस्तृत पूछताछ में एक ऐसी औरत की कहानी सामने आई, जिस ने देह सुख के लिए अपने उस पति को मौत के घाट उतरवा दिया, शादी के समय जिस के साथ पूरी जिंदगी गुजारने का वचन दिया था.
6 साल पहले उस के इसी पति को ढूंढने के लिए उस के पिता सिपाही लाल ने महीनों धक्के खाए थे. और जब कालीचरण उर्फ कल्लू मिल गया तो पिता ने इसे बेटी की किस्मत माना था. बाद में 18 जून, 2014 को पिता ने पंचवटी का हाथ इसी कल्लू के हाथ में दे दिया था.
कालीचरण को सब लोग भले ही कल्लू कहते थे, लेकिन वह था गोराचिट्टा और स्मार्ट. ऐसा पति पा कर पंचवटी खुश थी. कल्लू भी पंचवटी सी सुंदर बीवी पा कर फूला नहीं समाता था.
शादी के बाद कई सालों तक पंचवटी और कल्लू की गृहस्थी खूब मजे से चलती रही. लेकिन फिर धीरेधीरे उन के आंतरिक रिश्ते में खटास आती गई. वजह यह कि एक तो कल्लू दिन भर काम कर के हाराथका घर लौटता था, दूसरे उस के जोशोखरोश में कमी आ गई थी.
इसी बीच पंचवटी ने कल्लू के परिवार से अलग रहने की जिद करनी शुरू कर दी. कल्लू के पिता चिनकावन को जब पता चला कि छोटी बहू परिवार से अलग रहना चाहती है, तो उन्होंने उसे रहने को 2 कमरों वाला अलग मकान दे दिया.
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परिवार से अलग होने के बाद पंचवटी पूरी तरह आजाद हो गई. अब वह पति को अपनी अंगुलियों पर नचाने लगी. पति के साथ वह सैरसपाटे के लिए बांदा शहर भी जाने लगी.
पंचवटी ने जो कुछ बताया, वह किसी के भी गले उतरने वाला नहीं था, फिर सिद्धार्थ शंकर तो आईपीएस थे. घटनाक्रम का खाका दिमाग में उतारने के बाद उन्होंने गहरी सांस ले कर पूछा, ‘‘तुम कितने समय से मायके में थीं पंचवटी?’’
‘‘जी, एक साल से मायके में थी. मेरा मायका हमीरपुर के गांव रूरीपहरी में है. पिता सिपाही लाल अरहर का व्यापार करते हैं. अरहर गांवों से…’’
पंचवटी मायके का और बखान करना चाहती थी, लेकिन सिद्धार्थ शंकर ने उसे बीच में टोक दिया, ‘‘सिर्फ उतना बताओ जितना पूछा जाए.’’
उन की आवाज में घुले रोष को समझ पंचवटी सहम गई. उन्होंने उस से अगला सवाल किया, ‘‘तुम्हारी अपनी घरगृहस्थी थी, सालभर मायके में रहने की कोई खास वजह? मायके वालों ने रोक रखा था या आने का मन नहीं किया. हां, सोचसमझ कर जवाब देना, क्योंकि हम सभी से पूछताछ करेंगे.’’
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‘‘हम दोनों में अनबन हो गई थी, साहब. इसलिए मायके चली गई थी. लौट कर आना तो था ही, सो आ गई.’’ पंचवटी ने कहा तो एसपी साहब ने पूछा, ‘‘खुद कहां आईं, तुम्हारा पति लाया था. अच्छा, यह बताओ, ससुराल आने के लिए पति को तुम ने बुलाया था या वह खुद ही तुम्हें लाने के लिए पहुंचा?’’
‘‘वह नाराज थे, मैं ने ही उन्हें फोन कर के बुलाया था. वह मेरे गांव रूरीपहरी आए और मैं उन के साथ चली आई.’’
‘‘…और वापसी में कुछ बदमाशों ने तुम्हारे पति को मार डाला, उस का मोाबइल भी ले गए.’’ सिद्धार्थ शंकर ने पंचवटी के आंसुओं से भरे चेहरे पर तीखी नजर डालते हुए पूछा, ‘‘तुम्हारा मोबाइल, जिस से तुम ने पुलिस को खबर दी, पति से महंगा रहा होगा. बदमाशों ने तुम से न मांगा न छीना. तुम पर ऐसी मेहरबानी क्यों?’’
‘‘मैं क्या जानूं साहब, जो सच था मैं ने बता दिया.’’ पंचवटी ने गालों पर ढुलक आए आंसुओं को पोंछ कर चेहरा झुका लिया.
एसपी साहब ने उस पर उपेक्षा की नजर डाल कर कहा, ‘‘कुछ सच बाद के लिए बचा कर रखो, शाम को फिर पूछताछ होगी. खयाल रखना मुझे झूठ पसंद नहीं है.’’
जहां सिद्धार्थ शंकर मीणा पंचवटी से पूछताछ कर रहे थे, वहां से थोड़ी सी दूरी पर उस के पति कालीचरण उर्फ कल्लू की गोली और घावों से छलनी लाश पड़ी थी. आसपास लोगों की भीड़ जमा थी, जो कभी कल्लू की लाश को देख रही थी तो कभी जमीन पर पड़ी उस की मोटरसाइकिल को. कुछ लोगों की नजर पंचवटी पर भी अटकी हुई थी.
बांदा शहर कोतवाली प्रभारी इंसपेक्टर दिनेश सिंह अपनी टीम के साथ घटनास्थल का नक्शा बनाने, लाश पर गोलियों और चोटों के निशान गिनने और लोगों से पूछताछ में लगे थे.
एसपी सिद्धार्थ शंकर और एएसपी महेंद्र प्रताप सिंह को इंसपेक्टर दिनेश सिंह ने ही सूचना दे कर बुलाया था. वह अपने साथ फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड को भी लाए थे, जिन्होंने अपनाअपना काम निपटा लिया था.
वापस जाते समय एसपी साहब ने इंसपेक्टर दिनेश सिंह को निर्देश दिया, ‘‘लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दो और मृतक के घर वालों से कहो, रिपोर्ट लिखाएं. हां, इस औरत को शाम को कोतवाली बुला लेना, पूछताछ करनी है.’’
यह घटना 28 जून, 2020 की है. कोतवाली प्रभारी दिनेश सिंह को कंट्रोल रूम से फोन पर सूचना मिली थी कि सोहाना गांव के बाहर एक युवक की हत्या हो गई है. गांव सोहाना कोतवाली से 12 किलोमीटर दूर था. इंसपेक्टर दिनेश सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने एसपी सिद्धार्थ शंकर और एएसपी महेंद्र प्रताप सिंह को घटना के बारे में बता दिया था.
घटनास्थल पर लोगों की भीड़ जमा थी. वहीं तालाब के पास कल्लू की लाश पड़ी थी, उस की मोटरसाइकिल भी. लाश के पास बैठी उस की पत्नी पंचवटी रो रही थी. मृतक की लाश देख पुलिस टीम भी सिहर उठी.
हत्यारों ने कल्लू का कत्ल बड़ी बेरहमी से किया था. न केवल उस के सीने में गोली मारी गई थी, बल्कि किसी तेजधार हथियार से उस की गरदन और शरीर के दूसरे अंगों पर भी वार किए गए थे. उस की गरदन आधी कट गई थी.
दिनेश सिंह ने पंचवटी को धैर्य बंधाने के बाद उस से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस का पति कल्लू उसे मायके से ले कर आ रहा था. 4 बजे जब हम लोग गांव के बाहर तालाब के पास पहुंचे तो बदमाशों ने मोटरसाइकिल रुकवा कर उस के पति के सीने में गोली मार दी. फिर उन पर कुल्हाड़ी से कई वार किए और उन का मोबाइल ले कर फरार हो गए.
इंसपेक्टर दिनेश सिंह ने घटनास्थल का निरीक्षण करने और लोगों से बातचीत के बाद कल्लू के शव को पोस्टमार्टम के लिए बांदा जिला अस्पताल भिजवा दिया.
उसी दिन मृतक कल्लू के भाई रामशरण ने थाना कोतवाली बांदा में कल्लू के कत्ल की नामजद रिपोर्ट लिखाई. उस ने इस रिपोर्ट में रामदीन, रज्जन और चंद्रप्रकाश उर्फ भूरा को नामजद किया. रिपोर्ट में पंचवटी का भी नाम था.
इंसपेक्टर दिनेश सिंह ने रामशरण से कहा कि कल को वह एसपी साहब के औफिस जा कर उन से मिल ले. एसपी साहब पंचवटी से पूछताछ करना चाहते हैं लेकिन उस से पहले वह तुम से कुछ जानकारियां हासिल करना चाहते हैं.
उधर एसपी सिद्धार्थ शंकर मीणा ने कल्लू हत्याकांड का जल्दी खुलासा करने के लिए एएसपी महेंद्र प्रताप सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की. इस टीम में इंसपेक्टर दिनेश सिंह, दरोगा राजीव यादव, मुन्नालाल, सिपाही कुंवर सिंह, मेवालाल, महिला सिपाही पार्वती, एसओजी प्रभारी आनंद कुमार सिंह और सर्विलांस टीम को शामिल किया गया.
अगले दिन रामशरण एसपी सिद्धार्थ शंकर से मिला. उन के यह पूछने पर कि उस ने अपने भाई कल्लू की हत्या में जिन लोगों को नामजद किया है, उन पर शक क्यों है. इस पर रामशरण ने बताया कि रामदीन अपराधी प्रवृत्ति का दबंग आदमी है. उस के और पंचवटी के नाजायज संबंध हैं. कल्लू इन संबंधों का विरोध करता था. पतिपत्नी में मारपीट भी होती थी. इसी वजह से पंचवटी ने उसे मरवा दिया.
‘‘और बाकी लोग, उन की क्या भूमिका है?’’
‘‘बाकी 2 लोग रज्जन और चंद्रप्रकाश रामदीन के रिश्तेदार हैं, अपराधी भी हैं. रामदीन ने उन्हें साथ लिया होगा. पैसे वाला आदमी है. कुछ रकम दे दी होगी.’’ रामशरण ने बताया.
एसपी साहब ने रामशरण को घर भेज दिया. पंचवटी पर उन्हें पहले ही शक था. अब उस से पूछताछ के लिए मजबूत आधार मिल गया था.
अगले दिन एसपी सिद्धार्थ शंकर के आदेश पर पंचवटी को कोतवाली बुलाया गया. एसपी साहब ने महिला सिपाहियों की मौजूदगी में पंचवटी से पूछताछ की. उन का पहला सवाल था, ‘‘रामदीन से तुम्हारा क्या रिश्तानाता है?’’
‘‘वह मेरे पति कल्लू का दोस्त था. वही उसे घर ले कर आते थे.’’
‘‘मैं ने तुम से कहा था कि झूठ मुझे पसंद नहीं है, लेकिन तुम ने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया. सच बताओ, तुम ने रामदीन से कल्लू की हत्या क्यों कराई? अगर तुम ने झूठ बोला तो तुम्हारे सिर पर खड़ी ये महिला सिपाही मारमार कर तुम्हारी खाल उधेड़ देंगी.’’