जरीना जिस दिन से अमजद के घर में आई, उसी दिन से ही उस ने उस के घर का सारा काम संभाल लिया. इस पर भाभी कहतीं, ‘‘देखो जरीना, हमें आलसी मत बनाओ. बुजुर्गों का कहना है, काम करते रहो. इस से बच्चा होने के समय तकलीफ नहीं होती और तुम हमें बिठाए रखती हो.’’
‘‘अपनी ननद के रहते आप काम करेंगी, भाभी? आप चाहें तो पूरे घर की दौड़ लगाइए. कसरत होती रहेगी.’’
इस पर फरजाना हंस पड़ती. घर के कामों में व्यस्त रहने के कारण जरीना अपने उस अतीत को धीरेधीरे भूलने लगी जिस की आंच में उस का बदन 3 साल तक जलता रहा था. करीम ने भी उस की खोजखबर लेने की कोशिश नहीं की थी.
होली से 5 रोज पहले, जरीना अमजद को चाय देने गई तो उस ने उसे अपने समीप बिठाते हुए पूछा, ‘‘यह करीम तुझे कितना चाहता है, मुन्नी?’’इस पर जरीना ने सिर झुका कर कहा, ‘‘भाईजान, मैं ने तो आज तक उन की आंखों में प्यार जैसी चीज पाई ही नहीं.
3 साल में कई मुसलिम त्योहार आए और गए, मगर उन्होंने एक बार भी मुझे मायके नहीं भेजा. होली से हमारे घर का काफी लगाव है. एक दिन मैं ने उन से कहा कि हम लोग भी अपने हिंदू दोस्तों को बुला कर होली का जश्न मनाएं. इस पर वे भड़क उठे और लगे गालियां देने.’’
‘‘कुछ भी हो मुन्नी, मर्द के दिल के किसी कोने में उस की बीवी के लिए बेपनाह मुहब्बत का जज्बा जरूर होता है. सवाल है उसे जगाने का.’’
अमजद ने चाय पी कर जाने से पहले जरीना से मुसकराते हुए कहा, ‘‘देख मुन्नी, इस बार की होली में प्यार जैसी चीज ज्यादा उभरनी चाहिए, हम पूरे घर वाले एकसाथ इस होली को मनाएंगे. हां, मेरे स्टाफ के लोगों के लिए तुम लोग कुछ मिठाई बना लो, तो अच्छा रहेगा.’’
‘‘जैसी आप की मरजी, भाईजान.’’
उस रात को फरजाना और जरीना रातभर जाग कर मिठाई बनाने में मशगूल रहीं. पड़ोस की कमला भाभी भी उन्हें सहयोग देने आ गई थीं.
सवेरा होने से पहले ही अमजद थाने से आ गया. फरजाना उसे देख कर हैरान रह गई.
‘‘जनाब, आज तो आप की होली थाने में होती है. यहां कैसे पहुंच गए?’’
‘‘देखो बेगम, हमारी बहन आई है और हम आज इसी खातिर थाने से छुट्टी ले कर आए हैं.’’ और अमजद ने आगे बढ़ कर फरजाना के चेहरे पर ढेर सारा गुलाल मल दिया. जरीना भैया और भाभी की इस कशमकश के दौरान हंसतीमुसकराती रही.
‘‘जरीना, यह ले, तू भी अपनी भाभी को लगा. मैं कमला भाभी और दूसरे लोगों से मिल कर आता हूं.’’
अमजद उसे गुलाल थमा कर बाहर चला गया और जरीना ने तेजी से आगे बढ़ कर फरजाना के मुंह पर गुलाल मल दिया.
फरजाना इस पर झींकती हुई बोली, ‘‘आज तो तुम दोनों मुल्लाओं के बीच मैं बेमोल मारी गई.’’ फिर फरजाना ने भी आगे बढ़ कर जरीना के चेहरे पर गुलाल मल दिया. इतने में महल्ले की और औरतें भी आ गईं. और सब ने खूब मिल कर एकदूसरे पर रंग डाला.
12 बजे के करीब अमजद लौट आया. उस के साथ करीम भी था. जरीना करीम को देख कर चौंकी. दोनों के चेहरे रंगों से पुते हुए थे. अपने बदन पर एक बूंद रंग का छींटा न लेने वाले करीम की गत देख कर जरीना आश्चर्य में डूब गई.
अमजद के साथ करीम को आता देख कर फरजाना ने जरीना से कहा, ‘‘जरीना, हमारे मियां तुम्हारे मियां को भी लाइन पर ले आए हैं. रंग की बालटी तैयार करो.’’
‘‘नहीं भाभी, मैं यह नहीं कर सकती.’’
‘‘क्यों?’’
‘‘बस, दिल नहीं है.’’
‘‘अच्छा, मैं समझ गई. मगर मैं क्यों चूकूं.’’
फरजाना ने उन लोगों के अंदर आतेआते रंग की बालटी तैयार कर ली और जैसे ही वे अंदर घुसे, उन दोनों पर रंगभरी बालटी उड़ेल दी.
‘‘अरे भाभीजान, यह क्या कर रही हैं?’’ करीम ने अपने चेहरे को बचाते हुए कहा.
करीम के इस स्वर से जरीना चौंकी. करीम का इतना मधुर स्वर तो उस ने आज पहली बार सुना था.
‘‘अरे मियां, वह देखो, जरीना को पकड़ो और रंगों से सराबोर कर दो.’’
अमजद के ये शब्द सुनते ही जरीना अंदर को भागी. करीम ने आगे बढ़ कर उसे पकड़ लिया और उस पर रंग डालते हुए बोला, ‘‘माफ नहीं करोगी, जरीना? मैं ने तुम्हें बहुत सताया है. पर अमजद भाईजान ने मेरी आंखें खोल दी हैं. मैं तुम्हारा कुसूरवार हूं. तुम मुझे जो चाहे सजा दो.’’
जरीना, करीम की बांहों में बंध कर सिसक उठी.
‘‘जरीना, खुशी के मौके पर रोते नहीं. फरजाना, मिठाई लाओ. ये दोनों एकदूसरे को मिठाई खिलाएंगे, जिस से इन दोनों के बीच की दूरी मिट जाए.’’
अमजद की इस बात से जरीना और करीम भी मुसकराए बिना रह न सके. फरजाना अंदर से रसगुल्ले उठा लाई और दोनों के हाथों में थमा कर बोली, ‘‘अब, शुरू हो जाओ.’’
जरीना ने कांपते हुए करीम के मुंह में रसगुल्ला ठूंस दिया और करीम ने जरीना के मुंह में. फिर अचानक ही करीम ने जरीना के हाथों को ले कर चूम लिया.
अमजद चिल्लाया, ‘‘वाह, क्या बात है. इसे कहते हैं ईद में बिछड़े और होली में मिले. फरजाना, देखो इन दोनों को.’’
फरजाना करीम को अंदर ले गई तो जरीना ने अमजद को अकेले पा कर उस से धीमे से पूछा, ‘‘भैया, ये आए कैसे?’’
‘‘वाह, आता क्यों नहीं. अपना उदाहरण दिया. ठीक है मांबाप से प्यार करो. मगर इस के माने ये नहीं हैं कि बीवी से मुंह मोड़ लो. फिर शादी क्यों की थी? वैसे वह मुझ से काफी घबराता है, पहले तो वह मुझे सिर्फ तुम्हारा फुफेरा भाई और दूर का ही रिश्तेदार समझता रहा. पर संबंधों की घनिष्ठता और फिर थाने जा कर हथकड़ी पहन कर बैठने के बजाय सोचा, चलो अपनी बीवी से माफी मांगना ही अच्छा है. मैं ने उस का दिमाग पूरी तरह साफ कर दिया है. अब कहीं भी टूटफूट नहीं है. अब तो इस का ट्रांसफर भी इसी शहर में हो गया है.’’
‘‘सच भाईजान?’’
‘‘तो क्या मैं झूठ कह रहा हूं, जा कर खुद उसी से पूछ ले.’’
इस पर जरीना शरमा गई. वह रंगों के छितराए बादल से अपने सुंदर भविष्य को देख रही थी, पैर की जूती इस होली से गले का हार जो बन गई थी.