त्याग की उम्मीद सिर्फ स्त्री से ही क्यों? क्या उसे परिवार की धुरी, त्याग की देवी और ममता की छांव बना कर पुरुष और समाज अपने स्वार्थ की पूर्ति नहीं करते? ऐसे सवाल माधुरी के दिलोदिमाग में उठते रहते थे.